आज भी मिर्जा परिवार की बनाई मिंजर होती है भगवान रघुवीर को अर्पित

शाहजहां ने मिर्जा साफी बेग को रघुवीर जी के साथ भेजा था राजदूत बनाकर
राजा साहिल ने उनकी बेटी राजकुमारी चंपावती के कहने पर रावी नदी के किनारे एक शहर बसाया था, जिसका नाम चंबा रखा गया।
महादेव की भूमि इसी चम्बा शहर में हर वर्ष श्रावण माह के दूसरे रविवार को शुरू होता है मिंजर मेला, जो एक सप्ताह तक चलता है। हिंदू और मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक, दो समुदायों में एकजुटता की शानदार मिसाल। चंबा के मिर्जा परिवार की ओर से रेशम के धागे में मोती पिरोकर बनाई मिंजर अर्पित की जाती है। इसके बाद अखंड चंडी महल में भगवान रघुवीर को मिंजर चढ़ाई जाती है, एतिहासिक चंबा चौगान (मैदान) में मिंजर का ध्वज चढ़ाया जाता है, और इसके साथ ही मिंजर मेला विधिवत रूप से आरंभ होता है। शहर में भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है और फिर पुरे सप्ताह भर चम्बा की बेमिसाल संस्कृति का अद्धभूत मंजर देखने को मिलता है। फिर रावी में मिंजर प्रवाहित कर मेले का समापन किया जाता है।
भगवान रघुवीर जी को मिंजर अर्पित करने के पीछे भी एक ऐतिहासिक कहानी है। मुगल बादशाह शाहजहां के शासनकाल के दौरान सूर्यवंशी राजा पृथ्वी सिंह, रघुवीर जी को चंबा लाए थे। शाहजहां ने मिर्जा साफी बेग को रघुवीर जी के साथ राजदूत के रूप में भेजा था। मिर्जा साहब जरी गोटे के काम में माहिर थे। चंबा पहुंचने पर उन्होंने जरी की मिंजर बनाकर रघुवीर जी, लक्ष्मीनारायण भगवान और राजा पृथ्वी सिंह को भेंट की थी। तबसे परमपरा स्थापित हुई और मिंजर मेले का आगाज मिर्जा साहब के परिवार का वरिष्ठ सदस्य रघुवीर जी को मिंजर भेंट करके करता है। सदियों से ये परंपरा चली आ रही है।
मिंजर मेले में पहले दिन चंबा के एतिहासिक चौगान तक भगवान रघुवीर जी की शोभायात्रा निकलती है। भगवान रघुवीर जी के साथ आसपास के 200 से अधिक देवी-देवता भी इसमें शामिल होते हैं। मिर्जा परिवार सबसे पहले मिंजर भेंट करता है। पुराने दौरे में इस दौरान घरों में ऋतुगीत और कुंजड़ी-मल्हार गाए जाते थे। पर अब नए दौरे स्थानीय कलाकार मेले में इस परंपरा को निभाते हैं। मिंजर मेले की मुख्य शोभायात्रा राजमहल अखंड चंडी से चौगान से होते हुए रावी नदी के किनारे तक पहुंचती है। यहां मिंजर के साथ लाल कपड़े में नारियल लपेट कर, एक रुपया और फल-मिठाई नदी में प्रवाहित की जाती है। नारियल प्रवाहित करने के पीछे भी रोचक मान्यता है। कहते है पुराने वक्त में भैंसे को नदी में बहाया जाता था।
जयराम ठाकुर ने दिया था अंतरराष्ट्रीय दर्जा
मिंजर मेला अब अंतरराष्ट्रीय मेला है। 2022 में हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मिंजर मेले के समापन पर ये सौगात दी थी। इससे पूर्व चंबा कई बार मिंजर मेला को अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेला कहा जाता रहा है, लेकिन सही मायने में मेले को अंतरराष्ट्रीय दर्जा जयराम ठाकुर की सरकार ने दिया। मेले के दौरान जमकर व्यापारिक गतिविधियां होती हैं। साथ ही सांस्कृतिक संध्याओं का भी आयोजन किया जाता है, जिनमें चंबा के स्थानीय कलाकारों के अलावा हिमाचल प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों के कलाकारों और बालीवुड प्लबैक सिंगर भी पहुंचते हैं।
मेले में हाथ से बना सामान काफी बिकता है। चंबा रूमाल, चंबा चप्पल यहां की विशेषता है। इसके अलावा और भी वस्तुओं का व्यापार भी होता है।