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अब बाहरी राज्यों से आने वाले लोगो के लिए हिमाचल आना महंगा हो गया है। नए वित्तीय वर्ष के आगाज़ के साथ ही प्रदेश में बाहर से आने वाले वाहनों के लिए भी नए नियम लागु हो गये है जिससे प्रवेश शुल्क महंगा हो गया है। अब निजी वाहनों के लिए शुल्क 10 रुपये और अन्य प्रकार के वाहनों के लिए 20 रुपये तक बढ़ा दिया गया है। खास बात यह है कि छह से 12 सीटर यात्री वाहनों को अब 110 रुपये और 12 से अधिक सीटों वाले वाहनों को 180 रुपये का शुल्क देना होगा। भारी मालवाहक वाहनों के लिए भी नई दरें लागू हो गई हैं, जिसमें 250 क्विंटल या उससे अधिक भार वाले वाहनों के लिए प्रवेश शुल्क अब 720 रुपये तक बढ़ा दिया गया है। हाईवे पर टोल शुल्क में भी इज़ाफा हुआ है। कालका-शिमला एनएच पर सनवारा टोल पर अब एकतरफा यात्रा के लिए कार, जीप, वैन और एलएमवी को 75 रुपये और रिटर्न के लिए 110 रुपये का भुगतान करना होगा। वहीं, बस और ट्रक (टू एक्सल) के लिए एक तरफा टोल 250 रुपये और रिटर्न के लिए 370 रुपये है। बिलासपुर के बलोह में भी टोल शुल्क में 5 से 15 रुपये की वृद्धि देखी गई है। शिमला में रहने वालों के लिए भी यह वित्तीय वर्ष महंगा साबित हो सकता है। राजधानी में प्रॉपर्टी टैक्स और कूड़ा शुल्क में इजाफा किया गया है। प्रॉपर्टी टैक्स में 6-7 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है, जबकि कूड़ा शुल्क अब 129 रुपये से बढ़कर 142 रुपये हो गया है। साथ ही, नगर निगम शिमला से जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने की फीस भी 5 रुपये से बढ़कर 50 रुपये हो गई है। बताया जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश में पानी के बिल में भी जल्द ही 10 प्रतिशत तक वृद्धि देखी जा सकती है। इससे शहर के 36 हजार पेयजल उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
**इस वित्त वर्ष सबसे ज्यादा 5 करोड़ के मुनाफे की अपेक्षा **कहा, सर्वाधिक 2000 टन एप्पल कंसंट्रेट का किया उत्पादन शिमला, हिमाचल प्रदेश में मंगलवार को हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग एंड प्रोसेसिंग कॉर्पोरेशन (HPMC) के निदेशक मंडल की 217वीं बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने की। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए और निगम की अब तक की प्रमुख उपलब्धियों पर चर्चा की गई। मंत्री ने कहा कि इस वित्त वर्ष के अंत तक HPMC को अब तक का सबसे अधिक 5 करोड़ रुपये का मुनाफा होने की उम्मीद है। इसके अलावा निगम ने 2000 टन के करीब एप्पल कंसंट्रेट का उत्पादन किया है, जो अब तक का सर्वाधिक है। HPMC अब बिना आर्टिफिशियल शुगर के एप्पल जूस, वाइन, और नए वाइन एवं लिकर ब्रांड के उत्पादन में भी सक्रिय है। बैठक में यह तय किया गया कि CA स्टोर और ग्रेडिंग पैकिंग सेंटर को टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से निजी खिलाड़ियों को सौंपा जाएगा। इसके अलावा, निगम प्रदेश में जियो थर्मल ऊर्जा का उपयोग कर CA स्टोर बनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत कर रहा है। निदेशक मंडल ने यह भी निर्णय लिया कि देशभर में HPMC की जमीनों को कमाई का स्रोत बनाते हुए निगम को 100 करोड़ रुपये से अधिक की अपफ्रंट मनी और मासिक 2 करोड़ रुपये से अधिक की आय की अपेक्षा है। मंत्री ने यह भी बताया कि HPMC लंबे समय से किसानों और बागवानों के हित में कार्य कर रहा है, और MIS के तहत सेब के प्रोक्योरमेंट की जिम्मेदारी भी निगम पर है, जिससे किसानों को उचित मूल्य मिल सके।
शिमला: देवभूमि क्षत्रिय संगठन ने सपा सांसद रामजीलाल सुमन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन, जूतों की माला पहना कर जलाया पुतला
आज शिमला के छोटा सचिवालय के बाहर देवभूमि क्षत्रिय संगठन ने समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान सांसद का पुतला जलाया गया, जिससे संगठन ने अपनी नाराजगी और विरोध को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया। प्रदर्शन के दौरान क्षत्रिय संगठन के कार्यकर्ताओं ने पुतले के ऊपर जूतों की माला भी डाली। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि वे 12 अप्रैल को शिमला से बड़ी संख्या में आगरा कूच करेंगे, ताकि इस मुद्दे पर और अधिक ध्यान आकर्षित किया जा सके। इस विरोध का कारण रामजीलाल सुमन का विवादित बयान है, जिसमें उन्होंने राजपूत योद्धा राणा सांगा की तुलना बाबर से की थी। इस बयान ने पूरे देश में विरोध की लहर फैला दी है। इसके जवाब में देवभूमि क्षत्रिय संगठन ने वीर योद्धाओं के सम्मान में सड़कों पर उतरने का फैसला किया है। देवभूमि क्षत्रिय संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रुमित ठाकुर ने कहा कि हम वीर योद्धाओं के सम्मान में सड़कों पर उतरे हैं। जिनका कोई इतिहास नहीं है, वे योद्धाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं। क्षत्रिय समाज इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने कार्यकर्ताओं को रोकने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने पुतले को जलाने की चेतावनी दी। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हल्की नोकझोंक भी हुई। रामजीलाल सुमन ने अपने बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनका किसी समुदाय या महापुरुष के प्रति अपमानजनक इरादा नहीं था और यह बयान केवल ऐतिहासिक संदर्भ में दिया गया था। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए इतिहास के विवादास्पद पहलुओं को पुनर्जीवित कर रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य के स्कूलों में शिक्षकों के सामान्य तबादलों पर रोक को जारी रखने का निर्णय लिया है। यह कदम स्कूलों में पढ़ाई के माहौल को स्थिर बनाए रखने और शैक्षणिक गतिविधियों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए उठाया गया है। अब तबादले केवल युक्तिकरण और आवश्यक मामलों में ही किए जाएंगे, जबकि एक शिक्षक के सहारे चल रहे स्कूलों से तबादले नहीं किए जाएंगे। शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में आपसी सहमति से ट्रांसफर पर भी ध्यान नहीं दिया जाएगा, और 30 किलोमीटर से कम दूरी पर तबादलों की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा, एक ही स्कूल में दो साल सेवा देना अनिवार्य रहेगा, और हार्ड क्षेत्रों से तबादले करवाने के लिए रिलीवर की शर्त का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। मार्च के बाद भी सामान्य तबादलों पर रोक बनी रहेगी, और अतिरिक्त शिक्षक वाले स्कूलों को रिक्त पदों वाले स्कूलों में तैनात किया जाएगा, जिससे शिक्षा प्रणाली में संतुलन बना रहे। इसके साथ ही, हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में अब मौसम के अनुसार छुट्टियों का नया शेड्यूल लागू किया गया है, जिससे छात्रों और शिक्षकों को अधिक सुविधाजनक ब्रेक मिलेगा। नालागढ़ उपमंडल, फतेहपुर, नगरोटा सूरियां, इंदौरा, पांवटा साहिब, कालाअंब और जिला ऊना के स्कूलों में 1 से 30 जून तक गर्मियों की छुट्टियां और 3 से 12 अगस्त तक बरसात की छुट्टियां होंगी, जबकि पहले ये छुट्टियां 22 जून से 29 जुलाई तक होती थीं। अन्य ग्रीष्मकालीन स्कूलों में 1 से 8 जून तक गर्मियों की छुट्टियां और 12 जुलाई से 12 अगस्त तक बरसात की छुट्टियां होंगी, जो पहले प्रावधान में नहीं थीं। इसके अलावा, सभी ग्रीष्मकालीन स्कूलों में लोहड़ी के आसपास जनवरी में मिलने वाली छह छुट्टियों के स्थान पर 1 से 8 जनवरी तक छुट्टियां दी जाएंगी, जबकि दिवाली की चार छुट्टियां पूर्व की तरह ही बरकरार रहेंगी। शीतकालीन स्कूलों में बरसात की छुट्टियां अब 7 से 12 अगस्त तक होंगी, जो पहले 22 से 27 जुलाई तक होती थीं, और सर्दियों की छुट्टियां 1 जनवरी से 11 फरवरी तक पूर्ववत रहेंगी। लाहौल-स्पीति जिले में बरसात की छुट्टियां नहीं होंगी, लेकिन दशहरे के दौरान छह छुट्टियां दी जाएंगी, जबकि कुल्लू जिले में 1 से 14 जनवरी तक सर्दियों की छुट्टियां, 20 जुलाई से 12 अगस्त तक बरसात की छुट्टियां और दशहरे के दौरान आठ छुट्टियां होंगी। कुल मिलाकर, पूरे राज्य के स्कूलों में एक साल के दौरान 52 छुट्टियां मिलेंगी, जिससे छात्रों और शिक्षकों को सालभर में पर्याप्त आराम मिलेगा।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। "ब्रह्म" का अर्थ है तपस्या और "चारिणी" का अर्थ है आचरण करने वाली। इस तरह मां ब्रह्मचारिणी तप और संयम की प्रतीक हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था। इस तप के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया। वे ज्ञान, तपस्या, वैराग्य और संयम की देवी मानी जाती हैं। महत्वमां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि यह भक्तों को संयम, धैर्य, तप और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है। उनकी आराधना से जीवन में आने वाली बाधाएं और कष्ट दूर होते हैं। यह पूजा विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए लाभकारी मानी जाती है, क्योंकि यह शिक्षा और ज्ञान प्राप्ति में सहायक होती है।मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से भक्त अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प और शक्ति प्राप्त करते हैं। इस साल चैत्र नवरात्रि के दौरान द्वितीया और तृतीया तिथि एक ही दिन है, जिस कारण नवरात्रि 9 नहीं बल्कि 8 दिनों की होगी। इस साल मुहूर्तचूंकि आज की तारीख 30 मार्च 2025 है, यह चैत्र नवरात्रि का पहला दिन है। इस आधार पर दूसरा दिन 31 मार्च 2025, सोमवार को होगा ।चन्द्र राशि - मेष सूर्योदय और सूर्यास्त का समय सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 18 मिनट पर सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 41 मिनट पर चन्द्रोदय - सुबह 07 बजकर 14 मिनट पर चन्द्रास्त - रात 09 बजकर 03 मिनट पर शुभ मुहूर्त रवि योग - दोपहर 01 बजकर 45 मिनट से 02 बजकर 08 मिनट तक ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 40 मिनट से 05 बजकर 26 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 00 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 37 मिनट से 07 बजकर 00 मिनट तक निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक। पूजा विधिमां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि शास्त्रों के अनुसार इस प्रकार है:तैयारीस्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पुरुष और महिलाएं पीले या सफेद वस्त्र पहन सकते हैं, क्योंकि मां को पीला रंग प्रिय है।पूजा स्थल की शुद्धि: पूजा स्थान को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूजा की प्रक्रियासंकल्प: हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर पूजा का संकल्प करें। मन में मां से प्रार्थना करें कि आपकी पूजा सफल हो। आह्वान: मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें और उन्हें पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर का मिश्रण) से स्नान कराएं। शृंगार: मां को पीले वस्त्र, फूल (विशेष रूप से पीले फूल जैसे गेंदा), और रोली-कुमकुम अर्पित करें।दीप प्रज्वलन: घी का दीपक जलाएं और धूप दिखाएं। भोग: मां को शक्कर, मिश्री या चीनी से बना भोग लगाएं। मान्यता है कि यह भोग लगाने से लंबी आयु और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। आप पंचामृत भी अर्पित कर सकते हैं। मंत्र जाप: निम्न मंत्रों का जाप करें बीज मंत्र: "ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः"पूजा मंत्र: "दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।"कम से कम 108 बार मंत्र जाप करें। हवन: यदि संभव हो तो हवन करें। हवन में लौंग, बताशे और "ऊँ ब्रह्मचारिण्यै नमः" मंत्र के साथ आहुति दें। आरती: मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें। उदाहरण:"जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता, जय चतुरानन प्रिय सुख दाता। ब्रह्मा जी के मन भाती हो, ज्ञान सभी को सिखलाती हो।"समापनभोग को प्रसाद के रूप में परिवार में बांटें।मां से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करें और क्षमा मांगें।पूजा के बाद थोड़ा समय ध्यान में बिताएं।अतिरिक्त सुझावइस दिन पीले रंग का प्रयोग करें, क्योंकि यह मां को प्रिय है और ज्ञान, उत्साह व बुद्धि का प्रतीक है।यदि व्रत रख रहे हैं, तो फलाहार या जलीय आहार लें।विद्यार्थी मां सरस्वती की भी उपासना कर सकते हैं, क्योंकि यह दिन ज्ञानार्जन के लिए शुभ है।मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से आपका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भर जाए।
हिमाचल प्रदेश में आगामी 3 अप्रैल तक मौसम साफ और सुहावना रहेगा। मौसम विभाग के अनुसार, 3 अप्रैल से एक कमजोर पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की संभावना है, जिससे चंबा, कुल्लू, कांगड़ा, लाहुल-स्पीति और किन्नौर जिलों में कहीं-कहीं हल्की बारिश हो सकती है। इसके बावजूद, आने वाले सप्ताह के बाकी दिनों में राज्य का मौसम मुख्य रूप से शुष्क रहेगा। इस समय के दौरान गर्मी का भी असर दिखने लगा है। अगले 4-5 दिनों में न्यूनतम तापमान में 2 से 5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी, जबकि अधिकतम तापमान में भी 2 से 4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी देखी जा सकती है। बीते 24 घंटे में सबसे कम तापमान केलांग में 2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, वहीं सबसे अधिक तापमान ऊना में 33.4 डिग्री सेल्सियस रहा। प्रदेश के विभिन्न शहरों में अधिकतम तापमान सामान्य से ज्यादा रहा, जिससे लोगों को गर्मी का सामना करना पड़ा चंबा में अधिकतम तापमान 27.4°C, केलांग में 3.1°C, धर्मशाला में 26°C, रंगरा में 29.7°C, मनाली में 23.8°C, सेओबाग में 19.9°C, भुंतर में 30.6°C, ऊना में 33.0°C, मंडी में 30.3°C, बरठीं में 39.6°C, सुंदरनगर में 30.6°C, कल्पा में 7.8°C, जुब्बरहट्टी में 27.0°C, कसौली में 22.2°C, शिमला में 24.4°C, सोलन में 30.0°C और नाहन में 29.3°C दर्ज किया गया। इन तापमानों के बढ़ने के कारण लोगों को गर्मी का अनुभव हो रहा है।
हिमाचल: नए सत्र से पहले सरकार ने 10 से कम बच्चों वाले सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को डाउनग्रेड करने का लिया फैसला
नए सत्र की शुरुआत से पहले ही राज्य सरकार ने शिक्षा प्रणाली को मजबूत और प्रभावशाली बनाने के लिए कई अहम निर्णय लिए हैं। सरकार ने 10 से कम छात्रों वाले सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को डाउनग्रेड करने का निर्णय लिया गया है। इन स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों को नजदीकी सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा, जबकि इन स्कूलों में दसवीं तक की कक्षाएं जारी रहेंगी। इस कदम से शिक्षकों को अधिक जिम्मेदारी मिलेगी और छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों के लिए यात्रा की कठिनाइयाँ भी पैदा हो सकती हैं। इसके अलावा, डिग्री कॉलेजों के मामले में भी बड़ा फैसला लिया गया है। जिन कॉलेजों में 75 से कम छात्र नामांकित हैं, उन्हें बंद किया जाएगा। पहले यह सीमा 100 थी, लेकिन अब इसे 75 कर दिया गया है, जिससे 10-12 कॉलेज प्रभावित होंगे। इससे कॉलेजों का युक्तिकरण होगा और अकादमिक गुणवत्ता में सुधार की संभावना बढ़ेगी, लेकिन छात्रों के लिए अन्य कॉलेजों में स्थानांतरण की चुनौती भी उत्पन्न होगी। सरकार ने छात्रों को अन्य कॉलेजों में शिफ्ट करने के लिए यात्रा भत्ता देने पर विचार करने का भी संकेत दिया है। इसके साथ ही, शहरी क्षेत्रों और जिला मुख्यालयों में स्थित लड़कियों और लड़कों के अलग-अलग सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को को-एजुकेशन स्कूलों में बदला जाएगा। इससे न केवल छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, बल्कि लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा और दोनों लिंगों के बीच सामाजिक संवाद भी मजबूत होगा। हालांकि, इससे स्कूलों के बुनियादी ढांचे और स्टाफ के पुनर्विन्यास की आवश्यकता भी होगी। इन सभी फैसलों के लिए शिक्षा विभाग को गाइडलाइंस तैयार करने का निर्देश दिया गया है, जिसके बाद ही आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। इन बदलावों के तहत बंद होने वाले संस्थानों के स्टाफ का अन्य स्थानों पर पुनर्विन्यास किया जाएगा, ताकि उनके अनुभव और कौशल का बेहतर उपयोग हो सके।
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