हरियाणा भाजपा अध्यक्ष व हरियाणवी गायक के खिलाफ गैंगरेप के आरोप के मामले में नया मोड़ आ गया है। मंगलवार को सार्वजनिक हुए इस हाई-प्रोफाइल केस में पीडि़ता की सहेली व मामले में अहम गवाह महिला ने बुधवार को प्रेस कान्फ्रेंस की है। पंचकूला में आयोजित इस प्रेस कान्फ्रेंस में महिला ने पूरे केस को ही झूठा करार दे दिया है। उसने मीडिया के सामने कहा कि उसे झूठा गवाह बनाया गया है, जबकि उसके सामने ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। महिला के इस बयान के बाद पहले से ही उलझा हुआ मामला अब और अधिक उलझता हुआ नजर आ रहा है। पीडि़ता की सहेली ने बुधवार को मीडिया से रू-ब-रू होकर कहा कि वह दिल्ली की रहने वाली है और वह अपनी सहेली व उसके बॉस के साथ मनाली घूमने गए थे। इसके बाद वह कसौली होटल में पहुंचे, जहां पर उन्हें रॉकी मित्तल मिला। चर्चित गायक होने के चलते वह उसे पहले से ही जानते थे, जबकि मोहन लाल बड़ौली को वो नहीं पहचानती थी। इस दौरान चर्चित चेहरा होने के कारण रॉकी मित्तल से उन्होंने कुछ समय के लिए बात की और उसके बाद कोई बात नहीं हुई। सहेली ने बताया कि इसके पश्चात वह अपनी सहेली और उसके बॉस के साथ कमरे में चली गई और कुछ देर बाद वहीं सो गए व अगले दिन सुबह वहां से वापस आ गए। उसने मीडिया को बताया कि वहां ऐसा कुछ नहीं हुआ था। इतने बड़े होटल में यदि गैंगरेप या इस तरह की कोई घटना होती तो उसके चीखने चिल्लाने की आवाज तो किसी ने सुनी होती। जब मुझे पता चला कि इस तरह की कोई एफआईआर दर्ज हुई है और उसमें मुझे गवाह बनाया गया है, तो मैं सकते में आ गई। इस पर मैंने साफ मना कर दिया तो पीडि़ता ने कहा कि उनका कुछ मसला है। पैसे भी मिलेंगे और उसके बॉस को टिकट या चेयरमैनशिप दी जाएगी। उसने कहा कि वह जॉब करती है और इस सबसे उसका कुछ लेना देना नहीं है। मामले को लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी कथित तौर पर सवाल खड़े होने लगे हैं। मामले में एफआईआर को एक माह से अधिक का समय हो गया है, लेकिन अभी तक इसमें कोई भी गिरफ्तारी न होने से प्रश्न चिन्ह खड़े हो रहे हैं। पुलिस के सूत्रों की मानें तो मामला करीब डेढ़ वर्ष पुराना है और पीडि़ता ने भी मेडिकल नहीं करवाया है। ऐसे में पुलिस को मामले में पुख्ता सुबूत मिल पाना भी एक टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। न तो उस समय की सीसीटीवी फुटेज मिल पाई है और न ही अन्य कोई सुबूत। इस हाई-प्रोफाइल केस में हरियाणा के ही अमित बिंदल का नाम भी जुड़ गया है। बताया जा रहा है कि पीडि़ता की सहेली जिस बॉस की बात कर रही है, वह और कोई नहीं बल्कि अमित बिंदल ही हैं। उनके साथ ही यह कसौली घूमने के लिए आई थी। अमित बिंदल सोनीपत के रहने वाले हैं और वर्ष 2022 में वे जेजेपी को छोडक़र भाजपा में शामिल हो गए थे। 2024 में लोकसभा चुनाव में वे सोनीपत से भाजपा की टिकट मांग रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। बताया जा रहा है कि वह वर्ष 2022 में जीएसटी गबन केस में तिहाड़ जेल में भी रहे हैं। इस पूरे हाई-प्रोफाइल मामले को लेकर सोलन पुलिस के अधिकारियों ने भी चुप्पी साधी हुई है। वह मामले को लेकर कुछ भी बताने से कतरा रहे हैं और कुछ मीडिया कर्मियों के फोन तक उठाने से परहेज कर रहे हैं।
मुंबई में फिल्म अभिनेता सैफ अली खान के बांद्रा पश्चिम स्थित घर में गुरुवार तडक़े हुई चोरी की घटना में सैफ अली घायल हो गए। पुलिस ने बताया कि आज तडक़े करीब साढ़े तीन बजे सैफ अली खान और उनकी पत्नी अभिनेत्री करीना कपूर के बांद्रा पश्चिम वाले घर में चोरी की बड़ी घटना हुई। चोरी के दौरान सैफ अली खान पर चाकू से हमला भी किया गया। उन्होंने बताया कि सैफ अली खान को इलाज के लिए लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अभिनेता को पहले चाकू मारा गया है या चोर के साथ हुई झड़प में वह घायल हुए हैं। मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच दोनों ही इस मामले की जांच में जुटी हुई हैं। लीलावती अस्पताल के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर डॉक्टर नीरज उत्तमानी ने बताया सैफ अली को अस्पताल में रात 3.30 बजे लाया गया था। सैफ को हमले में छह चोटें आई हैं, जिसमें से दो घाव काफी गहरे है। हम उसका ऑपरेशन कर रहे है। यह आपरेशन न्यूरोसर्जन नितिन डांगे और कॉस्मेटिक सर्जन लीना जैन कर रहे है। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया की चोरों का पता लगाने के लिए पुलिस की कई टीम बनाई गई हैं और प्राथमिकी भी दर्ज की जा रही है। यह वारदात उस समय हुई जब सैफ अपनी पत्नी करीना के बांद्रा पश्चिम वाले घर सतगुरु शरण में परिवार के साथ सो रहे थे। अब अस्पताल में घर के सभी लोगों के साथ उनके दो बेटे तैमूर और जेह है। सैफ अली पूर्व क्रिकेटर मंसूर अली खान और अभिनेत्री शर्मिला टैगोर के पुत्र हैं।
बीजेपी हरियाणा के अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली और सिंगर रॉकी मित्तल के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया है। ये केस हिमाचल के कसौली पुलिस थाना में 13 दिसंबर को दर्ज हुआ है। केस दर्ज कराने वाली महिला का आरोप है कि 7 जुलाई 2023 को उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया। केस में आरोप लगाया गया है कि रॉकी मित्तल ने अभिनेत्री बनवाने और मोहन लाल बड़ौली ने सरकारी नौकरी दिलाने का झांस देकर दुष्कर्म किया। पुलिस के मुताबिक मामला दर्ज कर लिया गया है और इसकी जांच जारी है। महिला ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। इसमें बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली पर भी आरोप लगाए गए हैं। हालांकि रेप के आरोप पर मोहन लाल बड़ौली ने कहा है कि यह महज राजनीतिक स्टंट है और पूरा मामला झूठा है। इसका सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं है। पुलिस मामले की जाँच कर रही हैं।
राज्य की सांस्कृतिक विरासत, शिल्प और व्यंजनों का भव्य जश्न मनाने वाला 15 दिवसीय हिमाचल प्रदेश हिम महोत्सव कल देर शाम दिल्ली हाट में अपार सफलता के साथ संपन्न हुआ। हिम महोत्सव का आयोजन हिमाचल प्रदेश सरकार ने केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) के सहयोग से किया गया। महोत्सव में न केवल राज्य की कलात्मक विरासत को प्रदर्शित किया गया, बल्कि स्थानीय कारीगरों को 2 करोड़ रुपये का कारोबार भी दिया गया। महोत्सव से जहां कारीगरों के उत्पादों को व्यापक स्तर पर पहचान मिली वहीं सांस्कृतिक संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक प्रगति भी सुनिश्चित हुई। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए कहा कि हिम महोत्सव ने हिमाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और आधुनिक व्यावसायिक दुनिया में अलग पहचान बनाई है। हिम महोत्सव ने राज्य के विविध हस्तशिल्प, पारंपरिक परिधानों और व्यंजनों को पहचान दिलाने के साथ-साथ कारीगरों के लिए सफलतापूर्वक नए व्यावसायिक अवसर सृजित किए हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल से पारंपरिक शिल्पकला को समसामयिक व्यापार गतिविधियों के साथ-साथ आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आर.डी. नजीम ने आगंतुकों से मिली प्रतिक्रिया की सराहना करते हुए कहा कि इससे हिमाचली शिल्प में देश की बढ़ती रुचि की झलक दिखती है। उन्होंने कहा कि इस सफलता से कारीगरों के लिए नए अवसर सृजित होंगे और राष्ट्रीय मंच पर हिमाचल की उपस्थिति और मजबूत होगी। महोत्सव में विभिन्न प्रकार के 60 स्टॉल लगाए गए जहां कारीगरों ने ऊनी शॉल, चंबा रूमाल, कांगड़ा पेंटिंग और पारंपरिक आभूषणों सहित हस्तनिर्मित उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित की। इसके अतिरिक्त राज्य के प्रसिद्ध व्यंजन हिमाचली धाम के जायके ने आगंतुकों को आकर्षित किया जिससे प्रदेश की संस्कृति का अनुभव और समृद्ध हुआ। हिमाचल की जीवंत सांस्कृतिक परंपराओं का जश्न मनाते हुए कार्यक्रम में कांगड़ा के गद्दी नृत्य और सिरमौर की नाटी भी शानदार प्रस्तुित दी गई। ग्रैंड फिनाले में हिमाचली फैशन शो भी हुआ जिसमें पारंपरिक परिधानों का प्रदर्शन किया गया जो इस उत्सव का मुख्य आकर्षण रहा। उत्सव में दो करोड़ रुपये का कारोबार हुआ जिससे हिमाचल प्रदेश के दूर-दराज के क्षेत्रों के कारीगरों की आर्थिकी सुदृढ़ हुई। आगंतुकों के साथ सीधे संपर्क ने कारीगरों को उन्हें अपने बाजार की पहुंच बढ़ाने, वित्तीय स्थिरता बढ़ाने और व्यापक स्तर पर पहचान बनाने में मदद की। हिम महोत्सव प्रदेश के कारीगरों के लिए एक उम्मीद की किरण बन गया है, जिसमें पारंपरिक कला को आधुनिक व्यवसायिक गतिविधियों के साथ जोड़ा गया है। महोत्सव ने हिमाचल की समृद्ध विरासत के लिए एक राष्ट्रीय मंच प्रदान किया है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए संस्कृति के संरक्षण तथा विकास को सुनिश्चित करने में मदद की है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के ओएसडी केएस बांशटू, आवासीय आयुक्त मीरा मोहंती, प्रबंध निदेशक हिमक्राफ्ट्स कॉरपोरेशन गंधर्व राठौर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह मंगलवार को दिल्ली रवाना होंगे। बुधवार को नई दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के नए कार्यालय का शुभारंभ होना है। हाईकमान ने सभी वरिष्ठ नेताओं को समारोह में मौजूद रहने के निर्देश जारी किए हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष सहित कई कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस विधायक भी दिल्ली जा रहे हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार मुख्यमंत्री सुक्खू 15 या 16 जनवरी को दिल्ली से ही कांगड़ा प्रवास के लिए धर्मशाला रवाना होंगे। 25 जनवरी तक मुख्यमंत्री सुक्खू जिला कांगड़ा के दौरे पर रहेंगे। पूर्ण राज्यत्व दिवस का राज्य स्तरीय समारोह भी इस बार जिला कांगड़ा के बैजनाथ में हो रहा है। 25 जनवरी को इसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री सुक्खू करेंगे। समारोह के बाद मुख्यमंत्री शिमला लौटेंगे और 26 जनवरी को ऐतिहासिक रिज मैदान पर आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस में शामिल होंगे।
चंडीगढ़ में सनातन धर्म शक्ति दल मंदिर सेक्टर 16 में आज अंजना गुप्ता प्रधान की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई, जिसमें संगठन का विस्तार करते हुए बाबा देवनाथ को संरक्षक, मनीष भसीन को चेयरमैन, सुरेश राणा को सीनियर उपाध्यक्ष, अंकुश गुप्ता को महामंत्री, डॉ गिरीश सचदेवा को संयुक्त मंत्री, अयनर ठाकुर को मंत्री, दविंदर सिद्धू को कोषाध्यक्ष , रचित कौशल को कानूनी सलाहकार का सर्व सहमति से दायित्व दिए गए और बाकी कार्यकारिणी अधिकारी चांद बयाना,अचला भल्ला, सुरेंद्र ठाकुर,जया जैन, नीना चौहान, सुशीला, कमलेश शर्मा, सबीना बंसल ,एवं कार्यकारणी सदस्य से अनुज कुमार सहगल, जीत बंसल, सागर द्रविड़ , डॉ अश्वनी कुमार बयाना, मनजीत कुमार, पंकज शर्मा एवं सुनील बागड़ी मुख्य रूप से उपस्थित रहे। सभी सदस्यों की सर्व सहमति से यह दायित्व दिए गए इसके बाद ओम का उच्चारण करके उनकी सभी सदस्यों ने सहमति दी।
नेता प्रतिपक्ष ने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय स्वास्थ्य-परिवार कल्याण और रसायन एवं उर्वरक मंत्री जगत प्रकाश नड्डा से दिल्ली में शिष्टाचार भेंट की। इन दौरान जगत प्रकाश नड्डा हिमाचल प्रदेश के विकास संबंधी विषयों पर चर्चा हुई।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब नई दिल्ली स्थित हिमाचल भवन अटैच नहीं होगा। प्रदेश सरकार की ओर से हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में 93.96 करोड़ रुपये जमा करा दिए हैं। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 13 जनवरी 2023 के न्यायाधीश संदीप शर्मा की ओर से पारित फैसले पर पूर्ण रोक लगा दी है। प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने कहा कि जब तक मुख्य याचिका लंबित है, तब तक 13 जनवरी 2023 के न्यायाधीश संदीप शर्मा के दिए गए फैसले पर पूर्ण रोक रहेगी। अब जो एलपीए (लेटर पेटेंट अपील) विशेष खंडपीठ के पास लंबित है, उस पर सरकार और सेली कंपनी की ओर से 24 मार्च को बहस होगी। राज्य सरकार की तरफ से हिमाचल हाईकोर्ट में जनवरी 2023 के आदेशों को परिवर्तन करने की गुहार लगाई थी, जिसमें अदालत ने सरकार को अपफ्रंट प्रीमियम के तौर पर 64 करोड़ रुपये 7 फीसदी ब्याज सहित जमा करने के आदेश दिए थे। वहीं, हाईकोर्ट के आदेश के बाद सेली कंपनी अब रजिस्ट्री में जमा पैसे नहीं निकाल सकेगी, क्योंकि हाईकोर्ट ने एकल जज के फैसले पर ही रोक लगा दी है। यह उल्लेखनीय है कि सेली हाइड्रो कंपनी की ओर से वर्ष 2018 में सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें सरकार पर आरोप लगाए हैं कि कंपनी की ओर से अपफ्रंट प्रीमियम के तौर पर जमा किए गए 64 करोड़ रुपये वापस नहीं किए गए। एकल जज की पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए सरकार को कंपनी का 64 करोड़ रुपये अपफ्रंट प्रीमियम 7 फीसदी ब्याज सहित वापस करने के निर्देश दिए। सरकार ने एकलपीठ के फैसले को डबल बैंच में चुनौती दी। खंडपीठ ने भी सरकार को पैसे जमा करने के निर्देश दिए और साथ ही कंपनी को प्रीमियम रिलीज करने पर रोक लगा दी। बार-बार समय देने के बाद भी सरकार ने जब यह पैसा जमा नहीं किया, तब अदालत ने फैसले पर लगी रोक को हटा दिया। उसके बाद सेली हाईड्रो कंपनी की ओर से ऊर्जा विभाग के खिलाफ अनुपालना याचिका दायर की गई। उसी के एवज में एकल न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने नवंबर में हिमाचल भवन को अटैच करने के आदेश पारित किए। साथ ही उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए, जिनकी वजह से समय पर यह पैसा अदालत में जमा नहीं किया गया। अदालत ने कहा कि अगर समय पर पैसा जमा किया होता, तो सरकार को ब्याज के रूप में 29 करोड़ रुपये अतिरिक्त जमा नहीं करने पड़ते। अदालत ने सरकार से अगली सुनवाई में दोषी अधिकारियों के खिलाफ की जांच रिपोर्ट को प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश गोयल के आदेशों के बाद ही सरकार ने यह पैसा ब्याज सहित हाईकोर्ट में जमा किया।
कोलकाता में अंडर-23 वनडे क्रिकेट टूर्नामेंट में हिमाचल प्रदेश और गुजरात की टीमें मंगलवार को सेमीफाइनल में आमने-सामने होंगी। अगर हिमाचल की टीम सेमीफाइनल में गुजरात को हरा देती है तो यह पहला मौका होगा जब सूबे की अंडर-23 टीम फाइनल में जगह बनाएगी। हिमाचल की टीम में क्वार्टर फाइनल मैच में तमिलनाडु को आठ रन से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया है। जबकि गुजरात ने छत्तीसगढ़ को हराकर फाइनल में जगह बनाई है। अंडर-23 टूर्नामेंट में अपने पूल में हिमाचल की टीम ने कुल सात मुकाबलों में छह में जीत हासिल की। एक मैच गुजरात से हारा। इसके बाद टीम ने अपने पूल में टॉप दो में जगह बनाकर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया। बडोदरा में 21 दिसंबर को खेले गए वनडे मैच में गुजरात ने हिमाचल को 17 रन से पराजित किया। इसमें गुजरात की टीम ने 50 ओवरों में आठ विकेट खोकर 308 रन बनाए। जबकि हिमाचल की टीम 50 ओवर में 291 रन पर ही आलआउट हो गई। इस मैच में हिमाचल से इनेश महाजन ने 92 रन और कप्तान मृदुल सरोच ने 68 रन की अर्धशतकीय पारी खेली। इसके अलावा गेंदबाजी में अनिकेत ने चार विकेट हासिल किए था। वहीं, क्वार्टर फाइनल मुकाबले में तमिलनाडु के खिलाफ हिमाचल के इनेश महाजन शतकीय पारी खेली थी और अनिकेत ने चार विकेट चटकाए थे। एचपीसीए के सचिव अवनीश परमार ने कहा कि उम्मीद है कि हिमाचल की अंडर-23 टीम सेमीफाइनल में गुजरात को मात देकर फाइनल में जगह बनाएगी। क्वार्टर फाइनल में तमिलनाडु को हराने के बाद हिमाचल की टीम पूरे जोश में है।
भारत में चीन में फैल रहे ह्यूमन मेटाप्न्यूमोवायरस (एचएमपीवी) संक्रमण के मामले अब सामने आने लगे हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने जानकारी दी है कि कर्नाटक में दो लोगों में इस वायरस का संक्रमण पाया गया है। इसके अलावा, गुजरात में भी एक 2 साल के बच्चे में एचएमपीवी संक्रमण की पुष्टि हुई है। इस बच्चे का इलाज अहमदाबाद के चांदखेड़ा इलाके के एक निजी अस्पताल में चल रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि कर्नाटका में 3 महीने की एक बच्ची और 8 महीने के एक बच्चे में इस वायरस का संक्रमण पाया गया है। इन दोनों बच्चों को बेंगलुरु के बैपटिस्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इन बच्चों ने किसी प्रकार की अंतरराष्ट्रीय यात्रा नहीं की थी। मंत्रालय ने यह जानकारी दी कि बच्ची को पहले ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, जबकि शिशु की स्थिति अब बेहतर हो रही है। मंत्रालय ने बताया कि ये संक्रमण पहले से ही दुनिया के विभिन्न हिस्सों में मौजूद हैं, और घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। कर्नाटका सरकार ने भी कहा है कि इस वायरस से घबराने की कोई वजह नहीं है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडुराव ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सरकार स्थिति पर नजर रख रही है और केंद्र से निर्देश का इंतजार कर रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी रेखांकित किया कि भारत ने श्वसन संबंधी बीमारियों के लिए पहले से ही तैयारियां की हैं और यदि आवश्यक हुआ तो सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय तुरंत लागू किए जा सकते हैं। भारत में इस वायरस को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है, क्योंकि ये बीमारियां पहले से ही दुनियाभर में मौजूद हैं और इनसे निपटने के लिए देश तैयार है।
चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) वायरस तेजी से फैल रहा है। यह वायरस खास तौर से बच्चों में देखा जा रहा है। चीन में HMPV वायरस की वजह से एक बार फिर से कोरोना महामारी जैसी स्थिति बन गई है। अस्पतालों में इस वायरस की चपेट में आए मरीजों की भारी भीड़ नजर आ रही है, जिनमें ज्यादातर बच्चे शामिल हैं। वहीं, इस वायरस की वजह से बड़ी संख्या में मौते भी हो रही है। इस बीच जो खबर आई है वो हर भारत के लिए चिंता बढ़ाने वाली है। चीन में कोराना की तरह तेजी से फैलने वाला HMPV वायरस ने अब भारत में भी दस्तक दे दी है। पहला मामला बेंगलुरु में आया है। यहां एक 8 महीने की बच्ची में HMPV वायरस डिटेक्ट किया गया है। शहर के बैपटिस्ट अस्पताल में यह पहला मामला सामने आया है। अस्पताल के अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में 8 महीने के बच्ची में HMPV वायरस पाया गया है। यह भारत का पहला केस है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अभी सरकारी लैब में इसका टेस्ट नहीं किया गया है। मगर एक प्राइवेट हॉस्पिटल से यह रिपोर्ट आई है और इस रिपोर्ट पर संदेह नहीं किया जा सकता है। सरकारी लैब में भी इसका टेस्ट कराया जाएगा। US सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, HMPV सभी उम्र के लोगों, खासकर छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में ऊपरी और निचले श्वसन रोग का कारण बन सकता है। 2001 में इसका पता लगाया गया था और यह श्वसन सिंकिटियल वायरस (RSV) के साथ न्यूमोविरिडे से संबंधित है। HMPV के लक्ष्णों की बात करें, तो इसमें सामान्य सर्दी या फ्लू जैसे ही लक्षण दिखाई देते हैं। गंभीर मामलों में, यह घरघराहट या सांस की तकलीफ, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया या अस्थमा के बढ़ने का कारण बन सकता है। इस वायरस से सबसे ज्यादा खतरा पांच साल से कम उम्र के बच्चे, खास तौर पर नवजात शिशु, वृद्ध वयस्क, जिनकी उम्र 65 वर्ष से अधिक हो और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले या अस्थमा या सीओपीडी जैसी पुरानी श्वसन संबंधी बीमारियों वाले व्यक्तियों को है।
भारतीय जनता पार्टी संगठनात्मक चुनाव की समीक्षा बैठक रविवार को राष्ट्रीय राजधानी स्थित पार्टी मुख्यालय विस्तार कार्यालय में चल रही है। बैठक में संगठन महासचिव बीएल संतोष, राष्ट्रीय महासचिव, सभी प्रदेश अध्यक्ष, राज्य संगठन महासचिव और संगठन चुनाव प्रभारी सह प्रभारी मौजूद हैं। भाजपा का लक्ष्य 15 जनवरी तक 50 फीसदी राज्यों में मंडल, जिला और राज्य पदों के चुनाव पूरे करना है। 26 दिसंबर को भाजपा ने दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय विस्तार कार्यालय में आरएसएस के साथ मंथन किया शनिवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आप सरकार पर आगामी चुनावों से पहले दिल्ली में अवैध मतदाताओं को बसाने का आरोप लगाया। सचदेवा का दावा है कि यह एक बार-बार होने वाला मुद्दा रहा है, केजरीवाल सरकार हर विधानसभा चुनाव से पहले अवैध मतदाताओं को बसाने की सुविधा देती है। सचदेवा ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी की सरकार लगातार दिल्ली में अवैध मतदाताओं को बसाने का काम कर रही है। उन्होंने पिछले चुनावों के दौरान मतदाताओं की संख्या में वृद्धि की ओर इशारा करते हुए फर्जी मतदाता जोड़ने का एक पैटर्न का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 2015 में 14 लाख वोट बढ़े, 2019 में 9 लाख वोट बढ़े और अब दिल्ली में भी यही साजिश रची जा रही है। सचदेवा के मुताबिक, यह प्रथा दिल्ली सरकार द्वारा चुनाव परिणामों को अपने पक्ष में करने के लिए अपनाई गई एक चाल है. दिल्ली में विधानसभा चुनाव 2025 की शुरुआत में होने की उम्मीद है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए सभी 70 उम्मीदवारों की सूची पहले ही जारी कर दी है।दिल्ली में लगातार 15 साल तक सत्ता में रही कांग्रेस ने पिछले दो विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन किया है और एक भी सीट जीतने में विफल रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में आप ने 70 में से 62 सीटें जीती थीं और भाजपा ने आठवीं सीट हासिल की थी।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक कर्नाटक के बेलगावी में आज आयोजित होगी। बैठक में हिस्सा लेने के लिए हिमाचल से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री और प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह रवाना हो गए हैं। बेलगावी में दिल्ली के विधानसभा चुनाव और संसद भवन के बाहर की धक्का-मुक्की पर मचे कोहराम पर कांग्रेस की अगली रणनीति तय होगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बुधवार को दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं। वह यहां से गुरुवार तडक़े बेलगावी जाएंगे। मुख्यमंत्री गुरुवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी में हिस्सा लेंगे। कांग्रेस वर्किंग कमेटी में दिल्ली विधानसभा चुनाव, संसद भवन के बाहर हुए हंगामे और डा. भीम राव अंबेडकर पर केंद्र सरकार को घेरने की रणनीति तैयार हो सकती है। इसके अलावा हिमाचल के मुद्दों को लेकर 28 दिसंबर को ही दिल्ली में बात होने की संभावना है। 28 को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली लौट आएंगे और यहां पार्टी के आला नेताओं से उनकी मुलाकात होगी, जबकि 27 को वह बेलगावी में महात्मा गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने के शताब्दी समारोह में हिस्सा लेंगे। इस मौके पर कांग्रेस वर्किंग कमेटी की ओर से शताब्दी रैली का भी आयोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री 28 दिसंबर को कर्नाटक से दिल्ली लौटेंगे और यहां कांग्रेस आलाकमान के नेताओं से उनकी मुलाकात होगी। मुख्यमंत्री का 29 दिसंबर को शिमला वापस लौटने का कार्यक्रम है। गौरतलब है कि महात्मा गांधी ने 27 दिसंबर 1924 को बेलगावी में आयोजित एक अधिवेशन के दौरान कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पदभार संभाला था। कांग्रेस वर्किंग कमेटी इस शताब्दी समारोह का भव्य आयोजन करने जा रही है और इस कड़ी में प्रदेश भर के नेता बेलगाम में जुटने वाले हैं। कर्नाटक में सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी रवाना हो गई हैं। प्रतिभा सिंह कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य भी हैं। वह 26 दिसंबर को कर्नाटक के बेलगावी में होने वाली कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भाग लेंगी। उपमुख्यमंत्री भी कर्नाटक रवाना हुए हैं। यह सभी नेता 28 दिसंबर को दिल्ली में हिमाचल प्रभारी राजीव शुक्ला समेत अन्य नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व महासचिव हिमुडा के उपाध्यक्ष यशवंत छाजटा ने बताया है कि 26 दिसंबर को सीडब्ल्यूसी की बैठक में भाग लेने के बाद प्रतिभा सिंह 27 दिसंबर को बेलगावी में महात्मा गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने के शताब्दी समारोह पर आयोजित स्मारक रैली में हिस्सा लेंगी। इसके उपरांत दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेताओं व प्रदेश मामलों के प्रभारी राजीव शुक्ला से भेंट कर संगठन से जुड़े सभी मसलों व पीसीसी के गठन को लेकर विचार विमर्श भी करेंगी। इस दौरान प्रदेश में चल रहे संगठन चुनाव और सरकार में खाली पदों को भरने के मुद्दे पर प्रतिभा सिंह चर्चा कर सकती हैं। प्रदेश में कांग्रेस संगठन को भंग कर दिया गया है और चुनाव की प्रक्रिया जारी है। ब्लॉक से राज्य स्तर तक नए पदाधिकारी कांग्रेस पार्टी में तय होंगे, लेकिन इस बीच मुख्य लड़ाई उन अहम पदों के लिए है, जो हाइकमान और राज्य सरकार के मध्य सेतु का काम करेंगे। इनमें महासचिव समेत कार्यकारी अध्यक्ष के पद शामिल हैं। इन पदों पर सरकार और संगठन में अपने खास लोगों को स्थान दिलवाने की होड़ लगी है। अब देखना यह है कि इस बैठक के बाद कांग्रेस संगठन किस रूप में निखरता है।
कजाकिस्तान के अक्तौ शहर के पास बुधवार को एक यात्री विमान क्रैश हो गया है। बताया जा रहा है कि इस विमान में 100 से ज्यादा लोग सवार थे। शुरुआती रिपोर्ट्स से पता चला है कि इसमें कुछ लोग जीवित बचे हैं। मंत्रालय ने कहा कि इमरजेंसी सर्विसेज दुर्घटनास्थल पर आग बुझाने की कोशिश कर रही हैं। रूसी समाचार एजेंसियों ने कहा कि विमान का संचालन अज़रबैजान एयरलाइंस के ज़रिए किया जा रहा था और यह रूस के चेचन्या में बाकू से ग्रोज़नी के लिए उड़ान भर रहा था, लेकिन ग्रोज़नी में कोहरे के कारण इसका मार्ग बदल दिया गया। अज़रबैजान एयरलाइंस की तरफ से हादसे के बारे में फौरन कोई बयान जारी नहीं किया गया है, हालांकि कज़ाख मीडिया का कहना है कि विमान में 105 यात्री और चालक दल के पांच सदस्य सवार थे।
मोहाली के सोहाना में शनिवार शाम को एक चार मंजिला इमारत गिर गई। इमारत के गिरते ही वहां अफरा-तफरी मच गई। कड़ी मशक्कत के बाद एनडीआरएफ की टीम ने एक महिला का शव मलबे के नीचे से निकाला। वहीं रविवार सुबह एक पुरुष का शव बरामद किया गया। मृतक की पहचान अंबाला के रहने वाले अभिषेक धनवाल के रूप में हुई है। भारतीय सेना और एनडीआरएफ के जवान बचाव अभियान में जुटे हैं। सेना के अनुसार, अभी मलबे में दो और शव दबे होने की संभावना है। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार इमारत के साथ दूसरी इमारत की बेसमेंट का काम चल रहा था। बेसमेंट के लिए खुदाई की गई है। खुदाई किए जाने की वजह से इमारत की नींव हिल गई, जिससे बिल्डिंग भरभराकर गिर गई। इमारत में जिम खोले गए थे। बताया जा रहा है कि मलबे के नीचे 10 से 15 लोगों के दबे होने की सूचना है। वहीं घटना की सूचना मिलते ही पंजाब पुलिस के डीजीपी गौरव यादव भी घटना स्थल पर पहुंचे हैं। वह स्थिति का जायजा ले रहे हैं। एनडीआरएफ की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं। मौके पर लोगों की खासी भीड़ लग गई है। पुलिस की तरफ से लोगों को आगे जाने से रोका गया है। घटना की सूचना मिलते ही मोहाली के विधायक कुलवंत सिंह भी घटना स्थल पर पहुंचे हैं। कुलवंत सिंह का कहना है कि अभी राहत व बचाव का कार्य चल रहा है। एनडीआरएफ की टीमों को बुलाया गया है। वहीं पुलिस प्रशासन की तरफ से भी बचाव कार्य चलाया जा रहा है। घटना स्थल पर जेसीबी मशीनों की मदद से मलबा हटाया जा रहा है। साहिबजादा अजीत सिंह नगर (मोहाली) के सोहाना के पास एक बहुमंजिला इमारत के हादसे का दुखद समाचार मिला है। पूरा प्रशासन और अन्य बचाव कार्यों वाली टीमें मौके पर तैनात हैं। मैं प्रशासन के साथ लगातार संपर्क में हूं। प्रार्थना करते हैं कि कोई जान-माल का नुकसान ना हुआ हो, दोषियों पर कार्रवाई भी करेंगे। लोगों से अपील है कि प्रशासन का सहयोग करें।
हिमाचल और लद्दाख के बीच चल रहे सीमा विवाद का फैसला अब दिल्ली में होगा। सर्वे ऑफ इंडिया की टीम की ओर से मौके का मुआयना करने के बाद अब दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बैठक होगी। पहले यह बैठक 4 दिसंबर को होनी तय थी, लेकिन केंद्रीय मंत्री की व्यस्तता के चलते यह बैठक टाली गई है। अब यह बैठक जनवरी के पहले सप्ताह में प्रस्तावित है। हिमाचल जहां शिंकुला दर्रा तक अपना हक जता रहा है। वहीं, लद्दाख शिंकुला टॉप से करीब 15 किलोमीटर नीचे हिमाचल की जमीन जांस्कार सुमदो तक अपना एरिया होने की बात कर रहा है। हिमाचल का दावा है कि लद्दाख प्रशासन प्रदेश की सीमा पर स्थित सरचू और सिंकुला दर्रा के काफी अंदर घुस गया है। सरचू में लेह-लद्दाख की ओर से काफी अंदर तक पिलर लगाए गए हैं। स्थानीय लोगों ने यह मामला प्रशासन से भी उठाया है। अभी तक इसका हल नहीं निकला है। लाहौल स्पीति और लद्दाख बॉर्डर के इस इलाके में आबादी न के बराबर है। यह पर्यटकों के मनाली से लेह जाने का रास्ता है। अक्तूबर-नवंबर में बर्फबारी के बाद यह रास्ता बंद हो जाता है। अप्रैल-मई में फिर से रास्ते खुलते हैं और पर्यटन गतिविधियां शुरू होती हैं। दोनों राज्यों के अधिकारी इस बैठक में शालि होंगे। राजस्व रिकाॅर्ड भी तलब किया गया है। केलांग पुलिस थाना के तहत सरचू में स्थायी पुलिस चौकी खोलने का फैसला लिया गया है। इस फैसले के कारण सीमा विवाद का सामना कर रहे हिमाचल प्रदेश के कारोबारियों को काफी सुविधा मिलेगी। खासकर लाहौल के पर्यटन कारोबारियों को भी राहत मिलेगी। स्थायी पुलिस चौकी खुलने पर लेह-लद्दाख के कारोबारी अवैध तरीके से हिमाचल की सीमा के अंदर कारोबार नहीं कर पाएंगे। बाॅर्डर एरिया में सीमा विवाद चल रहा है। इसे लेकर दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में बैठक होनी है। यह बैठक 4 दिसंबर को होनी थी। लेकिन अब जनवरी में बैठक होनी प्रस्तावित है।
आज यानी 12 दिसम्बर को हर्ष महाजन, राज्य सभा सांसद, ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस अवसर पर महाजन ने हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विकास कार्यों पर चर्चा की, विशेष रूप से चम्बा, तीसा, पांगी, किस्तवाड़ और लेह को जोड़ने वाले नए नेशनल हाइवे बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। यह प्रस्ताव इन क्षेत्रों के लिए यातायात की सुविधा में सुधार करेगा और राज्य के समग्र विकास को गति प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुलाकात के दौरान हर्ष महाजन को उनके जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दीं और उनके द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। हर्ष महाजन हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ नेता हैं और राज्य के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश के दूरदराज इलाकों में भी विकास की नई राह खुलने की संभावना है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह ने भाजपा नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि वे प्रदेश के जनमत का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश के लोगों ने कांग्रेस को पूर्ण बहुमत देकर सरकार चुनी है, ऐसे में भाजपा का विरोध प्रदर्शन कांग्रेस सरकार के खिलाफ जनमत का अपमान है। प्रतिभा सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपने दो साल के कार्यकाल में पांच प्रमुख गारंटियों को पूरा किया है, और बाकी गारंटियों को भी चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के नेतृत्व में सरकार द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की और कहा कि सरकार अच्छे कामों के साथ प्रदेश में विकास को आगे बढ़ा रही है। उन्होंने आगामी बिलासपुर रैली को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इस रैली में कांग्रेस सरकार अपने दो साल का लेखा-जोखा जनता के सामने रखेगी और आगामी योजनाओं का खाका भी प्रस्तुत करेगी। इसके अलावा, उन्होंने भाजपा को निशाने पर लेते हुए कहा कि प्रदेश का विकास भाजपा को रास नहीं आ रहा है, यही वजह है कि वह अनावश्यक बयानबाजी कर रही है और लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। प्रतिभा सिंह ने कहा कि भाजपा की आक्रोश रैलियां पूरी तरह से असफल हो रही हैं, क्योंकि इन्हें कोई जन समर्थन नहीं मिल रहा है। उन्होंने भाजपा से अपील की कि वह अपने राजनैतिक हितों के लिए प्रदेश के विकास में बाधा न डाले। कांग्रेस सरकार, जो केंद्र से कोई विशेष सहयोग न मिलने के बावजूद सीमित संसाधनों से प्रदेश के विकास को गति दे रही है, अपने कार्यकाल को सफलता पूर्वक पूरा करेगी और अपने सभी वादों को पूरा करेगी।
हिमाचल के गवर्नर के काफिले की गाड़ियां आपस में टकराईं, लखनऊ एयरपोर्ट से राजभवन की ओर जा रहे थे गवर्नर
हिमाचल प्रदेश के गवर्नर शिव प्रताप शुक्ला के काफिले का मंगलवार सुबह लखनऊ में एक्सीडेंट हो गया। काफिले में चल रही एम्बुलेंस समेत तीन गाड़ियां आपस में टकरा गईं। गवर्नर लखनऊ एयरपोर्ट से राजभवन जा रहे थे, उनके साथ ADC टी साईं दत्तात्रेय वर्मा और PSO नीरज शर्मा भी थे। सुबह साढ़े 8 बजे, शहीद पथ पर अचानक एक ऑटो काफिले में घुस गया, जिसके बाद इमरजेंसी ब्रेक लगाए गए और हादसा हुआ। सूचना मिलते ही पुलिस अफसर मौके पर पहुंचे। ADCP राजेश यादव ने बताया कि राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल बिल्कुल ठीक हैं, हालांकि पुलिस की दो गाड़ियां और एक एम्बुलेंस क्षतिग्रस्त हो गईं। हादसे में ACP गाजीपुर और पुलिस की गाड़ी में बैठे दो जवान मामूली रूप से घायल हो गए। हादसे के बाद शहीद पथ पर लंबा जाम लग गया, और क्रेन की मदद से क्षतिग्रस्त वाहनों को साइड किया गया। गवर्नर का काफिला लखनऊ एयरपोर्ट से शहीद पथ के रास्ते आगे बढ़ रहा था जब यह हादसा हुआ। गवर्नर शुक्ला लखनऊ में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे।
**मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू का दिल्ली दौरा बढ़ा, सोनिया गांधी, केसी वेणुगोपाल और राजीव शुक्ला से मिले हिमाचल में कांग्रेस संगठन के गठन की तैयारियों के बीच दिल्ली पहुंचे सीएम सुक्खू का दौरा दो दिन और बढ़ गया है। मुख्यमंत्री अब शुक्रवार को होने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद हिमाचल लौट सकते हैं। कांग्रेस हाइकमान ने सीडब्ल्यूसी की बैठक 29 नवंबर को तय की है। इस बैठक में हाल ही में दो राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव की समीक्षा की जाएगी। इसके अलावा कांग्रेस हाइकमान दिल्ली समेत दूसरे राज्यों में होने वाले आगामी चुनाव को लेकर भी रणनीति तैयार करेगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल में कांग्रेस सरकार के दो साल पूरे होने पर आयोजित होने वाले जश्र को लेकर भी तमाम पदाधिकारियों को निमंत्रण दे सकते हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को दिल्ली में कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल और हिमाचल प्रभारी राजीव शुक्ला से मुलाकात की है। इस दौरान हिमाचल में संगठनात्मक चुनाव पर चर्चा हुई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिसंबर में बिलासपुर में तय सरकार के दो साल पूरे होने पर आयोजित होने वाले जश्र को लेकर भी इन नेताओं को निमंत्रण दिया है। हिमाचल सरकार के मंत्रिमंडल में खाली इकलौते पद को भरने और हाल ही में सीपीएस के मामले में आए फैसले के बाद के हालात पर भी इस मुलाकात में बातचीत की गई है और मुख्यमंत्री ने हिमाचल सरकार का पक्ष आला नेताओं के सामने रखा है। सीएम सुक्खू को बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करनी थी, लेकिन यह मुलाकात नहीं हो पाई। अमित शाह से यह मुलाकात पोस्ट डिजास्टर नीड असेस्मेंट पर होनी थी और इसमें मुख्यमंत्री हिमाचल के लिए बीते साल हुई तबाही पर पिशेष पैकेज की बात रख सकते थे। इसके अलावा आपदा से जुड़े अन्य मामलों पर भी चर्चा होने की संभावना थी। हालांकि अब इस बैठक के गुरुवार को आयोजित होने की संभावना जताई जा रही है। मुख्यमंत्री मंगलवार को दिल्ली रवाना हुए थे और उन्हें दो दिन बाद वापस लौटना था, लेकिन अब सीडब्ल्यूसी की मीटिंग तय होने के कारण उनके 29 नवंबर के बाद लौटने की संभावना है।
ऋषिकेश: विद्युत क्षेत्र की अग्रणी सार्वजनिक उपक्रम टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड (टीएचडीसीआईएल) के कॉर्पोरेट कार्यालय, परियोजना स्थलों और इकाई कार्यालयों में मंगलवार को संविधान दिवस मनाया गया। 26 नवंबर, 1949 को ही संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया गया था। इस अवसर पर, टीएचडीसीआईएल के सीएमडी आर. के. विश्नोई ने भारतीय संविधान के महत्व पर जोर देते हुए इसे देश के लोकतंत्र की नींव बताया। उन्होंने कहा, भारतीय संविधान हमारे राष्ट्र के सिद्धांतों समानता, न्याय, स्वतंत्रता और भाईचारा का प्रतीक है। यह हमें एक मजबूत और अधिक समावेशी समाज के निर्माण में मार्गदर्शन करता है। यह न केवल शासन के लिए ढांचा प्रदान करता है बल्कि प्रत्येक नागरिक के मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों की रक्षा भी करता है। संविधान दिवस इन मूल्यों को बनाए रखने और बढ़ावा देने की हमारी सामूहिक जिम्मेदारी की याद दिलाता है। समारोह के दौरान शैलेन्द्र सिंह, निदेशक (कार्मिक) द्वारा कॉर्पोरेट कार्यालय, ऋषिकेश में सभी विभागाध्यक्षों और कर्मचारियों को संविधान की प्रस्तावना का वाचन कराया गया। अपने संबोधन में उन्होंने न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज के निर्माण में संविधान की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। सिंह ने कहा, "संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं है, यह हमारे लोकतंत्र की आत्मा है। यह समानता, सामाजिक न्याय और बंधुत्व के सिद्धांतों को सुनिश्चित करता है, जिन्हें हमें अपने सभी कार्यों और निर्णयों में लागू करने का प्रयास करना चाहिए। इस समारोह में भूपेंद्र गुप्ता, निदेशक (तकनीकी) भी मौजूद थे। उन्होंने संविधान में निहित मूल्यों के साथ संगठनात्मक लक्ष्यों को संरेखित करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "टीएचडीसीआईएल संविधान के आदर्शों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। संविधान के मूल्यों को अपनी नीतियों और कार्यों में एकीकृत करके, हमें राष्ट्र की प्रगति में योगदान देना और अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाना है। निगम में हमारा लक्ष्य इन मूल्यों को अपने कामकाज के हर पहलू में एकीकृत करना है ताकि राष्ट्र के विकास में सार्थक योगदान दिया जा सके। इस अवसर को और खास बनाने के लिए निगम के स्कूलों और कार्यालयों में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। टिहरी बांध परियोजना इंटर कॉलेज, भागीरथीपुरम, टिहरी और टीएचडीसी हाई स्कूल, ऋषिकेश सहित निगम के सीएसआर पहलों के तहत संचालित स्कूलों में, छात्रों और शिक्षकों द्वारा प्रधानाचार्यों के नेतृत्व में संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया गया। छात्रों के बीच संवैधानिक मूल्यों के बारे में जागरुकता को बढ़ावा देने के लिए क्विज और भाषण प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं। वहीं भागीरथी भवन में निगम के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए एक क्विज प्रतियोगिता आयोजित की गई। टीएचडीसी भारतीय संविधान में निहित मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। अपने कार्यक्रमों और पहलों के माध्यम से संगठन, समावेशिता, न्याय और निष्पक्षता की संस्कृति का निर्माण करने का प्रयास करता है। साथ ही, यह अपने कर्मचारियों के बीच समावेशिता और जिम्मेदारी की संस्कृति को बढ़ावा देता है।
दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के बाद बीएस-6 बसों को ही प्रवेश देने के फैसले के बाद एचआरटीसी पुरानी वाेल्वो इस रूट से हटा दी हैं। 13 रूट क्लब करने का फैसला लिया है। निगम के पास मौजूदा समय में बीएस-6 सुपर लग्जरी बसों की कमी है। इसके चलते यह निर्णय लिया गया है। हालांकि, साधारण बीएस-6 बसें पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं। इसलिए साधारण बसें सामान्य रूप से संचालित होंगी। बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने बाहरी राज्यों की केवल स्वच्छ ईंधन संचालित इलेक्ट्रिक, सीएनजी अथवा बीएस-6 बसों को ही प्रवेश देने का निर्णय लिया है। दिल्ली सरकार के निर्णय के बाद निगम की कुल सुपर लग्जरी बसें क्लब कर संचालित की जाएंगी। 24 बीएस-6 वोल्वो खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। 13 रूट क्लब कर दिए गए हैं।
अल्मोड़ा: सल्ट विकासखंड के कुपी क्षेत्र में बस दुर्घनाग्रस्त होकर गहरी खाई में जा गिरी। हादसे में बस में सवार 36 लोगों की मौत हो गई। तीन गंभीर घायलों को एम्स ऋषिकेश, एक को सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी तथा 15 को रामनगर उपजिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।सूचना के बाद मौके पर पहुंची प्रशासन और पुलिस की टीम ने घायलों को रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। बताया जा रहा है बस में 55 यात्री बैठे थे, जबकि बस की क्षमता ड्राइवर समेत 43 सवारियों की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पौड़ी और अल्मोड़ा के संबंधित क्षेत्र के एआरटीओ प्रवर्तन को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं। आयुक्त कुमाऊं मंडल को घटना की मजिस्ट्रेट जांच के निर्देश भी दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने मृतकों के स्वजन को चार-चार लाख रुपये और घायलों को एक-एक लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिहं धामी ने हादसे पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जनपद अल्मोड़ा के मारचूला में हुई दुर्भाग्यपूर्ण बस दुर्घटना में यात्रियों के हताहत होने का अत्यंत दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। जिला प्रशासन को तेजी के साथ राहत एवं बचाव अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। घटनास्थल पर स्थानीय प्रशासन एवं एसडीआरएफ की टीमें घायलों को निकालकर उपचार के लिए निकटतम स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने हेतु तेजी से कार्य कर रही हैं। आवश्यकता पड़ने पर गंभीर रूप से घायल यात्रियों को एयरलिफ्ट करने के लिए भी निर्देश दिए हैं। रामनगर अस्पताल में घायलों का हाल चाल जानने के लिए सीएम पुष्कर धामी व सांसद अनिल बलूनी के रामनगर पहुंचने की सूचना है। जानकारी अनुसार रोज की तरह गढ़वाल मोटर्स की बस सोमवार सुबह पौड़ी जिले के गोलीखाल से यात्रियों को लेकर रामनगर की ओर से रवाना हुई। बस में 55 यात्री सवार थे। लेकिन सल्ट के कुपी क्षेत्र पहुंचते ही अचानक चालक ने बस से नियत्रंण खो दिया। अनियंत्रित बस गहरी खाई में जा गिरी। बस अनियंत्रित होते ही सवार लोगों की चीख पुकार मच गई। हादसे में 20 यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि गंभीर रूप से घायल दो यात्रियों ने उपचार के दौरान रामनगर अस्पताल में दम तोड़ दिया। जबकि 16 से अधिक यात्री गंभीर रूप घायल हो गए। जो मौत और जिदंगी की जंग लड़ रहे हैं। घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोगों ओर प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच रेस्क्यू अभियान में जुट गई।
ऋषिकेश: टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने उत्तराखंड योगासन स्पोर्ट्स एसोसिएशन और देहरादून जिला योगासन स्पोर्ट्स एसोसिएशन के सहयोग से 25 से 27 अक्टूबर, 2024 तक तीन दिवसीय 5वीं उत्तराखंड राज्य स्तरीय योगासन खेल प्रतियोगिता 2024 का आयोजन किया, जिसका समापन 27 अक्टूबर, 2024 को टीएचडीसीआईएल के ऋषिकेश स्थित कॉर्पोरेट कार्यालय में संपन्न हुआ। टीएचडीसीआईएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, आर.के. विश्नोई ने विजेताओं को बधाई देते हुए उनके योग के प्रति समर्पण और उत्साह की सराहना की। उन्होंने कहा, सभी आयु वर्ग के प्रतिभागियों का इस ऊर्जा और प्रतिबद्धता के साथ योग में भाग लेते देखना अत्यंत प्रेरणादायक और उत्साहवर्धक है। योग केवल एक फिटनेस अभ्यास मात्र नहीं है, यह समग्र स्वास्थ्य और आंतरिक शांति का मार्ग भी है। समापन समारोह के दौरान, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के निदेशक (कार्मिक) शैलेंद्र सिंह ने समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए विजेताओं को पुरस्कृत कर सम्मानित किया। उन्होंने विजेताओं के उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना करते हुए उन्हें योग के प्रति अपने समर्पण को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। श्री सिंह ने यह भी कहा कि आज की तेज रफ्तार वाली दुनिया में आधुनिक समाज, विशेष रूप से युवा वर्ग अस्वास्थ्यकर जीवनशैली की ओर बढ़ता चला जा रहा है, जो चिंताजनक है। नशे की लत और तनावपूर्ण जीवनशैली की बढ़ती प्रवृत्ति एक गंभीर मुद्दा है, जिस पर हमें जिम्मेदारी और तत्परता के साथ रोक लगाने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में, उत्तराखंड योगासन स्पोर्ट्स एसोसिएशन और देहरादून जिला योगासन स्पोर्ट्स एसोसिएशन द्वारा आज का यह आयोजन योग अभ्यास और इन चुनौतियों का एक शक्तिशाली और प्राकृतिक समाधान प्रदान करता है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, बल्कि मानसिक स्पष्टता और दृढ़ता को भी प्रोत्साहित करता है। श्री सिंह ने आगे कहा कि स्वास्थ्य और चेतनता को बढ़ावा देने में योग के महत्व को मान्यता देते हुए, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने 2014 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वैश्विक अपील के बाद 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया। तभी से, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह में सक्रिय रूप से योगदान देते हुए उत्तराखंड इस अभियान में सबसे आगे बना है और दुनिया के सामने योग की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है। जैसे-जैसे हम इस यात्रा को आगे बढ़ा रहे हैं, यह आवश्यक है कि हम में से प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन के प्रति सचेत हो और उन अभ्यासों को अपनाए जो सुख-समृद्धि और आंतरिक शक्ति को बढ़ावा देते हों। हम सभी मिलकर एक ऐसे स्वस्थ और प्रगतिशील समाज का निर्माण कर सकते हैं जो कल्याण और एकता के सिद्धांतों पर आधारित हो। इस कार्यक्रम में देशभर से लगभग 300 उत्साही प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें टीम वर्क, खेल भावना और योग के प्रति निष्ठा, प्रेम का अनोखा उत्सव देखने को मिला। श्री सिंह ने कहा कि ऐसे आयोजन हमारे देश को एकजुटता और संकल्प की ओर ले जाते हैं, जो एक सशक्त और महान राष्ट्र के निर्माण में सहायक रहेगा | टीएचडीसी की सामुदायिक कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान पूरी तरह से दिखाई दी, जहां प्रत्येक प्रतिभागी को राष्ट्रीय स्तर पर अपने योग कौशल को प्रदर्शित करने का अवसर मिला। इस अवसर पर वरिष्ठ अधिकारी डॉ. ए. एन. त्रिपाठी, महाप्रबंधक (मानव संसाधन एवं प्रशासन, सीसी) और एस. बी. प्रसाद, उप महाप्रबंधक (मानव संसाधन एवं प्रशासन) शामिल थे, जो प्रतिभागियों का समर्थन करने और उनका उत्साह बढ़ाने के लिए उपस्थित रहे। टीएचडीसीआईएल उत्तराखंड के सामाजिक-आर्थिक विकास में सक्रिय रूप से योगदान देता रहा है और इस तरह के कार्यक्रमों का नेतृत्व करके सामुदायिक कल्याण और प्रगति को बढ़ावा देने के अपने मिशन को आगे बढ़ाता है। महिला वर्ग में पुष्पा शाह ने स्वर्ण पदक जीता साथ ही सीनियर बालक वर्ग में शशांक शर्मा और पियांशु ने स्वर्ण जीता; सीनियर बालिका वर्ग में सृष्टि रॉय और पलक साहू ने स्वर्ण पदक जीता और सब-जूनियर बालक वर्ग में अर्थव सिंह नेगी और नील नितिन मुकेश ने रिदमिक पेयर प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। सभी विजेताओं को बधाई देते हुए पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आज यहां हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में 780 मेगावाट की जंगी थोपन पोवारी जलविद्युत परियोजना को एचपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड को सौंपने की मंजूरी दी गई। 1630 मेगावाट की रेणुकाजी और 270 मेगावाट की थाना प्लाउन पंप स्टोरेज जलविद्युत परियोजनाओं को हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पक्ष में आवंटित करने का भी निर्णय लिया गया। कैबिनेट ने स्वास्थ्य मंत्री कर्नल (डॉ.) धनी राम शांडिल की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप समिति के गठन को मंजूरी दी, जिसमें ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी और आयुष मंत्री यदविंदर गोमा शामिल होंगे। रोगी कल्याण समितियों को मजबूत करने के लिए सिफारिशें प्रदान करना। मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग को पोस्ट कोड 903 और 939 के परिणाम घोषित करने के लिए अधिकृत किया है, जबकि जांच और अदालती कार्यवाही के अंतिम परिणाम आने तक पोस्ट कोड 903 के तहत पांच पद और पोस्ट कोड 939 के तहत छह पद खाली रखे हैं। इसने शैक्षणिक अनुसंधान को बढ़ाने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से सोलन में राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को राज्य स्तर पर स्कूल और शिक्षक प्रशिक्षण के लिए शीर्ष संस्थान के रूप में पदोन्नत करने को भी मंजूरी दे दी। इसके अतिरिक्त, मंत्रिमंडल ने शिक्षकों के लिए व्यावसायिक विकास प्रदान करने के लिए 12 जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थानों (डीआईईटी) को मजबूत करने का निर्णय लिया। 'डॉ.' के लाभों को बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया। 'यशवंत सिंह परमार ऋण योजना' विदेशी शैक्षणिक संस्थानों में व्यावसायिक और व्यावसायिक पाठ्यक्रम करने के इच्छुक पात्र मेधावी छात्रों के लिए है। इस योजना के तहत, राज्य सरकार एक प्रतिशत की ब्याज दर पर शैक्षिक ऋण प्रदान करती है। मंत्रिमंडल ने कांगड़ा जिले के सिविल अस्पताल देहरा और सिरमौर जिले के सिविल अस्पताल पांवटा साहिब में 50 बिस्तरों वाले क्रिटिकल केयर ब्लॉक की स्थापना को मंजूरी दे दी, जिससे उन्हें आधुनिक देखभाल सुविधाओं से लैस किया जाएगा। देहरा में एचपीएसईबीएल के अधीक्षण अभियंता और खंड चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय स्थापित करने का भी निर्णय लिया गया है। वन विभाग में सहायक वन रक्षकों के 100 रिक्त पदों को भरने का निर्णय लिया गया। मुद्रण एवं लेखन सामग्री विभाग में विभिन्न श्रेणियों के 33 पद भरने को मंजूरी दी गई। इसमें लाहौल-स्पीति जिले के सिस्सू में एक नया पुलिस स्टेशन खोलने के साथ-साथ इसे कार्यात्मक बनाने के लिए विभिन्न श्रेणियों के 18 पदों के सृजन और भरने पर सहमति व्यक्त की गई। चम्बा जिले के हटली में नई खुली पुलिस चौकी के लिए विभिन्न श्रेणियों के छह पद सृजित करने और भरने का भी निर्णय लिया गया। इसके अलावा, जिला जेल मंडी में पुलिस उपाधीक्षक के दो पद, डिस्पेंसर का एक पद, सहायक निदेशक (जीव विज्ञान और सीरोलॉजी) का एक पद और गृह में प्रयोगशाला सहायक (रसायन विज्ञान और विष विज्ञान) के तीन पद भरने का भी निर्णय लिया गया। विभाग। हिमाचल प्रदेश के महाधिवक्ता कार्यालय में विभिन्न श्रेणियों के 10 पद भरने का भी निर्णय लिया गया। बैठक में शिमला जिले के शोघी और सोलन जिले के कसौली, जाबली, बरोटीवाला, नालागढ़ और बद्दी के ईएसआई स्वास्थ्य संस्थानों में चिकित्सा अधिकारी (दंत) के छह पद सृजित करने और भरने का निर्णय लिया गया। कैबिनेट ने अपनी परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए फोरेंसिक सेवा विभाग को छह मोबाइल फोरेंसिक वैन प्रदान करने की मंजूरी दे दी।
**हाईकोर्ट ने सांसद हर्ष महाजन को 2 सप्ताह में रिप्लाई फाइल करने के दिए आदेश कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवीकी ओर से दायर राज्यसभा चुनाव रद्द करने वाली याचिका के मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने राज्यसभा चुनाव रद्द करने वाली याचिका के खिलाफ डाली गई सांसद हर्ष महाजन की डिस्मिसल एप्लीकेशन की पिटीशन खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने सांसद हर्ष महाजन को 2 सप्ताह में रिप्लाई फाइल करने के आदेश भी दिए हैं। अभिषेक मनु सिंघवी ने हिमाचल प्रदेश की एक सीट पर हुए राज्यसभा चुनाव में ड्रा ऑफ लॉट्स नियम को चुनौती देते हुए को हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा का चुनाव हारने के बाद अभिषेक मनु सिंघवी को कांग्रेस ने तेलंगाना से अपना प्रत्याशी बनाया था. अब वे तेलंगाना से राज्यसभा सांसद बन चुके हैं. सिंघवी कांग्रेस नेता होने के साथ सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील भी हैं. इससे पहले उनके आम आदमी पार्टी से भी राज्यसभा जाने की चर्चा थी, लेकिन आम आदमी पार्टी अपने किसी सांसद से सीट खाली नहीं करवा सकी थी. हिमाचल प्रदेश की एक राज्यसभा सीट पर 27 फरवरी को चुनाव हुआ. नियमों के मुताबिक, विधानसभा के सदस्यों ने राज्यसभा चुनाव की वोटिंग में भाग लिया. सभी 68 विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में वोट डाले. विधानसभा में कांग्रेस का बहुमत होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी हर्ष महाजन ने राज्यसभा सांसद के तौर पर जीत हासिल कर ली.दरअसल, कांग्रेस के छह विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की. इसके अलावा तीन निर्दलीय विधायकों ने भी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी का साथ दिया. चूंकि राज्यसभा चुनाव में पार्टी का व्हिप भी लागू नहीं होता. ऐसे में कांग्रेस विधायकों ने खुलकर बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में वोट किया. कांग्रेस के छह और तीन निर्दलीय विधायकों का वोट बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में जाने की वजह से वोटों की संख्या 34-34 हो गई. यानी कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को भी 34 और बीजेपी प्रत्याशी हर्ष महाजन को भी 34 वोट मिले. दोनों पक्षों को 34-34 वोट मिलने के बाद चुनाव आयोग ने यहां राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए ड्रॉ ऑफ लॉट्स नियम का इस्तेमाल किया. ड्रॉ ऑफ लॉट्स नियम के तहत दोनों प्रत्याशियों के नाम पर्ची में लिखे गए. इसके बाद नियमों के मुताबिक जिस प्रत्याशी का नाम पर्ची में आया, वह चुनाव हार गया. इसका यही नियम है. जिसका नाम पर्ची में आता है, वह चुनाव हार जाता है. इस पर्ची में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अभिषेक मनु सिंह जी का नाम आया और वे चुनाव हार गए. उस समय अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी हार स्वीकार की, लेकिन बाद में उन्होंने इस नियम को चुनौती देते हुए कोर्ट में याचिका दायर की. इसी याचिका पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में सुनवाई चल रही है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ा ऐलान कर दिया है. उन्होंने अगले दो दिन में सीएम के पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि अगले दो दिन में विधायक दल की बैठक होगी और नए मुख्यमंत्री का चयन किया जाएगा. अगला सीएम भी आम आदमी पार्टी से ही कोई होगा. सीएम अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं और जनता को संबोधित करते हुए कहा, "जब तक जनता की अदालत में जीत नहीं जाता हूं, तब तक मैं सीएम नहीं बनूंगा. मैं चाहता हूं कि दिल्ली का चुनाव नवंबर में हो. जनता वोट देकर जिताए, उसके बाद मैं सीएम की कुर्सी पर बैठूंगा." 'ना झुकेंगे ना रुकेंगे और ना बिकेंगे'- CM केजरीवाल आप कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, "जनता के आशीर्वाद से बीजेपी के सारे षड्यंत्र का मुकाबला करने की ताकत रखते हैं. बीजेपी के आगे हम ना झुकेंगे, ना रुकेंगे और ना बिकेंगे. आज दिल्ली के लिए कितना कुछ कर पाए क्योंकि हम ईमानदार हैं. आज ये (बीजेपी) हमारी ईमानदारी से डरते हैं क्योंकि ये ईमानदार नहीं है." मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा, "मैं 'पैसे से सत्ता और सत्ता से पैसा' इस खेल का हिस्सा बनने नहीं आया था. दो दिन बाद मैं CM पद से इस्तीफा दे दूंगा. कानून की अदालत से मुझे इंसाफ मिला, अब जनता की अदालत मुझे इंसाफ देगी." 'हमारे बड़े-बड़े दुश्मन हैं' सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्हें वॉर्निंग दी गई कि अगर दूसरी बार लेटर लिखा तो जेल में फैमिली से मुलाकत बंद कर दी जाएगी. सीएम ने कहा, "हमारे बड़े-बड़े दुश्मन हैं. सत्येंद्र जैन और अमानतुल्ला खान भी जल्द बाहर आएंगे. हम लोगों के ऊपर भगवान भोलेनाथ का हाथ है, उनका आशीर्वाद साथ रहता है." अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वे जनता के बीच जाएंगे औऱ जनता की अदालत उनके मुख्यमंत्री होने या न होने का फैसला करेगी। आम आदमी पार्टी की रैली को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि वे जनता के बीच जाएंगे। वे जनता से पूछेंगे कि आप मुझे ईमानदार मानते हो भ्रष्ट। जनता के फैसले के बाद ही वे आगे कोई निर्णय करेंगे।
अभियंता दिवस (इंजीनयर्स डे) 15 सितंबर को देश भर के इंजीनियर्स को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया भारत वंश के महान इंजीनियर थे, जिन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उनके जन्म दिवस के दिन यह दिवस मनाया जाता है। एक इंजीनियर के रूप में उन्होंने बहुत से अद्भुत काम किए। विश्वेश्वरैया ने 1917 में बैंग्लोर में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की, यह देश का पहला सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज था। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को बतौर इंजीनियर सफलतापूर्वक अपना काम करने के लिए 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। यह दिन आधुनिक भारत की रचना में अपना बड़ा सहयोग देने वाले मोक्षगुंडम व भारत के सभी प्रतिभाशील इंजीनियर्स के नाम समर्पित है। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया प्रेरणा है हर हिंदुस्तानी के लिए : विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितम्बर को 1860 में मैसूर रियासत में हुआ। विश्वेश्वरैया ने प्रारंभिक शिक्षा जन्मस्थान से ही पूरी की। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने बंगलूर के सेंट्रल कॉलेज में प्रवेश लिया। इंजीनियरिंग पास करने के बाद विश्वेश्वरैया को बॉम्बे सरकार की तरफ से जॉब का ऑफर आया, और उन्हें नासिक में असिस्टेंट इंजिनियर के तौर पर काम मिला। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया एमवी के नाम से भी विख्यात हैं। जब वह केवल 32 वर्ष के थे, उन्होंने सिंधु नदी से सुक्कुर कस्बे को पानी की पूर्ति भेजने का प्लान तैयार किया जो सभी इंजीनियरों को पसंद आया। एमवी ने इस बाँध के लिए नए ब्लॉक सिस्टम का भी इजाद किया जो बाढ़ के पानी को भी रोकने में सक्रिय था। उनके इस निर्माण की सराहना उस दौरान ब्रिटिश सरकार ने भी की। कृष्णराजसागर बांध के निर्माण के दौरान देश में सीमेंट नहीं बनता था, इसके लिए मोर्टार भी तैयार किया गया जो सीमेंट से ज्यादा मजबूत था। एमवी शिक्षा की महत्तवता को अच्छी तरह समझते थे और वे समझते थे कि एक व्यक्ति की गरीबी का मुख्य कारण अशिक्षित होना ही है। उनके ही अथक प्रयासों के चलते मैसूर विश्वविद्यालय की स्थापना हुई जो देश के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है। उन्होंने कई इंजीनियरिंग कॉलेजों का निर्माण करवाया ताकि देश में विकास कि गति को बढ़ाया जा सके। पहले से मौजूद उद्योगों जैसे सिल्क, संदल, मेटल, स्टील आदि को जापान व इटली के विशेषज्ञों की मदद से और भी अधिक विकसित किया गया ।1912 में विश्वेश्वरैया को मैसूर के महाराजा ने दीवान यानी मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। मैसूर का दिल थे विश्वेश्वरैया, आज भी किया जाता है याद : विश्वरैय्या ने मैसूर को एक अलग पहचान दिलवाने व रियासत के विकास में एक हैं भूमिका निभाई। कृष्णराज सागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील वर्क्स, मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फ़ैक्टरी, मैसूर विश्वविद्यालय, बैंक ऑफ़ मैसूर समेत कई संस्थान उनकी कोशिशों का नतीजा हैं। विश्वेश्वरैया लोगों की समस्याओं जैसे अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी आदि को लेकर भी चिंतित थे। फैक्टरियों का अभाव, सिंचाई के लिए वर्षा जल पर निर्भरता तथा खेती के पारंपरिक साधनों के प्रयोग के कारण समस्याएं जस की तस थीं। इन समस्याओं के समाधान के लिए विश्वेश्वरैया ने इकॉनोमिक कॉन्फ्रेंस के गठन का सुझाव दिया एवं आर्थिक स्तिथि सुधारने के लिए उन्होंने बैंक ऑफ मैसूर खुलवाया। उनके ही अथक प्रयासों के चलते मैसूर विश्वविद्यालय की स्थापना हुई जो देश के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है। उन्होंने कई इंजीनियरिंग कॉलेजों का निर्माण करवाया ताकि देश में विकास कि गति को बढ़ाया जा सके। पहले से मौजूद उद्योगों जैसे सिल्क, संदल, मेटल, स्टील आदि को जापान व इटली के विशेषज्ञों की मदद से और भी अधिक विकसित किया गया । 1912 में विश्वेश्वरैया को मैसूर के महाराजा ने दीवान यानी मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। वह रेल की पटरी और एक अनोखा मुसाफिर : विश्वरैय्या के बारे में एक और कहानी प्रचलित है। कहा जाता है कि अंग्रेज़ों के शासन काल के दौरान एक ब्रिटिश भारतीय रेल गाड़ी सफर के मध्य में थी। जहाँ ज़्यादातर मुसाफिर ब्रिटिश थे वहीं एक हिन्दुस्तानी मुसाफिर भी वहां मौजूद था। साधारण वेशभूषा , साँवलका रंग, छोटा कद और गंभीर अभिव्यक्ति। उस व्यक्ति को अनपढ़ समझ कर सभी उसका मज़ाक उड़ा रहे थे परन्तु उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा था तभी अचानक उस व्यक्ति ने उठ कर ट्रेन की इमरजेंसी चेन खींच दी। चेन खींचने पर सभी अन्य यात्रियों ने उन्हें भला बुरा कहना शुरू कर दिया। गार्ड ने व्यक्ति से चेन खींचने के कारण पर सवाल किया। व्यक्ति ने कहा "मेरा अनुमान है यहाँ से कुछ दूर पटरी टूटी हुई है" और जब इसके बाद पटरी का निरीक्षण किया गया तो वाकई पटरी कुछ हिस्सों से टूटी हुई थी व उसके पेंच खुले हुए थे। उस व्यक्ति ने यह अनुमान रेलगाड़ी के चलने से आ रही आवाज़ की ध्वनि से लगाया। इस तरह उस व्यक्ति ने कई लोगों की जान बचाई और ट्रेन हादसे को होने से रोका। यह अद्धभुत व्यक्ति कोई और नहीं बल्क़ि एमवी ही थे। कैसा होता देश अगर इंजीनयर्स न होते : इंजीनियर्स के बिना आज के भारत की कल्पना भी कर पाना मुश्किल होता। कैसा होता वह देश जहाँ एक भी बाँध न होता,देश की सुरक्षा के लिए सैनिक हथियार न होते, बिजली न होती, रेल मार्ग न होते, गाँवों को शहरों से जोड़ती सड़क न होती, यातायात के आधुनिक साधन न होते। कितना मुश्किल होता देश का विकास इंजीनियर्स के इस महान योगदान के बिना। जहाँ एक और देश को डिजिटल किया जा रहा है वहीँ यह सोचना भी ज़रूरी है कि क्या यह काम भी कभी इंजीनियर्स के बिना हो पाता। कोरोना काल में मिल रही वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग कि सुविधा भी इंजीनयर्स कि ही देन है जिसके कारण रोज़-मर्रा की ज़िन्दगी बे-हद आसान हो गई है।
**संशोधन कर सभी 6 पूर्व कांग्रेसी विधायकों की मौजूदा टर्म की पेंशन बंद करने की कवायद में जुटी सरकार **बगैर पेंशन रह जायेंगे एक बार के विधायक चैतन्य और देवेंद्र भुट्टो मुख़ालिफ़त से मिरी शख़्सियत सँवरती है मैं दुश्मनों का बड़ा एहतिराम करता हूँ 6 पूर्व कांग्रेसी विधायकों की मुखालफत के बावजूद सरकार बचाकर सीएम सुक्खू ने अपनी शख़्सियत तो संवार ली लेकिन इन नेताओं पर कोई एहतिराम करने का उनका इरादा नहीं है. तथाकथित मिशन लोटस के तहत सरकार गिराने की साजिश की जांच से तो उक्त सभी 6 और तीन पूर्व निर्दलीय विधयक गुजर ही रहे है, मगर अब सुक्खू सरकार ने कांग्रेस के 6 पूर्व विधयाकों की पेंशन बंदी की तैयारी भी कर ली है. दरअसल, मंगलवार को सदन में विधानसभा सदस्यों के भत्ते एवं पेंशन अधिनियम 1971 में संशोधन का प्रावधान लाया गया और आज संभवतः ये पास भी हो जाएगा. 68 सदस्यों वाली हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस के 40 विधायक है, ऐसे में इस संशोधन बिल को पास करने में सत्तारूढ़ दल को कोई परेशानी नहीं होगी. फिर मंजूरी के लिए इसे राज्यपाल के पास भेजा जायेगा और उनकी मंजूरी मिलते ही ये कानून का रूप ले लेगा. अयोग्य घोषित विधायकों की पेंशन बंद करने का यह देश में ऐसा पहला कानून होगा. दरअसल, राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 6 पूर्व विधायकों ने क्रॉस वोट किया था, जिसके चलते बहुमत होने के बावजूद सत्तारूढ़ कांग्रेस के प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी चुनाव हार गए थे. सुक्खू सरकार की जमकर किरकिरी तो हुई ही थी, सरकार पर भी संकट मंडराने लगा था. क्रॉस वोट के बाद इन 6 विधायकों पर पार्टी व्हिप के उल्लंघन के आरोप भी लगे और विधानसभा अध्यक्ष ने इन्हे संविधान की अनुसूची 10 के तहत अयोग्य घोषित कर दिया. उक्त सभी 6 विधायक फिर विधिवत रूप से भाजपाई हो गए और उपचुनाव में भाजपा का टिकट भी ले आएं. किन्तु इनमें से सिर्फ दो, सुधीर शर्मा और इंद्र दत्त लखनपाल ही वापस जीतकर विधानसभा पहुंचे. राजेंद्र राणा, रवि ठाकुर , देवन्द्र भुट्टो और चैतन्य शर्मा चुनाव हार गए. अब सुक्खू सरकार मन बना चुकी है कि विधानसभा सदस्यों के भत्ते एवं पेंशन अधिनियम में संशोधन कर इन सभी 6 विधायकों की मौजूदा टर्म की न सिर्फ पेंशन बंद कर दी जाएँ बल्कि इन के द्वारा अब तक ली गई रकम की रिकवरी भी हो. ऐसे में 2022 में पहली बारे चुने गए चैतन्य शर्मा और देवन्द्र भुट्टों की पेंशन बंद हो जाएगी, जबकि अन्य चार पूर्व कांग्रेसी विधायकों की मौजूदा टर्म की पेंशन बंद होगी. वहीँ, तीन अन्य पूर्व निर्दलीय विधायक इसके दायरे में नहीं आएंगे.
**प्रदेश सरकार ने लिया फैसला **मेडिकल कॉलेजो में रेजिडेंट डॉक्टर की ड्यूटी शाम 7 बजे से पहले होगी चेंज हिमाचल प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में रेजिडेंट डॉक्टर अब 12 घंटे से ज्यादा ड्यूटी नहीं देंगे। इसमें ऑन काल ड्यूटी भी शामिल होगी। सरकार की ओर से वीरवार को यह निर्देश जारी किए गए हैं। वहीं आदेश संबंधी कॉपी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य को भी भेजी गई हैं। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि नए रोस्टर के हिसाब से रेजिडेंट डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जाए। इसके अलावा इन आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर सरकार को भेजी जाए। अभी तक आईजीएमसी, चमियाना, टांडा समेत अन्य मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सक 36-36 घंटे तक ड्यूटी करते हैं। लगातार ड्यूटी देने और काम के बोझ के चलते मानसिक रूप से परेशान रहते हैं। ऐसे में अब रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए सरकार ने काम के घंटे निर्धारित किए हैं। इसके अलावा सरकार ने नए आदेशों में यह भी स्पष्ट किया है कि सुरक्षा के लिहाजा से शाम 7:00 बजे से पहले ही रेजिडेंट डॉक्टर की ड्यूटी चेंज हो जानी चाहिए। बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए जघन्य अपराध के बाद रेजिडेंट डॉक्टरों ने काम के घंटे और सुरक्षा का मुद्दा उठाया था। इसके बाद बाद सरकार हरकत में आई और वीरवार को यह फैसला सरकार ने लिया हैं। अस्पतालों में सेवाएं देने वाले चिकित्सक, जो आज काफी ऊंचे ओहदों पर पहुंच गए हैं, उनका भी कहना है कि यह सिस्टम सदियों पुराना था। लिहाजा अब इस सिस्टम के बदलने के बाद रेजिडेंट डॉक्टरों को राहत मिलेगी। वहीं काम को लेकर मानसिक रूप से बोझ बना रहता था, वह भी कम होगा।
** रिसेप्शन पर पहले आएगी मेल, तभी मिलेगी मंजूरी हिमाचल में अगर आम लोगों को मुख्यमंत्री से कोई काम है तो वे सचिवालय आने के कार्यक्रम को स्थगित कर दें। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू आधिकारिक व्यस्तताओं के कारण आज आम जनता की समस्याएं नहीं सुन पाएंगे। ये जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी की गई है। सीएम सुक्खू हर शुक्रवार को आम जनता से मिलकर उनकी समस्याओं को सुनते हैं। ऐसे में इस दिन प्रदेश भर के लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए मुख्यमंत्री से मिलने के लिए सचिवालय आते हैं। बता दें कि सीएम कार्यालय में सप्ताह भर लोगों की भीड़ न जुटे, इसलिए लोगों की सुविधा के लिए सचिवालय में बुधवार और शुक्रवार को खुला दरबार लगाने की व्यवस्था की गई है। इस दौरान बुधवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कांग्रेस संगठन से जुड़े लोगों से मिलते हैं और शुक्रवार को सीएम आम जनता से मिलकर उनकी समस्याओं को सुनते हैं। हिमाचल प्रदेश सचिवालय में आम जनता के प्रवेश के नियम बदल गए हैं। सचिवालय में रोजाना जुटने वाली अत्याधिक भीड़ को देखते हुए अब मंत्रियों और मुख्य संसदीय सचिवों से कार्यालयों में मिलने के लिए लोगों को पहले अनुमति लेनी होगी। इसके लिए मिलने आने वाले लोगों को पहले रिसेप्शन से संबंधित मंत्री या सीपीएस व अन्य अधिकारियों की शाखा को फोन करना होगा। इस दौरान अगर किसी से मिलना जरूरी होगा तो प्रवेश के लिए संबंधित कार्यालय से ईमेल भेजी जाएगी। इस औपचारिकता को पूरा करने के बाद ही सचिवालय में प्रवेश के लिए पास जारी किया जाएगा। ये व्यवस्था सुबह 10 से दोपहर बाद 1 बजे तक लागू रहेगी। इसके बाद मिलने वाले लोगों के लिए पहले की तरह ही पास बनेंगे। प्रदेश सचिवालय में लोगों की रोजाना अत्यधिक भीड़ जुटती है। इसमें बहुत से लोग तो मंत्रियों और सीपीएस से जरूरी काम होने पर ही सचिवालय आते हैं, लेकिन ऐसे भी कई लोग हैं जो रोजाना अनावश्यक ही सचिवालय के अंदर और बाहर चक्कर काटते हैं। ऐसे में बेकार ही सचिवालय की शाखाओं में घूमने से काम प्रभावित होता है। इसको देखते हुए सचिवालय प्रशासन विभाग ने नई व्यवस्था को लागू किया है, जिसमें रिसेप्शन से फोन कर पहले प्रवेश के लिए मंजूरी लेना जरूरी है। मुख्यमंत्री के सलाहकारों, ओएसडी से भी मुलाकात के लिए भी नई व्यवस्था के अंतर्गत प्रवेश दिया जाएगा।
** केके पंत को मिला अतिरिक्त मुख्य सचिव वन का जिम्मा हिमाचल प्रदेश सरकार ने सिविल सेवा बोर्ड की सिफारिशों पर 7 IAS अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के आदेश जारी किए हैं। इसको लेकर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने बकायदा अधिसूचना जारी की है। यह अधिसूचना 20 अगस्त को जारी की गई। सेंट्रल डेप्युटेशन से लौटे केके पंत को अतिरिक्त मुख्य सचिव वन का जिम्मा सौंपा गया है। पंत को फाइनेंशियल कमिश्नर अपील का जिम्मा भी सौंपा गया है। यह अतिरिक्त प्रभार के तौर पर रहेगा। डॉ. अभिषेक जैन को डिजिटल टेक्नॉलजी का सेक्रेटरी बनाया गया है। इसके अलावा वह फाइनेंस, प्लानिंग, 20 सूत्री कार्यक्रम के सेक्रेटरी के तौर पर भी जिम्मा संभालेगें। स्वास्थ्य सचिव एम सुधा देवी को सचिव कार्मिक का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। इसके अलावा सीपी वर्मा को राज्यपाल का सचिव लगाया गया है। राज्यपाल के पूर्व सचिव राजेश शर्मा को "ग्रामीण विकास और पंचायती राज" सचिव का जिम्मा सौंपा गया है। आईएएस अधिकारी प्रियंका बसु इंग्टी को "सचिव श्रम एवं रोजगार, मुद्रण एवं स्टेशनरी, मत्स्य पालन और युवा सेवाएं एवं खेल" का जिम्मा सौंपा गया है। IAS राकेश कंवर को "शिक्षा, पशुपालन, भाषा, कला और संस्कृति" का सचिव बनाया गया है। इसके अलावा इनके पास एमपीपी एवं पावर और एनसीईएस का अतिरिक्त कार्यभार रहेगा।
** 150 लोग परिवार के संपर्क में नहीं उत्तराखंड में बादल फटने से मची तबाही में फंसे लोगों को बचाने के अभियान में वायुसेना के चिनूक और एमआई17 हेलिकॉप्टरों को भी उतार दिया गया है। केदारनाथ के रास्ते में फंसे 6,980 से अधिक तीर्थयात्रियों को अब तक सुरक्षित निकाला जा चुका है, जबकि अभी 1,500 से अधिका श्रद्धालु और स्थानीय लोग रास्ते में जहां-तहां फंसे हुए हैं। इनमें से 150 लोगों से उनके परिजनों का संपर्क नहीं हो पा रहा है। वहीं, हिमाचल प्रदेश में बादल फटने से तीन जिलों में आई तबाही में मरने वालों की संख्या 8 हो गई है और 45 लोग अभी भी लापता है, जिनकी तलाश तेज कर दी गई है।सोनप्रयाग की पुलिस अधीक्षक डॉ. विशाखा अशोक भदाणे ने बताया कि अतिवृष्टि से अभी तक एक यात्री की मौत होने की सूचना है। इसके अलावा अन्य कोई हताहत नहीं हुआ है। 150 से अधिक लोगों के परिजनों ने पुलिस को बताया कि उनका अपने लोगों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। ये सभी केदारनाथ यात्रा पर आए थे। इन लोगों में कई स्थानीय भी हैं। एसपी का कहना है कि क्षेत्र में मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं होने से भी लोगों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। इससे पहले, राज्य के आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया था कि केदारनाथ में अभी 1,000 लोग फंसे हैं, लेकिन वे पूरी तरह से सुरक्षित हैं। वहां आपदा जैसी कोई स्थिति नहीं है।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री धामी से टेलीफोन पर बात की। उन्होंने आपदा के बाद चल रहे राहत और बचाव कार्यों की जानकारी ली। साथ ही हालात से निपटने में हर संभव मदद का भरोसा दिया। सीएम धामी ने बताया कि उनके आग्रह पर वायुसेना के चिनूक और एमआई 17 हेलिकॉप्टर भी बचाव अभियान में जुट गए हैं। वायुसेना के हेलिकॉप्टर के साथ ही पैदल मार्ग से भी तेजी से बचाव कार्य चल रहा है। अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को 599 लोगों को हवाई मार्ग से और 2,380 को पैदल मार्ग से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। सोनप्रयाग के जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने बताया कि पैदल मार्ग से निकाले गए यात्रियों को छोटे-बड़े वाहनों से ऋषिकेश भेजा जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने गौरीकुंड, सोनप्रयाग और शेरसी में 286 बीमार यात्रियों का इलाज भी किया। बुधवार रात करीब साढ़े नौ बजे लिनचोली के समीप जंगलचट्टी में बादल फटने से गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल रास्ते पर भारी बारिश के बाद भीमबली में 20-25 मीटर का मार्ग बह गया तथा पहाड़ों से बड़े-बड़े पत्थर आ गए। इसके बाद रामबाड़ा, भीमबली लिनचोली का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया था। बादल फटने से केदारनाथ यात्रा रूट पर 30 मीटर की सड़क मंदाकिनी नदी में समा गई है। इसके चलते बड़ी संख्या में तीर्थयात्री गौरीकुंड-केदारनाथ यात्रा मार्ग पर भीमबली से आगे फंस गए थे।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज कहा कि प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग को विभिन्न श्रेणियों के 21 पोस्ट कोड के परिणाम घोषित करने को स्वीकृति प्रदान की है। ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि आयोग फॉरेंसिक्स सेवाएं विभाग में लैब असिस्टेंट (बायो एंड सीरोलॉजी) (पोस्ट कोड 961), भू-रिकॉर्ड विभाग में असिस्टेंट कम्प्यूटर प्रोग्रामर (पोस्ट कोड 966), तकनीकी शिक्षा एवं व्यवसायिक प्रशिक्षण विभाग में होस्टल अधीक्षक एवं पीटीआई (पोस्ट कोड 968), खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग में इंस्पेक्टर लीगल मेटिरियोलॉजी (पोस्ट कोड 969), मत्स्य विभाग में मत्स्य अधिकारी (पोस्ट कोड 978) और मुद्रण एवं स्टेशनरी विभाग में कॉपी होल्डर (पोस्ट कोड 982) के परिणाम सहित धर्मशाला नगर निगम में सफाई सुपरवाइजर (पोस्ट कोड 986), हिमाचल प्रदेश सामान्य उद्योग निगम में असिस्टेंट केमिस्ट (पोस्ट कोड 987), वर्कशॉप इंस्पेक्टर (वेल्डिंग) (पोस्ट कोड 991), वर्कशॉप इंस्ट्रक्टर (पैट्रन मेकिंग) (पोस्ट कोड 992), वर्कशॉप प्रशिक्षक (मशीनिस्ट) (पोस्ट कोड 993), मनोवैज्ञानिक एवं पुनर्वास अधिकारी (पोस्ट कोड 994), तकनीकी शिक्षा में वर्कशॉप प्रशिक्षक (पोस्ट कोड 997), हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक लिमिटेड में आशुटंकक (पोस्ट कोड 995), हिमाचल पथ परिवहन निगम में जेओए (अकाउंट्स) (पोस्ट कोड 996), विधि अधिकारी (पोस्ट कोड 999), तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर जेओए (आईटी) (पोस्ट कोड 1000), हिमाचल प्रदेश मानव अधिकार आयोग में कनिष्ठ आशुलिपिक (पोस्ट कोड 1001), सहकारिता विभाग में किन्नौर जिला सहकारी विपणन एवं संघ लिमिटेड टापरी में सचिव (पोस्ट कोड 1002), जेई (आरकियोलॉजी) (पोस्ट कोड 1004) तथा भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग में प्रिज़र्वेशन असिस्टेंट (पोस्ट कोड 1006) के परिणाम घोषित करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के युवाओं को योग्यता के आधार पर रोज़गार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के उपरांत प्रदेश के युवाओं के लिए सरकारी क्षेत्र में 30 हजार पद सृजित किए गए और इन पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने रोजगार के नाम पर युवाओं को केवल ठगने का काम किया और पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान सरकारी क्षेत्र में केवल 20 हजार नौकरियां सृजित की गई, जिनमें से अधिकतर कानूनी दाव-पेच में फंस गई।
राज्य सरकार के प्रयासों से विद्यार्थियों में जागृत होगी देशभक्ति की भावनाः मुख्यमंत्री प्रदेश सरकार विद्यार्थियों का समग्र एवं समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। विद्यार्थियों में राष्ट्रीयता और देशभक्ति की भावना जागृत करने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी स्कूलों में राष्ट्रगान के साथ प्रातःकालीन प्रार्थना सभा आयोजित का निर्णय लिया है। इसके अतिरिक्त, सभी उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में प्रतिदिन अनिवार्य रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराने का भी निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि इस प्रकार की गतिविधियों से युवा पीढ़ी में एकता और देशभक्ति की भावना जागृत हो। इससे विद्यार्थी भविष्य में राष्ट्र के जिम्मेदार नागरिक बनेंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने कार्यभार ग्रहण करने के उपरांत शिक्षा प्रणाली में विभिन्न सुधारात्मक कदम उठाए हैं और शिक्षा प्रणाली में इन निर्णयों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। प्रदेश सरकार ने विद्यार्थियों का शारीरिक विकास सुनिश्चित करने के लिए शारीरिक शिक्षा और योग को पाठ्यक्रम में अनिवार्य विषय बनाने का निर्णय लिया है। इससे सभी स्कूलों में विद्यार्थी प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट शारीरिक व्यायाम करेंगे। इस दौरान शारीरिक शिक्षक एवं अन्य अध्यापक विद्यार्थियों को व्यायाम करवाना सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य एवं आयुष विभाग के सहयोग से विद्यार्थियों को सीपीआर एवं प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, जिससे विद्यार्थियों कोे जीवन रक्षक कौशल का ज्ञान मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुधार राज्य सरकार की समग्र शिक्षा प्रदान करने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं। प्रदेश सरकार की पहल से विद्यार्थियों को शैक्षणिक ज्ञान के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने और उनमें आदर्श नागरिक की जिम्मेदारियां पैदा करने में सहायता मिलेगी। सरकार का लक्ष्य विद्यार्थियों की दिनचर्या में इन गतिविधियों को शामिल कर उनमें राष्ट्रीयता की भावना जागृत कर अखंड भारत के निर्माण के लिए तैयार करना है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को मंत्रिमंडल से तुरंत हटाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि जिन्हें बजट गणना की मूल बातें भी नहीं पता हैं, ऐसे लोगों के हाथ में वित्तीय लेखा-जोखा देना बहुत खतरनाक फैसला है। बजट संबंधी बुनियादी जानकारी के बिना सीतारमण को वित्त मंत्री बनाए रखना सही नहीं है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने निर्मला सीतारमण की रविवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में बोलते हुए वित्त मंत्री की आलोचना की। इसके साथ ही कहा कि वे मोदी सरकार की तरफ से कर्नाटक के साथ किए गए अन्याय को छिपाने के लिए काफी प्रयास कर रही हैं। कर्नाटक के सीएम ने कहा कि सीतारमण के भ्रामक बयानों से आखिरकार यह पता चलता है कि केंद्र सरकार ने कर्नाटक को काफी कम सहायता दी है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि सीतारमण के अनुसार, पिछली यूपीए सरकार (2004-2014) ने कर्नाटक को 60,779 करोड़ रुपये दिए थे, जबकि एनडीए सरकार (2014-2024) ने 2,36,955 करोड़ रुपये दिए। हालांकि, वे यह बताना भूल गए हैं कि पिछले दस वर्षों में केंद्र सरकार के बजट का आकार कितना बढ़ा है। क्या यह चूक अज्ञानता के कारण है या जनता को गुमराह करने का जानबूझकर किया गया प्रयास है, इसे स्पष्ट करने की आवश्यकता है। 2013-2014 में सेंट्रल गवर्नमेंट का बजट 16.06 लाख करोड़ रुपये था। उस समय कर्नाटक को अनुदान के रूप में 16,428 करोड़ रुपए और कर हिस्सेदारी के रूप में 15,005 करोड़ रुपए मिले थे, जो कुल 31,483 करोड़ रुपए थे, जो कुल बजट का 1.9 प्रतिशत था। 2024-2025 में सेंट्रल गवर्नमेंट का बजट साइज 48.02 लाख करोड़ रुपये है। इस अवधि के दौरान, कर्नाटक को अनुदान के रूप में 15,229 करोड़ रुपये और कर हिस्सेदारी के रूप में 44,485 करोड़ रुपए मिलेंगे जो कुल बजट का 1.2 फीसदी है। अगर कर्नाटक को 2013-2014 की तरह ही 1.9 फीसदी हिस्सा मिलता, तो राज्य को 91,580 करोड़ रुपये मिलते। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के अनुचित बर्ताव के कारण कर्नाटक को 2024-25 के लिए 31,866 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र सरकार से कर्नाटक के कर हिस्से में वृद्धि का दावा करते हुए भ्रामक बयान दिया है। उनके अनुसार, कर्नाटक को यूपीए सरकार के दौरान 81,791 करोड़ रुपये और एनडीए सरकार (2014-2024) के दौरान 2.9 लाख करोड़ रुपये मिले। हालांकि, 14वें वित्त आयोग ने कर्नाटक का कर हिस्सा 4.72 प्रतिशत निर्धारित किया था, जिसे 15वें वित्त आयोग ने घटाकर 3.64 प्रतिशत कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप पिछले पांच वर्षों में अकेले टैक्स हिस्से में 62,098 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ। सीतारमण ने इस महत्वपूर्ण कमी को छिपाने का प्रयास किया है। सिद्धारमैया ने कहा कि 2024-25 के लिए अनुदान सहायता अभी भी यूपीए के तहत 2013-14 में प्राप्त की गई राशि से कम है। उन्होंने आगे कहा कि जीएसटी संग्रह के लिए कर्नाटक देश में दूसरे स्थान पर है और जीएसटी वृद्धि के लिए 17 प्रतिशत के साथ पहले स्थान पर है। इसके बावजूद, राज्य को एक साथ GST फंड का केवल 52 फीसदी ही प्राप्त होता है। GST के अवैज्ञानिक इंप्लीमेंटेशन के चलते, कर्नाटक को 2017-18 से 2023-2024 तक लगभग 59,274 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। सिद्धारमैया के अनुसार, 2023-24 में, केंद्र ने करों, उपकरों और अधिभारों में कर्नाटक से 4.30 लाख करोड़ रुपये से अधिक एकत्र किए, लेकिन केवल 50-53,000 करोड़ रुपये लौटाए, जो एकत्र किए गए प्रत्येक 100 रुपये के लिए केवल 12-13 रुपये के बराबर है, जिसमें कर हिस्सेदारी के लिए 37,000 करोड़ रुपये और केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए 13,005 करोड़ रुपये शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पिछले छह वर्षों में केंद्र सरकार का बजट लगभग दोगुना हो गया है। 2018-19 में बजट 24,42,213 करोड़ रुपये था, जिसमें कर्नाटक को 46,288 करोड़ रुपये मिले. 2023-24 तक बजट बढ़कर 45,03,097 करोड़ रुपये हो गया, लेकिन कर्नाटक को केवल 50,257 करोड़ रुपये मिले। बजट दोगुना होने के बावजूद कर्नाटक का हिस्सा अपरिवर्तित रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि कर्नाटक के साथ हुए महत्वपूर्ण अन्याय को पहचानने के बाद, 15वें वित्त आयोग ने राज्य के लिए 5,495 करोड़ रुपये के विशेष अनुदान की सिफारिश की। हालांकि, इस सिफारिश को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खारिज कर दिया, जो कर्नाटक की प्रतिनिधि हैं। नतीजतन, कर्नाटक को अनुशंसित धनराशि नहीं मिली। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों के कारण कर्नाटक को 2017-18 से लेकर अब तक 1,87,867 करोड़ रुपये के अपने हिस्से से वंचित होना पड़ा है। यह राशि कर्नाटक के संशोधित बजट आकार 3.24 लाख करोड़ रुपये के आधे से भी अधिक है। विशेष रूप से, यह चालू वित्त वर्ष (2024-25) के बजट का 57 प्रतिशत है। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के सत्ता में आने के बाद से यह महत्वपूर्ण वित्तीय घाटा हुआ है। इसके अलावा, 15वें वित्त आयोग ने बेंगलुरु के पेरिफेरल रिंग रोड के लिए 3,000 करोड़ रुपये और झीलों सहित जल संसाधन विकास के लिए 3,000 करोड़ रुपये की सिफारिश की थी। हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन सिफारिशों को खारिज कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप राज्य को लगभग 11,495 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। कर्नाटक के सीएम ने कहा कि पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों को अनुचित तरीके से कर और अनुदान आवंटित किए हैं। यह विडंबना है कि निर्मला सीतारमण, जो कर्नाटक से राज्यसभा के लिए चुनी गई थीं, उन्होंने राज्य के हितों के खिलाफ काम किया है। उनके कामों को देखते हुए, उनके पास कर्नाटक की वित्तीय स्थिति के बारे में बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है।
आज सोमवार को एक बार फिर से सोने के भाव में गिरावट आई है। सावन महीने के दूसरे सोमवार को सोना सस्ता हुआ है। बता दें कि देश के ज्यादातर राज्यों में पिछले एक हफ्ते के अंदर सोना 6000 रुपये तक सस्ता हुआ है। 29 जुलाई को भारत में सोने की कीमतें 70,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास है। इस रेट में हाई प्योरिटी वाले सोने के लिए प्रीमियम शामिल है, जिसमें 24 कैरेट सोने की कीमत 68,990 रुपये प्रति 10 ग्राम है। 22 कैरेट सोना की कीमत 63,240 रुपये प्रति 10 ग्राम है। इस बीच, चांदी की कीमत 84,400 रुपये प्रति किलोग्राम रही। सरकार ने हाल ही में सोने और चांदी सहित विभिन्न उत्पादों पर सीमा शुल्क में कटौती की है। कीमती धातुओं के सिक्कों, सोने/चांदी की खोज और सोने और चांदी की छड़ों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया गया। सोने और चांदी के डोर के लिए इसे 14.35 फीसदी से घटाकर 5.35 फीसदी कर दिया गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने और चांदी के भाव में तेजी देखने को मिल रही है। शनिवार को एक औंस सोने की कीमत 2387 डॉलर थी, सोमवार तक इसमें 7 डॉलर की तेजी आई और यह 2394 डॉलर पर पहुंच गई। फिलहाल एक औंस चांदी की कीमत 28.06 डॉलर है।
राइफलमैन संजय कुमार और कैप्टेन विक्रम बत्रा को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 जवानों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था। इसमें कांगड़ा जिले के सबसे अधिक 15 जवान शहीद हुए थे। मंडी जिले से 11, हमीरपुर के सात, बिलासपुर के सात, शिमला से चार, ऊना से दो, सोलन और सिरमौर से दो-दो जबकि चंबा और कुल्लू जिले से एक-एक जवान शहीद हुआ था। कारगिल युद्ध में पहले शहीद कैप्टेन सौरभ कालिया भी हिमाचल के पालमपुर से ही ताल्लुख रखते थे। हिमाचल प्रदेश के राइफलमैन संजय कुमार और कैप्टेन विक्रम बत्रा को परमवीर चक्र से भी सम्मानित किया गया। दुश्मन की मशीनगन से ही दुश्मन को भून डाला संजय कुमार ने हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के रहने वाले संजय कुमार को इसी अदम्य साहस के लिए परमवीर चक्र का सम्मान मिला।प्वाइंट 4875 पर राइफलमैन संजय कुमार की बहादुरी ने भारतीय सेना को आगे बढ़ने का आधार दिया था। एक दिन पूर्व ही इस प्वाइंट पर संजय कुमार की चीते सी फुर्ती से दुश्मन पर कहर बनकर टूटी थी। संजय कुमार प्वाइंट 4875 पर पहुंचे ही थे कि उनका सामना दुश्मन के आटोमैटिक फायर से हो गया। संजय कुमार तीन दुश्मनों के साथ गुत्थमगुत्था हो गए। हैंड टू हैंड फाइट में संजय कुमार ने तीनों को मौत के घाट उतार दिया। दुश्मन टुकड़ी के शेष जवान घबराहट में अपनी यूनिवर्सल मशीन गन छोड़कर भागने लगे। बुरी तरह से घायल संजय कुमार ने उसी यूएमजी से भागते दुश्मनों को भी ढेर कर दिया। कैप्टेन विक्रम बत्रा की शाहदत की कसमें खाते है सैनिक पहली जून 1999 को कैप्टेन विक्रम बत्रा की टुकड़ी को कारगिल युद्ध में भेजा गया। हम्प और राकी नाब स्थानों को जीतने के बाद उसी समय विक्रम को कैप्टन बना दिया गया। इसके बाद श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर सबसे 5140 चोटी को पाक सेना से मुक्त करवाने का जिम्मा भी कैप्टन विक्रम बत्रा को दिया गया।विक्रम बत्रा ने अपने साथियों के साथ 20 जून 1999 को सुबह तीन बजकर 30 मिनट पर इस चोटी को अपने कब्जे में ले लिया।विक्रम बत्रा ने जब इस चोटी से रेडियो के जरिए अपना विजय ‘यह दिल मांगे मोर’ कहा तो पुरे हिन्दुस्तान में उनका नाम छा गया। इसके बाद सेना ने चोटी 4875 को भी कब्जे में लेने का अभियान शुरू कर दिया, जिसकी बागडोर भी विक्रम को सौंपी गई। उन्होंने जान की परवाह न करते हुए लेफ्टिनेंट अनुज नैयर के साथ कई पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा। कारगिल के युद्ध के दौरान उनका कोड नाम 'शेर शाह' था। पॉइट 5140 चोटी पर हिम्मत की वजह से ये नाम मिला।कारगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा 7 जुलाई को शहीद हो गए।शहीद होने के बाद उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया।
हिमाचल देवभूमि ही नहीं वीर भूमि भी है। हिमाचल के वीर सपूतों ने जब-जब भी जरूरत पड़ी देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति दी। बात चाहे सीमाओं की सुरक्षा की हो या फिर आतंकवादियों को ढेर करने की, देवभूमि के रणबांकुरे अग्रिम पंक्ति में रहे। सेना के पहले परमवीर चक्र विजेता हिमाचल से ही सम्बन्ध रखते है। कांगड़ा जिला के मेजर सोमनाथ शर्मा ने पहला परमवीर चक्र मेडल हासिल कर हिमाचली साहस से दुनिया का परिचय करवाया था। मेजर सोमनाथ ही नहीं, पालमपुर के कैप्टन विक्रम बत्रा, धर्मशाला के लेफ्टिनेंट कर्नल डीएस थापा और बिलासपुर के राइफलमैन संजय कुमार समेत प्रदेश के चार वीरों ने परमवीर चक्र हासिल कर हिमाचलियों के अदम्य साहस का परिचय दिया है। देश में अब तक दिए गए कुल 21 परमवीर चक्रों में से सबसे अधिक, चार परमवीर चक्र हिमाचल प्रदेश के नाम हैं। 1. मेजर सोमनाथ शर्मा भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट की चौथी बटालियन की डेल्टा कंपनी के कंपनी-कमांडर मेजर सोमनाथ शर्मा ने 1947 में पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे। मेजर सोमनाथ शर्मा को मरणोपरांत उनकी वीरता के लिए परमवीर चक्र से नवाजा गया। परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा का जन्म 31 जनवरी 1923 को कांगड़ा जिले में हुआ था। मेजर शर्मा मात्र 24 साल की उम्र में तीन नवंबर 1947 को पाकिस्तानी घुसपैठियों को बेदखल करते समय शहीद हो गए थे। युद्ध के दौरान जब वह एक साथी जवान की बंदूक में गोली भरने में मदद कर रहे थे तभी एक मोर्टार का गोला आकर गिरा। विस्फोट में उनका शरीर क्षत-विक्षत हो गया। मेजर शर्मा सदैव अपनी पैंट की जेब में गीता रखते थे। जेब में रखी गीता और उनकी बंदूक के खोल से उनके पार्थिव शरीर की पहचान की गई थी। 2. कैप्टेन विक्रम बत्रा विक्रम बत्रा भारतीय सेना के वो ऑफिसर थे, जिन्होंने कारगिल युद्ध में अभूतपूर्व वीरता का परिचय देते हुए वीरगति प्राप्त की। इसके बाद उन्हें भारत के वीरता सम्मान परमवीर चक्र से भी सम्मानित किया गया। ये वो जाबाज़ जवान है जिसने शहीद होने से पहले अपने बहुत से साथियों को बचाया और जिसके बारे में खुद इंडियन आर्मी चीफ ने कहा था कि अगर वो जिंदा वापस आता, तो इंडियन आर्मी का हेड बन गया होता। परमवीर चक्र पाने वाले विक्रम बत्रा आखिरी हैं। 7 जुलाई 1999 को उनकी मौत एक जख्मी ऑफिसर को बचाते हुए हुई थी। इस ऑफिसर को बचाते हुए कैप्टन ने कहा था, ‘तुम हट जाओ. तुम्हारे बीवी-बच्चे हैं’। 3. मेजर धनसिंह थापा मेजर धनसिंह थापा परमवीर चक्र से सम्मानित नेपाली मूल के भारतीय सैनिक थे। इन्हें यह सम्मान वर्ष 1962 मे मिला। वे अगस्त 1949में भारतीय सेना की आठवीं गोरखा राइफल्स में अधिकारी के रूप में शामिल हुए थे। भारत द्वारा अधिकृत विवादित क्षेत्र में बढ़ते चीनी घुसपैठ के जवाब में भारत सरकार ने "फॉरवर्ड पॉलिसी" को लागू किया। योजना यह थी कि चीन के सामने कई छोटी-छोटी पोस्टों की स्थापना की जाए। पांगॉन्ग झील के उत्तरी किनारे पर 8 गोरखा राइफल्स की प्रथम बटालियन द्वारा स्थापित एक पोस्ट थी जो मेजर धन सिंह थापा की कमान में थी। जल्द ही यह पोस्ट चीनी सेनाओं द्वारा घेर ली गई। मेजर थापा और उनके सैनिकों ने इस पोस्ट पर होने वाले तीन आक्रमणों को असफल कर दिया। थापा सहित बचे लोगों को युद्ध के कैदियों के रूप में कैद कर लिया गया था। अपने महान कृत्यों और अपने सैनिकों को युद्ध के दौरान प्रेरित करने के उनके प्रयासों के कारण उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। 4. राइफल मैन संजय कुमार परमवीर राइफलमैन संजय कुमार, वो जांबाज सिपाही है जिन्होंने कारगिल वॉर के दौरान अदम्य शौर्य का प्रदर्शन करते हुए दुश्मन को उसी के हथियार से धूल चटाई थी। लहूलुहान होने के बावजूद संजय कुमार तब तक दुश्मन से जूझते रहे थे, जब तक प्वाइंट फ्लैट टॉप दुश्मन से पूरी तरह खाली नहीं हो गया। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले से भारतीय सेना में भर्ती हुए सूबेदार संजय कुमार की शौर्यगाथा प्रेरणादायक है। 4 जुलाई 1999 को राइफल मैन संजय कुमार जब चौकी नंबर 4875 पर हमले के लिए आगे बढ़े तो एक जगह से दुश्मन ऑटोमेटिक गन ने जबरदस्त गोलीबारी शुरू कर दी और टुकड़ी का आगे बढ़ना कठिन हो गया। ऐसी स्थिति में गंभीरता को देखते हुए राइफल मैन संजय कुमार ने तय किया कि उस ठिकाने को अचानक हमले से खामोश करा दिया जाए। इस इरादे से संजय ने यकायक उस जगह हमला करके आमने-सामने की मुठभेड़ में तीन पाकिस्तानियों को मार गिराया। अचानक हुए हमले से दुश्मन बौखला कर भाग खड़ा हुआ और इस भगदड़ में दुश्मन अपनी यूनिवर्सल मशीनगन भी छोड़ गए। संजय कुमार ने वो गन भी हथियाई और उससे दुश्मन का ही सफाया शुरू कर दिया।
"या तो मैं लहराते तिरंगे के पीछे आऊंगा, या तिरंगे में लिपटा हुआ आऊंगा। पर मैं आऊंगा जरूर।" भले ही कारगिल युद्ध को 25 वर्ष का वक्त बीत चूका हो लेकिन शहीद कप्तान विक्रम बत्रा की ये पंक्तियाँ आज भी हर हिंदुस्तानी के ज़हन में जीवित है। 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस है और 7 जुलाई वो तारीख है जब कारगिल के हीरो शहीद कप्तान विक्रम बत्रा ने शाहदत का जाम पिया। वहीँ कैप्टेन विक्रम बत्रा जिनके बारे में खुद इंडियन आर्मी चीफ ने कहा था कि अगर वो जिंदा वापस आता, तो इंडियन आर्मी का हेड बन गया होता। पालमपुर में हुई प्रारंभिक शिक्षा कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर जिले के घुग्गर में हुआ। शहीद बत्रा की मां जय कमल बत्रा एक प्राइमरी स्कूल में टीचर थीं और ऐसे में कैप्टन बत्रा की प्राइमरी शिक्षा घर पर ही हुई थी। शुरुआती शिक्षा पालमपुर में हासिल करने के बाद कॉलेज की पढ़ाई के लिए वह चंडीगढ़ चले गए। शहीद कैप्टेन विक्रम बत्रा के स्कूल के पास आर्मी का बेस कैम्प था। स्कूल आते-जाते समय वहां चलने वाली गतिविधियों को देखते रहते थे। सेना की कदमताल और ड्रमबीट की आवाज से उनके रोंगटे खड़े हो जाते थे। शायद यही वो वक्त था जब वे सेना में शामिल होने का मन बन चुके थे। "मां मुझे मर्चेंट नेवी में नहीं जाना, मैं आर्मी ज्वाइन करना चाहता हूं" चंडीगढ़ में पढ़ते वक्त शहीद कैप्टेन विक्रम बत्रा ने मर्चेंट नेवी में जाने के लिए परीक्षा दी। परिणाम आया तो वह परीक्षा पास के चुके थे। कुछ ही दिनों में उनका नियुक्ति पत्र भी आ गया। जाने की सारी तैयारियां हो चुकी थीं। पर उनके मन में कुछ और ही चल रह था। इस बीच एक दिन वह मां की गोद में सिर रखकर बोले, मां मुझे मर्चेंट नेवी में नहीं जाना। मैं आर्मी ज्वाइन करना चाहता हूँ। इसके बाद वही हुआ जो वह चाहते थे। 18 महीने की नौकरी के बाद ही जंग विक्रम बत्रा की 13 JAK रायफल्स में 6 दिसम्बर 1997 को लेफ्टिनेंट के पोस्ट पर जॉइनिंग हुई थी। महज 18 महीने की नौकरी के बाद 1999 में उन्हें कारगिल की लड़ाई में जाना पड़ा। वह बहादुरी से लड़े और सबसे पहले उन्होंने हम्प व राकी नाब पर भारत का झंड़ा फहराया। युद्ध के बीच में ही उन्हें कैप्टन बना दिया गया। जब कहा, 'ये दिल मांगे मोर' 20 जून 1999 को कैप्टन बत्रा को कारगिल की प्वाइंट 5140 को दुश्मनों से मुक्त करवाने का ज़िम्मा दिया गया। युद्ध रणनीति के लिहाज से ये चोटी भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी। कैप्टेन बत्रा ने इस चोटी को मुक्त करवाने के लिए अभियान छेड़ा और कई घंटों की गोलीबारी के बाद आखिरकार वह अपने मिशन में कामयाब हो गए। इस जीत के बाद जब उनकी प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने जवाब दिया, 'ये दिल मांगे मोर,' बस इसी पल से ये पंक्तियाँ अमर हो गई। पाक ने दिया कोडनेम शेरशाह कारगिल वॉर में कैप्टन विक्रम बत्रा दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुके थे। ऐसे में पाकिस्तान की ओर से उनके लिए एक कोडनेम रखा गया और यह कोडनेम कुछ और नहीं बल्कि उनका निकनेम शेरशाह था। इस बात का खुलासा खुद कैप्टन बत्रा ने युद्ध के दौरान ही दिए गए एक इंटरव्यू में दी थी। साथी को बचाते हुए शहीद हुए शेरशाह प्वाइंट 5140 पर कब्जे के बाद कैप्टेन विक्रम बत्रा अगले प्वांइट 4875 को जीतने के लिए चल दिए। ये चोटी समुद्री तट से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर है और इस पर कब्जे के लिए 80 डिग्री की चढ़ाई पर चढ़ना था। पहला ऑपरेशन द्रास में हुआ था। कैप्टेन विक्रम बत्रा अपने साथियों के साथ पत्थरों का कवर ले कर दुश्मन पर फ़ायर कर रहे थे, तभी उनके एक साथी को गोली लगी और वो उनके सामने ही गिर गया। वो सिपाही खुले में पड़ा हुआ था। कैप्टेन विक्रम बत्रा और उनके एक साथी चट्टानों के पीछे बैठे थे। हालाँकि उस घायल सिपाही के बचने के आसार बेहद कम थे लेकिन कैप्टेन विक्रम बत्रा ने फैसला लिया की वे उस घायल सिपाही को रेस्क्यू करेंगे। जैसे ही उनके साथी चट्टान के बाहर कदम रखने वाले थे, विक्रम ने उन्हें कॉलर से पकड़ कर कहा, "आपके तो परिवार और बच्चे हैं। मेरी अभी शादी नहीं हुई है। सिर की तरफ़ से मैं उठाउंगा। आप पैर की तरफ़ से पकड़िएगा।' ये कह कर विक्रम आगे चले गए और जैसे ही वो उनको उठा रहे थे, उनको गोली लगी और वो वहीं गिर गए और शहीद हो गए। मरणोपरांत मिला परमवीर चक्र कैप्टेन विक्रम बत्रा को मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र दिया गया। 26 जनवरी, 2000 को उनके पिता गिरधारीलाल बत्रा ने हज़ारों लोगों के सामने उस समय के राष्ट्रपति के आर नाराणयन से वो सम्मान हासिल किया।
नई दिल्ली: राष्ट्रपति भवन के ‘दरबार हॉल', ‘अशोक हॉल' का नाम आज बदल दिया गया है. अशोक हॉल का नाम बदलकर अशोक मंडप किया गया है। वहीं अब राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल को गणतंत्र मंडप के नाम से जाना जाएगा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल और अशोक हॉल का नाम बदलने का आदेश जारी किया है। इस आदेश में लिखा गया है कि राष्ट्रपति भवन भारत के लोगों की अमूल्य विरासत है। राष्ट्रपति भवन तक लोगों को पहुंच आसान बनाने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है। साथ ही राष्ट्रपति भवन के माहौल को भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतीक बनाने का भी प्रयास जारी है। आपको बता दे कि ‘दरबार हॉल' में कई बड़े आयोजन होते रहे है। राष्ट्रीय पुरस्कारों की प्रस्तुति जैसे महत्वपूर्ण समारोहों का यह स्थान रहा है। राष्ट्रपित भवन के दरबार हॉल और अशोक हॉल का बदला गया नाम, प्रियंका गांधी ने कहा- ये शहंशाह की अवधारणा राष्ट्रपति भवन के दोनों हॉल के नाम बदले जाने पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी ने केंद्र की NDA सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि दरबार की कोई अवधारणा (कॉन्सेप्ट) नहीं है, लेकिन 'शहंशाह' की अवधारणा है।
**पटवारी-कानूनगो को भारी पड़ा सरकार का विरोध प्रदेश में लगातार स्टेट कैडर का विरोध कर रहे पटवारियों और कनूनगो के खिलाफ सरकार ने बड़ा एक्शन लेने की ठान ली है। ऑनलाइन सेवाएं बंद करने और अतरिक्त कार्यभार की चाबियां लौटाने वाले कर्मचारियों अधिकारीयों को सरकार ससपेंड करेगी। इस बार में अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा की तरफ से सभी डीसी को लेटर जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि सरकारी कर्मचारियों का इस तरह का रवैया अनुचित है। जो सीसीएस (आचरण) नियम, 1964 का उल्लंघन है। ऐसे में लोगों को सेवाएं न देने वाले पटवारियों और कानूनगो के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इसके साथ ये भी कहा गया है कि यदि उन्हें सरकार के किसी निर्णय के खिलाफ कोई शिकायत है, तो उन्हें बातचीत का सहारा लेना चाहिए न कि लोगों के जरूरी कामों को रोक कर सरकार के आदेशों की अवहेलना करनी चाहिए। राज्य सरकार ने ऑनलाइन काम ठप करने और व्हाट्सऐप ग्रुप छोड़ने के खिलाफ सभी पटवारी और कानूनगो की सर्विस ब्रेक हो सकती है। अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा ने इस बारे में सभी उपायुक्तों को पत्र जारी किया है। ** दो दिनों में सेवाएं करनी होगी शुरू प्रदेश सरकार की तरफ से सभी डीसी को जारी लेटर में पटवारियों और कानूनगो को दो दिनों में सेवाएं शुरू करने को कहा गया है। अगर आदेशों की पालना नहीं होती है तो ऐसे सभी कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। वहीं, डीसी को भी अपने जिलों में उनके नियंत्रण में पटवारियों और कानूनगो को तुरंत प्रभाव से ऑनलाइन काम फिर से शुरू करने के लिए कड़े निर्देश जारी करने को कहा गया है, ताकि प्रदेश भर में लोगों को घर द्वार पर सरकार की सुविधाओं का लाभ मिल सके। ** व्हाट्सएप ग्रुप में भी वापस जुड़ने के दिए निर्देश इसके अलावा पटवारियों और कानूनगो को आधिकारिक "व्हाट्सएप ग्रुप" में वापस शामिल होने और अतिरिक्त प्रभार सहित उन्हें दिए गए अन्य दायित्वों को भी निभाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। इसके लिए पटवारियों और कानूनगो दो दिन का समय दिया गया है। पटवारियों और कानूनगो को चेताया गया है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी की ओर से कोई भी कार्रवाई जो हिमाचल प्रदेश की आम जनता के हितों के खिलाफ है, सरकार ये कतई स्वीकार्य नहीं करेगी।
हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक आगामी 26 जुलाई को त्रिलोक ठाकुर अध्यक्ष अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ की अध्यक्षता मे होगी। यह बैठक वाईब्रेशन हॉल नजदीक रिपन अस्पताल शिमला ठीक 11:00 बजे शूरू होगी, जिसमें प्रदेश भर के लगभग 250 कर्मचारी नेता भाग लेंगें। जिसमें जिलाध्यक्ष व महासचिव प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारी विभागीय संगठनों के प्रधान एवं महासचिव तथा प्रदेश कार्यकारिणी के तमाम पदाधिकारी सम्मलित होंगें। बैठक के तुरंत बाद प्रदेश कार्यकारिणी त्रिलोक ठाकुर की अध्यक्षता मे माननीय मुख्यमंत्री महोदय व मुख्य सचिव हिमाचल प्रदेश सरकार से मुलाकात करेंगें। इस बैठक में प्रदेश सरकार जल्द से जल्द संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन करने बारे में चर्चा होगी और इसी के साथ 2016 संशोधित वेतनमान का लम्बित ऐरियर का भुगतान, मंहगाई भत्तों की किश्तों कों जारी करने, वर्तमान अनुबंध आधार पर कार्यरत कर्मचारियों को पूर्व की भांति वर्ष मे 02 बार नियमित करने बारे तथा भविष्य में भर्तियों को नियमित आधार पर करने के साथ-साथ विभिन्न विभागों में कई वर्षों से रिक्त पडे पदों को भरने व विभिन्न विभागों मे पदौन्नति समय पर करने जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। यह जानकारी प्रैस को हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ के राज्य महामंत्री राजीव चौहान ने दी है।
हिमाचल में डिपुओं के माध्यम से सस्ते राशन के वितरण में पारदर्शिता लाने के लिए राशन कार्ड धारकों की ई-केवाईसी करवाई जा रही है, जिसके लिए पिछले कई महीनों से प्रक्रिया चल रही है, लेकिन बार-बार मौका देने पर भी अभी तक राशन कार्ड में दर्ज 16,35,735 सदस्यों ने ई-केवाईसी नहीं कराई है। ऐसे में इन लोगों के पास 30 सितंबर तक ई-केवाईसी कराने का अवसर है। अगर इस अवधि तक भी राशन कार्ड धारक इस अवसर का लाभ नहीं उठाते हैं तो ऐसे उपभोक्ताओं को सस्ते राशन की सुविधा से हाथ धोना पड़ सकता है। बता दें कि प्रदेश में राशन कार्ड में दर्ज कुल सदस्यों की संख्या 73,32,413 है। इसमें अभी तक 56,85,157 लोगों की ई-केवाईसी हुई है। हिमाचल प्रदेश में सभी पात्र लोगों को सस्ते राशन की सुविधा मिले, इसके लिए सरकार राशन कार्ड धारकों को बार-बार ई-केवाईसी कराने का अवसर दे रही है। इसके बाद भी लाखों लोगों ने अपनी ई-केवाईसी नहीं कराई हैं। विभाग की ओर से जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक अभी तक राशन कार्ड में दर्ज 16,35,735 सदस्यों ने ई-केवाईसी नहीं कराई है। इसमें बिलासपुर जिले में 80,240 सदस्यों की ई-केवाईसी नहीं हुई है। इसी तरह से चंबा जिले में 1,81,078, हमीरपुर में 90,896, कांगड़ा में 4,42,953, किन्नौर में 29,151, कुल्लू में 1,03,637, लाहौल स्पीति में 18,878, मंडी में 2,02,140, शिमला में 1,66,103, सिरमौर में 1,18,642, सोलन में 58,937 व ऊना जिले में 1,43,080 सदस्यों ने अपनी ई-केवाईसी नहीं कराई है। प्रदेश में अभी 77.54 फीसदी लोगों ने ई-केवाईसी करा ली है। खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने लोगों से जल्द से जल्द ई-केवाईसी कराने की अपील की हैं। ऐसा न करने पर सस्ते राशन की सुविधा बंद हो सकती है। ई-केवाईसी का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वास्तविक लाभार्थियों को ही राशन मिले। ये देखा गया है कि कई राशन कार्ड धारकों के राशन कार्ड में शामिल सदस्यों की स्थिति विवाह होने और किसी सदस्य का निधन होने से बदल चुकी है। इसलिए ई-केवाईसी काफी आवश्यक है, ताकि राशन कार्ड से ऐसे सदस्यों के नामों को हटाए जा सके और वास्तविक लाभार्थियों को ही राशन उपलब्ध हो सके। अगर कोई भी राशन कार्ड में इन सदस्यों की जानकारी को अपडेट करवाना चाहते हैं तो उनको ई-केवाईसी करवानी पड़ेगी।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नर्सरी से आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले 5.34 लाख विद्यार्थियों को अब हर सप्ताह बुधवार को अंडा और केला भी मिड-डे मील के तहत दिया जाएगा। विद्यार्थियों को अंडा और केला में से एक खाने के लिए दिया जाएगा। राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री बाल पौष्टिक आहार योजना के तहत यह प्रावधान किया है। अंडा और केला देने के लिए बजट का प्रावधान राज्य सरकार करेगी।
हिमाचल प्रदेश में विद्यार्थियों की शून्य संख्या वाले 99 स्कूल बंद होंगे। पांच और पांच से कम दाखिलों वाले 460 स्कूल मर्ज किए जाएंगे। मंगलवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में सरकारी स्कूलों में घट रही विद्यार्थियों की संख्या पर चिंता जताते हुए स्कूल मर्ज करने की संभावनाएं तलाशने का निर्णय लिया गया। प्राइमरी स्कूल दो किलोमीटर और मिडल स्कूल तीन किलोमीटर के दायरे में मर्ज किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या कम होने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि वर्ष 2002-2003 में पहली कक्षा में सरकारी शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों की संख्या 1 लाख 30 हजार 466 थी। वहीं वर्ष 2023-24 में यह संख्या घटकर 49 हजार 295 हो गई है। वर्तमान में प्रदेश में 89 प्राथमिक विद्यालयों और 10 माध्यमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या शून्य है। 701 प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों की संख्या मात्र पांच है। इनमें से 287 विद्यालय दूसरे विद्यालय से दो किलोमीटर के दायरे में स्थित हैं। इसके अलावा 109 अतिरिक्त विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या केवल पांच है। इसके अलावा 46 मिडल स्कूल तीन किलोमीटर के दायरे में स्थित हैं और 18 अन्य स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या केवल पांच है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन हालात के मद्देनजर स्कूलों के कामकाज को तर्कसंगत बनाना आवश्यक है। निर्देश दिए कि विद्यार्थियों की कम संख्या वाले विद्यालयों को विलय करने की संभावनाएं तलाश की जाएं। विद्यालयों को विलय करने के कदम से पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध होगा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी दी जा सकेगी। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों किन्नौर व स्पीति में दो पूर्ण सुसज्जित बोर्डिंग स्कूल स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने शिक्षा विभाग को संबंधित क्षेत्रों में इन बोर्डिंग स्कूलों की स्थापना के लिए उपयुक्त भूमि चिन्हित करने के निर्देश दिए। सुक्खू ने कहा कि स्कूलों में बेहतर संसाधन जुटाने के लिए सरकार ने क्लस्टर बनाए हैं तथा स्कूल प्रबंधन को विद्यार्थियों के लिए अपनी पसंद की स्मार्ट वर्दी चुनने का विकल्प दिया गया है। वर्तमान राज्य सरकार ने सरकारी संस्थानों में मानकों को बढ़ाने के लिए कई अभिनव पहल की हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से अंग्रेजी माध्यम भी लागू किया है। बैठक में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, मुख्य संसदीय सचिव आशीष बुटेल ने भी अपने सुझाव दिए। शिक्षा सचिव राकेश कंवर, निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा, निदेशक प्रारंभिक शिक्षा आशीष कोहली भी बैठक में मौजूद रहे।
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार फिजूलखर्ची रोकने की दिशा में कड़े कदम उठाने जा रही है। सरकारी विभागों में अधिकारियों और कर्मचारियों का युक्तिकरण किया जाएगा। राज्य सरकार सरकारी गाड़ियों के पेट्रोल खर्च कम करेगी। आमदनी बढ़ाने और फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाने के लिए उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अगुवाई में रिसोर्स मोबिलाइजेशन कमेटी की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। कैबिनेट सब कमेटी के सुझाव राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा के लिए जाएंगे। इस बैठक में प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर चर्चा की गई। राज्य में हर नागरिक पर 1.16 लाख रुपये से अधिक का कर्ज होने पर चिंता जताई गई। अरुणाचल प्रदेश के बाद इसमें चिंता व्यक्त की गई कि कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है। मंत्रिमंडलीय उप समिति केंद्र से राजस्व घाटा अनुदान कम होने पर भी चिंतित हुई कि राज्य में जितना राजस्व इकट्ठा हो रहा है, वह देनदारियां चुकाने में ही खत्म हो रहा है। कैबिनेट सब कमेटी के सदस्य और मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि बजट का बड़ा हिस्सा लोन की किस्तों और ब्याज चुकाने में ही जा रहा है। अरुणाचल के बाद हिमाचल सबसे कर्जदार प्रदेश है। आर्थिक स्थिति अच्छी करने के लिए सख्त निर्णय लेने पड़ रहे हैं। निशुल्क सेवाओं में भी कटौती की जा रही है। सरकार का स्ट्रक्चर पिरामिड की तरह होना चाहिए था, पर यह इन्वर्टेड पिरामिड की तरह बन चुका है। सरकारी विभागों में अफसरों का युक्तिकरण समय की जरूरत है। वर्ष 2006 से 2022 के बीच श्रेणी एक के राजपत्रित अधिकारियों की संख्या में 62 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस वर्ग के अधिकारियों को कम कर फील्ड और निचले स्टाफ को बढ़ाने पर ध्यान देंगे। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में रिसोर्स मोबिलाइजेशन सब-कमेटी गठित की है। इसमें मुकेश अग्निहोत्री के अलावा कृषि मंत्री चंद्र कुमार, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और नगर नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी सदस्य हैं। उप समिति ने चिंता व्यक्त की कि राज्य पर 80 हजार करोड़ रुपये का ज्यादा का कर्ज था। 31 मार्च 2023 तक यह 86,589 करोड़ हो गया था। 10 हजार करोड़ रुपये की कर्मचारियों की देनदारियां लंबित हैं। 14वें वित्त आयोग से हिमाचल को 40624 करोड़ रुपए मिले थे। 15वें वित्त आयोग में 37199 करोड़ कर दिए। साल 2021-22 में यह ग्रांट 10249 करोड़ थी और अब यह 2025-26 में 3257 करोड़ रुपये हो जाएगी।
** हिमाचल को आपदा से निपटने के लिए मोदी सरकार देगी मदद हिमाचल प्रदेश के लिए केंद्रीय बजट 2024 में बड़ी घोषणा हुई है। केंद्र सरकार ने बिहार ही नहीं, हिमाचल प्रदेश के लिए भी बड़ी घोषणा की और साल 2023 में भारी बारिश की वजह से आई आपदा को लेकर मदद का ऐलान किया है। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पेश करते हुए यह ऐलान किया है। हालांकि, कितने रुपये की मदद की जाएगी, इसका जिक्र घोषणा में नहीं किया गया है। बाढ़ से निपटने के लिए केंद्र सरकार विभिन्न राज्यों को 11,500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि बाढ़ और बारिश से प्रभावित प्रस्तावित परियोजनाओं के निर्माण के लिए मदद करेगी। संसद में बजट भाषण के दौरान वित्तमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को बाढ़ प्रबंधन के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी। हालांकि, हिमाचल को अन्य मामलों में निराशा हाथ लगी है। कांगड़ा के गग्गल एयरपोर्ट के विस्तार के लिए मोदी सरकार की तरफ से कोई घोषणा नहीं की गई है। सरकार ने इसके लिए बजट की मांग की थी। साथ ही सेब उत्पादन शुल्क को लेकर भी कुछ घोषणा नहीं हुई है। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश को बीते साल 2023 में मॉनसून सीजन में 12000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इस दौरान तीन हजार से अधिक घर पूरी तरह से गिर गए थे, जबकि 12 हजार से अधिक घरों को नुकसान हुआ था। साल 2023 में आई सदी की सबसे बड़ी आपदा में 509 लोगों की जान गई थी। हिमाचल प्रदेश सरकार ने आपदा के लिए 4500 करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज भी घोषित किया था। वहीं, मौजूदा सीजन में अब तक बारिश से 200 करोड़ रुपये तक का नुकसान हो चुका है।
** ग्रामीण विकास आवंटन: ग्रामीण बुनियादी ढांचे सहित ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ रुपये आवंटित **पीएम आवास योजना के तहत आवास: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में तीन करोड़ अतिरिक्त घरों का निर्माण वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज केंद्रीय बजट 2024-25 पेश किया, जो प्रधानमंत्री मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट है। अपने बजट भाषण में सीतारमण ने मोदी सरकार में लोगों के भरोसे पर जोर देते हुए कहा कि भारत के लोगों ने हमें ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुना है। सीतारमण ने सरकार की प्राथमिकताओं को रेखांकित किया, जिसमें गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों की मदद करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में अपने भाषण के दौरान कहा कि सरकार ने ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पीएम आवास योजना के तहत तीन करोड़ अतिरिक्त घर बनाए जाएंगे। लोकसभा में 2024-25 का बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा कि इस साल मैंने ग्रामीण बुनियादी ढांचे सहित ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद घोषणा करते हुए कहा कि ग्रामीण बुनियादी ढांचे सहित ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पीएम आवास योजना के तहत तीन करोड़ अतिरिक्त घर बनाए जाएंगे।
आज संसद में मोदी सरकार 3.0 का बजट पेश किया जा रहा है और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार 7वीं बार बजट पेश कर रही हैं। इसके साथ ही वो सबसे ज्यादा बार लगातार बजट पेश करने वाली वित्त मंत्री बन गई हैं। इससे पहले मोरारजी देसाई के नाम ये रिकॉर्ड दर्ज था। मोरारजी देसाई ने लगातार 6 बार बजट पेश किया था। इस बार निर्मला सीतारमण के बजट से लोगों ने उम्मीदें लगाई हुई हैं। खासकर मिडिल क्लास की रोटी, कपड़ा, मकान, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी तमाम मूलभूत जरूरतों की दरकार होगी। वहीं, कर्मचारी वर्ग को इनकम टैक्स में राहत और उद्योगों ने भी राहत की उम्मीद लगाई हुई है।