जिला सिरमौर के अंतर्गत संगड़ाह उपमंडल के गांव लजवा से ताल्लुख रखने वाले जागर सिंह पिछले 12 दिनों से घर से लापता है। और दूर-दूर तक ढूंढने के बावजूद भी उसका कोई सुराख नहीं लग पाया है। जागर सिंह की उम्र करीबन 55 वर्ष है। जागर सिंह से मोबाइल पर आखरी बार बात 17 मार्च को हुई , बताया जा रहा हैं कि लजवा गांव के निवासी बलबीर ठाकुर से मोबाइल पर हुई इस आखिरी बात में जागर सिंह ने बताया कि वह रोहडू क्षेत्र के अड़हाल गाव में दिहाड़ी कमाने गया हुआ है परंतु उसके बाद उसका मोबाइल स्विच ऑफ हो गया और संपर्क पूरी तरह टूट गया है। जागर सिंह मूलत हरिपुरधार के गैहल गांव का निवासी है परंतु पिछले लगभग 20 वर्षों से वह लजवा गांव में रह रहा है। जागर सिंह के घर में उसकी पत्नी, सात बेटियां और एक छोटा बेटा लगभग 12 दिनों से परेशान है और प्रशासन से अपने पिता को ढूंढने की गुहार लगा रहे हैं। तीन दिनों तक जगह-जगह संपर्क करने के बाद जागर सिंह की पुत्री प्रियंका शर्मा ने 21 मार्च को संगड़ाह पुलिस थाने में अपने पिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई है और पुलिस से उन्हें ढूंढने का आग्रह किया है। पुलिस ने रोहडू, शिमला, जुब्बल, कोटखाई, रोनहाट आदि कई स्थानों पर उन्हें ढूंढने का प्रयास किया, मगर अभी तक उसका कोई पता नहीं लग पाया हैं। एसएचओ संगड़ाह बृज लाल मेहता ने बताया कि जागर सिंह की तलाश जारी है।
25 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई चढ़ने के बाद होते हैं श्रीखंड महादेव पर्वत के दर्शन
हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां देवी-देवताओं के कई मंदिर हैं। इनमें से श्रीखंड महादेव मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में भगवान शिव को समर्पित है। श्रीखंड महादेव दुनिया के सबसे ऊंचाई पर स्थित धार्मिक स्थलों में से एक है। समुद्रतल से लगभग 18,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 25 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। श्रीखंड महादेव मंदिर की यात्रा को अमरनाथ यात्रा से भी दुर्गम माना जाता है। बावजूद इसके बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रीखंड महादेव के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। लोगों का विश्वास है कि इस स्थान पर भगवान शिव का वास है। श्रीखंड पर्वत को पंच कैलाशों में से एक माना जाता है। यहां प्राकृतिक शिवलिंग स्थापित है।
मान्यता है कि भस्मासुर नाम के राक्षस को भगवान शिव से वरदान मिला था कि वह जिस भी जीव के सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा। वरदान पाकर भस्मासुर घमंडी हो गया और भगवान शिव को ही भस्म करने की कोशिश करने लगा। ऐसे में भगवान शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए निरमंड के देओढांक में स्थित एक गुफा में शरण ली। भगवान शिव कई महीनों तक इस गुफा में रहे। जब भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की एक सुंदर महिला का रूप धारण कर भस्मासुर का वध कर दिया, तो सभी देवता गुफा के बाहर पहुंचे और भगवान शिव से बाहर आने की विनती की। लेकिन भगवान शिव गुफा से बाहर नहीं आ पा रहे थे। जिसके बाद वह एक गुप्त रास्ते से होते हुए इस पर्वत की चोटी पर शक्ति रूप में प्रकट हो गए। मान्यता है कि जब भगवान शिव यहां से जाने लगे तो एक जोरदार धमाका हुआ। जिसके बाद शिवलिंग आकार की एक विशाल शिला बच गई। इसे ही शिवलिंग मानकर उसके बाद पूजा जाने लगा। इसके साथ ही यहां दो अन्य चट्टाने भी हैं, जिन्हें मां पार्वती और भगवान गणेश के नाम से पूजा जाता है।
श्रीखंड महादेव की यात्रा के मार्ग में निरमंड में सात मंदिर, जाओं में माता पार्वती का मंदिर, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर अरसु, जोताकली, बकासुर वध, ढंक द्वार जैसे पवित्र स्थान भी आते हैं। मार्ग में आने वाले पार्वती बाग में श्रद्धालुओं को दुर्लभ ब्रह्म कमल के दीदार होते हैं। यहां पार्वती झरना भी दर्शनीय है। माना जाता है कि मां पार्वती इस झरने का स्नानागार के रूप में इस्तेमाल करती थीं। बता दें कि श्रीखंड महादेव की यात्रा बेहद दुर्गम मार्ग से होकर गुजरती है। यहां ऑक्सीजन की कमी के चलते कई बार श्रद्धालुओं की मौत भी हो जाती है। जिसके बाद श्रीखंड महादेव ट्रस्ट ने यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की आयु सीमा भी तय की गई है। साथ ही ट्रस्ट ने यह भी तय किया है कि किसी भी यात्री को उनकी फिटनेस देखकर ही श्रीखंड महादेव की यात्रा के लिए अनुमति दी जाएगी। ट्रस्ट, प्रशासन के सहयोग से श्रीखंड महादेव यात्रा का आयोजन करता है। यात्रा के तीन पड़ाव में सिंहगाड़, थाचड़ू, और भीम डवार हैं।
श्रीखंड महादेव तक कैसे पहुंचे
श्रीखंड महादेव तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को कई पड़ाव पार करके यात्रा करनी पड़ती है। सबसे पहले शिमला जिले के रामपुर से कुल्लू जिले के निरमंड होकर बागीपुल और जाओं तक गाड़ियों और बस से पहुंचना पड़ता है। यहां से आगे करीब 30 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। श्रीखंड महादेव से नजदीकी हवाई अड्डा लगभग 53 किलोमीटर दूर भुंतर हवाई अड्डा है। वहीं 76 किलोमीटर दूर शिमला में जुब्बरहट्टी हवाई अड्डा और छोटी लाइन का रेलवे स्टेशन भी है। इसके अलावा लगभग 90 किलोमीटर दूर जोगिंदरनगर में भी छोटी लाइन का स्टेशन है।
आज गद्दी छात्र कल्याण संघ (GSWA) की वर्ष 2024-2025 के लिए नई कार्यकारिणी का गठन किया गया। जिसमे अध्यक्ष कार्तिक , उप अध्यक्ष सपना वशिष्ठ और उदित सिंह ,महासचिव पंकज जरयाल , सह सचिव दीक्षा कपूर और अक्षय ठाकुर को, कोषाध्यक्ष विक्रांत चाड़क को, सांस्कृतिक सचिव वंदना ठाकुर,निखिल भारद्वाज,मनीषा ठाकुर, अमीषा ,खेल सचिव सौरभ शर्मा और अनूप,प्रियंका लोटिया तथा साक्षी ,सोशल मीडिया प्रभारी अरविंद ठाकुर को बनाया गया। गत वर्ष के रहे अध्यक्ष अरविंद ठाकुर ने बताया कि अध्यक्ष के लिए फाउंडर मेंबर की कमेटी व पूर्व के पैनल से भी सर्व सहमति से अध्यक्ष के लिए एक ही नाम पर हामी भरी गई। अरविंद ठाकुर बोले, कार्तिक ने GSWA में रहते हुए परिश्रम व जुझारू पन से कार्य किया, सभी गद्दी समुदाय के छात्रों से इनका प्रेम व आपसी स्नेह के कारण ही ये निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हुए। इसके साथ सभी निर्वाचित कार्यकर्ताओं को बधाई एवम् शुभकामनाएं।
अयोग्य घोषित कांग्रेस विधायक इंद्र दत्त लखनपाल को अवैध निर्माण से जुड़े मामले में नोटिस जारी किया गया है। उन्हें 23 मार्च सुबह शिमला के चक्कर स्थित कोर्ट में होने वाली आयुक्त की अदालत में पेश होने के लिए नोटिस जारी किया गया है। नगर निगम प्रशासन के अनुसार मामला साल 2014 का है। इंद्र दत्त लखनपाल का तारा देवी के समीप तीन मंजिला मकान बना है। साल 2014 में उनकी पत्नी उषा लखनपाल नगर निगम में पार्षद थीं। निगम के अनुसार इस दौरान लखनपाल ने भवन में मरम्मत कार्य के लिए निगम से अनुमति ली थी, लेकिन इस अनुमति की आश्रय में उन्होंने भवन के साथ लगते काफी क्षेत्र पर अवैध निर्माण कर दिया। साल 2015 में शिकायत होने के बाद आयुक्त कोर्ट में इसकी सुनवाई शुरू हुई थी। पिछले करीब नौ साल से मामले को अस्थायी रूप से अलग रखा गया था। अब अचानक से यह मामला फिर सामने आ गया है। हालांकि, नगर निगम दावा कर रहा है कि बीते दिसंबर माह में भी इस मामले पर सुनवाई हो चुकी है। नगर निगम ने नोटिस भेजते हुए फिर से लखनपाल को पेश होने के निर्देश दिए हैं। पेश न होने की स्थिति में एक तरफा फैसला हो सकता है। निगम वास्तुकार मेहबूब शेख का कहना है कि मामले पर 23 मार्च को सुनवाई होगी।
मंडी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने चुनाव लड़ने से साफ़ इनकार कर दिया है। जाहिर है चुनाव के आखरी पड़ाव पर प्रतिभा सिंह का इंकार कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। प्रदेश की चारो लोकसभा सीटों में से अगर कांग्रेस किसी सीट पर मजबूत दिख रही थी। तो वो थी मंडी लोकसभा सीट। प्रतिभा सिंह कांग्रेस की मजबूत और जिताऊ कैंडिडेट में शामिल थी। मगर अब प्रतिभा सिंह ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। चुनाव न लड़ने का क्या कारण है इस पर भी प्रतिभा सिंह ने अब चुप्पी तोड़ी है। प्रतिभा सिंह का कहना है कि चुनाव न लड़ने का बड़ा कारण हैं। संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं की अनदेखी। साल भर से कार्यकर्ता नाराज़ चल रहे है। और उन्हें नहीं लगता कि कोई भी कार्यकर्ता चुनाव में सक्रियता से काम करेगा। प्रतिभा सिंह ने हाईकमान से भी ये स्पष्त कह दिया है कि किसी और को मंडी लोकसभा सीट से मैदान में उतार दे, वो कांग्रेस प्रत्याशी को पूरा सपोर्ट करेंगी मगर प्रतिभा खुद चुनाव नहीं लड़ेंगी। जाहिर है सरकार में संगठन कि अनदेखी का जो मसला साल भर से प्रतिभा सिंह उठाती आ रही है। उस मसले का हल अब तक नहीं हुआ था, हालाँकि सियासी उठापटक के बाद सीएम सुक्खू एक्शन मोड में ज़रूर आए मगर अब शायद प्रतिभा सिंह को देरी से दूरी ही भली लग रही है। और इसलिए उन्होंने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। अब देखना ये होगा कि मंडी से प्रतिभा सिंह के इंकार के बाद कांग्रेस किस पर दांव खेलती हैं।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के 6 बागी विधायक जल्द ही भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम सकते हैं। सुचना है कि दिल्ली में आज इनकी राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन के साथ मीटिंग होगी। इसमें सभी बागी टिकट की मांग करेंगे। इस पर सहमति बनी तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद बागी विधायक भगवा चोला ओढ़ प्रदेश वापिस लौट सकते है।सूत्रों की माने तो हर्ष महाजन एक सप्ताह से भाजपा हाईकमान से संपर्क में है। वह हिमाचल के इन बागी विधायकों को पार्टी में शामिल करने की रणनीति तैयार करने में जुटे हैं। कांग्रेस के बागी और निर्दलीय विधायकों के भविष्य की सियासत के लिए जल्द निर्णायक कदम उठाने के संकेत हैं। भाजपा की ओर से इस बाबत प्रदेश में स्पष्ट संदेश दे दिए जाने की भी सूचना है। देर रात तक बागियों की भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात भी संभव बताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के रुख को भांपकर कांग्रेस के बागी और भाजपा अब जल्द ही आगे की चुनौतियों के लिए तस्वीर साफ करना चाहते हैं। ताकी, जनता को स्पष्ट संदेश जा सके। सूत्रों की माने तो हर्ष महाजन एक सप्ताह से भाजपा हाईकमान से संपर्क में है। वह हिमाचल के इन बागी विधायकों को पार्टी में शामिल करने की रणनीति तैयार करने में जुटे हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद अटकले है कि शायद भारतीय जनता पार्टी एक-दो सीटों पर इन्हें टिकट दे भी दे। मगर बड़ा सवाल ये है कि कांग्रेस के सभी बागी उप चुनाव के लिए अगर पार्टी से टिकट मांगते है, तो क्या अपनों को नाराज़ कर इन सभी को टिकट देगी ? फिलवक्त ये ही सवाल इस वक़्त सियासत का केंद्र बना हुआ है।
हिमाचल प्रदेश के नौवीं से 12वीं कक्षा वाले सरकारी स्कूलों में कॅरिअर काउंसलिंग और गाइडेंस सेल गठित किए जाएंगे। स्कूलों में अब पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थियों को भविष्य की राह चुनने में भी मदद की जाएगी। विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए स्कूलों में प्रमुख व्यक्तित्व और उच्च अधिकारी बुलाए जाएंगे। उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला उपनिदेशकों को लिखित निर्देश जारी कर दिए हैं। निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा ने कार्रवाई करते हुए निदेशालय को सूचना देने के लिए कहा है।
कॅरिअर काउंसलिंग और गाइडेंस सेल का स्कूल के सबसे वरिष्ठ शिक्षक को नोडल अधिकारी बनाया जाएगा। सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों की शिक्षा विभाग अब पढ़ाई के साथ कॅरिअर काउंसलिंग भी करेगा। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद कौन सा करियर चुनें या फिर किस कोर्स में प्रवेश लें। इसकी जानकारी विद्यार्थियों को मुहैया करवाई जाएगी। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि विद्यार्थी अच्छे अंक लेकर दसवीं और जमा दो की परीक्षा पास कर लेते हैं। इसके बाद आगे की पढ़ाई के दौरान उन्हें कौन सा विषय चुनना है, भविष्य में क्या करना चाहते हैं, इसका सही तरह से चयन नहीं कर पाते। वह कई बार गलत विषय का चयन कर उसमें दाखिला ले लेते हैं, जबकि उनकी रुचि उसमें नहीं होती।
विभागीय अधिकारियों का कहना हैं स्कूलों में बच्चों को काउंसलर नहीं मिलता, इससे विद्यार्थी अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए विभाग ने कॅरिअर काउंसलिंग और गाइडेंस सेल गठित करने का फैसला लिया है। इस विशेष सेल में विद्यार्थियों को नशे से दूर रहने, साफ-सफाई, सोशल मीडिया और इलेक्ट्रानिक्स गेजेट्स का सही इस्तेमाल करने, खेलकूद और राष्ट्र के प्रति उनके दायित्व को लेकर भी जागरूक किया जाएगा। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा ने बताया कि सभी जिला उपनिदेशकों को इस बाबत तुरंत कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। सभी जिला अधिकारियों को इसकी रिपोर्ट भी भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
कहा, 4 फरवरी तक होंगे 'गांव चलो अभियान' के तहत कार्यक्रम
लोकसभा चुनावों को लेकर कार्यकर्ताओं को दिए चुनावी टिप्स
प्रदेश भर के 7 हजार 990 पोलिंग बूथों पर पार्टी नेतृत्व पहुंचाने का काम करेगी बीजेपी
प्रदेश में भाजपा ने लोकसभा चुनावों को लेकर तैयारियां करना शुरू कर दी हैं। इसी को लेकर पार्टी पदाधिकारियों को चुनावों के लिए टिप्स देने के लिए हमीरपुर में प्रदेश किसान मोर्चा पदाधिकारियों की बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें भाजपा के द्वारा गांव चलो अभियान के तहत जनसंपर्क करने के लिए रणनीति बनाई गई। बैठक के दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने शिरकत की। इस अवसर पर भाजपा पार्टी के मंडल अध्यक्ष, किसान मोर्चा के पदाधिकारी, पन्ना प्रमुखों के द्वारा ठोस रणनीति बनाई जा रही है। उक्त अभियान 4 फरवरी तक पूरे प्रदेश भर में पार्टी के द्वारा चलाया जा रहा है।
बिंदल ने कहा कि प्रदेश भर के सभी बूथों पर पार्टी का नेतृत्व पहुंचे। इसी के चलते भाजपा गांव चलो अभियान शुरू किया है। जिसके तहत प्रदेश भर के सात हजार 990 पोलिंग बूथों पर पार्टी नेतृत्व पहुंचने के लिए काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 4 फरवरी तक प्रदेश भर में अभियान के तहत बैठकों का आयोजन किया जा रहा है। बिंदल ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस के मंत्री झूठ बोलते हैं और प्रदेश में कांग्रेस सरकार का 13 माह का कार्यकाल पूरी तरह से विफल रहा है। उन्होंने कहा कि एक भी काम प्रदेश सरकार ने जनहितैषी नहीं किया है और अपनी नालायकी की ठीकरा केंद सरकार पर फोड़ने में लगे हुए हैं। बिंदल ने कहा कि कांग्रेस सरकार झूठों की सरकार है और केंद्र से पैसों को लेने का हिसाब तक नहीं देते हैं।
बिंदल ने पूछा कि आपदा के दौरान कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व कहां रहा है, वहीं बीजेपी के कई बड़े नेता हिमाचल आए हैं और अरबों करोड़ रुपये हिमाचल को दिए हैं।
बिंदल ने कहा कि जेडीयू भाजपा का नेचुरल एलायड है और नितीश कुमार भााजपा के साथ अटल के समय से जुड़े हुए हैं । उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ही भविष्य में देश को संभाल सकते हैं, ऐसे दृष्टिकोण से नीतीश कुमार फिर से भाजपा के साथ हैं ।
पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने साल 2021 में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की थी। मोदी के नेतृत्व में ही 2021-2022 से 2025-2026 तक 5 वर्षों के लिए 1,600 करोड़ रुपये की डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम बनाने के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन शुरू किया गया था। इसकी वजह से पीएम मोदी के गारंटी का भी असर देखने को साफ मिला और इस योजना के तहत 29 फरवरी, 2024 तक 56.67 करोड़ लोगों के आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में भी प्रगति की है। 29 फरवरी, 2024 तक, 27.73 करोड़ महिलाएं और 29.11 करोड़ पुरुषों को आभा कार्ड से लाभ हुआ है। वहीं 34.89 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य दस्तावेजों को इससे जोड़ा गया है।
क्या है आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्देश्य देश में यूनिफाइड डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की मदद करने के लिए जरूरी आधार तैयार करना है। इससे सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता खोलने के लिए ऑफलाइन मोड को मदद पहुंचती है। इसके अलावा भारत सरकार ने स्वास्थ्य सुविधा के लिए आभा ऐप और आरोग्य सेतु जैसे विभिन्न एप्लिकेशन भी लॉन्च किए गए हैं, जो आम लोगों को मदद पहुंचाती है। आभा ऐप एक प्रकार का डिजिटल स्टोरेज है, जो किसी भी व्यक्ति के मेडिकल दस्तावेजों का रखने का काम आता है। इस ऐप के जरिए मरीज रजिस्टर्ड स्वास्थ्य पेशेवरों से संपर्क भी कर सकते हैं।
भारत में बीजेपी की मोदी सरकार ने बीते 10 सालों के अपनी सरकार में कई सारे मील के पत्थर हासिल किया है। इन 10 सालों में पीएम मोदी के विजन ने भारत को अगले 23 साल बाद यानी साल 2047 तक विकसित भारत बनाने के ओर मजबूती से कदम भी बढ़ा लिया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने देश के हित में जो भी फैसले लिए है, उनमें से हेल्थ सेक्टर को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का प्रयास किया गया है।
कैंटरबरी विश्वविद्यालय, न्यूजीलैंड के प्रतिनिधियों ने शैक्षणिक सहयोग और अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा के लिए शूलिनी विश्वविद्यालय का दौरा किया। प्रोफेसर ब्रेट बर्क्विस्ट, सहायक कुलपति, एंगेजमेंट, और डॉ. ग्राहम वाइज, अंतर्राष्ट्रीय विकास निदेशक, कैंटरबरी विश्वविद्यालय, न्यूजीलैंड ने छात्रों और संकाय के लिए शैक्षणिक और अनुसंधान के अवसरों को बढ़ाने के उद्देश्य से कई पहलों पर चर्चा करने के लिए शूलिनी का दौरा किया।
इस ऐतिहासिक यात्रा के एजेंडे में संयुक्त अनुसंधान सहयोग, व्यवसाय विज्ञान, खाद्य विज्ञान और इंजीनियरिंग के लिए मार्ग कार्यक्रम, साथ ही उत्पाद निर्माण, ऑनलाइन कार्यक्रम और औद्योगिक भागीदारी पर चर्चा शामिल है।
अंतर्राष्ट्रीय उपनिदेशक डॉ. रोज़ी धांता ने कहा, "न्यूज़ीलैंड को अपने नए गंतव्य के रूप में देखने से हमारे छात्रों के लिए ढेर सारे अवसर खुलते हैं।" डॉ. रोज़ी ने आगे कहा कि यह पहल हमारे छात्रों के लिए उपलब्ध विकल्पों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी, जिससे वे सक्षम होंगे। अपनी आगे की पढ़ाई के लिए सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में से चयन करना। कैंटरबरी विश्वविद्यालय के साथ यह सहयोग उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और अनुसंधान के अवसर प्रदान करने, एक वैश्विक शिक्षण वातावरण की सुविधा प्रदान करने के हमारे प्रयास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है जो छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करता है।
** धर्मशाला में खेले जा रहे भारत-इंग्लैंड टेस्ट मैच में बना रिकॉर्ड
** इससे पहले दो स्पिन गेंदबाजों मुरलीधरन और शेन वार्न ने लिए हैं 700 से अधिक विकेट
हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्टेडियम में खेले जा रहे भारत-इंग्लैंड टेस्ट श्रृंखला के अंतिम एवं 5वें मैच में एक नया रिकॉर्ड बना है। मैच के तीसरे दिन इंग्लैंड के फास्ट बॉलर जेम्स एंडरसन 700 विकेट लेने वाले दुनिया के पहले तेज गेंदबाज बन गए हैं। 700 विकेट लेने वाले वे इग्लैंड के भी पहले गेंदबाज हैं।
एंडरसन से पहले भी दो गेंदबाजों ने यह आंकड़ा छुआ है, लेकिन वे दोनों स्पिनर हैं। इससे पहले श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन और आस्टे्रलिया के शेन वार्न ने क्रमश: 800 और 700 विकेट का आंकड़ा छुआ है।
बता दें कि भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज में तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन ने पहला मैच नहीं खेला था। इसके बाद के तीन मैच खेले हैं। अब धर्मशाला में चल रहे पांचवें मैच में खेल रहे हैं। दूसेर मैच में उन्होंने पांच विकेट लिए थे। तीसरे मैच में वे सिर्फ एक विकेट ले सके, जबकि रांची में खेले चौथे मैच में एंडरसन ने दो विकेट लिए थे।
नीम करोली बाबा के आश्रम में स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग को मिली आध्यात्मिक शान्ति
भारत में कई ऐसे पावन तीर्थ हैं, जहां पर श्रद्धा एवं भक्ति के साथ जाने मात्र से व्यक्ति के समस्त मनोरथ पूरे हो जाते हैं। ऐसा ही एक पावन तीर्थ देवभूमि उत्तराखंड की वादियों में है, जिसे लोग 'कैंची धाम' के नाम से जानते हैं। कैंची धाम के नीब करौरी बाबा (नीम करौली) की ख्याति विश्वभर में है। नैनीताल से लगभग 65 किलोमीटर दूर कैंची धाम को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता। यहां पर हर मन्नत पूर्णतया फलदायी होती है। यही कारण है कि देश-विदेश से हज़ारों लोग यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने आते हैं। बाबा के भक्तों में एक आम आदमी से लेकर अरबपति-खरबपति तक शामिल हैं। बाबा के इस पावन धाम में होने वाले नित-नये चमत्कारों को सुनकर दुनिया के कोने-कोने से लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं। बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में बाबा नीब करौरी के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है। इनके अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी बड़ी विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं। कुछ माह पूर्व स्टार क्रिकेटर विराट कोहली और उनकी पत्नी और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के यहां पहुंचते ही इस धाम को देखने और बाबा के दर्शन करने वालों की होड़ सी लग गई।
1964 में बाबा ने की थी आश्रम की स्थापना
नीम करोली बाबा या नीब करोली बाबा की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में की जाती है। इनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। कैंची, नैनीताल, भुवाली से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बाबा नीब करौरी ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा नीम करौरी 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया। इस धाम को कैंची मंदिर, नीम करौली धाम और नीम करौली आश्रम के नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी में बसा एक छोटा सा आश्रम है नीम करोली बाबा आश्रम। मंदिर के आंगन और चारों ओर से साफ सुथरे कमरों में रसीली हरियाली के साथ, आश्रम एक शांत और एकांत विश्राम के लिए एकदम सही जगह प्रस्तुत करता है। यहाँ कोई टेलीफोन लाइनें नहीं हैं, इसलिए किसी को बाहरी दुनिया से परेशान नहीं किया जा सकता है। श्री हनुमान जी के अवतार माने जाने वाले नीम करोरी बाबा के इस पावन धाम पर पूरे साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन हर साल 15 जून को यहां पर एक विशाल मेले व भंडारे का आयोजन होता है। यहां इस दिन इस पावन धाम में स्थापना दिवस मनाया जाता है।
कई चमत्कारों के किस्से सुन खींचे आते है भक्त
मान्यता है कि बाबा नीम करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं। हालांकि वह आडंबरों से दूर रहते थे। न तो उनके माथे पर तिलक होता था और न ही गले में कंठी माला। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपना पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे श्री हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे। बाबा नीब करौरी के इस पावन धाम को लेकर तमाम तरह के चमत्कार जुड़े हैं। जनश्रुतियों के अनुसार, एक बार भंडारे के दौरान कैंची धाम में घी की कमी पड़ गई थी। बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो वह जल घी में बदल गया। ऐसे ही एक बार बाबा नीब करौरी महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुंचवाया। ऐसे न जाने कितने किस्से बाबा और उनके पावन धाम से जुड़े हुए हैं, जिन्हें सुनकर लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं।
बाबा के दुनियाभर में 108 आश्रम
बाबा नीब करौरी को कैंची धाम बहुत प्रिय था। अक्सर गर्मियों में वे यहीं आकर रहते थे। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया। उस मन्दिर में हनुमान की मूर्ति के साथ-साथ अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। यहां बाबा नीब करौरी की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है। बाबा नीब करौरी महाराज के देश-दुनिया में 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम तथा अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है।
स्टीव जॉब्स को आश्रम से मिला एप्पल के लोगो का आईडिया !
भारत की धरती सदा से ही अध्यात्म के खोजियों को अपनी ओर खींचती रही है। दुनिया की कई बड़ी हस्तियों में भारत भूमि पर ही अपना सच्चा आध्यात्मिक गुरु पाया है। एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स 1974 से 1976 के बीच भारत भ्रमण पर निकले। वह पर्यटन के मकसद से भारत नहीं आए थे, बल्कि आध्यात्मिक खोज में यहां आए थे। उन्हें एक सच्चे गुरु की तलाश थी।स्टीव पहले हरिद्वार पहुंचे और इसके बाद वह कैंची धाम तक पहुंच गए। यहां पहुंचकर उन्हें पता लगा कि बाबा समाधि ले चुके हैं। कहते है कि स्टीव को एप्पल के लोगो का आइडिया बाबा के आश्रम से ही मिला था। नीम करौली बाबा को कथित तौर पर सेब बहुत पसंद थे और यही वजह थी कि स्टीव ने अपनी कंपनी के लोगों के लिए कटे हुए एप्पल को चुना। हालांकि इस कहानी की सत्यता के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।
जुकरबर्ग को मिली आध्यात्मिक शांति, शीर्ष पर पहुंचा फेसबुक
बाबा से जुड़ा एक किस्सा फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने 27 सितंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बताया था, तब पीएम मोदी फेसबुक के मुख्यालय में गए थे। इस दौरान जुकरबर्ग ने पीएम को भारत भ्रमण की बात बताई। उन्होंने कहा कि जब वे इस संशय में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने इन्हें भारत में नीम करोली बाबा के स्थान पर जाने की सलाह दी थी। जुकरबर्ग ने बताया था कि वे एक महीना भारत में रहे। इस दौरान वह नीम करोली बाबा के मंदिर में भी गए थे। जुकरबर्ग आए तो यहां एक दिन के लिए थे, लेकिन मौसम खराब हो जाने के कारण वह यहां दो दिन रुके थे। जुकरबर्ग मानते हैं कि भारत में मिली अध्यात्मिक शांति के बाद उन्हें फेसबुक को नए मुकाम पर ले जाने की ऊर्जा मिली।
बाबा की तस्वीर को देख जूलिया ने अपनाया हिन्दू धर्म
हॉलिवुड की मशहूर अदाकारा जूलिया रॉबर्ट्स ने 2009 में हिंदू धर्म अपना लिया था। वह फिल्म ‘ईट, प्रे, लव’ की शूटिंग के लिए भारत आईं थीं। जूलिया रॉबर्ट्स ने एक इंटरव्यू में यह खुलासा किया था कि वह नीम करौली बाबा की तस्वीर से इतना प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने हिन्दू धर्म अपनाने का फैसला कर डाला। जूलिया इन दिनों हिन्दू धर्म का पालन कर रही हैं।
एसएस राजामौली की चर्चित मूवी ररर के नाटू-नाटू गाने को ऑस्कर अवॉर्ड मिला है। भारत के लिए ये ऐतिहासिक पल है। फिल्ममेकर नाटू नाटू ने ओरिजनल सॉन्ग कैटेगिरी में अवॉर्ड जीता है। एमएम कीरावणी अवॉर्ड लेते हुए बेहद एक्साइटेड नजर आए। उनकी स्पीच भी चर्चा में बनी हुई है। इस जीत के बाद पूरे देश में खुशी का माहौल है। मेकर्स ने RRR मूवी के ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर जीत की खुशी जताई है। उन्होंने लिखा- 'हम धन्य हैं कि आरआरआर सॉन्ग नाटू-नाटू के साथ बेस्ट सॉन्ग कैटेगरी में भारत का पहला ऑस्कर लाने वाली पहली फीचर फिल्म है। कोई भी शब्द इस अलौकिक पल को बयां नहीं कर सकते। धन्यवाद। जय हिंद। 'वहीं 'नाटू नाटू' के ऑस्कर जीतने पर फिल्म के लीड एक्टर जूनियर एनटीआर ने भी रिएक्ट किया है। उन्होंने कहा- 'मेरे पास अपनी खुशी व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। ये सिर्फ आरआरआर की जीत नहीं है बल्कि एक देश के तौर पर भारत की जीत है। ये तो अभी शुरुआत है कि भारतीय सिनेमा कितनी दूर जा सकता है। एमएम कीरावनी और चंद्रबोस को बधाई।'
लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है भाजपा ने चार मे से दो सीट पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है जबकि कांग्रेस आज दिल्ली में प्रत्याशियों के नाम पर चर्चा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी आज सुबह दिल्ली के लिए रवाना हो गई है जबकि सीएम सुक्खू भी दिल्ली में ही मौजुद हैं। हिमाचल प्रदेश में चार लोकसभा सीट के साथ छ विधान सभा क्षेत्र में उपचुनाव होने हैं।
दिल्ली रवाना होने से पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा प्रत्याशियों के नामों को लेकर आज पार्टी हाई कमान के साथ बैठक है। पार्टी मजबूत प्रत्याशियों को चुनाव में उतारेगी और लोकसभा की चारों सीट पर जीत के लिए काम किया जायेगा। इसके अलावा विधान सभा उपचुनाव में भी कांग्रेस मजबूती से चुनाव मैदान में उतरेगी।
2024 लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा आज होगी। दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर 3 बजे मुख्य चुनाव आयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।तारीखों की घोषणा के साथ देश में आचार संहिता भी लागू हो जाएगी, जो चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक रहती है। लोकसभा के साथ 4 राज्यों- आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के विधानसभा चुनाव की तारीखें भी आज तय होंगी।
लोकसभा की 543 सीटों पर 7 फेज में वोटिंग हो सकती है। 15 से 18 अप्रैल के बीच पहले फेज के लिए, और आखिरी फेज में 19 मई को वोटिंग हो सकती है। 23 मई को रिजल्ट संभव है।चुनाव आयोग ने लोकसभा और चार विधानसभा चुनावों के लिए 3.4 लाख केंद्रीय बलों की मांग की है। आयोग 97 करोड़ मतदाताओं के लिए देशभर में करीब 12.5 लाख मतदान केंद्र बना सकता है।
2024 में 97 करोड़ वोटर्स, 2 करोड़ नए मतदाता जुड़े
2024 लोकसभा में 97 करोड़ लोग वोटिंग कर सकेंगे। चुनाव आयोग ने 8 फरवरी को सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के वोटर्स से जुड़ी समरी रिवीजन 2024 रिपोर्ट जारी की थी।
आयोग ने बताया कि वोटिंग लिस्ट में 18 से 29 साल की उम्र वाले 2 करोड़ नए वोटर्स को जोड़ा गया है। 2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले रजिस्टर्ड वोटर्स की संख्या में 6% की बढ़ोतरी हुई है। चुनाव आयोग ने कहा- दुनिया में सबसे ज्यादा 96.88 करोड़ वोटर्स लोकसभा चुनावों में वोटिंग के लिए रजिस्टर्ड हैं। साथ ही जेंडर रेशो भी 2023 में 940 से बढ़कर 2024 में 948 हो गया है।आयोग ने चुनावी प्रक्रिया के दौरान बच्चों से पोस्टर और पर्चे बांटने और नारेबाजी करने जैसे काम भी ना करवाने का निर्देश दिया है।
** हिंदुकुश में जमीन से 220 किमी नीचे था केंद्र
** फिलहाल किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं
अफगानिस्तान के हिंदुकुश में आज दोपहर बाद 2:20 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। इसकी वजह से पाकिस्तान के इस्लामाबाद, रावलपिंडी और भारत में जम्मू-कश्मीर से दिल्ली तक धरती हिल गई।
नेशनल सेंटर फॉर सीसमोलॉजी के मुताबिक भूकंप की तीव्रता 6.1 मापी गई। इसका केंद्र हिंदुकुश में जमीन से करीब 220 किलोमीटर नीचे था। फिलहाल किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान में था। इसके झटके दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई शहरों में महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान में था। इसके झटके दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई शहरों में महसूस किए गए।
दो माह पूर्व नेपाल में आया था 6.4 तीव्रता का भूकंप
गत वर्ष 4 नवंबर को रात 11:32 बजे नेपाल में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 157 लोगों की मौत हुई थी। तब दिल्ली-एनसीआर के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और बिहार की राजधानी पटना में भी झटके महसूस किए गए थे। हालांकि भारत में किसी तरह के जान-माल का नुकसान नहीं हुआ था।
*अमृता प्रीतम ने बटालवी को कहा था 'बिरह का सुल्तान'
' बिरहा बिरहा आखीए, बिरहा तू सुल्तान। जिस तन बिरहा ना उपजे, सो तन जाण मसान ...' प्रसिद्ध कवयित्री अमृता प्रीतम के शब्दों में वो ‘बिरह का सुल्तान’ था। पंजाब का एक ऐसा शायर जिसके जैसा न कोई था, न है और न कोई और होगा। वो हिंदुस्तान में भी खूब छाया और पाकिस्तान ने भी उसे जमकर चाहा. वो था पंजाब का पहला सुपरस्टार शायर शिव कुमार बटालवी। वो शायर जिसने शराब में डूबकर वो रच दिया जिसे होश वाले शायद कभी न उकेर पाते। वो शायर जो मरने की बहुत जल्दी में था।
'असां तां जोबन रुत्ते मरनां, जोबन रूत्ते जो भी मरदा फूल बने या तारा, जोबन रुत्ते आशिक़ मरदे या कोई करमा वाला'.. बटालवी का कहना था कि जवानी में जो मरता है वो या तो फूल बनता है या तारा। जवानी में या तो आशिक मरते हैं या वो जो बहुत करमों वाले होते हैं। जैसा वो कहते थे वैसा हुआ भी, महज 35 की उम्र में बटालवी दुनिया को अलविदा कह गए। पर जाने से पहले इतना खूबसूरत लिख गए कि शायरी का हर ज़िक्र उनके बगैर अधूरा है।
शिव कुमार बटालवी 23 जुलाई 1936 को पंजाब के सियालकोट में पैदा हुए, जो बंटवारे के बाद से पाकिस्तान में है। उनके पिता एक तहसीलदार थे पर न जाने कैसे शिव शायर हो गए। आजादी के बाद जब देश का बंटवारा हुआ तो बटालवी का परिवार पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत में पंजाब के गुरदासपुर जिले के बटाला में आ गया। उस वक़्त शिव कुमार बटालवी की उम्र महज़ दस साल थी। नका कुछ बचपन और किशोरावस्था यहीं गुजरी। बटालवी ने इन दिनों में गांव की मिट्टी, खेतों की फसलों, त्योहारों और मेलों को भरपूर जिया, जो बाद में उनकी कविताओं में खुशबू बनकर महका। उन्होंने अपने नाम में भी बटालवी जोड़ा, जो बटाला गांव के प्रति उनका उन्मुक्त लगाव दर्शाता है। बटालवी जिंदगी के सफर में बटाला, कादियां, बैजनाथ होते हुए नाभा पहुंचे लेकिन अपने नाम में बटालवी जोड़ खुद को ताउम्र के लिए बटाला से जोड़े रखा। कुछ बड़े होने के बाद उन्हें गांव से बाहर पढ़ने भेजा गया। वो खुद तो गांव से आ गए मगर उनका दिल गांव की मिटटी पर ही अटका रहा। कहते है उनका गांव छूट जाना उन पर पहला प्रहार था, जिसका गहरा जख्म उन्हें सदैव पीड़ा देता रहा।
गांव से निकलकर आगे की पढ़ाई के लिए शिव कादियां के एस. एन. कॉलेज के कला विभाग गए। पर दूसरे साल ही उन्होंने उसे बीच में छोड़ दिया। उसके बाद उन्हें हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ के एक स्कूल में इंजीनियरिंग की पढ़ाई हेतु भेजा गया। पर पिछली बार की तरह ही उन्होंने उसे भी बीच में छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने नाभा के सरकारी कॉलेज में अध्ययन किया। उनका बार-बार बीच में ही अभ्यास छोड़ देना, उनके भीतर पल रही अराजकता और अनिश्चितता का बीजारोपण था। पिता शिव को कुछ बनता हुआ देखना चाहते थे। जो पिता शिव के लिए चाहते थे वो शिव ने अपने लिए कभी नहीं चाहा, इसीलिए पिता - पुत्र में कभी नहीं बनी।
बटालवी की छोटी सी जीवन यात्रा तमाम उतार चढ़ाव समेटे हुए है, किसी खूबसूरत चलचित्र की तरह जिसमें स्टारडम है, विरह का तड़का है और जिसका अंत तमाम वेदना समेटे हुए है। शिव कुमार बटालवी के गीतों में ‘बिरह की पीड़ा’ इस कदर थी कि उस दौर की प्रसिद्ध कवयित्री अमृता प्रीतम ने उन्हें ‘बिरह का सुल्तान’ नाम दे दिया। शिव कुमार बटालवी यानी पंजाब का वह शायर जिसके गीत हिंदी में न आकर भी वह बहुत लोकप्रिय हो गया। कहते है उन्हें मेले में एक लड़की से मोहब्बत हो गयी थी। मेले के बाद जब लड़की नज़रों से ओझल हुई तो उसे ढूंढने के लिए एक गीत लिख डाला। गीत क्या मानो इश्तहार लिखा हो;
‘इक कुड़ी जिहदा नाम मुहब्बत ग़ुम है’
ओ साद मुरादी, सोहनी फब्बत
गुम है, गुम है, गुम है
ओ सूरत ओस दी, परियां वर्गी
सीरत दी ओ मरियम लगदी
हस्ती है तां फूल झडदे ने
तुरदी है तां ग़ज़ल है लगदी...
ये वहीँ गीत है जो फिल्म उड़ता पंजाब में इस्तेमाल हुआ और इस नए दौर में भी युवाओं की जुबा पर इस कदर चढ़ा कि मानो हर कोई बटालवी की महबूबा को ढूंढ़ते के लिए गा रहा हो। कहते है बटालवी का ये लड़कपन का प्यार अधूरा रहा क्यों कि एक बीमारी के चलते उस लड़की की मौत हो गयी। खैर ज़िंदगी बढ़ने का नाम है सो बटालवी भी अवसाद से निकलकर आगे बढ़ने लगे। फिर एक लड़की मिली और फिर शिव को उनसे मोहब्बत हो गई। पर इस मर्तबा भी अंजाम विरह ही था। दरअसल, जिसे शिव दिल ओ जान से मोहब्बत करते थे उसने किसी और का घर बसाया और शादी करके विदेश चली गयी। एक बार फिर शिव तनहा हुए और विरह के समुन्दर में गोते खाने लगे। तब शराब और अवसाद में डूबे शिव ने जो लिखा वो कालजयी हो गया ...........
माए नी माए मैं इक शिकरा यार बनाया
चूरी कुट्टाँ ताँ ओह खाओंदा नाहीं
वे असाँ दिल दा मास खवाया
इक उड़ारी ऐसी मारी
इक उड़ारी ऐसी मारी
ओह मुड़ वतनीं ना आया, ओ माये नी!
मैं इक शिकरा यार बना
शिकरा पक्षी दूर से अपने शिकार को देखकर सीधे उसका मांस नोंच कर फिर उड़ जाता है। शिव ने अपनी उस बेवफा प्रेमिका को शिकरा कहा। हालांकि वो लड़की कौन थी इसे लेकर तरह तरह की बातें प्रचलित है । पर इसके बारे में आधिकारिक रुप से आज तक कोई जानकारी नहीं है और ना वो ख़ुद ही कभी लोगों के सामने आई। शिव की उस बेवफा प्रेमिका के बारे में एक किस्सा अमृता प्रीतम ने भी बयां किया है।
शिव एक दिन अमृता प्रीतम के घर पहुंचे और उन्हें बताया कि जो लड़की उनसे इतनी प्यार भरी बातें किया करती थी वो उन्हें छोड़कर चली गयी है। उसने विदेश जाकर शादी कर ली है। अमृता प्रीतम ने उन्हें जिंदगी की हकीकत और फ़साने का अंतर समझाने का प्रत्यन किया पर शिव का मासूम दिल टूट चूका था। कहते है शिव उसके बाद ताउम्र उसी लड़की के ग़म में लिखते रहे। सिर्फ 24 साल की उम्र में शिव कुमार बटालवी की कविताओं का पहला संकलन "पीड़ां दा परागा" प्रकाशित हुआ, जो उन दिनों काफी चर्चित रहा। उसी दौर में शिव ने लिखा ........
अज्ज दिन चढ़ेया तेरे रंग वरगा
तेरे चुम्मण पिछली संग वरगा
है किरणा दे विच नशा जिहा
किसे चिम्मे सप्प दे दंग वरगा
आखिरकार, 1967 में बटालवी ने अरुणा से शादी कर ली और उनके साथ दो बेटियां हुई। शिव शादी के बाद चंडीगढ़ चले गये। वहां वे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में कार्यरत रहे। पर कहते है बटालवी उस लड़की को नहीं भूल नहीं सके और उसकी याद में लिखते गए।
की पुछ दे ओ हाल फ़कीरां दा
साडा नदियों बिछड़े नीरां दा
साडा हंज दी जूने आयां दा
साडा दिल जलया दिलगीरां दा
धीरे-धीरे, बटालवी शराब की दुसाध्य लत के चलते 7 मई 1973 को लीवर सिरोसिस के परिणामस्वरूप जग को अलविदा कह गए। कहते है कि जीवन के अंतिम दौर में उनकी माली हालत भी ठीक नहीं थी और अपने ससुर के घर उन्होंने अंतिम सांस ली। पर बटालवी जैसे शायर तो पुरानी शराब की तरह होते है, दौर भले बदले पर नशा वक्त के साथ गाढ़ा होता जाता है।
‘लूणा’ के लिए मिला साहित्य अकादमी पुरस्कार :
ऐसा नहीं है कि शिव कुमार बटालवी सिर्फ विरह के शायर थे। बटालवी का नाम साहित्य के गलियारों में बड़े अदब के साथ लिया जाता है। ऐसा हो भी क्यों ना इस दुनिया को अलविदा कहने से पहले वे ‘लूणा’ जैसा महाकाव्य लिख गए। इसी के लिए उन्हें सबसे कम उम्र में यानी महज 31 वर्ष की उम्र में साहित्य अकादमी पुरूस्कार भी मिला। ये सम्मान प्राप्त करने वाले वे सबसे कम उम्र के साहित्यकार है। ‘लूणा’ को पंजाबी साहित्य में ‘मास्टरपीस’ का दर्ज़ा प्राप्त है और साहित्य जगत में इसकी आभा बरक़रार है। कहा जाता था कि कविता हिंदी में है और शायरी उर्दू में। पर शिव ने जब पंजाबी में अपनी जादूगरी दिखाई तो उस दौर के तमाम हिंदी और उर्दू के बड़े बड़े शायर कवि हैरान रह गए।
नायाब गायकों ने गाये बटालवी के गीत :
बटालवी की नज्मों को सबसे पहले नुसरत फतेह अली खान ने अपनी आवाज दी थी। उस्ताद नुसरत फ़तेह अली खान ने उनकी कविता 'मायें नी मायें मेरे गीतां दे नैणां विच' को गाया था । जगजीत सिंह ने उनका एक गीत 'मैंनू तेरा शबाब ले बैठा' गाया तो दुनिया को पता चला की शब्दों की जादूगरी क्या होती है। नुसरत साहब और जगजीत सिंह - चित्रा सिंह के अलावा रबी शेरगिल, हंस राज हंस, दीदार सिंह परदेसी सहित एक से बढ़कर एक नायाब गायकों ने बटालवी की कविताएं गाई। उनकी लिखी रचनाओं को गाकर न जाने कितने गायक शौहरत पा गए। बटालवी आज भी हर दिल अजीज है। बटालवी और विरह जुदा नहीं । बटालवी तो आखिर बटालवी है।
29 व 30 जनवरी को होगा रोजगार मेले का आयोजन
दुबई के लिए 100 से ज्यादा सिक्योरिटी गार्ड के लिए होगा साक्षात्कार
होटल प्रबंधन में शेफ, कैटरिंग, हाउस कीपर, सर्विस-स्टाफ के लिए इंटरव्यू
पर्यटन निगम के अध्यक्ष कैबिनेट रैंक आरएस बाली ने कहा कि अब विदेशों में भी नगरोटा के युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस बाबत दुबई की कुछ कंपनियों के साथ हिमाचल सरकार ने करार किया है। उन्होंने कहा कि नगरोटा के आईपीएच के विश्राम गृह में 29 तथा 30 जनवरी को नगरोटा विस क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार मेला आयोजित किया जाएगा, इसमें दुबई की विभिन्न कंपनियों के लिए 100 से ज्यादा सिक्योरिटी गार्ड के पदों के लिए भर्ती की जाएगी। इसके साथ ही होटल प्रबंधन में शैफ, कैटरिंग, हाउस कीपर, सर्विस स्टाफ के पदों के लिए भी भर्ती की जाएगी।
आरएस बाली ने कहा कि युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि चुनावों से पहले रोजगार संघर्ष यात्रा भी नगरोटा बगबां से ही आरंभ की गई थी। उन्होंने कहा कि नगरोटा विस क्षेत्र में वर्ष में दो बार रोजगार मेले आयोजित किए जाएंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को घर द्वार पर रोजगार के अवसर मिल सकें। पर्यटन निगम के अध्यक्ष आरएस बाली ने कहा कि नगरोटा विस क्षेत्र में विकास पुरूष स्व जीएस बाली के जन्म दिन पर जुलाई माह में पहला दो दिवसीय रोजगार मेला आयोजित किया गया था जिसमें आयोजित रोजगार मेले के पहले दिन 670 युवाओं को नामी गिरामी कंपनियों में रोजगार के लिए चयनित किया गया। दूसरे दिन रोजगार मेले में 450 युवाओं का चयन किया था।
रोजगार मेले के समन्वयक अमित कुमार ने बताया कि पर्यटन निगम के अध्यक्ष कैबिनेट रैंक आरएस बाली तथा सरकार के अथक प्रयासों से दुबई की कंपनियों के साथ रोजगार के लिए करार किया गया है उसी के आधार पर 29 तथा 30 जनवरी को नगरोटा में दुबई की विभिन्न कंपनियों के लिए सिक्योरिटी गार्ड्स के लिए इंटरव्यू लिए जाएंगे इसमें 24 से 35 आयु वर्ग के युवा भाग ले सकते हैं, दस जमा दो उत्तीर्ण होना जरूरी है। न्यूनतम उंचाई पांच फुट सात इंच तथा वजन साठ किलो होना चाहिए। इस के लिए सैलरी 50 हजार से लेकर 70 हजार प्रतिमाह होगी तथा सिलेक्टिड अभ्यर्थियों को 15 दिन बिलासपुर तथा 15 दिन बाराणसी में प्रशिक्षण दिया जाएगा इसके साथ ही स्किल डिवल्पमेंट के तहत वीजा तथा हवाई टिकट भी सरकार की ओर से वहन किया जाएगा। इसके साथ ही होटल प्रबंधन में भी विभिन्न पदों के लिए साक्षात्कार लिए जाएंगे।
हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस के महासचिव एवं सिस्को संस्था के अध्यक्ष महेश सिंह ठाकुर को जवाहर बाल मंच का राज्य मुख्य संयोजक नियुक्त किया गया है।
चीफ स्टेट कॉडिनेटर बनाए जाने पर महेश सिंह ठाकुर ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी,प्रदेश के सीएम सुखविन्दर सिंह सूक्खु , राष्ट्रीय प्रभारी केसी वेणुगोपाल,जवाहर बाल मंच के राष्टीय अध्यक्ष जी.वी. हरि. सहित अन्य नेताओं के प्रति आभार जताया है।
महेश ठाकुर ने कहा कि जवाहर बाल मंच का मुख्य उद्देश्य 7 वर्षों से लेकर 17 वर्ष के आयु के लड़के लड़कियां तक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के विचार को पहुंचना। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से मौजूदा सरकार के द्वारा देश के इतिहास के साथ छेड़छाड़ हो रहा है देश के युवाओं को भटकाया जा रहा है जो की देश के लिए एक बहुत बड़ा चिन्ता का विषय है कांग्रेस पार्टी ने इस विषय को गंभीरता से लिया और राहुल गांधी के निर्देश पर डॉ जीवी हरी के अध्यक्षता में देशभर में जवाहर बाल मंच के द्वारा युवाओं के बीच में नेहरू जी के विचारों को पहुंचाया जाएगा।
उन्होंने कहा वर्ष 2024 के चुनाव में कांग्रेस भारी बहुमत हासिल कर केंद्र से भाजपा को हटाने का काम करेगी। इसमें हिमाचल प्रदेश राज्य की भी प्रमुख भुमिका रहेगी।
उन्होंने कहा कि पूरे देश में महंगाई के कारण आमलोगों का जीना मुश्किल हो गया है। गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार पर इस महंगाई का व्यापक असर पड़ रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।
2024 के चुनावी भवसागर को पार करने के लिए भाजपा राम नाम की नौका पर सवार दिख रही है। भाजपा के सियासी उदय में राम नाम सदा साहरा रहा है। राम नाम लेकर ही भारतीय जनता पार्टी फर्श से अर्श तक पहुंच गई। 1984 में भाजपा ने अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था और महज 2 सीटों पर सिमट गई थी। वहीँ भाजपा आज देश की 300 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर राज करती है। अब लोकसभा चुनाव दस्तक दे चुके है और इस बीच अयोध्या में श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठता के चलते देश में राम लहर चली है और माहिर मान रहे है भाजपा को इसका सियासी लाभ होना तय है।
यूँ तो भाजपा 1986 में लालकृष्ण आडवाणी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से ही हिन्दुत्त्व और राममंदिर के मुद्दे पर आक्रमक हो गई थी लेकिन औपचारिक तौर पर पार्टी ने राममंदिर बनाने का संकल्प लिया 1989 में हुई पालमपुर की राष्ट्रीय कार्यसमिति बैठक में। इन 35 सालों में भगवा दल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सर्वविदित है कि भारतीय जनता पार्टी के अतीत का संघर्ष लंबा है, जिसमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जनसंघ से लेकर अटल बिहारी वाजपाई और लालकृष्ण आडवाणी का संघर्ष रहा है। शून्य से शिखर तक पहुंचने वाली भाजपा का सियासी सफर काफी कठिनाइयों वाला रहा है, लेकिन हर बार भाजपा के लिए राम नाम एक सहारा बना है।
जाहिर है मौजूदा वक्त में भी राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठता आयोजन ने देश का सियासी माहौल भी प्रभावित किया है। देश राम रंग में सराबोर हैं और राजनैतिक चश्मे से देखे तो भाजपा भी इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। दरअसल, ये गलत भी नहीं है क्यों कि राजनैतिक फ्रंट पर राम मंदिर निर्माण के संघर्ष की अगुआई भी भाजपा ने ही की है, सो श्रेय लेना राजनैतिक लिहाज से गलत भी नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा 'हिंदू नवजागरण काल' को एक बड़े मुद्दे के रूप में पेश करेगी और राम मंदिर इसका प्रतीक बनेगा। अब इसका कितना लाभ चुनाव में भाजपा को मिलेगा ये तो नतीजे तय करेंगे, पर निसंदेह राम मंदिर के जरिये बीजेपी ने देश के 80 प्रतिशत मतदाताओं को प्रभावित जरूर किया है।
दो वादे पुरे, समान नागरिक सहिंता शेष
भाजपा के तीन बड़े लक्ष्य रहे है, धारा 370 हटाना, राम मंदिर बनाना और समान नागरिक सहिंता लागू करना। ये कहना गलत नहीं होगा कि इन्हीं तीन वादों की बिसात पर भाजपा का काडर मजबूत हुआ। पार्टी ने हमेशा इन तीन विषयों पर खुलकर अपना पक्ष भी रखा और अपना वादा भी दोहराया। इनमें से भाजपा दो वादे पुरे कर चुकी है, कश्मीर से धारा 370 हटाई जा चुकी है और अब राम मंदिर का निर्माण भी हो गया है। अब सिर्फ समान नागरिक सहिंता लागू करने का भाजपा का वादा अधूरा है और पार्टी इसे लागू करने की प्रतिबद्धता दोहरा रही है।
400 सीट जीतने का लक्ष्य
भाजपा को उम्मीद है कि राम लहर के बीच वो आगामी चुनाव में 400 सीट का लक्ष्य हासिल करेगी। पार्टी राम मंदिर के अलावा लाभार्थी वोट और महिला आरक्षण की बिसात पर ऐतिहासिक बहुमत हासिल करना चाहती है। हालहीं में हिंदी पट्टी के तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा को हिंदुत्व एजेंडा का लाभ मिला है जिसके बाद पार्टी का जोश हाई है।
अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम से कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने दूरी बनाई है। कांग्रेस का राम मंदिर में न जाने को लेकर कहना है कि यह चुनावी, राजनीतिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस का कार्यक्रम है। कांग्रेस का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और बीजेपी ने 22 जनवरी के कार्यक्रम को पूरी तरह से राजनीतिक और 'नरेंद्र मोदी फंक्शन' बना दिया है। यह चुनावी कार्यक्रम है और इसके जरिए चुनावी माहौल तैयार किया जा रहा है। जाहिर है राजनैतिक चश्मे से देखे तो राम मंदिर निर्माण का श्रेय बीजेपी को जाता है और बीजेपी भी इस भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। उधर, कांग्रेस को कहीं न कहीं अंदाजा है कि लोगों में दिख रहा उत्साह अगर वोट में तब्दील हुआ तो उसकी राह मुश्किल होगी। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस के पास फिलहाल कोई चारा नहीं है। हालांकि माहिर मान रहे है कि 22 जनवरी के बाद विपक्ष के कई बड़े चेहरे अयोध्या में शीश नवाते दिखेंगे।
विदित रहे कि कांग्रेस सांसद और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ-साथ सोनिया गांधी को भी राम मंदिर आने का न्योता दिया गया था। इसके साथ-साथ लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी को भी बुलावा भेजा गया था। हालांकि, तीनों ने समारोह में नहीं जाने का फैसला लिया है। कांग्रेस ने भाजपा पर इस समारोह को राजनीतिक रंग देने के आरोप लगाए हैं। पार्टी ने मुहूर्त पर सवाल खड़ा करने वाले शंकराचार्य के बयान को आधार बनाकर 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी का कहना है कि समारोह राष्ट्रीय एकजुटता के लिए होना चाहिए।
अयोध्या न जाने का फैसला लेने वाले कद्दावर नेताओं में शरद पवार का नाम भी शामिल है। उन्होंने कहा है कि 22 जनवरी के समारोह में अयोध्या में काफी भीड़ होगी। ऐसे में वे मंदिर निर्माण पूरा होने के बाद रामलला के दर्शन करेंगे। सपा चीफ अखिलेश यादव और दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल भी आयोजन में शामिल नहीं हो आरहे हैं। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी आयोजन में न जाने का निर्णय लिया हैं। इनके अलावा वाम दल के महासचिव सीताराम येचुरी सहित कई लेफ्ट के नेताओं ने भी आयोजन से दूरी बनाई है।
बीजेपी का तंज, कहीं जनता फिर कांग्रेस का बहिष्कार न कर दें !
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का कहना हैं कि, " कांग्रेस ने नए संसद भवन और प्रधानमंत्री के संबोधन का बहिष्कार किया और लोगों ने उनका बहिष्कार कर दिया। अब उन्हें लगता है कि वे प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार कर सकते हैं लेकिन हो सकता है कि लोग उनका फिर से बहिष्कार कर दें। कांग्रेस और उसके गठबंधन सहयोगियों ने भगवान राम के अस्तित्व को नकारने और हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। विपक्ष के नेता बयान दे रहे हैं और प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूरी बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें भगवान राम के सामने आखिरकार आत्मसमर्पण करना होगा। कई कांग्रेस नेता पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी की बात नहीं मान रहे और अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हो रहे हैं।"