मिजोरम एक ऐसा राज्य था जहां आज़ादी के 78 साल बाद भी कोई ट्रेन जाती नहीं थी। मिजोरम के लिए यह बहुत ही ऐतिहासिक मौका है कि आज़ादी के इतने साल के बाद मिजोरम की राजधानी आइजोल रेलवे नक्शे पर आएगी। यहां रेलवे लाइन बिछा दी गईं हैं। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 सितंबर 2025 को बैराबी–सैरांग रेलवे लाइन का उद्घाटन करेंगे। इसे नॉर्थ ईस्ट के सामाजिक और आर्थिक विकास में मील का पत्थर बताया जा रहा है। इस परियोजना के बाद पूर्वोत्तर के अब 4 राजधानियां– अगरतला (त्रिपुरा), ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश), दिसपुर (असम) और अब आइजोल (मिजोरम) सीधे रेलवे से जुड़ चुकी हैं। रेलवे के अनुसार इस लाइन पर कोलकाता, अगरतला और दिल्ली के लिए ट्रेनें चलेंगी जिससे मिजोरम रेलवे लाइन द्वारा दूसरे राज्यों से जुड़ जायेंगें। बैराबी–सैरांग रेलवे लाइन की खासियत यह है कि इसकी कुल लंबाई 51.38 किमी , 4 स्टेशन, ट्रैक स्पीड 110 किमी प्रति घंटा, 48 सुरंग (कुल लंबाई 12.8 किमी) और यह सबसे ऊंचे ब्रिज पर बना है जिसकी ऊंचाई 104 मीटर है। परियोजना का खांका 26 साल पहले तैयार उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय बताते हैं कि इस परियोजना का खांका 26 साल पहले 1999 में तैयार हो गया था। पर घने जंगलों, दुर्गम पहाड़ों और लगातार भारी बारिश की वजह से शुरुआती सर्वे बेहद चैलेंजिंग रहा। इतनी अवधि में बहुत बार सर्वे रिपोर्ट बदली गई। पर 2008–09 में इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिल पाया जिसका शिलान्यास 2014 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया गया। सफर होगा आसान और सस्ता पहले बैराबी से आइजोल जाने में लगभग 5–6 घंटे लग जाते थे। पर अब 1–1.5 घंटे में ही यह सफर कर पायेगें। इससे आवाजाही सुगम और सस्ता हो पायेगा। यहां के लोग देश के दूसरे हिस्सों से सीधा जुड़ पायेंगें। रेलवे के अनुसार, यहां से दिल्ली, कोलकाता और अगरतला तक सीधी ट्रेनें चलाई जाएंगी। पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा रेलवे की योजना इस रूट में विस्टाडोम ट्रेनें चलाई जाने की है जिससे यात्री रास्ते में मिजोरम की प्राकृतिक सुंदरता का लुफ्त उठा पाएं। यहां रेइक हिल्स, तामदिल झील, वंतावंग झरना, फावंगपुई नेशनल पार्क और डम्पा टाइगर रिजर्व आदि का इस रुट से आनंद ले सकेंगें। इससे पर्यटन को और अधिक बढ़ावा मिलेगा, जिससे यहां के स्थानीय लोगों की आय बढ़ेगी।
बिहार में महागठबंधन द्वारा वोटर अधिकार यात्रा निकाली जा रही है और आज इस यात्रा को 12 दिन हो चुके हैं। राहुल गांधी ने तेजस्वी यादव और पप्पू यादव संग आज सुबह सुबह सीतामढ़ी के जानकी मंदिर पहुंचकर माता सीता की पूजा की। उनकी जानकी मंदिर में दर्शन की इच्छा इससे पहले ही थी लेकिन प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से तब अनुमति नहीं दी थी। बाद में रूट तय न हो जाने पर दर्शन की अनुमति दे दी गई। प्रियंका गांधी भी इस मंदिर में दर्शन करना चाहती थीं पर रूट तय न होने की वजह से वे दिल्ली वापस लौट चुकी हैं। जानकी मंदिर में दर्शन और पूजा करने के बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि वोटर अधिकार यात्रा को लोग शानदार समर्थन दे रहे हैं। उन्होंने कहा की यह एक ऐतिहासिक यात्रा है। उन्होंने कामना किया की कि बिहार का विकास हो। उन्होंने कहा कि मां बिहार को लूटने वालों को सबक सिखाएंगी। बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने कहा, “माता रानी की कृपा सभी पर बनी रहे। हम यहां लोककल्याण मांगने आए हैं। देश और बिहार राज्य की तरक्की हो”। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, "आने वाले दिनों में हम आपको बिना किसी संदेह के साबित कर देंगे कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह और मुख्य चुनाव आयुक्त वोट चुरा रहे हैं। हम आपको अगले छह महीनों में बताएंगे कि उन्होंने लोकसभा और विधानसभा में चोरी का एक मॉडल विकसित किया है, जिसे उन्होंने गुजरात मॉडल का नाम दिया है। बिहार के युवा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिखाएंगे कि कैसे 'वोट चोरी' को खत्म किया जाएगा।" वोटर अधिकार यात्रा 17 अगस्त को सासाराम से आरम्भ हुआ था। इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव सहित महागठबंधन के दूसरे नेता भी साथ हैं। बुधवार को राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा मुजफ्फरपुर से सीतामढ़ी पहुंची। बिहार की सियासी जंग को जितने के लिए हर पार्टी जोर शोर से कोशिश में लगी है। ऐसे में मां सीता के जन्म स्थान सीतामढ़ी इन दिनों राजनीतिक चर्चा का केंद्र बना हुआ है। जहां हिन्दुओं को साधने के लिए जहां अमित शाह और नीतीश कुमार ने पुनौरा धाम में मां सीता मंदिर की आधारशिला रखी थी, वहीं 'वोट अधिकार यात्रा' जब सीतामढ़ी पहुंची तो राहुल गांधी और तेजस्वी यादव इस मंदिर में माथा टेका है। इस तरह यह कयास लगाए जा रहे हैं कि हर नेता मां सीता के हवाले से अपनी अपनी सियासी समीकरण साधने में लगा हुए हैं।
क्रिकेट के गलियारों में कई दिनों से मोहम्मद शमी के रिटायरमेंट को लेकर काफी चर्चाएं हो रहीं थीं। हाल ही में शमी से उनके संन्यास को लेकर सवाल पूछे गए। उन्होंने बताया है कि अभी सन्यास लेने का उनका कोई इरादा नहीं है। मोहम्मद शमी ने न्यूज 24 से रिटायरमेंट के सवाल पर कहा कि, “ अगर किसी को कोई परेशानी है तो मुझे बताए, अगर ऐसा लगता है कि मेरे रिटायरमेंट लेने से उनकी ज़िंदगी बेहतर हो जाएगी, तो बताओ। मैं किसकी ज़िंदगी में पत्थर बन गया हूं जो तुम चाहते हो कि मैं रिटायर हो जाऊं? जिस दिन मैं बोर हो जाऊँगा, मैं खेल छोड़ दूंगा। आप मुझे मत चुनिए, लेकिन मैं कड़ी मेहनत करता रहूँगा। आप मुझे इंटरनेशनल क्रिकेट में मत चुनिए, मैं घरेलू क्रिकेट खेलूँगा। मैं कहीं न कहीं खेलता रहूँगा। रिटायर होने के फ़ैसले आपको तब लेने पड़ते हैं जब आप बोर होने लगते हैं। अभी मेरे लिए वो समय नहीं है।" उनका सपना वर्ल्ड कप को जीतना शमी ने आगे कहा,"मेरा बस एक ही सपना बचा है, वो है वनडे वर्ल्ड कप जीतना। मैं उस टीम का हिस्सा बनना चाहता हूं और ऐसा प्रदर्शन करना चाहता हूं जो वनडे वर्ल्ड कप जीतकर घर ले आए। 2023 में हम बहुत करीब थे। हमें एक आभास था, लेकिन हमें एक डर भी था कि हम लगातार जीत रहे हैं, और वो नॉकआउट स्टेज था। थोड़ा डर तो था लेकिन फैंस के उत्साह और विश्वास ने हमें प्रेरित किया। ये एक ऐसा सपना था जो पूरा हो सकता था, लेकिन शायद मेरी किस्मत में नहीं थी।" आपको बता दें कि इस साल मार्च में हुई चैंपियंस ट्रॉफी में भारत की जीत में मोहम्मद शमी का अहम योगदान था, वह 9 विकेट के साथ टूर्नामेंट में संयुक्त रूप से सबसे अधिक विकेट लेने वाले दूसरे गेंदबाज बने थे। इसके बाद उन्होंने इंडिया के लिए कोई भी मैच नहीं खेला। हालांकि हाल में हुए एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के लिए टीम इंडिया में मोहम्मद शमी को नजरअंदाज कर दिया गया और IPL 2025 में सनराइजर्स हैदराबाद से लिए खेलते हुए उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं था। इसके साथ ही 2023 वर्ल्ड कप में लगी चोट कि वजह से शमी लंबे समय टीम से बाहर थे। अटकलें ये भी लगाई जा रहीं हैं कि 34 साल की उम्र में एक तेज़ गेंदबाज़ के रूप में वापसी करना मोहम्मद शमी के लिए आसान तो नहीं है।
गणेश चतुर्थी हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है जो चतुर्थी भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर, अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है। यह पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों, दुकानों आदि में गणपति जी (बप्पा) की प्रतिमा स्थापित करते हैं और उनकी पूजा अर्चना करते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा का विसर्जन कर दिया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार 10 दिनों तक पूजा करना सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी 27 अगस्त से शुरू हो चुका है और 6 सितंबर को समाप्त हो जायेगा। यह उत्सव 10 दिनों तक ही क्यों मनाया जाता है गणेश चतुर्थी पर्व 10 दिनों तक चलता है और इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जो महाभारत से जुड़ी है। इसके अनुसार, वेदव्यास जी ने जब भगवान गणेश से महाभारत ग्रंथ लिखने का आग्रह किया तो गणेश जी ने एक शर्त रखी कि वे इसे लिखने के दौरान एक बार भी नहीं रुकेंगे। यदि रुके, तब वे लिखना बंद कर देंगे। वेदव्यास सहमत हो गए और गणेश जी लगातार बिना रुके 10 दिनों तक महाभारत लिखते रहे। तभी से गणेश चतुर्थी उत्सव को 10 दिनों तक मनाए जानें की परंपरा बनीं हुई है। विसर्जन का संदेश गणपति जी की प्रतिमा का विसर्जन जीवन की नश्वरता और प्रकृति से एकात्मता का संदेश देता है। मिट्टी की बनी गणेश मूर्ति का जल में विलीन हो जाना यह दिखाता है कि सभी लोग प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं और एक दिन वापस प्रकृति में ही विलीन हो जाना है। यह भाव लोगों को विनम्र बनाता है और अहंकार से परे होकर जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पंडोह से औट बीते तीन दिनों से बंद है। हालांकि, सोमवार को यह NH थोड़े समय के लिए खुला था और उस समय यहां से वाहनों की आवाजाही भी हुई थी। लेकिन तेज़ बारिश के चलते यह राजमार्ग फिर से अवरुद्ध हो गया। बहुत से माल ढोने वाले वाहन तभी से अब तक यहां फंसे पड़े हैं। NH को सबसे अधिक क्षति दवाड़ा में लारजी पावर हाउस के नज़दीक हुआ है। इस जगह पर ब्यास नदी का पानी हाईवे पर आ गया जिसकी वजह से NH काफी क्षतिग्रस्त हो चुका है। वाहन चालक सड़क बंद होने से परेशान चंडीगढ़-मनाली NH के बंद होने के चलते सैकड़ों मालवाहक गाड़ियां यहां फंसे पड़े हैं। इनमें बहुत सी गाड़ियां ऐसी हैं जो पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की मंडियों से फल, सब्जियां तथा जरूरत की दूसरी चीजें कुल्लू-मनाली और लाहौल स्पीति की ओर ले जा रहे थे। पर तीन दिनों से NH बंद होने की वजह से जो फल-सब्जियां गाड़ियों में लदीं हैं वो अब सड़ने लगी हैं। वाहन चालक दवलेंद्र सेन ने कहा कि, "जालंधर से गाड़ी में सब्जी भरी है। कुल्लू के लिए जा रहे हैं। 72 घंटे से फंसे हुए हैं। गाड़ी में भिंडी, गाजर, पपीता, नींबू, घिया समेत कई सब्जियां हैं। अब सब्जियां खराब होने लगी हैं। मंडी जाकर अब सिर्फ गाड़ी खाली होगी, कोई भाड़ा नहीं मिलेगा। यह सोचकर काफी चिंता सताने लगी है"। दूसरे वाहन चालक गुरविंदर सिंह ने कहा कि वे गाड़ी में सेब भरकर लाये हैं। इतने दिन हो गए अब सेब खराब हो रहे हैं। रोड बंद हुए करीब 72 घंटे हो गए हैं। पहले इतने घंटे कभी भी नहीं फंसे रहे, 2 घंटे तक मार्ग बाधित रहता था, फिर यातायात बहाल कर दिया जाता था। वहीं, चालक राज सिंह ने बताया कि वे जालंधर से सब्जी भर के आए हैं। गाड़ी में कुल्लू के लिए सब्जी भरी हुई है। रास्ते की इतनी ज्यादा दिक्कत है कि बता नहीं सकते। पहले इतनी दिक्कत कभी नहीं हुई। यहां फंसे हुए आज 2-3 दिन हो गए हैं। गाड़ी में लोड सब्जियां भी खराब होने लगी हैं। अब उन्हें यह चिंता सता रही है कि भाड़ा कहां से और कैसे देंगे। क्यों कि सब्जियां खराब हो जाएंगी तो भाड़ा भी नहीं मिलेगा। हाईवे को जल्द बहाल की मांग प्रशासन की तरफ से भोजन की व्यवस्था तो हो रही है, लेकिन जो सामान गाड़ियों में लोड है वो खराब हो गया है। इसके चलते वाहन चालकों को इसका भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। उनका कहना है कि उन्हें भाड़ा भी नहीं मिलेगा। चालकों ने कहा कि यहां पहले कभी NH की ऐसी स्थिति नहीं हुई। उन्होंने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि हाईवे को जल्द से जल्द खोला जाना चाहिए। NH को खोलने का कार्य जारी मंडी जिला प्रशासन का कहना है कि, NH को बहाल करने का कार्य तेज़ी से किया जा रहा है। NHAI और PWD की मशीनरी इसमें लगी हुई है। कोशिश है कि इसे जल्द से जल्द बहाल करके आवाजाही को सुचारू किया जाए। वहीं, मंडी से कुल्लू वाया कटौला मार्ग को बहाल करने का कार्य भी जारी है।
माता वैष्णो देवी कटरा और जम्मू में तेज़ बारिश और भूस्खलन के चलते बीते कुछ दिनों से रेल सेवा बाधित हो गई थी। इसमें हजारों यात्री फंस गए थे। लेकिन इसी बीच अब एक राहत की खबर सामने आई है। रेलवे ने हालात में सुधार होने के चलते कई ट्रेनों को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है। 6 ट्रेनें फिर से शुरू होंगीं उत्तर रेलवे के CPRO हिमांशु शेखर के मुताबिक, रेल के पटरियों पर पानी और मलबा आ जाने की वजह से कई ट्रेनों को रद्द किया गया था, लेकिन अब यात्रियों की सुविधा के लिए 6 मुख्य ट्रेनों को उनके मूल स्टेशन जम्मूतवी से फिर से शुरू किया गया है। ये 6 ट्रेनें हैं जम्मूतवी-कामाख्या एक्सप्रेस (15656) ट्रेन 27 अगस्त को जम्मूतवी से रवाना होगी। स्वराज एक्सप्रेस (12472 ) ट्रेन जम्मूतवी से बांद्रा टर्मिनस तक और मालवा एक्सप्रेस (12920) ट्रेन अब जम्मूतवी से डॉ. अंबेडकर नगर तक पूरी तरह चलेगी। वहीं जम्मूतवी-संबलपुर जंक्शन एक्सप्रेस (18102 ) ट्रेन अब अमृतसर के बदले जम्मूतवी से और जम्मूतवी-वाराणसी एक्सप्रेस (12238) ट्रेन जालंधर कैंट की जगह जम्मूतवी से चलेगी। आपको बता दें कि अब जम्मूतवी-छपरा विशेष (05194) ट्रेन भी जम्मूतवी से शुरू की जाएगी । यात्रियों के लिए हुआ खास इंतज़ाम रेलवे द्वारा कटरा स्टेशन पर फंसे यात्रियों के लिए खाने-पीने और रहने की भी व्यवस्था की गई है। इसके अलावा यात्रियों की सहायता के लिए एक हेल्पडेस्क की व्यवस्था भी की गई है। रेलवे ने कहा है कि टिकट रद्द कराने पर कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। यात्रियों से अपील की गई है कि वे यात्रा आरम्भ करने से पहले NTES ऐप या भारतीय रेलवे की वेबसाइट पर ट्रेनों की स्थिति अवश्य देख लें।
दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) से संन्यास ले लिया है। उन्होंने आज बुधवार को ट्वीट के जरिये इसकी घोषणा की। अश्विन ने अपने IPL करियर की शुरुआत CSK से ही की थी। आपको बता दें कि वे पिछले सीजन में 5 बार की चैंपियन चेन्नई सुपर किंग्स की टीम का हिस्सा रह चुके हैं। वह IPL 2025 में CSK में शामिल थे पर वे ज्यादा मैच नहीं खेल पाए थे। अश्विन ने अंतिम मैच 20 मई को खेला था। CSK ने अश्विन को मेगा ऑक्शन में 9.75 करोड़ रुपये में खरीदा था। वैसे अश्विन IPL में CSK के अलावा पंजाब किंग्स, राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स, दिल्ली कैपिटल्स और राजस्थान रॉयल्स की टीम का भी हिस्सा रहे हैं और साथ ही वह पंजाब टीम के कप्तान भी रह चुके हैं। अश्विन ने अपने ट्वीट में लिखा अश्विन ने अपने ट्वीट में लिखा है कि 'आज एक खास दिन है और इसलिए एक खास शुरुआत भी। कहा जाता है कि हर अंत एक नई शुरुआत लेकर आता है। मेरा समय बतौर आईपीएल क्रिकेटर आज समाप्त हो रहा है, लेकिन दुनिया भर की अलग-अलग लीगों में खेल के नए अनुभवों का मेरा सफर आज से शुरू हो रहा है। मैं सभी फ्रेंचाइजियों का धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने मुझे बेहतरीन यादें और रिश्ते दिए। सबसे अहम तौर पर मैं IPL और BCCI का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने अब तक मुझे इतना कुछ दिया। आगे आने वाले समय का पूरा आनंद लेने और उसका सबसे अच्छा उपयोग करने के लिए उत्साहित हूं।' अश्विन के नाम 187 IPL विकेट अश्विन IPL में 221 मैच खेल चुके हैं जिनके नाम 187 विकेट (इकोनॉमी रेट 7.29) और 833 रन (स्ट्राइक रेट 118) दर्ज हैं। वहीं पिछले सीजन में वे CSK के लिए 9 मैच खेले थे। इंटरनेशनल क्रिकेट को कहा था अलविदा अश्विन ने पिछले साल दिसंबर में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT) के दौरान इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा बोल दिया था। उन्होंने 14-18 दिसंबर तक खेले गए गाबा टेस्ट के बाद सन्यास लेने का ऐलान कर दिया था। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कहा था कि आज भारतीय टीम के क्रिकेटर के तौर पर मेरा अंतिम दिन था। मैं क्लब क्रिकेट खेलता रहूंगा। अश्विन ने क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट को मिलाकर 287 मैच खेले और 765 विकेट लिए हैं। अश्विन देश के दूसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। सिर्फ अनिल कुंबले ही उनसे आगे हैं, जिन्होंने 953 विकेट लिए हैं।
सरकारी नौकरी की तैयारी में जुटे लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने CBI में कई पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन निकाला है जिसमें असिस्टेंट पब्लिक प्रॉसिक्यूटर, पब्लिक प्रॉसिक्यूटर और लेक्चरर जैसे पद शामिल हैं। इसमें ख़ास बात यह है कि इन नौकरियों के लिए कोई लिखित परीक्षा नहीं ली जाएगी बल्कि सिर्फ साक्षात्कार के आधार पर सेलेक्शन किये जायेंगें। इस पोस्ट पर आवेदन करने की अधिकतम उम्र 45 साल है। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा CBI और कॉलेजों में 84 पदों पर भर्ती निकाली गई है। जो उम्मीदवार इस पद पर नौकरी के लिए इच्छुक हैं वो इस वेबसाइट (upsconline.nic.in) पर जाकर आवेदन दे सकते हैं। कुल 84 पदों पर होगी भर्ती असिस्टेंट पब्लिक प्रासीक्यूटर-19, सरकारी वकील- 25, लेक्चरर (वनस्पति विज्ञान)-8 , लेक्चरर (रसायन विज्ञान)- 8, लेक्चरर (अर्थशास्त्र)-2, लेक्चरर (इतिहास)- 3, लेक्चरर (गृह विज्ञान)-1, लेक्चरर (भौतिकी)-6, लेक्चरर (मनोविज्ञान)-1, लेक्चरर (समाजशास्त्र)-3, लेक्चरर (प्राणीशास्त्र)-8 आवेदन के लिए योग्यता इन पदों पर अप्लाई के लिए लॉ की डिग्री और पोस्टग्रेजुएशन के साथ B.Ed होना चाहिए। प्रासीक्यूटर के लिए लॉ की डिग्री और लेक्चरर के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ B.Ed की डिग्री चाहिए। आवेदन शुल्क इन पदों पर अप्लाई करने के लिए फीस काफी कम रखा गया है। General, OBC, EWS पुरुषों को सिर्फ 25 रूपए देने होंगे जबकि SC / ST / PwD / महिलाओं को कोई भी शुल्क नहीं देना पड़ेगा। सेलेक्शन का आधार बिना कोई लिखित परीक्षा, सिर्फ साक्षात्कार (इंटरव्यू) के आधार पर सेलेक्शन होगा। उम्र सीमा अधिकतम उम्र 45 वर्ष रखी गई है, वहीं आरक्षित वर्ग को सरकार के नियमानुसार छूट मिलेगी। सैलरी करीब 44,900 – 1,77,500 रूपए सैलरी रहेगी। यहां आवेदन दें आधिकारिक वेबसाइट upsconline.gov.in विजिट करें। इसके बाद Online Recruitment Application पर जाएं। अब जिस भी पद के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उस पर Apply Now करें। जो नए हैं उन्हें पहले Registration करना होता है उसके बाद फिर लॉगिन करके फॉर्म भरना होता है। जिनको शुल्क जमा करना है तो पहले शुल्क जमा करदें और फिर फॉर्म को सबमिट कर दें। अंत में कन्फर्मेशन पेज डाउनलोड कर इसे save या प्रिंट कर लें। इसका नोटिफिकेशन यहां चेक करें https://upsc.gov.in/sites/default/files/AdvtNo-12-2025-Engl-220825.pdf
इस साल गणेश चतुर्थी आज बुधवार, 27 अगस्त को मनाई जा रही है। इस दिन लोग अपने घरों में गणपत्ति बप्पा लायेंगें और उनकी उपासना करेंगें। यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है और यह 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर, 2025 तक रहेगा। गणेश चतुर्थी 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे शुरू और 27 अगस्त को दोपहर 3:44 बजे समाप्त हो जाएगी। पंचांग के मुताबिक, गणेश जी की पूजा के लिए शुभ समय आज सुबह 11:05 बजे से लेकर दोपहर 1:40 बजे तक है। चंद्रमा के दर्शन क्यों हैं वर्जित गणेश चतुर्थी के दिन चांद देखना बिलकुल मना है। आपको बता दें कि ऐसा पौराणिक कथाओं में बताया गया है। एक बार चंद्रमा ने भगवान गणेश के पेट और सूंड का मजाक उड़ाया था, जिसकी वजह से भगवान गणेश को गुस्सा आया और चंद्र देव को श्राप दिया कि जो कोई भी गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा को देखेगा, उसे मिथ्या दोष (झूठा आरोप) का सामना करना पड़ेगा और साथ ही कलंकित भी होना पड़ेगा। लोक कथाओं के मुताबिक, यह प्रथा को भगवान कृष्ण से भी जुड़ी हुई है, जिन पर मणि चोरी करने का गलत आरोप लगा था। नारद मुनि ने कहा था कि कृष्ण जी ने गलती से गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा को देख लिया था। इसके बाद उन पर यह झूठा आरोप लग गया था। इसलिए झूठे आरोपों से बचने के लिए लोग इस दिन चंद्रमा को देखने से बचते हैं। कब ना देखें चंद्रमा 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे से रात 8:29 बजे तक और 27 अगस्त को सुबह 9:28 बजे से रात 8:57 बजे तक चंद्रमा को ना देखें। इस समय के दौरान चंद्रमा को देखने से बचना चाहिए। चतुर्थी पर चंद्रमा को देख लेने पर ये करें उपाय अगर अनजाने में चंद्रमा को देख भी लिया, तो लोक कथाओं के अनुसार पारंपरिक उपाय के तौर पर यदि स्यमंतक मणि की कहानी सुन लिया जाए या पढ़ लिया जाए तो इसके गलत प्रभाव से बचा जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से यह ऐलान किया था कि देश में GST को और सरल और बेहतर बनाया जायेगा जिसके लिए इसमें बड़े सुधार किए जाएंगे। इसी कड़ी में सरकार अब GST की नई दरों को लागू करने की तैयारी में जुटी है। सरकार का इरादा है कि कपड़े और खाने-पीने की चीजों के लिए GST 5% स्लैब में लाया जाय। 12% और 28% स्लैब समाप्त करने की तैयारी आपको बता दें कि दिल्ली में 20 और 21 अगस्त को हुई मंत्रियों की एक बैठक में केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गयी है। इसके तहत 12% और 28% वाले स्लैब समाप्त कर दिए जाएंगे। GST को अब 5% और 18% की दो दरों में लाने की योजना है। कपड़ा, फूड और सीमेंट पर राहत कपड़े और फूड को 5% स्लैब में लाने की तयारी की जा रही है। वहीं सीमेंट पर GST 28% से घटाकर 18% करने का प्रस्ताव है। कुछ सामान्य सेवाओं की दरें भी 18% से कम करके 5% होने की उम्मीद है। अभी कितना GST? बिना ब्रांड वाली मिठाइयों पर 5%, वहीं ब्रांडेड और पैकेज्ड मिठाइयों पर 18% टैक्स है। जबकि 1000 रुपये तक के कपड़ों पर 5% और 1000 रुपये से ज्यादा के कपड़ों पर 12% GST है। कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पर 18% GST है। सितंबर के शुरू में फैसला GST में सुधार का अंतिम फैसला 3-4 सितंबर 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में होने वाली GST काउंसिल की बैठक में लिया जा सकता है। इससे पहले 2 सितंबर को दिल्ली में इस पर अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया जाना है। हालांकि, वित्त मंत्रालय के अनुसार, GST में इस सुधार से केंद्र और राज्यों की आय पर बहुत असर पड़ सकता है। GST सचिवालय के अधिकारियों के रिपोर्ट के अनुसार, इस बदलाव से करीब 40,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने की आशंका है। त्योहार से पहले यह तोहफा जानकारी के अनुसार, सरकार चाहती है कि ये GST की नई दरें दशहरा और दिवाली से पहले ही लागू हो। अगर ये लागू होते हैं, तो आम लोगों और व्यवसाय करने वालों के लिए यह एक बड़ा तोहफा होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर यह कहा था कि सरकार का इरादा है कि आम आदमी पर जो टैक्स का बोझ है उसे कम किया जाए।
SSC छात्रों ने फिर एक बार से दिल्ली के रामलीला मैदान में SSC की परीक्षा में गड़बड़ियों के खिलाफ प्रदर्शन किया है। अनुमति का समय समाप्त होने के बाद भी प्रोटेस्टर डटे रहे। दिल्ली पुलिस के अनुसार, प्रदर्शन के लिए सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक की परमिशन थी। पुलिस द्वारा 40 लोगों को हिरासत में लिया गया है। आपको बता दें कि शाम 5 बजे के बाद भी करीब 300 प्रोटेस्टर इस मैदान में प्रोटेस्ट पर बैठे थे। पुलिस ने बार-बार प्रदर्शनकारियों से अपील की कि प्रोटेस्ट करने की समय सीमा ख़त्म हो गई है और वे मैदान छोड़ दें। उन्हें यह भी जानकारी दी गई कि सेक्शन 163 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) लागू है और निर्धारित समय के बाद कोई भी जमावड़ा गैरकानूनी होगा। लेकिन पुलिस के समझाने के बाद भी 100 प्रदर्शनकारी हटने को तैयार नहीं हुए। इसकी वजह करीब 40 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया। जानकारी के अनुसार, पुलिस की प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प भी हुई, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी और प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं। वहीं पुलिस के अनुसार, उन्होंने प्रदर्शनकारीयों पर कोई लाठीचार्ज नहीं की। निर्धारित समय के बाद जमावड़ा गैरकानूनी DCP (सेंट्रल) निधिन वल्सन ने कहा कि SSC परीक्षा से संबंधित मामलों पर बीते रविवार को रामलीला मैदान पर प्रोटेस्ट हुआ था। लगभग 1500 SSC अभ्यर्थियों ने इसमें भाग लिया था। सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक प्रोटेस्ट करने की अनुमति थी। निर्धारित समय के बाद भी करीब 300 प्रदर्शनकारी वहां बैठे रहे। प्रोटेस्ट करने वालों को यह बताया गया था कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 लागू है, इसीलिए तय समय के बाद कोई सभा या जमावड़ा गैरकानूनी होगा। आपको बता दें कि SSC की परीक्षा कंप्यूटर आधारित परीक्षा (CBT) के माध्यम से हुई थी। लेकिन अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा में प्रशासनिक खामियों, तकनीकी गड़बड़ियों और परीक्षा केंद्रों की खराब स्थिति को लेकर सवाल उठाए। कैंडिडेट्स ने इस बात से भी अपनी नाराजगी जताई कि छात्रों का जो एग्जाम सेंटर है वो काफी दूर दिया गया है। इसकी वजह से परीक्षा केंद्र पर छात्रों को एक दो दिन पहले ही आना पड़ता है। लेकिन इन परेशानियों के बावजूद जब छात्र वहां पहुंचते हैं तो अंतिम समय पर परीक्षा को रद्द कर दिया जाता है।
इस वर्ष गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को मनाई जाएगी। वहीं अनंत चतुर्दशी वाले दिन गणेश जी का विसर्जन होगा। यह पर्व पूरे भारत वर्ष में बड़े ही उत्साह और धूम धाम से मनाया जाता है। आपको बता दें कि भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश जी का जन्म हुआ था। इसीलिए भगवान गणेश के जन्म दिन को ही गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी को एक उत्सव के रूप में 10 दिनों तक मनाया जाता है जो गणेश चतुर्थी से प्रारम्भ होकर अनंत चतुर्दशी के दिन ख़त्म होता है। इस चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा पुरे विधि-विधान से की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था। इसीलिए मध्याह्न काल को भगवान गणेश की पूजा के लिए उत्तम समय माना जाता है। इस दौरान लोग अपने घरों, दुकानों और मंदिरों में बप्पा को (गणपति जी कि प्रतिमा) अपने घर लाते हैं और 10 दिनों तक इनकी पूजा करते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा को विदा कर देते हैं। स्थापना शुभ मुहूर्त ज्योतिषियों के अनुसार भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना के लिए 27 अगस्त को सुबह 11:05 am से लेकर दोपहर 1:40 pm तक का शुभ मुहूर्त रहेगा। पूजा का शुभ मुहूर्त 27 अगस्त को सुबह 11:05 am से लेकर दोपहर 1:40 pm तक का शुभ मुहूर्त रहेगा। इस बार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की शुरुआत 26 अगस्त को दोपहर 1:54 pm पर और इसका समापन 27 अगस्त की दोपहर 3:44 pm पर हो रहा है। इसीलिए इस बार गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को मनाई जाएगी। 27 अगस्त को सूर्योदय से पहले स्नान करके गणेश जी का व्रत रखें । चतुर्थी पर कई दुर्लभ संयोग इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर प्रीति, सर्वार्थ सिद्धि और रवि के साथ इंद्र-ब्रह्म योग का संयोग भी बना रहेगा। वहीं कर्क में बुध और शुक्र के होने से लक्ष्मी नारायण योग भी रहेगा और साथ ही बुधवार का महासंयोग तिथि की महत्ता को भी कई गुना बढ़ा रहा है। पूजा विधि सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करके पूजा स्थल की साफ सफाई करलें। उसके बाद गणेश जी की विधि विधान के साथ पूजा करें। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त के समय ईशान कोण में चौकी को स्थापित करके पीला या लाल रंग का कपड़ा चौकी पर बिछा दें और फिर भगवान गणेश को चौकी पर स्थापित कर दें। अब रोज गणेश जी की उपासना करें। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश को विदा कर दें। गणेश चतुर्थी भोग लड्डू और मोदक - पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि गणेश जी को लड्डू और मोदक बहुत ही पसंद होते हैं। इसीलिए आप बेसन या बूंदी से बने लड्डू या मोदक का भी भोग लगा सकते हैं। गणेश चतुर्थी का महत्व गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से घर परिवार में सुख-समृद्धि आती है और सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। ऐसी मान्यता है कि गणेश जी हमारे सभी विघ्नों को हर लेते हैं और इस तरह सभी बिगड़े काम भी बनने लगते हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को CIC (केंद्रीय सूचना आयुक्त) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक की डिग्री की जानकारी पब्लिक करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय की याचिका स्वीकार कर CIC के निर्देश को पलटते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्रेजुएशन डिग्री का विवरण पब्लिक करने की जरुरत नहीं है। अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्रेजुएशन की डिग्री का विवरण सार्वजनिक करने के लिए बाध्य नहीं है। वर्ष 2016 में, CIC ने 1978 में BA का एग्जाम पास करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड की जांच के आदेश दिए थे। ऐसा कहा जाता है कि उस दौरान PM नरेंद्र मोदी ने भी यह एग्जाम पास किया था। उस वक्त दिल्ली विश्वविद्यालय ने CIC के इस निर्देश को चुनौती दी थी, जिस पर रोक लगा दी गई थी। सुनवाई के दौरान, DU की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपने तर्क में कहा कि CIC के आदेश को खारिज कर दिया जाना चाहिए क्योंकि व्यक्ति के 'निजता का अधिकार' 'जानने के अधिकार' से ज़्यादा जरुरी है। दिल्ली विश्वविद्यालय ने तर्क दिया यूनिवर्सिटी ने अपने तर्क में कहा कि वह छात्रों की जानकारी को वह नैतिक दायित्व के अनुसार सुरक्षित रखता है और अगर जो जनहित में नहीं है, 'केवल जिज्ञासा' के आधार पर, RTI कानून के तहत निजी जानकारी मांगने का औचित्य नहीं बनता। यूनिवर्सिटी ने तर्क दिया, "धारा 6 में यह अनिवार्य प्रावधान है कि जानकारी देनी होगी, यही मकसद है, लेकिन आरटीआई अधिनियम किसी की जिज्ञासा को शांत करने के लिए नहीं है." DU कोर्ट के सामने PM मोदी की डिग्री प्रस्तुत करने को तैयार है हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय ने कोर्ट को बताया कि वह PM मोदी के डिग्री रिकॉर्ड कोर्ट के सामने प्रस्तुत करने के लिए तैयार है, पर RTI अधिनियम के तहत 'अजनबियों द्वारा जांच' के लिए उन्हें सार्वजानिक नहीं किया जा सकता है। जस्टिस सचिन दत्ता ने दिल्ली विश्वविद्यालय की अपील स्वीकार कर CIC के आदेश को रद्द कर दिया। विपक्षी दल प्रधानमंत्री मोदी की शैक्षिक डिग्रियों की प्रामाणिकता पर सवाल उठा रहे हैं, जबकि विश्वविद्यालयों ने सार्वजनिक रूप से उनकी वैधता की पुष्टि की है।
Dream11: एशिया कप 2025 होने में अब ज्यादा समय नहीं रह गया है, लेकिन इससे पहले ही टीम इंडिया से जुड़ी एक बड़ी खबर सुनने को मिल रही है। BCCI और Dream11 ने ऑनलाइन गेमिंग के प्रचार और विनियमन विधेयक, 2025 पारित होने के बाद Dream11 ने बड़ा फैसला लिया है। आपको बता दें कि Dream11 ने टीम इंडिया के स्पॉन्सरशिप से अपना नाम वापस ले लिया है और BCCI के साथ अपना करार बीच में ही खत्म कर दिया। इस वजह से Dream11 का नाम टीम इंडिया की टाइटस स्पॉन्सर से हटने वाला है। BCCI सचिव देवजीत सैकिया ने दिया बड़ा बयान BCCI सचिव देवजीत सैकिया ने ANI के हवाले से बताया कि BCCI यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में वह ऐसे किसी भी कंपनी के साथ कोई संबंध न रखे। ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और रेगुलेशन बिल, 2025 के पारित होने के बाद, BCCI और Dream11 अपने संबंध ख़त्म कर रहे हैं। 358 करोड़ की डील थी Dream11 के साथ Dream11 ने BCCI के साथ 2023 - 2026 तक के लिए 358 करोड़ रूपये की डील की थी। नए ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 पास होने के बाद Dream11 ने BCCI को सुचना दे दी है कि अब वह इंडियन टीम को स्पॉन्सर नहीं करेगा। नए गेमिंग बिल 2025 आने के बाद Dream11 ने दिया बड़ा बयान इस मामले पर Dream11 के अधिकारी ने हाल के एक बयान में कहा कि हम हमेशा कानून का पालन करते आये हैं और कानून के अनुसार ही अपना व्यवसाय किया है। इस नए ऑनलाइन गेमिंग के प्रचार और विनियमन विधेयक 2025 का भी पूरी तरह से पालन करेंगे। Dream11 को जुर्माना भरना होगा ? अचरज की बात यह है कि बीसीसीआई ड्रीम-11 को किसी भी तरह का आर्थिक दंड नहीं दे सकता। इसकी मुख्य वजह यह है कि अनुबंध का एक विशेष क्लॉज है जिसके अनुसार, यदि सरकार कोई कानून अचानक लाती है और किसी कंपनी के मुख्य कारोबार को यह कानून प्रभावित करता है तो वह कंपनी किसी पेनल्टी देने के लिए ज़िम्मेदार नहीं होती। एशिया कप से पहले मिलेगा स्पॉन्सर? यह जाहिर है कि Dream11 के साथ रिश्ते खत्म होने के बाद BCCI की आय पर असर पड़ेगा। लेकिन इससे भी बड़ी चुनौती BCCI के सामने टीम इंडिया की टाइटल स्पॉन्सर पर नया चेहरा खोजना है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि कौन-सी कंपनी टाइटल स्पॉन्सर का चेहरा बनकर करोड़ों दर्शकों तक पहुंचने का यह सुनहरा अवसर हासिल करती है। विशेषज्ञ का मानना है कि अब ये अवसर देश के बड़े कॉरपोरेट घरानों और फिनटेक कंपनियों जैसे टाटा, रिलायंस, अदाणी, जीरोधा (Zerodha) और ग्रो (Groww) जैसी कंपनियां इस जगह में अपना स्थान ले सकती है। हालांकि,अंतिम निर्णय BCCI को समय की कमी के कारण जल्द लेना होगा । यह भी पढ़ें ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 चर्चा में क्यों, जानें किस गेम्स पर लगा बैन, यूजर्स के पैसे होंगें वापस ?
Hartalika Teej 2025: इस वर्ष हरतालिका तीज 26 अगस्त को मनाया जायेगा। वैसे पुरे वर्ष में तीन तरह के तीज मनाये जाते हैं, जिसमें सावन में हरियाली तीज और मानसून में कजरी तीज व हरतालिका। हरतालिका तीज हिंदू सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। सामान्यतः हरतालिका तीज अगस्त और सितंबर महीने में पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि मां पार्वती ने भी भगवान शंकर को पाने के लिए यह व्रत रखा था। इस त्योहार के दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, वैवाहिक जीवन की समृद्धि और खुशहाली के लिए निर्जला व्रत रख कर बड़ी श्रद्धा से देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। व्रत के दौरान रात भर जागकर भजन-कीर्तन करती हैं। अगले दिन व्रत रखने वाली महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं। हरतालिका तीज की कथा इस कथा के अनुसार, माता पार्वती ने शैलपुत्री के रूप में अवतार लिया और युवा होने पर उन्होंने अपने पिता से शिव से विवाह करने की बात की लेकन उनके पिता नहीं माने। तब पार्वती ने भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन गंगा की रेत और गाद से शिवलिंग बनाकर शिव की तपस्या करनी शुरू कर दी। इससे भगवान शिव प्रभावित होकर मां पार्वती को विवाह का वचन दिया। मां पार्वती और भगवान शिव का विवाह हो गया। तभी से उस दिन को हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाने लगा। Hartalika Teej 2025: शुभ मुहूर्त हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त 25 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगी और 26 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 54 मिनट पर इसका समापन होगा । Hartalika Teej 2025: पूजन मुहूर्त हरतालिका तीज की पूजा सुबह किया जाता है। इसीलिए पूजा करने की शुभ मुहूर्त 26 अगस्त सुबह 5 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगा और सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर इसका समापन होगा। Hartalika Teej 2025: पूजन विधि हरतालिका तीज पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन महिलाओं लो 16 श्रृंगार करना चाहिए। पूजा स्थल को फल-फूलों से सजाएं। एक चौकी लें और उस पर शिव, पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर दें। उनके आगे एक दीपक जलाएं। इसके बाद सुहाग की सारी वस्तुएं रखकर माता पार्वती को दान करें। उन्हें फल, फूल और मिठाई का भोग लगा कर उनकी पूजा करें। इसके बाद तीज की कथा सुनें और गरीबों में अपने अनुसार कुछ दान जरूर करें। रात में जागकर भगवान शिव और माता पार्वती का भजन-कीर्तन करें। सुबह फिर से नहा धोकर भोग लगाकर पूजा अर्चना करने के बाद अपना व्रत खोलें।
शुक्रवार को अखंडता और नैतिक आचरण के उच्चतम मानकों के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड को इसके कॉर्पोरेट कार्यालय, ऋषिकेश और एनसीआर कार्यालय, कौशाम्बी के लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) द्वारा आईएस/आईएसओ 37001:2016 के तहत प्रतिष्ठित रिश्वत-रोधी प्रबंधन प्रणाली (एबीएमएस) प्रमाणन प्रदान किया गया है। टीएचडीसीआईएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, आर. के. विश्नोई ने इस उल्लेखनीय उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि एबीएमएस प्रमाणन टीएचडीसीआईएल के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो हितधारकों के बीच विश्वास बढ़ाता है, कंपनी की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को मजबूत करता है और आज के चुनौतीपूर्ण व्यावसायिक वातावरण में अधिक पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धात्मकता सुनिश्चित करता है। विश्नोई ने इस बात पर बल दिया कि यह मान्यता न केवल हितधारकों का विश्वास बढ़ाएगी, बल्कि पारदर्शिता और कॉर्पोरेट जिम्मेदारी में बेंचमार्क स्थापित करेगी, जिससे टीएचडीसीआईएल की विकास यात्रा राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ संरेखित रहेगी। मुख्य सतर्कता अधिकारी, रश्मिता झा (आईआरएस) ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह प्रमाणन टीएचडीसीआईएल की अखंडता, पारदर्शिता और सतत विकास के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है, जो कॉर्पोरेट नैतिकता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए इसकी दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराता है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि संगठन की नैतिकता और पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्धता को और मजबूत बनाती है, जिससे टीएचडीसीआईएल की विश्वसनीयता और भरोसेमंदता में वृद्धि होती है। 18 अगस्त, 2025 को एनसीआर कार्यालय, कौशाम्बी में आयोजित एक विशेष समारोह में बीआईएस अधिकारियों द्वारा टीएचडीसीआईएल की मुख्य सतर्कता अधिकारी, रश्मिता झा (आईआरएस) को यह प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। इस अवसर पर कार्यपालक निदेशक, नीरज वर्मा, उप सीवीओ/ महाप्रबंधक (सतर्कता), सतीश कुमार आर्य और टीएचडीसीआईएल के वरिष्ठ सतर्कता अधिकारी उपस्थित थे। इसके पश्चात आज यह प्रमाण पत्र टीएचडीसीआईएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, आर. के. विश्नोई को कॉर्पोरेट कार्यालय, ऋषिकेश में सतीश कुमार आर्य, उप सीवीओ/ महाप्रबंधक (सतर्कता) द्वारा एस. एस. पंवार, मुख्य महाप्रबंधक (ओएमएस) साथ ही सतर्कता एवं ओएमएस विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति में औपचारिक रूप से प्रदान किया गया। एबीएमएस प्रमाणन (आईएस/आईएसओ 37001:2016) एक वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त मानक है जो संगठनों को रिश्वतखोरी की घटनाओं को रोकने, पता लगाने और उन पर कार्रवाई करने के लिए सक्षम बनाता है, जिससे नैतिक शासन को मजबूत किया जा सकता है। टीएचडीसीआईएल के लिए यह उपलब्धि एक मान्यता से अधिक है - यह सभी स्तरों पर विश्वास और जवाबदेही बनाने की दिशा में अगला कदम है। यह प्रमाणन टीएचडीसीआईएल को विद्युत क्षेत्र में एक विशिष्ट संगठन के रूप में स्थापित करता है, जो नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं को प्राथमिकता देने वाले ग्राहकों और भागीदारों को आकर्षित करता है। यह आज के परिवेश में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जहां भ्रष्टाचार-विरोधी नियम लगातार कड़े होते जा रहे हैं। टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड की इक्विटी में एनटीपीसी लिमिटेड और उत्तर प्रदेश सरकार की हिस्सेदारी है |
Real Money Gaming पर बैन Dream11, Pokerbazi, Zupee तथा MPL हुआ बंद, जानें यूजर्स के पैसों का होगा क्या ? Online Gaming Bill 2025: दोनों सदनों से पास हो चुका Online Gaming Bill 2025 इन दिनों चर्चा में बना है। सरकार का इस बिल को लाने का उद्देश्य ऑनलाइन गेम्स को लेकर एक लीगल फ्रेमवर्क तैयार कर ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री को रेगुलराइज करना है। आपको बता दें कि ऑनलाइन गेम्स को तीन कैटेगरी- ई-स्पोर्ट्स, सोशल गेम्स और रियल मनी गेम्स में रखा गया है। इस बिल के जरिए रियल मनी गेम्स को बैन कर दिया जायेगा। इस नए नियम से Esports और Social Gaming पर कोई असर नहीं होगा। इस बिल को लाने का उद्देश्य ये बिल का उद्देश्य ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेम्स को प्रमोट करना है, वहीं उन सभी गेम्स पर रोक लगाना है, जिनमें सीधे तौर पर पैसों को लगाया जाता है। रियल मनी गेम्स वो गेम्स होते हैं जिसमें पैसा लगाकर और ज्यादा पैसे जीतने का लालच दिया जाता है। इसी वजह से रियल मनी गेम्स पर रोक लगाया जायेगा। इसके जरिये नियामक निरीक्षण और डेवलपर सपोर्ट के लिए एक सेंट्रल ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी बनाई जाएगी। इसके साथ ही इसके तहत एडिक्शन, फाइनेंशियल फ्रॉड, मनी लॉन्ड्रिंग तथा टेरर फंडिंग जैसी समस्यायों का भी ध्यान रखा जायेगा। Real Money Gaming को बैन करने की वजह सरकार का मानना है कि यह फैसला जनहित में लिया गया है। उनका कहना है कि Real-Money Games से आर्थिक नुकसान, मानसिक तनाव और एडिक्शन जैसी समस्याएं बढ़ रही थीं । इसके साथ ही इससे मनी लॉन्ड्रिंग और इलिगल फंडिंग का भी खतरा उत्पन्न हो रहा था। इस पर IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि इससे सुसाइड के मामलें बढ़ रहे हैं और और इससे सबसे ज्यादा नुकसान मध्यम वर्ग के लोगों को हो रहा है। Online Gaming Bill 2025 के लागू होते ही, तीन हिस्सों में बांटा जाएगा ऑनलाइन गेम्स को 1 ) पहली कैटेगरी में होगी- ई-सपोर्ट्स- जिसमें कंपटीटिव,स्किल बेस्ड और टीम के साथ खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम्स को शामिल किया जायेगा। 2 ) दूसरी कैटेगरी होगी- ऑनलाइन सोशल गेम्स की, जिसमें कैजुअल, कम्युनिटी बेस्ड और एजुकेशनल गेम्स होंगे। 3 ) जबकि तीसरी कैटेगरी होगी- रियल मनी गेम्स की जिसमें वित्तीय जोखिम वाले और आदत लगाने वाले गेम्स होंगे। इस कैटेगरी गेम्स को बैन कर दिया जायेगा। Dream11, Pokerbazi, Zupee तथा MPL बंद, जानें यूजर्स के पैसों का होगा क्या ? ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025: इस बिल के पास होते ही Real-Money Gaming इंडस्ट्री में एक डैम हड़कंप सा मच गया है। अब एक एक करके सभी बड़े गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म्स (Real Money Gaming ऐप्स) ने अपने प्लेटफॉर्म से उन गेम्स को बंद करने शुरू कर दिए हैं जो सट्टा और जुआ की कैटिगरी में आते हैं। इस बिल में निर्देश है कि अब किसी भी Real-Money Game, उसके प्रोमोशन और ट्रांजैक्शन की अनुमति नहीं होगी। नियम तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। Dream11, Pokerbazi और MPL आदि प्लेटफॉर्म्स ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि इस नए बिल के आने पर वे अपने इस बिजनेस को बंद कर दिया है। इन कंपनियों ने यूजर्स को विश्वास दिलाया है कि जितने भी यूजर्स ने पैसे लगाए हैं, उनके पैसे 100% सुरक्षित हैं और वो अपना पैसा यहां से निकाल सकते हैं। इस बिल के तहत सजा और जुर्माने का भी प्रावधान रखा गया है। पहली बार गलती होगी तो 3 साल की सजा और इसमें 1 करोड़ रुपये तक का फाइन है। वहीं दूसरी बार गलती होने पर 3 से 5 साल की सजा तथा 2 करोड़ रुपये तक जुर्माना हो सकता है।
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में बारिश ने कहर बरपाया है। औट तहसील के कुछ स्थानों पर बीती रात और रविवार सुबह हुई भारी बारिश ने जमकर तबाही मचाई। कई स्थानों पर फ्लैश फ्लड की घटनाएं सामने आई हैं। पनारसा, टकोली और नगवाईं में फ्लैश फ्लड के कारण काफी नुकसान हुआ है। मलबा बहकर हाईवे तक आ पहुंचा जिससे कई घरों में पानी और मलबा घुसने के साथ ही कई वाहन भी इसकी चपेट में आ गए। फ्लैश फ्लड के कारण ज्यादा नुकसान पनारसा, टकोली और नगवाईं में देखने को मिल रहा है। प्रशासन की टीमों ने तुरंत प्रभाव से राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे इस मलबे के कारण यातायात के लिए बाधित हो गया है। औट तहसील के तहत आने वाले सारानाला के पास फोरलेन निर्माण में लगी कंपनी के कार्यालय के साथ बहते नाले ने भी रौद्र रूप धारण कर दिया। इस कारण कंपनी के कार्यालय की सुरक्षा दीवार पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। यहां रह रहे कर्मचारियों ने भागकर अपनी जान बचाई। गनियमत ये रही कि इस पूरे घटनाक्रम में किसी भी तरह का कोई जानी नुकसान हुआ है। सब्जी मंडी टकोली में घुसा मलबा मंडी की मुख्य सब्जी मंडी टकोली में भी मलबा घुस जाने से कारोबार ठप हो गया। सब्जियों और फलों की हजारों पेटियां खराब हो गईं। व्यापारियों का कहना है कि उनका लाखों रुपये का नुकसान हो चुका है। बागी नाला उफान पर पराशर क्षेत्र का बागी नाला भी भारी वर्षा से उफान पर आ गया। तेज बहाव के कारण कई संपर्क मार्ग बंद हो गए। ग्रामीणों को सुरक्षित ठिकानों पर भेजना पड़ा। खेतों में खड़ी फसलें बह गईं और बाग-बगीचों को भी नुकसान हुआ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से देश के नाम संबोधन में कई बड़े ऐलान किए। अपने भाषण में उन्होंने कर प्रणाली, युवाओं के लिए रोजगार, कृषि सुधार, ऊर्जा और खनिज संसाधनों में आत्मनिर्भरता, रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अहम मुद्दों पर विस्तृत योजनाएं पेश कीं। पीएम मोदी के इन ऐलानों को आने वाले वर्षों में भारत के आर्थिक, सामाजिक और रणनीतिक ढांचे को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है। अपने संबोधन की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने जीएसटी सुधार की बात करते हुए कहा कि पिछले आठ सालों में इस प्रणाली ने टैक्स ढांचे को सरल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब समय आ गया है कि इसका नेक्स्ट जेनरेशन रिव्यू किया जाए। उन्होंने घोषणा की कि दिवाली के अवसर पर जीएसटी दरों में बड़े बदलाव किए जाएंगे, जिससे रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती होंगी, उद्योगों को लाभ मिलेगा और अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी। युवाओं को रोजगार देने के लिए प्रधानमंत्री ने "प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना" की शुरुआत की। इस योजना के तहत निजी क्षेत्र में पहली नौकरी पाने वाले युवाओं को 15 हजार रुपये सरकार की ओर से दिए जाएंगे, जबकि कंपनियों को अधिक रोजगार सृजित करने पर प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। प्रधानमंत्री ने बताया कि यह योजना करीब 3.5 करोड़ नौजवानों के लिए नए अवसर पैदा करेगी। ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने "डीप वॉटर एक्सप्लोरेशन मिशन" की घोषणा की। इसके तहत समुद्र के भीतर तेल और गैस भंडार खोजने के लिए अभियान चलाया जाएगा, जिससे भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी। खनिज संसाधनों के मामले में प्रधानमंत्री ने "नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन" लॉन्च करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि रक्षा और तकनीकी क्षेत्र में क्रिटिकल मिनरल्स की अहम भूमिका है, इसलिए देशभर में 1200 से अधिक स्थानों पर इन खनिजों की खोज का अभियान चलाया जाएगा। रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री ने देश के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों से आह्वान किया कि भारत को अपना "मेड इन इंडिया" जेट इंजन तैयार करना चाहिए, जो फाइटर जेट्स में इस्तेमाल हो सके। इसी क्रम में अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए एक उच्च स्तरीय टास्क फोर्स गठित करने की भी घोषणा की गई, जो सभी उद्योगों के लिए नीतियां आसान और समयानुकूल बनाएगी। कृषि सुधारों के तहत प्रधानमंत्री ने "पीएम धनधान्य कृषि योजना" की शुरुआत की, जिसमें ऐसे 100 जिलों की पहचान की गई है जहां खेती की स्थिति कमजोर है। इस योजना के जरिए वहां कृषि उत्पादन और किसानों की आय बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि मछुआरों और पशुपालकों के हितों की रक्षा के लिए सरकार हर स्तर पर मजबूती से खड़ी है। भाषा और ज्ञान संरक्षण के क्षेत्र में "ज्ञान भारतम योजना" की घोषणा की गई। इसके अंतर्गत देशभर में मौजूद हस्तलिखित ग्रंथों, पांडुलिपियों और पुराने दस्तावेजों को डिजिटल तकनीक की मदद से संरक्षित और सुलभ बनाया जाएगा। राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने "हाई पावर्ड डेमोग्राफी मिशन" की शुरुआत का ऐलान किया, जिसका उद्देश्य घुसपैठ के खतरों को रोकना है। उन्होंने कहा कि घुसपैठिए न केवल देश की सुरक्षा बल्कि नौजवानों की आजीविका और महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी खतरा हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने "मिशन सुदर्शन चक्र" लॉन्च करने की घोषणा की, जिसके तहत 2035 तक देश के सभी महत्वपूर्ण स्थलों को उन्नत सुरक्षा प्रणाली से लैस किया जाएगा। यह अत्याधुनिक हथियार प्रणाली न केवल दुश्मन के हमलों को विफल करेगी बल्कि कई गुना तेज पलटवार भी करने में सक्षम होगी। प्रधानमंत्री मोदी के ये ऐलान आर्थिक सुधारों से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा तक, देश के भविष्य की दिशा तय करने वाले माने जा रहे हैं। आने वाले समय में इन योजनाओं के क्रियान्वयन से भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
देश में हर जगह जन्माष्टमी को बड़े ही हर्षोउल्लाष के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात 12 बजे हुआ था। इस दिन को भगवान कृष्ण के बाल्यावस्था को याद और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन लोग पूरी भक्ति से व्रत रख कर भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं और साथ ही इस दिन झांकियां, भजन-कीर्तन और रासलीला भी प्रस्तुत की जाती हैं। जन्माष्टमी की तारीख को लेकर लोगों में भ्रम माना जाता है कि श्री हरि के 8वें अवतार श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में होने के कारण जन्माष्टमी का यह त्यौहार अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग पर मनाया जाता है। इस साल अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का जो संयोग है वो दो अलग-अलग दिनों में पड़ रहा है, जिसके चलते इसबार दो दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इसीलिए इस बार जन्माष्टमी को लेकर लोगों में काफी भ्रम हो रहा है कि किस दिन को जन्माष्टमी मनाया जाए । शुभ मुहूर्त पंचांग के मुताबिक, कृष्ण जन्माष्टमी 15 अगस्त अष्टमी को रात 11 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी वहीं इसका समापन 16 अगस्त रात 9 बजकर 34 मिनट पर होगा। पूजा विधि इस दिन भक्त पूरी श्रद्धा से भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं। व्रत के दौरान कोई भी अनाज ग्रहन नहीं किया जाता है। पारण के समय साधारणतः फल या सिंघाड़े के आटे से बने पकवान खाए जाने की परंपरा है। एक सुंदर सी पालने को सजाकर उसमें बाल गोपाल को विराजमान करें। दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल को मिलाकर पंचामृत बनायें और उससे बाल गोपाल को स्नान कराएं। इसके बाद नए वस्त्र पहनाकर उनका शृंगार करें। फल, मिठाई, खीर, माखन-मिश्री और पंचामृत से भोग लगाएं। मंत्रों का जाप करते हुए विधि-विधान से उनकी पूजा करें और आरती कर पूजा का समापन करें। मध्यरात्रि पूजा और आरती करने के बाद प्रसाद ग्रहन करके व्रत खोल लें। इस पर्व पर ज्यादा से ज्यादा दान-पुण्य भी करें। जन्माष्टमी का महत्व जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का ही केवल त्यौहार नहीं है, बल्कि यह उनके द्वारा दिए गए उपदेशों को याद करने और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का भी है। द्वापर युग में जब भगवान कृष्ण ने अवतार लिया, तब उन्होंने धर्म की स्थापना की। उनके द्वारा अर्जुन को महाभारत के युद्धभूमि में सुनाए गए गीता के उपदेश, आज भी उतना ही प्रासंगिक हैं जितना तब था। गीता का मूल संदेश श्रीमद्भगवद्गीता में जीवन के हर कठिनाईयों और परेशानियों से निपटने का मार्गदर्शन दिया गया है। यदि गीता के संदेशों को जीवन में उतार लिया जाए, तो हम किसी भी प्रकार की कठिनाई, निराशा और असफलता से प्रभावित नहीं होंगे। गीता में बताया गया है कि हमें सिर्फ अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। इससे हम चिंता मुक्त बने रहेगें।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए 146 सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। अध्यक्ष ओम बिरला ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति की घोषणा की जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय पैनल पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, "प्रक्रिया अपना काम करेगी। एक निश्चित प्रक्रिया होती है, और मुझे नहीं लगता कि अभी कोई टिप्पणी करने की ज़रूरत है। महाभियोग समिति गठित करने का फैसला लिया गया है। उन्हें सभी सबूतों की जाँच करनी होगी और किसी नतीजे पर पहुँचना होगा।
जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में एक बड़ा हादसा सामने आया है। आज सुबह लगभग 10:30 बजे सीआरपीएफ सवार एक बस खाई में गिर गई जिसमें कुल 18 जवान थे। इस दुर्घटना में तीन जवान बलिदान हो गए हैं और 15 जवान घायल हो गए हैं। घटना के बारे में जानकारी मिलते ही रेस्क्यू ऑप्रेशन के लिए पुलिस और प्रशासन वहां पहुँच गए। सभी घायल जवानों को सैन्य अस्पताल में पहुँचाया दिया गया है और साथ ही राहत तथा बचाव के कार्य जारी हैं। जानकारी के मुताबिक, 187वीं बटालियन की यह बस जो कि उधमपुर जिले के कदवा से बसंत गढ़ जा रही थी और उसी दौरान लगभग 200 फीट गहरी खाई में गिर गई। हादसे का कारण का अभी तक पता नहीं लग पाया है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जताया दुख उधमपुर के केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया X पर कहा, "उधमपुरः कंदवा-बसंतगढ़ क्षेत्र में सीआरपीएफ के एक वाहन के दुर्घटना का शिकार होने से दुखी हूं। वाहन में सीआरपीएफ के कई बहादुर जवान सवार थे।" उन्होंने ने यह भी कहा कि वे इस खबर को मिलते ही डीसी सलोनी राय से बात की है जिन्होंने जानकारी दी है कि बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है साथ ही हालात पर भी नजर बनायीं हुई हैं। उप राज्यपाल ने भी प्रकट किया दुख जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के दफ्तर ने सोशल मीडिया पर ट्वीट किया, "सीआरपीएफ जवानों की मौत से दुखी हूं। हम राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा को कभी नहीं भूलेंगे। मेरी संवेदनाएं शोक संत परिवारों के साथ हैं। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।"
बजरंग दल द्वारा 2005 से बाबा बुढ़ा अमरनाथ यात्रा पूरे भारत वर्ष से लगातार भेजी जा रही है। विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल चंडीगढ़ पंजाब प्रांत को 4 अगस्त को जम्मू पहुंचना है। 5 अगस्त को पूरे पंजाब प्रांत से जत्था पूंछ के लिए रवाना होगा। आज चंडीगढ़ मंत्री अंकुश गुप्ता की अगुवाई में चंडीगढ़ से जत्था रवाना हुआ जिसमें विशेष संपर्क प्रमुख अमित हंस, सुनील बागड़ी और सरुप नेगी मुख्य रूप से रहे । 5 अगस्त को समस्त पंजाब प्रांत से प्रातः काल जम्मू से रवाना होकर पूंछ पहुंचेगा और 6 अगस्त को बाबा बुढ़ा अमरनाथ चट्टानी के दर्शन करके अगले दिन शिव खोड़ी के दर्शन कर 8 अगस्त को मां वैष्णो देवी के दर्शन करके चंडीगढ़ वापस पहुंचेगा। आज चंडीगढ़ विभाग मंत्री एवं पंजाब प्रांत के विशेष संपर्क प्रमुख प्रदीप शर्मा ने भगवा झंडा दिखाकर एवं सिरोपा पहना कर जत्थे को रवाना किया।
झारखंड आंदोलन के पुरोधा और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन का 4 अगस्त को 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे बीते एक महीने से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे, जहां किडनी संबंधी बीमारी और ब्रेन स्ट्रोक के चलते उनकी हालत नाज़ुक बनी हुई थी। उनके पुत्र और झारखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस दुखद समाचार की पुष्टि की। राज्य और देश की राजनीति में उन्हें 'दिशोम गुरु' यानी आदिवासियों का मार्गदर्शक के नाम से जाना जाता था। शिबू सोरेन ने 1973 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की नींव रखी थी, जब झारखंड राज्य का अस्तित्व भी नहीं था। उन्होंने जंगलों, खेतों और पहाड़ों में रह रहे आदिवासियों की ज़मीन, भाषा, संस्कृति और अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद की। उनका आंदोलन ही आगे चलकर झारखंड राज्य के गठन की बुनियाद बना। वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने और केंद्र सरकार में कोयला मंत्री जैसे अहम पदों पर भी कार्यरत रहे। उनके नेतृत्व में JMM ने आदिवासी हितों से जुड़े कई बड़े आंदोलन किए जिनका असर झारखंड की सियासत पर आज भी देखा जा सकता है। शिबू सोरेन का जीवन सत्ता से ज़्यादा संघर्ष का प्रतीक रहा। उन्होंने न केवल आदिवासी पहचान को राष्ट्रीय विमर्श में जगह दिलाई, बल्कि झारखंड की सियासी पहचान को भी एक मज़बूत आधार दिया। उनकी राजनीतिक विरासत अब उनके बेटे हेमंत सोरेन के कंधों पर है। राज्य में शोक की लहर है। उनके निधन के साथ ही झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत हो गया।
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में बेतरतीब विकास और पर्यावरणीय विनाश पर सख़्त टिप्पणी करते हुए आगाह किया है कि यदि राज्य में विकास कार्य बिना वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरणीय संतुलन के जारी रहे, तो वह दिन दूर नहीं जब हिमाचल देश के नक्शे से ही मिट सकता है। कोर्ट ने यह भी जोड़ा, भगवान न करे कि ऐसा दिन आए। यह टिप्पणी जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की डबल बेंच ने एमएस प्रिस्टिन होटल्स एंड रिज़ॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई के दौरान दी। याचिका शिमला के तारादेवी क्षेत्र में होटल निर्माण से संबंधित थी। कोर्ट ने याचिका खारिज की, पर्यावरणीय मुद्दों पर स्वतः संज्ञान लिया सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को जनहित से जुड़ा मानते हुए पर्यावरण और पारिस्थितिकी पर स्वत: संज्ञान लिया और इसे पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) में तब्दील कर दिया। कोर्ट ने हिमाचल सरकार से 4 हफ्तों में विस्तृत जवाब मांगा है। इसके लिए राज्य के मुख्य सचिव और केंद्रीय वन मंत्रालय को नोटिस भेजा गया है। अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी। ग्रीन एरिया अधिसूचना की सराहना, लेकिन देरी पर सवाल सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार द्वारा ग्रीन एरिया घोषित करने की अधिसूचनाओं को “एक सकारात्मक कदम” बताया, लेकिन यह भी कहा कि यह प्रयास बहुत देर से शुरू किए गए। कोर्ट ने चेताया कि राज्य की पारिस्थितिकीय स्थिति लगातार बिगड़ रही है। शिमला शहर और उसके आस-पास के इलाकों में अब तक 17 से अधिक क्षेत्रों को ग्रीन एरिया घोषित किया जा चुका है, जहां किसी भी तरह का निर्माण कार्य पूर्णतः प्रतिबंधित है। तारादेवी के जंगल में होटल निर्माण को लेकर दाखिल की गई थी याचिका एमएस प्रिस्टिन होटल्स एंड रिज़ॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड शिमला के समीप तारादेवी जंगल क्षेत्र में होटल बनाना चाहता था। लेकिन राज्य सरकार ने हाल ही में इस क्षेत्र को ग्रीन एरिया घोषित कर दिया, जिसके खिलाफ कंपनी ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। हिमाचल सरकार ने माना, अवैज्ञानिक विकास बना विनाश की वजह सुनवाई के दौरान हिमाचल सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल अनूप रतन पेश हुए। सरकार ने कोर्ट में स्वीकार किया कि राज्य में फोरलेन निर्माण, पावर प्रोजेक्ट, पेड़ कटान और पहाड़ियों में ब्लास्टिंग जैसे कार्य अवैज्ञानिक तरीकों से हो रहे हैं, जो विनाश का प्रमुख कारण बन रहे हैं। कोर्ट का सुझाव कोर्ट ने कहा कि देश के सभी हिमालयी राज्यों को अपने संसाधनों और विशेषज्ञता को एकजुट करने की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य की विकास परियोजनाएं जलवायु, पारिस्थितिकी और भूगर्भीय जोखिमों को ध्यान में रखते हुए बनाई जाएं। ।
पुलिस थाना सुंदरनगर के अंतर्गत शुक्रवार सुबह बीबीएमबी झील कंट्रोल गेट से दो शव बरामद किए गए हैं। मृतकों की पहचान आशीष गौतम (पुत्र ओम प्रकाश), निवासी गांव पंजगाई, जिला बिलासपुर और सुधीर कुमार, निवासी पुराना बाजार सुंदरनगर के रूप में की गई है। प्राथमिक जानकारी के अनुसार, दोनों युवक 25 जुलाई की रात खिउरी क्षेत्र के समीप नहर में गिर गए थे, जिसके बाद से वे लापता थे। मामले की सूचना मिलने के बाद पुलिस और स्थानीय प्रशासन की ओर से तलाश अभियान चलाया गया था। शव बरामद होने के बाद थाना सुंदरनगर पुलिस ने दोनों शवों को थाना बल्ह के माध्यम से पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है कि हादसा किन परिस्थितियों में हुआ। इस दुखद घटना से क्षेत्र में शोक की लहर है। स्थानीय लोगों और परिजनों ने प्रशासन से पूरी घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
अगस्त की शुरुआत के साथ आम लोगों से जुड़े पांच बड़े बदलाव लागू हो गए हैं। इनका असर आपकी जेब और रोजमर्रा के डिजिटल लेन-देन से लेकर हवाई सफर और लोन की EMI तक पर पड़ सकता है। आइए जानते हैं कौन से हैं ये बदलाव: 1. कॉमर्शियल गैस सिलेंडर सस्ता आज से 19 किलो वाला कॉमर्शियल गैस सिलेंडर ₹34.50 तक सस्ता हो गया है। दिल्ली: ₹33.50 की कटौती के बाद अब नई कीमत ₹1631.50 कोलकाता: ₹34.50 की कटौती के बाद कीमत ₹1769 घरेलू गैस सिलेंडर के दामों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। 2. UPI पर नई लिमिट और नियम लागू बैलेंस चेक लिमिट: अब UPI ऐप्स से आप दिन में अधिकतम 50 बार ही अकाउंट बैलेंस चेक कर सकेंगे। ऑटो-पे समय स्लॉट: अब ऑटो-पेमेंट (EMI, सब्सक्रिप्शन, बिल आदि) सुबह 10 से दोपहर 1 बजे और शाम 5 से रात 9:30 के बीच प्रोसेस नहीं होंगे। पेमेंट स्टेटस चेक: असफल ट्रांजैक्शन का स्टेटस दिन में केवल 3 बार और हर बार 90 सेकंड के अंतराल में ही चेक कर सकेंगे। चार्जबैक नियम आसान: बैंकों को अब रिजेक्टेड चार्जबैक क्लेम पर NPCI से दोबारा अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। इससे विवादों का समाधान तेज होगा। 3. SBI के कुछ क्रेडिट कार्ड्स पर फ्री इंश्योरेंस बंद 11 अगस्त से SBI अपने को-ब्रांडेड ELITE और PRIME क्रेडिट कार्ड्स पर मिलने वाला एयर एक्सीडेंट इंश्योरेंस कवर बंद कर रहा है। अब तक यह कवर ₹50 लाख से ₹1 करोड़ तक का होता था। 4. एविएशन टर्बाइन फ्यूल महंगा, हवाई सफर हो सकता है महंगा तेल कंपनियों ने एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) की कीमत में ₹2677.88 प्रति किलोलीटर (3%) की बढ़ोतरी की है। नई कीमत: ₹92,021.93 प्रति 1000 लीटर संभावित असर: हवाई टिकटों के किराए में बढ़ोतरी हो सकती है। 5. RBI कर सकता है ब्याज दरों में कटौती 4 से 6 अगस्त के बीच RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक होगी। संभावना है कि रेपो रेट में 0.25% की कटौती की जा सकती है। इससे होम लोन, ऑटो लोन और अन्य कर्जों की EMI कम हो सकती है। साथ ही सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज भी प्रभावित हो सकता है।
हिमाचल प्रदेश में एचआरटीसी की बसों में मुफ्त और रियायती यात्रा का लाभ उठाने के लिए अब ‘हिम बस कार्ड’ अनिवार्य होगा। वीरवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। अब राज्य के लाभार्थियों को यह कार्ड 200 रुपये में बनवाना होगा और हर साल 150 रुपये देकर इसे रिन्यू कराना पड़ेगा। राज्य सरकार ने महिलाओं को बस किराये में 50% छूट और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को मुफ्त यात्रा की सुविधा दी हुई है। अब इन दोनों श्रेणियों के लाभार्थियों को भी यह कार्ड बनवाना होगा। कैबिनेट के फैसले के मुताबिक, सभी पात्र लोगों को अगले तीन महीने के भीतर यह कार्ड बनवाना अनिवार्य होगा। सरकार का तर्क है कि अन्य राज्यों जैसे पंजाब और हरियाणा के लोग भी एचआरटीसी के पास बनवाकर हिमाचल की छूट का लाभ उठा रहे थे, जिससे निगम को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा था। अब केवल हिमाचल के स्थायी निवासी ही रियायत का लाभ ले सकेंगे। कार्ड बनवाते समय पहचान प्रमाण देना अनिवार्य होगा।वर्तमान में प्रदेश में 17 श्रेणियों को निशुल्क यात्रा की सुविधा दी जा रही है, जिनमें परिवहन निगम कर्मचारी व सेवानिवृत्त कर्मचारी, दिव्यांगजन, पुलिस कर्मी, जेल वार्डर, स्वतंत्रता सेनानी व उनके सहायक, युद्ध विधवाएं, पूर्व विधायक-सांसद, राज्य शिक्षक पुरस्कार विजेता, गंभीर रोगियों के साथ मान्यता प्राप्त पत्रकार शामिल हैं। बाहरी मशीनरी और अन्य राज्य की गाड़ियों का पंजीकरण भी अब अनिवार्य कैबिनेट ने यह भी फैसला लिया है कि प्रदेश में कार्यरत बाहरी राज्यों की मशीनरी व अन्य राज्य नंबर की गाड़ियों का अब पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। वाहन मालिकों को कुल लागत का 20% बतौर पंजीकरण शुल्क चुकाना होगा। इसके लिए वन टाइम लैगेसी पॉलिसी को भी मंजूरी दी गई है। इसके तहत एकमुश्त टैक्स और बकाया जुर्माने की 50% राशि जमा कर वाहन रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। यह नीति अधिसूचना की तारीख से अगले तीन माह तक लागू रहेगी। अनुमान है कि इससे करीब 27,095 वाहन रजिस्टर्ड किए जा सकते हैं।
कांगड़ा केंद्रीय सहकारी (केसीसी) बैंक प्रबंधन ने बैंकिंग नियमों की अवहेलना पर बड़ी कार्रवाई करते हुए ग्रेड-3 के सहायक प्रबंधक संजय को डिमोट कर ग्रेड-4 क्लर्क बना दिया है। बैंक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स (बीओडी) की सिफारिश पर यह निर्णय लिया गया। संजय पर आरोप है कि उन्होंने प्रदत्त अधिकारों का दुरुपयोग कर तय सीमा से अधिक ऋण आवंटित किया, जिससे बैंक को आर्थिक नुकसान हुआ और एनपीए में वृद्धि दर्ज की गई। प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि संजय को कांगड़ा शाखा की रिकवरी विंग में तैनात किया गया है और आगामी तीन वर्षों तक उन्हें पदोन्नति नहीं दी जाएगी। इतना ही नहीं, यदि उनके द्वारा वितरित ऋण की समय पर रिकवरी नहीं होती है, तो नुकसान की भरपाई उनके वेतन और पेंशन से की जाएगी। बैंक प्रबंधन और बीओडी ने इसी के साथ बर्खास्त किए गए चार कर्मचारियों को बहाल भी किया है। इनमें ग्रेड-4 के सुनील कुमार को बंगाणा से टकोली शाखा भेजा गया है। ग्रेड-2 के दिग्विजय सिंह को अधवानी (ज्वालामुखी) से ऊना के गगरेट ब्रांच, और अजय कुमार को बड़ा (नादौन) से पालमपुर की राजपुरा ब्रांच स्थानांतरित किया गया है। वहीं, बर्खास्त ग्रेड-2 कर्मचारी विनोद कुमार की बहाली को लेकर आदेश फिलहाल लंबित हैं। जैसे ही औपचारिकताएं पूरी होंगी, उनकी बहाली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य के मेधावी विद्यार्थियों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। शैक्षणिक सत्र 2022-23 की मेरिट सूची में शामिल दसवीं, बारहवीं और कॉलेज स्तर के करीब 10,000 मेधावी छात्रों को 16-16 हजार रुपये मूल्य के टेक कूपन दिए जाएंगे, जिनकी मदद से वे अपनी पसंद का लैपटॉप या टैबलेट खरीद सकेंगे। सरकार ने इस योजना को पारदर्शी बनाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल तैयार किया है। चयनित विद्यार्थी इस पोर्टल पर अपनी जानकारी अपलोड कर निर्धारित गैजेट बास्केट में से किसी एक डिवाइस को चुन सकेंगे। गैजेट की होम डिलीवरी की व्यवस्था संबंधित कंपनियां कोरियर के माध्यम से करेंगी। गैजेट की पसंद अब छात्र की मर्जी राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ने विभिन्न कंपनियों के साथ मिलकर टैबलेट और लैपटॉप्स की कॉन्फ़िगरेशन तय की है और कई कंपनियों को चयनित किया है। विद्यार्थियों को अधिक मूल्य के गैजेट लेने की छूट भी दी गई है; वे चाहें तो अंतर राशि स्वयं जोड़ सकते हैं। पुरानी योजनाओं का नया रूप गौरतलब है कि यह योजना 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के कार्यकाल में शुरू हुई थी। इसके बाद वीरभद्र सिंह सरकार ने 2012 में इस योजना को विस्तार दिया। वहीं जयराम ठाकुर सरकार के समय यह योजना अनिश्चितता में फंसी रही, लेकिन अंततः टैबलेट बांटे गए। अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई में यह योजना नई संरचना और तकनीकी मॉडल के साथ आगे बढ़ाई जा रही है। जल्द होगा औपचारिक शुभारंभ शिक्षा विभाग ने योजना के विधिवत शुभारंभ के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से समय मांगा है। संभावना है कि अगस्त माह में योजना का औपचारिक उद्घाटन हो सकता है।
मंडी जिला के थुनाग स्थित हॉर्टिकल्चर कॉलेज को लेकर उठा विवाद अब एक नया मोड़ ले चुका है। कुछ दिनों पहले सरकार ने इस कॉलेज को थुनाग से नाचन विधानसभा क्षेत्र में शिफ्ट करने का निर्णय लिया, जिसके बाद प्रदेश में सियासी घमासान मच गया। इस कॉलेज की स्थापना पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने कार्यकाल में थुनाग में की थी। मौजूदा कांग्रेस सरकार के इस फैसले को भाजपा ‘क्षेत्रीय विकास के साथ अन्याय’ बता रही है। वहीं कांग्रेस का तर्क है कि छात्रों की सुरक्षा और मांग प्राथमिकता है। दोनों के अपने अपने तर्क है। हालाँकि अब इस मामले में बड़ा अपडेट आया है। बुधवार को शिमला में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में छात्रों और उनके परिजनों ने थुनाग में कॉलेज संचालन को लेकर गंभीर चिंताएं जताईं। उनका कहना था कि पिछले तीन वर्षों से लगातार क्षेत्र में बारिश और भूस्खलन के चलते हालात खराब रहते हैं। 30 जून की रात को भारी बारिश में कई छात्रों का सामान बह गया। कॉलेज में हॉस्टल सुविधा न होने के चलते 250 से अधिक छात्र किराए के कमरों में रहने को मजबूर हैं। छात्रों ने बताया कि थोड़ी सी बारिश में ही बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं, जिससे न केवल पढ़ाई प्रभावित होती है बल्कि जान का भी खतरा बना रहता है। ऐसे में कॉलेज शिफ्ट करना उनके लिए राहत भरा कदम है। जंजैहली में मंत्री की गाड़ी पर जूते-काले झंडे, FIR दर्ज कॉलेज शिफ्ट होने से गुस्साए कुछ लोगों ने बीते शुक्रवार को जंजैहली में प्रदेश के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की गाड़ी पर जूते और काले झंडे फेंके। मंत्री की गाड़ी पर तिरंगा लगा होने के चलते सरकार ने इसे 'राष्ट्रध्वज का अपमान' बताया और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई। कांग्रेस ने जलाया जयराम ठाकुर का पुतला इस घटना के विरोध में कांग्रेस भी सड़कों पर उतर आई। किन्नौर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आक्रोश रैली निकालकर पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का पुतला फूंका। कांग्रेस ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि जिन्हें छात्रों की जान से ज़्यादा तिरंगे की राजनीति प्यारी है, उन्हें पहले छात्रों का दर्द समझना चाहिए।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आउटसोर्सिंग विवाद से जुड़ी एक याचिका पर सरकार और अन्य प्रतिवादियों द्वारा समय पर जवाब न देने को गंभीरता से लिया है। न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने सरकार पर ₹5000 का जुर्माना लगाया है और स्पष्ट किया कि यह राशि गलती करने वाले अधिकारी से वसूल की जाए। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि यह जुर्माना राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को अदा किया जाएगा। इससे पहले पिछली सुनवाई में भी अदालत ने जवाब दाखिल करने के लिए अंतिम अवसर दिया था, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई जवाब पेश नहीं किया गया। सरकार ने अब दो सप्ताह का और समय मांगा है, जिस पर अदालत ने कहा कि जुर्माना अदा करने के बाद ही यह अंतिम अवसर दिया जाएगा। साथ ही चेतावनी दी कि अगर तय समयसीमा में जवाब दाखिल नहीं किया गया, तो उनका उत्तर देने का अधिकार समाप्त कर दिया जाएगा। अब इस मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को होगी
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती में पूर्व सैनिकों के लिए निर्धारित की गई कटऑफ तिथि को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। कोर्ट ने सैनिक कल्याण विभाग की 21 फरवरी 2025 की अधिसूचना पर सवाल उठाते हुए सरकार को तीन सप्ताह के भीतर सेवा-मुक्ति की नई वैध तिथि निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। क्या था मामला? सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में पूर्व सैनिकों की पात्रता 13 दिसंबर 2022 से 13 दिसंबर 2024 के बीच सेवा-मुक्त होने की शर्त पर आधारित थी। जबकि याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह कटऑफ किसी भी कानून, नियम या मैन्युअल में उल्लेखित नहीं है और इसे बिना उचित प्रक्रिया के मनमाने ढंग से बदला गया है। पहले की अधिसूचना में यह अवधि 1 जनवरी 2022 से 1 जनवरी 2024 थी, लेकिन बाद में इसे संशोधित कर दिया गया, जिससे कई योग्य पूर्व सैनिक भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गए। न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की एकल पीठ ने इस बदलाव को अवैध ठहराया और कहा कि यह उचित प्रक्रिया के तहत नहीं किया गया, जिससे उम्मीदवारों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। कोर्ट ने साफ किया कि जब तक नई तिथि अधिसूचित नहीं की जाती, तब तक पूर्व सैनिक श्रेणी का परिणाम जारी नहीं किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी। राज्य सरकार ने कुल 1226 कांस्टेबल पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी, जिनमें से 123 पद पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित हैं।
एजबेस्टन में 31 जुलाई को होने वाले हाई-वोल्टेज सेमीफाइनल मुकाबले से पहले वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ लीजेंड्स (WCL) 2025 विवादों में आ गई है। भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले इस बहुप्रतीक्षित मैच से ऑनलाइन ट्रैवल कंपनी EaseMyTrip ने खुद को अलग कर लिया है। कंपनी ने साफ कहा है कि वह किसी ऐसे आयोजन का समर्थन नहीं करेगी जो आतंकवाद को प्रश्रय देने वाले देश से रिश्ते सामान्य करने का प्रयास करे। EaseMyTrip के सह-संस्थापक निशांत पिट्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "हम Team India को सेमीफाइनल में पहुंचने पर बधाई देते हैं। लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ यह सिर्फ एक और मुकाबला नहीं है। EaseMyTrip इस मैच से खुद को अलग कर रहा है। हमारा मानना है कि आतंकवाद और क्रिकेट एक साथ नहीं चल सकते। देश पहले, व्यापार बाद में। जय हिंद।" भारत की सेमीफाइनल में एंट्री इंडिया चैंपियंस ने WCL 2025 के लीग स्टेज के अंतिम मुकाबले में वेस्टइंडीज को 7 विकेट से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया। वेस्टइंडीज ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 144 रन बनाए थे, जिसे भारतीय टीम ने 13.2 ओवर में ही हासिल कर लिया। अब 31 जुलाई को भारत का सामना कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से होगा।EaseMyTrip के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर कंपनी की काफी सराहना की जा रही है। वहीं, यह मामला खेल और राष्ट्रहित के बीच संतुलन पर एक नई बहस को जन्म दे गया है।
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में सोमवार देर रात भारी बारिश ने एक बार फिर जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। मंडी शहर के कई हिस्सों में बादल फटने जैसे हालात बने, जिनके चलते तीन लोगों की मौत और एक महिला के लापता होने की पुष्टि हुई है। सबसे गंभीर स्थिति जेल रोड इलाके में बनी, जहां मलबे और तेज़ बहाव के कारण कई गाड़ियां दब गईं और सड़कों पर आवागमन पूरी तरह ठप हो गया। एनडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय प्रशासन की टीमें मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हैं। एसपी मंडी साक्षी वर्मा, नगर निगम के मेयर वीरेंद्र भट्ट और कमीशनर रोहित राठौर समेत प्रशासनिक अधिकारी लगातार हालात की निगरानी कर रहे हैं। मलबे में फंसी जानें, बह गए वाहन जेल रोड पर एक महिला का शव मलबे में दबी गाड़ियों के बीच फंसा मिला, जिसे कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया। कई अन्य वाहन पूरी तरह मलबे में दब चुके हैं, जबकि कुछ बाढ़ में बह गए। स्थानीय लोग भी राहत और बचाव में प्रशासन का साथ दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर सामने आए कुछ वीडियो में लोग फंसे हुए लोगों को खिड़कियों और छतों से निकालते दिखे। बंद पड़े नेशनल हाईवे, मंडी में कई जगह भूस्खलन चंडीगढ़-मनाली और पठानकोट-मंडी जैसे दोनों मुख्य नेशनल हाईवे पर भूस्खलन के चलते आवागमन बंद है। 4 मील, 9 मील, डवाड़ा, झलोगी समेत दर्जनों स्थानों पर मलबा सड़क पर जमा हो गया है। विक्टोरिया ब्रिज के पास, धर्मपुर लोनिवि मंडल व अधीक्षण अभियंता कार्यालय के ऊपर भी भारी भूस्खलन की खबर है। मंडी नगर निगम आयुक्त रोहित राठौर ने बताया— "भारी बारिश के कारण ऊपरी क्षेत्रों का मलबा निचले इलाकों में जमा हो गया है। यह बादल फटने का नतीजा हो सकता है। सभी विभाग राहत कार्यों में लगे हैं।" शहर के पैलेस कॉलोनी, जोनल अस्पताल, ब्यास, सुकेती और सकोडी खड्ड के किनारे बसे इलाकों में भी हालात चिंताजनक हैं। बारिश के कारण लोगों ने पूरी रात डर के साए में बिताई।
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर जिले के हरवान इलाके में सुरक्षाबलों ने सोमवार को एक बड़े आतंकी ऑपरेशन में तीन आतंकियों को मार गिराया। इस अभियान को ऑपरेशन महादेव नाम दिया गया है और माना जा रहा है कि मारे गए आतंकियों का संबंध अप्रैल महीने में पहलगाम में हुए आतंकी हमले से है, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी। मुलनार क्षेत्र में यह मुठभेड़ उस समय शुरू हुई जब इलाके में संदिग्ध गतिविधियों की सूचना के बाद सुरक्षा बलों ने कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन चलाया। तलाशी के दौरान आतंकियों ने गोलियां चलाईं, जिसके जवाब में सेना और पुलिस ने मोर्चा संभालते हुए तीन आतंकियों को ढेर कर दिया। अभी तक दो आतंकियों के घायल होने की खबर भी सामने आई है। मुठभेड़ अभी जारी है और पूरे इलाके में तलाशी अभियान चल रहा है। इस संयुक्त अभियान में 50 राष्ट्रीय राइफल्स (RR), 24 RR, श्रीनगर पुलिस और सीआरपीएफ की टीमें शामिल हैं। चिनार कोर के अनुसार, मारे गए आतंकियों की पहचान और उनके आतंकी संगठन से संबंध का पता लगाया जा रहा है। खुफिया इनपुट्स के आधार पर यह अंदेशा था कि पहलगाम हमले में शामिल आतंकी दाछिगाम की ओर भाग सकते हैं। इसी सूचना के आधार पर सोमवार सुबह ऑपरेशन शुरू किया गया। सुरक्षा बलों ने क्षेत्र की घेराबंदी कर सघन तलाशी ली और सफलता पूर्वक तीन आतंकियों को ढेर कर दिया। इलाके में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और स्थानीय नागरिकों की जांच भी की जा रही है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वर्तमान सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार भ्रष्टाचार के आरोपियों को पुरस्कृत करने में लगी है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा निगम के महाप्रबंधक विमल नेगी की संदिग्ध मौत मामले में जिन आरोपितों के खिलाफ जांच चल रही थी, सरकार ने उन्हें बचाने के लिए हर संभव कोशिश की और आरोपियों को फिर से अहम पदों पर तैनात कर दिया। जयराम ठाकुर ने सवाल उठाया कि मुख्यमंत्री ने स्व. विमल नेगी की पत्नी को इंसाफ दिलाने का वादा किया था, तो अब आरोपियों को पुरस्कृत कर मुख्यमंत्री उनसे कैसे नज़रें मिलाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने इस मामले में न्याय की मांग की या मुख्यमंत्री के इशारे पर काम नहीं किया, उन्हें दंडित किया गया, चाहे वे वरिष्ठ आईएएस हों या आईपीएस अधिकारी। ठाकुर ने बिजली बोर्ड और ऊर्जा निगम में फैली अनियमितताओं को उजागर करने वाले कर्मचारियों और इंजीनियर एसोसिएशंस के पदाधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई को सरकार की असंवेदनशीलता बताया। उनका कहना था कि इन आरोपों की कोई गंभीर जांच नहीं की गई, जिससे सरकार की नीयत पर सवाल उठते हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा, “यह प्रदेश की पहली सरकार है जो भ्रष्टाचार के आरोपियों को बचाकर उन्हें अहम पदों पर तैनात करती है। इस तरह के ‘व्यवस्था परिवर्तन’ ने आम जनता का सरकार पर भरोसा खत्म कर दिया है। जो भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे दंडित किया जा रहा है, जो प्रदेश के लिए घातक साबित होगा।” अंत में जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री से अपील की कि वे भ्रष्टाचार के आरोपों की गंभीरता से जांच कराएं और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों का मनोबल न तोड़ें।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 28 जुलाई से 31 जुलाई तक लगातार चार दिनों तक चलने वाली कैबिनेट बैठक बुलाई है। यह प्रदेश में पहली बार इतनी लंबी अवधि तक कैबिनेट बैठक आयोजित की जा रही है। इस बैठक में नगर निकाय चुनाव के आरक्षण रोस्टर, आपदा प्रभावितों के राहत एवं पुनर्वास के लिए स्पेशल पैकेज सहित कई अहम मुद्दों पर चर्चा और निर्णय लेने की संभावना है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने हाल ही में सराज विधानसभा क्षेत्र के दौरे के दौरान आपदा प्रभावितों को विशेष राहत पैकेज का भरोसा दिया था। मानसून के दौरान भारी बारिश, बादल फटने और फ्लैश फ्लड से प्रदेश में भारी तबाही हुई है। 425 घर पूरी तरह जमींदोज हो गए हैं, जबकि लगभग 800 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। खासतौर पर सराज विधानसभा क्षेत्र में करीब 30 प्रतिशत परिवार प्रभावित हुए हैं। आपदा में कई किसानों और बागवानों के खेत-खलियान, सेब के बगीचे बह गए हैं, और बड़ी संख्या में पालतू मवेशी भी बाढ़ में बह गए। प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता देने के लिए कैबिनेट बैठक में योजना बनाई जा रही है। खबर है कि जिनके घर पूरी तरह तबाह हुए हैं, उन्हें 7 लाख रुपए तक की आर्थिक मदद मिल सकती है, जबकि आंशिक नुकसान वाले और मवेशी-खेत खोने वालों को भी राहत दी जाएगी। इसके अलावा, कैबिनेट बैठक में नगर निकाय चुनाव के लिए आरक्षण रोस्टर को लेकर भी महत्वपूर्ण निर्णय लिया जाएगा। चुनाव आयोग ने प्रदेश के सभी 73 नगर निकायों में आरक्षण रोस्टर लगाने के आदेश दिए हैं, लेकिन सरकार ने इस मुद्दे पर अंतिम फैसला कैबिनेट बैठक में लेने की बात कही है। सेब खरीद के लिए भी कैबिनेट में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MIS) तय किए जाने की संभावना है। इसके साथ ही विभिन्न विभागों में होने वाली भर्तियों को भी बैठक में मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
हिमाचल प्रदेश के मंडी में भाखड़ा ब्यास सतलुज प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की नहर में शुक्रवार देर रात दो युवक डूब गए। जानकारी के अनुसार, तीन दोस्तों ने बग्गी चौक के पास नहर किनारे जश्न मनाया था। जश्न खत्म कर घर लौटते समय एक युवक का पैर नहर में फिसला और वह डूबने लगा। उसकी मदद के लिए दूसरा दोस्त भी नहर में कूद पड़ा, लेकिन दोनों ही पानी में समा गए। तीसरा दोस्त हादसे को देखकर घबरा गया और तुरंत पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलने पर पुलिस और एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और खोजबीन शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक दोनों युवकों का पता नहीं चल सका है। पुलिस ने सूचना देने वाले तीसरे युवक को हिरासत में लेकर मामले की जांच शुरू कर दी है। डूबे युवकों में बिलासपुर के आशीष गौतम और सुंदरनगर के पुराने बाजार के सुधीर शामिल हैं। आशीष गौतम सुंदरनगर में किसी बैंक में कार्यरत था, जबकि सुधीर किराये के कमरे में रहता था। तीसरे युवक हरजीत, जो लोहार पंचायत का निवासी है, ने पुलिस को घटना की जानकारी दी। लोहार पंचायत के प्रधान पन्नालाल ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि उन्होंने भी बल्ह पुलिस से संपर्क किया है। यह हादसा इलाके में शोक की लहर लेकर आया है। प्रशासन और सुरक्षा बल खोज कार्य जारी रखे हुए हैं।
राजस्व, बागवानी, जनजातीय विकास और जन शिकायत निवारण मंत्री जगत सिंह नेगी ने शनिवार को धर्मपुर उपमंडल के स्याठी गांव का दौरा कर प्राकृतिक आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में जारी राहत एवं पुनर्निर्माण कार्यों का बारीकी से निरीक्षण किया। प्रभावित लोगों से मिलकर हालचाल जाना और उनकी समस्याओं को सीधे समझने के साथ उन्होंने अधिकारियों को कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है कि हर प्रभावित व्यक्ति तक राहत सामग्री और आर्थिक मदद पहुंचे। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आपदा के 24 घंटे के भीतर प्रभावित इलाकों का दौरा कर प्रशासन को राहत एवं पुनर्वास कार्यों के कड़े निर्देश दिए हैं। मंत्री ने स्पष्ट किया कि जिन परिवारों के घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें अधिकतम 7 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी, जो देश में अब तक किसी राज्य सरकार द्वारा दी गई सबसे बड़ी राहत राशि है। हालांकि, भूमि की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है क्योंकि अधिकतर खाली जमीन वन क्षेत्र में आती है। इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार ने वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन हेतु केंद्र को प्रस्ताव भेजा है। वहीं, वन अधिकार अधिनियम के तहत भी आजीविका पर निर्भर परिवारों को जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अतिरिक्त, प्रभावित खेतों और बागीचों के नुकसान का आकलन राजस्व, कृषि और बागवानी विभाग संयुक्त रूप से करेंगे और मुआवज़ा राशि बढ़ाई गई है। राजस्व मंत्री ने लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग और विद्युत बोर्ड के पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति की जानकारी ली और उन्हें कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने अटल आदर्श विद्यालय मढ़ी का भी निरीक्षण किया। इस दौरान विधायक चन्द्रशेखर ने क्षेत्र के प्रभावित परिवारों की संख्या बताई और मुख्यमंत्री व सरकार के त्वरित राहत कार्यों के लिए आभार जताया। एसडीएम धर्मपुर जोगिंद्र पटियाल ने बताया कि अब तक प्रभावितों को लगभग 3.85 लाख रुपये की सहायता राशि विभिन्न मदों में दी जा चुकी है। 26 पूरी तरह से क्षतिग्रस्त पक्के घरों व 3 कच्चे घरों को 2.50 लाख रुपये, आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त 10 पक्के व 18 कच्चे घरों को 70 हजार रुपये की अग्रिम राहत दी गई है। साथ ही गौशालाओं को 65 हजार रुपये की सहायता प्रदान की गई। राहत सामग्री के तहत 29 राशन किट, 16 कंबल, 612 तिरपाल और गैस सिलेंडर आदि वितरण किए गए हैं। पेयजल योजनाओं में अधिकांश कार्य आंशिक रूप से बहाल हो चुके हैं और कुछ सड़कों की मरम्मत प्रगति पर है।
हिमाचल प्रदेश में बीजेपी विधायक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर तीखा तंज कसते हुए कहा, “ऊपर इंद्र और नीचे सुखविंदर, दोनों ने जनता की परेशानी बढ़ा दी है।” उन्होंने कहा कि आज हालात ऐसे हैं कि या तो जनता के ग्रह भारी हैं या फिर राजा के, लेकिन असर सीधा आम आदमी पर हो रहा है। सत्ती बोले, “अब जनता तय कर चुकी है कि इस राजा को बदलना ही होगा।” सराज से भेदभाव, हॉर्टिकल्चर कॉलेज का मुद्दा गरमाया सत्ती ने सराज विधानसभा क्षेत्र में थुनाग स्थित हॉर्टिकल्चर कॉलेज को शिफ्ट करने के फैसले को भेदभावपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद बीजेपी विधायकों के क्षेत्रों के साथ जानबूझकर भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने विधानसभा में कॉलेज न शिफ्ट करने का आश्वासन दिया था, लेकिन इसके बावजूद उसे हटा दिया गया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कॉलेज भवन को कोई नुकसान नहीं हुआ है, फिर भी वहां से कॉलेज को शिफ्ट करना जनता के हितों के खिलाफ है। इसी कारण, राजस्व मंत्री को जनता के विरोध का सामना करना पड़ा, और उल्टे 60 लोगों पर FIR दर्ज कर दी गई। ऊना पेखुबेला पावर प्रोजेक्ट में भारी फिजूलखर्ची का आरोप ऊना के पेखुबेला में 240 करोड़ रुपये की लागत से बने पावर प्रोजेक्ट को लेकर सत्ती ने गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि यह प्रोजेक्ट पानी में डूब गया है, कर्मचारी सैलरी न मिलने के चलते हड़ताल पर हैं और प्रोजेक्ट कभी भी ठप हो सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि जलभराव वाले क्षेत्र में बिना सोच-विचार के इतनी बड़ी परियोजना शुरू कर दी गई। कानून-व्यवस्था और गौ-तस्करी पर भी उठाए सवाल सत्ती ने कहा कि हिमाचल में लॉ एंड ऑर्डर की हालत खराब हो गई है। दिनदहाड़े फायरिंग हो रही है और गौ-तस्करी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। उन्होंने हाल ही में स्वारघाट में पकड़े गए टैंकर का ज़िक्र किया जिसमें गाय-बैल भरकर जम्मू-कश्मीर ले जाए जा रहे थे। देसराज की पोस्टिंग और SP शिमला पर सवाल सत्ती ने बिजली बोर्ड में देसराज की नियुक्ति को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि यह वही अधिकारी हैं जिन पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा था। हाईकोर्ट से फटकार खाने के बावजूद SP शिमला को भी उसी जगह दोबारा पोस्टिंग देना सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है।
हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन ने रफ्तार पकड़ ली है, और इसी के साथ सरकार ने बागवानों और किसानों को राहत देने की दिशा में एक अहम फैसला लिया है। प्रदेश में अब 1 अगस्त से 31 अक्तूबर तक बाहरी राज्यों से आने वाले ट्रकों को विशेष पथकर (Special Road Tax) से छूट दी जाएगी। खास बात यह है कि यह छूट उन ट्रकों को भी दी जाएगी जो नेशनल परमिट के दायरे में नहीं आते हैं, लेकिन हिमाचल में आलू और सेब जैसे कृषि उत्पादों का परिवहन कर रहे हैं। इस संबंध में प्रदेश के परिवहन विभाग ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। विभाग का उद्देश्य है कि मौजूदा सेब और आलू सीजन के दौरान किसानों और बागवानों को परिवहन में कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ न उठाना पड़े और उनके उत्पाद समय पर मंडियों तक पहुंच सकें। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि यह कदम किसानों और बागवानों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है। उन्होंने कहा कि सेब और आलू के परिवहन को आसान और किफायती बनाने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयासरत है। उन्होंने जानकारी दी कि सेब सीजन और बरसात के चलते परिवहन विभाग ने सभी जरूरी तैयारियां पूरी कर ली हैं और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आवश्यक एहतियात भी सुनिश्चित किए गए हैं। इसके साथ ही उपमुख्यमंत्री ने सभी हितधारकों से अनुरोध किया है कि वे सड़क सुरक्षा नियमों का पूरी तरह पालन करें ताकि सेब सीजन के दौरान सुचारु और सुरक्षित परिवहन व्यवस्था बनी रहे।
हिमाचल प्रदेश के शहरी इलाकों में भवन निर्माण के लिए अब ज्योलॉजिकल (भूगर्भीय) और संरचना डिजाइन (स्ट्रक्चर डिजाइन) की रिपोर्ट देना अनिवार्य कर दिया गया है। यह नियम शिमला, कुल्लू, धर्मशाला, ऊना, किन्नौर, मंडी, सोलन, नाहन और चंबा जैसे शहरों में लागू होगा। टीसीपी विभाग द्वारा तैयार किए जा रहे नए डेवलपमेंट प्लान में इंजीनियर और स्ट्रक्चर डिजाइन की रिपोर्ट रखना जरूरी होगा। इस योजना का मकसद हिमाचल में प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले भवन नुकसान को रोकना है। राजेश धर्माणी, टीसीपी मंत्री ने बताया कि सरकारी भवनों में यह नियम पहले से लागू है और अब इसे शहरी निजी भवनों पर भी लागू किया जा रहा है। इसके तहत नालों से कम से कम 5 मीटर और खड्डों या नदियों से 7 मीटर की दूरी पर ही भवन निर्माण की अनुमति दी जाएगी। इससे पहले नालों से 3 मीटर तथा खड्डों और नदियों से 5 मीटर की दूरी तय होती थी। हिमाचल में 2018 से लगातार प्राकृतिक आपदाओं का कहर जारी है, जिसके कारण कई भवन ढहे और जनहानि भी हुई है। अधिकारियों के मुताबिक ज्योलॉजिकल और स्ट्रक्चरल रिपोर्ट न होने के कारण कई भवन प्राकृतिक आपदा में असुरक्षित साबित हुए हैं। शिमला प्लानिंग एरिया में 5 मीटर चौड़ी सड़क वाले इलाकों में पांच मंजिला भवन निर्माण की अनुमति दी गई है, जबकि सड़क सुविधा न होने पर दो मंजिला भवन एवं एटिक का निर्माण ही संभव होगा। टीसीपी विभाग का मानना है कि इन नियमों के कड़ाई से पालन से भवन निर्माण अधिक सुरक्षित और मजबूती से होगा, जिससे भविष्य में आपदाओं का असर कम होगा।
बिजली महादेव रोपवे... यह रोपवे अब महज रोपवे नहीं रहा बल्कि कुल्लू की जनता के लिए उनकी आस्था, जंगल और पहचान की लड़ाई बन गया है। इस रोपवे निर्माण ने मानो प्रदेश में देवताओं की सत्ता और खुद को सत्ता के देवता मानने वालों के बीच एक जंग छेड़ दी है। हालांकि कुल्लू की जनता अब और सहने के मूड में बिल्कुल नहीं। इस रोपवे के विरोध में आज लोग एक साथ बाहर निकल आए। कुल्लू की सड़कों पर आज जो नज़ारा दिखा, वह सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि लोगों की भावनाओं का विस्फोट था। सैकड़ों लोग अपने देवता के आदेश, जंगल की शांति और घाटी की अस्मिता बचाने के लिए सड़क पर उतर आए। विरोध की आवाज़ पूरी घाटी में गूंज गई। प्रदर्शनकारी एक ही मांग कर रहे थे... किसी भी हालत में यह प्रोजेक्ट नहीं लगना चाहिए। ढोल नगाड़ों के बिना, नारों के साथ निकली, कुल्लू के रामशीला से ढालपुर मैदान तक फैली यह आक्रोश रैली केवल एक परियोजना का विरोध नहीं थी... यह एक चेतावनी थी कि अगर देवभूमि की चेतना को अनसुना किया गया, तो विरोध अब आवाज नहीं, लहर बन जाएगा। कुल्लू ही नहीं, मंडी के सेरी मंच पर भी लोगों ने रोष रैली निकालकर इस प्रोजेक्ट का विरोध जताया। लेकिन एक रोपवे का इतना विरोध क्यों हो रहा है? क्या कुल्लू के लोगों को विकास से परहेज है? आइए इस विरोध के पीछे की वजहों को ठहरकर समझने की कोशिश करते हैं। बिजली महादेव संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुरेश नेगी के मुताबिक, देववाणी में आदेश हुआ कि भगवान बिजली महादेव को रोपवे मंजूर नहीं। यह बात सुनते ही घाटी की जनता सड़कों पर उतर आई। ग्रामीणों का दावा है कि रोपवे के निर्माण से पहले देवताओं की सहमति नहीं ली गई और जबरन हजारों की संख्या में पेड़ काट दिए गए। सरकारी फाइलों में सिर्फ 72 पेड़ काटने की इजाजत थी, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि असल संख्या 100 के पार है। देवदार जैसे सदियों पुराने पेड़ों का यूं कट जाना न सिर्फ पर्यावरण के लिए खतरा है, बल्कि यह देवस्थल की आत्मा को ठेस पहुंचाने जैसा है। सिर्फ आस्था नहीं, आजीविका भी दांव पर बिजली महादेव पहुंचने के लिए अभी तीन घंटे की ट्रैकिंग करनी पड़ती है। यह सिर्फ एक रास्ता नहीं, बल्कि एक पूरा लोकल इकॉनमी है। घोड़े खच्चर वाले, ट्रैकिंग गाइड, ढाबे और छोटे व्यापारी, सभी की रोजी-रोटी इसी पर टिकी है। रोपवे बनते ही यह सिस्टम चरमरा जाएगा। स्थानीय बुजुर्ग शिवनाथ ने चेतावनी दी है कि यदि यह प्रोजेक्ट जबरन थोपा गया तो वे आत्मदाह तक कर सकते हैं। उनका कहना है, “देवताओं की इच्छा के विरुद्ध कुछ भी हुआ तो इसका असर पूरे क्षेत्र पर पड़ेगा।” विरोध के बीच सरकार की दलीलें सरकार कह रही है कि रोपवे से ट्रैफिक कम होगा, यात्रा आसान होगी और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। बिजली महादेव की तीन घंटे की चढ़ाई अब सिर्फ 7 मिनट की सवारी में बदलेगी। रोजाना 36 हजार लोग मंदिर तक पहुंच सकेंगे और ऑल वेदर कनेक्टिविटी भी सुनिश्चित होगी। बता दें कि मार्च 2024 में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस प्रोजेक्ट का वर्चुअल शिलान्यास किया था और 272 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। यह प्रोजेक्ट नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML) द्वारा 2026 तक पूरा किया जाना है। यह 2.3 किलोमीटर लंबा रोपवे 'पर्वतमाला' प्रोजेक्ट के तहत बन रहा है। लेकिन सियासत यहां भी है... एक दौर में इस प्रोजेक्ट के समर्थक रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता राम सिंह, अरविंद चंदेल और नरोत्तम ठाकुर अब इसके खिलाफ हैं। यहां तक कि पूर्व सांसद महेश्वर सिंह ने भूमि पूजन में शामिल होने के बाद मीडिया के सामने सफाई दी कि वे इस प्रोजेक्ट के समर्थक नहीं हैं। वहीं कांग्रेस विधायक सुंदर सिंह ठाकुर इस प्रोजेक्ट को विकास का प्रतीक बता रहे हैं। कुल्लू की राजनीति भी तीन हिस्सों में बंटी हुई दिख रही है, एक धड़ा आस्था और पर्यावरण के साथ खड़ा है, दूसरा पर्यटन और विकास के साथ, और तीसरा राजनीतिक मजबूरियों के बीच उलझा हुआ। बिना जनसुनवाई, बिना सहमति? स्थानीय संगठनों का आरोप है कि इस प्रोजेक्ट को बिना पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (EIA) और बिना जनसुनवाई के मंजूरी दी गई। कई ग्रामीणों को तब तक इसकी भनक तक नहीं लगी जब तक पेड़ कटने शुरू नहीं हुए।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने महिला एवं बाल विकास विभाग में अनुबंध पर नियुक्त पर्यवेक्षकों के नियमितीकरण में देरी को असंवैधानिक ठहराया है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की एकल पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ताओं की सेवाएं भी उनके सहकर्मियों की तरह 2 मई 2019 से नियमित मानी जाएं और सभी परिणामी लाभ छह सप्ताह के भीतर प्रदान किए जाएं। अदालत ने स्पष्ट किया कि सभी चयनित उम्मीदवारों ने एक ही विज्ञापन और समान चयन प्रक्रिया के तहत आवेदन किया था। उन्हें 30 मार्च 2016 को नियुक्ति पत्र दिए गए और 16 अप्रैल 2016 तक कार्यभार ग्रहण करने को कहा गया था। कुछ ने जल्दी ज्वाइन किया, कुछ ने कुछ दिन बाद, लेकिन चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया समान थी। ऐसे में केवल ज्वाइनिंग की तारीख के आधार पर नियमितीकरण में भेदभाव संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है। मामले की पृष्ठभूमि: 2015 में महिला एवं बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर के 69 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी। सभी चयनितों को नियुक्ति पत्र 30 मार्च 2016 को जारी हुए। कुछ उम्मीदवारों ने 31 मार्च व 1 अप्रैल को कार्यभार संभाल लिया, जिनकी सेवाएं 2 मई 2019 को नियमित हो गईं। लेकिन याचिकाकर्ताओं की सेवाओं को 11 अक्टूबर 2019 को नियमित किया गया, जिससे वे अपने सहकर्मियों से छह महीने पीछे रह गए। कोर्ट की टिप्पणी: "एक ही चयन प्रक्रिया, एक ही नियुक्ति आदेश, लेकिन अलग-अलग नियमितीकरण – यह सरासर भेदभाव है। राज्य को समानता के सिद्धांत का पालन करना चाहिए," अदालत ने कहा।
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रोहड़ू से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस तरलोक सिंह चौहान आज झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) पद की शपथ लेंगे। रांची स्थित राजभवन में झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। जस्टिस चौहान की यह नियुक्ति झारखंड हाईकोर्ट के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्रन के त्रिपुरा हाईकोर्ट स्थानांतरण के बाद हुई है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 26 मई 2025 को अपनी बैठक में उनके नाम की सिफारिश की थी। जस्टिस चौहान सोमवार को अपने परिजनों के साथ रांची पहुंच चुके हैं। हिमाचल हाईकोर्ट में भी निभाई अहम भूमिकाएं जस्टिस चौहान हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में दो बार कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की भूमिका निभा चुके हैं। उन्हें 23 फरवरी 2014 को अतिरिक्त न्यायाधीश और 30 नवंबर 2014 को स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। हाईकोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान वे कंप्यूटर और ई-कोर्ट कमेटी के अध्यक्ष भी रहे, और राज्य में न्यायिक डिजिटल संरचना को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। शुरुआती जीवन और शिक्षा जस्टिस चौहान का जन्म 9 जनवरी 1964 को रोहड़ू में हुआ। उन्होंने शिमला के प्रतिष्ठित बिशप कॉटन स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की, जहाँ वे स्कूल कैप्टन भी रहे। स्नातक की पढ़ाई डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ से ऑनर्स में पूरी की और उसके बाद पंजाब विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 1989 में उन्होंने वकालत की शुरुआत की और वरिष्ठ अधिवक्ता लाला छबील दास के चेंबर से जुड़कर कानूनी क्षेत्र में कदम रखा। कानूनी विशेषज्ञता और कोर्ट मित्र की भूमिका जस्टिस चौहान ने प्रदेश हाईकोर्ट में विभिन्न क्षेत्रों में वकालत की और राज्य विद्युत बोर्ड, नागरिक आपूर्ति निगम समेत कई सार्वजनिक संस्थानों के विधिक सलाहकार भी रहे। उन्हें हाईकोर्ट द्वारा कोर्ट मित्र भी नियुक्त किया गया, विशेषतः पर्यावरण, हाइड्रो प्रोजेक्ट्स, प्लास्टिक व तंबाकू प्रतिबंध, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, और सड़क निर्माण नीति जैसे महत्वपूर्ण मामलों में। सामाजिक सरोकार और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधित्व हाईकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने बाल कल्याण, मानसिक स्वास्थ्य, पुनर्वास और वृद्धाश्रमों के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित “न्यायपालिका और बदलती दुनिया” विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन सहित कई अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। साल 2019 में वे रोमानिया में आयोजित “बच्चों के लिए देखभाल और सुरक्षा सेवाओं के सुधार” विषय पर अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज प्रोग्राम में भी शामिल रहे। अकादमिक योगदान वे हिमाचल प्रदेश नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी शिमला की गवर्निंग काउंसिल और कार्यकारी परिषद के सदस्य भी रहे। साथ ही, वे राज्य की न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य की सभी प्रशासनिक सीमाओं में किसी भी प्रकार के बदलाव पर एक जनवरी 2026 से 31 मार्च 2027 तक रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं। यह निर्णय आगामी जनगणना और चुनावी प्रक्रियाओं के मद्देनज़र लिया गया है, ताकि इन कार्यों के दौरान प्रशासनिक ढांचे में स्थिरता बनी रहे। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, इस अवधि में राज्य के सभी जिलों, नगरपालिकाओं, उपमंडलों, तहसीलों, उपतहसीलों, राजस्व गांवों, कस्बों और वार्डों की सीमाएं यथावत रहेंगी। यानी इस दौरान कोई नई प्रशासनिक इकाई नहीं बनाई जाएगी और न ही किसी मौजूदा इकाई में संशोधन किया जा सकेगा। इस रोक का प्रभाव यह होगा कि नए वार्डों, कस्बों या राजस्व इकाइयों के निर्माण संबंधी प्रस्तावों पर अस्थायी रूप से रोक लग जाएगी। साथ ही, उपतहसीलों को तहसीलों में अपग्रेड करना या नई नगरपालिकाएं गठित करना भी मार्च 2027 से पहले संभव नहीं होगा। सरकार का यह फैसला प्रशासनिक स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है, जिससे जनगणना और निर्वाचन संबंधी कार्य सुचारू रूप से पूरे किए जा सकें।
हिमाचल प्रदेश राज्य चुनाव आयोग ने सभी उपायुक्तों को 22 जुलाई तक नगर निकायों में आरक्षण रोस्टर लागू करने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले यह समयसीमा 11 और फिर 15 जुलाई तय की गई थी। वार्डों के पुनर्सीमांकन से जुड़ा मामला हिमाचल हाईकोर्ट में लंबित था, लेकिन अब कोर्ट द्वारा उस पर लगी रोक हटा दी गई है, जिससे चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है। प्रदेश के 73 नगर निकायों में चुनाव प्रस्तावित हैं। शहरी विकास विभाग ने आयोग को पत्र लिखकर कहा था कि अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के अद्यतन आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए आरक्षण रोस्टर लागू कर पाना संभव नहीं होगा। विभाग ने तर्क दिया कि नवीनतम जनगणना आंकड़े वर्ष 2027 में ही उपलब्ध होंगे। इस पर चुनाव आयोग ने आपत्ति जताते हुए इसे चुनाव प्रक्रिया में अनावश्यक बाधा बताया और निर्देशों के पालन पर ज़ोर दिया।
कुल्लू। सावन के पावन महीने में बिजली महादेव मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद नहीं किए गए हैं। मंदिर के कारदार विनेंद्र जंबाल ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि श्रद्धालु मुख्य द्वार से भोले बाबा के दर्शन कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर फैल रही इस भ्रांति का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि कपाट बंद होने की खबरें निराधार हैं।उन्होंने बताया कि देव आदेश के तहत इस बार श्रद्धालुओं को केवल मुख्य द्वार से दर्शन की अनुमति दी गई है। इसके अलावा, मंदिर परिसर में शोर-शराबा, भजन कीर्तन, लंगर आयोजन और रात्रि ठहराव पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। उन्होंने ये भी कहा कि मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है, मगर मुख्या द्वार से शिवलिंग के दर्शन किए जा सकेंगे। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे परंपरा और मर्यादाओं का पालन करें तथा देवस्थल की गरिमा बनाए रखें। यह फैसला देव परंपराओं और लोक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जिससे श्रद्धा बनी रहे और व्यवस्था भी सुचारू रहे।
कभी देश के टॉप 30 स्वच्छ शहरों में गिना जाने वाला शिमला… आज 300 में भी नहीं है। करोड़ों की हाईटेक मशीनें, सफाई के तमाम दावे और योजनाएं…सब धरा का धरा रह गया और इस बार शिमला 347वें स्थान पर आ गया है। 2024 के स्वच्छता सर्वेक्षण में शिमला को 347वां स्थान मिला है, जो अब तक की सबसे निचली रैंकिंग है। इससे पहले 2023 में शहर 188वें और 2022 में 56वें पायदान पर था। 2016 में जब सर्वे में कम शहर शामिल थे, तब शिमला देश में 27वें स्थान पर था। करोड़ों रुपये की मशीनें और संसाधन झोंकने के बावजूद सफाई के मोर्चे पर यह गिरावट नगर निगम और जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है। कभी मिसाल था शिमला, अब चिंता का विषय 2016 में शिमला ने स्वच्छता रैंकिंग में 27वां स्थान हासिल कर देशभर का ध्यान अपनी ओर खींचा था। इसे सफाई व्यवस्था, कचरा प्रबंधन और नागरिक सहभागिता के लिए एक आदर्श मॉडल माना गया। मगर बीते कुछ वर्षों में नगर निगम की सुस्त कार्यप्रणाली, राजनीतिक अस्थिरता और अभियानात्मक ढिलाई ने शिमला को इस गर्त में धकेल दिया है। वर्ष शिमला की रैंक 2016 27 2017 47 2018 144 2019 127 2020 65 2023 56 2024 188 2025 347 रिपोर्ट में किन बिंदुओं पर फेल हुआ शिमला? स्वच्छ सर्वेक्षण 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, शिमला डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण, कचरा निपटान और स्रोत स्तर पर कचरे की छंटाई जैसे मूलभूत मानकों पर बेहद कमजोर प्रदर्शन कर रहा है। डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण: सिर्फ 42% कचरे का निपटान: 44% स्रोत स्तर पर कचरे की छंटाई: मात्र 2% डंपिंग साइट की स्थिति: 0% (पूर्ण असंतोषजनक) सार्वजनिक शौचालयों की सफाई: 67% जबकि आवासीय और बाजार क्षेत्रों की सफाई रिपोर्ट में 100% अंक दिए गए हैं, लेकिन असल तस्वीर इससे अलग प्रतीत होती है। नगर निगम ने बताया सर्वे को 'त्रुटिपूर्ण' हाई कोर्ट के निर्देशों और राज्य सरकार की निगरानी के बावजूद जब यह रिपोर्ट सामने आई, तो नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. चेतन चौहान ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "इस सर्वे में कई तथ्यों को गलत दर्शाया गया है। शिमला में डोर-टू-डोर कूड़ा नियमित रूप से उठ रहा है, लेकिन आंकड़ों में सिर्फ 42% दिखाया गया है। हम इस रिपोर्ट को चुनौती देंगे।"