सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में बेतरतीब विकास और पर्यावरणीय विनाश पर सख़्त टिप्पणी करते हुए आगाह किया है कि यदि राज्य में विकास कार्य बिना वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरणीय संतुलन के जारी रहे, तो वह दिन दूर नहीं जब हिमाचल देश के नक्शे से ही मिट सकता है। कोर्ट ने यह भी जोड़ा, भगवान न करे कि ऐसा दिन आए। यह टिप्पणी जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की डबल बेंच ने एमएस प्रिस्टिन होटल्स एंड रिज़ॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई के दौरान दी। याचिका शिमला के तारादेवी क्षेत्र में होटल निर्माण से संबंधित थी। कोर्ट ने याचिका खारिज की, पर्यावरणीय मुद्दों पर स्वतः संज्ञान लिया सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को जनहित से जुड़ा मानते हुए पर्यावरण और पारिस्थितिकी पर स्वत: संज्ञान लिया और इसे पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) में तब्दील कर दिया। कोर्ट ने हिमाचल सरकार से 4 हफ्तों में विस्तृत जवाब मांगा है। इसके लिए राज्य के मुख्य सचिव और केंद्रीय वन मंत्रालय को नोटिस भेजा गया है। अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी। ग्रीन एरिया अधिसूचना की सराहना, लेकिन देरी पर सवाल सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार द्वारा ग्रीन एरिया घोषित करने की अधिसूचनाओं को “एक सकारात्मक कदम” बताया, लेकिन यह भी कहा कि यह प्रयास बहुत देर से शुरू किए गए। कोर्ट ने चेताया कि राज्य की पारिस्थितिकीय स्थिति लगातार बिगड़ रही है। शिमला शहर और उसके आस-पास के इलाकों में अब तक 17 से अधिक क्षेत्रों को ग्रीन एरिया घोषित किया जा चुका है, जहां किसी भी तरह का निर्माण कार्य पूर्णतः प्रतिबंधित है। तारादेवी के जंगल में होटल निर्माण को लेकर दाखिल की गई थी याचिका एमएस प्रिस्टिन होटल्स एंड रिज़ॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड शिमला के समीप तारादेवी जंगल क्षेत्र में होटल बनाना चाहता था। लेकिन राज्य सरकार ने हाल ही में इस क्षेत्र को ग्रीन एरिया घोषित कर दिया, जिसके खिलाफ कंपनी ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। हिमाचल सरकार ने माना, अवैज्ञानिक विकास बना विनाश की वजह सुनवाई के दौरान हिमाचल सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल अनूप रतन पेश हुए। सरकार ने कोर्ट में स्वीकार किया कि राज्य में फोरलेन निर्माण, पावर प्रोजेक्ट, पेड़ कटान और पहाड़ियों में ब्लास्टिंग जैसे कार्य अवैज्ञानिक तरीकों से हो रहे हैं, जो विनाश का प्रमुख कारण बन रहे हैं। कोर्ट का सुझाव कोर्ट ने कहा कि देश के सभी हिमालयी राज्यों को अपने संसाधनों और विशेषज्ञता को एकजुट करने की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य की विकास परियोजनाएं जलवायु, पारिस्थितिकी और भूगर्भीय जोखिमों को ध्यान में रखते हुए बनाई जाएं। ।
पुलिस थाना सुंदरनगर के अंतर्गत शुक्रवार सुबह बीबीएमबी झील कंट्रोल गेट से दो शव बरामद किए गए हैं। मृतकों की पहचान आशीष गौतम (पुत्र ओम प्रकाश), निवासी गांव पंजगाई, जिला बिलासपुर और सुधीर कुमार, निवासी पुराना बाजार सुंदरनगर के रूप में की गई है। प्राथमिक जानकारी के अनुसार, दोनों युवक 25 जुलाई की रात खिउरी क्षेत्र के समीप नहर में गिर गए थे, जिसके बाद से वे लापता थे। मामले की सूचना मिलने के बाद पुलिस और स्थानीय प्रशासन की ओर से तलाश अभियान चलाया गया था। शव बरामद होने के बाद थाना सुंदरनगर पुलिस ने दोनों शवों को थाना बल्ह के माध्यम से पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है कि हादसा किन परिस्थितियों में हुआ। इस दुखद घटना से क्षेत्र में शोक की लहर है। स्थानीय लोगों और परिजनों ने प्रशासन से पूरी घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
अगस्त की शुरुआत के साथ आम लोगों से जुड़े पांच बड़े बदलाव लागू हो गए हैं। इनका असर आपकी जेब और रोजमर्रा के डिजिटल लेन-देन से लेकर हवाई सफर और लोन की EMI तक पर पड़ सकता है। आइए जानते हैं कौन से हैं ये बदलाव: 1. कॉमर्शियल गैस सिलेंडर सस्ता आज से 19 किलो वाला कॉमर्शियल गैस सिलेंडर ₹34.50 तक सस्ता हो गया है। दिल्ली: ₹33.50 की कटौती के बाद अब नई कीमत ₹1631.50 कोलकाता: ₹34.50 की कटौती के बाद कीमत ₹1769 घरेलू गैस सिलेंडर के दामों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। 2. UPI पर नई लिमिट और नियम लागू बैलेंस चेक लिमिट: अब UPI ऐप्स से आप दिन में अधिकतम 50 बार ही अकाउंट बैलेंस चेक कर सकेंगे। ऑटो-पे समय स्लॉट: अब ऑटो-पेमेंट (EMI, सब्सक्रिप्शन, बिल आदि) सुबह 10 से दोपहर 1 बजे और शाम 5 से रात 9:30 के बीच प्रोसेस नहीं होंगे। पेमेंट स्टेटस चेक: असफल ट्रांजैक्शन का स्टेटस दिन में केवल 3 बार और हर बार 90 सेकंड के अंतराल में ही चेक कर सकेंगे। चार्जबैक नियम आसान: बैंकों को अब रिजेक्टेड चार्जबैक क्लेम पर NPCI से दोबारा अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। इससे विवादों का समाधान तेज होगा। 3. SBI के कुछ क्रेडिट कार्ड्स पर फ्री इंश्योरेंस बंद 11 अगस्त से SBI अपने को-ब्रांडेड ELITE और PRIME क्रेडिट कार्ड्स पर मिलने वाला एयर एक्सीडेंट इंश्योरेंस कवर बंद कर रहा है। अब तक यह कवर ₹50 लाख से ₹1 करोड़ तक का होता था। 4. एविएशन टर्बाइन फ्यूल महंगा, हवाई सफर हो सकता है महंगा तेल कंपनियों ने एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) की कीमत में ₹2677.88 प्रति किलोलीटर (3%) की बढ़ोतरी की है। नई कीमत: ₹92,021.93 प्रति 1000 लीटर संभावित असर: हवाई टिकटों के किराए में बढ़ोतरी हो सकती है। 5. RBI कर सकता है ब्याज दरों में कटौती 4 से 6 अगस्त के बीच RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक होगी। संभावना है कि रेपो रेट में 0.25% की कटौती की जा सकती है। इससे होम लोन, ऑटो लोन और अन्य कर्जों की EMI कम हो सकती है। साथ ही सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज भी प्रभावित हो सकता है।
हिमाचल प्रदेश में एचआरटीसी की बसों में मुफ्त और रियायती यात्रा का लाभ उठाने के लिए अब ‘हिम बस कार्ड’ अनिवार्य होगा। वीरवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। अब राज्य के लाभार्थियों को यह कार्ड 200 रुपये में बनवाना होगा और हर साल 150 रुपये देकर इसे रिन्यू कराना पड़ेगा। राज्य सरकार ने महिलाओं को बस किराये में 50% छूट और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को मुफ्त यात्रा की सुविधा दी हुई है। अब इन दोनों श्रेणियों के लाभार्थियों को भी यह कार्ड बनवाना होगा। कैबिनेट के फैसले के मुताबिक, सभी पात्र लोगों को अगले तीन महीने के भीतर यह कार्ड बनवाना अनिवार्य होगा। सरकार का तर्क है कि अन्य राज्यों जैसे पंजाब और हरियाणा के लोग भी एचआरटीसी के पास बनवाकर हिमाचल की छूट का लाभ उठा रहे थे, जिससे निगम को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा था। अब केवल हिमाचल के स्थायी निवासी ही रियायत का लाभ ले सकेंगे। कार्ड बनवाते समय पहचान प्रमाण देना अनिवार्य होगा।वर्तमान में प्रदेश में 17 श्रेणियों को निशुल्क यात्रा की सुविधा दी जा रही है, जिनमें परिवहन निगम कर्मचारी व सेवानिवृत्त कर्मचारी, दिव्यांगजन, पुलिस कर्मी, जेल वार्डर, स्वतंत्रता सेनानी व उनके सहायक, युद्ध विधवाएं, पूर्व विधायक-सांसद, राज्य शिक्षक पुरस्कार विजेता, गंभीर रोगियों के साथ मान्यता प्राप्त पत्रकार शामिल हैं। बाहरी मशीनरी और अन्य राज्य की गाड़ियों का पंजीकरण भी अब अनिवार्य कैबिनेट ने यह भी फैसला लिया है कि प्रदेश में कार्यरत बाहरी राज्यों की मशीनरी व अन्य राज्य नंबर की गाड़ियों का अब पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। वाहन मालिकों को कुल लागत का 20% बतौर पंजीकरण शुल्क चुकाना होगा। इसके लिए वन टाइम लैगेसी पॉलिसी को भी मंजूरी दी गई है। इसके तहत एकमुश्त टैक्स और बकाया जुर्माने की 50% राशि जमा कर वाहन रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। यह नीति अधिसूचना की तारीख से अगले तीन माह तक लागू रहेगी। अनुमान है कि इससे करीब 27,095 वाहन रजिस्टर्ड किए जा सकते हैं।
कांगड़ा केंद्रीय सहकारी (केसीसी) बैंक प्रबंधन ने बैंकिंग नियमों की अवहेलना पर बड़ी कार्रवाई करते हुए ग्रेड-3 के सहायक प्रबंधक संजय को डिमोट कर ग्रेड-4 क्लर्क बना दिया है। बैंक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स (बीओडी) की सिफारिश पर यह निर्णय लिया गया। संजय पर आरोप है कि उन्होंने प्रदत्त अधिकारों का दुरुपयोग कर तय सीमा से अधिक ऋण आवंटित किया, जिससे बैंक को आर्थिक नुकसान हुआ और एनपीए में वृद्धि दर्ज की गई। प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि संजय को कांगड़ा शाखा की रिकवरी विंग में तैनात किया गया है और आगामी तीन वर्षों तक उन्हें पदोन्नति नहीं दी जाएगी। इतना ही नहीं, यदि उनके द्वारा वितरित ऋण की समय पर रिकवरी नहीं होती है, तो नुकसान की भरपाई उनके वेतन और पेंशन से की जाएगी। बैंक प्रबंधन और बीओडी ने इसी के साथ बर्खास्त किए गए चार कर्मचारियों को बहाल भी किया है। इनमें ग्रेड-4 के सुनील कुमार को बंगाणा से टकोली शाखा भेजा गया है। ग्रेड-2 के दिग्विजय सिंह को अधवानी (ज्वालामुखी) से ऊना के गगरेट ब्रांच, और अजय कुमार को बड़ा (नादौन) से पालमपुर की राजपुरा ब्रांच स्थानांतरित किया गया है। वहीं, बर्खास्त ग्रेड-2 कर्मचारी विनोद कुमार की बहाली को लेकर आदेश फिलहाल लंबित हैं। जैसे ही औपचारिकताएं पूरी होंगी, उनकी बहाली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य के मेधावी विद्यार्थियों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। शैक्षणिक सत्र 2022-23 की मेरिट सूची में शामिल दसवीं, बारहवीं और कॉलेज स्तर के करीब 10,000 मेधावी छात्रों को 16-16 हजार रुपये मूल्य के टेक कूपन दिए जाएंगे, जिनकी मदद से वे अपनी पसंद का लैपटॉप या टैबलेट खरीद सकेंगे। सरकार ने इस योजना को पारदर्शी बनाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल तैयार किया है। चयनित विद्यार्थी इस पोर्टल पर अपनी जानकारी अपलोड कर निर्धारित गैजेट बास्केट में से किसी एक डिवाइस को चुन सकेंगे। गैजेट की होम डिलीवरी की व्यवस्था संबंधित कंपनियां कोरियर के माध्यम से करेंगी। गैजेट की पसंद अब छात्र की मर्जी राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ने विभिन्न कंपनियों के साथ मिलकर टैबलेट और लैपटॉप्स की कॉन्फ़िगरेशन तय की है और कई कंपनियों को चयनित किया है। विद्यार्थियों को अधिक मूल्य के गैजेट लेने की छूट भी दी गई है; वे चाहें तो अंतर राशि स्वयं जोड़ सकते हैं। पुरानी योजनाओं का नया रूप गौरतलब है कि यह योजना 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के कार्यकाल में शुरू हुई थी। इसके बाद वीरभद्र सिंह सरकार ने 2012 में इस योजना को विस्तार दिया। वहीं जयराम ठाकुर सरकार के समय यह योजना अनिश्चितता में फंसी रही, लेकिन अंततः टैबलेट बांटे गए। अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई में यह योजना नई संरचना और तकनीकी मॉडल के साथ आगे बढ़ाई जा रही है। जल्द होगा औपचारिक शुभारंभ शिक्षा विभाग ने योजना के विधिवत शुभारंभ के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से समय मांगा है। संभावना है कि अगस्त माह में योजना का औपचारिक उद्घाटन हो सकता है।
मंडी जिला के थुनाग स्थित हॉर्टिकल्चर कॉलेज को लेकर उठा विवाद अब एक नया मोड़ ले चुका है। कुछ दिनों पहले सरकार ने इस कॉलेज को थुनाग से नाचन विधानसभा क्षेत्र में शिफ्ट करने का निर्णय लिया, जिसके बाद प्रदेश में सियासी घमासान मच गया। इस कॉलेज की स्थापना पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने कार्यकाल में थुनाग में की थी। मौजूदा कांग्रेस सरकार के इस फैसले को भाजपा ‘क्षेत्रीय विकास के साथ अन्याय’ बता रही है। वहीं कांग्रेस का तर्क है कि छात्रों की सुरक्षा और मांग प्राथमिकता है। दोनों के अपने अपने तर्क है। हालाँकि अब इस मामले में बड़ा अपडेट आया है। बुधवार को शिमला में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में छात्रों और उनके परिजनों ने थुनाग में कॉलेज संचालन को लेकर गंभीर चिंताएं जताईं। उनका कहना था कि पिछले तीन वर्षों से लगातार क्षेत्र में बारिश और भूस्खलन के चलते हालात खराब रहते हैं। 30 जून की रात को भारी बारिश में कई छात्रों का सामान बह गया। कॉलेज में हॉस्टल सुविधा न होने के चलते 250 से अधिक छात्र किराए के कमरों में रहने को मजबूर हैं। छात्रों ने बताया कि थोड़ी सी बारिश में ही बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं, जिससे न केवल पढ़ाई प्रभावित होती है बल्कि जान का भी खतरा बना रहता है। ऐसे में कॉलेज शिफ्ट करना उनके लिए राहत भरा कदम है। जंजैहली में मंत्री की गाड़ी पर जूते-काले झंडे, FIR दर्ज कॉलेज शिफ्ट होने से गुस्साए कुछ लोगों ने बीते शुक्रवार को जंजैहली में प्रदेश के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की गाड़ी पर जूते और काले झंडे फेंके। मंत्री की गाड़ी पर तिरंगा लगा होने के चलते सरकार ने इसे 'राष्ट्रध्वज का अपमान' बताया और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई। कांग्रेस ने जलाया जयराम ठाकुर का पुतला इस घटना के विरोध में कांग्रेस भी सड़कों पर उतर आई। किन्नौर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आक्रोश रैली निकालकर पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का पुतला फूंका। कांग्रेस ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि जिन्हें छात्रों की जान से ज़्यादा तिरंगे की राजनीति प्यारी है, उन्हें पहले छात्रों का दर्द समझना चाहिए।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आउटसोर्सिंग विवाद से जुड़ी एक याचिका पर सरकार और अन्य प्रतिवादियों द्वारा समय पर जवाब न देने को गंभीरता से लिया है। न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने सरकार पर ₹5000 का जुर्माना लगाया है और स्पष्ट किया कि यह राशि गलती करने वाले अधिकारी से वसूल की जाए। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि यह जुर्माना राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को अदा किया जाएगा। इससे पहले पिछली सुनवाई में भी अदालत ने जवाब दाखिल करने के लिए अंतिम अवसर दिया था, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई जवाब पेश नहीं किया गया। सरकार ने अब दो सप्ताह का और समय मांगा है, जिस पर अदालत ने कहा कि जुर्माना अदा करने के बाद ही यह अंतिम अवसर दिया जाएगा। साथ ही चेतावनी दी कि अगर तय समयसीमा में जवाब दाखिल नहीं किया गया, तो उनका उत्तर देने का अधिकार समाप्त कर दिया जाएगा। अब इस मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को होगी
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती में पूर्व सैनिकों के लिए निर्धारित की गई कटऑफ तिथि को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। कोर्ट ने सैनिक कल्याण विभाग की 21 फरवरी 2025 की अधिसूचना पर सवाल उठाते हुए सरकार को तीन सप्ताह के भीतर सेवा-मुक्ति की नई वैध तिथि निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। क्या था मामला? सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में पूर्व सैनिकों की पात्रता 13 दिसंबर 2022 से 13 दिसंबर 2024 के बीच सेवा-मुक्त होने की शर्त पर आधारित थी। जबकि याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह कटऑफ किसी भी कानून, नियम या मैन्युअल में उल्लेखित नहीं है और इसे बिना उचित प्रक्रिया के मनमाने ढंग से बदला गया है। पहले की अधिसूचना में यह अवधि 1 जनवरी 2022 से 1 जनवरी 2024 थी, लेकिन बाद में इसे संशोधित कर दिया गया, जिससे कई योग्य पूर्व सैनिक भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गए। न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की एकल पीठ ने इस बदलाव को अवैध ठहराया और कहा कि यह उचित प्रक्रिया के तहत नहीं किया गया, जिससे उम्मीदवारों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। कोर्ट ने साफ किया कि जब तक नई तिथि अधिसूचित नहीं की जाती, तब तक पूर्व सैनिक श्रेणी का परिणाम जारी नहीं किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी। राज्य सरकार ने कुल 1226 कांस्टेबल पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी, जिनमें से 123 पद पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित हैं।
एजबेस्टन में 31 जुलाई को होने वाले हाई-वोल्टेज सेमीफाइनल मुकाबले से पहले वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ लीजेंड्स (WCL) 2025 विवादों में आ गई है। भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले इस बहुप्रतीक्षित मैच से ऑनलाइन ट्रैवल कंपनी EaseMyTrip ने खुद को अलग कर लिया है। कंपनी ने साफ कहा है कि वह किसी ऐसे आयोजन का समर्थन नहीं करेगी जो आतंकवाद को प्रश्रय देने वाले देश से रिश्ते सामान्य करने का प्रयास करे। EaseMyTrip के सह-संस्थापक निशांत पिट्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "हम Team India को सेमीफाइनल में पहुंचने पर बधाई देते हैं। लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ यह सिर्फ एक और मुकाबला नहीं है। EaseMyTrip इस मैच से खुद को अलग कर रहा है। हमारा मानना है कि आतंकवाद और क्रिकेट एक साथ नहीं चल सकते। देश पहले, व्यापार बाद में। जय हिंद।" भारत की सेमीफाइनल में एंट्री इंडिया चैंपियंस ने WCL 2025 के लीग स्टेज के अंतिम मुकाबले में वेस्टइंडीज को 7 विकेट से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया। वेस्टइंडीज ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 144 रन बनाए थे, जिसे भारतीय टीम ने 13.2 ओवर में ही हासिल कर लिया। अब 31 जुलाई को भारत का सामना कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से होगा।EaseMyTrip के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर कंपनी की काफी सराहना की जा रही है। वहीं, यह मामला खेल और राष्ट्रहित के बीच संतुलन पर एक नई बहस को जन्म दे गया है।
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में सोमवार देर रात भारी बारिश ने एक बार फिर जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। मंडी शहर के कई हिस्सों में बादल फटने जैसे हालात बने, जिनके चलते तीन लोगों की मौत और एक महिला के लापता होने की पुष्टि हुई है। सबसे गंभीर स्थिति जेल रोड इलाके में बनी, जहां मलबे और तेज़ बहाव के कारण कई गाड़ियां दब गईं और सड़कों पर आवागमन पूरी तरह ठप हो गया। एनडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय प्रशासन की टीमें मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हैं। एसपी मंडी साक्षी वर्मा, नगर निगम के मेयर वीरेंद्र भट्ट और कमीशनर रोहित राठौर समेत प्रशासनिक अधिकारी लगातार हालात की निगरानी कर रहे हैं। मलबे में फंसी जानें, बह गए वाहन जेल रोड पर एक महिला का शव मलबे में दबी गाड़ियों के बीच फंसा मिला, जिसे कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया। कई अन्य वाहन पूरी तरह मलबे में दब चुके हैं, जबकि कुछ बाढ़ में बह गए। स्थानीय लोग भी राहत और बचाव में प्रशासन का साथ दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर सामने आए कुछ वीडियो में लोग फंसे हुए लोगों को खिड़कियों और छतों से निकालते दिखे। बंद पड़े नेशनल हाईवे, मंडी में कई जगह भूस्खलन चंडीगढ़-मनाली और पठानकोट-मंडी जैसे दोनों मुख्य नेशनल हाईवे पर भूस्खलन के चलते आवागमन बंद है। 4 मील, 9 मील, डवाड़ा, झलोगी समेत दर्जनों स्थानों पर मलबा सड़क पर जमा हो गया है। विक्टोरिया ब्रिज के पास, धर्मपुर लोनिवि मंडल व अधीक्षण अभियंता कार्यालय के ऊपर भी भारी भूस्खलन की खबर है। मंडी नगर निगम आयुक्त रोहित राठौर ने बताया— "भारी बारिश के कारण ऊपरी क्षेत्रों का मलबा निचले इलाकों में जमा हो गया है। यह बादल फटने का नतीजा हो सकता है। सभी विभाग राहत कार्यों में लगे हैं।" शहर के पैलेस कॉलोनी, जोनल अस्पताल, ब्यास, सुकेती और सकोडी खड्ड के किनारे बसे इलाकों में भी हालात चिंताजनक हैं। बारिश के कारण लोगों ने पूरी रात डर के साए में बिताई।
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर जिले के हरवान इलाके में सुरक्षाबलों ने सोमवार को एक बड़े आतंकी ऑपरेशन में तीन आतंकियों को मार गिराया। इस अभियान को ऑपरेशन महादेव नाम दिया गया है और माना जा रहा है कि मारे गए आतंकियों का संबंध अप्रैल महीने में पहलगाम में हुए आतंकी हमले से है, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी। मुलनार क्षेत्र में यह मुठभेड़ उस समय शुरू हुई जब इलाके में संदिग्ध गतिविधियों की सूचना के बाद सुरक्षा बलों ने कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन चलाया। तलाशी के दौरान आतंकियों ने गोलियां चलाईं, जिसके जवाब में सेना और पुलिस ने मोर्चा संभालते हुए तीन आतंकियों को ढेर कर दिया। अभी तक दो आतंकियों के घायल होने की खबर भी सामने आई है। मुठभेड़ अभी जारी है और पूरे इलाके में तलाशी अभियान चल रहा है। इस संयुक्त अभियान में 50 राष्ट्रीय राइफल्स (RR), 24 RR, श्रीनगर पुलिस और सीआरपीएफ की टीमें शामिल हैं। चिनार कोर के अनुसार, मारे गए आतंकियों की पहचान और उनके आतंकी संगठन से संबंध का पता लगाया जा रहा है। खुफिया इनपुट्स के आधार पर यह अंदेशा था कि पहलगाम हमले में शामिल आतंकी दाछिगाम की ओर भाग सकते हैं। इसी सूचना के आधार पर सोमवार सुबह ऑपरेशन शुरू किया गया। सुरक्षा बलों ने क्षेत्र की घेराबंदी कर सघन तलाशी ली और सफलता पूर्वक तीन आतंकियों को ढेर कर दिया। इलाके में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और स्थानीय नागरिकों की जांच भी की जा रही है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वर्तमान सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार भ्रष्टाचार के आरोपियों को पुरस्कृत करने में लगी है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा निगम के महाप्रबंधक विमल नेगी की संदिग्ध मौत मामले में जिन आरोपितों के खिलाफ जांच चल रही थी, सरकार ने उन्हें बचाने के लिए हर संभव कोशिश की और आरोपियों को फिर से अहम पदों पर तैनात कर दिया। जयराम ठाकुर ने सवाल उठाया कि मुख्यमंत्री ने स्व. विमल नेगी की पत्नी को इंसाफ दिलाने का वादा किया था, तो अब आरोपियों को पुरस्कृत कर मुख्यमंत्री उनसे कैसे नज़रें मिलाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने इस मामले में न्याय की मांग की या मुख्यमंत्री के इशारे पर काम नहीं किया, उन्हें दंडित किया गया, चाहे वे वरिष्ठ आईएएस हों या आईपीएस अधिकारी। ठाकुर ने बिजली बोर्ड और ऊर्जा निगम में फैली अनियमितताओं को उजागर करने वाले कर्मचारियों और इंजीनियर एसोसिएशंस के पदाधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई को सरकार की असंवेदनशीलता बताया। उनका कहना था कि इन आरोपों की कोई गंभीर जांच नहीं की गई, जिससे सरकार की नीयत पर सवाल उठते हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा, “यह प्रदेश की पहली सरकार है जो भ्रष्टाचार के आरोपियों को बचाकर उन्हें अहम पदों पर तैनात करती है। इस तरह के ‘व्यवस्था परिवर्तन’ ने आम जनता का सरकार पर भरोसा खत्म कर दिया है। जो भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे दंडित किया जा रहा है, जो प्रदेश के लिए घातक साबित होगा।” अंत में जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री से अपील की कि वे भ्रष्टाचार के आरोपों की गंभीरता से जांच कराएं और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों का मनोबल न तोड़ें।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 28 जुलाई से 31 जुलाई तक लगातार चार दिनों तक चलने वाली कैबिनेट बैठक बुलाई है। यह प्रदेश में पहली बार इतनी लंबी अवधि तक कैबिनेट बैठक आयोजित की जा रही है। इस बैठक में नगर निकाय चुनाव के आरक्षण रोस्टर, आपदा प्रभावितों के राहत एवं पुनर्वास के लिए स्पेशल पैकेज सहित कई अहम मुद्दों पर चर्चा और निर्णय लेने की संभावना है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने हाल ही में सराज विधानसभा क्षेत्र के दौरे के दौरान आपदा प्रभावितों को विशेष राहत पैकेज का भरोसा दिया था। मानसून के दौरान भारी बारिश, बादल फटने और फ्लैश फ्लड से प्रदेश में भारी तबाही हुई है। 425 घर पूरी तरह जमींदोज हो गए हैं, जबकि लगभग 800 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। खासतौर पर सराज विधानसभा क्षेत्र में करीब 30 प्रतिशत परिवार प्रभावित हुए हैं। आपदा में कई किसानों और बागवानों के खेत-खलियान, सेब के बगीचे बह गए हैं, और बड़ी संख्या में पालतू मवेशी भी बाढ़ में बह गए। प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता देने के लिए कैबिनेट बैठक में योजना बनाई जा रही है। खबर है कि जिनके घर पूरी तरह तबाह हुए हैं, उन्हें 7 लाख रुपए तक की आर्थिक मदद मिल सकती है, जबकि आंशिक नुकसान वाले और मवेशी-खेत खोने वालों को भी राहत दी जाएगी। इसके अलावा, कैबिनेट बैठक में नगर निकाय चुनाव के लिए आरक्षण रोस्टर को लेकर भी महत्वपूर्ण निर्णय लिया जाएगा। चुनाव आयोग ने प्रदेश के सभी 73 नगर निकायों में आरक्षण रोस्टर लगाने के आदेश दिए हैं, लेकिन सरकार ने इस मुद्दे पर अंतिम फैसला कैबिनेट बैठक में लेने की बात कही है। सेब खरीद के लिए भी कैबिनेट में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MIS) तय किए जाने की संभावना है। इसके साथ ही विभिन्न विभागों में होने वाली भर्तियों को भी बैठक में मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
हिमाचल प्रदेश के मंडी में भाखड़ा ब्यास सतलुज प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की नहर में शुक्रवार देर रात दो युवक डूब गए। जानकारी के अनुसार, तीन दोस्तों ने बग्गी चौक के पास नहर किनारे जश्न मनाया था। जश्न खत्म कर घर लौटते समय एक युवक का पैर नहर में फिसला और वह डूबने लगा। उसकी मदद के लिए दूसरा दोस्त भी नहर में कूद पड़ा, लेकिन दोनों ही पानी में समा गए। तीसरा दोस्त हादसे को देखकर घबरा गया और तुरंत पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलने पर पुलिस और एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और खोजबीन शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक दोनों युवकों का पता नहीं चल सका है। पुलिस ने सूचना देने वाले तीसरे युवक को हिरासत में लेकर मामले की जांच शुरू कर दी है। डूबे युवकों में बिलासपुर के आशीष गौतम और सुंदरनगर के पुराने बाजार के सुधीर शामिल हैं। आशीष गौतम सुंदरनगर में किसी बैंक में कार्यरत था, जबकि सुधीर किराये के कमरे में रहता था। तीसरे युवक हरजीत, जो लोहार पंचायत का निवासी है, ने पुलिस को घटना की जानकारी दी। लोहार पंचायत के प्रधान पन्नालाल ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि उन्होंने भी बल्ह पुलिस से संपर्क किया है। यह हादसा इलाके में शोक की लहर लेकर आया है। प्रशासन और सुरक्षा बल खोज कार्य जारी रखे हुए हैं।
राजस्व, बागवानी, जनजातीय विकास और जन शिकायत निवारण मंत्री जगत सिंह नेगी ने शनिवार को धर्मपुर उपमंडल के स्याठी गांव का दौरा कर प्राकृतिक आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में जारी राहत एवं पुनर्निर्माण कार्यों का बारीकी से निरीक्षण किया। प्रभावित लोगों से मिलकर हालचाल जाना और उनकी समस्याओं को सीधे समझने के साथ उन्होंने अधिकारियों को कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है कि हर प्रभावित व्यक्ति तक राहत सामग्री और आर्थिक मदद पहुंचे। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आपदा के 24 घंटे के भीतर प्रभावित इलाकों का दौरा कर प्रशासन को राहत एवं पुनर्वास कार्यों के कड़े निर्देश दिए हैं। मंत्री ने स्पष्ट किया कि जिन परिवारों के घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें अधिकतम 7 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी, जो देश में अब तक किसी राज्य सरकार द्वारा दी गई सबसे बड़ी राहत राशि है। हालांकि, भूमि की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है क्योंकि अधिकतर खाली जमीन वन क्षेत्र में आती है। इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार ने वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन हेतु केंद्र को प्रस्ताव भेजा है। वहीं, वन अधिकार अधिनियम के तहत भी आजीविका पर निर्भर परिवारों को जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अतिरिक्त, प्रभावित खेतों और बागीचों के नुकसान का आकलन राजस्व, कृषि और बागवानी विभाग संयुक्त रूप से करेंगे और मुआवज़ा राशि बढ़ाई गई है। राजस्व मंत्री ने लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग और विद्युत बोर्ड के पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति की जानकारी ली और उन्हें कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने अटल आदर्श विद्यालय मढ़ी का भी निरीक्षण किया। इस दौरान विधायक चन्द्रशेखर ने क्षेत्र के प्रभावित परिवारों की संख्या बताई और मुख्यमंत्री व सरकार के त्वरित राहत कार्यों के लिए आभार जताया। एसडीएम धर्मपुर जोगिंद्र पटियाल ने बताया कि अब तक प्रभावितों को लगभग 3.85 लाख रुपये की सहायता राशि विभिन्न मदों में दी जा चुकी है। 26 पूरी तरह से क्षतिग्रस्त पक्के घरों व 3 कच्चे घरों को 2.50 लाख रुपये, आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त 10 पक्के व 18 कच्चे घरों को 70 हजार रुपये की अग्रिम राहत दी गई है। साथ ही गौशालाओं को 65 हजार रुपये की सहायता प्रदान की गई। राहत सामग्री के तहत 29 राशन किट, 16 कंबल, 612 तिरपाल और गैस सिलेंडर आदि वितरण किए गए हैं। पेयजल योजनाओं में अधिकांश कार्य आंशिक रूप से बहाल हो चुके हैं और कुछ सड़कों की मरम्मत प्रगति पर है।
हिमाचल प्रदेश में बीजेपी विधायक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर तीखा तंज कसते हुए कहा, “ऊपर इंद्र और नीचे सुखविंदर, दोनों ने जनता की परेशानी बढ़ा दी है।” उन्होंने कहा कि आज हालात ऐसे हैं कि या तो जनता के ग्रह भारी हैं या फिर राजा के, लेकिन असर सीधा आम आदमी पर हो रहा है। सत्ती बोले, “अब जनता तय कर चुकी है कि इस राजा को बदलना ही होगा।” सराज से भेदभाव, हॉर्टिकल्चर कॉलेज का मुद्दा गरमाया सत्ती ने सराज विधानसभा क्षेत्र में थुनाग स्थित हॉर्टिकल्चर कॉलेज को शिफ्ट करने के फैसले को भेदभावपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद बीजेपी विधायकों के क्षेत्रों के साथ जानबूझकर भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने विधानसभा में कॉलेज न शिफ्ट करने का आश्वासन दिया था, लेकिन इसके बावजूद उसे हटा दिया गया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कॉलेज भवन को कोई नुकसान नहीं हुआ है, फिर भी वहां से कॉलेज को शिफ्ट करना जनता के हितों के खिलाफ है। इसी कारण, राजस्व मंत्री को जनता के विरोध का सामना करना पड़ा, और उल्टे 60 लोगों पर FIR दर्ज कर दी गई। ऊना पेखुबेला पावर प्रोजेक्ट में भारी फिजूलखर्ची का आरोप ऊना के पेखुबेला में 240 करोड़ रुपये की लागत से बने पावर प्रोजेक्ट को लेकर सत्ती ने गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि यह प्रोजेक्ट पानी में डूब गया है, कर्मचारी सैलरी न मिलने के चलते हड़ताल पर हैं और प्रोजेक्ट कभी भी ठप हो सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि जलभराव वाले क्षेत्र में बिना सोच-विचार के इतनी बड़ी परियोजना शुरू कर दी गई। कानून-व्यवस्था और गौ-तस्करी पर भी उठाए सवाल सत्ती ने कहा कि हिमाचल में लॉ एंड ऑर्डर की हालत खराब हो गई है। दिनदहाड़े फायरिंग हो रही है और गौ-तस्करी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। उन्होंने हाल ही में स्वारघाट में पकड़े गए टैंकर का ज़िक्र किया जिसमें गाय-बैल भरकर जम्मू-कश्मीर ले जाए जा रहे थे। देसराज की पोस्टिंग और SP शिमला पर सवाल सत्ती ने बिजली बोर्ड में देसराज की नियुक्ति को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि यह वही अधिकारी हैं जिन पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा था। हाईकोर्ट से फटकार खाने के बावजूद SP शिमला को भी उसी जगह दोबारा पोस्टिंग देना सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है।
हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन ने रफ्तार पकड़ ली है, और इसी के साथ सरकार ने बागवानों और किसानों को राहत देने की दिशा में एक अहम फैसला लिया है। प्रदेश में अब 1 अगस्त से 31 अक्तूबर तक बाहरी राज्यों से आने वाले ट्रकों को विशेष पथकर (Special Road Tax) से छूट दी जाएगी। खास बात यह है कि यह छूट उन ट्रकों को भी दी जाएगी जो नेशनल परमिट के दायरे में नहीं आते हैं, लेकिन हिमाचल में आलू और सेब जैसे कृषि उत्पादों का परिवहन कर रहे हैं। इस संबंध में प्रदेश के परिवहन विभाग ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। विभाग का उद्देश्य है कि मौजूदा सेब और आलू सीजन के दौरान किसानों और बागवानों को परिवहन में कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ न उठाना पड़े और उनके उत्पाद समय पर मंडियों तक पहुंच सकें। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि यह कदम किसानों और बागवानों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है। उन्होंने कहा कि सेब और आलू के परिवहन को आसान और किफायती बनाने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयासरत है। उन्होंने जानकारी दी कि सेब सीजन और बरसात के चलते परिवहन विभाग ने सभी जरूरी तैयारियां पूरी कर ली हैं और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आवश्यक एहतियात भी सुनिश्चित किए गए हैं। इसके साथ ही उपमुख्यमंत्री ने सभी हितधारकों से अनुरोध किया है कि वे सड़क सुरक्षा नियमों का पूरी तरह पालन करें ताकि सेब सीजन के दौरान सुचारु और सुरक्षित परिवहन व्यवस्था बनी रहे।
हिमाचल प्रदेश के शहरी इलाकों में भवन निर्माण के लिए अब ज्योलॉजिकल (भूगर्भीय) और संरचना डिजाइन (स्ट्रक्चर डिजाइन) की रिपोर्ट देना अनिवार्य कर दिया गया है। यह नियम शिमला, कुल्लू, धर्मशाला, ऊना, किन्नौर, मंडी, सोलन, नाहन और चंबा जैसे शहरों में लागू होगा। टीसीपी विभाग द्वारा तैयार किए जा रहे नए डेवलपमेंट प्लान में इंजीनियर और स्ट्रक्चर डिजाइन की रिपोर्ट रखना जरूरी होगा। इस योजना का मकसद हिमाचल में प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले भवन नुकसान को रोकना है। राजेश धर्माणी, टीसीपी मंत्री ने बताया कि सरकारी भवनों में यह नियम पहले से लागू है और अब इसे शहरी निजी भवनों पर भी लागू किया जा रहा है। इसके तहत नालों से कम से कम 5 मीटर और खड्डों या नदियों से 7 मीटर की दूरी पर ही भवन निर्माण की अनुमति दी जाएगी। इससे पहले नालों से 3 मीटर तथा खड्डों और नदियों से 5 मीटर की दूरी तय होती थी। हिमाचल में 2018 से लगातार प्राकृतिक आपदाओं का कहर जारी है, जिसके कारण कई भवन ढहे और जनहानि भी हुई है। अधिकारियों के मुताबिक ज्योलॉजिकल और स्ट्रक्चरल रिपोर्ट न होने के कारण कई भवन प्राकृतिक आपदा में असुरक्षित साबित हुए हैं। शिमला प्लानिंग एरिया में 5 मीटर चौड़ी सड़क वाले इलाकों में पांच मंजिला भवन निर्माण की अनुमति दी गई है, जबकि सड़क सुविधा न होने पर दो मंजिला भवन एवं एटिक का निर्माण ही संभव होगा। टीसीपी विभाग का मानना है कि इन नियमों के कड़ाई से पालन से भवन निर्माण अधिक सुरक्षित और मजबूती से होगा, जिससे भविष्य में आपदाओं का असर कम होगा।
बिजली महादेव रोपवे... यह रोपवे अब महज रोपवे नहीं रहा बल्कि कुल्लू की जनता के लिए उनकी आस्था, जंगल और पहचान की लड़ाई बन गया है। इस रोपवे निर्माण ने मानो प्रदेश में देवताओं की सत्ता और खुद को सत्ता के देवता मानने वालों के बीच एक जंग छेड़ दी है। हालांकि कुल्लू की जनता अब और सहने के मूड में बिल्कुल नहीं। इस रोपवे के विरोध में आज लोग एक साथ बाहर निकल आए। कुल्लू की सड़कों पर आज जो नज़ारा दिखा, वह सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि लोगों की भावनाओं का विस्फोट था। सैकड़ों लोग अपने देवता के आदेश, जंगल की शांति और घाटी की अस्मिता बचाने के लिए सड़क पर उतर आए। विरोध की आवाज़ पूरी घाटी में गूंज गई। प्रदर्शनकारी एक ही मांग कर रहे थे... किसी भी हालत में यह प्रोजेक्ट नहीं लगना चाहिए। ढोल नगाड़ों के बिना, नारों के साथ निकली, कुल्लू के रामशीला से ढालपुर मैदान तक फैली यह आक्रोश रैली केवल एक परियोजना का विरोध नहीं थी... यह एक चेतावनी थी कि अगर देवभूमि की चेतना को अनसुना किया गया, तो विरोध अब आवाज नहीं, लहर बन जाएगा। कुल्लू ही नहीं, मंडी के सेरी मंच पर भी लोगों ने रोष रैली निकालकर इस प्रोजेक्ट का विरोध जताया। लेकिन एक रोपवे का इतना विरोध क्यों हो रहा है? क्या कुल्लू के लोगों को विकास से परहेज है? आइए इस विरोध के पीछे की वजहों को ठहरकर समझने की कोशिश करते हैं। बिजली महादेव संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुरेश नेगी के मुताबिक, देववाणी में आदेश हुआ कि भगवान बिजली महादेव को रोपवे मंजूर नहीं। यह बात सुनते ही घाटी की जनता सड़कों पर उतर आई। ग्रामीणों का दावा है कि रोपवे के निर्माण से पहले देवताओं की सहमति नहीं ली गई और जबरन हजारों की संख्या में पेड़ काट दिए गए। सरकारी फाइलों में सिर्फ 72 पेड़ काटने की इजाजत थी, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि असल संख्या 100 के पार है। देवदार जैसे सदियों पुराने पेड़ों का यूं कट जाना न सिर्फ पर्यावरण के लिए खतरा है, बल्कि यह देवस्थल की आत्मा को ठेस पहुंचाने जैसा है। सिर्फ आस्था नहीं, आजीविका भी दांव पर बिजली महादेव पहुंचने के लिए अभी तीन घंटे की ट्रैकिंग करनी पड़ती है। यह सिर्फ एक रास्ता नहीं, बल्कि एक पूरा लोकल इकॉनमी है। घोड़े खच्चर वाले, ट्रैकिंग गाइड, ढाबे और छोटे व्यापारी, सभी की रोजी-रोटी इसी पर टिकी है। रोपवे बनते ही यह सिस्टम चरमरा जाएगा। स्थानीय बुजुर्ग शिवनाथ ने चेतावनी दी है कि यदि यह प्रोजेक्ट जबरन थोपा गया तो वे आत्मदाह तक कर सकते हैं। उनका कहना है, “देवताओं की इच्छा के विरुद्ध कुछ भी हुआ तो इसका असर पूरे क्षेत्र पर पड़ेगा।” विरोध के बीच सरकार की दलीलें सरकार कह रही है कि रोपवे से ट्रैफिक कम होगा, यात्रा आसान होगी और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। बिजली महादेव की तीन घंटे की चढ़ाई अब सिर्फ 7 मिनट की सवारी में बदलेगी। रोजाना 36 हजार लोग मंदिर तक पहुंच सकेंगे और ऑल वेदर कनेक्टिविटी भी सुनिश्चित होगी। बता दें कि मार्च 2024 में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस प्रोजेक्ट का वर्चुअल शिलान्यास किया था और 272 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। यह प्रोजेक्ट नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML) द्वारा 2026 तक पूरा किया जाना है। यह 2.3 किलोमीटर लंबा रोपवे 'पर्वतमाला' प्रोजेक्ट के तहत बन रहा है। लेकिन सियासत यहां भी है... एक दौर में इस प्रोजेक्ट के समर्थक रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता राम सिंह, अरविंद चंदेल और नरोत्तम ठाकुर अब इसके खिलाफ हैं। यहां तक कि पूर्व सांसद महेश्वर सिंह ने भूमि पूजन में शामिल होने के बाद मीडिया के सामने सफाई दी कि वे इस प्रोजेक्ट के समर्थक नहीं हैं। वहीं कांग्रेस विधायक सुंदर सिंह ठाकुर इस प्रोजेक्ट को विकास का प्रतीक बता रहे हैं। कुल्लू की राजनीति भी तीन हिस्सों में बंटी हुई दिख रही है, एक धड़ा आस्था और पर्यावरण के साथ खड़ा है, दूसरा पर्यटन और विकास के साथ, और तीसरा राजनीतिक मजबूरियों के बीच उलझा हुआ। बिना जनसुनवाई, बिना सहमति? स्थानीय संगठनों का आरोप है कि इस प्रोजेक्ट को बिना पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (EIA) और बिना जनसुनवाई के मंजूरी दी गई। कई ग्रामीणों को तब तक इसकी भनक तक नहीं लगी जब तक पेड़ कटने शुरू नहीं हुए।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने महिला एवं बाल विकास विभाग में अनुबंध पर नियुक्त पर्यवेक्षकों के नियमितीकरण में देरी को असंवैधानिक ठहराया है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की एकल पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ताओं की सेवाएं भी उनके सहकर्मियों की तरह 2 मई 2019 से नियमित मानी जाएं और सभी परिणामी लाभ छह सप्ताह के भीतर प्रदान किए जाएं। अदालत ने स्पष्ट किया कि सभी चयनित उम्मीदवारों ने एक ही विज्ञापन और समान चयन प्रक्रिया के तहत आवेदन किया था। उन्हें 30 मार्च 2016 को नियुक्ति पत्र दिए गए और 16 अप्रैल 2016 तक कार्यभार ग्रहण करने को कहा गया था। कुछ ने जल्दी ज्वाइन किया, कुछ ने कुछ दिन बाद, लेकिन चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया समान थी। ऐसे में केवल ज्वाइनिंग की तारीख के आधार पर नियमितीकरण में भेदभाव संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है। मामले की पृष्ठभूमि: 2015 में महिला एवं बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर के 69 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी। सभी चयनितों को नियुक्ति पत्र 30 मार्च 2016 को जारी हुए। कुछ उम्मीदवारों ने 31 मार्च व 1 अप्रैल को कार्यभार संभाल लिया, जिनकी सेवाएं 2 मई 2019 को नियमित हो गईं। लेकिन याचिकाकर्ताओं की सेवाओं को 11 अक्टूबर 2019 को नियमित किया गया, जिससे वे अपने सहकर्मियों से छह महीने पीछे रह गए। कोर्ट की टिप्पणी: "एक ही चयन प्रक्रिया, एक ही नियुक्ति आदेश, लेकिन अलग-अलग नियमितीकरण – यह सरासर भेदभाव है। राज्य को समानता के सिद्धांत का पालन करना चाहिए," अदालत ने कहा।
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रोहड़ू से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस तरलोक सिंह चौहान आज झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) पद की शपथ लेंगे। रांची स्थित राजभवन में झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। जस्टिस चौहान की यह नियुक्ति झारखंड हाईकोर्ट के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्रन के त्रिपुरा हाईकोर्ट स्थानांतरण के बाद हुई है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 26 मई 2025 को अपनी बैठक में उनके नाम की सिफारिश की थी। जस्टिस चौहान सोमवार को अपने परिजनों के साथ रांची पहुंच चुके हैं। हिमाचल हाईकोर्ट में भी निभाई अहम भूमिकाएं जस्टिस चौहान हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में दो बार कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की भूमिका निभा चुके हैं। उन्हें 23 फरवरी 2014 को अतिरिक्त न्यायाधीश और 30 नवंबर 2014 को स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। हाईकोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान वे कंप्यूटर और ई-कोर्ट कमेटी के अध्यक्ष भी रहे, और राज्य में न्यायिक डिजिटल संरचना को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। शुरुआती जीवन और शिक्षा जस्टिस चौहान का जन्म 9 जनवरी 1964 को रोहड़ू में हुआ। उन्होंने शिमला के प्रतिष्ठित बिशप कॉटन स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की, जहाँ वे स्कूल कैप्टन भी रहे। स्नातक की पढ़ाई डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ से ऑनर्स में पूरी की और उसके बाद पंजाब विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 1989 में उन्होंने वकालत की शुरुआत की और वरिष्ठ अधिवक्ता लाला छबील दास के चेंबर से जुड़कर कानूनी क्षेत्र में कदम रखा। कानूनी विशेषज्ञता और कोर्ट मित्र की भूमिका जस्टिस चौहान ने प्रदेश हाईकोर्ट में विभिन्न क्षेत्रों में वकालत की और राज्य विद्युत बोर्ड, नागरिक आपूर्ति निगम समेत कई सार्वजनिक संस्थानों के विधिक सलाहकार भी रहे। उन्हें हाईकोर्ट द्वारा कोर्ट मित्र भी नियुक्त किया गया, विशेषतः पर्यावरण, हाइड्रो प्रोजेक्ट्स, प्लास्टिक व तंबाकू प्रतिबंध, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, और सड़क निर्माण नीति जैसे महत्वपूर्ण मामलों में। सामाजिक सरोकार और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधित्व हाईकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने बाल कल्याण, मानसिक स्वास्थ्य, पुनर्वास और वृद्धाश्रमों के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित “न्यायपालिका और बदलती दुनिया” विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन सहित कई अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। साल 2019 में वे रोमानिया में आयोजित “बच्चों के लिए देखभाल और सुरक्षा सेवाओं के सुधार” विषय पर अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज प्रोग्राम में भी शामिल रहे। अकादमिक योगदान वे हिमाचल प्रदेश नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी शिमला की गवर्निंग काउंसिल और कार्यकारी परिषद के सदस्य भी रहे। साथ ही, वे राज्य की न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य की सभी प्रशासनिक सीमाओं में किसी भी प्रकार के बदलाव पर एक जनवरी 2026 से 31 मार्च 2027 तक रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं। यह निर्णय आगामी जनगणना और चुनावी प्रक्रियाओं के मद्देनज़र लिया गया है, ताकि इन कार्यों के दौरान प्रशासनिक ढांचे में स्थिरता बनी रहे। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, इस अवधि में राज्य के सभी जिलों, नगरपालिकाओं, उपमंडलों, तहसीलों, उपतहसीलों, राजस्व गांवों, कस्बों और वार्डों की सीमाएं यथावत रहेंगी। यानी इस दौरान कोई नई प्रशासनिक इकाई नहीं बनाई जाएगी और न ही किसी मौजूदा इकाई में संशोधन किया जा सकेगा। इस रोक का प्रभाव यह होगा कि नए वार्डों, कस्बों या राजस्व इकाइयों के निर्माण संबंधी प्रस्तावों पर अस्थायी रूप से रोक लग जाएगी। साथ ही, उपतहसीलों को तहसीलों में अपग्रेड करना या नई नगरपालिकाएं गठित करना भी मार्च 2027 से पहले संभव नहीं होगा। सरकार का यह फैसला प्रशासनिक स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है, जिससे जनगणना और निर्वाचन संबंधी कार्य सुचारू रूप से पूरे किए जा सकें।
हिमाचल प्रदेश राज्य चुनाव आयोग ने सभी उपायुक्तों को 22 जुलाई तक नगर निकायों में आरक्षण रोस्टर लागू करने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले यह समयसीमा 11 और फिर 15 जुलाई तय की गई थी। वार्डों के पुनर्सीमांकन से जुड़ा मामला हिमाचल हाईकोर्ट में लंबित था, लेकिन अब कोर्ट द्वारा उस पर लगी रोक हटा दी गई है, जिससे चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है। प्रदेश के 73 नगर निकायों में चुनाव प्रस्तावित हैं। शहरी विकास विभाग ने आयोग को पत्र लिखकर कहा था कि अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के अद्यतन आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए आरक्षण रोस्टर लागू कर पाना संभव नहीं होगा। विभाग ने तर्क दिया कि नवीनतम जनगणना आंकड़े वर्ष 2027 में ही उपलब्ध होंगे। इस पर चुनाव आयोग ने आपत्ति जताते हुए इसे चुनाव प्रक्रिया में अनावश्यक बाधा बताया और निर्देशों के पालन पर ज़ोर दिया।
कुल्लू। सावन के पावन महीने में बिजली महादेव मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद नहीं किए गए हैं। मंदिर के कारदार विनेंद्र जंबाल ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि श्रद्धालु मुख्य द्वार से भोले बाबा के दर्शन कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर फैल रही इस भ्रांति का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि कपाट बंद होने की खबरें निराधार हैं।उन्होंने बताया कि देव आदेश के तहत इस बार श्रद्धालुओं को केवल मुख्य द्वार से दर्शन की अनुमति दी गई है। इसके अलावा, मंदिर परिसर में शोर-शराबा, भजन कीर्तन, लंगर आयोजन और रात्रि ठहराव पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। उन्होंने ये भी कहा कि मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है, मगर मुख्या द्वार से शिवलिंग के दर्शन किए जा सकेंगे। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे परंपरा और मर्यादाओं का पालन करें तथा देवस्थल की गरिमा बनाए रखें। यह फैसला देव परंपराओं और लोक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जिससे श्रद्धा बनी रहे और व्यवस्था भी सुचारू रहे।
कभी देश के टॉप 30 स्वच्छ शहरों में गिना जाने वाला शिमला… आज 300 में भी नहीं है। करोड़ों की हाईटेक मशीनें, सफाई के तमाम दावे और योजनाएं…सब धरा का धरा रह गया और इस बार शिमला 347वें स्थान पर आ गया है। 2024 के स्वच्छता सर्वेक्षण में शिमला को 347वां स्थान मिला है, जो अब तक की सबसे निचली रैंकिंग है। इससे पहले 2023 में शहर 188वें और 2022 में 56वें पायदान पर था। 2016 में जब सर्वे में कम शहर शामिल थे, तब शिमला देश में 27वें स्थान पर था। करोड़ों रुपये की मशीनें और संसाधन झोंकने के बावजूद सफाई के मोर्चे पर यह गिरावट नगर निगम और जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है। कभी मिसाल था शिमला, अब चिंता का विषय 2016 में शिमला ने स्वच्छता रैंकिंग में 27वां स्थान हासिल कर देशभर का ध्यान अपनी ओर खींचा था। इसे सफाई व्यवस्था, कचरा प्रबंधन और नागरिक सहभागिता के लिए एक आदर्श मॉडल माना गया। मगर बीते कुछ वर्षों में नगर निगम की सुस्त कार्यप्रणाली, राजनीतिक अस्थिरता और अभियानात्मक ढिलाई ने शिमला को इस गर्त में धकेल दिया है। वर्ष शिमला की रैंक 2016 27 2017 47 2018 144 2019 127 2020 65 2023 56 2024 188 2025 347 रिपोर्ट में किन बिंदुओं पर फेल हुआ शिमला? स्वच्छ सर्वेक्षण 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, शिमला डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण, कचरा निपटान और स्रोत स्तर पर कचरे की छंटाई जैसे मूलभूत मानकों पर बेहद कमजोर प्रदर्शन कर रहा है। डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण: सिर्फ 42% कचरे का निपटान: 44% स्रोत स्तर पर कचरे की छंटाई: मात्र 2% डंपिंग साइट की स्थिति: 0% (पूर्ण असंतोषजनक) सार्वजनिक शौचालयों की सफाई: 67% जबकि आवासीय और बाजार क्षेत्रों की सफाई रिपोर्ट में 100% अंक दिए गए हैं, लेकिन असल तस्वीर इससे अलग प्रतीत होती है। नगर निगम ने बताया सर्वे को 'त्रुटिपूर्ण' हाई कोर्ट के निर्देशों और राज्य सरकार की निगरानी के बावजूद जब यह रिपोर्ट सामने आई, तो नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. चेतन चौहान ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "इस सर्वे में कई तथ्यों को गलत दर्शाया गया है। शिमला में डोर-टू-डोर कूड़ा नियमित रूप से उठ रहा है, लेकिन आंकड़ों में सिर्फ 42% दिखाया गया है। हम इस रिपोर्ट को चुनौती देंगे।"
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल, पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी और तीन अन्य को बड़ी राहत देते हुए अग्रिम जमानत मंजूर कर दी है। ये जमानतें सिरमौर जिले के माजरा थाना क्षेत्र में दर्ज एफआईआर और धारा 163 के उल्लंघन से जुड़े मामले में दी गई हैं। न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की एकल पीठ ने पांचों याचिकाकर्ताओं को 50,000 रुपये के निजी मुचलके के साथ सशर्त जमानत देते हुए निर्देश दिए हैं कि वे जांच में पूरा सहयोग करें, बिना कोर्ट की अनुमति के विदेश न जाएं और किसी भी गवाह को प्रभावित न करें। सरकार ने किया था जमानत का विरोध, समाज पर प्रभाव का तर्क दिया सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने इस अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोप गंभीर हैं और इनका समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि आरोपियों को राहत देना गलत संदेश देगा। पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला 13 जून को माजरा पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जब एक विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था। इस दौरान पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई थीं। पुलिस का आरोप है कि 13 जून की घटना के बाद डॉ. बिंदल ने 14 जून को एक और प्रदर्शन का एलान किया था, जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ने की आशंका बनी। डॉ. बिंदल, विधायक सुखराम चौधरी, अलका रानी, आशीष छतरी और इतिंदर ने अदालत में तर्क दिया कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है और यह सब राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है। उनका कहना है कि घटनास्थल पर उनकी कोई सक्रिय भूमिका नहीं थी। शर्तों के उल्लंघन पर जमानत रद्द करने की छूट अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई याचिकाकर्ता इन शर्तों का उल्लंघन करता है, तो राज्य सरकार अग्रिम जमानत रद्द करने के लिए उचित आवेदन दाखिल कर सकती है।
हिमाचल प्रदेश की वीरभूमि किन्नौर ने एक और सपूत को खो दिया। 29 वर्षीय नायक पुष्पेंद्र नेगी ने देश सेवा के पथ पर चलते हुए प्राणों की आहुति दे दी। गुरुवार को सांगला तहसील की थैमगारंग पंचायत स्थित उनके पैतृक गांव में उन्हें सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। मासूम बेटे ने मुखाग्नि दी, पत्नी ने सैल्यूट कर विदा किया और आंखों में आंसू लिए सैकड़ों लोगों ने 'भारत माता की जय' और 'नायक पुष्पेंद्र अमर रहें' के नारों के बीच अपने वीर को अंतिम प्रणाम किया। नायक पुष्पेंद्र नेगी 19 डोगरा रेजीमेंट में तैनात थे और हाल ही में असम में अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। बीते दिनों वहां अचानक तेज हवाओं के चलते एक पेड़ की भारी टहनी उनके ऊपर गिर गई। गंभीर चोट लगने से उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। यह दुखद घटना परिवार और क्षेत्र के लिए एक असहनीय क्षति बनकर आई। उनकी पार्थिव देह असम से दिल्ली, फिर चंडीगढ़ लाई गई, और वहां से सेना के विशेष वाहन द्वारा उनके गांव थैमगारंग पहुंचाई गई। पार्थिव देह पहुंचते ही मातम, बेटे ने निभाया अंतिम फर्ज गांव पहुंचते ही जैसे ही पुष्पेंद्र की पार्थिव देह तिरंगे में लिपटी घर के आंगन में लाई गई, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। पत्नी कीर्ति ने शव से लिपटकर चीत्कार भरे स्वर में कहा – "हमेशा तुम्हारे नाम के साथ जिऊंगी, अपने जीवन में किसी और का नाम नहीं जुड़ने दूंगी।" इस विदाई को और अधिक मार्मिक उस क्षण ने बना दिया, जब उनके छह वर्षीय बेटे एतिक ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। वहां मौजूद हर आंख नम थी, और हर दिल गर्व और दुख से भरा हुआ। नेताओं ने दी श्रद्धांजलि, मंत्री ने व्यक्त किया शोक शहीद के अंतिम संस्कार में भाजपा नेता सूरत नेगी, मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा, यशवंत नेगी, शिशु भाई धर्मा समेत कई स्थानीय नेता और पार्टी कार्यकर्ता शामिल हुए। कांग्रेस की ओर से एपीएमसी निदेशक उमेश नेगी, सहकारी बैंक के निदेशक प्रीतांबर दास, अंकुश नेगी और किशोर सहित अनेक प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। हिमाचल प्रदेश के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने पुष्पेंद्र की शहादत पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा – "यह बलिदान न केवल परिवार, बल्कि पूरे प्रदेश की क्षति है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह शोकाकुल परिवार को यह असहनीय दुःख सहने की शक्ति दे।"
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) का कार्यालय शिमला से धर्मशाला स्थानांतरित करने की अधिसूचना पर रोक लगा दी है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावलिया और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने जारी किया। साथ ही सरकार को इस मामले में अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अनूप रतन अदालत में पेश हुए। याचिकाकर्ता नरेश शर्मा की ओर से दाखिल जनहित याचिका में अधिसूचना को चुनौती दी गई थी और मामले की शीघ्र सुनवाई की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए 13 जून को जारी अधिसूचना पर फिलहाल रोक लगा दी है। याचिका में तर्क दिया गया कि रेरा कार्यालय में इस समय कुल 34 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से 18 आउटसोर्स कर्मचारी हैं जो ड्राइवर, चतुर्थ श्रेणी व अन्य पदों पर तैनात हैं। कार्यालय के धर्मशाला शिफ्ट होने से इन कर्मचारियों के परिवारों और बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ेगा। कम वेतन में धर्मशाला जैसे शहर में काम करना उनके लिए व्यावहारिक नहीं है। इसके अतिरिक्त, याचिका में यह भी कहा गया है कि रेरा से जुड़े अधिकतर मामले बद्दी, बरोटीवाला, सोलन और शिमला जैसे क्षेत्रों से आते हैं, ऐसे में कार्यालय को शिमला से हटाना तर्कसंगत नहीं है। इस याचिका के साथ-साथ मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना के कार्यकाल को चुनौती देने वाली एक अन्य जनहित याचिका पर भी सुनवाई हुई। दोनों मामलों की अगली सुनवाई 13 अगस्त को निर्धारित की गई है।
हिमाचल प्रदेश में आपदा प्रबंधन को अधिक प्रभावी और त्वरित बनाने की दिशा में राज्य सरकार ने अहम कदम उठाए हैं। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडलीय उप समिति की बैठक में राहत एवं बचाव कार्यों को तेज़ करने के लिए हेलिकॉप्टर किराये पर लेने का निर्णय लिया गया। साथ ही प्रदेश में ‘अर्ली वार्निंग सिस्टम’ (पूर्व चेतावनी प्रणाली) स्थापित करने को भी मंज़ूरी दी गई। यह प्रणाली मौसम की सटीक निगरानी, पूर्वानुमान और समय रहते चेतावनी देने में सक्षम होगी। इससे आपदा की स्थिति में अग्रिम सतर्कता बरती जा सकेगी, जिससे जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा। बैठक में हाल ही में प्रदेश में आई बाढ़ और बादल फटने की घटनाओं की समीक्षा की गई। प्रभावित क्षेत्रों में अवरुद्ध सड़कों की बहाली, क्षतिग्रस्त पुलों के पुनर्निर्माण और पेयजल योजनाओं की मरम्मत जैसे ज़रूरी बुनियादी ढांचों की बहाली पर भी विस्तृत चर्चा हुई। राजस्व मंत्री ने बताया कि उप समिति की एक अन्य बैठक में छोटे और सीमांत किसानों के भूमि नियमितीकरण से जुड़े मामलों पर भी चर्चा की गई। इसके साथ ही, हिमाचल को वन संरक्षण अधिनियम (FCA) के तहत रियायत दिलाने के लिए उच्चतम न्यायालय में अपील करने को मंजूरी दी गई है। इस बैठक में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी, अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) कमलेश कुमार पंत, विशेष सचिव (राजस्व-आपदा) डीसी राणा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
कड़छम-वांगतू जलविद्युत परियोजना से रॉयल्टी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला न सिर्फ हिमाचल प्रदेश सरकार की बड़ी जीत है, बल्कि आर्थिक संकट से जूझ रहे हिमाचल के लिए उम्मीद की नई किरण भी है। इस फैसले के तहत अब जेएसडब्ल्यू एनर्जी कंपनी को 1045 मेगावाट क्षमता वाली इस परियोजना से राज्य को 12 फीसदी के बजाय 18 फीसदी रॉयल्टी देनी होगी। प्रदेश सरकार को सालाना करीब 150 रुपए करोड़ की अतिरिक्त आय होगी। इसके अलावा 12 साल पूरा कर चुकी अन्य परियोजनाओं के लिए भी सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मील का पत्थर साबित होगा। ऐसे में राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से सरकार को हर साल 250 करोड़ से अधिक की आय प्राप्त होगी। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मई 2024 में आए आदेश को निरस्त करता है, जिसमें कंपनी को केवल 12 फीसदी रॉयल्टी देने की अनुमति दी गई थी। साल 1999 में राज्य सरकार और कंपनी के बीच हुए समझौते के अनुसार परियोजना के पहले 12 वर्षों तक 12 फीसदी और उसके बाद शेष 28 वर्षों तक 18 फीसदी रॉयल्टी निर्धारित की गई थी। वहीं, सितंबर 2011 में परियोजना के संचालन के शुरू होने के बाद कंपनी ने 12 वर्षों तक 12 फीसदी रॉयल्टी दी, लेकिन सितंबर 2023 से 6 फीसदी अतिरिक्त रॉयल्टी देने से इनकार कर दिया। ऐसे में ये विवाद हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में पहुंचा, जिसमें हाईकोर्ट ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था। अब सुप्रीम कोर्ट न हाई कोर्ट का फिसला निरस्त का दिया है। अब 13 सितंबर, 2023 से बिजली कंपनी को अदायगी करनी होगी। 40 साल बाद हिमाचल सरकार के अधीन परियोजना आ जाएगी। इसके अतिरिक्त 12 वर्ष पूर्ण कर चुकी अन्य परियोजनाओं के लिए भी सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मील का पत्थर बनेगा और राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से खजाने में प्रति वर्ष 250 करोड़ से अधिक की आय आएगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस मुद्दे को व्यक्तिगत प्राथमिकता पर लेते हुए प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों पर राज्य के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ प्रयास किए।
शिमला। हिमाचल प्रदेश में होम स्टे संचालन के नियम अब पहले से कहीं ज़्यादा सख्त कर दिए गए हैं। प्रदेश सरकार ने नए होम स्टे रूल्स 2025 अधिसूचित कर दिए हैं, जिसके तहत अब लीज पर लिए गए मकानों या फ्लैट्स में होम स्टे चलाना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा। इसके साथ ही सभी मौजूदा होम स्टे और बेड एंड ब्रेकफास्ट (B&B) यूनिट्स के लिए नए सिरे से पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। ये हुए बदलाव लीज या किराये के मकान पर प्रतिबंध: अब किसी भी किराये के भवन, फ्लैट, वन या टू-रूम सेट में होम स्टे नहीं चल पाएगा। मालिकाना हक अनिवार्य: होम स्टे का पंजीकरण केवल संपत्ति के मालिक के नाम पर ही संभव होगा। राजस्व रिकॉर्ड अनिवार्य: पंजीकरण जमाबंदी (Revenue Record) में दर्ज नाम के आधार पर ही किया जाएगा। स्वतंत्र इकाई जरूरी: होम स्टे के लिए स्वतंत्र भवन या एक पूरी मंज़िल होनी चाहिए, साथ ही आवाजाही का अलग रास्ता सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि पर्यटकों की निजता प्रभावित न हो। दरअसल पर्यटन विभाग द्वारा होम स्टे पंजीकरण के लिए नया पोर्टल तैयार किया जा रहा है, जिसमें ये सख्त शर्तें शामिल की जा रही हैं। सरकार का कहना है कि इन नियमों का उद्देश्य स्थानीय लोगों को लाभ पहुंचाना और अव्यवस्थित होम स्टे कारोबार पर लगाम लगाना है। बता दें कि हिमाचल में बड़ी संख्या में बाहरी राज्यों के लोगों ने बिना धारा 118 की मंजूरी के फ्लैट खरीद रखे हैं और इन्हें होम स्टे के तौर पर किराये पर दे रखा है। अब सरकार की नई नीति के अनुसार, फ्लैट्स और लीज पर आधारित होम स्टे संचालन पूरी तरह अवैध माना जाएगा।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से भेंट कर हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भू-स्खलन से हुए भारी नुकसान से अवगत करवाया। उन्होंने क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत और पुनर्निर्माण कार्यों में सहयोग तथा प्रदेश की कुछ सड़कों को प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना में शामिल करने का आग्रह किया। सुक्खू ने राष्ट्रीय राजमार्ग परियोनाओं में विभिन्न कारणों से हो रहे विलंब के बारे में भी केंद्रीय मंत्री को जानकारी दी और इन परियोजनाओं की सभी औपचारिकताएं पूरी करवाने का आग्रह किया ताकि निर्माण कार्य शीघ्र शुरू किया जा सके। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में सुरंग निर्माण को प्राथमिकता देने पर भी बल दिया। इसके अलावा उन्होंने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सड़कों के संबंध में भी चर्चा की जिनका मामला रक्षा मंत्रालय से उठाया गया है। उन्होंने इन सड़कों पर भी शीर्घ कार्यवाही करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में अधिक संख्या में रोप-वे परियोजनाओं को स्वीकृति देने का अनुरोध किया ताकि यातायात की समस्या का समाधान कर लोगों को लाभान्वित किया जा सके। केंद्रीय मंत्री ने राज्य को हर सम्भव सहायता का आश्वासन दिया और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। विधायक सुंदर सिंह ठाकुर, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, सचिव लोक निर्माण अभिषेक जैन, प्रधान आवासीय आयुक्त सुशील कुमार सिंगला और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण व मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
`पवित्र किन्नर कैलाश यात्रा आज यानी 15 जुलाई से शुरू हो गई है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और यात्रा के सुचारू संचालन के लिए पुलिस प्रशासन ने सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर रखी हैं। यात्रा मार्ग पर पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है और विशेष निगरानी भी बढ़ाई गई है। पुलिस उप अधीक्षक नवीन झाल्टा ने पुलिस लाइन, रिकांगपिओ में यात्रा ड्यूटी पर तैनात कर्मियों को सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण और चिकित्सा सहायता से जुड़े दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और हर स्थिति से निपटने के लिए टीम को अलर्ट मोड में रहना होगा। यात्रा शुरू होने के साथ ही सभी श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, और पंजीकरण दस्तावेजों की जांच की जा रही है। पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि किसी भी श्रद्धालु को बिना उचित दस्तावेजों के यात्रा में शामिल नहीं होने दिया जाएगा। यात्रा मार्ग के दुर्गम और संवेदनशील हिस्सों पर पुलिस की ओर से विशेष निगरानी रखी जा रही है। संभावित आपदा या आपातकालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए रेस्क्यू टीम और मेडिकल सहायता भी तैनात की गई है।
फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ में आमिर खान द्वारा निभाया गया फुनसुख वांगडू का किरदार जिनसे प्रेरित था, उन्हीं सोनम वांगचुक के संस्थान से अब हिमाचल के शिक्षक प्रशिक्षण लेंगे। लद्दाख स्थित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लद्दाख (HIAL) के साथ हिमाचल सरकार एक समझौता ज्ञापन (MoU) साइन करने जा रही है। इसके तहत शिक्षकों को वैकल्पिक शिक्षा पद्धति की ट्रेनिंग दी जाएगी और छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रम भी शुरू होगा। हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के नेतृत्व में एक शैक्षणिक प्रतिनिधिमंडल ने HIAL का दौरा किया। इस दौरान प्रतिनिधियों ने संस्थान के उस शिक्षा मॉडल का अवलोकन किया जो 'लर्निंग बाय डूइंग' यानी "सीखना करते हुए" की अवधारणा पर आधारित है। यह प्रणाली पारंपरिक किताबों से हटकर व्यावहारिक अनुभव को केंद्र में रखती है। साझेदारी की औपचारिक शुरुआत दौरे के दौरान शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने सोनम वांगचुक और संस्थान के अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें शिक्षकों को प्रशिक्षण देने और छात्रों के आपसी आदान-प्रदान कार्यक्रम पर सहमति बनी। हिमाचल सरकार इसे औपचारिक रूप देने के लिए HIAL के साथ जल्द MoU पर हस्ताक्षर करेगी। प्रतिनिधिमंडल में समग्र शिक्षा हिमाचल के राज्य परियोजना निदेशक राजेश शर्मा, उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा और स्कूली शिक्षा निदेशक आशीष कोहली भी शामिल रहे। दल ने वांगचुक द्वारा स्थापित सेकमोल (Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh) संस्थान का भी दौरा किया और वहां की वैकल्पिक शिक्षा व्यवस्था को नजदीक से समझा। हिमालयी राज्यों के लिए मॉडल बनेगा HIAL शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने इस अवसर पर कहा कि HIAL जैसे संस्थान ड्रॉपआउट दर में कमी लाने के साथ-साथ शिक्षा को स्थानीय जरूरतों से जोड़ने में भी प्रभावी हैं। उन्होंने कहा, "सोनम वांगचुक ने यह सिद्ध किया है कि किस प्रकार शिक्षा को हिमालय के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र के अनुरूप ढाला जा सकता है। उनका कार्य भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है।" वह वांगचुक को एक दूरदर्शी शिक्षा सुधारक मानते हैं, जिन्होंने नवाचार, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। आइस-स्टूपा से सोलर ऊर्जा तक..वांगचुक की सोच सोनम वांगचुक ने लद्दाख जैसे जलवायु संकट से जूझते क्षेत्र में आइस-स्टूपा तकनीक विकसित कर जल संरक्षण का अभिनव समाधान प्रस्तुत किया। इसके अलावा उन्होंने सौर ऊर्जा, स्थायी निर्माण तकनीकों, और स्थानीय संसाधन आधारित समाधान को भी बढ़ावा दिया, जो अब वैश्विक स्तर पर सराहे जा रहे हैं। साझेदारी से क्या बदल सकता है? इस MoU से हिमाचल के शिक्षक निम्नलिखित क्षेत्रों में लाभान्वित होंगे: उन्हें वैकल्पिक और अनुभव आधारित शिक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। छात्रों को स्थानीय समस्याओं और जलवायु अनुकूल शिक्षा से जोड़ा जाएगा। स्थायी विकास और शिक्षा सुधार की दिशा में हिमालयी राज्यों के लिए एक नया मॉडल विकसित होगा।
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने दोलग्याल (शुगदेन) साधना को लेकर एक बार फिर अपना स्पष्ट और निर्णायक रुख सामने रखा है। धर्मशाला के मैक्लोडगंज स्थित मुख्य तिब्बती बौद्ध मठ में आयोजित सार्वजनिक दर्शन कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि यह परंपरा तिब्बती बौद्ध समाज के भीतर फूट, भ्रम और मानसिक अशांति की जड़ बन चुकी है। कार्यक्रम के दौरान एक तिब्बती परिवार ने भावुक होकर दोलग्याल साधना से जुड़ी अपनी पीड़ा और मानसिक क्षति साझा की। उनकी आपबीती ने वहाँ उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं को भीतर तक झकझोर दिया। परिवार की व्यथा को गंभीरता से लेते हुए दलाई लामा ने न सिर्फ उन्हें सांत्वना दी, बल्कि इस संवेदनशील विषय पर अपना दो टूक दृष्टिकोण भी साझा किया। दलाई लामा ने एक आधिकारिक वीडियो संदेश में कहा, "दोलग्याल कोई साधना नहीं, बल्कि एक भ्रमजाल है, जो बौद्ध अनुयायियों को उनके मूल उद्देश्य से भटका रहा है। यह प्रथा न केवल मानसिक शांति को नष्ट करती है, बल्कि करुणा और अहिंसा जैसे बौद्ध मूल्यों की नींव को भी कमजोर करती है।” उन्होंने कहा कि यह परंपरा अब केवल व्यक्तिगत आस्था का विषय नहीं रही, बल्कि तिब्बती समाज की सामूहिक एकता को विभाजित करने वाला एक गंभीर संकट बन चुकी है। राटो मठ के पूर्व और वर्तमान महंतों को विशेष रूप से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बौद्ध साधना का सार डर, अंधविश्वास या चमत्कारों में नहीं, बल्कि करुणा, सह-अस्तित्व और आत्मविकास में है। युवाओं को उन्होंने खास तौर पर आगाह किया: "तथाकथित चमत्कारी या भय पर आधारित पूजा-पद्धतियों के प्रभाव में न आएं। सत्य को पहचानना ही सच्चा आध्यात्म है।" यह पहली बार नहीं है जब दलाई लामा ने दोलग्याल के खिलाफ खुलकर बात की हो। वर्ष 1996 से ही वे इसे तिब्बती समाज में धार्मिक और राजनीतिक द्वेष फैलाने वाला उपकरण करार देते आए हैं। उनका मानना है कि कुछ शक्तियां इस साधना का प्रयोग तिब्बती समुदाय को भीतर से तोड़ने के लिए कर रही हैं। “मैं बौद्ध धर्म का सेवक हूं, मेरा धर्म है कि मैं अपने समुदाय को सच्चाई से अवगत कराऊं, चाहे वह कितनी ही अप्रिय क्यों न हो,” दलाई लामा का यह बयान उनके साहस और करुणा दोनों का सजीव प्रमाण है। यह वीडियो संदेश “Office of His Holiness the Dalai Lama” द्वारा आधिकारिक रूप से जारी किया गया है, जिसमें दलाई लामा की स्पष्टवादिता और उनके नेतृत्व की नैतिक शक्ति साफ झलकती है। उनके शब्द न केवल एक चेतावनी हैं, बल्कि एक आह्वान भी सच्चे बौद्ध पथ की ओर लौटने का।
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में शुक्रवार को पंडोह डैम के पास कैंची मोड़ पर बड़ा भूस्खलन हुआ, जिससे चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह ठप हो गया। पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा और पत्थर गिरने से सड़क पर वाहनों की आवाजाही रुक गई और दोनों ओर लंबा जाम लग गया है। घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन हरकत में आया और राहत कार्य युद्धस्तर पर शुरू कर दिया गया है। मौके पर जेसीबी मशीनें और पुलिस टीमों को तैनात किया गया है। मलबा हटाने का काम तेज़ी से जारी है, लेकिन एसपी साक्षी वर्मा के अनुसार, मार्ग को पूरी तरह से बहाल करने में अभी समय लग सकता है। वैकल्पिक मार्ग की सलाह: प्रशासन ने यात्रियों की सुविधा के लिए कटौला-कमांद होते हुए वैकल्पिक मार्ग अपनाने की सलाह दी है। साथ ही, बारिश के मौसम को देखते हुए चंडीगढ़-मनाली हाईवे पर यात्रा कर रहे वाहन चालकों को विशेष सतर्कता बरतने की चेतावनी दी गई है। स्थिति पर लगातार नजर: वर्तमान में हाईवे के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लगी हैं और प्रशासन स्थिति पर निरंतर निगरानी बनाए हुए है। सड़क को साफ करने के लिए मशीनरी लगातार कार्यरत है और जल्द से जल्द यातायात बहाल करने का प्रयास किया जा रहा है।
हरियाणा के गुरुग्राम से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। गुरुवार सुबह 25 वर्षीय जूनियर इंटरनेशनल टेनिस प्लेयर राधिका यादव की उसके पिता दीपक यादव ने गोली मारकर हत्या कर दी। वारदात गुरुग्राम के सेक्टर 57 स्थित सुशांत लोक फेज़-2 में उनके घर पर हुई, जब राधिका रसोई में खाना बना रही थी। परिजनों के अनुसार, पिछले करीब 15 दिनों से घर में तनाव का माहौल था। राधिका और उसके पिता के बीच रोज झगड़े हो रहे थे। मामला टेनिस एकेडमी को लेकर था, जिसे राधिका ने हाल ही में शुरू किया था। पिता दीपक यादव ने इस एकेडमी में लगभग सवा करोड़ रुपये का निवेश किया था, लेकिन एक महीने बाद ही वह इसे बंद करवाना चाहते थे। गुरुवार की सुबह भी इसी बात को लेकर दोनों में कहासुनी हुई। गुस्से में आकर दीपक ने अपनी लाइसेंसी .32 बोर की पिस्टल से राधिका को तीन गोलियां मार दीं। राधिका रसोई में खून से लथपथ गिर गई। दीपक के भाई कुलदीप यादव ने बताया कि गोली चलने की आवाज सुनकर जब वे ऊपर पहुंचे, तो राधिका की लाश रसोई में पड़ी थी और पिस्टल ड्राइंग रूम में रखी थी। उन्होंने तुरंत अपने बेटे के साथ राधिका को अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस पूछताछ में दीपक यादव ने हत्या की बात स्वीकार की है। उसने बताया कि लोग उसे ताने मारते थे कि वह बेटी की कमाई खा रहा है। ये बातें उसे चुभती थीं। जब राधिका ने उसकी बात नहीं मानी और एकेडमी बंद करने से इनकार कर दिया, तो वह बर्दाश्त नहीं कर पाया और गोली मार दी। राधिका यादव एक काबिल टेनिस खिलाड़ी थीं। उनका जन्म 23 मार्च 2000 को हुआ था। उन्होंने कई नेशनल और इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स में भाग लिया और ITF महिला युगल में 113वीं सर्वोच्च रैंकिंग हासिल की थी। AITA की अंडर-18 और महिला वर्ग में भी वे शीर्ष 100 खिलाड़ियों में शामिल रहीं। उन्होंने हाल ही में चोट के चलते सक्रिय खेल से दूरी बनाकर एकेडमी शुरू की थी, जहां वे बच्चों को टेनिस सिखाती थीं। राधिका ने स्कॉटिश हाई इंटरनेशनल स्कूल से पढ़ाई की और 2018 में कॉमर्स में 12वीं पास की। खेल और पढ़ाई के साथ उन्होंने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की थी, लेकिन यह आत्मनिर्भरता उनके पिता को बर्दाश्त नहीं हुई। फिलहाल पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच जारी है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
खराहल घाटी में देवता की अनुमति के बिना रोपवे निर्माण का आरोप, धरना प्रदर्शन जारी हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की खराहल घाटी में प्रस्तावित बिजली महादेव रोपवे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। रोपवे निर्माण के लिए इन दिनों क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की जा रही है, जिसके खिलाफ स्थानीय ग्रामीणों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यह परियोजना देवता की मर्जी के खिलाफ चलाई जा रही है और यह सीधे तौर पर प्रकृति और आस्था दोनों के साथ खिलवाड़ है। वीरवार को ग्रामीणों ने धारठ क्षेत्र में जाकर पेड़ों की कटाई रोक दी और निर्माण स्थल पर धरना दिया। पूर्व भाजपा नेता और एचपीएमसी के पूर्व उपाध्यक्ष राम सिंह भी प्रदर्शनकारियों के साथ धरने में शामिल हुए। उन्होंने कहा: “जब स्थानीय जनता विरोध कर रही है और भगवान बिजली महादेव ने भी देव वाणी में रोपवे निर्माण से मना किया है, तो सरकार किसके दबाव में काम कर रही है? अगर समय रहते इस परियोजना को नहीं रोका गया, तो सिर्फ खराहल ही नहीं, कुल्लू की जनता भी सड़कों पर उतरकर विरोध करेगी।” वन विभाग और ग्रामीणों में हुई तीखी बहस धरने के दौरान वन कटान कर रही टीम और ग्रामीणों के बीच कहासुनी भी हुई। ग्रामीणों ने साफ शब्दों में कहा कि सरकार अगर उनकी बात नहीं सुनेगी, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। लगातार हो रहे हैं प्रदर्शन बुधवार को भी रामशिला में स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और प्रशासन से मांग की कि रोपवे निर्माण कार्य को तुरंत रोका जाए। ग्रामीणों ने पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर भी आपत्ति जताई है और पर्यावरणीय संतुलन को लेकर चिंता जताई है। अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लेकिन जिस तरह से जनविरोध बढ़ रहा है, उससे साफ है कि अगर सरकार ने समय रहते संवाद नहीं किया, तो यह मामला और बड़ा रूप ले सकता है।
हर बरसात एक नई आफत क्यों हिमाचल पिछले कुछ सालों में बहुत कुछ खो चूका है। हर साल बरसात आती है और हिमाचल को गहरे ज़ख्म दे जाती है। न जाने कितने परिवार उजड़ गए, न जाने कितने लोग बेघर हो गए, न जाने कितने लोगों की हस्ती खेलती ज़िन्दगी वीरान हो गई। पुल टूट गए, सड़कें तबाह हो गई, पूरे पूरे बाज़ार रौद्र रूप धारण कर नदियां निगल गई। गांवों के नाम मिट गए, कई शहरों के नक्शे बदल गए। हालात ऐसे हैं कि हिमाचल का दर्द अब शब्दों में समाना मुश्किल हो गया है, क्योंकि ये पीड़ा एक बार की नहीं, यह हर साल की कहानी बन चुकी है। लेकिन क्या हिमाचल हमेशा से ऐसा था? क्या इस देवभूमि पर आपदा ऐसे ही बरसती रही है? नहीं, हिमाचल हमेशा ऐसा नहीं था। यह देवभूमि सदियों से अपनी शांत प्राकृतिक छवि, स्थिरता और संतुलित जीवनशैली के लिए जानी जाती रही है। हां, हिमालयी भूगोल के कारण यहां भूस्खलन और भूकंप जैसी आपदाओं की आशंका हमेशा बनी रही है, लेकिन पहले इन घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता सीमित थी। बीते कुछ वर्षों में जिस तरह हर मानसून के साथ तबाही का पैमाना बढ़ता गया है, वैसा पहले नहीं देखा गया। 2017–2022 में हिमाचल में हर मानसून में औसतन ₹1,000 करोड़ का सालाना नुकसान हुआ । जब कि 2023 की तबाही अकेले पिछले पाँच साल के कुल नुकसान का लगभग 8.5 गुना थी। अकेले 2023 के मानसून में हिमाचल में 400 से अधिक लोगों की जान गई, 2,500 से अधिक घर पूरी तरह तबाह हो गए और 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ। हिमाचल प्रदेश में 2024 के मानसून के दौरान भारी बारिश, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं ने व्यापक तबाही मचाई। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) के अनुसार, 27 जून से 2 अक्टूबर 2024 तक कुल 101 आपदाजनक घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 54 बादल फटने, 47 भूस्खलन, 122 घरों का नुकसान और 149 मवेशियों की मौत शामिल है। इस दौरान राज्य को लगभग ₹1,360 करोड़ का आर्थिक नुकसान हुआ। बात 2025 कि करें तो अब तक 85 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 34 लोग लापता हैं और 129 लोग घायल हुए हैं। मंडी जिला, विशेष रूप से थुनाग, बगसेयड़ और करसोग-गोहर क्षेत्र, सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। यहां 404 घर पूरी तरह से नष्ट हो गए, जबकि 751 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। व्यावसायिक संपत्तियों में भी भारी नुकसान हुआ है, जिसमें 233 दुकानें और फैक्ट्रियां शामिल हैं। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अनुसार, कुल्लू, मंडी और चंबा जिलों में 10 पुल बह गए हैं। आर्थिक नुकसान का अनुमान ₹541 करोड़ है। बरसात में हिमाचल को अब ज़्यादा नुकसान क्यों हो रहा है? प्रश्न यह है कि हिमाचल में अब बरसात के दौरान तबाही इतनी ज़्यादा क्यों हो रही है? हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन योजना (HPSDMP) के अनुसार, पिछले सौ वर्षों में प्रदेश का औसत सतही तापमान 1.6 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। इस तापमान वृद्धि से वर्षा और तापमान के पैटर्न में बदलाव आया है, जिससे बादल फटना, भूस्खलन, बाढ़, सूखा, हिमस्खलन और जंगलों में आग जैसी चरम घटनाएं अधिक बार और अधिक तीव्रता से हो रही हैं। रिपोर्ट बताती है कि शिमला में पिछले 20 वर्षों में तापमान में तेज़ बढ़ोतरी हुई है, ब्यास नदी में मानसूनी जल प्रवाह में गिरावट आई है, जबकि चिनाब और सतलुज में सर्दियों के दौरान जल प्रवाह बढ़ा है। इसके साथ ही ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार तेज़ हुई है, जो अपने साथ नई आपदाओं को जन्म दे रही है। पर्यावरणविद बताते हैं कि हिमाचल में तापमान की वृद्धि मैदानों से भी अधिक है। जहाँ पहले समुद्रतल से 3000 फीट ऊँचाई तक बर्फबारी होती थी, अब वह 5000 फीट के ऊपर ही देखने को मिलती है। पहले जो बारिश सप्ताह भर तक धीरे-धीरे होती थी, वह अब कम समय में तीव्र रूप से होती है। इसका सीधा परिणाम है ग्लेशियरों से निकलने वाला पानी और भारी बारिश, दोनों मिलकर फ्लैश फ्लड और भूस्खलन की घटनाओं को बढ़ा रहे हैं। एक और चिंताजनक प्रवृत्ति यह है कि अब बरसात की कुल मात्रा तो पहले जैसी ही है, लेकिन बरसात के दिनों की संख्या में भारी गिरावट आई है। यानी अब कम दिनों में अधिक तीव्र बारिश हो रही है। जब भारी वर्षा थोड़े समय में होती है, तो वह क्लाउड बर्स्ट और फ्लैश फ्लड जैसी आपदाओं का रूप ले लेती है। पहाड़ी राज्यों में, जहां ज़मीन की पकड़ कमजोर होती है और ढलानों पर बसे इलाके होते हैं, ऐसी बारिश बड़ी तबाही का कारण बनती है। इसके अलावा, बेतरतीब निर्माण, सड़क चौड़ीकरण, वनों की कटाई और खनन जैसी मानवीय गतिविधियों ने इस संवेदनशीलता को और बढ़ा दिया है। यह भी जानना ज़रूरी है कि मौसम विभाग के पास अब एक सुदृढ़ अर्ली वार्निंग सिस्टम है, जो किसी भी क्षेत्र के लिए 5 से 7 दिन पहले अलर्ट जारी कर देता है। ये अलर्ट रंग-कोड (रेड, ऑरेंज, येलो) के रूप में जारी किए जाते हैं, ताकि यह समझा जा सके कि किस क्षेत्र में कितना खतरा है। इसके साथ ही “इंपैक्ट-बेस्ड फोरकास्ट” भी जारी किया जाता है, जिसमें बताया जाता है कि मौसम का संभावित असर किस प्रकार का होगा। इसके बावजूद जब लोग, स्थानीय प्रशासन या संस्थाएं इन चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लेतीं, तो तबाही टालना मुश्किल हो जाता है। इसलिए चेतावनी के साथ कार्रवाई भी उतनी ही ज़रूरी है। हिमाचल की त्रासदी अब केवल प्राकृतिक नहीं रही। यह अब एक मिश्रण है ......... जलवायु परिवर्तन, अवैज्ञानिक विकास, प्रशासनिक लापरवाही और जन-जागरूकता की कमी का। अगर हम अब भी नहीं चेते, तो हर साल यह तबाही और गहराती जाएगी और हिमाचल की यह देवभूमि, विनाश की स्थली में बदल जाएगी।
हिमाचल प्रदेश के चंबा ज़िले में आज सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.5 मापी गई और इसकी गहराई 5 किलोमीटर थी। यह झटके सुबह 6 बजकर 23 मिनट पर दर्ज किए गए। स्थानीय लोगों के अनुसार, धरती तीन बार कांपी, जिससे घबराकर लोग घरों से बाहर निकल आए। हालांकि झटकों की तीव्रता कम होने की वजह से ज़्यादातर लोगों को इसका अहसास नहीं हुआ और किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है। गौरतलब है कि चंबा जिला भूकंपीय दृष्टि से भारत के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल है। यह क्षेत्र सिस्मिक ज़ोन-5 में आता है, जहां समय-समय पर भूकंप के हल्के-फुल्के झटके महसूस होते रहते हैं। भूकंप क्यों आता है? धरती की बाहरी परत कई टेक्टोनिक प्लेट्स से बनी होती है, जो लगातार हिलती-डुलती रहती हैं। जब ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं या एक-दूसरे के ऊपर-नीचे खिसकती हैं, तो ज़मीन के अंदर तनाव पैदा होता है। एक समय के बाद यह तनाव ऊर्जा के रूप में बाहर निकलता है, जिससे धरती हिलती है और भूकंप आता है।
हिमाचल प्रदेश की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक, श्रीखंड महादेव यात्रा आज से औपचारिक रूप से शुरू हो गई है। बुधवार सुबह 5 बजे श्रद्धालुओं का पहला जत्था भगवान शिव के दर्शन के लिए रवाना हुआ, जो 12 जुलाई को श्रीखंड की चोटी तक पहुंचेगा। इसके बाद हर दिन 800 श्रद्धालुओं के जत्थे यात्रा पर भेजे जाएंगे। श्रीखंड यात्रा को दुनिया की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में गिना जाता है। इस यात्रा में श्रद्धालुओं को 32 किलोमीटर का कठिन और दुर्गम ट्रैक पैदल तय करना होता है। रास्ते में चार ग्लेशियर, खड़ी चट्टानें और कई संकरे मोड़ हैं। समुद्र तल से 18,570 फीट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव की चोटी तक पहुंचने में श्रद्धालुओं को कई बार ऑक्सीजन की कमी का भी सामना करना पड़ता है, खासकर पार्वती बाग के आगे। पंजीकरण और फिटनेस टेस्ट अनिवार्य श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने इस बार यात्रा पर सख्ती से नियम लागू किए हैं। यात्रा से पहले ऑनलाइन पंजीकरण (शुल्क ₹250) और मेडिकल फिटनेस टेस्ट अनिवार्य किया गया है। अब तक 5,000 से अधिक श्रद्धालु ऑनलाइन पंजीकरण करवा चुके हैं। पांच बेस कैंप, चिकित्सा सुविधा और लंगर व्यवस्था कुल्लू प्रशासन और श्रीखंड ट्रस्ट समिति द्वारा सिंहगड़, थाचरू, कुनशा, भीम द्वार और पार्वती बाग में पांच बेस कैंप स्थापित किए गए हैं। यहां श्रद्धालुओं के ठहरने, भोजन और स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था की गई है। हर कैंप में मेडिकल स्टाफ, ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाइयां, पुलिस और रेस्क्यू टीमें तैनात की गई हैं। जगह-जगह ट्रस्ट की ओर से लंगर भी लगाए गए हैं। धार्मिक मान्यता और पौराणिक कथा मान्यता है कि श्रीखंड महादेव की चोटी पर स्वयं भगवान शिव का वास है। यहां 72 फीट ऊंचा एक प्राकृतिक शिवलिंग है, जिसकी परिक्रमा और पूजा करने से मनवांछित फल प्राप्त होता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव से वरदान पाकर अहंकारी भस्मासुर जब उन्हें ही भस्म करने दौड़ा, तो भगवान शिव श्रीखंड की ओर भागे। अंततः भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में भस्मासुर को नृत्य करवा कर उसका अंत किया। यह स्थान उसी कथा से जुड़ा हुआ माना जाता है। रास्ते में क्या-क्या देख सकते हैं? इस रोमांचक यात्रा के दौरान श्रद्धालु थाचड़ू, भीम द्वार, नैन सरोवर, भीम बही, बराटी नाला और पार्वती बाग जैसे मनोरम और आध्यात्मिक स्थलों से गुजरते हैं। पार्वती बाग में फूलों की महक, हिमालयी जड़ी-बूटियों की खुशबू और प्राकृतिक सौंदर्य श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देता है।
हिमाचल प्रदेश में गुरु शिष्य के रिश्ते को शर्मसार करने वाला फिर एक मामला सामने आया है। एक सरकारी स्कूल के शिक्षक पर फिर स्कूल की छात्रा से छेड़छाड़ के आरोप लगे है। मामला जिला सिरमौर के नाहन तहसील का है। पुलिस ने तुरंत केस दर्ज कर आरोपी शिक्षक को गिरफ्तार किया। बीएनएस की संबंधित धाराओं और पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कर आरोपी शिक्षक को गिरफ्तार करअदालत में पेश किया गया। अदालत से 22 जुलाई तक आरोपी शिक्षक को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। वहीं माना जा रहा है जल्द आरोपी शिक्षक का निलंबन हो सकता है। जानकारी के अनुसार महिला पुलिस थाना नाहन में एक महिला ने 7 जुलाई को शिकायत दर्ज करवाई कि उसकी बेटी एक सरकारी स्कूल में 7वीं कक्षा में पढ़ती है। शिकायत में कहा गया है कि शिक्षक ने स्कूल में योगा सिखाते समय उनकी बेटी से छेड़छाड़ की। शिक्षक ने पीड़ित छात्रा को यह धमकी भी दी कि यदि उसने यह बात किसी को बताई तो वह स्कूल से उसका नाम काट देगा। मामले का पता चलते ही परिजनों को पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है। बीते कुछ वक्त में सिरमौर से तीसरा मामला इससे पहले जून माह में जिला सिरमौर के राजगढ़ और पच्छाद उपमंडलों के दो अलग-अलग सरकारी स्कूलों में भी छात्राओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामले सामने आए थे। राजगढ़ के एक सरकारी स्कूल में 24 छात्राओं ने स्कूल के एक शिक्षक पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप जड़े थे, जिसके बाद पुलिस ने न केवल उसे गिरफ्तार किया, बल्कि शिक्षा विभाग द्वारा भी उसे सस्पेंड कर दिया गया। इसके चंद दिनों के बाद ही पच्छाद उपमंडल के एक सरकारी स्कूल की करीब 6 छात्राओं ने भी स्कूल के ही एक शिक्षक के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत पुलिस में दर्ज करवा। अब यह तीसरी घटना छात्रा के साथ सामने आई है।
हिमाचल प्रदेश में अब तक मानसून में 85 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 30 लोग अब भी लापता हैं। अब तक 718 करोड़ की सरकारी व निजी संपत्ति तबाह हो गई है। प्रदेश में 174 सड़कें, 162 बिजली ट्रांसफार्मर और 755 जल आपूर्ति योजनाएं अभी भी बाधित हैं। मंडी जिले में सबसे अधिक 136 सड़कें, 151 बिजली ट्रांसफार्मर व 137 जल आपूर्ति योजनाएं बंद हैं। इसके अलावा धर्मशाला, नूरपुर और देहरा में 603 पेयजल योजनाएं ठप हैं। मौसम विभाग के अनुसार, मानसून कुछ कमजोर पड़ा है। बीते सप्ताह के दौरान सामान्य से 18 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। अगले पांच दिन ज्यादा वर्षा होने के आसार नहीं हैं। वीरवार को ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा, मंडी, सोलन और सिरमौर जिला में हल्की बारिश हो सकती है। शुक्रवार को भी इन जिलों में हल्की बारिश की संभावना है। सामान्य से 18 प्रतिशत कम वर्षा प्रदेश में पहली से आठ जुलाई के बीच औसतन 47.4 मिलीमीटर सामान्य वर्षा होती है, लेकिन इस बार 38.8 मिलीमीटर बादल बरसे हैं। लाहुल स्पीति जिला में वर्षा नहीं हुई है। चंबा में सामान्य से 59 प्रतिशत कम, कुल्लू में 46 प्रतिशत, किन्नौर में 42 प्रतिशत, कांगड़ा में नौ प्रतिशत और शिमला में सामान्य से छह प्रतिशत कम बादल बरसे हैं। इसके विपरीत ऊना जिला में सामान्य से 91 प्रतिशत ज्यादा, मंडी में 22 प्रतिशत, सिरमौर में 13 प्रतिशत, बिलासपुर में 25 प्रतिशत व हमीरपुर में सामान्य से 19 प्रतिशत ज्यादा वर्षा हुई।
आज संभावित बैठक के लिए शिमल पहुंचे कर्मचारी प्रतिनिधि राज्य सरकार से 44 करोड़ की ग्रांट जारी होने के बाद हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के कर्मचारियों को मासिक वेतन बुधवार को जारी हो गया। कर्मचारियों को हर महीने चार या पांच तारीख को वेतन जारी होता है, लेकिन इस बार सरकार की ओर से ग्रांट जारी होने में देरी हुई है। इसके चलते वेतन भी देरी से आया। वहीं अभी पेंशनरों को मासिक पेंशन का इंतजार जारी है। हालाँकि राज्य सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया है कि इस महीने पेंशन पंद्रह तारीख को जारी कर दी जाएगी। हिमाचल पथ परिवहन निगम ने कर्मचारियों की लंबित मांगों पर चर्चा के लिए वीरवार को बैठक बुलाई है। यूनियन के पदाधिकारी प्रदेशभर से बैठक में भाग लेने के लिए शिमला पहुंच गए हैं, हालाँकि बैठक के आयोजन पर अभी संश्य बना हुआ है। दरअसल 14 जुलाई को एचआरटीसी की बीओडी होनी है। अधिकारी इसकी तैयारियों में जुटे हुए हैं। बता दें,एचआरटीसी चालक यूनियन ने मांगों को लेकर 25 जून से आंदोलन की चेतावनी दी थी जिसके बाद निगम प्रबंधन सभी मांगों को मानने का आश्वासन देकर 10 जुलाई को वार्ता के लिए बुलाया था। इस अवधि में निगम प्रबंधन ने कई मांगों पर कार्रवाई भी कर दी है। चालक व परिचालकों के अलावा कर्मशाला कर्मचारियों की पदोन्नति सूचियां जारी कर दी गई है। 100 करोड़ का नाइट ओवर टाइम लंबित एचआरटीसी कर्मचारियों का नाइट ओवर टाइम लंबित है, जोकि 100 करोड़ रुपए से भी अधिक का बताया जा रहा है। करकंहारी ये भी कह चुके है कि बेशक प्रबंधन ये राशि किश्तों में दे सकता है। इसके अलावा कर्मचारियों की डीए की लंबित किश्त, पदोन्नतियां, वित्तीय अनियमित्ताएं, संशोधित वेतनमान के लाभ सहित कई अन्य मांगे हैं जिन्हें प्रबंधन के समक्ष रखा जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट 'बिजली महादेव रोपवे' को लेकर कुल्लू में विरोध तेज़ हो गया है। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) के पूर्व चेयरमैन राम सिंह ने इस परियोजना के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलते हुए कहा है कि "यह प्रोजेक्ट किसी भी कीमत पर नहीं बनने दिया जाएगा।" राम सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बिजली महादेव सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि लोगों की आस्था का केंद्र है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय जनता और देव परंपरा की स्पष्ट नाराज़गी के बावजूद कुछ जन प्रतिनिधि इस परियोजना को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जो जन प्रतिनिधि पहले विरोध कर रहे थे, वे अब समर्थन में क्यों खड़े हैं। राम सिंह का कहना है कि रोपवे परियोजना पर्यावरण के लिए भी खतरा है...अब तक 72 पेड़ काटे जा चुके हैं और कुल 206 पेड़ काटने की अनुमति दी गई है। विवाद की जड़ में क्या है? 274 करोड़ की लागत से बनने वाला यह रोपवे कुल्लू के मोहल से लेकर बिजली महादेव मंदिर तक बनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आधुनिक परिवहन सुविधा देना है। हालांकि, स्थानीय लोगों और देव समाज से जुड़े संगठनों का तर्क है कि यह रोपवे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा बल्कि देव परंपराओं में भी हस्तक्षेप करेगा। शिलान्यास के बाद बढ़ा विरोध यह विवाद कोई नया नहीं है। पिछले डेढ़ दशक से इस परियोजना को लेकर विरोध होता रहा है। लेकिन बीते 5 मार्च 2025 को जब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इसका शिलान्यास किया, तो विरोध की आवाज़ और तीखी हो गई। कुछ दिन पहले इस प्रोजेक्ट से जुड़ा एक और विवाद तब सामने आया जब पूर्व सांसद और भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह भूमि पूजन में शामिल हुए। उनकी तस्वीर वायरल होने पर उन्होंने सफाई दी कि "मैं हमेशा इस प्रोजेक्ट के विरोध में था और रहूंगा।" क्या है आगे की राह? प्रशासन की ओर से अभी तक इस बढ़ते विरोध पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन एक तरफ जहां केंद्र और राज्य सरकारें इसे विकास का जरिया बता रही हैं, वहीं दूसरी ओर स्थानीय देव समाज, पर्यावरण प्रेमी और कुछ राजनीतिक हस्तियां इसे आस्था और प्रकृति के खिलाफ कदम मान रही हैं। अब देखना यह है कि क्या सरकार इस विरोध को सुनकर कोई समाधान निकालती है या फिर परियोजना को हर हाल में आगे बढ़ाने की कोशिश जारी रखती है।
मंडी सांसद एवं अभिनेत्री कंगना रनौत रविवार को मंडी जिला के विभिन्न आपदग्रस्त क्षेत्रों में पहुंची। कंगना रनौत ने कहा कि मंडी आने के बाद यहां की स्थिति देख काफी दुख हुआ। काफी नुकसान हुआ है। सराज में कंगना ने कहा कि यहां लोगों के पास कुछ भी शेष नहीं बचा है। अपने उजड़े हुए घरों को लोग बड़ी मायूसी से देख रहे हैं, यह झकझोर कर रख देने वाला दृश्य है। उन्होंने कहा वह केंद्र सरकार से आपदा प्रभावितों के लिए स्पेशल रिलिफ पैकेज की मांग रखेंगी और प्रभावितों के पुर्नवास और पुर्नस्थापना की गुहार भी लगाएंगी। मेरे पास अपना न तो कोई फंड, न अधिकारी और न ही कोई कैबिनेट कंगना ने सराज विधानसभा क्षेत्रों के आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। इस दौरान पूर्व सीएम एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भी उनके साथ मौजूद रहे। कंगना ने थुनाग बाजार को हुए नुकसान का जायजा लिया और यहां प्रभावितों से मुलाकात करके उनका दुख दर्द साझा करने का प्रयास किया। कंगना ने कहा कि मेरे दो भाई हैं जो साथ-साथ चले रहते हैं। मैं पहुंच तो जाती हूं, मेरा काम है केंद्र से राहत कोष लेकर आना, मेरे पास अपना न तो कोई फंड है नहीं, न कोई अधिकारी हैं और न ही कोई कैबिनेट है। सांसद के काम सीमित होता है, हम भी पहाड़ी हैं, हिमाचली हैं। सुक्खू सरकार पर साधा निशाना कंगना ने प्रदेश सरकार पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचारी सरकार काम कर रही है। 2023 कि आपदा में भी केंद्र सरकार ने जो हजारों करोड़ रूपए भेजे उसे प्रदेश सरकार ही डकार गई। कांग्रेस के नेताओं ने ये धंधा बना लिया है। अब भी केंद्र से जो रिलिफ आएगी वो भी प्रभावितों तक पहुंच नहीं पाएगी। ऐसे में वो एक स्पेशल समिति के गठन का सुझाव देगी , ताकि निगरानी रखी जा सके।
मुरारी लाल और रोशनी देव , 30 जून की वो काली रात इनकी जिंदगी की पाई-पाई बहा ले गई। बाढ़ ने न सिर्फ उनका घर बहा दिया, बल्कि वह ट्रंक भी साथ ले गई, जिसमें उनकी पूरी जमा-पूंजी रखी थी। 30 लाख रुपये नकद और कुछ गहने, ये ही थी उनकी ज़िंदगी की सारी जमा पूँजी। मंडी जिले के थुनाग बाजार में रहने वाले शिक्षक दंपति मुरारी लाल और रोशनी देवी का सपना था एक छोटा-सा घर ,अपना घर। 20 जून को इस दम्पति ने एक प्लॉट देखा था। खुद का आशियाना बनाने का सपना पूरा करने लिए सौदा 30 लाख में तय हुआ, और 7 जुलाई को रजिस्ट्री की तारीख तय कर दी ग। कुछ रकम दोनों ने जोड़ी थी, बाकी रिश्तेदारों से उधार लिया। बड़ी उम्मीद से ये पैसा एक लोहे के ट्रंक में गहनों के साथ रख दिया , फिर आई 30 जून की वो मनहूस रात,बादल फटने के बाद भारी सैलाब आ गया और कई मकान दुकानें बह गई। इसी सैलाब में मुरारी लाल का घर भी चपेट में आ गया और वो संदूक भी बह गया। अब मुरारी लाल पूरे थुनाग में मलबे में दिन-रात अपना ट्रंक खोज रहे हैं, गीली मिट्टी और टूटे पत्थरों के नीचे। परिवार के पास बस तन पर पहने हुए कपड़े ही बचे है। उस रात कमीज की जेब में 650 रुपये रखे थे, वही शेष है।
सराज के जंजैहली में फंसे 63 पर्यटकों को आपदा के 6 दिन बाद सुरक्षित अपने घरों के लिए भेज दिया गया ह। यह पर्यटक देश के विभिन्न राज्यों से सराज घाटी घूमने के लिए आए हुए थे और इन्हें रविवार को रेस्क्यू किया गया। प्रशासन ने करसोग से जंजैहली वाया शंकरदेहरा सड़क को रविवार दोपहर तक बहाल कर दिया और सबसे पहले यहां फंसे पर्यटकों को ही निकाला गया। यह पर्यटक यहां विभिन्न होटलों में रूके हुए थे। पर्यटकों ने बताया कि आपदा के तुरंत बाद पुलिस और प्रशासन की टीमों ने उनके साथ संपर्क साध लिया था। रेस्क्यू करने के बाद पुलिस स्टेशन पर मौजूद सेटेलाइट फोन के माध्यम से सभी पर्यटकों की बात उनके परिवारों से करवाई गई। पर्यटकों ने 6 दिनों तक मिले सहयोग के लिए प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन और विशेषकर स्थानीय लोगों का आभार जताया। एडीसी मंडी गुरसिमर सिंह ने कहा, "बगस्याड़ से थुनाग और लंबाथाच तक सड़क मार्ग को बहाल कर दिया गया है। जबकि दूसरी तरह करसोग से वाया शंकरदेहरा जंजैहली तक सड़क मार्ग बहाल हो गया है। इसी मार्ग के माध्यम से सभी पर्यटकों को बाहर निकाला गया है। जंजैहली में भी प्रशासन ने राहत सामग्री पहुंचाने के कार्य में तेजी लाई है और वहां हेलीकॉप्टर के माध्यम से भी सामग्री भेजी गई है।"
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश का दाैर लगातार जारी है। बीते 24 घंटों के दाैरान जोगिंद्रनगर में 52.0, नाहन 28.8, पालमपुर 28.8, पांवटा साहिब 21.0, ऊना 18.0, बरठीं 17.4, कांगड़ा 15.6 और श्री नयना देवी में 12.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। प्रदेश में शनिवार सुबह 10:00 बजे तक 261 सड़कें ठप रहीं। राज्य में 300 बिजली ट्रांसफार्मर और 281 जल आपूर्ति स्कीमें भी प्रभावित चल रही हैं। सबसे अधिक 176 सड़कें मंडी जिले में बाधित हैं। कुल्लू में 39 व सिरमाैर जिले में 19 सड़कें बाधित हैं। माैसम विज्ञान केंद्र शिमला की ओर से प्रदेश के कई भागों में 7 व 8 जुलाई के लिए भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। 6 जुलाई के लिए कांगड़ा, मंडी व सिरमाैर जिले के कुछ स्थानों पर भारी से अत्याधिक भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी हुआ है। विभाग के अनुसार 5 से 9 जुलाई तक अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। 10 और 11 जुलाई कई स्थानों पर बारिश हो सकती है। वही 5 व 9 जुलाई तक 10 जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है। 6 जुलाई को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, कुल्लू, शिमला व सोलन जिले के कुछ भागों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट। 7 जुलाई को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सोलन व सिरमाैर के लिए ऑरेंज अलर्ट। 8 जुलाई को ऊना, हमीरपुर, चंबा व कांगड़ा जिले के लिए ऑरेंज अलर्ट, अन्य जिलों के लिए येला।