छाप तिलक सब छीनी : अमीर खुसरो
अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो, खड़ी बोली हिंदी के वो पहले कवि जिन्होंने अपनी लेखनी से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया । वे दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख कवि, शायर, गायक और संगीतकार थे, जिनके लिखे सूफियाना दोहे आज तक गुनगुनाए जाते है । अमीर खुसरो प्रथम मुस्लिम कवि थे जिन्होंने हिंदी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है I
"छाप तिलक सब छीनी" उनकी सबसे प्रसिद्द कविताओं में से एक कविता है जो ब्रजभाषा में लिखी गई थी। इसे अक्सर क़व्वाली की तरह गाया जाता है। भारतीय उपमहाद्वीप के मशहूर गायकों ने ये गाना गाया जैसे नुसरत फ़तेह अली ख़ान, फ़रीद अयाज़, नाहीद अख़्तर, मेहनाज़ बेग़म, आबिदा परवीन इक़बाल हुसैन ख़ान, उस्ताद विलायत ख़ान, उस्तान शुजात ख़ान, ज़िला ख़ान, हदीक़ा कियानी और उस्ताद राहत फ़तेह अली खान।
छाप तिलक सब छीनी रे, मोसे नैना मिलाइके
प्रेम भटी का मदवा पिलाइके
मतवारी कर लीन्ही रे, मोसे नैना मिलाइके
गोरी गोरी बइयां, हरी हरी चूड़ियां
बईयां पकड़ धर लीन्ही रे, मोसे नैना मिलाइके
बल बल जाऊं मैं तोरे रंग रेजवा
अपनी सी रंग दीन्ही रे, मोसे नैना मिलाइके
ख़ुसरो निजाम के बल-बल जाए
मोहे सुहागन कीन्ही रे, मोसे नैना मिलाइके
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके