कांग्रेस संगठन बना रही है या बीरबल की खिचड़ी ?
- पौने तीन महीने से हिमाचल में बगैर संगठन के है कांग्रेस
- आलाकमान की लेट-लतीफी से आम वर्कर मायूस
कांग्रेस का संगठन न हुआ बीरबल की खिचड़ी हो गई। हिमाचल में कांग्रेस करीब पौने तीन महीने से बगैर संगठन के है। इस दौरान कांग्रेस संगठन में कोई गतविधि नहीं हुई और पार्टी मुख्यालय में सन्नाटा पसरा है। हिमाचल में 6 नवंबर से कांग्रेस का संगठन भंग है, न प्रदेश कार्यकारिणी है और न जिला और ब्लॉक इकाइयां। संगठन में बची है सिर्फ पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह। राज्य , जिला और ब्लॉक इकाइयों के अलावा आलाकमान ने महिला कांग्रेस और युवा कांग्रेस कार्यकारिणी भी भंग कर रखी है। दिलचस्प बात ये है कि फिलहाल संगठन पुर्नगठन को लेकर कोई हलचल नहीं दिख रही। माना जा रहा है की संभवतः दिल्ली चुनाव के बाद ही अब आलाकमान कोई खैर खबर लेगा।
दरअसल, कांग्रेस हिमाचल में संगठन की नियुक्तियों के लिए नया फार्मूला इस्तेमाल कर रही है। अब प्रदेश अध्यक्ष को मर्जी की टीम नहीं मिलेगी बल्कि आब्जर्वर की रिपोर्ट के आधार पर संगठन में ताजपोशी होगी। आलाकमान ने सभी 12 जिलों और चारों संसदीय क्षेत्रों में पर्येवेशक नियुक्त किये है, ताकि जमीनी फीडबैक मिल सके। नवंबर के तीसरे सप्ताह में इनकी नियुक्ति हुई थी जिसके बाद फीडबैक लेने ये प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में पहुंचे। बताया जा रहा है की ये पर्येवेशक अपनी रिपोर्ट आलाकमान को सौंप चुके है, बावजूद इसके नई कार्यकारणी का गठन नहीं हुआ है। उधर, आलाकमान की इस लेट लतीफी से पार्टी का वर्कर जरूर मायूस दिख रहा है।
वैसे जहन में ये भी रखना होगा की इस बीच सरकार के दो साल का जश्न का आयोजन भी बिना संगठन के हुआ है। इसकी कमान खुद सीएम सुक्खू ने संभाली थी और भीड़ की कसौटी पर देखे तो ये आयोजन हिट साबित हुआ। सियासी माहिर इसे भी एक बड़े फैक्टर की तरह देख रहे है।
हर गुट चाहेगा उनके निष्ठावान एडजस्ट हो
बहरहाल संगठन में जो नियुक्तियां होनी है उसे लेकर भी खींचतान जारी है। सर्वविदित है कि हिमाचल कांग्रेस में कई गुट है लेकिन मौटे तौर पर सुक्खू गुट और हौली लॉज कैंप के अलावा अग्निहोत्री की अपनी एक अलग लॉबी दिखती है। हालांकि अग्नहोत्री बेहद संतुलित ढंग से सियासत करते दिखे है लेकिन जाहिर है वे भी अपने समर्थकों को संगठन के अहम् ओहदों पर एडजस्ट करना चाहेंगे। आलाकमान भी इससे अवगत है और पार्टी के जहन में हरियाणा भी होगा जहाँ गुटबाजी कांग्रेस को ले बैठी। हरियाणा में अर्से से पार्टी संगठन तक नहीं बना पा रही है। ऐसे में लाजमी है आलाकमान भी फूंक-फूंक कर कदम बढ़ाये और संतुलन सुनिश्चित करें।
क्या दिग्गजों को किया जायेगा एडजस्ट
ठाकुर कौल सिंह , राम लाल ठाकुर, आशा कुमारी, ठाकुर सिंह भरमौरी जैसे कई दिग्गज विधानसभा चुनाव हारने के बाद से ही हाशिये पर दिखे है। इनमें से कई ने खुलकर शिकवे शिकायत भी किये है। विशेषकर हौली लॉज के कई निष्ठावान साइड लाइन दिखे है। इन्हें सरकार ने बोर्ड निगमों में एडजस्ट नहीं किया है लेकिन क्या इन्हें संगठन में अहम् ओहदे मिलेंगे, ये देखना रोचक होगा। गौर करने लायक बात ये भी है की इनमें से कई नेताओं का विकल्प अब भी कांग्रेस के पास नहीं दिख रहा।
प्रतिभा सिंह का कार्यकाल भी खत्म होने को
आगामी अप्रैल में पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह का तीन साल का कार्यकाल पूरा होगा। संगठन में अगर प्रतिभा सिंह के मन मुताबिक नियतुक्तियाँ नहीं होती है, तो ये उनके लिए बड़ा झटका होगा। ये देखना भी दिलचस्प होगा कि क्या अप्रैल के बाद प्रतिभा सिंह पीसीसी चीफ बनी रहेगी या उन्हें भी बदल दिया जायेगा। हालांकि माहिर मानते है की कांग्रेस के आंतरिक संतुलन के लिहाज से प्रतिभा सिंह को एक्सटेंशन लगभग तय है।