•   Sunday Sep 08
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22% less clouds rain in Himachal Pradesh, speed of monsoon will slow down in the coming days
In Himachal

हिमाचल प्रदेश में 22%कम बरसे मेघ,आने वाले दिनों में धीमी पड़ेगी मॉनसून की रफ्तार

**7सितंबर के बाद वर्षा से राहत के आसार हिमाचल प्रदेश में मॉनसून के दस्तक के साथ ही इसकी रफ्तार धीमी पड़ गयी थी। इस सीजन के दौरान पूरे प्रदेश में 22% कम बारिश हुई है। राजधानी सहित पूरे प्रदेश में सितंबर माह में सामान्य बारिश दर्ज की गई है। प्रदेश में इस मानसून सीजन के दौरान कुछ क्षेत्रों में जमकर बारिश हुई और प्रदेश में एक हजार करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। आने वाले दिनों में तीन जिलों को छोड़कर अन्य जिलों में मानसून की रफ्तार में कमी आएगी।   मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव  ने कहा इस वर्ष मॉनसून सीजन के दौरान 1 से 4सितंबर तक प्रदेश में 22% कम बारिश दर्ज की गई है।जबकि सितंबर माह में सामान्य वर्षा दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि आने वाले चार दिनों में तीन जिलों को छोड़कर वर्षा की रफ्तार में कमी आने की संभावना है।आज के लिए मौसम विभाग द्वारा येलो अलर्ट जारी किया गया है।कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि उत्तराखंड के साथ सटे  सोलन सिरमौर व शिमला के कुछ एक क्षेत्रों में अगले तीन दिनों में भारी बारिश भी हो सकती है।वहीं 7 सितंबर के बाद पूरे प्रदेश में मानसून की रफ्तार में कमी आएगी ।

Preparations underway to stop pension
In Politics

मुखालफत करने वालों पर कोई एहतिराम नहीं !...पेंशन बंद करने की तैयारी !

**संशोधन कर सभी 6 पूर्व कांग्रेसी विधायकों की मौजूदा टर्म की पेंशन बंद करने की कवायद में जुटी सरकार   **बगैर पेंशन रह जायेंगे एक बार के विधायक चैतन्य और देवेंद्र भुट्टो  मुख़ालिफ़त से मिरी शख़्सियत सँवरती है मैं दुश्मनों का बड़ा एहतिराम करता हूँ 6 पूर्व कांग्रेसी विधायकों की मुखालफत के बावजूद सरकार बचाकर सीएम सुक्खू ने अपनी शख़्सियत तो संवार ली लेकिन इन नेताओं पर कोई एहतिराम करने का उनका इरादा नहीं है. तथाकथित मिशन लोटस के तहत सरकार गिराने की साजिश की जांच से तो उक्त सभी 6 और तीन पूर्व निर्दलीय विधयक गुजर ही रहे है, मगर अब सुक्खू सरकार ने कांग्रेस के 6 पूर्व विधयाकों की पेंशन बंदी की तैयारी भी कर ली है.  दरअसल, मंगलवार को सदन में विधानसभा सदस्यों के भत्ते एवं पेंशन अधिनियम 1971 में संशोधन का प्रावधान लाया गया और आज संभवतः ये पास भी हो जाएगा. 68 सदस्यों वाली हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस के 40 विधायक है, ऐसे में इस संशोधन बिल को पास करने में सत्तारूढ़ दल को कोई परेशानी नहीं होगी. फिर मंजूरी के लिए इसे राज्यपाल के पास भेजा जायेगा और उनकी मंजूरी मिलते ही ये कानून का रूप ले लेगा. अयोग्य घोषित विधायकों की पेंशन बंद करने का यह देश में ऐसा पहला कानून होगा. दरअसल, राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 6 पूर्व विधायकों ने क्रॉस वोट किया था, जिसके चलते बहुमत होने के बावजूद सत्तारूढ़ कांग्रेस के प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी चुनाव हार गए थे. सुक्खू सरकार की जमकर किरकिरी तो हुई ही थी, सरकार पर भी संकट मंडराने लगा था. क्रॉस वोट के बाद इन 6 विधायकों पर पार्टी व्हिप के उल्लंघन के आरोप भी लगे और विधानसभा अध्यक्ष ने इन्हे संविधान की अनुसूची 10 के तहत अयोग्य घोषित कर दिया. उक्त सभी 6 विधायक फिर विधिवत रूप से भाजपाई हो गए और उपचुनाव में भाजपा  का टिकट भी ले आएं. किन्तु इनमें से सिर्फ दो, सुधीर शर्मा और इंद्र दत्त लखनपाल ही वापस जीतकर विधानसभा पहुंचे. राजेंद्र राणा, रवि ठाकुर , देवन्द्र भुट्टो और चैतन्य शर्मा चुनाव हार गए. अब सुक्खू सरकार मन बना चुकी है कि विधानसभा सदस्यों के भत्ते एवं पेंशन अधिनियम में संशोधन कर इन सभी 6 विधायकों  की मौजूदा टर्म की न सिर्फ पेंशन बंद कर दी जाएँ बल्कि इन के द्वारा अब तक ली गई रकम की रिकवरी भी हो. ऐसे में 2022 में पहली बारे चुने गए चैतन्य शर्मा और देवन्द्र भुट्टों की पेंशन बंद हो जाएगी, जबकि अन्य चार पूर्व कांग्रेसी विधायकों की मौजूदा टर्म की पेंशन बंद होगी. वहीँ, तीन अन्य पूर्व निर्दलीय विधायक इसके दायरे में नहीं आएंगे.

People are bearing the brunt of CM Sukhu's economic mismanagement: Ashish Sharma
In Himachal

सीएम सुक्खू के आर्थिक कुप्रबंधन का खामियाजा भुगत रही जनता: आशीष शर्मा

हमीरपुर भाजपा विधायक आशीष शर्मा ने प्रदेश सरकार और सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू पर तीखा हमला बोला है। हमीरपुर पहुंचे विधायक आशीष शर्मा ने कहा कि विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान प्रदेश सरकार जनहित के मुद्दों पर चर्चा नहीं करना चाहती है। आशीष शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के पास प्रदेश में सरकार की नाकामियों को छुपाने के अलावा और कोई काम नहीं है। सीएम सुक्खू और उनके कैबिनेट मंत्रियों ने दो महीने का वेतन विलंबित करने की बात कह कर जनता के साथ भद्दा मजाक किया है। विधायक आशीष शर्मा ने कहा कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू लोगों को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं। बार-बार झूठ बोलने से झूठ सच नहीं हो जाएगा। प्रदेश में लूटपाट और भ्रष्टाचार चरम पर है। युवाओं के साथ रोजगार के नाम पर धोखा किया जा रहा है।  विधायक ने कहा कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने महिलाओं को 1500 रुपए प्रतिमाह देने की गारंटी दी गई, लेकिन अभी तक महिलाओं को इनसे पैसे नहीं दिए जा रहे हैं। लोग अब सरकार की कार्यप्रणाली को भली-भांति समझ रही है और अब जनता सरकार को जवाब देगी। हमीरपुर विधायक ने कहा कि सीएम सुक्खू के आर्थिक कुप्रबंधन का खामियाजा हिमाचल प्रदेश की जनता भुगत रही है। प्रदेश का कर्मचारी वर्ग भुगत रहा है। प्रदेश सरकार अपने वादे भी पूरे नहीं कर पा रही है। अभी तक उन्होंने अपनी चुनावी गारंटियां पूरी नहीं की हैं। मुख्यमंत्री ने अपने मित्रों पर दोनों हाथों से खजाने का पैसा लूटा कर प्रदेश को कर्ज के दलदल में इस कदर धकेल दिया है कि आने वाले कई सालों तक प्रदेश आर्थिक रूप से खड़ा नहीं हो पाएगा। 

There is no economic crisis in Himachal Pradesh, BJP is doing politics: Chief Minister
In Himachal

हिमाचल प्रदेश में नहीं है कोई आर्थिक संकट, भाजपा कर रही राजनीति: मुख्यमंत्री

हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है और सरकार पर फिजूल खर्ची के आरोप लगा रहा है। वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश में किसी भी तरह के आर्थिक संकट होने की बात को सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि जब से सरकार सत्ता में आई है, पहले दिन से हिमाचल को साल 2027 तक आत्मनिर्भर बनाने और 2032 तक देश का सबसे समृद्ध राज्य बनाने की बात कही है।  अर्थव्यवस्था में सुधार करने की प्रक्रिया में प्रदेश सरकार काम कर रही है।  ये जो कहा जा रहा है कि प्रदेश में फाइनेंशियल मेस हो गया है ये गलत है। अगर हमने दो वेतन भत्तों को विलंबित किया है तो अर्थव्यवस्था सुधार की प्रक्रिया का हिस्सा हैं। सीएम सुक्खू ने कहा कि भाजपा जो 85 हजार करोड़ की देनदारियां की बात कर रही है वो भाजपा सरकार छोड़ कर गई है।  कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही कर्मचारियों को 7% DA दिया। प्रदेश में 14 प्रकार की सब्सिडी दी जा रही है, जिनको आवश्यकता नहीं उन्हें भी मिल रही है।  हजारों लोग सबसिडी छोड़ने की बात कह रहे हैं, हजारों लोगों ने बिजली पानी की सब्सिडी छोड़ने की बात कही है।  मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस को सरकार बनाए हुए सिर्फ 19 महीने हुए हैं। पूर्व सरकार के समय प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी। वर्तमान सरकार इसमें सुधार कर रही है।  इसमें पैसों की जरूरत है। सरकारी कर्मचारियों की सैलरी जो है, वो समय पर मिलेगी और पेंशन भी दी जाएगी।  28 कर्मचारियों को एरियर दे दिया है। केंद्र सरकार से 9200 करोड़ रुपए एनपीएस और 9300 करोड़ रुपए पीडीएन का मिलना है।  बीबीएमबी में 4300 करोड़ रुपये का शेयर है, इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट से निर्देश भी दिए हैं। वहीं, प्रदेश में आर्थिक संकट को लेकर मुख्यमंत्री ने भाजपा पर राजनीति करने के आरोप लगाए और कहा कि भाजपा नेता बिना तैयारी के बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता कभी ड्रोन से जासूसी की बता कर रहे हैं कभी फाइनेंशियल मेस की बात कर रहे हैं।  विपक्ष के नेताओं को होमवर्क करके आने की जरूरत है। 

Clear weather in Himachal today, yellow alert issued for rain on 2nd and 3rd September
In Himachal

हिमाचल में आज मौसम साफ, 2 और 3 सितंबर को बारिश का येलो अलर्ट जारी

हिमाचल प्रदेश में कई दिनों बाद शनिवार को कहीं भी बादल नहीं बरसे। राजधानी शिमला समेत सभी जिलों में धूप खिली रही। बिलासपुर और ऊना में अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ। रविवार को भी हिमाचल में मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है। दो और तीन सितंबर को कई जगह बारिश का येलो अलर्ट है। चार सितंबर से फिर मौसम साफ रहने की संभावना है। शनिवार शाम तक प्रदेश में 70 सड़कें और 22 बिजली ट्रांसफार्मर बंद रहे। शिमला जिला में 35, मंडी में 12, कांगड़ा में 11, कुल्लू में 9, लाहौल-स्पीति-ऊना और सिरमौर में एक-एक सड़क आवाजाही के लिए बंद है। राजधानी शिमला में शनिवार को दिन भर धूप खिली। बीते एक सप्ताह से शहर में सुबह या शाम बारिश हो रही थी।शनिवार को बारिश से राहत मिली। हालांकि शाम के समय शहर में बादल छा जाने से मौसम में कुछ ठंडक हुई। मैदानी जिलों के मौसम में धूप खिलने से उमस बढ़ गई है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने दो और तीन सितंबर को कुछ क्षेत्रों में भारी व अन्य स्थानों पर सामान्य बारिश होने का येलो अलर्ट जारी किया है। प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान सामान्य से 23 फीसदी कम बारिश हुई है। 26 जून से 31 अगस्त तक प्रदेश में 471.1 मिलीमीटर बारिश हुई। इस अवधि में 613.8 मिलीमीटर बारिश को सामान्य माना गया है।  शेष सात जिलों सोलन, चंबा, लाहौल-स्पीति, किन्नौर, कुल्लू, हमीरपुर और ऊना में सामान्य से कम बारिश रिकॉर्ड हुई।

These 6 villages of Lahaul-Spiti are in danger, a major accident can happen any time
In Himachal

खतरे में लाहौल-स्पीति के ये 6 गांव, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

लाहौल-स्पीति: बीते साल से हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहा है। अब जिला लाहौल स्पीति के 6 गांवों के वजूद को खतरा पैदा हो गया है। इन गांवों के लोगों के पास किसी दूसरी जगह में बसने का भी कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में ये ग्रामीण अपना बसेरा कहां लगाएं? इसके बारे में स्थानीय लोगों को कुछ समझ नहीं आ रहा है। लाहौल-स्पीति में बीते दिनों हुई बरसात के चलते इन गांवों को खतरा पैदा हुआ हैं ,जिसके बाद से गांव में रहना लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि कभी भी इन गांवों पर संकट का पहाड़ गिर सकता है। ऐसे में इससे पहले कि गांवों में अनहोनी हो सरकार की ओर से कोई उचित कदम उठाए जाने चाहिए। घाटी में खत्म हो रहे गांवों के वजूद मामले को भी हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में प्रमुखता से उठाया गया है और संकटग्रस्त गांवों को दूसरी जगह स्थापित करने के लिए प्रदेश सरकार से केंद्र को प्रपोजल भेजने की सिफारिश की गई है।  लाहौल स्पीति की विधायक अनुराधा राणा ने सदन में कहा, "मेरे विधानसभा क्षेत्र के 6 गांव जिसमें जाहलमा पंचायत के जसरथ, तडंग, लिंदूर, मथाड़ घाटी का करपट, स्पीति का शीचलिंग और सगनम गांव शामिल है। इन गांवों में बरसात के कारण ऐसे हालात पैदा हुए हैं कि यहां के लोगों को गांव में रहना काफी मुश्किल हो गया है।  इससे पहले कि कोई अनहोनी हो। हमें इसके लिए उचित कदम उठाने चाहिए।  खासकर डिजास्टर के मामले में पुनर्स्थापन के लिए केंद्र को ऐसा प्रपोजल बनाकर भेजना चाहिए जिससे इन गांवों को सुरक्षित किया जा सके। लाहौल-स्पीति जिले में करीब 89 प्रतिशत जमीन सरकारी यानी वन भूमि है। उसके बाद जो जमीन लोगों के पास हैं, जिसमें प्रभावित गांवों के लोगों की जमीनें बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो गई हैं और दूसरी जगह कोई जमीन नहीं है। ऐसे में एफसीए जैसे कानून पुनर्स्थापन के आड़े आ रहे हैं, जिसके चलते लोगों को पुनर्स्थापन करने की कोशिश अधूरी रह रही है। प्रभावित गांवों के ग्रामीण हेमंत कुमार, ताशी नोरबू, हरिचंद, महिला लता देवी, डोलमादेवी का कहना है कि यहां पर लैंडस्लाइड के चलते जमीनों में दरारें आ गई हैं और कई घरों के गिरने का खतरा बना हुआ है। कई घरों में भी दरारें आ गई हैं। वो लोग तंबुओं में रहने को मजबूर हो गए हैं। इसके अलावा नदी के बहाव के चलते हर बार खेत और जमीन बाढ़ की चपेट में आ जाती है। सरकार को चाहिए कि अब ग्रामीणों को यहां से दूसरी जगह पर भेजा जाना चाहिए, ताकि वो आराम से अपना गुजर बसर कर सकें। 

Expensive ration will be available in depots from tomorrow, big problem for APL and BPL families
In Himachal

डिपुओं में कल से मिलेगा महंगा राशन, APL और BPL परिवारों की बड़ी परेशानी

हिमाचल में महंगाई की मार से पहले ही परेशान लोगों को अब डिपुओं में सामान खरीदते वक्त झटका लगने वाला है। वित्तीय संकट से जूझ रही सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत डिपुओं के माध्यम वितरित किए जाने वाला राशन महंगा कर दिया है।  वहीं, हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के होल सेल गोदामों से डिपुओं के लिए राशन का कोटा भेजा जा रहा है।  ऐसे में जब सितंबर की पहली तारीख को उपभोक्ता डिपुओं में राशन का कोटा खरीदने जाएंगे तो उन्हे इस महीने की तुलना में आटा और चावल के अधिक दाम चुकाना होगा। प्रदेश भर में उपभोक्ताओं को अगले महीने से सस्ता राशन खरीदने के लिए अधिक दाम चुकाने होंगे। सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से दिए जाने वाले आटे और चावल के रेट बढ़ा दिए हैं। नए रेट कल यानी एक सितंबर से लागू हो रहे हैं, जिसकी अधिसूचना पहले ही जारी की जा चुकी है। इन आदेशों के मुताबिक सुक्खू सरकार ने एपीएल और बीपीएल को दिए जाने वाले आटे और चावल के दाम बढ़ाए हैं। इसके अतिरिक्त एनएफएसए को मिलने वाले राशन के भाव में कोई बदलाव नहीं किया गया है।  हिमाचल प्रदेश में डिपुओं के माध्यम से उपभोक्ताओं को मिलने वाला आटा और  चावल महंगा हुआ है। कल से एपीएल परिवारों को चावल 13 रुपये किलो मिलेगा।  अभी डिपुओं में चावल की कीमत 10 रुपए किलो है।  इस तरह से चावल अब 3 रुपए प्रति किलो महंगा हुआ है।  वहीं, आटे के भी अब प्रति किलो 12 रुपए चुकाने होंगे। अभी एपीएल परिवारों को 9.30 रुपये किलो के हिसाब से आटा दिया जा रहा है. इसी तरह से डिपुओं में आटा भी 2.70 रुपए महंगा हुआ है। सरकार ने बीपीएल परिवारों को मिलने वाला राशन भी महंगा कर दिया है। इस श्रेणी के उपभोक्ताओं को सितंबर महीने से चावल 10 रुपए प्रति किलो और आटा 9.30 रुपए प्रति किलो से हिसाब से मिलेगा। अभी बीपीएल को चावल 6.85 रुपए प्रति किलो और आटा 7 रुपए किलो के हिसाब से दिया जा रहा है। ऐसे में बीपीएल परिवारों को चावल के 3.15 रुपए और आटे के 2.30 रुपए अधिक चुकाने होंगे। वहीं, दाम बढ़ाने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि राशन को डिपुओं और गोदामों तक पहुंचाने का भाड़ा पहले की तुलना में कई गुणा महंगा हो गया है और राशन की कीमतें भी लगातार बढ़ रही है। केंद्र से हिमाचल को गेहूं का आवंटन होता है, लेकिन प्रदेश सरकार अपने स्तर पर गेहूं की पिसाई कर उपभोक्ताओं को आटा उपलब्ध करा रही है। ऐसे में चक्की में पिसाई भी अब महंगी हुई है, जिस कारण सरकार को 13 साल बाद आटा और चावल के भाव बढ़ाने पड़ रहे हैं। 

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मुखालफत करने वालों पर कोई एहतिराम नहीं !...पेंशन बंद करने की तैयारी !

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Preparations underway to stop pension

**संशोधन कर सभी 6 पूर्व कांग्रेसी विधायकों की मौजूदा टर्म की पेंशन बंद करने की कवायद में जुटी सरकार   **बगैर पेंशन रह जायेंगे एक बार के विधायक चैतन्य और देवेंद्र भुट्टो  मुख़ालिफ़त से मिरी शख़्सियत सँवरती है मैं दुश्मनों का बड़ा एहतिराम करता हूँ 6 पूर्व कांग्रेसी विधायकों की मुखालफत के बावजूद सरकार बचाकर सीएम सुक्खू ने अपनी शख़्सियत तो संवार ली लेकिन इन नेताओं पर कोई एहतिराम करने का उनका इरादा नहीं है. तथाकथित मिशन लोटस के तहत सरकार गिराने की साजिश की जांच से तो उक्त सभी 6 और तीन पूर्व निर्दलीय विधयक गुजर ही रहे है, मगर अब सुक्खू सरकार ने कांग्रेस के 6 पूर्व विधयाकों की पेंशन बंदी की तैयारी भी कर ली है.  दरअसल, मंगलवार को सदन में विधानसभा सदस्यों के भत्ते एवं पेंशन अधिनियम 1971 में संशोधन का प्रावधान लाया गया और आज संभवतः ये पास भी हो जाएगा. 68 सदस्यों वाली हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस के 40 विधायक है, ऐसे में इस संशोधन बिल को पास करने में सत्तारूढ़ दल को कोई परेशानी नहीं होगी. फिर मंजूरी के लिए इसे राज्यपाल के पास भेजा जायेगा और उनकी मंजूरी मिलते ही ये कानून का रूप ले लेगा. अयोग्य घोषित विधायकों की पेंशन बंद करने का यह देश में ऐसा पहला कानून होगा. दरअसल, राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 6 पूर्व विधायकों ने क्रॉस वोट किया था, जिसके चलते बहुमत होने के बावजूद सत्तारूढ़ कांग्रेस के प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी चुनाव हार गए थे. सुक्खू सरकार की जमकर किरकिरी तो हुई ही थी, सरकार पर भी संकट मंडराने लगा था. क्रॉस वोट के बाद इन 6 विधायकों पर पार्टी व्हिप के उल्लंघन के आरोप भी लगे और विधानसभा अध्यक्ष ने इन्हे संविधान की अनुसूची 10 के तहत अयोग्य घोषित कर दिया. उक्त सभी 6 विधायक फिर विधिवत रूप से भाजपाई हो गए और उपचुनाव में भाजपा  का टिकट भी ले आएं. किन्तु इनमें से सिर्फ दो, सुधीर शर्मा और इंद्र दत्त लखनपाल ही वापस जीतकर विधानसभा पहुंचे. राजेंद्र राणा, रवि ठाकुर , देवन्द्र भुट्टो और चैतन्य शर्मा चुनाव हार गए. अब सुक्खू सरकार मन बना चुकी है कि विधानसभा सदस्यों के भत्ते एवं पेंशन अधिनियम में संशोधन कर इन सभी 6 विधायकों  की मौजूदा टर्म की न सिर्फ पेंशन बंद कर दी जाएँ बल्कि इन के द्वारा अब तक ली गई रकम की रिकवरी भी हो. ऐसे में 2022 में पहली बारे चुने गए चैतन्य शर्मा और देवन्द्र भुट्टों की पेंशन बंद हो जाएगी, जबकि अन्य चार पूर्व कांग्रेसी विधायकों की मौजूदा टर्म की पेंशन बंद होगी. वहीँ, तीन अन्य पूर्व निर्दलीय विधायक इसके दायरे में नहीं आएंगे.

मोदी की स्वास्थ्य गारंटी : आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन से जुड़े 56.67 करोड़ लोग

In Health
guarantee: 56.67 crore people connected to Ayushman Bharat Digital Mission

पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने साल 2021 में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की थी। मोदी के नेतृत्व में ही 2021-2022 से 2025-2026 तक 5 वर्षों के लिए 1,600 करोड़ रुपये की डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम बनाने के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन शुरू किया गया था। इसकी वजह से पीएम मोदी के गारंटी का भी असर देखने को साफ मिला और इस योजना के तहत 29 फरवरी, 2024 तक 56.67 करोड़ लोगों के आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में भी प्रगति की है। 29 फरवरी, 2024 तक, 27.73 करोड़ महिलाएं और 29.11 करोड़ पुरुषों को आभा कार्ड से लाभ हुआ है। वहीं 34.89 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य दस्तावेजों को इससे जोड़ा गया है। क्या है आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन  आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्देश्य देश में यूनिफाइड डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की मदद करने के लिए जरूरी आधार तैयार करना है। इससे सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता खोलने के लिए ऑफलाइन मोड को मदद पहुंचती है। इसके अलावा भारत सरकार ने स्वास्थ्य सुविधा के लिए आभा ऐप और आरोग्य सेतु जैसे विभिन्न एप्लिकेशन भी लॉन्च किए गए हैं, जो आम लोगों को मदद पहुंचाती है। आभा ऐप एक प्रकार का डिजिटल स्टोरेज है, जो किसी भी व्यक्ति के मेडिकल दस्तावेजों का रखने का काम आता है। इस ऐप के जरिए मरीज रजिस्टर्ड स्वास्थ्य पेशेवरों से संपर्क भी कर सकते हैं।    भारत में बीजेपी की मोदी सरकार ने बीते 10 सालों के अपनी सरकार में कई सारे मील के पत्थर हासिल किया है। इन 10 सालों में पीएम मोदी के विजन ने भारत को अगले 23 साल बाद यानी साल 2047 तक विकसित भारत बनाने के ओर मजबूती से कदम भी बढ़ा लिया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने देश के हित में जो भी फैसले लिए है, उनमें से हेल्थ सेक्टर को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का प्रयास किया गया है।        

हिमाचल: सीएम सुक्खू बोले, विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए शिक्षा प्रणाली में किए जा रहे हैं सुधार

In Education
Himachal: CM Sukhu said, reforms are being made in the education system for the overall development of students.

राज्य सरकार के प्रयासों से विद्यार्थियों में जागृत होगी देशभक्ति की भावनाः मुख्यमंत्री प्रदेश सरकार विद्यार्थियों का समग्र एवं समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। विद्यार्थियों में राष्ट्रीयता और देशभक्ति की भावना जागृत करने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी स्कूलों में राष्ट्रगान के साथ प्रातःकालीन प्रार्थना सभा आयोजित का निर्णय लिया है। इसके अतिरिक्त, सभी उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में प्रतिदिन अनिवार्य रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराने का भी निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि इस प्रकार की गतिविधियों से युवा पीढ़ी में एकता और देशभक्ति की भावना जागृत हो। इससे विद्यार्थी भविष्य में राष्ट्र के जिम्मेदार नागरिक बनेंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने कार्यभार ग्रहण करने के उपरांत शिक्षा प्रणाली में विभिन्न सुधारात्मक कदम उठाए हैं और शिक्षा प्रणाली में इन निर्णयों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। प्रदेश सरकार ने विद्यार्थियों का शारीरिक विकास सुनिश्चित करने के लिए शारीरिक शिक्षा और योग को पाठ्यक्रम में अनिवार्य विषय बनाने का निर्णय लिया है। इससे सभी स्कूलों में विद्यार्थी प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट शारीरिक व्यायाम करेंगे। इस दौरान शारीरिक शिक्षक एवं अन्य अध्यापक विद्यार्थियों को व्यायाम करवाना सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य एवं आयुष विभाग के सहयोग से विद्यार्थियों को सीपीआर एवं प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, जिससे विद्यार्थियों कोे जीवन रक्षक कौशल का ज्ञान मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुधार राज्य सरकार की समग्र शिक्षा प्रदान करने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं। प्रदेश सरकार की पहल से विद्यार्थियों को शैक्षणिक ज्ञान के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने और उनमें आदर्श नागरिक की जिम्मेदारियां पैदा करने में सहायता मिलेगी। सरकार का लक्ष्य विद्यार्थियों की दिनचर्या में इन गतिविधियों को शामिल कर उनमें राष्ट्रीयता की भावना जागृत कर अखंड भारत के निर्माण के लिए तैयार करना है।

जेम्स एंडरसन 700 विकेट लेने वाले दुनिया के पहले फास्ट बॉलर बने

In Sports
James Anderson became the world's first fast bowler to take 700 wickets.

** धर्मशाला में खेले जा रहे भारत-इंग्लैंड टेस्ट मैच में बना रिकॉर्ड ** इससे पहले दो स्पिन गेंदबाजों मुरलीधरन और शेन वार्न ने लिए हैं 700 से अधिक विकेट हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्टेडियम में खेले जा रहे भारत-इंग्लैंड टेस्ट श्रृंखला के अंतिम एवं 5वें मैच में एक नया रिकॉर्ड बना है। मैच के तीसरे दिन इंग्लैंड के फास्ट बॉलर जेम्स एंडरसन 700 विकेट लेने वाले दुनिया के पहले तेज गेंदबाज बन गए हैं। 700 विकेट लेने वाले वे इग्लैंड के भी पहले गेंदबाज हैं।    एंडरसन से पहले भी दो गेंदबाजों ने यह आंकड़ा छुआ है, लेकिन वे दोनों  स्पिनर हैं। इससे पहले श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन और आस्टे्रलिया के शेन वार्न ने क्रमश: 800 और 700 विकेट का आंकड़ा छुआ है।    बता दें कि भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज में तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन ने पहला मैच नहीं खेला था। इसके बाद के तीन मैच खेले हैं। अब धर्मशाला में चल रहे पांचवें मैच में खेल रहे हैं। दूसेर मैच में उन्होंने पांच विकेट लिए थे। तीसरे मैच में वे सिर्फ एक विकेट ले सके, जबकि रांची में खेले चौथे मैच में एंडरसन ने दो विकेट लिए थे।  

स्टीव जॉब्स से विराट कोहली तक, नीम करोली बाबा के आश्रम में सब नतमस्तक

In First Blessing
NEEM-KARORI-BABA

  नीम करोली बाबा के आश्रम में स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग को मिली आध्यात्मिक शान्ति भारत में कई ऐसे पावन तीर्थ हैं, जहां पर श्रद्धा एवं भक्ति के साथ जाने मात्र से व्यक्ति के समस्त मनोरथ पूरे हो जाते हैं। ऐसा ही एक पावन तीर्थ देवभूमि उत्तराखंड की वादियों में है, जिसे लोग 'कैंची धाम' के नाम से जानते हैं। कैंची धाम के नीब करौरी बाबा (नीम करौली) की ख्याति विश्वभर में है। नैनीताल से लगभग 65 किलोमीटर दूर कैंची धाम को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता। यहां पर हर मन्नत पूर्णतया फलदायी होती है। यही कारण है कि देश-विदेश से हज़ारों लोग यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने आते हैं। बाबा के भक्तों में एक आम आदमी से लेकर अरबपति-खरबपति तक शामिल हैं। बाबा के इस पावन धाम में होने वाले नित-नये चमत्कारों को सुनकर दुनिया के कोने-कोने से लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं। बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में बाबा नीब करौरी के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है। इनके अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी बड़ी विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं।  कुछ माह पूर्व स्टार क्रिकेटर विराट कोहली और उनकी पत्नी और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के यहां पहुंचते ही इस धाम को देखने और बाबा के दर्शन करने वालों की होड़ सी लग गई। 1964 में बाबा ने की थी आश्रम की स्थापना  नीम करोली बाबा या नीब करोली बाबा की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में की जाती है। इनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। कैंची, नैनीताल, भुवाली से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बाबा नीब करौरी ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा नीम करौरी 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया। इस धाम को कैंची मंदिर, नीम करौली धाम और नीम करौली आश्रम के नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी में बसा एक छोटा सा आश्रम है नीम करोली बाबा आश्रम। मंदिर के आंगन और चारों ओर से साफ सुथरे कमरों में रसीली हरियाली के साथ, आश्रम एक शांत और एकांत विश्राम के लिए एकदम सही जगह प्रस्तुत करता है। यहाँ कोई टेलीफोन लाइनें नहीं हैं, इसलिए किसी को बाहरी दुनिया से परेशान नहीं किया जा सकता है। श्री हनुमान जी के अवतार माने जाने वाले नीम करोरी बाबा के इस पावन धाम पर पूरे साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन हर साल 15 जून को यहां पर एक विशाल मेले व भंडारे का आयोजन होता है। यहां इस दिन इस पावन धाम में स्थापना दिवस मनाया जाता है। कई चमत्कारों के किस्से सुन खींचे आते है भक्त  मान्यता है कि बाबा नीम करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं। हालांकि वह आडंबरों से दूर रहते थे। न तो उनके माथे पर तिलक होता था और न ही गले में कंठी माला। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपना पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे श्री हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे। बाबा नीब करौरी के इस पावन धाम को लेकर तमाम तरह के चमत्कार जुड़े हैं। जनश्रुतियों के अनुसार, एक बार भंडारे के दौरान कैंची धाम में घी की कमी पड़ गई थी। बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो वह जल घी में बदल गया। ऐसे ही एक बार बाबा नीब करौरी महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुंचवाया। ऐसे न जाने कितने किस्से बाबा और उनके पावन धाम से जुड़े हुए हैं, जिन्हें सुनकर लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं। बाबा के दुनियाभर में 108 आश्रम  बाबा नीब करौरी को कैंची धाम बहुत प्रिय था। अक्सर गर्मियों में वे यहीं आकर रहते थे। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया। उस मन्दिर में हनुमान की मूर्ति के साथ-साथ अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। यहां बाबा नीब करौरी की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है। बाबा नीब करौरी महाराज के देश-दुनिया में 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम तथा अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है। स्टीव जॉब्स को आश्रम से मिला एप्पल के लोगो का आईडिया ! भारत की धरती सदा से ही अध्यात्म के खोजियों को अपनी ओर खींचती रही है। दुनिया की कई बड़ी हस्तियों में भारत भूमि पर ही अपना सच्चा आध्यात्मिक गुरु पाया है। एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स 1974 से 1976 के बीच भारत भ्रमण पर निकले। वह पर्यटन के मकसद से भारत नहीं आए थे, बल्कि आध्यात्मिक खोज में यहां आए थे। उन्हें एक सच्चे गुरु की तलाश थी।स्टीव पहले हरिद्वार पहुंचे और इसके बाद वह कैंची धाम तक पहुंच गए। यहां पहुंचकर उन्हें पता लगा कि बाबा समाधि ले चुके हैं। कहते है कि स्टीव को एप्पल के लोगो का आइडिया बाबा के आश्रम से ही मिला था। नीम करौली बाबा को कथित तौर पर सेब बहुत पसंद थे और यही वजह थी कि स्टीव ने अपनी कंपनी के लोगों के लिए कटे हुए एप्पल को चुना। हालांकि इस कहानी की सत्यता के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। जुकरबर्ग को मिली आध्यात्मिक शांति, शीर्ष पर पहुंचा फेसबुक  बाबा से जुड़ा एक किस्सा फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने 27 सितंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बताया था, तब पीएम मोदी फेसबुक के मुख्यालय में गए थे। इस दौरान जुकरबर्ग ने पीएम को भारत भ्रमण की बात बताई। उन्होंने कहा कि जब वे इस संशय में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने इन्हें भारत में नीम करोली बाबा के स्थान पर  जाने की सलाह दी थी। जुकरबर्ग ने बताया था कि वे एक महीना भारत में रहे। इस दौरान वह नीम करोली बाबा के मंदिर में भी गए थे। जुकरबर्ग आए तो यहां एक दिन के लिए थे, लेकिन मौसम खराब हो जाने के कारण वह यहां दो दिन रुके थे। जुकरबर्ग मानते हैं कि भारत में मिली अध्यात्मिक शांति के बाद उन्हें फेसबुक को नए मुकाम पर ले जाने की ऊर्जा मिली। बाबा की तस्वीर को देख जूलिया ने अपनाया हिन्दू धर्म  हॉलिवुड की मशहूर अदाकारा जूलिया रॉबर्ट्स ने 2009 में हिंदू धर्म अपना लिया था। वह फिल्म ‘ईट, प्रे, लव’ की शूटिंग के लिए भारत आईं थीं। जूलिया रॉबर्ट्स ने एक इंटरव्यू में यह खुलासा किया था कि वह नीम करौली बाबा की तस्वीर से इतना प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने हिन्दू धर्म अपनाने का फैसला कर डाला। जूलिया इन दिनों हिन्दू धर्म का पालन कर रही हैं।    

मूवी RRR के नाटू-नाटू सॉन्ग ने जीता ऑस्कर अवॉर्ड

In Entertainment
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एसएस राजामौली की चर्चित मूवी ररर के नाटू-नाटू गाने को ऑस्कर अवॉर्ड मिला है। भारत के लिए ये ऐतिहासिक पल है। फिल्ममेकर नाटू नाटू ने ओरिजनल सॉन्ग कैटेगिरी में अवॉर्ड जीता है। एमएम कीरावणी अवॉर्ड लेते हुए बेहद एक्साइटेड नजर आए। उनकी स्पीच भी चर्चा में बनी हुई है। इस जीत के बाद पूरे देश में खुशी का माहौल है। मेकर्स ने RRR मूवी के ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर जीत की खुशी जताई है। उन्होंने लिखा- 'हम धन्य हैं कि आरआरआर सॉन्ग नाटू-नाटू के साथ बेस्ट सॉन्ग कैटेगरी में भारत का पहला ऑस्कर लाने वाली पहली फीचर फिल्म है। कोई भी शब्द इस अलौकिक पल को बयां नहीं कर सकते। धन्यवाद। जय हिंद। 'वहीं 'नाटू नाटू' के ऑस्कर जीतने पर फिल्म के लीड एक्टर जूनियर एनटीआर ने भी रिएक्ट किया है। उन्होंने कहा- 'मेरे पास अपनी खुशी व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। ये सिर्फ आरआरआर की जीत नहीं है बल्कि एक देश के तौर पर भारत की जीत है। ये तो अभी शुरुआत है कि भारतीय सिनेमा कितनी दूर जा सकता है। एमएम कीरावनी और चंद्रबोस को बधाई।'

मुखालफत करने वालों पर कोई एहतिराम नहीं !...पेंशन बंद करने की तैयारी !

In News
Preparations underway to stop pension

**संशोधन कर सभी 6 पूर्व कांग्रेसी विधायकों की मौजूदा टर्म की पेंशन बंद करने की कवायद में जुटी सरकार   **बगैर पेंशन रह जायेंगे एक बार के विधायक चैतन्य और देवेंद्र भुट्टो  मुख़ालिफ़त से मिरी शख़्सियत सँवरती है मैं दुश्मनों का बड़ा एहतिराम करता हूँ 6 पूर्व कांग्रेसी विधायकों की मुखालफत के बावजूद सरकार बचाकर सीएम सुक्खू ने अपनी शख़्सियत तो संवार ली लेकिन इन नेताओं पर कोई एहतिराम करने का उनका इरादा नहीं है. तथाकथित मिशन लोटस के तहत सरकार गिराने की साजिश की जांच से तो उक्त सभी 6 और तीन पूर्व निर्दलीय विधयक गुजर ही रहे है, मगर अब सुक्खू सरकार ने कांग्रेस के 6 पूर्व विधयाकों की पेंशन बंदी की तैयारी भी कर ली है.  दरअसल, मंगलवार को सदन में विधानसभा सदस्यों के भत्ते एवं पेंशन अधिनियम 1971 में संशोधन का प्रावधान लाया गया और आज संभवतः ये पास भी हो जाएगा. 68 सदस्यों वाली हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस के 40 विधायक है, ऐसे में इस संशोधन बिल को पास करने में सत्तारूढ़ दल को कोई परेशानी नहीं होगी. फिर मंजूरी के लिए इसे राज्यपाल के पास भेजा जायेगा और उनकी मंजूरी मिलते ही ये कानून का रूप ले लेगा. अयोग्य घोषित विधायकों की पेंशन बंद करने का यह देश में ऐसा पहला कानून होगा. दरअसल, राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 6 पूर्व विधायकों ने क्रॉस वोट किया था, जिसके चलते बहुमत होने के बावजूद सत्तारूढ़ कांग्रेस के प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी चुनाव हार गए थे. सुक्खू सरकार की जमकर किरकिरी तो हुई ही थी, सरकार पर भी संकट मंडराने लगा था. क्रॉस वोट के बाद इन 6 विधायकों पर पार्टी व्हिप के उल्लंघन के आरोप भी लगे और विधानसभा अध्यक्ष ने इन्हे संविधान की अनुसूची 10 के तहत अयोग्य घोषित कर दिया. उक्त सभी 6 विधायक फिर विधिवत रूप से भाजपाई हो गए और उपचुनाव में भाजपा  का टिकट भी ले आएं. किन्तु इनमें से सिर्फ दो, सुधीर शर्मा और इंद्र दत्त लखनपाल ही वापस जीतकर विधानसभा पहुंचे. राजेंद्र राणा, रवि ठाकुर , देवन्द्र भुट्टो और चैतन्य शर्मा चुनाव हार गए. अब सुक्खू सरकार मन बना चुकी है कि विधानसभा सदस्यों के भत्ते एवं पेंशन अधिनियम में संशोधन कर इन सभी 6 विधायकों  की मौजूदा टर्म की न सिर्फ पेंशन बंद कर दी जाएँ बल्कि इन के द्वारा अब तक ली गई रकम की रिकवरी भी हो. ऐसे में 2022 में पहली बारे चुने गए चैतन्य शर्मा और देवन्द्र भुट्टों की पेंशन बंद हो जाएगी, जबकि अन्य चार पूर्व कांग्रेसी विधायकों की मौजूदा टर्म की पेंशन बंद होगी. वहीँ, तीन अन्य पूर्व निर्दलीय विधायक इसके दायरे में नहीं आएंगे.

शेख़ हसीना ने देश छोड़ा, बांग्लादेश के आर्मी चीफ़ ने अंतरिम सरकार के गठन का किया एलान

In National News
Sheikh Hasina left the country, Bangladesh Army Chief announced the formation of interim government

ढाका: बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के पद से इस्तीफे और देश छोड़ने के बाद आर्मी चीफ ने लोगों से शांति की अपील की है। बांग्लादेश के आर्मी चीफ वकार-उज-जमान ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि शेख हसीना ने पीएम पद छोड़ दिया है और देश छोड़कर चली गई हैं। ऐसे में राजनीतिक उथलपुथल को देखते हुए सभी राजनीतिक दलों से बात की गई है और अब राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन से मिलकर अंतरिम सरकार बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे। हालांकि उन्होंने बताया कि राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ उनकी बैठक में हसीना की पार्टी अवामी लीग से कोई शामिल नहीं हुआ। बैठक में जमात और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी से देश के मौजूदा हालात पर चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार सभी दलों की भागीदारी से बनेगी। बांग्लादेश सेना प्रमुख ने लोगों से शांकि अपील करते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जल्दी ही स्थिति में सुधार होगा। सेना प्रमुख वकार ने कहा कि उन्होंने सैनिकों को गोली ना चलाने का करने का निर्देश दिया है। ऐसे में लोग खुद घरों को लौटें और हिंसा बंद करें। ऐसे में स्थिति में सुधार होने पर कर्फ्यू और दूसरे प्रतिबंधों की आवश्यकता नहीं होगी। सेना प्रमुख ने विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई सभी मौतों की जांच कराए जाने का ऐलान किया है। हिंसा को रोका जाए: आर्मी चीफ जनरल वकार ने कहा कि देश में सभी तरह की हिंसा को तुरंत रोका जाए। उन्होंने छात्रों से वादा किया कि नई सरकार भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान हुई सभी मौतों के लिए न्याय सुनिश्चित करेगी। ढाका विश्वविद्यालय के कानून विभाग के प्रोफेसर आसिफ नजरूल ने एक बयान जारी कर छात्रों से विरोध प्रदर्शन बंद करने का अनुरोध करने के लिए कहा गया है।

भूकंप से अफगानिस्तान से दिल्ली तक हिली धरती, 6.1 रही तीव्रता

In International News
Earth shook from Afghanistan to Delhi due to earthquake, intensity was 6.1

** हिंदुकुश में जमीन से 220 किमी नीचे था केंद्र ** फिलहाल किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं  अफगानिस्तान के हिंदुकुश में आज दोपहर बाद 2:20 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। इसकी वजह से पाकिस्तान के इस्लामाबाद, रावलपिंडी और भारत में जम्मू-कश्मीर से दिल्ली तक धरती हिल गई।     नेशनल सेंटर फॉर सीसमोलॉजी के मुताबिक भूकंप की तीव्रता 6.1 मापी गई। इसका केंद्र हिंदुकुश में जमीन से करीब 220 किलोमीटर नीचे था। फिलहाल किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान में था। इसके झटके दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई शहरों में महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान में था। इसके झटके दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई शहरों में महसूस किए गए। दो माह पूर्व नेपाल में आया था 6.4 तीव्रता का भूकंप गत वर्ष 4 नवंबर को रात 11:32 बजे नेपाल में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 157 लोगों की मौत हुई थी। तब दिल्ली-एनसीआर के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और बिहार की राजधानी पटना में भी झटके महसूस किए गए थे। हालांकि भारत में किसी तरह के जान-माल का नुकसान नहीं हुआ था।  

शिव कुमार बटालवी : वो शायर जिसे मरने की बहुत जल्दी थी

In Kavya Rath
शिव कुमार बटालवी : वो शायर जिसे मरने की बहुत जल्दी थी

*अमृता प्रीतम ने बटालवी को कहा था 'बिरह का सुल्तान'    ' बिरहा बिरहा आखीए, बिरहा तू सुल्तान। जिस तन बिरहा ना उपजे, सो तन जाण मसान ...' प्रसिद्ध कवयित्री अमृता प्रीतम के शब्दों में वो ‘बिरह का सुल्तान’ था। पंजाब का एक ऐसा शायर जिसके जैसा न कोई था, न है और न कोई और होगा। वो हिंदुस्तान में भी खूब छाया और पाकिस्तान ने भी उसे जमकर चाहा. वो था  पंजाब का पहला सुपरस्टार शायर शिव कुमार बटालवी। वो शायर जिसने शराब में डूबकर वो रच दिया जिसे होश वाले शायद कभी न उकेर पाते। वो शायर जो मरने की बहुत जल्दी में था।       'असां तां जोबन रुत्ते मरनां, जोबन रूत्ते जो भी मरदा फूल बने या तारा, जोबन रुत्ते आशिक़ मरदे या कोई करमा वाला'.. बटालवी का  कहना था कि जवानी में जो मरता है वो या तो फूल बनता है या तारा। जवानी में या तो आशिक मरते हैं या वो जो बहुत करमों वाले होते हैं। जैसा वो कहते थे वैसा हुआ भी, महज 35 की उम्र में बटालवी दुनिया को अलविदा कह गए। पर जाने से पहले इतना खूबसूरत लिख गए कि शायरी का हर ज़िक्र उनके बगैर अधूरा है।   शिव कुमार बटालवी 23 जुलाई 1936 को पंजाब के सियालकोट में पैदा हुए, जो बंटवारे के बाद से पाकिस्तान में है। उनके पिता एक तहसीलदार थे पर न जाने कैसे शिव शायर हो गए। आजादी के बाद जब देश का बंटवारा हुआ तो बटालवी का परिवार पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत में पंजाब के गुरदासपुर जिले के बटाला में आ गया। उस वक़्त शिव कुमार बटालवी की उम्र महज़ दस साल थी।  नका कुछ बचपन और किशोरावस्था यहीं गुजरी। बटालवी ने इन दिनों में गांव की मिट्टी, खेतों की फसलों, त्योहारों और मेलों को भरपूर जिया, जो बाद में उनकी कविताओं में खुशबू बनकर महका। उन्होंने अपने नाम में भी बटालवी जोड़ा, जो बटाला गांव के प्रति उनका उन्मुक्त लगाव दर्शाता है। बटालवी  जिंदगी के सफर में  बटाला, कादियां, बैजनाथ होते हुए नाभा पहुंचे लेकिन अपने नाम में बटालवी जोड़ खुद को ताउम्र के लिए बटाला से जोड़े रखा। कुछ बड़े होने के बाद उन्हें गांव से बाहर पढ़ने भेजा गया। वो खुद तो गांव से आ गए मगर उनका दिल गांव की मिटटी पर ही अटका रहा। कहते है उनका गांव छूट जाना उन पर पहला प्रहार था, जिसका गहरा जख्म उन्हें सदैव पीड़ा देता रहा।     गांव से निकलकर आगे की पढ़ाई के लिए शिव कादियां के एस. एन. कॉलेज के कला विभाग गए। पर दूसरे साल ही उन्होंने उसे बीच में छोड़ दिया। उसके बाद उन्हें हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ के एक स्कूल में इंजीनियरिंग की पढ़ाई हेतु भेजा गया। पर पिछली बार की तरह ही उन्होंने उसे भी बीच में छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने नाभा के सरकारी कॉलेज में अध्ययन किया। उनका बार-बार बीच में ही अभ्यास छोड़ देना, उनके भीतर पल रही अराजकता और अनिश्चितता का बीजारोपण था। पिता शिव को कुछ बनता हुआ देखना चाहते थे। जो पिता शिव के लिए चाहते थे वो शिव ने अपने लिए कभी नहीं चाहा, इसीलिए पिता - पुत्र में कभी नहीं बनी।    बटालवी की छोटी सी जीवन यात्रा तमाम उतार चढ़ाव समेटे हुए है, किसी खूबसूरत चलचित्र की तरह जिसमें स्टारडम है, विरह का तड़का है और जिसका अंत तमाम वेदना समेटे हुए है। शिव कुमार बटालवी के गीतों में ‘बिरह की पीड़ा’ इस कदर थी कि उस दौर की प्रसिद्ध कवयित्री अमृता प्रीतम ने उन्हें ‘बिरह का सुल्तान’ नाम दे दिया। शिव कुमार बटालवी यानी पंजाब का वह शायर जिसके गीत हिंदी में न आकर भी वह बहुत लोकप्रिय हो गया। कहते है उन्हें मेले में एक लड़की से मोहब्बत हो गयी थी। मेले के बाद जब लड़की नज़रों से ओझल हुई तो उसे ढूंढने के लिए एक गीत लिख डाला। गीत क्या मानो इश्तहार लिखा हो; ‘इक कुड़ी जिहदा नाम मुहब्बत ग़ुम है’ ओ साद मुरादी, सोहनी फब्बत गुम है, गुम है, गुम है ओ सूरत ओस दी, परियां वर्गी सीरत दी ओ मरियम लगदी हस्ती है तां फूल झडदे ने तुरदी है तां ग़ज़ल है लगदी... ये वहीँ गीत है जो फिल्म उड़ता पंजाब में इस्तेमाल हुआ और इस नए दौर में भी युवाओं की जुबा पर इस कदर चढ़ा कि मानो हर कोई बटालवी की  महबूबा को ढूंढ़ते के लिए गा रहा हो। कहते है बटालवी का ये लड़कपन का प्यार अधूरा रहा क्यों कि एक बीमारी के चलते उस लड़की की मौत हो गयी। खैर ज़िंदगी बढ़ने का नाम है सो बटालवी भी अवसाद से निकलकर आगे बढ़ने लगे। फिर एक लड़की मिली और फिर शिव को उनसे मोहब्बत हो गई। पर इस मर्तबा भी अंजाम विरह ही था। दरअसल, जिसे शिव दिल ओ जान से मोहब्बत करते थे उसने किसी और का घर बसाया और शादी करके विदेश चली गयी। एक बार फिर शिव तनहा हुए और विरह के समुन्दर में गोते खाने लगे।  तब शराब और अवसाद में डूबे शिव ने जो लिखा वो कालजयी हो गया ........... माए नी माए मैं इक शिकरा यार बनाया चूरी कुट्टाँ ताँ ओह खाओंदा नाहीं वे असाँ दिल दा मास खवाया इक उड़ारी ऐसी मारी इक उड़ारी ऐसी मारी ओह मुड़ वतनीं ना आया, ओ माये नी! मैं इक शिकरा यार बना शिकरा पक्षी दूर से अपने शिकार को देखकर सीधे उसका मांस नोंच कर फिर उड़ जाता है। शिव ने अपनी उस बेवफा प्रेमिका को शिकरा कहा। हालांकि वो लड़की कौन थी इसे लेकर तरह तरह की बातें प्रचलित है । पर  इसके बारे में आधिकारिक रुप से आज तक कोई जानकारी नहीं है और ना वो ख़ुद ही कभी लोगों के सामने आई। शिव की उस बेवफा प्रेमिका के बारे में एक किस्सा अमृता प्रीतम ने भी बयां किया है।   शिव एक दिन अमृता प्रीतम के घर पहुंचे और उन्हें बताया कि जो लड़की उनसे इतनी प्यार भरी बातें किया करती थी वो उन्हें छोड़कर चली गयी है। उसने विदेश जाकर शादी कर ली है। अमृता प्रीतम ने उन्हें जिंदगी की हकीकत और फ़साने का अंतर समझाने का प्रत्यन किया पर शिव का मासूम  दिल टूट चूका था। कहते है शिव उसके बाद ताउम्र उसी लड़की के ग़म में लिखते रहे। सिर्फ 24 साल की उम्र में शिव कुमार बटालवी की कविताओं का पहला संकलन "पीड़ां दा परागा" प्रकाशित हुआ, जो उन दिनों काफी चर्चित रहा। उसी दौर में शिव ने लिखा ........ अज्ज दिन चढ़ेया तेरे रंग वरगा तेरे चुम्मण पिछली संग वरगा है किरणा दे विच नशा जिहा किसे चिम्मे सप्प दे दंग वरगा      आखिरकार, 1967 में बटालवी ने अरुणा से शादी कर ली और उनके साथ दो बेटियां हुई। शिव शादी के बाद चंडीगढ़ चले गये। वहां वे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में कार्यरत रहे। पर कहते है बटालवी उस लड़की को नहीं भूल नहीं सके और उसकी याद में लिखते गए।   की पुछ दे ओ हाल फ़कीरां दा साडा नदियों बिछड़े नीरां दा साडा हंज दी जूने आयां दा साडा दिल जलया दिलगीरां दा धीरे-धीरे, बटालवी शराब की दुसाध्य लत के चलते 7 मई 1973 को लीवर सिरोसिस के परिणामस्वरूप जग को अलविदा कह गए। कहते है कि जीवन के अंतिम दौर में उनकी माली हालत भी ठीक नहीं थी और अपने ससुर के घर उन्होंने अंतिम सांस ली। पर बटालवी जैसे शायर तो पुरानी शराब की तरह होते है, दौर भले बदले  पर नशा वक्त के साथ गाढ़ा होता जाता है। ‘लूणा’ के लिए मिला साहित्य अकादमी पुरस्कार : ऐसा नहीं है कि शिव कुमार बटालवी सिर्फ विरह के शायर थे। बटालवी का नाम साहित्य के गलियारों में बड़े अदब के साथ लिया जाता है। ऐसा हो भी क्यों ना  इस दुनिया को अलविदा कहने  से पहले वे  ‘लूणा’ जैसा महाकाव्य लिख गए। इसी के लिए उन्हें सबसे कम उम्र में यानी महज 31 वर्ष की उम्र में साहित्य अकादमी पुरूस्कार भी मिला। ये सम्मान प्राप्त करने वाले वे सबसे कम उम्र के साहित्यकार है। ‘लूणा’ को पंजाबी साहित्य में ‘मास्टरपीस’ का दर्ज़ा प्राप्त है और साहित्य जगत में इसकी आभा बरक़रार है। कहा जाता था कि कविता हिंदी में है और शायरी उर्दू में। पर शिव ने जब पंजाबी में अपनी जादूगरी दिखाई तो उस दौर के तमाम हिंदी और उर्दू के बड़े बड़े शायर कवि हैरान रह गए।   नायाब गायकों ने गाये बटालवी के गीत : बटालवी की नज्मों को सबसे पहले नुसरत फतेह अली खान ने अपनी आवाज दी थी। उस्ताद नुसरत फ़तेह अली खान ने उनकी कविता 'मायें नी मायें मेरे गीतां दे नैणां विच' को गाया था । जगजीत सिंह ने उनका एक गीत 'मैंनू तेरा शबाब ले बैठा' गाया तो दुनिया को पता चला की शब्दों की जादूगरी क्या होती है। नुसरत साहब और जगजीत सिंह - चित्रा सिंह के अलावा रबी शेरगिल, हंस राज हंस, दीदार सिंह परदेसी सहित एक से बढ़कर एक नायाब गायकों ने बटालवी की कविताएं गाई। उनकी लिखी रचनाओं को गाकर न जाने कितने गायक शौहरत पा गए। बटालवी आज भी हर दिल अजीज है। बटालवी और विरह जुदा नहीं । बटालवी तो आखिर बटालवी है।

धर्मशाला: अब विदेशों में भी मिलेंगे नगरोटा के युवाओं को रोजगार के अवसर : आरएस बाली

In Job
Dharamshala: Now the youth of Nagrota will get employment opportunities in foreign countries also: RS Bali

29 व 30 जनवरी को होगा रोजगार मेले का आयोजन दुबई के लिए 100 से ज्यादा सिक्योरिटी गार्ड के लिए होगा साक्षात्कार होटल प्रबंधन में शेफ, कैटरिंग, हाउस कीपर, सर्विस-स्टाफ के लिए इंटरव्यू पर्यटन निगम के अध्यक्ष कैबिनेट रैंक आरएस बाली ने कहा कि अब विदेशों में भी नगरोटा के युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस बाबत दुबई की कुछ कंपनियों के साथ हिमाचल सरकार ने करार किया है। उन्होंने कहा कि नगरोटा के आईपीएच के विश्राम गृह में 29 तथा 30 जनवरी को नगरोटा विस क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार मेला आयोजित किया जाएगा, इसमें दुबई की विभिन्न कंपनियों के लिए 100 से ज्यादा सिक्योरिटी गार्ड के पदों के लिए भर्ती की जाएगी। इसके साथ ही होटल प्रबंधन में शैफ, कैटरिंग, हाउस कीपर, सर्विस स्टाफ के पदों के लिए भी भर्ती की जाएगी।           आरएस बाली ने कहा कि युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि चुनावों से पहले रोजगार संघर्ष यात्रा भी नगरोटा बगबां से ही आरंभ की गई थी। उन्होंने कहा कि नगरोटा विस क्षेत्र में वर्ष में दो बार रोजगार मेले आयोजित किए जाएंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को घर द्वार पर रोजगार के अवसर मिल सकें। पर्यटन निगम के अध्यक्ष आरएस बाली ने कहा कि नगरोटा विस क्षेत्र में विकास पुरूष स्व जीएस बाली के जन्म दिन पर जुलाई माह में पहला दो दिवसीय रोजगार मेला आयोजित किया गया था जिसमें आयोजित रोजगार मेले के पहले दिन 670 युवाओं को नामी गिरामी कंपनियों में रोजगार के लिए चयनित किया गया। दूसरे दिन रोजगार मेले में 450 युवाओं का चयन किया था।      रोजगार मेले के समन्वयक अमित कुमार ने बताया कि पर्यटन निगम के अध्यक्ष कैबिनेट रैंक आरएस बाली तथा सरकार के अथक प्रयासों से दुबई की कंपनियों के साथ रोजगार के लिए करार किया गया है उसी के आधार पर 29 तथा 30 जनवरी को नगरोटा में दुबई की विभिन्न कंपनियों के लिए सिक्योरिटी गार्ड्स के लिए इंटरव्यू लिए जाएंगे इसमें 24 से 35 आयु वर्ग के युवा भाग ले सकते हैं, दस जमा दो उत्तीर्ण होना जरूरी है। न्यूनतम उंचाई पांच फुट सात इंच तथा वजन साठ किलो होना चाहिए। इस के लिए सैलरी 50 हजार से लेकर 70 हजार प्रतिमाह होगी तथा सिलेक्टिड अभ्यर्थियों को 15 दिन बिलासपुर तथा 15 दिन बाराणसी में प्रशिक्षण दिया जाएगा इसके साथ ही स्किल डिवल्पमेंट के तहत वीजा तथा हवाई टिकट भी सरकार की ओर से वहन किया जाएगा। इसके साथ ही होटल प्रबंधन में भी विभिन्न पदों के लिए साक्षात्कार लिए जाएंगे।

शिमला:जवाहर बाल मंच के स्टेट चीफ कॉडिनेटर बने महेश सिंह ठाकुर

In Banka Himachal
शिमला:जवाहर बाल मंच के स्टेट चीफ कॉडिनेटर बने महेश सिंह ठाकुर

हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस के महासचिव एवं सिस्को संस्था के अध्यक्ष महेश सिंह ठाकुर को जवाहर बाल मंच का राज्य मुख्य संयोजक नियुक्त किया गया है। चीफ स्टेट कॉडिनेटर बनाए जाने पर महेश सिंह ठाकुर ने कांग्रेस अध्यक्ष  मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी,प्रदेश के सीएम सुखविन्दर सिंह सूक्खु , राष्ट्रीय प्रभारी केसी वेणुगोपाल,जवाहर बाल मंच के राष्टीय अध्यक्ष जी.वी. हरि. सहित अन्य नेताओं के प्रति आभार जताया है।  महेश ठाकुर ने कहा कि जवाहर बाल मंच का मुख्य उद्देश्य 7 वर्षों से लेकर 17 वर्ष के आयु के लड़के लड़कियां तक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के विचार को पहुंचना।  उन्होंने कहा कि जिस तरीके से मौजूदा सरकार के द्वारा देश के इतिहास के साथ छेड़छाड़ हो रहा है देश के युवाओं को भटकाया जा रहा है जो की देश के लिए एक बहुत बड़ा चिन्ता का विषय है कांग्रेस पार्टी ने इस विषय को गंभीरता से लिया और राहुल गांधी के निर्देश पर डॉ जीवी हरी के अध्यक्षता में देशभर में जवाहर बाल मंच के द्वारा युवाओं के बीच में नेहरू जी के विचारों को पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा वर्ष 2024 के चुनाव में कांग्रेस भारी बहुमत हासिल कर केंद्र से भाजपा को हटाने का काम करेगी। इसमें हिमाचल प्रदेश राज्य की भी प्रमुख भुमिका रहेगी।  उन्होंने कहा कि पूरे देश में महंगाई के कारण आमलोगों का जीना मुश्किल हो गया है। गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार पर इस महंगाई का व्यापक असर पड़ रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।  

राम लहर के सहारे चुनावी भवसागर पार करने की कवायद

In Loksabha Chunav 2024
BJP-MOVING-ON-WITH-RAM-MANDIR-ACHEIVEMENT

  2024 के चुनावी भवसागर को पार करने के लिए भाजपा राम नाम की नौका पर सवार दिख रही है। भाजपा के सियासी उदय में राम नाम सदा साहरा रहा है। राम नाम लेकर ही भारतीय जनता पार्टी फर्श से अर्श तक पहुंच गई। 1984 में भाजपा ने अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था और महज 2 सीटों पर सिमट गई थी। वहीँ भाजपा आज देश की 300 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर राज करती है। अब लोकसभा चुनाव दस्तक दे चुके है और इस बीच अयोध्या में श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठता के चलते देश में राम लहर चली है और माहिर मान रहे है  भाजपा को इसका सियासी लाभ होना तय है।      यूँ तो भाजपा 1986 में लालकृष्ण आडवाणी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से ही हिन्दुत्त्व और राममंदिर के मुद्दे पर आक्रमक हो गई थी लेकिन औपचारिक तौर पर पार्टी ने राममंदिर बनाने का संकल्प लिया 1989 में हुई पालमपुर की राष्ट्रीय कार्यसमिति बैठक में। इन 35 सालों में भगवा दल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सर्वविदित है कि भारतीय जनता पार्टी के अतीत का संघर्ष लंबा है, जिसमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जनसंघ से लेकर अटल बिहारी वाजपाई और लालकृष्ण आडवाणी का संघर्ष रहा है। शून्य से शिखर तक पहुंचने वाली भाजपा का सियासी सफर काफी कठिनाइयों वाला रहा है, लेकिन हर बार भाजपा के लिए राम नाम एक सहारा बना है।          जाहिर है मौजूदा वक्त में भी राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठता आयोजन ने देश का सियासी माहौल भी प्रभावित किया है। देश राम रंग में सराबोर हैं और राजनैतिक चश्मे से देखे तो भाजपा भी इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। दरअसल, ये गलत भी नहीं है क्यों कि राजनैतिक फ्रंट पर राम मंदिर निर्माण के संघर्ष की अगुआई भी भाजपा ने ही की है, सो श्रेय लेना राजनैतिक लिहाज से गलत भी नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा 'हिंदू नवजागरण काल' को एक बड़े मुद्दे के रूप में पेश करेगी और राम मंदिर इसका प्रतीक बनेगा। अब इसका कितना लाभ चुनाव में भाजपा को मिलेगा ये तो नतीजे तय करेंगे, पर निसंदेह राम मंदिर के जरिये बीजेपी ने देश के 80 प्रतिशत मतदाताओं को प्रभावित जरूर किया है।   दो वादे पुरे, समान नागरिक सहिंता शेष भाजपा के तीन बड़े लक्ष्य रहे है, धारा 370  हटाना, राम मंदिर बनाना और समान नागरिक सहिंता लागू करना। ये कहना गलत नहीं होगा कि इन्हीं तीन वादों की बिसात पर भाजपा का काडर मजबूत हुआ। पार्टी ने हमेशा  इन तीन विषयों पर खुलकर अपना पक्ष भी रखा और अपना वादा भी दोहराया। इनमें से भाजपा दो वादे पुरे कर चुकी है, कश्मीर से धारा 370  हटाई जा चुकी है और अब राम मंदिर का निर्माण भी हो गया है। अब सिर्फ समान नागरिक सहिंता लागू करने का भाजपा का वादा अधूरा है और पार्टी इसे लागू करने की प्रतिबद्धता दोहरा रही है।   400 सीट जीतने का लक्ष्य  भाजपा को उम्मीद है कि राम लहर के बीच वो आगामी चुनाव में 400 सीट का लक्ष्य हासिल करेगी। पार्टी राम मंदिर के अलावा लाभार्थी वोट और महिला आरक्षण की बिसात पर ऐतिहासिक बहुमत हासिल करना चाहती है। हालहीं में हिंदी पट्टी के तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा को हिंदुत्व एजेंडा का लाभ मिला है जिसके बाद पार्टी का जोश हाई है।    

क्या नालागढ़ में भी गगरेट की परिपाटी पर चलेगी कांग्रेस ?

In Siyasatnama
Will Congress follow the tradition of Gagret in Nalagarh also?

** क्या लखविंदर की होगी घर वापसी ? **या हारे हुए बावा पर फिर दांव खेलेगी कांग्रेस ..... जो गगरेट में हुआ क्या वो नालागढ़ में भी होगा ? क्या कालिया की तरह ही लखविंदर की भी होगी घर वापसी ? क्या गगरेट की रणनीति पर नालागढ़ में सियासी व्यूह रचेगी कांग्रेस ? ये तमाम सवाल उठना लाज़मी है क्योंकि अब नालागढ़ में उपचुनाव होने वाला है। जो निर्दलीय थे उनकी घर वापसी हो गई है और जो भाजपाई है उनकी घर वापसी हो सकती है और जो अब अपने घर में बैठे है उनका क्या होगा कोई पता नहीं ..बस कुछ इसी तरह घूम रही है नालागढ़ की सियासत।  हाल ही में 6 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में से 4 सीटें कांग्रेस ने जीती है और राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि कांग्रेस की इस जीत का बड़ा कारण सही टिकट आवंटन रहा है। गहन चिंतन-मंथन के बाद कांग्रेस ने प्रत्याशियों कि घोषणा की थी। बागियों के भाजपा में जाने से कई भाजपाई ऐसे थे जो कांग्रेस में आना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस ने टिकट दिया केवल 2 सीटों पर, सुजानपुर और गगरेट। अब सुजानपुर में जो भाजपा से कांग्रेस में आए वो कभी कांग्रेसी थे ही नहीं, लेकिन राकेश कालिया की तो घर वापसी हुई है। राकेश कालिया तो पहले भी कांग्रेस से विधायक रहे है। वैसे गगरेट में कांग्रेस के पास कोई मजबूत चेहरा भी नहीं था तो कालिया की घर वापसी कांग्रेस के मुनाफ़े का सौदा ही रही।   अब नालागढ़ में भी समीकरण कुछ ऐसे ही बनते दिख रहे है। निर्दलीय केएल ठाकुर की 15 महीने बाद ही घर वापसी हो गई है और  2022 में कांग्रेस से भाजपा में गए लखविंदर राणा भी अब घर वापसी की उम्मीद में ही होंगे। राणा तो अपना दर्द खुले मंच से  बयान भी कर चुके है कि अगर दल न बदला होता तो आज विधायक भी होते और सरकार में अहम पद भी मिलता। अब लखविंदर की घर वापसी होती है या नहीं ये तो वही जाने मगर कांग्रेस इस बारे सोच विचार ज़रूर कर सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि लखविंदर पहले भी 2 दफा नालागढ़ सीट कांग्रेस की झोली में डाल चुके है।  2011 के उपचुनाव और 2017 के आम चुनावो में लखविंदर कांग्रेस पार्टी की टिकट पर चुनाव जीते थे। जबकि पिछली दफा कांग्रेस के प्रत्याशी रहे हरदीप सिंह बावा 2 चुनाव हार चुके है 2017 में एक बार निर्दलीय और 2022 में दूसरी दफा कांग्रेस टिकट पर भी बावा को हार ही नसीब हुई है।    अब हारे हुए मोहरों पर कांग्रेस फिर दांव खेलेगी ऐसा तो मुश्किल ही लगता है। अब नज़रे टिकी है लखविंदर राणा पर। लखविंदर अगर घर वापसी करते है और पार्टी उन्हें टिकट देती है तो नालागढ़ का ये चुनाव बेहद रोचक होना तय मानिए..ठीक उसी तरह जिस तरह गगरेट में चुनाव ग्रेट बना था।

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