जापान के टोक्यो में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में भाला फेंक प्रतियोगिता की शुरुआत हो गई है। अभी क्वालिफिकेशन राउंड चल रहा है। ऑटोमैटिक क्वालिफिकेशन मार्क 84.50 मीटर ही है। जबकि भारतीय भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने आज प्रथम प्रयास में ही 84.85 मीटर का शानदार थ्रो फेंककर गुरुवार को होने वाले फाइनल के लिए क्वालिफाई कर लिया है। इस राउंड के शीर्ष 12 एथलीट्स ही फाइनल के लिए क्वालिफाई कर सकेंगें। इसमें भारत के नीरज चोपड़ा और पाकिस्तान के अरशद नदीम आमने-सामने होंगे। पिछले संस्करण में नीरज ने 88.17 मीटर के थ्रो फेंककर गोल्ड जीता था, वहीं नदीम 87.82 मीटर के साथ सिल्वर तथा वादलेच 86.67 मीटर के साथ ब्रॉन्ज जीते थे। पाकिस्तान के नदीम भी शामिल पाकिस्तान के ओलंपिक चैंपियन अरशद नदीम भी इस प्रतियोगिता में भाग लिया है। वह ग्रुप बी में पूर्व चैंपियन एंडरसन पीटर्स के साथ उतरेंगे। अनुमान है कि नीरज और अरशद की भिड़ंत गुरुवार को फाइनल में होगी। आपको बता दें कि 2024 पेरिस ओलंपिक के बाद यह पहला अवसर होगा जब ये दोनों आमने-सामने होंगें। उस मुकाबले में नदीम ने 92.97 मीटर का थ्रो कर गोल्ड जीता था, जबकि नीरज ने 89.45 मीटर का थ्रो फेंककर सिल्वर जीता था। नीरज क्वालिफिकेशन के दौर में ग्रुप ए में और अरशद नदीम ग्रुप बी में हैं। इस बार नीरज लगातार 2 बार वर्ल्ड चैंपियनशिप का गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचना चाहते हैं। अगर नीरज इस बार भी गोल्ड जितने में सफल होते हैं, तो वह चेक लीजेंड तथा अपने कोच यान जेलेज्नी व ग्रेनेडा के एंडरसन पीटर्स के बाद लगातार दो वर्ल्ड चैंपियनशिप खिताब जीतने वाले तीसरे पुरुष भाला फेंक खिलाड़ी बनेंगें।
आज 75वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश पहुंचे हैं। मोदी ने मध्य प्रदेश की जनता को आज बहुत बड़ी सौगात दी है। मोदी ने देश के पहले पीएम मित्र पार्क का शुभारंभ किया। इसके अलावा कई अन्य परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया। उन्होंने स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान की भी शुरुआत की और इसके अंतर्गत आयोजित शिविर का निरीक्षण भी किया। उन्होंने महिलाओं से अपील किया कि वे कैंपों में जाकर अपनी जांच जरूर करवाएं। इस दौरान जन सभा को सम्बोधित करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने विकसित भारत बनाने का संकल्प लिया है और इस विकसित यात्रा के 4 स्तंभ हैं। ये 4 स्तंभ हैं -भारत की नारी शक्ति, युवा शक्ति, गरीब व किसान। इस कार्यक्रम के जरिए चारों स्तंभों को मजबूत करने का काम किया जा रहा है। उनका प्रण है माता बहनों के जीवन को सुरक्षित रखना। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम हालांकि मध्य प्रदेश के धार में हो रहा है लेकिन ये पूरे देश के लिए हो रहा है। धार में पीएम मित्र पार्क की स्थापना मोदी ने कहा कि धार में पीएम मित्र पार्क की स्थापना करके वे आहिल्या बाई होल्कर के कार्य को आगे ले जा रहे हैं। यहां पर कपड़ों के सारे काम जैसे कि यहां के खेत से कपास की कटाई, बुनाई, डिजाइन और एक्सपोर्ट का काम किया जाएगा। वे 5-F कि चेन पर काम कर रहे हैं। 5-F यानि कि फार्म, फाइबर, फैक्टरी, फैशन और फॉरेन की चैन बनाई जा रही है। इससे अब धार के बने वस्त्र दुनिया के बाजार में पहुंचेगें। इससे देश की टेक्सटाइल इंडस्ट्री को विश्व के स्तर पर नई पहचान मिलेगी। साथ ही इससे युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। स्वस्थ्य नारी और सशक्त परिवार महा अभियान की शुरूआत मोदी ने कहा कि देश की प्रगति में नारी शक्ति ही मुख्य आधार होती है। इस अभियान का उद्देश्य यह है कि जानकारी के आभाव में एक भी महिला किसी भी बीमारी से ग्रस्त न हो। PM मोदी ने सभा में आई महिलाओं से अपील किया है कि वे कैंम्पों में जाकर अपनी जांच जरूर करवाएं। जांच करवाने में महिलाओं को एक रूपया भी खर्चने नहीं पड़ेंगें। ये जांच अभियान 2 हफ्ते तक चलेगा। मोदी ने कहा कि मातृ वंदन योजना के तहत करीब 19 हजार करोड़ की राशि माताओं को दी जा चुकी है। लोगों से अपील- स्वदेशी ही खरीदें और बेचें मोदी ने कहा कि उन्हें 2047 तक विकसित भारत बनाना है। उन्होंने लोगों से कहा कि देशवासी जो भी खरीदें, वो देश में ही बनी चीजों को खरीदें। साथ ही सभी व्यापारी लोगों से भी कहा कि, वे जो भी बेचें वो अपने देश का बना हुआ हो। स्वदेशी को विकसित भारत की नींव बनाना मोदी ने कहा कि स्वदेशी को ही विकसित भारत की नींव बनाना है। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव है जब हम देश में बनी हुई चीजों को गर्व से बेचेंगे और खरीदेंगे। इससे देश का पैसा देश में ही रहेगा, जिससे देश का विकास तीव्र गति से होगा। इस पैसे से सड़कें बनेंगीं और विकास हेतु योजनाएं चलाई जाएगीं। इससे नए रोजगार भी पैदा होंगें। उन्होंने कहा कि स्वदेशी को लेकर अभियान जो शोर से चलाना होगा। इसके लिए वे राज्य सरकार से कहेंगें कि हर दुकान पर बोर्ड लगाएं जाएं और उन पर स्वदेशी सामानों की जानकारी हो।
पटना हाई कोर्ट ने कांग्रेस को आदेश दिया है कि वह PM नरेंद्र मोदी की स्वर्गीय मां हीराबेन मोदी की छवि दिखाने वाले AI वीडियो को सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटा दें। कोर्ट ने कांग्रेस द्वारा PM की मां का AI वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करने के मामले पर नाराजगी जाहिर की है। इस मामले पर काफी विवाद हुआ था और BJP ने काफी आपत्ति जताया था। इस पर मोदी ने कहा था कि मेरी मां का तो राजनीति से कोई लेना देना ही नहीं था, फिर उन पर क्यों कभी काल्पनिक वीडियो बनाया जा रहा, तो कभी मां को अपशब्द कहे जा रहे हैं। कांग्रेस द्वारा बना PM की मां का AI वीडियो आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले ही बिहार कांग्रेस के सोशल मीडिया हैंडल से एक AI वीडियो शेयर किया गया था। इस वीडियो में दिखाया गया था कि PM मोदी के सपने में उनकी मां आती है और उनसे काल्पनिक बातचीत करती है। काल्पनिक बात यानि कि जो बातें हकीकत में कभी उनकी मां ने उनसे कभी की ही नहीं। कांग्रेस पर PM की स्वर्गीय मां का अनादर करने का आरोप इस मामले पर BJP ने विपक्षी दल पर PM की स्वर्गीय मां का अनादर करने का आरोप लगाया था। बीजेपी ने इस वीडियो को शर्मनाक बताया था और कहा था कि कांग्रेस पार्टी महिलाओं का सम्मान नहीं करती है। BJP ने इस पर कांग्रेस को माफी मांगने को कहा था। कांग्रेस का इस पर जवाब कांग्रेस ने इस पर पलटवार करते हुए कहा था कि उसने वीडियो में कहीं भी उनकी मां का नाम नहीं लिया गया है और उनकी स्वर्गीय मां हीराबेन मोदी का अनादर नहीं किया है। कांग्रेस पर पहले भी लगा था PM की स्वर्गीय मां का अपमान करने का आरोप कुछ दिनों पहले भी ऐसी एक और घटना सामने आई थी जब बिहार के दरभंगा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की "वोटर अधिकार यात्रा" के दौरान मंच से PM मोदी और उनकी मां को गाली दी गई था।
PM नरेंद्र मोदी का आज 75वां जन्म दिवस है। इस उपलक्ष में भाजपा द्वारा 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक देशव्यापी ‘सेवा पखवाड़ा’ अभियान की शुरूआत की जा रही है। ‘सेवा पखवाड़ा’ अभियान की शुरुआत आज 1,000 जिलों में रक्तदान शिविरों के साथ की जाएगी। इसके बाद अगले दिन 18 सितंबर से 2 अक्टूबर तक प्रत्येक मंडल में रक्तदान, स्वच्छता अभियान, स्वास्थ्य जांच शिविर, पर्यावरण संरक्षण, दिव्यांगजनों को सहायता, और ‘मोदी विकास मैराथन’ जैसे कार्यक्रम आयोजित होंगें। साथ ही स्कूलों, मंदिरों, अस्पतालों व रेलवे स्टेशनों पर स्वच्छता अभियान चलाए जाएंगे। गृहमंत्री शाह द्वारा दिल्ली में 15 परियोजनाओं का शुभारंभ PM मोदी आज अपने जन्म दिवस पर मध्य प्रदेश के धार में एक विशाल PM मित्र पार्क का उद्घाटन करेंगे। वहीं गृहमंत्री अमित शाह दिल्ली में 101 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का शुभारंभ करेंगे। साथ ही शाह द्वारा दिल्ली में आज त्यागराज स्टेडियम से 15 परियोजनाओं का भी शुभारंभ किया जाएगा। इनमें अस्पताल ब्लॉक, 101 आरोग्य मंदिर और 150 डायलिसिस केंद्र सम्मिलिति हैं। इसके साथ ही ग्रेटर कैलाश और पंजाबी बाग में बहुस्तरीय पार्किंग, नंद नगरी में फ्लाईओवर तथा राजपूताना राइफल्स के लिए फुट ओवरब्रिज की शुरुआत की जाएगी। दिल्ली की CM रेखा गुप्ता भी 'सेवा पखवाड़ा' मनाएंगीं दिल्ली की CM रेखा गुप्ता ने आज PM नरेंद्र मोदी का जन्मदिन के मौके पर आज से 2 अक्टूबर तक 'सेवा पखवाड़ा' मनाने का निर्णय किया है। इस दौरान CM रेखा गुप्ता करोड़ों रुपये की 75 परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगीं। इन परियोजनाओं का उद्देश्य राजधानी दिल्ली को 'विकसित दिल्ली' बनाने का है। CM रेखा गुप्ता ने सेवा पखवाड़ा अभियान के अंतर्गत रक्तदान किया। वहीं संस्कृति मंत्रालय ‘विकसित भारत 2047’ थीम पर स्टूडेंट्स के लिए चित्रकला कम्पटीशन आयोजित करेगा। ओडिशा के CM मोहन माझी ने ऐलान किया है कि ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के अंतर्गत 17 सितंबर को करीब 75 लाख पौधे लगाए जाएंगे। 25 सितंबर को बीजेपी दीनदयाल उपाध्याय जयंती पर ‘आत्मनिर्भर भारत तथा विकसित भारत’ अभियान की शुरुआत करेगी। यह 25 दिसंबर तक चलने वाला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को अपने जन्मदिवस के मौके पर मध्यप्रदेश के धार जिले के भैसोला ग्राम की यात्रा करेंगे। यहां मोदी राज्य के पहले पीएम मित्र टेक्सटाइल पार्क का शुभारंभ करेंगे। साथ ही मोदी यहां 'स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार एवं पोषण' अभियान तथा 'आदि सेवा पर्व' का भी शुभारंभ करेंगे। इसके अलावा मातृ वंदना योजना के तहत पात्र लोगों के खातों में राशि का ट्रांसफर भी किया जाएगा। इस मौके पर मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव समेत कई और नेता भी उपस्थित रहेंगे। पीएम मित्र पार्क से होगा किसानों को फायदा इस मेगा प्रोजेक्ट से राज्य के कपास उत्पादक किसानों को बहुत फायदा मिलेगा। कपास की खेती करने वाले किसानों को उपज की अच्छी कीमत और स्थायी बाजार मिल पाएगा। साथ ही निर्यात भी बढ़ेगा। PM मोदी के '5-F' विजन के अनुसार यह जो पार्क है वह 'फार्म से फाइबर, फाइबर से फैक्ट्री, फैक्ट्री से फैशन और फैशन से फॉरेन तक की संपूर्ण वैल्यू चैन बना पाएगा। किसानों के कच्चे कपास से उद्योगों में धागा और वस्त्र तैयार होंगे और फिर यही उत्पाद विदेशों तक जाएंगे। इस प्रकार पूरी वैल्यू चैन एक ही जगह पर पूरी हो पाएगी। 'पीएम मित्र पार्क' से करीब 3 लाख रोजगार सृजित हो पाएंगें। इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी और उनके जीवन स्तर में भी सुधार होगा। इससे मध्यप्रदेश की पहचान अब टेक्सटाइल हब के रूप में होगी। इस पार्क से राज्य में बड़े स्तर पर निवेश आएगा। इससे प्रदेश में अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। गांव-गांव में आर्थिक विकास को गति मिलेगा। 'स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार एवं पोषण' अभियान के जरिए महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर स्वस्थ नारी ही सशक्त परिवार तथा सशक्त राष्ट्र की आधारशिला होती है। इसीलिए महिलाओं, किशोरियों और बच्चों की स्वास्थ्य व पोषण सेवाओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से इस अभियान को शुरू किया जा रहा है। इस अभियान के जरिए महिलाओं और बच्चों में स्वास्थ्य और पोषण के प्रति जागरूकता लाया जाएगा। इसके जरिए महिलाओं और बच्चों की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित किया जाना है ताकि वे निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ ले सकें। इस अभियान में महिलाओं की स्वास्थ्य जांच भी होगी। साथ ही एनीमिया की रोकथाम, संतुलित आहार और मासिक धर्म स्वच्छता पर भी जागरूक किया जाएगा।
बीते कल सोमवार को ITR फाइल करने की अंतिम तारीख थी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने ITR भरने की अंतिम तारीख एक दिन बढ़ा दी है। अब ITR फाइल करने की अंतिम तिथि 16 सितंबर 2025 है। इससे टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिली है। CBDT ने कल सोमवार देर रात को एक बयान जारी किया और कहा कि ITR भरने की डेडलाइन 15 सितंबर से बढ़ाकर 16 सितंबर 2025 की जा रही है। सरकार ने टैक्सपेयर्स को अंतिम मौका दिया है कि वे आज ही अपना ITR भर दें। डेडलाइन के बाद ITR फाइल करने पर लेट फीस भरनी पड़ सकती है। क्यों बढ़ाई गई ITR फाइलिंग डेडलाइन आपको बता दें जब सोशल मीडिया पर टैक्सपेयर्स और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ने आयकर पोर्टल की खराबी को लेकर शिकायतें करनी शुरू की, उसके बाद ITR फाइलिंग की डेडलाइन बढ़ाने का फैसला लिया गया। बता दें कि 14 सितंबर शनिवार से ही लोग शिकायत करने लगे थे कि आयकर पोर्टल बहुत धीमा है और बार-बार डाउन भी हो रहा है। इसके चलते ITR फाइल करने में दिक्कत हो रही थी।
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद अब चुनाव आयोग पश्चिम बंगाल में इसको कराने की तैयारी करने जा रहा है। पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग आज मंगलवार से पोल अधिकारियों की ट्रेनिंग शुरू करेगा। यह जो ट्रेनिंग हैं वह विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया का हिस्सा है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां अभी से तेज होती दिख रही हैं। हालांकि CM ममता बनर्जी इस SIR कार्यक्रम का शुरू से ही विरोध करती आई हैं। आपको बता दें कि बंगाल में अगले साल चुनाव होने हैं। इस चुनाव से पहले ही वोटर लिस्ट को दुरुस्त करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा यह कदम उठाया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बूथ स्तर के अधिकारी वोटर लिस्ट SIR प्रक्रिया को ठीक तरीके से करने के लिए मार्गदर्शन देने में पूर्ण रूप से सक्षम हों। खास बात यह है कि इसके तहत 2002 की वोटर लिस्ट की तुलना जनवरी 2025 में प्रकाशित नई वोटर लिस्ट से की जाएगी। जानकारी के मुताबिक, 2002 में सूचीबद्ध मतदाताओं का क्रॉस-सत्यापन किया जायेगा ताकि उन लोगों को, जिन्हें अपनी पात्रता साबित करने में दिक्कत पड़ सकती है, उन्हें कठिनाईयों का सामना न करना पड़े। इससे विशेषकर बुज़ुर्ग मतदाताओं को फायदा मिलेगा। बूथ-स्तर अधिकारी मतदाताओं के पते और डाक्यूमेंट्स की जांच करेंगे ताकि मतदाता लिस्ट में कोई गड़बड़ी न रह जाए। यह प्रक्रिया SIR की तैयारी का जरुरी हिस्सा है। उप चुनाव आयुक्त ग्यानेश भारती इस हफ्ते कोलकाता कि यात्रा करेंगे तथा ट्रेनिंग व रिवीजन एक्सरसाइज का जायजा लेंगे।
अमेरिका के मुख्य व्यापार वार्ताकार ब्रेंडन लिंच द्विपक्षीय व्यापार पर बातचीत के लिए भारत पहुचें हैं। आज मंगलवार को भारतीय मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल के साथ ब्रेंडन लिंच की बातचीत शुरू हो गई है। लिंच के साथ अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल बीते कल सोमवार रात को भारत पहुंची थी। अमेरिका के भारत पर 50 % टैरिफ के चलते यहां के कई उद्योगों पर असर पड़ा है। सामानों की मैन्युफैक्चरिंग के साथ साथ रोजगार पर भी इसका असर हुआ है। इस बातचीत से राहत मिलने की उम्मीद की जा सकती है। भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर पांचवे दौर की बातचीत इससे पहले ही हो चुकी है। छठे दौर की वार्ता 25-29 अगस्त के बीच होनी थी, पर अमेरिका की तरफ से भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बाद छठे दौर की वार्ता को टाल दिया गया था। जानकारी के मुताबिक, आज की बातचीत से आने वाले दिनों में भारत-अमेरिका वार्ता के छठे दौर के लिए बेस तैयार हो सकता है ऐसा अनुमान है। इस बातचीत में माल और सेवा क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने, बाजार पहुंच बढ़ाने, टैरिफ व गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने के साथ सप्लाई चेन एकीकरण को विस्तृत करने के लिए जरुरी नए कदमों पर चर्चा हो सकती है। 2030 तक व्यापार को 500 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य भारत-अमेरिका के बीच कुल व्यापार करीब 190 बिलियन डॉलर है। 2030 तक भारत तथा अमेरिका का लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करना है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जुलाई 2025 में भारत का अमेरिका को निर्यात 21.64% बढ़कर 33.53 अरब डॉलर हो गया, वहीं आयात 12.33% बढ़कर 17.41 अरब डॉलर रहा। भारत अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते अभी तक नहीं होने की वजह अमेरिका यह चाहता है कि उसके जो डेयरी उत्पाद हैं जैसे दूध, पनीर, घी आदि को भारत में आयात करने की अनुमति मिल जाए। आपको बता दें कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और इस क्षेत्र में करोड़ों छोटे किसान लगे हैं। अगर अमेरिका को इन चीजों को आयात करने की अनुमति दे दी जाएगी तो इससे भारत के लाखों छोटे किसान बेरोजगार हो सकते हैं और उनकी रोजी रोटी भी जा सकती है। साथ ही देश की अर्थ व्यवस्था पर भी इसका असर पड़ सकता है। इसीलिए भारत सरकार को शंका है कि यदि अमेरिकी डेयरी उत्पाद भारत में आते हैं, तो वे यहां के किसानों को भारी क्षति पहुंचा सकते हैं। इससे धार्मिक भावना भी जुड़ी हुई हैं। आपको बता दें कि अमेरिका में गायों को पोषण देने के लिए जानवरों की हड्डियों से तैयार एंजाइम को उनके खाने में दिया जाता है। इसीलिए भारत अमेरिका की ऐसी गायों के दूध को शाकाहारी दूध नहीं मानता है।
सुप्रीम कोर्ट (SC) ने सोमवार को कहा कि भारतीय चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था के रूप में कानून का पालन करते हुए वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की पूरी प्रक्रिया करवा रहा है। चुनाव आयोग तरफ से अपनाई गई प्रक्रिया में किसी भी तरह की गड़बड़ी मिलेगी तो वह SIR की पूरी प्रक्रिया को ही रद्द कर देगा। 7 अक्टूबर को अंतिम दलील SC द्वारा बिहार में SIR प्रक्रिया की वैधता पर अंतिम दलीलें 7 अक्तूबर को सुनी जाएगी। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह चुनाव आयोग को पुरे देश भर में SIR के लिए इस तरह की प्रक्रिया अपनाने से रोक नहीं सकती। भारत निर्वाचन आयोग का अधिकार है SIR कराना और वो इसमें कानून का पालन भी कर रहा है। पीठ ने इस मुद्दे पर “टुकड़ों में राय” देने से इनकार किया है और कहा है कि जो कोर्ट का निर्णय होगा वह पूरे भारत में SIR की प्रक्रिया पर लागू किया जायेगा। एक याचिका पर नोटिस आपको बता दें कि 8 सितंबर को SC ने एक आदेश जारी किया था जिसमें निर्वाचन आयोग को बिहार SIR में 12वें निर्धारित दस्तावेज के रूप में आधार कार्ड को सम्मिलित करने का निर्देश दिया था। SC के इस आदेश को वापस लेने का आग्रह करने वाली याचिका दायर की गई थी। SC इस पर नोटिस जारी किया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही यह स्पष्ट किया था कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है, केवल वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए आयोग द्वारा प्रस्तुत आधार कार्ड की वैधता की जांच की जा सकती है।
लोकसभा विपक्ष के नेता राहुल गांधी पंजाब के दौरे पर हैं। उन्होंने आज पंजाब के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और वहां के हालात का जायज़ा लिया। सबसे पहले उन्होंने गुरुद्वारा श्री समाध बाबा बुड्ढा जी साहिब में जाकर माथा टेका और राज्य की खुशहाली के लिए अरदास भी की। इसके बाद वे अमृतसर और गुरदासपुर में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर वहां के प्रवाभित लोगो से मिले। इस दौरान उनके साथ पूर्व CM चरणजीत सिंह चन्नी समेत कई नेता मौजूद रहे। बाढ़ के बाद देश के कई बड़े नेताओं ने पंजाब का दौरा किया है। आपको बता दें कि इससे पहले PM नरेंद्र मोदी ने भी 9 सितंबर को बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया था और बाढ़ की स्थिति और नुकसान का जायज़ा लिया था। उन्होंने पंजाब के लिए 1,600 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा भी की थी। पंजाब में हाल में आई बाढ़ की वजह से करीब 3 लाख लोगों को प्रभावित किया है। मीडिया के मुताबिक, पंजाब के 23 जिलों के 2384 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। पंजाब में सबसे ज़्यादा नुकसान फाजिल्का, मानसा, कपूरथला, होशियारपुर, गुरदासपुर, जालंधर, संगरूर, पटियाला, पठानकोट तथा तरनतारन जिले में हुआ है। लुधियाना के पूर्व सांसद और राज्य मंत्री बिट्टू का तंज, बोले-बाढ़ के समय मना रहे थे छुट्टियां राहुल गांधी के पंजाब दौरे पर लुधियाना के पूर्व सांसद और राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने तंज कस्ते हुए कहा है कि जब उपराष्ट्रपति चुनाव हो रहे थे, तब राहुल गांधी छुट्टियों मना रहे थे। जब पंजाब बाढ़ से डूब रहा था और लोग परेशान थे, तब भी वे मलेशिया में घूम रहे थे। उन्होंने ये भी कहा कि राहुल गांधी का यह दौरा पंजाब के लोगों का दर्द खत्म करने के लिए नहीं है बल्कि सियासी स्टेज पर ड्रामेबाजी है।
वक्फ (संशोधन) कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (SC) ने फैसला दे दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई तथा जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने आज अंतरिम आदेश जारी किया है। SC ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की कुछ धाराओं पर तो रोक लगाई है, पर पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि पूरे संशोधन पर रोक नहीं लगाई जा सकती, कुछ ही प्रावधानों पर रोक लगाई जा सकती है। इस फैसले से कई मुस्लिम नेताओं ने अपनी खुशी जाहिर की है। आपको बता दें कि कई लोगों ने वक्फ कानून पर पूरी तरीके से रोक लगाने की मांग की थी। इस पर पूरी तरीके से रोक लगाने के लिए लोग सुप्रीम कोर्ट गए। हालांकि इस कानून पर रोक लगाने की मांग पर मुस्लिम लोगों में काफी गुस्सा था। देश में इसको लेकर मुस्लिम लोगों द्वारा कई जगहों पर विरोध किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद आज फैसला दिया है। इन प्रावधानों पर लगा है रोक 1) वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के इस प्रावधान पर रोक लगी है, जिसमें वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति को 5 वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी होना जरूरी था। 2) वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता पर रोक लगाने से इनकार किया। 3) कलेक्टर या कार्यपालिका को संपत्ति के अधिकार तय करने की अनुमति नहीं, जब तक अंतिम फैसला वक्फ ट्रिब्यूनल तथा हाई कोर्ट से नहीं हो जाता, तब तक वक्फ को संपत्ति से बेदखल नहीं किया जाएगा। 4 गैर मुस्लिम या हिंदू के वक्फ बोर्ड के चेयरमैन होने पर अभी स्थिति साफ नहीं है, SC ने सुझाव दिया है कि जहां तक संभव हो, वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी एक मुस्लिम होना चाहिए। 5) कुल 11 सदस्यों में से 4 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।
PM मोदी आज 15 सितंबर को बिहार के पूर्णिया पहुंचेंगे और प्रदेश को 36 हजार करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का शुभारंभ करेंगें। यहां आज पूर्णिया एयरपोर्ट और वहां बनाई गई नई टर्मिनल बिल्डिंग का उद्घाटन करेंगे। इसके साथ कई और परियोजनाओं का भी शिलान्यास करेंगे। पूर्णिया रैली में पीएम मोदी के साथ जेडीयू, लोजपा (आर), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (जीतन राम मांझी) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (उपेंद्र कुशवाहा) के बड़े नेता भी उपस्थित रहेंगे। CM नीतीश कुमार भी इसमें शामिल हो सकते हैं। आपको बता दें कि बिहार में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। PM नरेंद्र मोदी सातवीं बार बिहार के दौरे पर आएगें । बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बोला कि मोदी बिहार को बहुत प्राथमिकता दे रहे हैं और अपने 11 साल के कार्यकाल के दौरान, मोदी ने बिहार को करीब 1.50 लाख करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की सौगात दे चुके हैं। वंदे भारत और अमृत भारत एक्सप्रेस को भी मिलेगी हरी झंडी PM मोदी तीन नई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाएंगे। जोगबनी-दानापुर वंदे भारत एक्सप्रेस, सहरसा-छेहरटा अमृत भारत एक्सप्रेस तथा जोगबनी-ईरोड अमृत भारत एक्सप्रेस। इसके अलावा विक्रमशिला-कटरिया रेललाइन का भी शुभारंभ करेंगे। होगी बेहतर कनेक्टिविटी पूर्णिया एयरपोर्ट के शुभारंभ से पूर्णिया के साथ साथ कटिहार, अररिया, किशनगंज सहित आसपास के कई जिलों को बेहतर कनेक्टिविटी मिल पाएगी। पूर्णिया एयरपोर्ट पर जो नए आधुनिक टर्मिनल बनाये गए हैं वो करीब 40 वर्षों तक यात्री वृद्धि को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। इससे हवाई सफर करने वाले लोगों को फायदा होगा। जानकारी के मुताबिक, माना जा रहा है कि यह एयरपोर्ट कोलकाता के बाद पूर्वी भारत का सबसे बड़ा एयरपोर्ट है। पूर्णिया एयरपोर्ट से सीमांचल तथा कोसी के करीब 7 जिलों को इसका फायदा होगा। पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार, अररिया व कोसी रेंज के मधेपुरा, सुपौल और सहरसा के लोगों को अब बागडोगरा एयरपोर्ट या दरभंगा एयरपोर्ट जाने की जरुरत नहीं होगी। अब लोग इस पूर्णिया एयरपोर्ट का उपयोग कर देश के दूसरे शहरों की यात्रा कर सकेंगें। इससे पहले की तुलना में अब लोगों का समय और पैसा दोनों बचेगा ।
एशिया कप में भारत-पाकिस्तान के बीच दुबई में आज मैच होने वाला है। भारत-पाकिस्तान के बीच मैच का मुकाबला हमेशा से रोमांचक रहा है। इसे देखने के लिए लोगों में बहुत उत्साह देखा जाता था। लेकिन इस बार इस मैच को लेकर देशभर में विरोध हो रहा है। विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ-साथ आम लोग भी भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर गुस्से में है। सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर इस मैच का जोरो से बहिष्कार किया जा रहा है। साथ ही पहलगाम हमले में मारे गए लोगों के परिवारों ने भी इस मैच पर कड़ा विरोध जताया है। अब तो भाजपा के कई सहयोगी भी इस मैच के विरोध में हैं। हालांकि क्रिकेट फैंस इसे लेकर अलग बंटे हुए हैं। इस मैच का कहीं विरोध किया जा रहा है, तो कहीं टीम इंडिया की जीत के लिए पूजा भी हो रही है। नई खेल नीति के मुताबिक सरकार की नई खेल नीति के मुताबिक भारत ने फैसला किया है भारत पाकिस्तान के साथ कोई भी द्विपक्षीय मैच नहीं खेलेगा पर बहुपक्षीय टूर्नामेंट जैसे कि एशिया कप या ICC प्रतियोगिता में पाकिस्तान के खिलाफ खेलेगा। विरोध की वजह ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच यह पहला इंटरनेशनल मैच है। आपको बता दें कि 22 अप्रैल को आतंकवादियों द्वारा पहलगाम हमला हुआ था जिसमें कई भारतीय मरे थे और कहा जा रहा था कि इस हमले के पीछे पकिस्तान का हाथ है। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर किया। इसी वजह से भारत के लोगों में भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर नाराजगी और गुस्सा है। ओवैसी की पार्टी AIMIM ने किया प्रदर्शन हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से पूछा है कि क्या मैच से कमाया जाने वाला मुनाफ़ा पहलगाम हमले में मारे गए 26 लोगों की जान से ज्यादा कीमती है। अहमदाबाद में AIMIM ने भारत-पाकिस्तान मैच के खिलाफ प्रदर्शन किया। AAP कार्यकर्ताओं ने किया बहिष्कार चंडीगढ़ में AAP कार्यकर्ताओं ने भी 'BCCI शर्म करो' के नारे लगाए शिंदे शिवसेना नेता ने किया विरोध शिंदे शिवसेना के नेता संजय निरूपम ने इस मैच के विरोध में कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा भारत को क्षति पहुंचाने वाली नीति अपनाई है, पाकिस्तान ने आतंकियों को पाला पोषा है और इन आतंकियों ने भारत के निर्दोष लोगों पर हमले किए हैं। ऐसे में पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह का रिश्ता नहीं रखना चाहिए। शिवसेना उद्धव गुट ने मैच के विरोध में तोड़ डाले टीवी पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी ने किया बहिष्कार पश्चिम बंगाल के खेल मंत्री और पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी ने कहा कि वे भारत-पाकिस्तान मैच के साथ पूरे एशिया कप का बहिष्कार कर रहे हैं हूं। उन्होंने कहा कि पुलवामा, पहलगाम, पठानकोट जैसे आतंकी हमलों को भुलाया नहीं जा सकता। पीड़ित परिवारों ने जाहिर किया गुस्सा पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए पुणे के संतोष जगदाले की बेटी असावरी जगदाले ने कहा कि यह मैच नहीं होना चाहिए था। यह बहुत ही शर्मनाक है। अभी हाल में पहलगाम हमला हुआ और फिर ऑपरेशन सिंदूर हुआ। तो इसके बाद यह मैच नहीं होना चाहिए था। उन्होंने कहा यह भी कहा कि इन्हें परवाह नहीं कि कोई मर गया।
मोदी ने आज रविवार को असम के दरांग के मंगलदोई में 6,300 करोड़ रुपये की स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का शुभारंभ किया। उन्होंने दरांग मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, जीएनएम स्कूल तथा बीएससी नर्सिंग कॉलेज का आज उद्घाटन किया। इस बीच PM मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि देश के विकास में उत्तर पूर्वी राज्यों की भूमिका अहम है। देश के विकास में उत्तर-पूर्व की अहम भूमिका दरांग में आयोजित कार्यक्रम में मोदी ने कहा कि 'पूरा देश आज विकसित भारत के निर्माण के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ रहा है। खासतौर पर हमारे जो नौजवान साथी हैं। उनके लिए विकसित भारत सपना भी है और संकल्प भी है। इस संकल्प की सिद्धि में हमारे नॉर्थ ईस्ट की बहुत बड़ी भूमिका है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि '21वीं सदी पूर्व की है, उत्तर पूर्व की है। उत्तर पूर्वी राज्यों के चमकने का समय आ गया है। किसी भी क्षेत्र के विकास में कनेक्टिविटी की अहम भूमिका होती है। हमारी सरकार उत्तर पूर्व में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए समर्पित है। सड़कें, रेलवे और हवाई मार्गों का विकास किया जा रहा है। इससे लोगों की जिंदगी बदल रही है और उज्जवल भविष्य की राह बन रही है।' सरकार का फोकस नॉर्थ ईस्ट में कनेक्टिविटी पर मोदी ने कहा कि किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए तेज कनेक्टिविटी का होना बहुत जरूरी होता है। इसलिए BJP सरकार का जो फोकस रहा है है वो नॉर्थ ईस्ट में कनेक्टिविटी बढ़ाने पर रहा है। सड़कें, रेलवे और हवाई मार्गों का विकास किया जा रहा है जिससे लोगों की जिंदगी बदल रही है। लोगों की आवाजाही में आसानी हुई है, टूरिज्म का विकास हुआ और इससे रोजगार का भी अवसर बढ़ा है। मोदी ने कहा कि कांग्रेस आजादी के 60 साल तक केंद्र में और असम में दशकों तक रही, लेकिन कांग्रेस ने इतने सालों में ब्रह्मपुत्र पर सिर्फ 3 पुल बनाए। जब बीजेपी सरकार को काम करने का मौका मिला तब, बीजेपी सरकार ने 10 साल में 6 बड़े ब्रिज बना दिए। अवैध घुसपैठ को लेकर मोदी ने कांग्रेस पर लगाया आरोप मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह राष्ट्रविरोधी ताकतों को संरक्षण देने का काम करती है। कांग्रेस भारत के सेना का साथ देने के बजाय पाकिस्तान के आतंकवादियों का समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब वह घुसपैठ को बढ़ावा देती थी और आज कांग्रेस चाहती है कि घुसपैठिए हमेशा के लिए भारत में बस जाए और भारत का भविष्य घुसपैठिए तय करें। मोदी ने कहा- "भाजपा का उद्देश्य देश को घुसपैठियों से बचाना और उसकी अखंडता को बहाल करना है। मैं उन राजनेताओं को चुनौती देता हूं जो घुसपैठियों का बचाव करते हैं कि वे आगे आएं और इस मुद्दे का सामना करें। वे दिखाएं कि हमने घुसपैठियों को हटाने के लिए जो प्रयास किए हैं, उनकी तुलना में उन्होंने क्या प्रयास किए हैं। घुसपैठियों को पनाह देने वालों को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी, देश उन्हें माफ़ नहीं करेगा।" मोदी ने कहा कि वह भगवान शिव का भक्त हैं, सारा जहर निगल लेते हैं मोदी ने अपने सम्बोधन में कहा कि जिस दिन भारत सरकार ने देश के असम गौरव भूपेन दा हजारिका जो को भारत रत्न दिया, उस दिन कांग्रेस अध्यक्ष ने बोला था- मोदी, नाचने-गाने वालों को भारत रत्न दे रहा है। इसके बाद उन्होंने कहा कि वे भगवान शिव का भक्त हैं, सारा जहर निगल लेते हैं, उन्हें कितनी भी गालियां दें। लेकिन जब किसी और का अपमान होता है, तो मोदी से रहा नहीं जाता है। मोदी ने कार्यक्रम में आए लोगों से पूछा कि आप मुझे बताएं, भूपेन दा को भारत रत्न देने का मोदी का फैसला सही है या नहीं।
8500 करोड़ की परियोजनाओं का देंगें सौगात मिजोरम को पहली बार भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ने वाली बैराबी-सैरांग नई रेल लाइन का भी उद्घाटन मणिपुर में जातीय संघर्ष के 2 साल बाद पहली बार कल शनिवार को PM नरेंद्र मोदी मणिपुर की यात्रा पर जाने वाले हैं। कल शनिवार को वह पहले चुराचांदपुर जाएंगे और फिर इंफाल पहुंचेंगे। मोदी कुकी बहुल क्षेत्र चुराचांदपुर में 7,300 करोड़ रुपये का विभिन्न विकास परियोजनाओं का शुभारम्भ करेंगें। इसके बाद मोदी मैइती बहुल क्षेत्र इंफाल में 1200 करोड़ की परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगें। मोदी मिजोरम को पहली बार भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ने वाली बैराबी-सैरांग नई रेल लाइन का भी उद्घाटन करेंगे। आपको बता दें कि साल 2023 में कुकी तथा मैइती समुदाय के बीच बड़े स्तर पर जातीय हिंसा भड़की थी। इस हिंसा में करीब 260 लोग मारे गए थे और हजारों लोग बेघर हुए थे। पीएम मोदी के इस यात्रा से मैतेई और कुकी समुदायों में कई उम्मीदें बढ़ी हैं, क्यों कि मणिपुर के विकास के लिए कई परियोजनाओं का उद्घाटन होने जा रहा है। साथ ही मणिपुर को पहली बार भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ने वाली बैराबी-सैरांग नई रेल लाइन का भी शुभारम्भ होने जा रहा है। इस दौरान, मोदी सैरांग से तीन नई रेल सेवाओं को भी हरी झंडी दिखाएंगें जिनमें सैरांग-आनंद विहार टर्मिनल राजधानी एक्सप्रेस, सैरांग-कोलकाता एक्सप्रेस और सैरांग-गुवाहाटी एक्सप्रेस शामिल हैं। यह भी पढ़ें 78 साल बाद रेलवे लाइन पहुंची मिजोरम, 13 सितंबर को पीएम द्वारा मिलेगी हरी झंडी
प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट (SC) ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के आदेश को चुनौती की याचिका पर सुनवाई के वक्त चीफ जस्टिस ने बोला कि जो भी प्रदूषण नियंत्रण नीति बननी चाहिए, वह केवल दिल्ली-एनसीआर के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए बननी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वे पिछले साल सर्दियों में अमृतसर गए थे और वहां प्रदूषण दिल्ली से भी ज्यादा था। इसीलिए यदि पटाखों पर प्रतिबंध लगाना ही है तो पूरे देश में इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट 3 अप्रैल 2025 के आदेश को चुनौती दी गई याचिका पर सुनवाई कर रहा था और सुनवाई के दौरान ही SC ने यह टिप्पणी की थी। याचिका में दिल्ली-NCR में पटाखों की बिक्री, स्टोरेज, परिवहन व निर्माण पर पूर्ण बैन के आदेश को बदलने की मांग की गई है। SC ने दिल्ली-NCR में पटाखों पर पूरी तरह बैन के खिलाफ याचिका पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को नोटिस भेजा और दो हफ्ते में जवाब देने को कहा है।
सीपी राधाकृष्णन ने आज शुक्रवार को भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज सुबह राष्ट्रपति भवन में राधाकृष्णन को शपथ दिलाई। राधाकृष्णन ने इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 वोट से हराकर उपराष्ट्रपति का चुनाव जीता था। इस शपथ समारोह के अवसर पर PM मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी तथा दूसरे कई केंद्रीय मंत्री भी इस समारोह में शामिल हुए। साथ ही एमपी से CM मोहन यादव, हरियाणा के नायब सिंह सैनी और उत्तराखंड के पुष्कर सिंह धामी सहित कई सीनियर नेता भी इस समारोह का हिस्सा बने। इस अवसर पर पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी पहुंचे। शपथ समारोह में वह मेहमान की तरह आए और सीपी राधाकृष्णन के समीप गेस्ट वाली पहली पंक्ति में बैठे दिखे। इस दौरान वे हंसते मुस्कुराते दिख रहे थे। आपको बता दें कि इन्होनें 22 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों से अचानक इस्तीफा दिया था। इसके बाद 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति चुनाव हुआ। इस्तीफे के बाद धनखड़ पहली बार सार्वजनिक तौर पर नजर आए। इस्तीफे के बाद से धनखड़ कहीं भी दिख नहीं रहे थे। इस पर विपक्ष लगातार सवाल करते नज़र आ रहे थे कि आखिर धनखड़ हैं कहां और कैसे हैं।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने राहुल गांधी पर सुरक्षा प्रोटोकॉल तोड़ने का आरोप लगाया है। CRPF ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लेटर लिखकर सूचना दी है कि राहुल गांधी पिछले 9 महीने में सूचना दिए बगैर 6 बार विदेश जा चुके हैं। CRPF ने राहुल गांधी को भी पत्र लिखा है, जिसमें कहा है कि इस तरह की चूक से उनकी Z+ कैटेगरी सुरक्षा कमजोर हो सकती है। इससे वे किसी खतरे में पड़ सकते हैं। येलो बुक प्रोटोकॉल' का उल्लंघन करते हैं आपको बता दें कि राहुल गांधी को एडवांस सिक्योरिटी लाइजन कवर के साथ सबसे हाई लेवल की Z+ सिक्योरिटी मिली हुई है। जिन लोगों को इस तरह की सुरक्षा मिली होती है, उन्हें ‘येलो बुक प्रोटोकॉल’ के तहत विदेश यात्रा पर जाने से पहले ही इसकी सूचना सुरक्षा एजेंसियों को देनी होती है, ताकि उनकी सुरक्षा में उपयुक्त इंतजाम किया जा सके। देखा गया है कि राहुल गांधी इन नियमों का पालन नहीं करते। अक्सर सुरक्षा एजेंसियों की सलाह पर ध्यान नहीं देते। CRPF के अनुसार पिछले 9 महीनों में राहुल गांधी 6 बार विदेश जा चुके हैं। इन यात्रा की जानकारी सुरक्षा एजेंसी को पहले से नहीं दी गई। इस वजह से सुरक्षा व्यवस्था को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। राहुल गांधी लगातार सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते आए हैं। CRPF ने खड़गे से अपील की है कि वे राहुल गांधी को सुरक्षा नियमों को मानने के लिए कहें। क्योंकि नियमों का उल्लंघन करने से उनकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है। प्रोटोकॉल तोड़ने की शिकायत पहले भी हुई CRPF ने कहा कि राहुल गांधी 2020 से अभी तक करीब 113 मौकों पर सुरक्षा दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर चुके है। इसमें इनकी भारत जोड़ो यात्रा का दिल्ली फेज भी शामिल है। केंद्र ने 2019 में SPG सिक्योरिटी वापस ली थी केंद्र द्वारा 2019 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बच्चों राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को दी गई SPG सिक्योरिटी वापस ले ली थी। अब इनकी सुरक्षा में SPG सिक्योरिटी की जगह CRPF ने ले ली है।
नेपाल में हुए हिंसक आंदोलन के बाद आज गुरुवार को हालात कंट्रोल में है। लेकिन फिर भी सेना ने एहतियातन राजधानी समेत कई इलाकों में कर्फ्यू लगा रखा है। इस बीच, नेपाल में अंतरिम PM बनाने के लिए सेना-प्रदर्शनकारियों के बीच बातचीत शुरू हो गई है। जानकारी के अनुसार,आर्मी हेडक्वार्टर में सुबह 10:30 बजे बातचीत शुरू हो गई थी। आपको बता दें कि सेना ने सभी पार्टी और नेताओं को भी इसके लिए अपनी अपनी राय देने को कहा है। मीडिया के कई रिपोर्ट्स के अनुसार, इस पद के लिए नेपाल के लाइट मैन कहे जाने वाले कुलमान घिसिंग और सुशीला कार्की का नाम आगे आ रहा है। हालांकि PM की रेस में कुलमान घिसिंग का नाम सुशीला कार्की से भी आगे चल रहा है। अंतिम फैसला देखना काफी दिलचस्प होगा कि किसे PM के नेतृत्व के लिए आगे किया जाता है। सुशीला कार्की सुशीला कार्की भ्रष्टाचार विरोधी शख्सियत के तौर पर जानी जाती हैं। इन्होनें भ्रष्टाचार के विरुद्ध कई बार सख्त बयान दिया है। आपको बता दें कि इन्होनें पॉलिटिकल साइंस में BHU से MA किया है। 2016 में वह नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनी। कुलमान घिसिंग कुलमान घिसिंग को नेपाल के 'लाइट मैन' भी कहा जाता है। उन्होंने जमशेदपुर, झारखण्ड से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की है। 1994 में नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (NEA) से जुड़े और इसके बाद घाटे में चल रहे NEA को मुनाफे में बदल दिया। नेपाल की बिजली व्यवस्था, जो कि बहुत खराब थी, उसे भी सुधारने का श्रेय इन्हें ही जाता है। नेपाल में इस तरह हुई हिंसक आंदोलन की शुरुआत सरकार ने 4 सितंबर को 26 सोशल मीडिया प्लेटफार्म को बैन किया था। ये कहकर कि इन प्लेटफॉर्म्स ने रजिस्ट्रशन नहीं करवाए हैं। इसके बाद 8 सितंबर को सरकार के भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ नेपाल के युवाओं ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन शुरू कर दिए। यह प्रदर्शन धीरे धीरे हिंसा में प्रवर्तित हो गए और कई लोग इसमें मारे गए व कई ज़ख़्मी हुए। इसी बीच PM समेत कई मंत्रियों को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। साथ ही इस दौरान प्रदर्शन कर रहे युवाओं ने सेना के सामने सामाजिक और राजनितिक सुधार को लेकर कई मांगे भी रखीं। आगे क्या होगा बहुमत वाली पार्टी को सरकार बनाने के लिए कहा जायेगा। विशेषज्ञ का मानना है कि 6 महीने में चुनाव कराने के लिए अंतरिम सरकार बन सकती है।
नेपाल में सरकार के खिलाफ हिंसक आंदोलन के बीच मंगलवार को सरकार का तख्तापलट हो चुका है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली समेत कई मंत्रियों ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। प्रदर्शनकारियों ने ओली सरकार को सत्ता से बेदखल करने में सफलता हासिल कर ली है। इसी बीच प्रदर्शनकारियों ने कई सामाजिक और राजनितिक सुधार किये जाने के लिए अब एक लंबी मांगें रखी है। प्रदर्शनकारियों ने यह मांग की है कि संविधान में संशोधन, शासन व्यवस्था में सुधार तथा पिछले 3 दशकों में नेताओं द्वारा लूटी गई सम्पत्तियों की जांच हो। इंडिया टुडे कि रिपोर्ट के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने एक बयान में कहा है कि, यह जो आंदोलन है, वह किसी भी पार्टी या व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि देश के लोगों के भविष्य के लिए है। प्रदर्शनकारियों ने यह उम्मीद जताई है कि राष्ट्रपति और नेपाली सेना उनकी मांगों को पूरा करेंगे। अभी तक घटीं ये घटनाएं नेपाल में सरकारी के भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति समेत कई मंत्रियों और नेताओं के सरकारी-निजी आवासों पर हमला व तोड़फोड़ किया और साथ ही आगजनी भी की। संसद भवन और सुप्रीम कोर्ट में भी आग लगा दी गई। आंदोलनकारियों द्वारा, प्रदर्शन करने वाले युवाओं पर गोली चलाने का आदेश देने वाले DSP की भी पीट कर हत्या कर दी गई। पूर्व प्रधानमंत्री, उनकी पत्नी व विदेश मंत्री को भी उनके घर में घुसकर पीटा गया। आंदोलनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनल की पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार को तो घर के अंदर घुसकर जिंदा जला दिया। वित्त मंत्री को भी सड़कों पर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया है। इन हालातों को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे को बंद कर दिया गया है। हालांकि कल रात मंगलवार से नेपाल की सेना ने सुरक्षा की कमान संभाल ली है। वहीं राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना प्रमुख अशोक राज सिगदेल ने आंदोलन कर रहे युवाओं से शांति बनाये रखने और चर्चा के लिए आगे आने की अपील की है। यह भी पढ़ें नेपाल: काठमांडू में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बंद होने से सैकड़ों भारतीय यात्री फंसे, सीमा पर लगा लंबा जाम
NDA गठबंधन के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णम देश के उपराष्ट्रपति चुने जा चुकें हैं। जानकारी के अनुसार NDA गठबंधन के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णम को 452 वोट मिले हैं। जो NDA के कुल सांसद से 25 अधिक है। वहीं, इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले, जो इंडिया गठबंधन के कुल क्षमता 315 वोट से भी कम है। बताया जा रहा है कि इस चुनाव में क्रॉस वोटिंग भी हुई है। उपराष्ट्रपति चुनाव के गणित उपराष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के सांसद भाग लेते हैं। लोकसभा और राज्य सभा के सांसदों को मिलाकर कुल 788 मतदाता हैं, जिसमें से अभी राज्यसभा में 6 और लोक सभा में 1 सीट ख़ाली है। इस तरह कुल अभी 781 मतदाता हैं। इनमें से 767 सांसदों ने वोट डाला, जिसमें से 752 वोट वैध और 15 निरस्त पाए गए। NDA के उम्मीदवार सी पी राधाकृष्णन को 452 वोट और इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। न्यूट्रल वोट अभी के हिसाब से NDA के 427 और इंडिया ब्लॉक के 315 वोट हैं, जबकि 39 वोट न्यूट्रल हैं क्यों कि इन्होनें दोनों गठबंधन में से किसी का साथ नहीं दिया। इनमें से वायएसआरसीपी के 11 सांसदों ने NDA का साथ दिया है। इस तरह एनडीए की संख्या बढ़कर 438 हो गई और न्यूट्रल की संख्या घटकर 28 रह गई। इन 28 में से 14 वोट एब्सेंट रहे। इस तरह न्यूट्र्ल की संख्या घटकर 14 रह गई। क्रॉस वोटिंग NDA (427) को वायएसआरसीपी के 11 सांसदों को मिलाकर 438 वोट ही मिलने थे, पर NDA को मिला 452 वोट। यानी NDA को 14 एक्स्ट्रा वोट मिले हैं। NDA को उसकी क्षमता से अधिक वोट मिले हैं, जबकि इंडिया ब्लॉक को उसकी क्षमता 315 से 15 वोट कम मिले यानी 300 वोट ही मिले। 15 वोट निरस्त हो गए। NDA के 10 वोट और इंडिया ब्ल़ॉक के 5 वोट निरस्त हो गए। इसका मतलब यह है कि विपक्ष के कई सांसदों ने NDA के पक्ष में वोट डाला और साथ ही क्रॉस वोटिंग भी हुई। क्रॉस वोटिंग करने वाले सांसदों पर एक्शन क्यों नहीं गुप्त मतदान और व्हिप जारी न होने कि वजह से क्रॉस वोटिंग करने वाले सांसदों के खिलाफ कार्रवाई भी नहीं की जा सकती हैं।
नेपाल की राजधानी काठमांडू में सरकार के विरूद्ध हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के बीच सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है और जगह जगह पर सेना को तैनात किये गए हैं। वहां के हालात गंभीर होने के चलते त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट को सभी घरेलू-अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए बंद किया गया था। एयर ट्रैफिक कंट्रोल के मुताबिक एयरपोर्ट को 10 सितंबर 2025 की दोपहर 12 बजे तक के लिए बंद किया गया था। एयरपोर्ट बंद होने से यहां कई भारतीय यात्री और पर्यटक फंस गए हैं। बताया जा रहा है कि करीब 800 पर्यटक पोखरा में फंसे हैं, जबकि काठमांडू में करीब 2000 यात्री फंसें हैं। एयरपोर्ट के बंद होने से नेपाल में फंसे भारतीयों को वापस आने के लिए वहां काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापार और यातायात पूरी तरह बाधित है। हिंसक आंदोलन हुआ क्यों नेपाल में यह हिंसक आंदोलन सरकार के भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर बैन लगाए जाने के बाद हुआ। वहां के युवाओं में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर बैन को लेकर काफी रोष था। इसी रोष के चलते वे सडकों पर उतर आए और हिंसक प्रदर्शन करने लगे। इस बीच वहां के युवाओं द्वारा काफी आगजनी और तोड़-फोड़ की गई और साथ ही संसद में घुसने की भी कोशिश की गई। इस बीच कई युवाओं की जान भी गई और कई मंत्रियों ने इस्तीफा भी दिया। भारतीय नागरिकों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी सरकार ने भारतीय नागरिकों को स्थिति स्थिर होने तक नेपाल की यात्रा नहीं करने को कहा है। सरकार ने नेपाल में फंसें भारतीय नागरिकों को अपने वर्तमान सुरक्षित जगहों पर ही रहने को कहा है। साथ ही नेपाल के अधिकारियों और काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास द्वारा जारी स्थानीय सुरक्षा निर्देश का पालन करने को भी कहा है। सरकार ने भारतीय नागरिकों की मदद के लिए काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास के हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिए हैं। नंबर हैं +977 980 860 2881 और +977-981 032 6134
PM नरेंद्र मोदी 9 सितंबर को पंजाब का दौरा करेंगे और वहां बाढ़ प्रभावित लोगों और किसानों से मिलेंगे। इसके साथ ही मोदी राहत कार्यों और पुनर्वास प्रयासों का भी समीक्षा करेंगें। आपको बता दें कि पंजाब में बाढ़ की वजह से काफी नुकसान हुआ है। बाढ़ से पंजाब 23 जिलों में भारी तबाही मची है। बाढ़ ने इन जिलों के गांव को जलमग्न कर दिया है और फसलों को नुकसान कर दिया है। इस यात्रा की घोषणा BJP पंजाब ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर किया है। सबसे ज्यादा प्रभावित पंजाब पंजाब सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला राज्य है। यहां 23 जिलों के करीब 1900 गांव पानी में डूब गए हैं और करीब 1.75 लाख एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो गई है। इससे धान की फसलें खराब हो गई हैं। बाढ़ से अभी तक लगभग 40 लोगों की जानें भी जा चुकी है। साथ ही व्यास, सतलुज, रावी और घग्गर नदियां भी खतरे के निशान से ऊपर आ चुकी हैं। मीडिया के अनुसार, पंजाब सरकार ने बारिश से करीब तेरह हजार करोड़ रुपये के जान-माल की क्षति का अनुमान लगाया है। यहां सेना, NDRF और BSF की टीमें राहत और बचाव कार्यों में लगी हुई हैं। अभी तक करीब 20,000 लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया गया है। शिवराज चौहान ने भी किया दौरा आपको बता दें कि गुरुवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी पंजाब के अमृतसर जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों का भ्रमण किया था। उन्होंने यहां जानकारी दी थी कि बाढ़ से उत्पन्न स्थिति का जायज़ा लेने के लिए दो केंद्रीय दल भी पंजाब का दौरा कर रहे हैं और वे केंद्र को इसकी एक रिपोर्ट बनाकर सौंपेंगे।
GST परिषद ने बुधवार को टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव करते हुए इसे सरल कर दिया है। इस बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत 5% और 18% के दो स्लैब को मंजूरी दे दी गई है और 12% और 28% के स्लैब को खत्म कर दिया गया है। इसके साथ ही अब रोजमर्रा की जरूरी चीजें, स्वास्थ्य सेवाएं तथा खाने-पीने की चीजें अब टैक्स फ्री कर दिन गई हैं। ये बदलाव 22 सितंबर 2025 से लागू हो जाएंगे। इसे केंद्र द्वारा आम लोगों के लिए दिवाली गिफ्ट बताया जा रहा है। खाने-पीने की यें चीजें हुई सस्ती पैकेट का पनीर और छेना, UHT दूध, पिज्जा ब्रेड, खाखरा, चपाती, रोटी व पराठा पर अब कोई भी टैक्स नहीं लगेगा, इस पर 0 GST है। अब बीमा कराना भी सस्ता पहले बीमा के लिए 18% टैक्स देना होता था। लेकिन अब हेल्थ व लाइफ इंश्योरेंस पर किसी भी तरह का GST नहीं लगेगा। जीवनरक्षक दवाइयां व मेडिकल सामान लगभग 33 तरह की दवाइयां व मेडिकल सामान टैक्स फ्री हो गई हैं। साथ ही मेडिकल ऑक्सीजन पर भी अब GST शून्य है । बच्चों की पढ़ाई की चीजें भी टैक्स फ्री पेंसिल, शार्पनर, क्रेयॉन और पेस्टल अब बिल्कुल टैक्स फ्री कर दीं गई हैं। साथ ही एक्सरसाइज बुक, ग्राफ बुक, लेबोरेटरी नोटबुक और इरेज़र पर भी अब कोई भी टैक्स नहीं लगेगें। ये सब अब सस्ते हो जायेंगें ।
धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से जो अल्पसंख्यक सुमदाय के लोग भारत आए हैं उनके लिए केंद्र सरकार ने बड़ी राहत की खबर दी है। गृह मंत्रालय ने आदेश जारी किया है कि अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग जो 31 दिसंबर 2024 तक भारत आए हैं, वे देश में बिना पासपोर्ट या अन्य किसी वैध डॉक्युमेंट के बिना भी रह सकते हैं। इसके तहत उन सभी लोगों को राहत मिलने वाली है जो बिना पासपोर्ट और वीजा के भारत आए और जिनके डाक्यूमेंट्स की वैधता समाप्त हो चुकी है। आपको बता दें कि इसके पहले CAA के अनुसार, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के उत्पीड़ित अल्पसंख्यक समुदायों हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को के वे लोग जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए थे, सिर्फ उन्हें भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। नेपाल और भूटान के लिए नियम नेपाल और भूटान के नागरिकों को भारत में प्रवेश के लिए पासपोर्ट-वीजा की जरूरत नहीं होगी। नेपाल और भूटान के नागरिकों के साथ-साथ दोनों पड़ोसी देशों से सड़क या हवाई मार्ग से भारत में आने वाले भारतीयों को पहले की तरह अब पासपोर्ट या वीजा जरूरत नहीं होगी। गृह मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत में प्रवेश करने, ठहरने और बाहर जाने के लिए वैध पासपोर्ट या अन्य वैध यात्रा दस्तावेज और वैध वीजा की आवश्यकता नहीं होगी, बशर्ते कि कोई भारतीय नागरिक नेपाल या भूटान की सीमा से सड़क या हवाई मार्ग के जरिये भारत में प्रवेश करता है, या कोई नेपाली या भूटानी नागरिक नेपाल या भूटान की सीमा से सड़क या हवाई मार्ग द्वारा भारत में प्रवेश करता है, या उसके पास वैध पासपोर्ट है और वह नेपाल या भूटान के अलावा किसी अन्य स्थान से भारत में प्रवेश करता है या भारत से बाहर जाता है। ’’
दिल्ली में आज बुधवार से GST काउंसिल की दो दिवसीय बैठक शुरू। इसमें टैक्स स्लैब को सरल बनाने से जुड़े मुद्दों पर फैसला लिया जा सकता है। इसके तहत केंद्र सरकार रोज इस्तेमाल की जाने वाली चीजों पर टैक्स को कम करने के लिए माल व सेवा कर में बदलाव कर सकती है। यह बैठक 4 सितंबर को समाप्त होगी। टैक्स स्लैब में कटौती और इसके चलते कीमतों में होने वाली कमी को लेकर पूरे देश की नज़र इस बैठक पर बनी हुई हैं। आपको बता दें कि PM नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को अपने भाषण में GST में सुधार करने की इस योजना के बारे में बताया था। GST काउंसिल योजना के अनुसार, अभी के जो 4 टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18% व 28%) हैं उसे घटाकर सिर्फ 2 स्लैब (5% व 18%) करने का प्रस्ताव है। यह फैसला होने से जीएसटी में बड़ा सुधार होगा। यें चीजें हो सकती हैं सस्ती इसके तहत डेली इस्तेमाल की चीजें जैसे कि घी, मेवे, पीने के पानी, नमकीन, जूते और परिधान,पेंसिल, साइकिल, छाते, दवाइयां और चिकित्सा उपकरण आदि को 12 % से 5 % टैक्स स्लैब में लाने कि बात चल रही है। कुछ श्रेणी के इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं जैसे कि टीवी, वॉशिंग मशीन और रेफ्रिजरेटर की कीमतों में कमी हो सकती है, क्योंकि इन पर 28 % के बदले 18 % का टैक्स लगाया जा सकता है। इन पर लगेगा ज्यादा टैक्स वाहनों पर इस समय 28 % कर लागू है। अब उन पर अलग-अलग दरें लागू की जा सकती हैं। शुरुआती स्तर की कारों पर 18 %, जबकि एसयूवी और लक्जरी कारों पर 40 % टैक्स लागू होगा। इसके अलावा अवगुणों से संबंधित वस्तुओं जैसे तंबाकू, पान मसाला और सिगरेट पर भी 40 % टैक्स लागू होगा। आम जनता और कारोबार पर असर जानकारों का मानना है कि नए टैक्स स्ट्रक्चर से बिज़नेस मैन के साथ साथ आम लोगों को भी रोज इस्तेमाल होने वाली चीजों पर टैक्स का बोझ कम होने से राहत मिलेगी। इससे मार्किट में खपत को बढ़ावा मिल सकता है।
जर्मन संघीय विदेश मंत्री जोहान डेविड वाडेफुल मंगलवार सुबह भारत की दो दिवसीय दौरे पर बेंगलुरु पहुंचे हैं। उनकी यह यात्रा 2 से 3 सितंबर तक है। जर्मन विदेश मंत्री वाडेफुल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का दौरा करेंगे। बुधवार को वाडेफुल केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से मिलेंगें और उनके साथ कई उच्च-स्तरीय बैठकें की होंगीं । इन बैठकों में उम्मीद है कि व्यापार, सुरक्षा, हरित ऊर्जा, डिजिटल परिवर्तन और वैश्विक शासन जैसे मुख्य विषयों पर चर्चा की जाएगी। उनसे मिलने के बाद वे दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर से भेंट करेंगे और उसी दिन वह देश से लौट जाएंगे। आपको बता दें कि जर्मन विदेश मंत्री वाडेफुल ने अपनी यात्रा से पहले, भारत-प्रशांत क्षेत्र और वैश्विक मंच पर एक प्रमुख भागीदार के रूप में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका का ज़िक्र किया था। सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर वाडेफुल ने जर्मनी और भारत के बीच घनिष्ठ राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों पर जोर दिया था। भारत को ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझेदार’ बताया वाडेफुल ने भारत को ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझेदार’ बताया है। वाडेफुल ने जर्मनी और भारत के बीच आपसी संबंधों पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत और जर्मनी के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से घनिष्ठ संबंध हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा सहयोग से लेकर इनोवेशन, टेक्नोलॉजी और स्किल्ड वर्कफोर्स भर्ती जैसे क्षेत्रों में हमारी रणनीतिक साझेदारी को विस्तार देने की बहुत सी संभावनाएं हैं। अंतरराष्ट्रीय शांति व स्थिरता के लिए मिलकर काम करना चाहिए वाडेफुल ने कहा कि भारत और जर्मनी को अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए एक साथ मिलकर काम करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश और सबसे बड़े लोकतंत्र के तौर पर भारत की आवाज वैश्विक मंचों पर बहुत प्रभावशाली हो रही है, जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र परे भी सुनी जाती है। विदेश मंत्रालय के अनुसार विदेश मंत्रालय के अनुसार यूरोप में भारत के सबसे महत्वपूर्ण साझेदारों में से एक जर्मनी है। वर्ष 2000 से ही भारत और जर्मनी ने एक 'रणनीतिक साझेदारी' बनाए रखी है। 2011 में अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) की शुरुआत के बाद से यह और भी मजबूत हुआ है। सहयोग की समीक्षा को आईजीसी अधिक सक्षम बनाता है और मंत्रिमंडल स्तर पर जुड़ाव के नए अवसरों की पहचान करता है। भारत उन खास देशों में शामिल है जिनके साथ जर्मनी का ऐसा कम्युनिकेशन सिस्टम है।
PM नरेंद्र मोदी ने आज मंगलवार को दिल्ली के यशोभूमि में सेमीकॉन इंडिया 2025 का शुभारंभ किया। यह 2-4 सितंबर तक आयोजित किया जायेगा। इस तीन दिवसीय सेमीकॉन इंडिया 2025 का उद्देश्य भारत में एक मजबूत और टिकाऊ सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को बढ़ावा देने का है। इस सम्मेलन में 33 देशों की करीब 350 से अधिक कंपनियों के शामिल होने की खबर है। इसका आयोजन जो है वो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत भारत सेमीकंडक्टर मिशन और वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग संघ सेमी द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। अभी तक, सेमीकॉन इंडिया के 3 कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। इस सम्मलेन में कई कंपनियों के CEO के भी शामिल होने की सूचना है। अनुमान है कि प्रधानमंत्री मोदी कल बुधवार 3 सितंबर को भी इस सम्मेलन में भाग लेंगें। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि हर तरफ उत्साह दिख रहा है। उन्होंने कहा कि भारत जिस तेजी के साथ विकास कर रहा है, उससे लग रहा है कि भारत बहुत जल्द तीसरी अर्थव्यवस्था वाला देश बन सकता है। 2021 में शुरू हुआ था मिशन इसका पहला कार्यक्रम 2022 (बेंगलुरु), दूसरा 2023 (गांधीनगर) और तीसरा 2024 (ग्रेटर नोएडा) में आयोजित किया गया था। अश्विनी वैष्णव ने कहा अश्विनी वैष्णव ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि दुनिया भारत की तरफ देख रही है। अब पांच सेमीकंडक्टर इकाइयों का निर्माण तेज़ी से हो रहा है। वैश्विक उथल-पुथल की वजह से भारी अनिश्चितता आई है और इस अशांत समय में, भारत स्थिरता और विकास के प्रकाश स्तंभ की तरह खड़ा है। ऐसे समय में भारत की नीतियां स्थिर हैं और सभी को इसीलिए भारत आना चाहिए। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा इस सम्मलेन में PM मोदी को विक्रम 32-बिट प्रोसेसर और 4 स्वीकृत परियोजनाओं के परीक्षण चिप भेंट दी गई। आपको बता दें कि विक्रम 32-बिट प्रोसेसर पहला पूर्ण रूप से मेक-इन-इंडिया 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर है। यह प्रोसेसर प्रक्षेपण यानों की कठोर पर्यावरणीय परिस्थितियों में इस्तेमाल ले लिए उपयोगी है। इस चिप को इसरो सेमी-कंडक्टर लैब ने विकसित किया है। मोदी ने सोशल मीडिया पर किया पोस्ट इस सम्मेलन को लेकर पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी किया है कि मंगलवार 2 सितंबर को सुबह 10 बजे सेमीकॉन इंडिया 2025 का उद्घाटन होगा। उन्होंने कहा कि यह मंच सेमीकंडक्टर जगत के अग्रणी स्टेकहोल्डर्स को एक साथ लाने वाला है। मोदी ने यह भी कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें भारत की हाल की प्रगति बहुत ही उल्लेखनीय रही है। यह जो सम्मेलन है वो सेमीकंडक्टर फ़ैब्रिक्स, उन्नत पैकेजिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, अनुसंधान और निवेश जैसे प्रमुख विषयों पर फोकस रहेगा। सेमीकॉन इंडिया 2025 का उद्देश्य इसमें सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम की प्रगति, सेमीकंडक्टर फैब और उन्नत पैकेजिंग परियोजनाएं, बुनियादी ढांचे की तैयारी, स्मार्ट विनिर्माण, अनुसंधान एवं विकास और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में नवाचार, निवेश के अवसर, राज्य स्तरीय नीति कार्यान्वयन आदि पर सेशन किये जायेंगें। तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में उद्योग जगत के अग्रणी, इन्नोवेटर , शिक्षा जगत, सरकार और कई स्टेकहोल्डर्स आदि सभी को एक साथ लाने का प्रयास है ताकि प्रौद्योगिकी प्रगति को बढ़ावा मिल सके। 2021 में भारत सेमीकंडक्टर मिशन की शुरुआत के बाद से, सिर्फ 4 साल में, भारत ने सेमीकंडक्टर यात्रा के क्षेत्र में बहुत ज्यादा प्रगति की है। इन क्षेत्र में उन्नति के लिए सरकार ने 76,000 करोड़ रुपये की उत्पादन-आधारित इंसेंटिव स्कीम की घोषणा की है। इसमें से करीब 65,000 करोड़ रुपये पहले ही दिए जा चुके हैं। सेमीकॉन इंडिया 2025 के जरिये भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम में अपनी पुनर्परिभाषित भूमिका को प्रदर्शित करने के लिए तैयार है। इसमें लगभग 350 प्रदर्शक, 15,000 से अधिक अपेक्षित आगंतुक, 6 देश गोलमेज सम्मेलन, 4 देश मंडप और 9 भारतीय राज्यों की भागीदारी होने जा रही है। जो सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों के लिए दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा मंच प्रदान करने जा रहा है। इस सम्मलेन में भारत की सेमीकंडक्टर प्रगति पर चर्चा की जाएगी। इसमें उच्च-मात्रा फैब्स, उन्नत पैकेजिंग, कम्पाउंड सेमीकंडक्टर, ओएसएटी और अनुसंधान और स्टार्ट-अप के लिए सरकारी समर्थन सहित 10 एप्रूव्ड स्ट्रेटेजिक प्रोजेक्ट्स का प्रदर्शन किया जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को जम्मू के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर राहत कार्यों का जायज़ा लिया। शाह रविवार रात को बाढ़ की स्थिति और राहत कार्यों की समीक्षा के लिए जम्मू पहुंचे थे। उन्होंने बिक्रम चौक के नज़दीक तवी पुल पर जाकर नदी के किनारे जो भी नुकसान हुआ है उसका भी जायजा लिया। जानकारी के मुताबिक वह जिले के सबसे अधिक प्रभावित गांव मंगुचक्क भी जाएंगे। साथ ही आज बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण भी किया जा सकता है। इस दौरान वहां गृह मंत्री के साथ उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी मौजूद रहे। इसके अलावा, अमित शाह राजभवन में 2 अलग-अलग बैठकों की अध्यक्षता भी कएने वाले हैं। इन बैठक में बाढ़ राहत कार्यों पर और साथ ही बाढ़ से सीमा सुरक्षा में आई बाधाओं के मुद्दे पर भी बात होगी। जानकारी के अनुसार 14 अगस्त से अब तक किश्तवाड़, कठुआ, रियासी और रामबन जिलों में बादल फटने, भूस्खलन तथा अचानक आई बाढ़ कि वजह से करीब 130 लोगों की मौत हो हुई है, वहीं 33 लोग लापता हैं। आपको बता दें कि 26 और 27 अगस्त को रिकॉर्ड बारिश हुई। इससे जम्मू और अन्य मैदानी क्षेत्रों में भारी बाढ़ आ गई। इस वजह से यहां बुनियादी ढांचे को बहुत नुकसान हुआ है। मृतकों में 34 श्रद्धालु भी शामिल थे, जो 26 अगस्त को माता वैष्णो देवी कि यात्रा पर थे और इस दौरान वे भूस्खलन की चपेट में आ गए। 14 अगस्त को चिशोती में बादल फटने से 65 लोगों की मौत, 100 से ज्यादा घायल, जबकि 32 लोग लापता हो गए थे। इन मृतकों में अधिकांश मचैल माता की यात्रा पर जा रहे श्रद्धालु थे। शाह का यह दूसरा दौरा शाह का पिछले तीन महीनों में जम्मू का यह दूसरा दौरा है। पिछलेवार 29 मई को वे यहां तब पहुंचे थे जब भारत की सेना ने 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में सीमा पार आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए थे। आपको बता दें कि 24 अगस्त को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी जम्मू कि यात्रा की थी। वे किश्तवाड़ जिले के चिसोटी गांव में बादल फटने के बाद यहां की स्थिति का निरिक्षण करने पहुंचे थे पर खराब मौसम और पडर उपखंड में भूस्खलन होने कि वजह से वे गांव तक पहुंच नहीं पाए थे।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के द्वारा शुरू की गई वोटर अधिकार यात्रा का आज अंतिम दिन है। आज बिहार की राजधानी पटना में इसका समापन होने जा रहा है। इस वोटर अधिकार यात्रा की शुरुआत 17 अगस्त से बिहार में SIR और कथित वोट चोरी के खिलाफ की गई थी। इस यात्रा में महागठबंधन भी अपना समर्थन देने शामिल हुए। 30 अगस्त को आरा में इस यात्रा का अंतिम पड़ाव पूर्ण हुआ था। आपको बता दें कि इसके समापन के लिए पटना में आज पदयात्रा की जाएगी जो गांधी मैदान से शुरू होेकर पटना हाईकोर्ट के समीप अंबेडकर मूर्ति तक की जाएगी। गठबंधन के नेता गांधी मैदान स्थित महात्मा गांधी की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित कर दोपहर करीब 12:30 बजे के बाद जनसभा करेंगें। राहुल गांधी ने इस यात्रा को 'गांधी से अंबेडकर' तक नाम दिया है। बिहार में पहली बार कांग्रेस के नेतृत्व में नेशनल लेवल पर बने गठबंधन- इंडिया में इतना जोश देखा जा रहा है। वोटर अधिकार यात्रा के समापन पर पूरा विपक्ष पटना पहुंच रहे हैं वोटर अधिकार यात्रा के समापन के दिन पटना में गठबंधन- इंडिया की ताकत दिखाने के लिए देशभर से तमाम बड़े नेताओं को बुलाया गया है। इस यात्रा के समापन के दिन राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, लालू यादव, दीपांकर भट्टाचार्य, मुकेश सहनी, हेमंत सोरेन, अशोक गहलोत, संजय राउत और सुप्रिया सुले सहित तमाम बड़े नेता शामिल होने जा रहे हैं। पुरे पटना में इंडिया गठबंधन के तमाम नेताओं के बैनर और पोस्टरों लगाए गए हैं। कांग्रेस ने कहा बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव इस यात्रा में पहले दिन से ही राहुल गांधी के साथ खड़े दिख रहे हैं। कांग्रेस ने कहा कि वोटर अधिकार यात्रा एक जन क्रांति बन चुकी है। इस यात्रा से बिहार को अपने अधिकारों के लिए लड़ने का हौसला मिला है और 'वोट चोरी' के खिलाफ खुली लड़ाई की शुरुआत की। कांग्रेस का कहना है कि इस यात्रा को जनता का पूरा समर्थन मिला। इसका उद्देश्य मतदाताओं को उनके मताधिकारों के प्रति जागरूक करना था। उनका मानना है कि इसमें कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से सफल रही। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने 'मतदाता अधिकार यात्रा' को लेकर कहा कि यह मामला सिर्फ बिहार तक ही सीमित नहीं, बल्कि पुरे देश के मतदाता के मताधिकार से जुड़ा है। उन्होंने NDA पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि पिछले 10 वर्षों से उन चुनावों में भी जहां कांग्रेस की जीत के आसार होते हैं, वहां वोट चोरी कर सत्ता हासिल कर ली जा रही है। इस यात्रा में शामिल माले नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि आज यात्रा का समापन जरूर है, पर मतदाताओं के अधिकार के लिए हमारी लड़ाई जो है वो जारी रहेगी। भाजपा ने कहा भाजपा सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने कांग्रेस की 'मतदाता अधिकार यात्रा' को सिर्फ राजनीति करना बताया है। चुनाव आयोग विपक्ष के एक-एक सवाल पर जवाब दे रहा है। उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधा और सवाल किया कि क्या रोहिंग्या या विदेशी घुसपैठिए भी वोटर लिस्ट में शामिल होंगे? साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को पूरे देश की वोटर लिस्ट की जांच करनी चाहिए ताकि ऐसी गड़बड़ियों को ख़त्म किया जा सके। छत्तीसगढ़ भाजपा अध्यक्ष किरण सिंह देव ने कहा कि देश की जनता बहुत समझदार है और इन यात्राओं से उनपर कोई असर नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि एक सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी माता के लिए अपशब्द बोलने वाले कांग्रेस को लगता है कि जनता इससे प्रशन्न होगी, पर आमजनता ऐसे व्यवहारों को पसंद नहीं करती।
पीएम नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शामिल होने चीन के तिआनजिन पहुँचें हैं। इस SCO शिखर सम्मेलन से पहले ही आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई और यह लगभग 1 घंटे चली। प्रधानमंत्री मोदी शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन में रहेंगें। आपको बता दें कि नरेंद्र मोदी का यह चीन यात्रा 7 साल बाद हो रहा है। साथ ही मोदी की शी जिनपिंग से पिछली मुलाकात ब्रिक्स 2024 सम्मेलन रूस (कजान) में हुई थी। 2020 की गलवान झड़प के बाद पहली बार दोनों देशों ने सीमा और व्यापार से जुड़े मामलों पर सहमति बनाई है। ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि आर्थिक दबाव और वैश्विक हालात ने दोनों को साथ आने पर मजबूर किया है। इस बैठक में मोदी ने सीमा पर शांति और स्थिरता, आपसी सहयोग और संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी अपनी 4 दिवसीय यात्रा पर चीन पहुँचे हैं। पुतिन सर्वप्रथम चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच तिआनजिन में चल रही बातचीत अब ख़त्म हो गई है। इस मुलाकात में शी जिनपिंग ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी से दोबारा मिलकर बहुत खुशी हुई। आपको बता दें कि इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के साथ NSA अजीत डोभाल, विदेश सचिव विक्रम मिस्री, चीन में भारत के राजदूत प्रदीप रावत, जॉइंट सेक्रेटरी (ईस्ट एशिया) गौरांग लाल दास और पीएमओ से अतिरिक्त सचिव दीपक मित्तल उपस्थित थे। वहीं, शी जिनपिंग के साथ विदेश मंत्री वांग यी, प्रधानमंत्री ली कियांग, डायरेक्टर जनरल ऑफिस कैई ची और भारत में चीन के राजदूत शू फेहोंग भी उपस्थित रहे। शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक में पीएम मोदी ने कहा इस बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि "सीमा प्रबंधन को लेकर हमारे विशेष प्रतिनिधियों के बीच समझौता हो गया है। कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू की गई है। दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें भी बहाल हो रही हैं। हमारे सहयोग से दोनों देशों के 2.8 अरब लोगों के हित जुड़े हैं। इससे पूरी मानवता के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त होगा। हम आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" जिनपिंग ने कहा -ड्रैगन और हाथी साथ आने की जरूरत शी जिनपिंग ने कहा, "इस साल चीन-भारत राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ है। उन्होंने कहा कि, 'दुनिया परिवर्तन की ओर बढ़ रही है। चीन और भारत दो सबसे प्राचीन सभ्यताएं हैं। हम दुनिया की सबसे अधिक जनसंख्या वाले दो देश हैं और ग्लोबल साउथ का हिस्सा भी हैं। ऐसे में हमारा मित्र होना, अच्छे पड़ोसी बनना और ड्रैगन व हाथी का एक साथ आना बेहद जरूरी है।' दोनों देशों के लिए यह जरुरी है कि हम अच्छे पड़ोसी बनें, साझेदार बनें जो एक-दूसरे की सफलता में मददगार हों और ड्रैगन और हाथी एक साथ आएं। इन मुद्दों पर सहमति 5 साल बाद भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानें शुरू हुई हैं। भारत-चीन के बीच सीमा प्रबंधन पर सहमति बनी है। चीन ने भारत को रेयर अर्थ मिनरल्स बेचने तथा खाद-मशीनरी सप्लाई करने का आश्वाशन दिया है। साथ ही नाथु ला दर्रे से बॉर्डर ट्रेड फिर से शुरू करने के लिए भी चर्चा हुई। चीन ने भारत के श्रद्धालुओं को कैलाश मानसरोवर जाने की स्वीकृति दे दी है। पत्रकारों और पर्यटकों के लिए वीजा नियम को भी पहले से आसान किए गए हैं। SCO और BRICS संगठनों में भारत और चीन दोनों देश मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर का समर्थन दे रहे हैं। चीन के साथ द्विपक्षीय बैठक खास क्यों लेकिन मोदी-शी की इस मुलाकात को खास मानी जा रही है और वह इसलिए क्योंकि गलवान में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद मोदी का यह पहला चीन यात्रा है। साथ ही हाल के दिनों में ट्रंप का भारत पर 50 % टैरिफ लगाने की वजह से अमेरिका और भारत के रिश्तों में तनाव आया है और इस समस्या से निपटने के लिए नए रास्ते तलाशे जा रहे हैं। भारत और चीन दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें शुरू हुईं, बॉर्डर ट्रेड पर बातचीत हुई और साथ ही कैलाश मानसरोवर यात्रा भी शुरू हुई। पूरी दुनिया कि नज़र इस समिट पर आपको बता दें कि गलवान में हुई झड़प के बाद मोदी का यह पहला चीन यात्रा है। ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, प्रधान मंत्री मोदी की यह यात्रा भारत और चीन के बीच तनाव को कम करने और द्विपक्षीय बातचीत को बढ़ावा देने के लिए बड़ा अवसर साबित हो सकता है। ट्रम्प ने SCO देशों पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाया है और ऐसे संकट के समय में यह उन देशों के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है जो ट्रम्प के इस टैरिफ दबाव के खिलाफ एक साथ साझा मंच पर खड़े होने में जुटे हैं। इस समिट के जरिये ये SCO देश अमेरिका के नेतृत्व वाले ग्लोबल ऑर्डर का विकल्प के रूप में ऑप्शनल पावर बनने की कोशिश है। इस बार के समिट में केवल SCO सदस्य ही नहीं, बल्कि ऑब्जर्वर और पार्टनर देशों सहित 20 से ज्यादा देशों के नेता शामिल हो रहे हैं। इस सम्मलेन के जरिये यह भी संदेश देने की कोशिश होगी की जाएगी कि जो अमेरिकी की कोशिशें हैं-चीन, रूस, ईरान और अब भारत को अलग-थलग करने की, वो व्यर्थ रही हैं।
बिहार में कांग्रेस और राजद की संयुक्त रैली में प्रधान मंत्री मोदी और उनकी मां के लिए कथित तौर पर अपशब्दों का उपयोग किए जाने पर शुक्रवार को पटना में एक बड़ा हंगामा हो गया। आपको बता दें कि मोदी और उनकी मां के लिए आपत्तिजनक भाषा के विरोध में बीजेपी कार्यकर्ता पटना में कांग्रेस कार्यालय का घेराव कर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। तब कांग्रेस कार्यकर्ता उनसे आकर भिड़ गए। इस दौरान बीजेपी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच लाठियां डंडे चलने लगे और जल्द ही यह हिंसक झड़प में परिवर्तित हो गया। इस झड़प में दोनों पक्षों के कई कार्यकर्ताओं को चोटें आई हैं। बीजेपी का आरोप बीजेपी ने आरोप लगाया कि प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पथराव किया, लाठियां चलाईं और ईंट-पत्थर फेंकें। BJP ने कहा कि PM का अपमान किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कांग्रेस का आरोप कांग्रेस ने इस झड़प लिए बीजेपी को जिम्मेदार बताया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पार्टी ऑफिस में तोड़फोड़ करने की कोशिश की और साथ ही उन्होंने लाठियां चलाईं व ईंट-पत्थर भी फेंके। मौके पर पुलिस ने संभाला मोर्चा इस झड़प के बाद सूचना मिलने पर मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात कर दिया गया । मौके पर वाटर कैनन की गाड़ी भी मंगवाई गई है। पुलिस अधिकारियों ने बताया है कि इस मामले की जांच चल रही है और जल्द ही मामला को दर्ज कर लिया जाएगा। फिर से हिंसा न हो इसके लिए पुलिस ने कार्यालय के बाहर सुरक्षा को बढ़ा दी है ।
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत चुनाव आयोग (ECI) ने प्रदेश के करीब 3 लाख मतदाताओं को नोटिस भेजा है। जानकारी के अनुसार इन लोगों पर ‘संदिग्ध नागरिक’ होने की आशंका जताई जा रही है। आपको बता दें कि सबसे ज्यादा नोटिस सीमा से लगे जिलों में दिए गए हैं जिनमें किशनगंज, पूर्णिया, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, अररिया, सहरसा, सुपौल और मधुबनी शामिल हैं। ये नेपाल और बंगाल से सटे वो क्षेत्र हैं जहां नागरिकता और मतदाता सूची से जुड़े मुद्दे अक्सर उठते रहते हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूचि को संशोधित करने के लिए SIR शुरू किया गया। आपको बता दें कि बिहार में SIR की प्रक्रिया 24 जून 2025 से शुरू की गई थी। देश में मतदाता सूची की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर SIR प्रक्रिया होती रहती है । यह प्रक्रिया ECI द्वारा करवायी जाती है। इसके तहत मतदाता सूची में अगर कोई त्रुटि रहती है तो उसे ठीक किया जाता है। योग्य नागरिकों को मतदाता लिस्ट में शामिल किया जाता है और जो योग्य नहीं होते हैं उन्हें मतदाता सूची से हटा दिया जाता है। क्यों भेजा गया नोटिस? SIR ( स्पेशल इंटेंसिव रिविजन) के तहत मतदाता सूची की जांच कि जा रही है जिसमें मतदाता से पहचान और नागरिकता से जुड़े कागजात मांगे जा रहे हैं। ECI के मुताबिक, जिन भी लोगों के डॉक्युमेंट पूरे नहीं हैं या डॉक्यूमेंट्स में गड़बड़ी है, उन्हें संदिग्ध मानकर नोटिस दिया गया है। नोटिस में लिखा हुआ है कि कुछ लोगों के दस्तावेजों में गड़बड़ियां हैं जिससे इस विधानसभा क्षेत्र में उनके मतदाता के रूप में होने पर संदेह होता है। हालांकि ECI ने स्पष्ट कर दिया है कि बिना सवाल-जवाब के किसी भी वोटर का नाम सूचि से नहीं हटाया जाएगा। बिहार में SIR क्यों किया जा रहा बिहार चुनाव से पहले ECI ने SIR प्रक्रिया को बहुत ही जरूरी माना है। इसके पीछे चुनाव आयोग की दलीलें यह है कि इस राज्य के कुछ जिलें जो सीमा से सटे हैं, वहां दूसरे देश के बहुत से लोग अवैध रूप से रह रहे हैं और वे चुनाव में मतदाता के रूप में शामिल भी होते हैं। इसीलिए इस SIR प्रक्रिया से मतदाता लिस्ट से उन अवैध प्रवासियों को अलग कर दिया जाएगा।
पीएम मोदी 2 दिवसीय दौरे पर जापान पहुंचे हैं। वे 29 और 30 अगस्त को जापान में रहेंगे। प्रधानमंत्री के रूप यह मोदी की 8वीं जापान यात्रा है। जापान में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों ने पारंपरिक तरीके से गर्मजोशी से नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। इस बीच वे प्रवासी भारतीयों से भी मिले। वहां के स्थानीय लोगों ने उनके स्वागत में गायत्री मंत्र का उच्चारण किया और सांस्कृतिक कार्यक्रम की झलकियां भी पेश कीं। पीएम नरेंद्र मोदी जापानी प्रधानमंत्री इशिबा से मिलेंगें और इस मीटिंग में व्यापार, निवेश, तकनीक, रक्षा सहयोग और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर चर्चा करेंगे। दोनों देशों के बीच रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को और मजबूत करने पर चर्चा की जाएगी । इस बार पीएम मोदी जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के निमंत्रण पर जापान गए हैं। इस दौरे पर दोनों नेता आपस में विस्तार से चर्चा, कामों की समीक्षा और भविष्य के लिए नए कदमों पर बातचीत करेंगे। भारत पर ट्रम्प के 50% टैरिफ लगाने के बाद पीएम मोदी की यह यात्रा भारत की रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को मजबूत बनाने के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जापान में किसी सालाना समिट के लिए पिछले बार मोदी 2018 में गए थे । जापान में मोदी बोले आपको बता दें कि वे टोक्यो में भारत-जापान की संयुक्त आर्थिक मंच की बैठक को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने भाषण की शुरुआत में निवेश के लिए भारत को सबसे बेहतर कहा। पीएम मोदी ने कहा कि, " आज भारत में राजनैतिक और आर्थिक स्थिरता है, पॉलिसी में पारदर्शिता है। बहुत जल्द विश्व की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने जा रहा है। इस बदलाव के पीछे हमारी रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म की अप्रोच है।" क्यों है PM मोदी के दौरे पर पूरी दुनिया की नजर 100 से अधिक MOU's पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग के दायरे को और बढ़ाने लिए नया फ्रेमवर्क तैयार करने पर बातचीत हो सकती है। सेमीकंडक्टर, कम्युनिकेशन, क्लीन एनर्जी और मेडिसिन की सप्लाई पर बातचीत संभव। दोनों देश कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसी नई तकनीकों में सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने का भी मौका मिलेगा। पीएम मोदी 30 अगस्त को जापान के मियागी में उस कारखाने का भी दौरा करेंगे, जहां बुलेट ट्रेन के कोच तैयार किया जाता है। मोदी यहां 15वें भारत-जापान वार्षिक समिट में हिस्सा लेंगे।
बिहार में महागठबंधन द्वारा वोटर अधिकार यात्रा निकाली जा रही है और आज इस यात्रा को 12 दिन हो चुके हैं। राहुल गांधी ने तेजस्वी यादव और पप्पू यादव संग आज सुबह सुबह सीतामढ़ी के जानकी मंदिर पहुंचकर माता सीता की पूजा की। उनकी जानकी मंदिर में दर्शन की इच्छा इससे पहले ही थी लेकिन प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से तब अनुमति नहीं दी थी। बाद में रूट तय हो जाने पर दर्शन की अनुमति दे दी गई। प्रियंका गांधी भी इस मंदिर में दर्शन करना चाहती थीं पर रूट तय न होने की वजह से वे दिल्ली वापस लौट चुकी हैं। जानकी मंदिर में दर्शन और पूजा करने के बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि वोटर अधिकार यात्रा को लोग शानदार समर्थन दे रहे हैं। उन्होंने कहा की यह एक ऐतिहासिक यात्रा है। उन्होंने कामना किया की कि बिहार का विकास हो। उन्होंने कहा कि मां बिहार को लूटने वालों को सबक सिखाएंगी। बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने कहा, “माता रानी की कृपा सभी पर बनी रहे। हम यहां लोककल्याण मांगने आए हैं। देश और बिहार राज्य की तरक्की हो”। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, "आने वाले दिनों में हम आपको बिना किसी संदेह के साबित कर देंगे कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह और मुख्य चुनाव आयुक्त वोट चुरा रहे हैं। हम आपको अगले छह महीनों में बताएंगे कि उन्होंने लोकसभा और विधानसभा में चोरी का एक मॉडल विकसित किया है, जिसे उन्होंने गुजरात मॉडल का नाम दिया है। बिहार के युवा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिखाएंगे कि कैसे 'वोट चोरी' को खत्म किया जाएगा।" वोटर अधिकार यात्रा 17 अगस्त को सासाराम से आरम्भ हुआ था। इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव सहित महागठबंधन के दूसरे नेता भी साथ हैं। बुधवार को राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा मुजफ्फरपुर से सीतामढ़ी पहुंची। बिहार की सियासी जंग को जितने के लिए हर पार्टी जोर शोर से कोशिश में लगी है। ऐसे में मां सीता के जन्म स्थान सीतामढ़ी इन दिनों राजनीतिक चर्चा का केंद्र बना हुआ है। जहां हिन्दुओं को साधने के लिए जहां अमित शाह और नीतीश कुमार ने पुनौरा धाम में मां सीता मंदिर की आधारशिला रखी थी, वहीं 'वोट अधिकार यात्रा' जब सीतामढ़ी पहुंची तो राहुल गांधी और तेजस्वी यादव इस मंदिर में माथा टेका है। इस तरह यह कयास लगाए जा रहे हैं कि हर नेता मां सीता के हवाले से अपनी अपनी सियासी समीकरण साधने में लगा हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से यह ऐलान किया था कि देश में GST को और सरल और बेहतर बनाया जायेगा जिसके लिए इसमें बड़े सुधार किए जाएंगे। इसी कड़ी में सरकार अब GST की नई दरों को लागू करने की तैयारी में जुटी है। सरकार का इरादा है कि कपड़े और खाने-पीने की चीजों के लिए GST 5% स्लैब में लाया जाय। 12% और 28% स्लैब समाप्त करने की तैयारी आपको बता दें कि दिल्ली में 20 और 21 अगस्त को हुई मंत्रियों की एक बैठक में केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गयी है। इसके तहत 12% और 28% वाले स्लैब समाप्त कर दिए जाएंगे। GST को अब 5% और 18% की दो दरों में लाने की योजना है। कपड़ा, फूड और सीमेंट पर राहत कपड़े और फूड को 5% स्लैब में लाने की तयारी की जा रही है। वहीं सीमेंट पर GST 28% से घटाकर 18% करने का प्रस्ताव है। कुछ सामान्य सेवाओं की दरें भी 18% से कम करके 5% होने की उम्मीद है। अभी कितना GST? बिना ब्रांड वाली मिठाइयों पर 5%, वहीं ब्रांडेड और पैकेज्ड मिठाइयों पर 18% टैक्स है। जबकि 1000 रुपये तक के कपड़ों पर 5% और 1000 रुपये से ज्यादा के कपड़ों पर 12% GST है। कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पर 18% GST है। सितंबर के शुरू में फैसला GST में सुधार का अंतिम फैसला 3-4 सितंबर 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में होने वाली GST काउंसिल की बैठक में लिया जा सकता है। इससे पहले 2 सितंबर को दिल्ली में इस पर अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया जाना है। हालांकि, वित्त मंत्रालय के अनुसार, GST में इस सुधार से केंद्र और राज्यों की आय पर बहुत असर पड़ सकता है। GST सचिवालय के अधिकारियों के रिपोर्ट के अनुसार, इस बदलाव से करीब 40,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने की आशंका है। त्योहार से पहले यह तोहफा जानकारी के अनुसार, सरकार चाहती है कि ये GST की नई दरें दशहरा और दिवाली से पहले ही लागू हो। अगर ये लागू होते हैं, तो आम लोगों और व्यवसाय करने वालों के लिए यह एक बड़ा तोहफा होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर यह कहा था कि सरकार का इरादा है कि आम आदमी पर जो टैक्स का बोझ है उसे कम किया जाए।
SSC छात्रों ने फिर एक बार से दिल्ली के रामलीला मैदान में SSC की परीक्षा में गड़बड़ियों के खिलाफ प्रदर्शन किया है। अनुमति का समय समाप्त होने के बाद भी प्रोटेस्टर डटे रहे। दिल्ली पुलिस के अनुसार, प्रदर्शन के लिए सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक की परमिशन थी। पुलिस द्वारा 40 लोगों को हिरासत में लिया गया है। आपको बता दें कि शाम 5 बजे के बाद भी करीब 300 प्रोटेस्टर इस मैदान में प्रोटेस्ट पर बैठे थे। पुलिस ने बार-बार प्रदर्शनकारियों से अपील की कि प्रोटेस्ट करने की समय सीमा ख़त्म हो गई है और वे मैदान छोड़ दें। उन्हें यह भी जानकारी दी गई कि सेक्शन 163 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) लागू है और निर्धारित समय के बाद कोई भी जमावड़ा गैरकानूनी होगा। लेकिन पुलिस के समझाने के बाद भी 100 प्रदर्शनकारी हटने को तैयार नहीं हुए। इसकी वजह करीब 40 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया। जानकारी के अनुसार, पुलिस की प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प भी हुई, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी और प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं। वहीं पुलिस के अनुसार, उन्होंने प्रदर्शनकारीयों पर कोई लाठीचार्ज नहीं की। निर्धारित समय के बाद जमावड़ा गैरकानूनी DCP (सेंट्रल) निधिन वल्सन ने कहा कि SSC परीक्षा से संबंधित मामलों पर बीते रविवार को रामलीला मैदान पर प्रोटेस्ट हुआ था। लगभग 1500 SSC अभ्यर्थियों ने इसमें भाग लिया था। सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक प्रोटेस्ट करने की अनुमति थी। निर्धारित समय के बाद भी करीब 300 प्रदर्शनकारी वहां बैठे रहे। प्रोटेस्ट करने वालों को यह बताया गया था कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 लागू है, इसीलिए तय समय के बाद कोई सभा या जमावड़ा गैरकानूनी होगा। आपको बता दें कि SSC की परीक्षा कंप्यूटर आधारित परीक्षा (CBT) के माध्यम से हुई थी। लेकिन अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा में प्रशासनिक खामियों, तकनीकी गड़बड़ियों और परीक्षा केंद्रों की खराब स्थिति को लेकर सवाल उठाए। कैंडिडेट्स ने इस बात से भी अपनी नाराजगी जताई कि छात्रों का जो एग्जाम सेंटर है वो काफी दूर दिया गया है। इसकी वजह से परीक्षा केंद्र पर छात्रों को एक दो दिन पहले ही आना पड़ता है। लेकिन इन परेशानियों के बावजूद जब छात्र वहां पहुंचते हैं तो अंतिम समय पर परीक्षा को रद्द कर दिया जाता है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को CIC (केंद्रीय सूचना आयुक्त) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक की डिग्री की जानकारी पब्लिक करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय की याचिका स्वीकार कर CIC के निर्देश को पलटते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्रेजुएशन डिग्री का विवरण पब्लिक करने की जरुरत नहीं है। अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्रेजुएशन की डिग्री का विवरण सार्वजनिक करने के लिए बाध्य नहीं है। वर्ष 2016 में, CIC ने 1978 में BA का एग्जाम पास करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड की जांच के आदेश दिए थे। ऐसा कहा जाता है कि उस दौरान PM नरेंद्र मोदी ने भी यह एग्जाम पास किया था। उस वक्त दिल्ली विश्वविद्यालय ने CIC के इस निर्देश को चुनौती दी थी, जिस पर रोक लगा दी गई थी। सुनवाई के दौरान, DU की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपने तर्क में कहा कि CIC के आदेश को खारिज कर दिया जाना चाहिए क्योंकि व्यक्ति के 'निजता का अधिकार' 'जानने के अधिकार' से ज़्यादा जरुरी है। दिल्ली विश्वविद्यालय ने तर्क दिया यूनिवर्सिटी ने अपने तर्क में कहा कि वह छात्रों की जानकारी को वह नैतिक दायित्व के अनुसार सुरक्षित रखता है और अगर जो जनहित में नहीं है, 'केवल जिज्ञासा' के आधार पर, RTI कानून के तहत निजी जानकारी मांगने का औचित्य नहीं बनता। यूनिवर्सिटी ने तर्क दिया, "धारा 6 में यह अनिवार्य प्रावधान है कि जानकारी देनी होगी, यही मकसद है, लेकिन आरटीआई अधिनियम किसी की जिज्ञासा को शांत करने के लिए नहीं है." DU कोर्ट के सामने PM मोदी की डिग्री प्रस्तुत करने को तैयार है हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय ने कोर्ट को बताया कि वह PM मोदी के डिग्री रिकॉर्ड कोर्ट के सामने प्रस्तुत करने के लिए तैयार है, पर RTI अधिनियम के तहत 'अजनबियों द्वारा जांच' के लिए उन्हें सार्वजानिक नहीं किया जा सकता है। जस्टिस सचिन दत्ता ने दिल्ली विश्वविद्यालय की अपील स्वीकार कर CIC के आदेश को रद्द कर दिया। विपक्षी दल प्रधानमंत्री मोदी की शैक्षिक डिग्रियों की प्रामाणिकता पर सवाल उठा रहे हैं, जबकि विश्वविद्यालयों ने सार्वजनिक रूप से उनकी वैधता की पुष्टि की है।
बगैर संगठन के ही हरियाणा में कई चुनाव लड़ने और हारने के बाद आखिरकार 11 साल बाद मंगलवार देर रात कांग्रेस ने हरियाणा में 32 जिला अध्यक्षों के नामों की घोषणा की है। पानीपत शहरी के अलावा सभी अन्य 32 संगठनत्मक ज़िलों में अध्यक्षों की नियुक्ति हो गई है। माना जा रहा है की संगठन की शेष नियुक्तियां भी जल्द होगी। इन नियुक्तियों में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का दबदबा रहा है। 32 में से 22 जिला अध्यक्ष हुड्डा गुट के बताए जा रहे हैं, जबकि सात सांसद कुमारी सैलजा, एक रणदीप सुरजेवाला और दो कैप्टन अजय यादव के समर्थक हैं। इस सूचि में सिर्फ दो महिलाएं है। संतोष बेनीवाल को सिरसा और मेवात के शाहिदा खान, जो कि एकमात्र मुस्लिम नेता को कमान दी गई है। जबकि विधानसभा चुनाव लड़ चुके चार नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाया है। हरियाणा में हुई इन नियुक्तियों के बाद अब निगाहें हिमाचल पर टिकी है, जहँ नौ महीने से भी ज्यादा वक्त से राज्य, जिला और ब्लॉक इकाइयां भंग है। इस बीच मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभग सिंह का कार्यकाल भी पूरा हो चूका है और नए अध्यक्ष के एलान का इन्तजार भी जारी है। ये 32 नेता बने, जिला अध्यक्ष कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से सूची के अनुसार, अंबाला कैंट से परविंदर परी, अंबाला सिटी से पवन अग्रवाल, अंबाला ग्रामीण से दुष्यंत चौहान, भिवानी ग्रामीण से अनिरुद्ध चौधरी, भिवानी शहरी से प्रदीप गुलिया, चरखी दादरी से सुशील धनक, फरीदाबाद से बलजीत कौशिक, फतेहाबाद से अरविंद शर्मा, गुरुग्राम ग्रामीण से वर्धन यादव, गुरुग्राम शहरी से पंकज दावर को जिला अध्यक्ष बनाया गया है। इसी तरह, हिसार ग्रामीण से बृज लाल खोवाल, हिसार शहरी से बजरंग दास गर्ग, झज्जर से संजय यादव, जींद से ऋषि पाल, कैथल से रामचंदर गुज्जर, करनाल ग्रामीण से राजेश वैद, करनाल शहरी से पराग गाबा, कुरुक्षेत्र से मेवा सिंह, महेंद्रगढ़ से सत्यवीर यादव, मेवात (नूंह) से शाहिदा खान, पलवल से नेत्रपाल अधाना, पंचकूला से संजय चौहान, पानीपत ग्रामीण से रमेश मलिक, रेवाड़ी ग्रामीण से सुभाष चंद चौवरी, रेवाड़ी शहरी से प्रवीण चौधरी, रोहतक ग्रामीण से बलवान सिंह रंगा, रोहतक शहरी से कुलदीप सिंह, सिरसा से संतोष बेनिवाल, सोनीपत ग्रामीण से संजीव कुमार दहिया, सोनीपत शहरी से कमल देवान, यमुनानगर ग्रामीण से नरपाल सिंह और यमुनानगर शहरी से देवेंद्र सिंह को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मंडी से बीजेपी सांसद कंगना रनौत को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उनके खिलाफ बठिंडा में दर्ज मानहानि केस को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी है। यह मामला 2021 में किसान आंदोलन के दौरान किए गए एक विवादित ट्वीट से जुड़ा है। दरअसल, कंगना ने बठिंडा के गांव बहादुरगढ़ जंडिया की रहने वाली 87 वर्षीय महिला किसान महिंदर कौर को लेकर सोशल मीडिया पर टिप्पणी की थी। ट्वीट में उन्होंने दावा किया था कि महिला को 100-100 रुपए लेकर धरने में बैठाया गया है। इस पर महिंदर कौर ने कंगना के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था। करीब 13 महीने चली सुनवाई के बाद बठिंडा की अदालत ने कंगना को समन जारी कर पेश होने के आदेश दिए थे। इसके खिलाफ कंगना पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचीं थीं, जहां उनकी याचिका अब खारिज कर दी गई है। इस फैसले के बाद उन्हें अब निचली अदालत में पेश होना होगा।
राजनीति की गाड़ी में कोई ब्रेक नहीं होता। कल तक जो कुर्सी पर था, आज इस्तीफा दे चुका है। और अब सबकी नजर इसी पर है कि इस कुर्सी पर अगला कौन होगा? हम बात कर रहे हैं देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद की। उपराष्ट्रपति के पद की। जगदीप धनखड़ ने सेहत का हवाला देकर इस्तीफा दे दिया। अब कुर्सी खाली है और जल्द चुनाव होंगे। जाहिर है कि इस चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपने अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेंगे, लेकिन चूंकि इस वक्त संसद में एनडीए का संख्याबल अधिक है, इसलिए स्वाभाविक रूप से सभी की निगाहें एनडीए के संभावित उम्मीदवारों पर टिकी हैं। सवाल यह है कि एनडीए किसे अपना प्रत्याशी बनाएगा? कोई कह रहा है कि इस पद पर नीतीश कुमार को सेटल कर दिया जाएगा, तो कोई कहता है कि यह पद तो शशि थरूर को मिलना चाहिए। नाम हरिवंश नारायण सिंह का भी आ रहा है और रामनाथ ठाकुर का भी। चर्चा तो जगत प्रकाश नड्डा के नाम की भी खूब है। संभावित नामों की सूची लंबी है और हर नाम के पीछे अपनी राजनीतिक रणनीति और समीकरण छिपे हैं। क्या हैं ये रणनीतियां, क्या हैं ये समीकरण और इस संभावित सूची में किस किस का नाम शामिल है आइए विस्तार से आपको बताते हैं। एनडीए खेमे में सबसे चर्चित नाम है जनता दल (यूनाइटेड) के राज्यसभा सांसद हरिवंश नारायण सिंह का। वे 2020 से राज्यसभा के उपसभापति हैं और फिलहाल नए उपराष्ट्रपति के चुनाव तक राज्यसभा के कार्यवाहक सभापति की भूमिका निभा रहे हैं। 2020 में हुए राज्यसभा उपसभापति चुनाव में हरिवंश ने विपक्षी उम्मीदवार और राजद नेता मनोज झा को हराया था। संसदीय कार्यवाही के संचालन में उनकी दक्षता और साफ छवि उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है। जेडीयू के ही एक और बड़े नेता, रामनाथ ठाकुर, जो पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं, भी उपराष्ट्रपति पद के लिए संभावित नामों में शामिल हैं। ये जेडीयू कोटे से राज्यसभा सांसद हैं और केंद्र सरकार में कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री के रूप में कार्यरत हैं। इनकी छवि ईमानदार नेता की है और ये अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं। इस सामाजिक पृष्ठभूमि के कारण ये भी एक सर्वमान्य और राजनीतिक दृष्टिकोण से रणनीतिक उम्मीदवार हो सकते हैं। हाल ही में जेपी नड्डा के साथ इनकी मुलाकात ने अटकलों को और बल दिया है। यह मुलाकात भले ही बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर हुई हो, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे उपराष्ट्रपति चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। सबसे चौंकाने वाला नाम जो इस रेस में चर्चा में आया है, वह है खुद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का। हालांकि उनका इस पद के लिए उम्मीदवार बनना व्यावहारिक रूप से कठिन माना जा रहा है, क्योंकि उन्हें चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद छोड़ना होगा। फिर भी, एनडीए के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा ने यह सुझाव जरूर दिया है कि नीतीश कुमार को अगली पीढ़ी के लिए रास्ता बनाना चाहिए और इस्तीफा देकर उपराष्ट्रपति बनने का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। एक अन्य संभावित नाम है जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का। वे इस अगस्त में अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा कर लेंगे, जिससे उनकी उम्मीदवारी की संभावना प्रबल हो जाती है। सिन्हा पूर्व सांसद, केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र से भाजपा के पुराने वफादार नेता रहे हैं। जम्मू कश्मीर में उनके प्रशासनिक अनुभव और राजनीतिक संतुलन को देखते हुए, वे एक सशक्त नाम के रूप में देखे जा सकते हैं। भाजपा के भीतर भी दो वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों के नाम चर्चा में हैं, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह। दोनों ही नेता राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण चेहरा हैं और उनके अनुभव, समर्पण और नेतृत्व क्षमताएं उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाती हैं। हालांकि अभी तक भाजपा की ओर से इस पर कोई आधिकारिक संकेत नहीं आया है। विपक्ष खेमे से भी एक चौंकाने वाला नाम सामने आ रहा है, कांग्रेस नेता शशि थरूर। कुछ वर्गों में उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए एक संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि थरूर को यह पद स्वीकार करने के लिए अपनी लोकसभा की सदस्यता छोड़नी होगी। इसके अलावा, कांग्रेस के साथ उनके संबंधों में आई तल्खी इस संभावना को जटिल बना देती है। एक अन्य नाम है बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का। वे पूर्व सांसद रह चुके हैं और अतीत में कांग्रेस और जनता दल दोनों से जुड़े रहे हैं। 1986 में शाह बानो मामले को लेकर उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। राजनीतिक दृष्टिकोण से उनका अनुभव, वैचारिक स्पष्टता और अल्पसंख्यक समुदाय से संबंध उन्हें एक रणनीतिक दावेदार बना सकते हैं। राष्ट्रपति के मामले में संविधान कहता है कि कुर्सी खाली होने पर छह महीने के भीतर चुनाव करा दो, लेकिन उपराष्ट्रपति के लिए कोई तय समयसीमा नहीं है। बस इतना लिखा है कि पद खाली होते ही चुनाव जल्द से जल्द कराया जाए। इसकी पूरी जिम्मेदारी होती है चुनाव आयोग की। जब चुनाव कराने की बारी आती है तो परंपरा के अनुसार संसद के किसी एक सदन, लोकसभा या राज्यसभा, के महासचिव को चुनाव अधिकारी बना दिया जाता है। चुनाव होता है ‘राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952’ के तहत। अब चूंकि जगदीप धनखड़ का इस्तीफा उनके कार्यकाल के बीच में आया है, तो जो नया उपराष्ट्रपति चुना जाएगा, वह पूरे पांच साल के लिए होगा, ना कि सिर्फ बचे हुए समय के लिए। अब आते हैं सबसे अहम हिस्से पर, वोट कौन देता है? तो बता दें कि उपराष्ट्रपति को सिर्फ संसद के सदस्य चुनते हैं। इसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी चुने हुए सांसद शामिल होते हैं। इतना ही नहीं, राज्यसभा और लोकसभा के नामित सदस्य भी वोट करते हैं। लेकिन ध्यान दीजिए, इसमें राज्य विधानसभाओं के विधायक शामिल नहीं होते। जबकि राष्ट्रपति चुनाव में विधायक भी वोट डालते हैं। अब जानते हैं कि वोटिंग होती कैसे है। इसमें 'गुप्त मतदान' होता है यानी किसने किसे वोट दिया, यह बाहर नहीं आता। और तरीका होता है, सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम। मतलब सांसदों को मतपत्र पर उम्मीदवारों की पसंद का क्रम लिखना होता है, पहला नंबर किसे देना है, दूसरा किसे, और आगे किसे। अगर किसी को कुल वैध मतों के आधे से एक ज्यादा वोट मिल जाते हैं, तो वही उपराष्ट्रपति बन जाता है। अगर पहले राउंड में कोई भी उम्मीदवार जरूरी कोटा पार नहीं कर पाता, तो सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है। फिर उसके वोट दूसरी पसंद के हिसाब से बाकी बचे उम्मीदवारों में बांटे जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक चलती है, जब तक कोई उम्मीदवार तय सीमा पार नहीं कर लेता। अब अगर आप सोच रहे हैं कि उपराष्ट्रपति बनने के लिए योग्यता क्या चाहिए, तो सुनिए। सबसे पहले, वह भारत का नागरिक होना चाहिए। उसकी उम्र कम से कम 35 साल होनी चाहिए। वह राज्यसभा के लिए चुनाव लड़ने के काबिल होना चाहिए। उसका नाम किसी भी संसदीय क्षेत्र की वोटर लिस्ट में होना चाहिए। और हां, वह केंद्र या राज्य सरकार के किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए, सिवाय राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल या मंत्री के पद को छोड़कर। तो बात सीधी है, रेस लंबी है, नाम कई हैं, समीकरण पेचीदा हैं। बीजेपी अतीत में ऐसे नाम सामने ला चुकी है जो ऐन वक्त पर सबको चौंका देते हैं। इस बार भी हो सकता है वैसा ही कोई सरप्राइज। लेकिन जब तक चुनाव नहीं हो जाता, चर्चाएं गर्म रहेंगी, नए नाम तैरते रहेंगे और सियासी गलियारे में हलचल बनी रहेगी।
मुख्यमंत्री के बाद अब हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री भी दिल्ली दरबार में हाजिरी भर चुके हैं। मसला प्रदेश कांग्रेस संगठन में ताजपोशी का है। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों अपने करीबियों को संगठन में समायोजित करवाने की कोशिशों में जुटे हैं। दोनों नेता कांग्रेस हाईकमान के सामने एक ही कहानी अपने-अपने नजरिए से पेश कर रहे हैं। बीती शाम मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सांसद प्रियंका गांधी और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की थी। आज उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने दिल्ली पहुंचकर हिमाचल कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल से मुलाकात की। खबर यह है कि पिछले आठ महीनों से निष्क्रिय पड़े हिमाचल प्रदेश कांग्रेस संगठन को लेकर अब हाईकमान सक्रिय हो गया है। प्रदेश, जिला और ब्लॉक स्तर की सभी कार्यकारिणियां नवंबर से भंग पड़ी थीं। अब इन सभी स्तरों पर नए सिरे से संगठन तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो रही है और जल्द बदलाव की संभावना जताई जा रही है। हाईकमान की मंशा है कि नए चेहरों को जिम्मेदारी दी जाए और पार्टी को मैदान में फिर से मजबूती से उतारा जाए। हालांकि नेतृत्व को लेकर अब भी आम सहमति नहीं बन पाई है। एक ओर पार्टी का एक धड़ा मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को हटाने की मांग कर रहा है, वहीं हॉली लॉज खेमे की कोशिश है कि प्रतिभा सिंह की अध्यक्षीय पारी जारी रहे। यह फैसला अब पूरी तरह से हाईकमान के हाथ में है कि प्रतिभा सिंह को बनाए रखा जाएगा या किसी नए चेहरे को कमान सौंपी जाएगी। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस नेतृत्व अनुसूचित जाति कार्ड खेलने के विकल्प पर भी विचार कर रहा है। इस वर्ग से अध्यक्ष पद के लिए विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार, विधायक विनोद सुल्तानपुरी और सुरेश कुमार के नाम चर्चा में हैं। वहीं सामान्य वर्ग से कुलदीप राठौर, मंत्री अनिरुद्ध सिंह और विधायक संजय अवस्थी के नामों पर भी विचार किया जा रहा है। अब देखना यह है कि कांग्रेस हाईकमान हिमाचल संगठन की कमान किसे सौंपता है और क्या पार्टी अंदरूनी खींचतान से उबरकर जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ फिर से बना पाती है।
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुमित्रा महाजन, कलराज मिश्र ....ये भाजपा के कुछ ऐसे चेहरे है जो 75 पार हुए तो चाहते न चाहते सक्रीय राजनीति से भी बाहर हो गए। साल 2019 का लोकसभा चुनाव था। भाजपा ने एक फैसला लिया। फैसला ये था कि जो भी नेता 75 की आयु का आकड़ा पार कर चुके है उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा। मसलन इन नेताओं को भी टिकट नहीं मिला। समय आगे बढ़ा और अब इस बात को लगभग 7 साल हो गए। ख़ास बात ये है कि 7 साल बाद इस साल, यानी 2025 के सितम्बर में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 75 के आकड़े तक पहुँच जाएंगे, जो नियम बाकी नेताओं पर लागू हुए वो उनपर लागू होंगे या नहीं, सवाल बस यही है। दरअसल देश में इन दिनों प्रधानमंत्री की रिटायरमेंट एज को लेकर फिर से बहस शुरू हो गई है। बहस का कारण है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का हाल ही में आया एक बयान, जिसने देश कि सियासत में हलचल तेज़ कर दी। मोहन भागवत कहते हैं, "75 वर्ष की शॉल जब ओढ़ी जाती है तो इसका अर्थ होता है आपका समय अब हो गया ... बाजू हटो ... दूसरों को करने दो। भागवत हाल ही में रामजन्मभूमि आंदोलन के प्रेरक दिवंगत मोरोपंत पिंगले पर लिखी पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुए थे जहाँ उन्होंने ये बात कही। भागवत का ये बयान आया और मानों विपक्ष में नई ऊर्जा का प्रवाह कर गया। बयान आते ही विपक्ष ने इसे प्रधानमंत्री की आयु पर संघ प्रमुख का तंज समझना शुरू कर दिया। इसे प्रधानमंत्री की नज़दीक आती रिटायरमेंट एज पर एक व्यंग्य बताया गया। इस वाक्य पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने X पर एक पोस्ट में कहा, 'बेचारे पुरस्कार जीवी प्रधानमंत्री! यह कैसी घर वापसी है। लौटते ही सरसंघचालक ने उन्हें याद दिलाया कि 17 सितंबर, 2025 को वे 75 साल के हो जाएंगे।' जयराम रमेश ने आगे लिखा, 'प्रधानमंत्री भी सरसंघचालक से कह सकते हैं कि वे भी 11 सितंबर, 2025 को 75 साल के हो जाएंगे! एक तीर, दो निशाने!' शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह एक साफ संदेश है और बीजेपी और आरएसएस के बीच जो कुछ भी चल रहा है, वह उनके बयान से साफ नजर आ रहा है। हालांकि, विपक्ष के आक्रामक होते ही आरएसएस भी डिफेंसिव मोड पर आ गया। संघ ने कहा कि सरसंघचालक मोहन भागवत का बयान संघ विचारक मोरोपंत पिंगले के 75वें जन्मदिन पर दिए गए उनके भाषण का संदर्भ था, लेकिन कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना (UBT) इसका अधूरा मतलब निकालकर राजनीतिक खिचड़ी पका रही है। भले ही संघ प्रमुख का बयान पीएम को लक्षित था या नहीं, लेकिन सवाल अब ज़ेहन में बस चुका है .... क्या 75 की उम्र में 'बाजू हटने' की बारी अब प्रधानमंत्री की है? अब सबकी नजर इस बात पर है कि जब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 वर्ष के हो जाएंगे, तो क्या वही नियम उन पर भी लागू होंगे? या भाजपा इस पर कोई “अपवाद का सिद्धांत” गढ़ेगी? क्या पार्टी उस नीति से पीछे हटेगी जिसे उसने खुद गढ़ा है? बता दें, भाजपा के भीतर एक निश्चित उम्र तक पद पर बने रहने को लेकर कोई आधिकारिक नियम नहीं है। हालांकि, कुछ स्तरों पर उम्र सीमाएं लागू की गई हैं। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ भाजपा ने मंडल अध्यक्ष पद के लिए 35 से 45 साल और जिला अध्यक्ष पद के लिए 45 से 60 साल की उम्र सीमा निर्धारित की है। वहीं भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में 75 साल से अधिक उम्र के कई वरिष्ठ नेताओं को टिकट नहीं देने के बारे तो हम आपको बता ही चुके है। आपको ये भी याद दिला दें कि भाजपा ने 75 साल की उम्र पर कई नेता रिटायर किए है। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा में 75 साल की उम्र से ज्यादा के नेताओं को रिटायर करने का ट्रेंड शुरू हुआ था । पहली बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट में इससे कम उम्र के नेताओं को ही जगह दी थी। लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को मार्गदर्शक मंडल में शामिल किया गया। 2016 में जब गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने इस्तीफा दिया तो उस समय उनकी उम्र भी 75 साल थी। उसी साल नजमा हेपतुल्लाह ने भी मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दिया, जिनकी उम्र 76 साल थी। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले तब के भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा- 75 साल से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को टिकट नहीं दिया गया है। यह पार्टी का फैसला है। उस चुनाव में सुमित्रा महाजन और हुकुमदेव नारायण यादव जैसे नेताओं को टिकट नहीं दिया गया। इसी तरह 2024 लोकसभा चुनाव में राजेंद्र अग्रवाल, संतोष गंगवार, सत्यदेव पचौरी, रीता बहुगुणा जोशी का टिकट 75 साल से ज्यादा उम्र की वजह से काट दिया गया। अब प्रधानमन्त्री के मसले पर भाजपा क्या करती है ये देखना दिलचस्प होगा।
बेटा, पिता के कहने से बाहर या ‘गुड कॉप बैड कॉप’ गेमप्लान? चंद्र कुमार बोले: "बेटा नौजवान है, उसकी पोस्ट्स को ज़्यादा सीरियसली न लें" कल खबर आई कि सुक्खू सरकार पर 'चंद्र ग्रहण' लग सकता है, आज मालूम हुआ सियासी आसमान बिल्कुल साफ है ! चौधरी चंद्र कुमार और नीरज भारती, हिमाचल की सियासत में बाप बेटे की ये जोड़ी अक्सर सुर्खियों में रहती है। बीती रात नीरज भारती ऐलान करते हैं कि उनके पिताजी कल मंत्री पद से इस्तीफ़ा देंगे, हालांकि बाद में आश्वासन मिलने का ऐलान भी कर देते हैं। सवाल उठे, बवाल मचा और आज खुद मंत्री चौधरी चंद्र कुमार मीडिया से मुखातिब हुए, डैमेज कंट्रोल किया गया और चौधरी साहब ने कहा कि "बेटा नौजवान है, आवेश में आकर बातें कह देता है.. उसकी पोस्ट्स को ज़्यादा सीरियसली न लें।" अब यहां थोड़ी असमंजस है। जनता और पार्टीजन सब कंफ्यूज हैं, सवाल उठना लाजमी है कि यह असली नाराज़गी है या कोई स्क्रिप्टेड सियासी प्लॉट ? क्या वाकई बाप बेटे के बीच संवाद की कमी है ? क्या वाकई बेटा पिता के कहने से बाहर है, या फिर ये सब एक सोची समझी 'प्रेशर पॉलिटिक्स' है? कुछ सियासी पंडितों को तो यह ‘गुड कॉप बैड कॉप’ का गेमप्लान लगता है, जहां एक नेता सरकार की नब्ज़ पर उंगली रखता रहता है और दूसरा सब बढ़िया है कहकर माहौल लाइट कर देता है। खैर जो भी है, ये तो ये दोनों बेहतर जानते हैं, लेकिन जो बात जहां तक पहुंचनी चाहिए, पहुंच ही जाती है। खैर, मौजूदा प्रकरण में क्या हुआ, अब आपको वो बताते हैं। रविवार शाम, पूर्व सीपीएस नीरज भारती ने फेसबुक पर ताबड़तोड़ पोस्टों की बौछार कर दी। पहली पोस्ट में उन्होंने लिखा: "कल चौधरी चंद्र कुमार इस्तीफ़ा देंगे। अगर काम दलालों के होंगे तो फिर मंत्री रहकर क्या फ़ायदा?" इसके कुछ घंटे बाद उन्होंने दूसरा पोस्ट किया: "फिलहाल चौधरी साहब को आश्वासन मिल गया है। कल मुख्यमंत्री से बातचीत होगी, फिर देखा जाएगा।" नीरज भारती यहीं नहीं रुके। अगली पोस्ट में उन्होंने तीखे लहजे में सवाल उठाया: "वो कहते हैं कि मैंने अपने पिता से कह दिया है कि भाजपाइयों के ही काम होने हैं तो आप इस्तीफ़ा दे दो मंत्री पद से, विधायक बेशक बने रहो। या फिर अपने विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं से पूछ लो कि विधायक भी रहना है या नहीं। अगर हमारी ही सरकार में कुछ दलाल पैसे लेकर भाजपाइयों के काम करवा रहे हैं और आप चुप हैं... तो इस्तीफ़ा देना ही बेहतर है।" इन पोस्ट्स ने राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया, लेकिन खुद चौधरी चंद्र कुमार ने सभी अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा: "इस्तीफ़ा देने की कोई नौबत नहीं है। मामला केवल कुछ ट्रांसफरों को लेकर था, जिन्हें मैं व्यक्तिगत रूप से करने से परहेज़ करता हूं।" उन्होंने नीरज की पोस्ट्स पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा: "वो नौजवान हैं, कुछ बातें उन्हें आहत कर देती हैं। इन बातों को ज़्यादा सीरियसली न लें। मुख्यमंत्री से मेरी बातचीत होगी और मसले हल कर लिए जाएंगे।" वैसे आपको याद दिला दें कि वही चौधरी चंद्र कुमार हैं जिन्होंने संगठन गठन पर हो रहे विलंब को लेकर सबसे पहले पार्टी को आइना दिखाया था, संगठन को 'पैरालाइज़्ड' कहा था। अलबत्ता, इस बार मोर्चा नीरज ने संभाला हो लेकिन नाराज़गी तो चंद्र कुमार की भी झलकती रही है। लब्बोलुआब ये है कि भले ही सरकार की सेहत को इससे कोई खतरा न हो, लेकिन 'ऑल इज़ नॉट वेल इन कांग्रेस' ! कांग्रेस सरकार के रहते काम किसके हो रहे हैं और किसके नहीं,ये तो सवाल है ही।
"हम झूठों के बीच सच बोल बैठे वो नमक का शहर था और हम ज़ख्म खोल बैठे।" मुंह से भले ही ओंकार शर्मा ने एक लफ्ज़ नहीं कहा हो, लेकिन सोशल मीडिया पर उनकी इस पोस्ट को सरकार के 'एक्शन' के 'रिएक्शन' के तौर पर देखा जा रहा है। कह लीजिए कि उनका दर्द इशारों में छलक गया है। इस पोस्ट से उनका वास्तविक अभिप्राय क्या है, यह तो खुद ओंकार शर्मा ही जानते हैं, और हम उसे डिकोड करने की कोई कोशिश भी नहीं कर रहे। लेकिन सोशल मीडिया पर यूज़र्स इसे विनय नेगी मामले से जोड़कर जरूर देख रहे हैं। दरअसल यह सर्वविदित है कि विनय नेगी मामले में हिमाचल प्रदेश के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ओंकार शर्मा की रिपोर्ट सरकार को रास नहीं आई। नतीजन, कई अहम महकमे देखने वाले ओंकार अब सिर्फ जनजातीय कार्य विभाग तक सीमित कर दिए गए हैं। वही ओंकार शर्मा, जो हिमाचल प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे में चौथे सबसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं और जिन्हें मौजूदा मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना का संभावित उत्तराधिकारी भी माना जा रहा था, अब एक तरह से साइडलाइन कर दिए गए हैं। आपको बता दें कि विनय नेगी मामले में अपनी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में ओंकार शर्मा ने पेखुवाला पावर प्रोजेक्ट में गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा किया था। इसी रिपोर्ट और पूर्व डीजीपी अतुल वर्मा की सिफारिशों के आधार पर हिमाचल हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। शिमला पुलिस की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में आई। इसके बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ओंकार शर्मा, पूर्व डीजीपी अतुल वर्मा और शिमला के एसपी को लंबी छुट्टी पर भेज दिया। डीजीपी तो छुट्टी के दौरान ही रिटायर हो गए। छुट्टी से लौटने के बाद सरकार ने ओंकार शर्मा से अहम विभाग लेकर उन्हें सिर्फ जनजातीय कार्य विभाग की जिम्मेदारी सौंपी। इसके बाद उनकी पत्नी की सोशल मीडिया पोस्ट सुर्खियों में रही थी और अब ओंकार शर्मा की पोस्ट ने हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स उनके समर्थन में लिख रहे हैं।
विनय कुमार और विनोद सुल्तानपुरी, दोनों अनुसूचित जाति से हैं, दोनों के पास मजबूत राजनीतिक विरासत है और दोनों ही हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं। दरअसल, यह चर्चा इसलिए भी तेज हो गई है क्योंकि पार्टी नेतृत्व इस बार जातीय संतुलन साधने की कोशिश में है। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान अनुसूचित जाति वर्ग के किसी नेता को सौंप सकती है। हिमाचल कांग्रेस में अनुसूचित जाति समुदाय से कई चेहरे सक्रिय हैं। विधायक सुरेश कुमार, नंदलाल और मोहनलाल ब्राकटा जैसे नेता इस वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन चर्चा का केंद्र केवल दो नाम बने हुए हैं, विनय कुमार और विनोद सुल्तानपुरी। इसकी सबसे बड़ी वजह है दोनों नेताओं की सियासी पृष्ठभूमि, जो उन्हें अन्य दावेदारों की तुलना में एक मजबूत स्थिति में खड़ा करती है। विनय कुमार श्री रेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक चुने गए हैं। उनकी राजनीतिक जड़ें उनके पिता डॉ. प्रेम सिंह से जुड़ी हैं, जो छह बार विधायक रह चुके हैं। वर्ष 1982, 1985, 1993, 1998, 2003 और 2007 में उन्होंने चुनाव जीते। पिता-पुत्र की इस जोड़ी ने मिलकर इसी सीट से कुल नौ बार चुनाव जीतकर इसे कांग्रेस का एक मजबूत गढ़ बना दिया है। यह आंकड़ा स्वाभाविक रूप से विनय कुमार के पक्ष में जाता है। दूसरी ओर विनोद सुल्तानपुरी पहली बार के विधायक हैं, लेकिन राजनीति में उनकी मौजूदगी लंबे समय से बनी हुई है। उनके पिता केडी सुल्तानपुरी हिमाचल प्रदेश से छह बार सांसद रह चुके हैं। राजनीतिक विरासत के स्तर पर देखा जाए तो विनोद भी किसी तरह विनय से पीछे नहीं हैं। यही वजह है कि सुक्खू खेमा उनके नाम को मजबूती से आगे बढ़ा रहा है। इसी बीच हाल ही में विनय कुमार की कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात हुई, जिसके बाद उनके समर्थकों में उत्साह बढ़ा है। विनय कुमार डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के करीबी माने जाते हैं। यह भी चर्चा है कि यदि आलाकमान ने अनुसूचित जाति वर्ग से किसी नेता को अध्यक्ष बनाने का मन बना लिया है, तो विनय एक ऐसा नाम हो सकते हैं जिन पर मुकेश गुट और हॉलीलॉज दोनों की सहमति बन सकती है। कांग्रेस के तीन प्रमुख गुटों में से दो उनके नाम पर एकमत हो सकते हैं। हालांकि, माना जा रहा है कि हॉलीलॉज खेमा अभी भी मौजूदा अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को दोबारा पद दिलाने की कोशिशों में लगा है। दूसरी ओर जानकारों का मानना है कि सुक्खू खेमा भी अभी पीछे नहीं हटा है। विनोद सुल्तानपुरी को राहुल गांधी के करीबी नेताओं में गिना जाता है। यह एक ऐसा पहलू है जो उन्हें आलाकमान की पसंद बना सकता है। फिलहाल यह कहना जल्दबाज़ी होगा कि कांग्रेस नेतृत्व किस नाम पर अंतिम मुहर लगाएगा। लेकिन यह तय माना जा रहा है कि यदि अनुसूचित जाति कार्ड चला गया तो मुकाबला केवल विनय कुमार और विनोद सुल्तानपुरी के बीच ही रह जाएगा। वैसे भी कांग्रेस में बड़े फैसलों को टालने की परंपरा पुरानी रही है। इसलिए अध्यक्ष पद को लेकर अंतिम फैसला आने में थोड़ा समय और लग सकता है, लेकिन मौजूदा हालात में सियासी समीकरण धीरे-धीरे स्पष्ट होते जा रहे हैं।
छोटे-छोटे जिलों से सत्ता के खेल की तैयारी; अंदरखाते मंथन की सुगबुगाहट ! कांगड़ा के नूरपुर, पालमपुर और देहरा नए जिलों की दौड़ में ! शिमला, मंडी और सोलन के बंटवारे पर भी मंथन संभव ! हिमाचल में नए जिलों के गठन की चर्चा बीते कई वर्षों होती आ रही है, खासतौर से चुनाव से पहले नए ज़िलों का जिन्न बाहर आ जाता है। छोटे-छोटे जिले बनाकर सियासत की पिच को मुफीद बनाने की योजना पर धूमल से लेकर जयराम तक ने मंथन किया, हालांकि अमलीजामा कोई न पहना सका। अब फिर सुगबुगाहट है कि मौजूदा सरकार नए जिले बनाने की योजना पर आगे बढ़ सकती है। यानी मौजूदा ज़िलों के सियासी कद में कांट-छांट के आसार बन रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक इस पर अंदरखाते मंथन चला हुआ है कि छोटे-छोटे जिलों के मैदान में साल 2027 के लिए कोई बड़ा खेल खेला जाए। इसी कड़ी में चार ज़िलों का बंटवारा मुमकिन है; कांगड़ा, मंडी, सोलन और शिमला। जिलों की मांग की सुगबुगाहट सबसे अधिक काँगड़ा में देखने को मिल रही है। यहां नूरपुर, पालमपुर और देहरा को जिला घोषित करने की मांग उठती रही है। नूरपुर से पूर्व विधायक व जयराम सरकार में मंत्री रहे राकेश पठानिया लम्बे वक्त से खुलकर इसके पक्ष में बोलते रहे है। वहीँ भाजपा सरकार के कार्यकाल में पालमपुर विधायक आशीष बुटेल भी पालमपुर को जिला घोषित करने की मांग करते रहे है। हालाँकि अब वे चुप है, लेकिन सम्भवतः इसके पक्ष में ही रहेंगे। वहीं मौजूदा स्थिति में देहरा का दावा भी नकारा नहीं जा सकता। वैसे भी देहरा पर सीएम सुक्खू की विशेष मेहरबानी है। यानी कांगड़ा को चार हिस्सों में बाँटने की मांग है। कांगड़ा, 15 विधानसभा क्षेत्रों वाला वो जिला है जो हिमाचल में सत्ता का रुख तय करता आया है। पर अगर नए जिलों का गठन होता है तो क्षेत्रफल के साथ -साथ कांगड़ा के सियासी बल का भी विभाजन होगा। कांगड़ा की तरह ही मंडी जिले के करसोग और सुंदरनगर क्षेत्र के लोग भी कठिन भौगौलिक परिस्थितियों का तर्क देकर इन दोनों क्षेत्रों को जिला बनाने की मांग करते रहे है। करसोग से जिला हेडक्वार्टर मंडी से कुल 120 किलोमीटर दूर है। छोटे बड़े कार्यों के लिए क्षेत्रवासियों को 120 किलोमीटर का लम्बा सफर तय करना पड़ता है। वहीं सुंदरनगर से मंडी की दूरी तो कम है मगर तर्क है की सुंदरनगर एकमात्र ऐसा स्थान है, जिसे जिला बनाने की सूरत में सरकार को कोई भी आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। इसी तरह शिमला के रोहड़ू व रामपुर को भी जिला बनाने की मांग है। ये दोनों ही क्षेत्र भी जिला मुख्यालय से काफी दूर है। सोलन के बीबीएन क्षेत्र में भी लम्बे वक्त से अलग जिला बनाने की मांग उठती रही है। अगर नए जिलों का गठन होता है कि कुछ लोगों को नए जिले की ख़ुशी होगा,तो कुछ को जिले के छोटा हो जाने का मलाल भी होगा। ऐसे में ज़ाहिर है सरकार 'पोलिटिकल रिस्क एस्सेसमेंट' के बाद ही इस पर कोई फैसला लेगी। इस बीच सवाल ये भी है की क्या प्रदेश सरकार नए जिलों के वित्तीय व्यय का प्रबंधन करने में सक्षम है या नहीं ? मौजूदा आर्थिक हालात में ये निर्णय मुश्किल है। ऐसे में माहिर मानते है कि चुनावी वर्ष में ही सरकार किसी निष्कर्ष पर पपहुंचेगी। वहीँ इसके सियासी लाभ को लेकर भी माहिरों की राय बंटी हुई है।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू क्षत्रिय है, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ब्राह्मण और अब कांग्रेस चाहती है कि एससी समुदाय से कोई प्रदेश अध्यक्ष हो। यानी कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में परफेक्ट जातीय संतुलन चाह रही है, और इसीलिए सुगबुगाहट है कि किसी एससी चेहरे को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा। इस कड़ी में जिस नेता का नाम खूब चर्चा में है वो है विनय कुमार। श्री रेणुकाजी से तीन बार के विधायक, पूर्व वर्किंग प्रेसिडेंट, और मौजूदा विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार आज दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिल सकते हैं। पिछले तीन दिन से विनय दिल्ली में डटे हैं, इंतज़ार खड़गे की वापसी का था। आज खड़गे वापस दिल्ली लौटेंगे और मुमकिन है आज ही विनय कुमार कि उनसे मुलाकात हो। विनय कुमार को मुकेश अग्निहोत्री का करीबी माना जाता है और पीसीसी अध्यक्ष पद के लिए उन्हें मुकेश अग्निहोत्री के कैंडिडेट के तौर पर भी देखा जा रहा है। वहीँ होली लॉज चाह रहा है की प्रतिभा सिंह ही रिपीट करें, लेकिन अगर सहमति न बनी तो माहिर मानते है कि होली लॉज भी विनय को सपोर्ट कर सकता है। हालाँकि मुख्यमंत्री सुक्खू इस समीकरण से ज़्यादा खुश हों, ऐसा ज़रूरी नहीं। सूत्रों की मानें तो सीएम एससी चेहरों में से विनोद सुल्तानपुरी या सुरेश कुमार को अध्यक्ष बनाना चाहते थे, लेकिन सीनियर नेताओं की रज़ामंदी इन नामों पर नहीं बन पाई। दोनों पहली बार विधायक बने हैं, जबकि विनय तीसरी बार जीते हैं और पहले भी संगठनात्मक जिम्मेदारियाँ निभा चुके हैं। वैसे विधानसभा उपाध्यक्ष बनाकर खुद सीएम सुक्खू ने ही विनय को एक बड़ी जिम्मेदारी दी थी। ऐसे में उनकी दावेदारी को क्या सीएम सुक्खू का सपोर्ट मिलेगा, ये देखना रोचक होगा। बहरहाल फैसलाआख़िर में हाईकमान को ही लेना है, लेकिन माना जा रहा है कि इस मुलाक़ात के बाद तस्वीर कुछ हद तक साफ़ हो सकती है।
गुजरात मॉडल अपनाया तो हिमाचल पर नज़र- ए -करम में लग सकता हैं और वक्त ! 7 महीने बाद, कहाँ पहुंची हिमाचल में संगठन के गठन की बात ? हिमाचल के कांग्रेसियों के साथ बड़ी 'खप' न कर दे आलाकमान ! कांग्रेस आलाकमान इन दिनों कई राज्यों के संगठन सृजन अभियान में मशगूल हैं। दरअसल, कांग्रेस अपने गुजरात मॉडल की तर्ज पर मध्य प्रदेश और हरियाणा में संगठन की नियुक्तियां करने जा रही हैं। हिमाचल के भी तीन विधायक आब्जर्वर बनाये गए हैं, ताकि उक्त राज्यों में मजबूत संगठन बने। इनके बाद अन्य राज्यों का भी नंबर आएगा और शायद हिमाचल पर भी नज़र- ए -करम हो। पर सवाल ये हैं कि क्या हिमाचल में कांग्रेस अपने इस गुजरात मॉडल को नहीं अपनाएगी ? और अगर अपनाएगी तो अब तक की फीडबैक रिपोर्टों का क्या होगा, जिसमें सात महीने खप गए ? गुजरात मॉडल के लिहाज से तो मुमकिन हैं हिमाचल में नए सिरे से जिलावार आब्जर्वर नियुक्त हो। यानी ऐसा होता हैं तो संगठन के गठन में अभी और वक्त लगना तय हैं। ऐसे स्थिति में हिमाचल के आम बोल चाल में लोग कहते है 'खप हो गई'। कांग्रेसियों के साथ भी 'खप' होने की सम्भावना फिलहाल बनी हुई है। ठीक सात महीने पहले कांग्रेस आलाकमान ने एक फरमान जारी किया और हिमाचल में पार्टी संगठन भंग कर दिया गया। तब से हिमाचल कांग्रेस की इकलौती पदाधिकारी है पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह। हैरत हैं, देश के कई राज्यों में कांग्रेस संगठन सृजन अभियान चला रही हैं, लेकिन जिस हिमाचल में सत्ता पर काबिज हैं वहां संगठन की खैर खबर ही नहीं हैं। इन सात महीनों में कांग्रेस के भीतर बहुत कुछ घटा है। संगठन के गठन में हो रहे विलम्ब पर मंत्रियों / नेताओं / कार्यकर्ताओं ने खुलकर नाराजगी जताई हैं। प्रदेश प्रभारी बदले दिए गए। कई बार संगठन गठन की उम्मीदें जगी, लेकिन हर बार हाथ लगी सिर्फ मायूसी और नई तारीख। अब तो बेउम्मीदी इस कदर हावी हैं कि नई तारीख भी नहीं मिल रही। नवंबर में संगठन भंग होते ही जानकारी आई कि कांग्रेस नए फॉर्मूले से संगठन का गठन करेगी। आब्जर्वर तैनात हुए, प्रदेश भर में गए, ग्राउंड फीडबैक लिया और रिपोर्ट सौंपी। इन सब में करीब चार महीने बीत गए। फिर लगने लगा किसी भी वक्त अब संगठन की प्रस्तावित नियुक्तियों को आलाकमान की हरी झंडी मिल सकती हैं। पर इस बीच अचानक 15 फरवरी को प्रभारी राजीव शुक्ला ही बदल दिए गए और रजनी पाटिल की एंट्री हुई। पाटिल भी अपनी नियुक्ति के दो सप्ताह बाद जोश -खरोश के साथ हिमाचल पहुंची। बैठकें हुई , फीडबैक लिया गया, गिले-शिकवों की सुनवाई हुई और जाते -जाते वादा भी किया गया कि दो सप्ताह में संगठन बन जायेगा। अब तीन महीने से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन पत्ता भी नहीं हिला। इस बीच रजनी पाटिल तीन बार हिमाचल आ चुकी हैं, लेकिन बात फीडबैक लेने और रिपोर्ट सौंपने से आगे बढ़ती नहीं दिखी। सात महीनों में एक परिवर्तन और हुआ हैं। पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह का कार्यकाल भी अब पूरा हो चुका हैं और उन्हें बदलने की अटकलें भी लग रही हैं। हिमाचल कांग्रेस के तमाम गुट अपने -अपने निष्ठावानों की तैनाती के लिए लॉबिंग में जुटे हैं। स्थिति ये हैं कि पीसीसी चीफ कौन होगा, ये सवाल इतना प्रबल हो गया कि इसके आगे जमीनी संगठन का दर्द छिप सा गया हैं। कांग्रेस की स्थिति समझनी हैं तो अंत में बात पीसीसी चीफ पद के दावेदारों की भी जरूरी हैं। प्रतिभा सिंह, मुकेश अग्निहोत्री, कुलदीप राठौर, आशा कुमारी, अनिरुद्ध सिंह , यादविंद्र गोमा, सुरेश कुमार, विनोद सुल्तानपुरी , चंद्रशेखर , संजय अवस्थी और विनय कुमार, कोई नाम रह गया हो तो हम क्षमा प्रार्थी हैं। ये तमाम वो नाम है जिन्हें पीसीसी चीफ की दौड़ में शामिल बताया जा रह है। हर गुजरते दिन के साथ कोई न कोई नया शिगूफा छिड़ जाता है, चौक -चौराहे से लेकर बंद कमरों तक सियासत के जानकार खूब चर्चा करते है। फिर यकायक नए राजनैतिक समीकरण सामने आते है, कुछ नया घटित होता है और फिर सियासी माहिर नए सिरे से अपने काम में जुट जाते है। गणित के क्रमपरिवर्तन और संयोजन सूत्र का बखूबी इस्तेमाल करते हुए माहिर फिर अपने कयासों के पिटारे से नई चर्चा को जन्म देते है और चर्चा में शामिल पुराने नाम सियासी हवा में गौते खाते रह जाते है। हिमाचल कांग्रेस पर विश्लेषण करने वालों की ये ही "मोडस ऑपरेंडी" बन गई हैं। दरअसल हकीकत ये हैं कि हिमाचल कांग्रेस को लेकर नेताओं या सूत्रों की किसी भी जानकारी में जान बची ही नहीं हैं। सो तमाम विश्लेषण भी 'बे जान' सिद्ध हो रहे हैं। इस बीच आलाकमान के कमान में रखे तीर किस-किस को घायल करेंगे, नए दौर की कांग्रेस में इसका अनुमान लगाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हैं। बहरहाल गुजरात मॉडल से 'संगठन सृजन' का डर जरूर कांग्रेसियों को सत्ता रहा होगा !
पिछले लंबे समय से हिमाचल भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति टलती जा रही है। हर बार कोई न कोई पेंच ऐसा फंसता है कि फैसला आगे खिसक जाता है। लेकिन अब एक बार फिर सुगबुगाहट है कि जल्द ही भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलेगा। हालाँकि इस बार की चर्चा में एक नया एंगल जुड़ गया है, और वो है महिला नेतृत्व को प्राथमिकता। माना जा रहा है कि भाजपा हाईकमान महिला आरक्षण के संभावित असर को देखते हुए पहले से तैयारी में जुट गया है। 2029 तक लोकसभा में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो सकती हैं, और इसी रणनीति के तहत भाजपा संगठन में भी महिलाओं को अहम जिम्मेदारियां सौंपने की दिशा में सोच रही है। अगर ऐसा हुआ तो वो एक नाम जो प्रदेश अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे होगा वो है राज्यसभा संसद इंदु गोस्वामी। इंदु न केवल एक प्रभावशाली महिला नेता हैं, बल्कि काँगड़ा जैसे राजनीतिक रूप से अहम ज़िले से आती हैं और पार्टी हाईकमान से भी उनका सीधा जुड़ाव माना जाता है। इंदु ब्राह्मण नेता है तो पार्टी उनके नाम पर जातीय संतुलन भी साध पाएगी। अपने करीब 45 साल के इतिहास में बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश में अब तक 13 नेताओं को संगठन की कमान सौपी है, लेकिन इनमें एक भी महिला नहीं रही। ऐसे में इंदु गोस्वामी का नाम सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से भी अहम हो सकता है। अब देखना ये होगा कि क्या भाजपा वाकई हिमाचल की कमान पहली बार किसी महिला को सौंपने जा रही है, या फिर ये चर्चा भी वक्त के साथ ठंडी पड़ जाएगी। जब इंदु को मिल गई थी अध्यक्ष बनने की बधाई इंदु गोस्वामी पार्टी आलाकमान के करीबी मानी जाती है और पहले भी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में रही है। 2020 में तो भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्ज्ञ ने उन्हें बधाई भी दे दी थी,मगर न जाने कैसे परिस्थितियां बदली और अध्यक्ष सुरेश कश्यप बन गए। हालांकि इसके बाद इंदु को पार्टी ने राजयसभा भेजा। ऐसे में माहिर मान रहे है कि इंदु की दावेदारी को जरा भी हल्के में नहीं लिया जा सकता।