अर्जुन को पहले टिकट पर साधना होगा निशाना !

ज्वाली में भाजपा की हालत निराली, एक फूल दो माली
2022 में अर्जुन ने सिर माथे लगाया था पार्टी का फैसला, पक्ष में जा सकता है ये फैक्टर
नहीं चला था सीटिंग विधायक का टिकट काटने का दांव
कांग्रेस में फिर नीरज पर रहेगी निगाह
ज्वाली परंपरागत रूप से कांग्रेस के दबदबे वाली सीट रही है और यहाँ चौधरी चंद्र कुमार के परिवार का दबदबा रहा है। वर्तमान में खुद चौधरी चंद्र कुमार यहाँ से छठी बार विधायक है, जब उनके बेटे नीरज भारती दो बार विधायक रहे है। 2008 के परिसीमन के बाद ज्वाली निर्वाचन क्षेत्र अस्तित्व में आया। इससे पहले फतेहपुर और ज्वाली दोनों एक हुआ करते थे। फतेहपुर को ज्वाली से अलग किया गया और पहले का गुलेर विधानसभा क्षेत्र ज्वाली विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में चौधरी चंद्र कुमार बेशक मंत्री है लेकिन उनकी उम्र 80 पार है। ऐसे में संभवतः अगला चुनाव उनके बेटे नीरज भारती लड़ेंगे। यानी कांग्रेस में फेस लेकर कोई कन्फ्यूजन नहीं दिखता।
पर भाजपा में स्थिति इतनी सहज नहीं है। दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव में यहाँ भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। तब भाजपा के अर्जुन ठाकुर ने कांग्रेस के दिग्गज नेता चंद्र कुमार को 8213 वोटों के बड़े अंतर से शिकस्त दी थी। पर इसके बावजूद 2022 में भाजपा ने उनका टिकट काटकर संजय गुलेरिया पर दांव खेला। पर गुलेरिया मौके को भुना नहीं पाएं। दिलचस्प बात ये है कि टिकट काटने के बावजूद तब सीटिंग विधायक अर्जुन ठाकुर ने मुखालफत नहीं की, जबकि 2022 के चुनाव में प्रदेश की करीब एक तिहाई सीटों पर भाजपा के बागी खड़े थे। जानकार मानते है कि भविष्य में ये फैक्टर अर्जुन के पक्ष में जा सकता है।
संजय गुलेरिया की बात करें तो वे गज़ पार यानी नगरोटा सूरियाँ से ताल्लुक़ रखते हैं। इसमें भी कोई संशय नहीं है कि लम्बे समय से संजय गुलेरिया की ज्वाली विधानसभा क्षेत्र में निरंतर सक्रिय है। इसी के चलते 2022 में उन्हें चेहरा बनाया गया था, पर उन्हें जीत नहीं मिली। लेकिन क्या भाजपा उन्हें एक और मौका देगी, ये बड़ा सवाल है। दरअसल अर्जुन ठाकुर क्षेत्र में प्रो एक्टिव दिख रहे है। कहा जा सकता है कि वे अभी से इलेक्शन मोड में है। 2022 में पार्टी के निर्णय को सिर माथे से लगाने का सिला भी उन्हें मिल सकता है। यानी अर्जुन की दावेदारी मजबूत होगी।
फिलवक्त दो -दो मजबूत दावेदारों के चलते ज्वाली विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की हालत एक फूल दो माली जैसी है। जबकि कांग्रेस के लगभग स्थिति स्पष्ट सी है। ज्वाली विधानसभा क्षेत्र का परिणाम तो ख़ैर भविष्य के गर्भ में छिपा हैं लेकिन भाजपा के लिए पहली परीक्षा कैंडिडेट का चुनाव होगा।