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हिमाचल प्रदेश के नादौन क्षेत्र के युवा राहुल गढ़वाल ने पैरामोटर ग्लाइडिंग के क्षेत्र में प्रदेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वह प्रदेश के पहले ऐसे व्यक्ति बने हैं, जिन्होंने पैरामोटर ग्लाइडिंग का आधिकारिक लाइसैंस प्राप्त किया है। अपनी अदम्य लगन, जुनून और मेहनत से राहुल ने न केवल अपने सपनों को पूरा किया, बल्कि हिमाचल प्रदेश के साहसिक खेलों के मानचित्र पर भी नया मुकाम स्थापित किया है।राहुल की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर स्थानीय विधायक संजय रत्न ने ज्वालामुखी में एक विशेष समारोह आयोजित कर उन्हें सम्मानित किया। विधायक ने कहा कि यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है कि हमारे बीच से एक ऐसा युवा निकलकर सामने आया है जिसने पैरामोटर ग्लाइडिंग के क्षेत्र में प्रदेश को देश-विदेश में पहचान दिलाई। राहुल की सफलता न केवल व्यक्तिगत है, बल्कि यह प्रदेश के अन्य युवाओं को भी साहसिक खेलों की ओर प्रेरित करेगी। राहुल गढ़वाल ने पिछले कुछ महीनों में ज्वालामुखी क्षेत्र में कई सफल पैरामोटर ग्लाइडिंग ट्रायल्स किए हैं, जिनसे स्थानीय लोग आश्चर्यचकित और उत्साहित हैं। उनके साहस और कौशल की वजह से उपमंडल के हर कोने में उनके पैरामोटर उड़ानों की चर्चा हो रही है। स्थानीय युवाओं में भी अब इस खेल को अपनाने की लहर तेज हो रही है। विधायक संजय रत्न ने यह भी बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार साहसिक खेलों, खासकर पैराग्लाइडिंग और पैरामोटरिंग को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि ज्वालामुखी सहित अन्य पर्यटन स्थलों पर नई पैराग्लाइडिंग साइट्स का चयन किया जा चुका है, जिससे यहां पर्यटन को एक नई दिशा मिलेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में प्रदेश की वादियों में हवा से बातें करते मानव परिंदों की संख्या में वृद्धि होगी, जो पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।
प्राथमिक शिक्षकों का 43 दिवसीय क्रमिक अनशन समाप्त, सरकार से मिला मांगों को पूरा करने का आश्वासन
शिमला: हिमाचल प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों का 43 दिनों से चला आ रहा क्रमिक अनशन आज शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के साथ हुई सफल वार्ता के बाद समाप्त हो गया। सचिवालय में हुई बैठक में प्राथमिक शिक्षकों और सरकार के बीच 20 से 21 मुद्दों पर सहमति बनी, जिसके बाद शिक्षकों ने अपना आंदोलन वापस लेने का निर्णय लिया। बैठक के बाद शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने मीडिया को बताया कि सरकार ने प्राथमिक शिक्षकों की सभी जायज मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने बताया कि प्राथमिक और उच्च शिक्षा निदेशालय को एक ही रखने पर भी सहमति बन गई है। इसके अतिरिक्त, निलंबित किए गए शिक्षकों के मामलों पर सरकार पुनर्विचार करेगी और किसी भी शिक्षक की पदोन्नति बाधित नहीं होगी। हिमाचल प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष जगदीश शर्मा ने इस बैठक को "सौहार्दपूर्ण माहौल" में संपन्न हुई बताया। उन्होंने पुष्टि की कि लगभग सभी मांगों को पूरा करने का आश्वासन मिलने के बाद क्रमिक अनशन को खत्म करने का फैसला लिया गया है। शर्मा ने यह भी बताया कि प्राथमिक और उच्च शिक्षा का एक निदेशालय बनाने के संबंध में एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें प्राथमिक शिक्षक भी सदस्य होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि निदेशालय का निदेशक एक ही होगा, लेकिन कमेटी की सिफारिशों के बिना अन्य संरचनात्मक बदलाव फिलहाल नहीं होंगे।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में शादी के नाम पर एक युवक से लाखों रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। बंजार उपमंडल के ज्ञान चंद ने आरोप लगाया है कि एक युवती ने पहले उन्हें प्रेमजाल में फंसाया, फिर शादी की और बाद में उनकी पुश्तैनी जमीन बिकवाकर लाखों रुपये अपने खाते में डलवा लिए। इसके बाद वह नकदी और गहने लेकर फरार हो गई। पीड़ित युवक अब न्याय के लिए पुलिस के चक्कर काट रहा है। ज्ञान चंद ने मंडी में मीडिया को बताया कि 2024 में उनकी शादी मंडी जिले के बालीचौकी क्षेत्र की एक युवती से हुई थी, जिसकी शादी उनके भाई ने तय की थी। शादी के बाद, युवती ने कथित तौर पर ज्ञान चंद की 18 बिस्वा पुश्तैनी जमीन बिकवा दी और पूरी रकम अपने बैंक खाते में ट्रांसफर करवा ली। अप्रैल 2025 में, वह घर में रखे 20 हजार रुपये नकद और जेवर लेकर भी गायब हो गई। ज्ञान चंद ने बताया कि जब भी वह युवती से अपनी शादी को पंचायत में दर्ज करवाने की बात करते थे, तो वह टालमटोल करती थी। उसने पतलीकूहल पुलिस थाने में भी शिकायत दी थी। पीड़ित ने आरोप लगाया कि युवती की पहले दो शादियां कर चुकी थी और इस बात की जानकारी उसे बाद में मिली। युवक ने बताया कि अब हाल ही में ठगी करने वाली युवती ने सुंदरनगर में चौथी शादी कर ली है। कुल्लू पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, युवती को ट्रेस कर लिया गया है और जल्द ही दोनों पक्षों को आमने-सामने बैठाकर बयान लिए जाएंगे। कुल्लू पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, युवती का पता लगा लिया गया है और जल्द ही दोनों पक्षों को आमने-सामने बिठाकर उनके बयान दर्ज किए जाएंगे। इस मामले में आगे की जांच जारी है।
हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर मौसम करवट लेने वाला है। 11 जून को पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टरबेंस) के फिर से सक्रिय होने की उम्मीद है, हालांकि इसका असर अगले 48 घंटों तक केवल अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ही देखने को मिलेगा। मौसम विभाग के अनुसार, आज से 10 जून तक प्रदेश में मौसम बारिश और बर्फबारी की कोई संभावना नहीं है, जिससे तापमान में 4 से 5 डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है, खासकर मैदानी इलाकों में गर्मी का एहसास बढ़ेगा। वर्तमान में, प्रदेश के अधिकांश शहरों में तापमान सामान्य या सामान्य से कम चल रहा है, लेकिन पिछले दो दिनों में इसमें हल्का उछाल आया है। बीते 24 घंटों के दौरान प्रदेश के औसत अधिकतम तापमान में 2.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है, फिर भी यह सामान्य से 1.4 डिग्री सेल्सियस कम है। इसका मुख्य कारण बीते डेढ़ सप्ताह के दौरान पहाड़ों पर हुई अच्छी बारिश है। मई के आखिरी सप्ताह और जून के पहले तीन दिनों में पहाड़ों पर अच्छी वर्षा हुई थी, जिसने तापमान को नियंत्रित रखा था।
शिमला पहाड़ों की रानी शिमला में एक दिल छू लेने वाली घटना सामने आई है, जहां हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की संवेदनशीलता के चलते अपने माता-पिता से बिछड़ा चार साल का एक बच्चा सुरक्षित रूप से परिवार से मिल पाया। यह घटना शुक्रवार देर रात मालरोड पर हुई। शुक्रवार रात करीब 9 बजे, राजस्थान से शिमला घूमने आया एक दंपती मालरोड पर अपने छोटे बेटे के साथ टहल रहा था। भीड़भाड़ में अचानक उनका चार साल का बेटा उनकी नज़रों से ओझल हो गया। माता-पिता बच्चे को ढूंढने के लिए मालरोड और रिज पर परेशान होकर भटकते रहे। इसी दौरान, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, महापौर सुरेंद्र चौहान और अन्य लोग ओक ओवर की ओर पैदल जा रहे थे। मुख्यमंत्री की नज़र मेट्रोपोल के पास सड़क पर अकेले रोते हुए एक बच्चे पर पड़ी। वह तुरंत रुक गए। उन्होंने बच्चे से रोने का कारण पूछा, लेकिन बच्चा कुछ भी नहीं बता पाया। आसपास के लोगों और अन्य पर्यटकों को भी उस बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। बच्चे की हालत देखकर मुख्यमंत्री ने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ लेकर चलने लगे। उन्होंने बच्चे को चॉकलेट दी और कहानी सुनाकर शांत करने की कोशिश की। बच्चा इतना डरा हुआ था कि उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। मुख्यमंत्री ने तुरंत पुलिस को बच्चे के माता-पिता का पता लगाने के निर्देश दिए। उस समय तक पुलिस के पास भी बच्चे की गुमशुदगी की कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई थी, जिससे बच्चे के अभिभावकों का पता लगाना मुश्किल हो रहा था। कुछ देर बाद, पुलिस को बच्चे के पिता नाज चौक के पास मिले, जो अपने बेटे को ढूंढते हुए बेहद परेशान थे। पुलिस ने उन्हें बताया कि उनका बच्चा सुरक्षित है। पिता ने बताया कि वे और उनकी पत्नी अपने बेटे के साथ मालरोड पर घूम रहे थे, तभी उनका बेटा अचानक गायब हो गया था। वे पिछले एक घंटे से बेटे की तलाश में भाग-दौड़ कर रहे थे। मुख्यमंत्री के पास अपने बेटे को सुरक्षित देखकर दंपति ने राहत की सांस ली। उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का हार्दिक आभार व्यक्त किया। महापौर सुरेंद्र चौहान ने पुष्टि की कि बच्चे को उसके माता-पिता को सुरक्षित सौंप दिया गया है। बताया जा रहा है कि यह सैलानी राजस्थान के रहने वाले हैं और वीकेंड पर छुट्टियां मनाने शिमला आए थे।
गुजरात मॉडल अपनाया तो हिमाचल पर नज़र- ए -करम में लग सकता हैं और वक्त ! 7 महीने बाद, कहाँ पहुंची हिमाचल में संगठन के गठन की बात ? हिमाचल के कांग्रेसियों के साथ बड़ी 'खप' न कर दे आलाकमान ! कांग्रेस आलाकमान इन दिनों कई राज्यों के संगठन सृजन अभियान में मशगूल हैं। दरअसल, कांग्रेस अपने गुजरात मॉडल की तर्ज पर मध्य प्रदेश और हरियाणा में संगठन की नियुक्तियां करने जा रही हैं। हिमाचल के भी तीन विधायक आब्जर्वर बनाये गए हैं, ताकि उक्त राज्यों में मजबूत संगठन बने। इनके बाद अन्य राज्यों का भी नंबर आएगा और शायद हिमाचल पर भी नज़र- ए -करम हो। पर सवाल ये हैं कि क्या हिमाचल में कांग्रेस अपने इस गुजरात मॉडल को नहीं अपनाएगी ? और अगर अपनाएगी तो अब तक की फीडबैक रिपोर्टों का क्या होगा, जिसमें सात महीने खप गए ? गुजरात मॉडल के लिहाज से तो मुमकिन हैं हिमाचल में नए सिरे से जिलावार आब्जर्वर नियुक्त हो। यानी ऐसा होता हैं तो संगठन के गठन में अभी और वक्त लगना तय हैं। ऐसे स्थिति में हिमाचल के आम बोल चाल में लोग कहते है 'खप हो गई'। कांग्रेसियों के साथ भी 'खप' होने की सम्भावना फिलहाल बनी हुई है। ठीक सात महीने पहले कांग्रेस आलाकमान ने एक फरमान जारी किया और हिमाचल में पार्टी संगठन भंग कर दिया गया। तब से हिमाचल कांग्रेस की इकलौती पदाधिकारी है पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह। हैरत हैं, देश के कई राज्यों में कांग्रेस संगठन सृजन अभियान चला रही हैं, लेकिन जिस हिमाचल में सत्ता पर काबिज हैं वहां संगठन की खैर खबर ही नहीं हैं। इन सात महीनों में कांग्रेस के भीतर बहुत कुछ घटा है। संगठन के गठन में हो रहे विलम्ब पर मंत्रियों / नेताओं / कार्यकर्ताओं ने खुलकर नाराजगी जताई हैं। प्रदेश प्रभारी बदले दिए गए। कई बार संगठन गठन की उम्मीदें जगी, लेकिन हर बार हाथ लगी सिर्फ मायूसी और नई तारीख। अब तो बेउम्मीदी इस कदर हावी हैं कि नई तारीख भी नहीं मिल रही। नवंबर में संगठन भंग होते ही जानकारी आई कि कांग्रेस नए फॉर्मूले से संगठन का गठन करेगी। आब्जर्वर तैनात हुए, प्रदेश भर में गए, ग्राउंड फीडबैक लिया और रिपोर्ट सौंपी। इन सब में करीब चार महीने बीत गए। फिर लगने लगा किसी भी वक्त अब संगठन की प्रस्तावित नियुक्तियों को आलाकमान की हरी झंडी मिल सकती हैं। पर इस बीच अचानक 15 फरवरी को प्रभारी राजीव शुक्ला ही बदल दिए गए और रजनी पाटिल की एंट्री हुई। पाटिल भी अपनी नियुक्ति के दो सप्ताह बाद जोश -खरोश के साथ हिमाचल पहुंची। बैठकें हुई , फीडबैक लिया गया, गिले-शिकवों की सुनवाई हुई और जाते -जाते वादा भी किया गया कि दो सप्ताह में संगठन बन जायेगा। अब तीन महीने से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन पत्ता भी नहीं हिला। इस बीच रजनी पाटिल तीन बार हिमाचल आ चुकी हैं, लेकिन बात फीडबैक लेने और रिपोर्ट सौंपने से आगे बढ़ती नहीं दिखी। सात महीनों में एक परिवर्तन और हुआ हैं। पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह का कार्यकाल भी अब पूरा हो चुका हैं और उन्हें बदलने की अटकलें भी लग रही हैं। हिमाचल कांग्रेस के तमाम गुट अपने -अपने निष्ठावानों की तैनाती के लिए लॉबिंग में जुटे हैं। स्थिति ये हैं कि पीसीसी चीफ कौन होगा, ये सवाल इतना प्रबल हो गया कि इसके आगे जमीनी संगठन का दर्द छिप सा गया हैं। कांग्रेस की स्थिति समझनी हैं तो अंत में बात पीसीसी चीफ पद के दावेदारों की भी जरूरी हैं। प्रतिभा सिंह, मुकेश अग्निहोत्री, कुलदीप राठौर, आशा कुमारी, अनिरुद्ध सिंह , यादविंद्र गोमा, सुरेश कुमार, विनोद सुल्तानपुरी , चंद्रशेखर , संजय अवस्थी और विनय कुमार, कोई नाम रह गया हो तो हम क्षमा प्रार्थी हैं। ये तमाम वो नाम है जिन्हें पीसीसी चीफ की दौड़ में शामिल बताया जा रह है। हर गुजरते दिन के साथ कोई न कोई नया शिगूफा छिड़ जाता है, चौक -चौराहे से लेकर बंद कमरों तक सियासत के जानकार खूब चर्चा करते है। फिर यकायक नए राजनैतिक समीकरण सामने आते है, कुछ नया घटित होता है और फिर सियासी माहिर नए सिरे से अपने काम में जुट जाते है। गणित के क्रमपरिवर्तन और संयोजन सूत्र का बखूबी इस्तेमाल करते हुए माहिर फिर अपने कयासों के पिटारे से नई चर्चा को जन्म देते है और चर्चा में शामिल पुराने नाम सियासी हवा में गौते खाते रह जाते है। हिमाचल कांग्रेस पर विश्लेषण करने वालों की ये ही "मोडस ऑपरेंडी" बन गई हैं। दरअसल हकीकत ये हैं कि हिमाचल कांग्रेस को लेकर नेताओं या सूत्रों की किसी भी जानकारी में जान बची ही नहीं हैं। सो तमाम विश्लेषण भी 'बे जान' सिद्ध हो रहे हैं। इस बीच आलाकमान के कमान में रखे तीर किस-किस को घायल करेंगे, नए दौर की कांग्रेस में इसका अनुमान लगाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हैं। बहरहाल गुजरात मॉडल से 'संगठन सृजन' का डर जरूर कांग्रेसियों को सत्ता रहा होगा !
अब तक 13 नेता बने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, कोई महिला नहीं ....क्या इंदु गोस्वामी तोड़ेगी सिलसिला ?
पिछले लंबे समय से हिमाचल भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति टलती जा रही है। हर बार कोई न कोई पेंच ऐसा फंसता है कि फैसला आगे खिसक जाता है। लेकिन अब एक बार फिर सुगबुगाहट है कि जल्द ही भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलेगा। हालाँकि इस बार की चर्चा में एक नया एंगल जुड़ गया है, और वो है महिला नेतृत्व को प्राथमिकता। माना जा रहा है कि भाजपा हाईकमान महिला आरक्षण के संभावित असर को देखते हुए पहले से तैयारी में जुट गया है। 2029 तक लोकसभा में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो सकती हैं, और इसी रणनीति के तहत भाजपा संगठन में भी महिलाओं को अहम जिम्मेदारियां सौंपने की दिशा में सोच रही है। अगर ऐसा हुआ तो वो एक नाम जो प्रदेश अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे होगा वो है राज्यसभा संसद इंदु गोस्वामी। इंदु न केवल एक प्रभावशाली महिला नेता हैं, बल्कि काँगड़ा जैसे राजनीतिक रूप से अहम ज़िले से आती हैं और पार्टी हाईकमान से भी उनका सीधा जुड़ाव माना जाता है। इंदु ब्राह्मण नेता है तो पार्टी उनके नाम पर जातीय संतुलन भी साध पाएगी। अपने करीब 45 साल के इतिहास में बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश में अब तक 13 नेताओं को संगठन की कमान सौपी है, लेकिन इनमें एक भी महिला नहीं रही। ऐसे में इंदु गोस्वामी का नाम सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से भी अहम हो सकता है। अब देखना ये होगा कि क्या भाजपा वाकई हिमाचल की कमान पहली बार किसी महिला को सौंपने जा रही है, या फिर ये चर्चा भी वक्त के साथ ठंडी पड़ जाएगी। जब इंदु को मिल गई थी अध्यक्ष बनने की बधाई इंदु गोस्वामी पार्टी आलाकमान के करीबी मानी जाती है और पहले भी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में रही है। 2020 में तो भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्ज्ञ ने उन्हें बधाई भी दे दी थी,मगर न जाने कैसे परिस्थितियां बदली और अध्यक्ष सुरेश कश्यप बन गए। हालांकि इसके बाद इंदु को पार्टी ने राजयसभा भेजा। ऐसे में माहिर मान रहे है कि इंदु की दावेदारी को जरा भी हल्के में नहीं लिया जा सकता।
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