दयाल प्यारी तो आ गई पर क्या कांग्रेस एकमत होगी

दयाल प्यारी को कांग्रेस पर प्यार क्या आया पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र में राजनैतिक हलचल तेज हो गई। दयाल प्यारी की कांग्रेस में एंट्री के साथ ही उनके 2022 में कांग्रेस उम्मीदवार होने के कयास भी लगने लगे हैं। दयाल प्यारी भी जमकर मैदान में डटी हैं, पर शायद कांग्रेस के एक गुट को उनका आना रास नहीं आ रहा। अभी मुख़ालफ़त भीतरखाते हैं पर चुनाव नजदीक आते-आते कांग्रेस की ये अंतर्कलह उजागर होने के पुरे आसार दिख रहे हैं। हालांकि एक तबका ऐसा भी हैं जो दयाल प्यारी की एंट्री को कांग्रेस के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं मानता l पच्छाद में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गंगूराम मुसाफिर हार की हैट्रिक लगा चुके है। मुसाफिर के लगातार तीन बार हारने के बाद कोंग्रेसियों को भी पच्छाद में संभावनाएं नज़र आना बंद हो गई थी, मगर दयाल प्यारी के आते ही अब इस खेमे को पच्छाद में संभावनाएं भी दिखती है और उम्मीद का ऑक्सीजन भी मिल गया है। बहरहाल दयाल प्यारी के आने से पच्छाद कांग्रेस में खूब हलचल हैं।
सिरमौर भाजपा के विभिन्न पदों पर रहीं पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष दयाल प्यारी ने अप्रैल में ही कांग्रेस का हाथ थामा है। दरअसल, सुरेश कश्यप के सांसद बनने के बाद 2019 में हुए पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के उप चुनाव में भाजपा ने दयाल प्यारी को टिकट नहीं दिया था। अंत तक ये कयास लग रहे थे की भाजपा दयाल प्यारी को ही टिकट देगी। दयाल प्यारी और उनके समर्थक भी आश्वस्त थे, मगर अंत में टिकट मिला रीना कश्यप को। टिकट न मिलने पर दयाल प्यारी ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ा और 11,651 मत हासिल कर अपना सियासी वजन दिखा दिया। दयाल प्यारी तीसरे नंबर पर रही थी मगर यहां गौर फरमाने वाली बात तो ये है कि भाजपा में बगावत के बावजूद भी कांग्रेस के गंगू राम मुसाफिर को पच्छाद में जीत नहीं मिली थी। ऐसे में अब दयाल प्यारी के कांग्रेस में शामिल होने से पच्छाद कांग्रेस की राजनीति में उलटफेर संभावित हैं। निसंदेह दयाल प्यारी की ज़मीनी पकड़ मज़बूत है और उनके बेबाक अंदाज़ के चलते वे लोकप्रिय भी है। वहीं कांग्रेस यहाँ हार की हैट्रिक लगा चुकी हैं जिसके बाद पार्टी 2022 में दयाल प्यारी पर दांव खेल सकती हैं।
प्रत्याशी का चुनाव होगा टेढ़ी खीर
गंगू राम मुसाफिर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है। भले ही वो पिछले तीन चुनाव हारे है मगर 1982 के बाद से 2007 तक गंगू राम मुसाफिर ने निरंतर 7 बार पच्छाद विधानसभा सीट से चुनाव जीते भी थे। 30 साल तक लगातार विधायक रहने के बाद 2012 में वर्तमान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने उन्हें हराया था। गंगू राम मुसाफिर तीन दशक तक पच्छाद के विधायक रहे है, निसंदेह क्षेत्र में अब भी उनका जनाधार बरकरार है। अब 2022 में मुसाफिर या दयाल प्यारी में से किसी एक को चुनना कांग्रेस के लिए किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं होने वाला।
पहली बार 2012 में मिली भाजपा को जीत
पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा को पहली बार 2012 में जीत मिली। तब सुरेश कश्यप ने यहाँ भाजपा को जीत दिलवाई थी। इसके बाद 2017 में सुरेश कश्यप लगातार दूसरी बार जीते। 2019 में सुरेश कश्यप लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गए जिसके बाद पच्छाद में उपचुनाव हुआ। इस उप चुनाव में भाजपा ने रीना कश्यप को टिकट देकर सबको चौंका दिया, जबकि दयाल प्यारी और आशीष सिक्टा टिकट के प्रबल दावेदार थे। हालांकि उपचुनाव में भाजपा की रीना कश्यप को जीत मिली। अब सुरेश कश्यप सांसद होने के साथ-साथ प्रदेश भजपा अध्यक्ष भी हैं। ऐसे में 2022 में पच्छाद सीट भाजपा को जितवाना उनके लिए भी प्रतिष्ठता का सवाल होगा।