बिजली महादेव रोपवे... यह रोपवे अब महज रोपवे नहीं रहा बल्कि कुल्लू की जनता के लिए उनकी आस्था, जंगल और पहचान की लड़ाई बन गया है। इस रोपवे निर्माण ने मानो प्रदेश में देवताओं की सत्ता और खुद को सत्ता के देवता मानने वालों के बीच एक जंग छेड़ दी है। हालांकि कुल्लू की जनता अब और सहने के मूड में बिल्कुल नहीं। इस रोपवे के विरोध में आज लोग एक साथ बाहर निकल आए। कुल्लू की सड़कों पर आज जो नज़ारा दिखा, वह सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि लोगों की भावनाओं का विस्फोट था। सैकड़ों लोग अपने देवता के आदेश, जंगल की शांति और घाटी की अस्मिता बचाने के लिए सड़क पर उतर आए। विरोध की आवाज़ पूरी घाटी में गूंज गई। प्रदर्शनकारी एक ही मांग कर रहे थे... किसी भी हालत में यह प्रोजेक्ट नहीं लगना चाहिए। ढोल नगाड़ों के बिना, नारों के साथ निकली, कुल्लू के रामशीला से ढालपुर मैदान तक फैली यह आक्रोश रैली केवल एक परियोजना का विरोध नहीं थी... यह एक चेतावनी थी कि अगर देवभूमि की चेतना को अनसुना किया गया, तो विरोध अब आवाज नहीं, लहर बन जाएगा। कुल्लू ही नहीं, मंडी के सेरी मंच पर भी लोगों ने रोष रैली निकालकर इस प्रोजेक्ट का विरोध जताया। लेकिन एक रोपवे का इतना विरोध क्यों हो रहा है? क्या कुल्लू के लोगों को विकास से परहेज है? आइए इस विरोध के पीछे की वजहों को ठहरकर समझने की कोशिश करते हैं। बिजली महादेव संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुरेश नेगी के मुताबिक, देववाणी में आदेश हुआ कि भगवान बिजली महादेव को रोपवे मंजूर नहीं। यह बात सुनते ही घाटी की जनता सड़कों पर उतर आई। ग्रामीणों का दावा है कि रोपवे के निर्माण से पहले देवताओं की सहमति नहीं ली गई और जबरन हजारों की संख्या में पेड़ काट दिए गए। सरकारी फाइलों में सिर्फ 72 पेड़ काटने की इजाजत थी, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि असल संख्या 100 के पार है। देवदार जैसे सदियों पुराने पेड़ों का यूं कट जाना न सिर्फ पर्यावरण के लिए खतरा है, बल्कि यह देवस्थल की आत्मा को ठेस पहुंचाने जैसा है। सिर्फ आस्था नहीं, आजीविका भी दांव पर बिजली महादेव पहुंचने के लिए अभी तीन घंटे की ट्रैकिंग करनी पड़ती है। यह सिर्फ एक रास्ता नहीं, बल्कि एक पूरा लोकल इकॉनमी है। घोड़े खच्चर वाले, ट्रैकिंग गाइड, ढाबे और छोटे व्यापारी, सभी की रोजी-रोटी इसी पर टिकी है। रोपवे बनते ही यह सिस्टम चरमरा जाएगा। स्थानीय बुजुर्ग शिवनाथ ने चेतावनी दी है कि यदि यह प्रोजेक्ट जबरन थोपा गया तो वे आत्मदाह तक कर सकते हैं। उनका कहना है, “देवताओं की इच्छा के विरुद्ध कुछ भी हुआ तो इसका असर पूरे क्षेत्र पर पड़ेगा।” विरोध के बीच सरकार की दलीलें सरकार कह रही है कि रोपवे से ट्रैफिक कम होगा, यात्रा आसान होगी और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। बिजली महादेव की तीन घंटे की चढ़ाई अब सिर्फ 7 मिनट की सवारी में बदलेगी। रोजाना 36 हजार लोग मंदिर तक पहुंच सकेंगे और ऑल वेदर कनेक्टिविटी भी सुनिश्चित होगी। बता दें कि मार्च 2024 में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस प्रोजेक्ट का वर्चुअल शिलान्यास किया था और 272 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। यह प्रोजेक्ट नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML) द्वारा 2026 तक पूरा किया जाना है। यह 2.3 किलोमीटर लंबा रोपवे 'पर्वतमाला' प्रोजेक्ट के तहत बन रहा है। लेकिन सियासत यहां भी है... एक दौर में इस प्रोजेक्ट के समर्थक रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता राम सिंह, अरविंद चंदेल और नरोत्तम ठाकुर अब इसके खिलाफ हैं। यहां तक कि पूर्व सांसद महेश्वर सिंह ने भूमि पूजन में शामिल होने के बाद मीडिया के सामने सफाई दी कि वे इस प्रोजेक्ट के समर्थक नहीं हैं। वहीं कांग्रेस विधायक सुंदर सिंह ठाकुर इस प्रोजेक्ट को विकास का प्रतीक बता रहे हैं। कुल्लू की राजनीति भी तीन हिस्सों में बंटी हुई दिख रही है, एक धड़ा आस्था और पर्यावरण के साथ खड़ा है, दूसरा पर्यटन और विकास के साथ, और तीसरा राजनीतिक मजबूरियों के बीच उलझा हुआ। बिना जनसुनवाई, बिना सहमति? स्थानीय संगठनों का आरोप है कि इस प्रोजेक्ट को बिना पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (EIA) और बिना जनसुनवाई के मंजूरी दी गई। कई ग्रामीणों को तब तक इसकी भनक तक नहीं लगी जब तक पेड़ कटने शुरू नहीं हुए।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने महिला एवं बाल विकास विभाग में अनुबंध पर नियुक्त पर्यवेक्षकों के नियमितीकरण में देरी को असंवैधानिक ठहराया है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की एकल पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ताओं की सेवाएं भी उनके सहकर्मियों की तरह 2 मई 2019 से नियमित मानी जाएं और सभी परिणामी लाभ छह सप्ताह के भीतर प्रदान किए जाएं। अदालत ने स्पष्ट किया कि सभी चयनित उम्मीदवारों ने एक ही विज्ञापन और समान चयन प्रक्रिया के तहत आवेदन किया था। उन्हें 30 मार्च 2016 को नियुक्ति पत्र दिए गए और 16 अप्रैल 2016 तक कार्यभार ग्रहण करने को कहा गया था। कुछ ने जल्दी ज्वाइन किया, कुछ ने कुछ दिन बाद, लेकिन चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया समान थी। ऐसे में केवल ज्वाइनिंग की तारीख के आधार पर नियमितीकरण में भेदभाव संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है। मामले की पृष्ठभूमि: 2015 में महिला एवं बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर के 69 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी। सभी चयनितों को नियुक्ति पत्र 30 मार्च 2016 को जारी हुए। कुछ उम्मीदवारों ने 31 मार्च व 1 अप्रैल को कार्यभार संभाल लिया, जिनकी सेवाएं 2 मई 2019 को नियमित हो गईं। लेकिन याचिकाकर्ताओं की सेवाओं को 11 अक्टूबर 2019 को नियमित किया गया, जिससे वे अपने सहकर्मियों से छह महीने पीछे रह गए। कोर्ट की टिप्पणी: "एक ही चयन प्रक्रिया, एक ही नियुक्ति आदेश, लेकिन अलग-अलग नियमितीकरण – यह सरासर भेदभाव है। राज्य को समानता के सिद्धांत का पालन करना चाहिए," अदालत ने कहा।
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रोहड़ू से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस तरलोक सिंह चौहान आज झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) पद की शपथ लेंगे। रांची स्थित राजभवन में झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। जस्टिस चौहान की यह नियुक्ति झारखंड हाईकोर्ट के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्रन के त्रिपुरा हाईकोर्ट स्थानांतरण के बाद हुई है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 26 मई 2025 को अपनी बैठक में उनके नाम की सिफारिश की थी। जस्टिस चौहान सोमवार को अपने परिजनों के साथ रांची पहुंच चुके हैं। हिमाचल हाईकोर्ट में भी निभाई अहम भूमिकाएं जस्टिस चौहान हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में दो बार कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की भूमिका निभा चुके हैं। उन्हें 23 फरवरी 2014 को अतिरिक्त न्यायाधीश और 30 नवंबर 2014 को स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। हाईकोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान वे कंप्यूटर और ई-कोर्ट कमेटी के अध्यक्ष भी रहे, और राज्य में न्यायिक डिजिटल संरचना को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। शुरुआती जीवन और शिक्षा जस्टिस चौहान का जन्म 9 जनवरी 1964 को रोहड़ू में हुआ। उन्होंने शिमला के प्रतिष्ठित बिशप कॉटन स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की, जहाँ वे स्कूल कैप्टन भी रहे। स्नातक की पढ़ाई डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ से ऑनर्स में पूरी की और उसके बाद पंजाब विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 1989 में उन्होंने वकालत की शुरुआत की और वरिष्ठ अधिवक्ता लाला छबील दास के चेंबर से जुड़कर कानूनी क्षेत्र में कदम रखा। कानूनी विशेषज्ञता और कोर्ट मित्र की भूमिका जस्टिस चौहान ने प्रदेश हाईकोर्ट में विभिन्न क्षेत्रों में वकालत की और राज्य विद्युत बोर्ड, नागरिक आपूर्ति निगम समेत कई सार्वजनिक संस्थानों के विधिक सलाहकार भी रहे। उन्हें हाईकोर्ट द्वारा कोर्ट मित्र भी नियुक्त किया गया, विशेषतः पर्यावरण, हाइड्रो प्रोजेक्ट्स, प्लास्टिक व तंबाकू प्रतिबंध, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, और सड़क निर्माण नीति जैसे महत्वपूर्ण मामलों में। सामाजिक सरोकार और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधित्व हाईकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने बाल कल्याण, मानसिक स्वास्थ्य, पुनर्वास और वृद्धाश्रमों के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित “न्यायपालिका और बदलती दुनिया” विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन सहित कई अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। साल 2019 में वे रोमानिया में आयोजित “बच्चों के लिए देखभाल और सुरक्षा सेवाओं के सुधार” विषय पर अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज प्रोग्राम में भी शामिल रहे। अकादमिक योगदान वे हिमाचल प्रदेश नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी शिमला की गवर्निंग काउंसिल और कार्यकारी परिषद के सदस्य भी रहे। साथ ही, वे राज्य की न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य की सभी प्रशासनिक सीमाओं में किसी भी प्रकार के बदलाव पर एक जनवरी 2026 से 31 मार्च 2027 तक रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं। यह निर्णय आगामी जनगणना और चुनावी प्रक्रियाओं के मद्देनज़र लिया गया है, ताकि इन कार्यों के दौरान प्रशासनिक ढांचे में स्थिरता बनी रहे। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, इस अवधि में राज्य के सभी जिलों, नगरपालिकाओं, उपमंडलों, तहसीलों, उपतहसीलों, राजस्व गांवों, कस्बों और वार्डों की सीमाएं यथावत रहेंगी। यानी इस दौरान कोई नई प्रशासनिक इकाई नहीं बनाई जाएगी और न ही किसी मौजूदा इकाई में संशोधन किया जा सकेगा। इस रोक का प्रभाव यह होगा कि नए वार्डों, कस्बों या राजस्व इकाइयों के निर्माण संबंधी प्रस्तावों पर अस्थायी रूप से रोक लग जाएगी। साथ ही, उपतहसीलों को तहसीलों में अपग्रेड करना या नई नगरपालिकाएं गठित करना भी मार्च 2027 से पहले संभव नहीं होगा। सरकार का यह फैसला प्रशासनिक स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है, जिससे जनगणना और निर्वाचन संबंधी कार्य सुचारू रूप से पूरे किए जा सकें।
हिमाचल प्रदेश राज्य चुनाव आयोग ने सभी उपायुक्तों को 22 जुलाई तक नगर निकायों में आरक्षण रोस्टर लागू करने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले यह समयसीमा 11 और फिर 15 जुलाई तय की गई थी। वार्डों के पुनर्सीमांकन से जुड़ा मामला हिमाचल हाईकोर्ट में लंबित था, लेकिन अब कोर्ट द्वारा उस पर लगी रोक हटा दी गई है, जिससे चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है। प्रदेश के 73 नगर निकायों में चुनाव प्रस्तावित हैं। शहरी विकास विभाग ने आयोग को पत्र लिखकर कहा था कि अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के अद्यतन आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए आरक्षण रोस्टर लागू कर पाना संभव नहीं होगा। विभाग ने तर्क दिया कि नवीनतम जनगणना आंकड़े वर्ष 2027 में ही उपलब्ध होंगे। इस पर चुनाव आयोग ने आपत्ति जताते हुए इसे चुनाव प्रक्रिया में अनावश्यक बाधा बताया और निर्देशों के पालन पर ज़ोर दिया।
कुल्लू। सावन के पावन महीने में बिजली महादेव मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद नहीं किए गए हैं। मंदिर के कारदार विनेंद्र जंबाल ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि श्रद्धालु मुख्य द्वार से भोले बाबा के दर्शन कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर फैल रही इस भ्रांति का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि कपाट बंद होने की खबरें निराधार हैं।उन्होंने बताया कि देव आदेश के तहत इस बार श्रद्धालुओं को केवल मुख्य द्वार से दर्शन की अनुमति दी गई है। इसके अलावा, मंदिर परिसर में शोर-शराबा, भजन कीर्तन, लंगर आयोजन और रात्रि ठहराव पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। उन्होंने ये भी कहा कि मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है, मगर मुख्या द्वार से शिवलिंग के दर्शन किए जा सकेंगे। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे परंपरा और मर्यादाओं का पालन करें तथा देवस्थल की गरिमा बनाए रखें। यह फैसला देव परंपराओं और लोक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जिससे श्रद्धा बनी रहे और व्यवस्था भी सुचारू रहे।
कभी देश के टॉप 30 स्वच्छ शहरों में गिना जाने वाला शिमला… आज 300 में भी नहीं है। करोड़ों की हाईटेक मशीनें, सफाई के तमाम दावे और योजनाएं…सब धरा का धरा रह गया और इस बार शिमला 347वें स्थान पर आ गया है। 2024 के स्वच्छता सर्वेक्षण में शिमला को 347वां स्थान मिला है, जो अब तक की सबसे निचली रैंकिंग है। इससे पहले 2023 में शहर 188वें और 2022 में 56वें पायदान पर था। 2016 में जब सर्वे में कम शहर शामिल थे, तब शिमला देश में 27वें स्थान पर था। करोड़ों रुपये की मशीनें और संसाधन झोंकने के बावजूद सफाई के मोर्चे पर यह गिरावट नगर निगम और जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है। कभी मिसाल था शिमला, अब चिंता का विषय 2016 में शिमला ने स्वच्छता रैंकिंग में 27वां स्थान हासिल कर देशभर का ध्यान अपनी ओर खींचा था। इसे सफाई व्यवस्था, कचरा प्रबंधन और नागरिक सहभागिता के लिए एक आदर्श मॉडल माना गया। मगर बीते कुछ वर्षों में नगर निगम की सुस्त कार्यप्रणाली, राजनीतिक अस्थिरता और अभियानात्मक ढिलाई ने शिमला को इस गर्त में धकेल दिया है। वर्ष शिमला की रैंक 2016 27 2017 47 2018 144 2019 127 2020 65 2023 56 2024 188 2025 347 रिपोर्ट में किन बिंदुओं पर फेल हुआ शिमला? स्वच्छ सर्वेक्षण 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, शिमला डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण, कचरा निपटान और स्रोत स्तर पर कचरे की छंटाई जैसे मूलभूत मानकों पर बेहद कमजोर प्रदर्शन कर रहा है। डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण: सिर्फ 42% कचरे का निपटान: 44% स्रोत स्तर पर कचरे की छंटाई: मात्र 2% डंपिंग साइट की स्थिति: 0% (पूर्ण असंतोषजनक) सार्वजनिक शौचालयों की सफाई: 67% जबकि आवासीय और बाजार क्षेत्रों की सफाई रिपोर्ट में 100% अंक दिए गए हैं, लेकिन असल तस्वीर इससे अलग प्रतीत होती है। नगर निगम ने बताया सर्वे को 'त्रुटिपूर्ण' हाई कोर्ट के निर्देशों और राज्य सरकार की निगरानी के बावजूद जब यह रिपोर्ट सामने आई, तो नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. चेतन चौहान ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "इस सर्वे में कई तथ्यों को गलत दर्शाया गया है। शिमला में डोर-टू-डोर कूड़ा नियमित रूप से उठ रहा है, लेकिन आंकड़ों में सिर्फ 42% दिखाया गया है। हम इस रिपोर्ट को चुनौती देंगे।"
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल, पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी और तीन अन्य को बड़ी राहत देते हुए अग्रिम जमानत मंजूर कर दी है। ये जमानतें सिरमौर जिले के माजरा थाना क्षेत्र में दर्ज एफआईआर और धारा 163 के उल्लंघन से जुड़े मामले में दी गई हैं। न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की एकल पीठ ने पांचों याचिकाकर्ताओं को 50,000 रुपये के निजी मुचलके के साथ सशर्त जमानत देते हुए निर्देश दिए हैं कि वे जांच में पूरा सहयोग करें, बिना कोर्ट की अनुमति के विदेश न जाएं और किसी भी गवाह को प्रभावित न करें। सरकार ने किया था जमानत का विरोध, समाज पर प्रभाव का तर्क दिया सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने इस अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोप गंभीर हैं और इनका समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि आरोपियों को राहत देना गलत संदेश देगा। पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला 13 जून को माजरा पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जब एक विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था। इस दौरान पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई थीं। पुलिस का आरोप है कि 13 जून की घटना के बाद डॉ. बिंदल ने 14 जून को एक और प्रदर्शन का एलान किया था, जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ने की आशंका बनी। डॉ. बिंदल, विधायक सुखराम चौधरी, अलका रानी, आशीष छतरी और इतिंदर ने अदालत में तर्क दिया कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है और यह सब राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है। उनका कहना है कि घटनास्थल पर उनकी कोई सक्रिय भूमिका नहीं थी। शर्तों के उल्लंघन पर जमानत रद्द करने की छूट अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई याचिकाकर्ता इन शर्तों का उल्लंघन करता है, तो राज्य सरकार अग्रिम जमानत रद्द करने के लिए उचित आवेदन दाखिल कर सकती है।
हिमाचल प्रदेश की वीरभूमि किन्नौर ने एक और सपूत को खो दिया। 29 वर्षीय नायक पुष्पेंद्र नेगी ने देश सेवा के पथ पर चलते हुए प्राणों की आहुति दे दी। गुरुवार को सांगला तहसील की थैमगारंग पंचायत स्थित उनके पैतृक गांव में उन्हें सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। मासूम बेटे ने मुखाग्नि दी, पत्नी ने सैल्यूट कर विदा किया और आंखों में आंसू लिए सैकड़ों लोगों ने 'भारत माता की जय' और 'नायक पुष्पेंद्र अमर रहें' के नारों के बीच अपने वीर को अंतिम प्रणाम किया। नायक पुष्पेंद्र नेगी 19 डोगरा रेजीमेंट में तैनात थे और हाल ही में असम में अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। बीते दिनों वहां अचानक तेज हवाओं के चलते एक पेड़ की भारी टहनी उनके ऊपर गिर गई। गंभीर चोट लगने से उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। यह दुखद घटना परिवार और क्षेत्र के लिए एक असहनीय क्षति बनकर आई। उनकी पार्थिव देह असम से दिल्ली, फिर चंडीगढ़ लाई गई, और वहां से सेना के विशेष वाहन द्वारा उनके गांव थैमगारंग पहुंचाई गई। पार्थिव देह पहुंचते ही मातम, बेटे ने निभाया अंतिम फर्ज गांव पहुंचते ही जैसे ही पुष्पेंद्र की पार्थिव देह तिरंगे में लिपटी घर के आंगन में लाई गई, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। पत्नी कीर्ति ने शव से लिपटकर चीत्कार भरे स्वर में कहा – "हमेशा तुम्हारे नाम के साथ जिऊंगी, अपने जीवन में किसी और का नाम नहीं जुड़ने दूंगी।" इस विदाई को और अधिक मार्मिक उस क्षण ने बना दिया, जब उनके छह वर्षीय बेटे एतिक ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। वहां मौजूद हर आंख नम थी, और हर दिल गर्व और दुख से भरा हुआ। नेताओं ने दी श्रद्धांजलि, मंत्री ने व्यक्त किया शोक शहीद के अंतिम संस्कार में भाजपा नेता सूरत नेगी, मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा, यशवंत नेगी, शिशु भाई धर्मा समेत कई स्थानीय नेता और पार्टी कार्यकर्ता शामिल हुए। कांग्रेस की ओर से एपीएमसी निदेशक उमेश नेगी, सहकारी बैंक के निदेशक प्रीतांबर दास, अंकुश नेगी और किशोर सहित अनेक प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। हिमाचल प्रदेश के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने पुष्पेंद्र की शहादत पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा – "यह बलिदान न केवल परिवार, बल्कि पूरे प्रदेश की क्षति है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह शोकाकुल परिवार को यह असहनीय दुःख सहने की शक्ति दे।"
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) का कार्यालय शिमला से धर्मशाला स्थानांतरित करने की अधिसूचना पर रोक लगा दी है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावलिया और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने जारी किया। साथ ही सरकार को इस मामले में अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अनूप रतन अदालत में पेश हुए। याचिकाकर्ता नरेश शर्मा की ओर से दाखिल जनहित याचिका में अधिसूचना को चुनौती दी गई थी और मामले की शीघ्र सुनवाई की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए 13 जून को जारी अधिसूचना पर फिलहाल रोक लगा दी है। याचिका में तर्क दिया गया कि रेरा कार्यालय में इस समय कुल 34 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से 18 आउटसोर्स कर्मचारी हैं जो ड्राइवर, चतुर्थ श्रेणी व अन्य पदों पर तैनात हैं। कार्यालय के धर्मशाला शिफ्ट होने से इन कर्मचारियों के परिवारों और बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ेगा। कम वेतन में धर्मशाला जैसे शहर में काम करना उनके लिए व्यावहारिक नहीं है। इसके अतिरिक्त, याचिका में यह भी कहा गया है कि रेरा से जुड़े अधिकतर मामले बद्दी, बरोटीवाला, सोलन और शिमला जैसे क्षेत्रों से आते हैं, ऐसे में कार्यालय को शिमला से हटाना तर्कसंगत नहीं है। इस याचिका के साथ-साथ मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना के कार्यकाल को चुनौती देने वाली एक अन्य जनहित याचिका पर भी सुनवाई हुई। दोनों मामलों की अगली सुनवाई 13 अगस्त को निर्धारित की गई है।
हिमाचल प्रदेश में आपदा प्रबंधन को अधिक प्रभावी और त्वरित बनाने की दिशा में राज्य सरकार ने अहम कदम उठाए हैं। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडलीय उप समिति की बैठक में राहत एवं बचाव कार्यों को तेज़ करने के लिए हेलिकॉप्टर किराये पर लेने का निर्णय लिया गया। साथ ही प्रदेश में ‘अर्ली वार्निंग सिस्टम’ (पूर्व चेतावनी प्रणाली) स्थापित करने को भी मंज़ूरी दी गई। यह प्रणाली मौसम की सटीक निगरानी, पूर्वानुमान और समय रहते चेतावनी देने में सक्षम होगी। इससे आपदा की स्थिति में अग्रिम सतर्कता बरती जा सकेगी, जिससे जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा। बैठक में हाल ही में प्रदेश में आई बाढ़ और बादल फटने की घटनाओं की समीक्षा की गई। प्रभावित क्षेत्रों में अवरुद्ध सड़कों की बहाली, क्षतिग्रस्त पुलों के पुनर्निर्माण और पेयजल योजनाओं की मरम्मत जैसे ज़रूरी बुनियादी ढांचों की बहाली पर भी विस्तृत चर्चा हुई। राजस्व मंत्री ने बताया कि उप समिति की एक अन्य बैठक में छोटे और सीमांत किसानों के भूमि नियमितीकरण से जुड़े मामलों पर भी चर्चा की गई। इसके साथ ही, हिमाचल को वन संरक्षण अधिनियम (FCA) के तहत रियायत दिलाने के लिए उच्चतम न्यायालय में अपील करने को मंजूरी दी गई है। इस बैठक में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी, अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) कमलेश कुमार पंत, विशेष सचिव (राजस्व-आपदा) डीसी राणा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
कड़छम-वांगतू जलविद्युत परियोजना से रॉयल्टी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला न सिर्फ हिमाचल प्रदेश सरकार की बड़ी जीत है, बल्कि आर्थिक संकट से जूझ रहे हिमाचल के लिए उम्मीद की नई किरण भी है। इस फैसले के तहत अब जेएसडब्ल्यू एनर्जी कंपनी को 1045 मेगावाट क्षमता वाली इस परियोजना से राज्य को 12 फीसदी के बजाय 18 फीसदी रॉयल्टी देनी होगी। प्रदेश सरकार को सालाना करीब 150 रुपए करोड़ की अतिरिक्त आय होगी। इसके अलावा 12 साल पूरा कर चुकी अन्य परियोजनाओं के लिए भी सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मील का पत्थर साबित होगा। ऐसे में राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से सरकार को हर साल 250 करोड़ से अधिक की आय प्राप्त होगी। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मई 2024 में आए आदेश को निरस्त करता है, जिसमें कंपनी को केवल 12 फीसदी रॉयल्टी देने की अनुमति दी गई थी। साल 1999 में राज्य सरकार और कंपनी के बीच हुए समझौते के अनुसार परियोजना के पहले 12 वर्षों तक 12 फीसदी और उसके बाद शेष 28 वर्षों तक 18 फीसदी रॉयल्टी निर्धारित की गई थी। वहीं, सितंबर 2011 में परियोजना के संचालन के शुरू होने के बाद कंपनी ने 12 वर्षों तक 12 फीसदी रॉयल्टी दी, लेकिन सितंबर 2023 से 6 फीसदी अतिरिक्त रॉयल्टी देने से इनकार कर दिया। ऐसे में ये विवाद हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में पहुंचा, जिसमें हाईकोर्ट ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था। अब सुप्रीम कोर्ट न हाई कोर्ट का फिसला निरस्त का दिया है। अब 13 सितंबर, 2023 से बिजली कंपनी को अदायगी करनी होगी। 40 साल बाद हिमाचल सरकार के अधीन परियोजना आ जाएगी। इसके अतिरिक्त 12 वर्ष पूर्ण कर चुकी अन्य परियोजनाओं के लिए भी सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मील का पत्थर बनेगा और राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से खजाने में प्रति वर्ष 250 करोड़ से अधिक की आय आएगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस मुद्दे को व्यक्तिगत प्राथमिकता पर लेते हुए प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों पर राज्य के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ प्रयास किए।
शिमला। हिमाचल प्रदेश में होम स्टे संचालन के नियम अब पहले से कहीं ज़्यादा सख्त कर दिए गए हैं। प्रदेश सरकार ने नए होम स्टे रूल्स 2025 अधिसूचित कर दिए हैं, जिसके तहत अब लीज पर लिए गए मकानों या फ्लैट्स में होम स्टे चलाना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा। इसके साथ ही सभी मौजूदा होम स्टे और बेड एंड ब्रेकफास्ट (B&B) यूनिट्स के लिए नए सिरे से पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। ये हुए बदलाव लीज या किराये के मकान पर प्रतिबंध: अब किसी भी किराये के भवन, फ्लैट, वन या टू-रूम सेट में होम स्टे नहीं चल पाएगा। मालिकाना हक अनिवार्य: होम स्टे का पंजीकरण केवल संपत्ति के मालिक के नाम पर ही संभव होगा। राजस्व रिकॉर्ड अनिवार्य: पंजीकरण जमाबंदी (Revenue Record) में दर्ज नाम के आधार पर ही किया जाएगा। स्वतंत्र इकाई जरूरी: होम स्टे के लिए स्वतंत्र भवन या एक पूरी मंज़िल होनी चाहिए, साथ ही आवाजाही का अलग रास्ता सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि पर्यटकों की निजता प्रभावित न हो। दरअसल पर्यटन विभाग द्वारा होम स्टे पंजीकरण के लिए नया पोर्टल तैयार किया जा रहा है, जिसमें ये सख्त शर्तें शामिल की जा रही हैं। सरकार का कहना है कि इन नियमों का उद्देश्य स्थानीय लोगों को लाभ पहुंचाना और अव्यवस्थित होम स्टे कारोबार पर लगाम लगाना है। बता दें कि हिमाचल में बड़ी संख्या में बाहरी राज्यों के लोगों ने बिना धारा 118 की मंजूरी के फ्लैट खरीद रखे हैं और इन्हें होम स्टे के तौर पर किराये पर दे रखा है। अब सरकार की नई नीति के अनुसार, फ्लैट्स और लीज पर आधारित होम स्टे संचालन पूरी तरह अवैध माना जाएगा।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से भेंट कर हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भू-स्खलन से हुए भारी नुकसान से अवगत करवाया। उन्होंने क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत और पुनर्निर्माण कार्यों में सहयोग तथा प्रदेश की कुछ सड़कों को प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना में शामिल करने का आग्रह किया। सुक्खू ने राष्ट्रीय राजमार्ग परियोनाओं में विभिन्न कारणों से हो रहे विलंब के बारे में भी केंद्रीय मंत्री को जानकारी दी और इन परियोजनाओं की सभी औपचारिकताएं पूरी करवाने का आग्रह किया ताकि निर्माण कार्य शीघ्र शुरू किया जा सके। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में सुरंग निर्माण को प्राथमिकता देने पर भी बल दिया। इसके अलावा उन्होंने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सड़कों के संबंध में भी चर्चा की जिनका मामला रक्षा मंत्रालय से उठाया गया है। उन्होंने इन सड़कों पर भी शीर्घ कार्यवाही करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में अधिक संख्या में रोप-वे परियोजनाओं को स्वीकृति देने का अनुरोध किया ताकि यातायात की समस्या का समाधान कर लोगों को लाभान्वित किया जा सके। केंद्रीय मंत्री ने राज्य को हर सम्भव सहायता का आश्वासन दिया और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। विधायक सुंदर सिंह ठाकुर, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, सचिव लोक निर्माण अभिषेक जैन, प्रधान आवासीय आयुक्त सुशील कुमार सिंगला और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण व मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
`पवित्र किन्नर कैलाश यात्रा आज यानी 15 जुलाई से शुरू हो गई है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और यात्रा के सुचारू संचालन के लिए पुलिस प्रशासन ने सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर रखी हैं। यात्रा मार्ग पर पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है और विशेष निगरानी भी बढ़ाई गई है। पुलिस उप अधीक्षक नवीन झाल्टा ने पुलिस लाइन, रिकांगपिओ में यात्रा ड्यूटी पर तैनात कर्मियों को सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण और चिकित्सा सहायता से जुड़े दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और हर स्थिति से निपटने के लिए टीम को अलर्ट मोड में रहना होगा। यात्रा शुरू होने के साथ ही सभी श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, और पंजीकरण दस्तावेजों की जांच की जा रही है। पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि किसी भी श्रद्धालु को बिना उचित दस्तावेजों के यात्रा में शामिल नहीं होने दिया जाएगा। यात्रा मार्ग के दुर्गम और संवेदनशील हिस्सों पर पुलिस की ओर से विशेष निगरानी रखी जा रही है। संभावित आपदा या आपातकालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए रेस्क्यू टीम और मेडिकल सहायता भी तैनात की गई है।
फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ में आमिर खान द्वारा निभाया गया फुनसुख वांगडू का किरदार जिनसे प्रेरित था, उन्हीं सोनम वांगचुक के संस्थान से अब हिमाचल के शिक्षक प्रशिक्षण लेंगे। लद्दाख स्थित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लद्दाख (HIAL) के साथ हिमाचल सरकार एक समझौता ज्ञापन (MoU) साइन करने जा रही है। इसके तहत शिक्षकों को वैकल्पिक शिक्षा पद्धति की ट्रेनिंग दी जाएगी और छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रम भी शुरू होगा। हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के नेतृत्व में एक शैक्षणिक प्रतिनिधिमंडल ने HIAL का दौरा किया। इस दौरान प्रतिनिधियों ने संस्थान के उस शिक्षा मॉडल का अवलोकन किया जो 'लर्निंग बाय डूइंग' यानी "सीखना करते हुए" की अवधारणा पर आधारित है। यह प्रणाली पारंपरिक किताबों से हटकर व्यावहारिक अनुभव को केंद्र में रखती है। साझेदारी की औपचारिक शुरुआत दौरे के दौरान शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने सोनम वांगचुक और संस्थान के अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें शिक्षकों को प्रशिक्षण देने और छात्रों के आपसी आदान-प्रदान कार्यक्रम पर सहमति बनी। हिमाचल सरकार इसे औपचारिक रूप देने के लिए HIAL के साथ जल्द MoU पर हस्ताक्षर करेगी। प्रतिनिधिमंडल में समग्र शिक्षा हिमाचल के राज्य परियोजना निदेशक राजेश शर्मा, उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा और स्कूली शिक्षा निदेशक आशीष कोहली भी शामिल रहे। दल ने वांगचुक द्वारा स्थापित सेकमोल (Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh) संस्थान का भी दौरा किया और वहां की वैकल्पिक शिक्षा व्यवस्था को नजदीक से समझा। हिमालयी राज्यों के लिए मॉडल बनेगा HIAL शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने इस अवसर पर कहा कि HIAL जैसे संस्थान ड्रॉपआउट दर में कमी लाने के साथ-साथ शिक्षा को स्थानीय जरूरतों से जोड़ने में भी प्रभावी हैं। उन्होंने कहा, "सोनम वांगचुक ने यह सिद्ध किया है कि किस प्रकार शिक्षा को हिमालय के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र के अनुरूप ढाला जा सकता है। उनका कार्य भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है।" वह वांगचुक को एक दूरदर्शी शिक्षा सुधारक मानते हैं, जिन्होंने नवाचार, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। आइस-स्टूपा से सोलर ऊर्जा तक..वांगचुक की सोच सोनम वांगचुक ने लद्दाख जैसे जलवायु संकट से जूझते क्षेत्र में आइस-स्टूपा तकनीक विकसित कर जल संरक्षण का अभिनव समाधान प्रस्तुत किया। इसके अलावा उन्होंने सौर ऊर्जा, स्थायी निर्माण तकनीकों, और स्थानीय संसाधन आधारित समाधान को भी बढ़ावा दिया, जो अब वैश्विक स्तर पर सराहे जा रहे हैं। साझेदारी से क्या बदल सकता है? इस MoU से हिमाचल के शिक्षक निम्नलिखित क्षेत्रों में लाभान्वित होंगे: उन्हें वैकल्पिक और अनुभव आधारित शिक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। छात्रों को स्थानीय समस्याओं और जलवायु अनुकूल शिक्षा से जोड़ा जाएगा। स्थायी विकास और शिक्षा सुधार की दिशा में हिमालयी राज्यों के लिए एक नया मॉडल विकसित होगा।
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने दोलग्याल (शुगदेन) साधना को लेकर एक बार फिर अपना स्पष्ट और निर्णायक रुख सामने रखा है। धर्मशाला के मैक्लोडगंज स्थित मुख्य तिब्बती बौद्ध मठ में आयोजित सार्वजनिक दर्शन कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि यह परंपरा तिब्बती बौद्ध समाज के भीतर फूट, भ्रम और मानसिक अशांति की जड़ बन चुकी है। कार्यक्रम के दौरान एक तिब्बती परिवार ने भावुक होकर दोलग्याल साधना से जुड़ी अपनी पीड़ा और मानसिक क्षति साझा की। उनकी आपबीती ने वहाँ उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं को भीतर तक झकझोर दिया। परिवार की व्यथा को गंभीरता से लेते हुए दलाई लामा ने न सिर्फ उन्हें सांत्वना दी, बल्कि इस संवेदनशील विषय पर अपना दो टूक दृष्टिकोण भी साझा किया। दलाई लामा ने एक आधिकारिक वीडियो संदेश में कहा, "दोलग्याल कोई साधना नहीं, बल्कि एक भ्रमजाल है, जो बौद्ध अनुयायियों को उनके मूल उद्देश्य से भटका रहा है। यह प्रथा न केवल मानसिक शांति को नष्ट करती है, बल्कि करुणा और अहिंसा जैसे बौद्ध मूल्यों की नींव को भी कमजोर करती है।” उन्होंने कहा कि यह परंपरा अब केवल व्यक्तिगत आस्था का विषय नहीं रही, बल्कि तिब्बती समाज की सामूहिक एकता को विभाजित करने वाला एक गंभीर संकट बन चुकी है। राटो मठ के पूर्व और वर्तमान महंतों को विशेष रूप से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बौद्ध साधना का सार डर, अंधविश्वास या चमत्कारों में नहीं, बल्कि करुणा, सह-अस्तित्व और आत्मविकास में है। युवाओं को उन्होंने खास तौर पर आगाह किया: "तथाकथित चमत्कारी या भय पर आधारित पूजा-पद्धतियों के प्रभाव में न आएं। सत्य को पहचानना ही सच्चा आध्यात्म है।" यह पहली बार नहीं है जब दलाई लामा ने दोलग्याल के खिलाफ खुलकर बात की हो। वर्ष 1996 से ही वे इसे तिब्बती समाज में धार्मिक और राजनीतिक द्वेष फैलाने वाला उपकरण करार देते आए हैं। उनका मानना है कि कुछ शक्तियां इस साधना का प्रयोग तिब्बती समुदाय को भीतर से तोड़ने के लिए कर रही हैं। “मैं बौद्ध धर्म का सेवक हूं, मेरा धर्म है कि मैं अपने समुदाय को सच्चाई से अवगत कराऊं, चाहे वह कितनी ही अप्रिय क्यों न हो,” दलाई लामा का यह बयान उनके साहस और करुणा दोनों का सजीव प्रमाण है। यह वीडियो संदेश “Office of His Holiness the Dalai Lama” द्वारा आधिकारिक रूप से जारी किया गया है, जिसमें दलाई लामा की स्पष्टवादिता और उनके नेतृत्व की नैतिक शक्ति साफ झलकती है। उनके शब्द न केवल एक चेतावनी हैं, बल्कि एक आह्वान भी सच्चे बौद्ध पथ की ओर लौटने का।
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में शुक्रवार को पंडोह डैम के पास कैंची मोड़ पर बड़ा भूस्खलन हुआ, जिससे चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह ठप हो गया। पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा और पत्थर गिरने से सड़क पर वाहनों की आवाजाही रुक गई और दोनों ओर लंबा जाम लग गया है। घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन हरकत में आया और राहत कार्य युद्धस्तर पर शुरू कर दिया गया है। मौके पर जेसीबी मशीनें और पुलिस टीमों को तैनात किया गया है। मलबा हटाने का काम तेज़ी से जारी है, लेकिन एसपी साक्षी वर्मा के अनुसार, मार्ग को पूरी तरह से बहाल करने में अभी समय लग सकता है। वैकल्पिक मार्ग की सलाह: प्रशासन ने यात्रियों की सुविधा के लिए कटौला-कमांद होते हुए वैकल्पिक मार्ग अपनाने की सलाह दी है। साथ ही, बारिश के मौसम को देखते हुए चंडीगढ़-मनाली हाईवे पर यात्रा कर रहे वाहन चालकों को विशेष सतर्कता बरतने की चेतावनी दी गई है। स्थिति पर लगातार नजर: वर्तमान में हाईवे के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लगी हैं और प्रशासन स्थिति पर निरंतर निगरानी बनाए हुए है। सड़क को साफ करने के लिए मशीनरी लगातार कार्यरत है और जल्द से जल्द यातायात बहाल करने का प्रयास किया जा रहा है।
हरियाणा के गुरुग्राम से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। गुरुवार सुबह 25 वर्षीय जूनियर इंटरनेशनल टेनिस प्लेयर राधिका यादव की उसके पिता दीपक यादव ने गोली मारकर हत्या कर दी। वारदात गुरुग्राम के सेक्टर 57 स्थित सुशांत लोक फेज़-2 में उनके घर पर हुई, जब राधिका रसोई में खाना बना रही थी। परिजनों के अनुसार, पिछले करीब 15 दिनों से घर में तनाव का माहौल था। राधिका और उसके पिता के बीच रोज झगड़े हो रहे थे। मामला टेनिस एकेडमी को लेकर था, जिसे राधिका ने हाल ही में शुरू किया था। पिता दीपक यादव ने इस एकेडमी में लगभग सवा करोड़ रुपये का निवेश किया था, लेकिन एक महीने बाद ही वह इसे बंद करवाना चाहते थे। गुरुवार की सुबह भी इसी बात को लेकर दोनों में कहासुनी हुई। गुस्से में आकर दीपक ने अपनी लाइसेंसी .32 बोर की पिस्टल से राधिका को तीन गोलियां मार दीं। राधिका रसोई में खून से लथपथ गिर गई। दीपक के भाई कुलदीप यादव ने बताया कि गोली चलने की आवाज सुनकर जब वे ऊपर पहुंचे, तो राधिका की लाश रसोई में पड़ी थी और पिस्टल ड्राइंग रूम में रखी थी। उन्होंने तुरंत अपने बेटे के साथ राधिका को अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस पूछताछ में दीपक यादव ने हत्या की बात स्वीकार की है। उसने बताया कि लोग उसे ताने मारते थे कि वह बेटी की कमाई खा रहा है। ये बातें उसे चुभती थीं। जब राधिका ने उसकी बात नहीं मानी और एकेडमी बंद करने से इनकार कर दिया, तो वह बर्दाश्त नहीं कर पाया और गोली मार दी। राधिका यादव एक काबिल टेनिस खिलाड़ी थीं। उनका जन्म 23 मार्च 2000 को हुआ था। उन्होंने कई नेशनल और इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स में भाग लिया और ITF महिला युगल में 113वीं सर्वोच्च रैंकिंग हासिल की थी। AITA की अंडर-18 और महिला वर्ग में भी वे शीर्ष 100 खिलाड़ियों में शामिल रहीं। उन्होंने हाल ही में चोट के चलते सक्रिय खेल से दूरी बनाकर एकेडमी शुरू की थी, जहां वे बच्चों को टेनिस सिखाती थीं। राधिका ने स्कॉटिश हाई इंटरनेशनल स्कूल से पढ़ाई की और 2018 में कॉमर्स में 12वीं पास की। खेल और पढ़ाई के साथ उन्होंने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की थी, लेकिन यह आत्मनिर्भरता उनके पिता को बर्दाश्त नहीं हुई। फिलहाल पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच जारी है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
खराहल घाटी में देवता की अनुमति के बिना रोपवे निर्माण का आरोप, धरना प्रदर्शन जारी हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की खराहल घाटी में प्रस्तावित बिजली महादेव रोपवे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। रोपवे निर्माण के लिए इन दिनों क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की जा रही है, जिसके खिलाफ स्थानीय ग्रामीणों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यह परियोजना देवता की मर्जी के खिलाफ चलाई जा रही है और यह सीधे तौर पर प्रकृति और आस्था दोनों के साथ खिलवाड़ है। वीरवार को ग्रामीणों ने धारठ क्षेत्र में जाकर पेड़ों की कटाई रोक दी और निर्माण स्थल पर धरना दिया। पूर्व भाजपा नेता और एचपीएमसी के पूर्व उपाध्यक्ष राम सिंह भी प्रदर्शनकारियों के साथ धरने में शामिल हुए। उन्होंने कहा: “जब स्थानीय जनता विरोध कर रही है और भगवान बिजली महादेव ने भी देव वाणी में रोपवे निर्माण से मना किया है, तो सरकार किसके दबाव में काम कर रही है? अगर समय रहते इस परियोजना को नहीं रोका गया, तो सिर्फ खराहल ही नहीं, कुल्लू की जनता भी सड़कों पर उतरकर विरोध करेगी।” वन विभाग और ग्रामीणों में हुई तीखी बहस धरने के दौरान वन कटान कर रही टीम और ग्रामीणों के बीच कहासुनी भी हुई। ग्रामीणों ने साफ शब्दों में कहा कि सरकार अगर उनकी बात नहीं सुनेगी, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। लगातार हो रहे हैं प्रदर्शन बुधवार को भी रामशिला में स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और प्रशासन से मांग की कि रोपवे निर्माण कार्य को तुरंत रोका जाए। ग्रामीणों ने पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर भी आपत्ति जताई है और पर्यावरणीय संतुलन को लेकर चिंता जताई है। अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लेकिन जिस तरह से जनविरोध बढ़ रहा है, उससे साफ है कि अगर सरकार ने समय रहते संवाद नहीं किया, तो यह मामला और बड़ा रूप ले सकता है।
हर बरसात एक नई आफत क्यों हिमाचल पिछले कुछ सालों में बहुत कुछ खो चूका है। हर साल बरसात आती है और हिमाचल को गहरे ज़ख्म दे जाती है। न जाने कितने परिवार उजड़ गए, न जाने कितने लोग बेघर हो गए, न जाने कितने लोगों की हस्ती खेलती ज़िन्दगी वीरान हो गई। पुल टूट गए, सड़कें तबाह हो गई, पूरे पूरे बाज़ार रौद्र रूप धारण कर नदियां निगल गई। गांवों के नाम मिट गए, कई शहरों के नक्शे बदल गए। हालात ऐसे हैं कि हिमाचल का दर्द अब शब्दों में समाना मुश्किल हो गया है, क्योंकि ये पीड़ा एक बार की नहीं, यह हर साल की कहानी बन चुकी है। लेकिन क्या हिमाचल हमेशा से ऐसा था? क्या इस देवभूमि पर आपदा ऐसे ही बरसती रही है? नहीं, हिमाचल हमेशा ऐसा नहीं था। यह देवभूमि सदियों से अपनी शांत प्राकृतिक छवि, स्थिरता और संतुलित जीवनशैली के लिए जानी जाती रही है। हां, हिमालयी भूगोल के कारण यहां भूस्खलन और भूकंप जैसी आपदाओं की आशंका हमेशा बनी रही है, लेकिन पहले इन घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता सीमित थी। बीते कुछ वर्षों में जिस तरह हर मानसून के साथ तबाही का पैमाना बढ़ता गया है, वैसा पहले नहीं देखा गया। 2017–2022 में हिमाचल में हर मानसून में औसतन ₹1,000 करोड़ का सालाना नुकसान हुआ । जब कि 2023 की तबाही अकेले पिछले पाँच साल के कुल नुकसान का लगभग 8.5 गुना थी। अकेले 2023 के मानसून में हिमाचल में 400 से अधिक लोगों की जान गई, 2,500 से अधिक घर पूरी तरह तबाह हो गए और 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ। हिमाचल प्रदेश में 2024 के मानसून के दौरान भारी बारिश, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं ने व्यापक तबाही मचाई। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) के अनुसार, 27 जून से 2 अक्टूबर 2024 तक कुल 101 आपदाजनक घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 54 बादल फटने, 47 भूस्खलन, 122 घरों का नुकसान और 149 मवेशियों की मौत शामिल है। इस दौरान राज्य को लगभग ₹1,360 करोड़ का आर्थिक नुकसान हुआ। बात 2025 कि करें तो अब तक 85 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 34 लोग लापता हैं और 129 लोग घायल हुए हैं। मंडी जिला, विशेष रूप से थुनाग, बगसेयड़ और करसोग-गोहर क्षेत्र, सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। यहां 404 घर पूरी तरह से नष्ट हो गए, जबकि 751 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। व्यावसायिक संपत्तियों में भी भारी नुकसान हुआ है, जिसमें 233 दुकानें और फैक्ट्रियां शामिल हैं। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अनुसार, कुल्लू, मंडी और चंबा जिलों में 10 पुल बह गए हैं। आर्थिक नुकसान का अनुमान ₹541 करोड़ है। बरसात में हिमाचल को अब ज़्यादा नुकसान क्यों हो रहा है? प्रश्न यह है कि हिमाचल में अब बरसात के दौरान तबाही इतनी ज़्यादा क्यों हो रही है? हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन योजना (HPSDMP) के अनुसार, पिछले सौ वर्षों में प्रदेश का औसत सतही तापमान 1.6 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। इस तापमान वृद्धि से वर्षा और तापमान के पैटर्न में बदलाव आया है, जिससे बादल फटना, भूस्खलन, बाढ़, सूखा, हिमस्खलन और जंगलों में आग जैसी चरम घटनाएं अधिक बार और अधिक तीव्रता से हो रही हैं। रिपोर्ट बताती है कि शिमला में पिछले 20 वर्षों में तापमान में तेज़ बढ़ोतरी हुई है, ब्यास नदी में मानसूनी जल प्रवाह में गिरावट आई है, जबकि चिनाब और सतलुज में सर्दियों के दौरान जल प्रवाह बढ़ा है। इसके साथ ही ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार तेज़ हुई है, जो अपने साथ नई आपदाओं को जन्म दे रही है। पर्यावरणविद बताते हैं कि हिमाचल में तापमान की वृद्धि मैदानों से भी अधिक है। जहाँ पहले समुद्रतल से 3000 फीट ऊँचाई तक बर्फबारी होती थी, अब वह 5000 फीट के ऊपर ही देखने को मिलती है। पहले जो बारिश सप्ताह भर तक धीरे-धीरे होती थी, वह अब कम समय में तीव्र रूप से होती है। इसका सीधा परिणाम है ग्लेशियरों से निकलने वाला पानी और भारी बारिश, दोनों मिलकर फ्लैश फ्लड और भूस्खलन की घटनाओं को बढ़ा रहे हैं। एक और चिंताजनक प्रवृत्ति यह है कि अब बरसात की कुल मात्रा तो पहले जैसी ही है, लेकिन बरसात के दिनों की संख्या में भारी गिरावट आई है। यानी अब कम दिनों में अधिक तीव्र बारिश हो रही है। जब भारी वर्षा थोड़े समय में होती है, तो वह क्लाउड बर्स्ट और फ्लैश फ्लड जैसी आपदाओं का रूप ले लेती है। पहाड़ी राज्यों में, जहां ज़मीन की पकड़ कमजोर होती है और ढलानों पर बसे इलाके होते हैं, ऐसी बारिश बड़ी तबाही का कारण बनती है। इसके अलावा, बेतरतीब निर्माण, सड़क चौड़ीकरण, वनों की कटाई और खनन जैसी मानवीय गतिविधियों ने इस संवेदनशीलता को और बढ़ा दिया है। यह भी जानना ज़रूरी है कि मौसम विभाग के पास अब एक सुदृढ़ अर्ली वार्निंग सिस्टम है, जो किसी भी क्षेत्र के लिए 5 से 7 दिन पहले अलर्ट जारी कर देता है। ये अलर्ट रंग-कोड (रेड, ऑरेंज, येलो) के रूप में जारी किए जाते हैं, ताकि यह समझा जा सके कि किस क्षेत्र में कितना खतरा है। इसके साथ ही “इंपैक्ट-बेस्ड फोरकास्ट” भी जारी किया जाता है, जिसमें बताया जाता है कि मौसम का संभावित असर किस प्रकार का होगा। इसके बावजूद जब लोग, स्थानीय प्रशासन या संस्थाएं इन चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लेतीं, तो तबाही टालना मुश्किल हो जाता है। इसलिए चेतावनी के साथ कार्रवाई भी उतनी ही ज़रूरी है। हिमाचल की त्रासदी अब केवल प्राकृतिक नहीं रही। यह अब एक मिश्रण है ......... जलवायु परिवर्तन, अवैज्ञानिक विकास, प्रशासनिक लापरवाही और जन-जागरूकता की कमी का। अगर हम अब भी नहीं चेते, तो हर साल यह तबाही और गहराती जाएगी और हिमाचल की यह देवभूमि, विनाश की स्थली में बदल जाएगी।
हिमाचल प्रदेश के चंबा ज़िले में आज सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.5 मापी गई और इसकी गहराई 5 किलोमीटर थी। यह झटके सुबह 6 बजकर 23 मिनट पर दर्ज किए गए। स्थानीय लोगों के अनुसार, धरती तीन बार कांपी, जिससे घबराकर लोग घरों से बाहर निकल आए। हालांकि झटकों की तीव्रता कम होने की वजह से ज़्यादातर लोगों को इसका अहसास नहीं हुआ और किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है। गौरतलब है कि चंबा जिला भूकंपीय दृष्टि से भारत के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल है। यह क्षेत्र सिस्मिक ज़ोन-5 में आता है, जहां समय-समय पर भूकंप के हल्के-फुल्के झटके महसूस होते रहते हैं। भूकंप क्यों आता है? धरती की बाहरी परत कई टेक्टोनिक प्लेट्स से बनी होती है, जो लगातार हिलती-डुलती रहती हैं। जब ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं या एक-दूसरे के ऊपर-नीचे खिसकती हैं, तो ज़मीन के अंदर तनाव पैदा होता है। एक समय के बाद यह तनाव ऊर्जा के रूप में बाहर निकलता है, जिससे धरती हिलती है और भूकंप आता है।
हिमाचल प्रदेश की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक, श्रीखंड महादेव यात्रा आज से औपचारिक रूप से शुरू हो गई है। बुधवार सुबह 5 बजे श्रद्धालुओं का पहला जत्था भगवान शिव के दर्शन के लिए रवाना हुआ, जो 12 जुलाई को श्रीखंड की चोटी तक पहुंचेगा। इसके बाद हर दिन 800 श्रद्धालुओं के जत्थे यात्रा पर भेजे जाएंगे। श्रीखंड यात्रा को दुनिया की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में गिना जाता है। इस यात्रा में श्रद्धालुओं को 32 किलोमीटर का कठिन और दुर्गम ट्रैक पैदल तय करना होता है। रास्ते में चार ग्लेशियर, खड़ी चट्टानें और कई संकरे मोड़ हैं। समुद्र तल से 18,570 फीट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव की चोटी तक पहुंचने में श्रद्धालुओं को कई बार ऑक्सीजन की कमी का भी सामना करना पड़ता है, खासकर पार्वती बाग के आगे। पंजीकरण और फिटनेस टेस्ट अनिवार्य श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने इस बार यात्रा पर सख्ती से नियम लागू किए हैं। यात्रा से पहले ऑनलाइन पंजीकरण (शुल्क ₹250) और मेडिकल फिटनेस टेस्ट अनिवार्य किया गया है। अब तक 5,000 से अधिक श्रद्धालु ऑनलाइन पंजीकरण करवा चुके हैं। पांच बेस कैंप, चिकित्सा सुविधा और लंगर व्यवस्था कुल्लू प्रशासन और श्रीखंड ट्रस्ट समिति द्वारा सिंहगड़, थाचरू, कुनशा, भीम द्वार और पार्वती बाग में पांच बेस कैंप स्थापित किए गए हैं। यहां श्रद्धालुओं के ठहरने, भोजन और स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था की गई है। हर कैंप में मेडिकल स्टाफ, ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाइयां, पुलिस और रेस्क्यू टीमें तैनात की गई हैं। जगह-जगह ट्रस्ट की ओर से लंगर भी लगाए गए हैं। धार्मिक मान्यता और पौराणिक कथा मान्यता है कि श्रीखंड महादेव की चोटी पर स्वयं भगवान शिव का वास है। यहां 72 फीट ऊंचा एक प्राकृतिक शिवलिंग है, जिसकी परिक्रमा और पूजा करने से मनवांछित फल प्राप्त होता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव से वरदान पाकर अहंकारी भस्मासुर जब उन्हें ही भस्म करने दौड़ा, तो भगवान शिव श्रीखंड की ओर भागे। अंततः भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में भस्मासुर को नृत्य करवा कर उसका अंत किया। यह स्थान उसी कथा से जुड़ा हुआ माना जाता है। रास्ते में क्या-क्या देख सकते हैं? इस रोमांचक यात्रा के दौरान श्रद्धालु थाचड़ू, भीम द्वार, नैन सरोवर, भीम बही, बराटी नाला और पार्वती बाग जैसे मनोरम और आध्यात्मिक स्थलों से गुजरते हैं। पार्वती बाग में फूलों की महक, हिमालयी जड़ी-बूटियों की खुशबू और प्राकृतिक सौंदर्य श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देता है।
हिमाचल प्रदेश में गुरु शिष्य के रिश्ते को शर्मसार करने वाला फिर एक मामला सामने आया है। एक सरकारी स्कूल के शिक्षक पर फिर स्कूल की छात्रा से छेड़छाड़ के आरोप लगे है। मामला जिला सिरमौर के नाहन तहसील का है। पुलिस ने तुरंत केस दर्ज कर आरोपी शिक्षक को गिरफ्तार किया। बीएनएस की संबंधित धाराओं और पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कर आरोपी शिक्षक को गिरफ्तार करअदालत में पेश किया गया। अदालत से 22 जुलाई तक आरोपी शिक्षक को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। वहीं माना जा रहा है जल्द आरोपी शिक्षक का निलंबन हो सकता है। जानकारी के अनुसार महिला पुलिस थाना नाहन में एक महिला ने 7 जुलाई को शिकायत दर्ज करवाई कि उसकी बेटी एक सरकारी स्कूल में 7वीं कक्षा में पढ़ती है। शिकायत में कहा गया है कि शिक्षक ने स्कूल में योगा सिखाते समय उनकी बेटी से छेड़छाड़ की। शिक्षक ने पीड़ित छात्रा को यह धमकी भी दी कि यदि उसने यह बात किसी को बताई तो वह स्कूल से उसका नाम काट देगा। मामले का पता चलते ही परिजनों को पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है। बीते कुछ वक्त में सिरमौर से तीसरा मामला इससे पहले जून माह में जिला सिरमौर के राजगढ़ और पच्छाद उपमंडलों के दो अलग-अलग सरकारी स्कूलों में भी छात्राओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामले सामने आए थे। राजगढ़ के एक सरकारी स्कूल में 24 छात्राओं ने स्कूल के एक शिक्षक पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप जड़े थे, जिसके बाद पुलिस ने न केवल उसे गिरफ्तार किया, बल्कि शिक्षा विभाग द्वारा भी उसे सस्पेंड कर दिया गया। इसके चंद दिनों के बाद ही पच्छाद उपमंडल के एक सरकारी स्कूल की करीब 6 छात्राओं ने भी स्कूल के ही एक शिक्षक के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत पुलिस में दर्ज करवा। अब यह तीसरी घटना छात्रा के साथ सामने आई है।
हिमाचल प्रदेश में अब तक मानसून में 85 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 30 लोग अब भी लापता हैं। अब तक 718 करोड़ की सरकारी व निजी संपत्ति तबाह हो गई है। प्रदेश में 174 सड़कें, 162 बिजली ट्रांसफार्मर और 755 जल आपूर्ति योजनाएं अभी भी बाधित हैं। मंडी जिले में सबसे अधिक 136 सड़कें, 151 बिजली ट्रांसफार्मर व 137 जल आपूर्ति योजनाएं बंद हैं। इसके अलावा धर्मशाला, नूरपुर और देहरा में 603 पेयजल योजनाएं ठप हैं। मौसम विभाग के अनुसार, मानसून कुछ कमजोर पड़ा है। बीते सप्ताह के दौरान सामान्य से 18 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। अगले पांच दिन ज्यादा वर्षा होने के आसार नहीं हैं। वीरवार को ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा, मंडी, सोलन और सिरमौर जिला में हल्की बारिश हो सकती है। शुक्रवार को भी इन जिलों में हल्की बारिश की संभावना है। सामान्य से 18 प्रतिशत कम वर्षा प्रदेश में पहली से आठ जुलाई के बीच औसतन 47.4 मिलीमीटर सामान्य वर्षा होती है, लेकिन इस बार 38.8 मिलीमीटर बादल बरसे हैं। लाहुल स्पीति जिला में वर्षा नहीं हुई है। चंबा में सामान्य से 59 प्रतिशत कम, कुल्लू में 46 प्रतिशत, किन्नौर में 42 प्रतिशत, कांगड़ा में नौ प्रतिशत और शिमला में सामान्य से छह प्रतिशत कम बादल बरसे हैं। इसके विपरीत ऊना जिला में सामान्य से 91 प्रतिशत ज्यादा, मंडी में 22 प्रतिशत, सिरमौर में 13 प्रतिशत, बिलासपुर में 25 प्रतिशत व हमीरपुर में सामान्य से 19 प्रतिशत ज्यादा वर्षा हुई।
आज संभावित बैठक के लिए शिमल पहुंचे कर्मचारी प्रतिनिधि राज्य सरकार से 44 करोड़ की ग्रांट जारी होने के बाद हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के कर्मचारियों को मासिक वेतन बुधवार को जारी हो गया। कर्मचारियों को हर महीने चार या पांच तारीख को वेतन जारी होता है, लेकिन इस बार सरकार की ओर से ग्रांट जारी होने में देरी हुई है। इसके चलते वेतन भी देरी से आया। वहीं अभी पेंशनरों को मासिक पेंशन का इंतजार जारी है। हालाँकि राज्य सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया है कि इस महीने पेंशन पंद्रह तारीख को जारी कर दी जाएगी। हिमाचल पथ परिवहन निगम ने कर्मचारियों की लंबित मांगों पर चर्चा के लिए वीरवार को बैठक बुलाई है। यूनियन के पदाधिकारी प्रदेशभर से बैठक में भाग लेने के लिए शिमला पहुंच गए हैं, हालाँकि बैठक के आयोजन पर अभी संश्य बना हुआ है। दरअसल 14 जुलाई को एचआरटीसी की बीओडी होनी है। अधिकारी इसकी तैयारियों में जुटे हुए हैं। बता दें,एचआरटीसी चालक यूनियन ने मांगों को लेकर 25 जून से आंदोलन की चेतावनी दी थी जिसके बाद निगम प्रबंधन सभी मांगों को मानने का आश्वासन देकर 10 जुलाई को वार्ता के लिए बुलाया था। इस अवधि में निगम प्रबंधन ने कई मांगों पर कार्रवाई भी कर दी है। चालक व परिचालकों के अलावा कर्मशाला कर्मचारियों की पदोन्नति सूचियां जारी कर दी गई है। 100 करोड़ का नाइट ओवर टाइम लंबित एचआरटीसी कर्मचारियों का नाइट ओवर टाइम लंबित है, जोकि 100 करोड़ रुपए से भी अधिक का बताया जा रहा है। करकंहारी ये भी कह चुके है कि बेशक प्रबंधन ये राशि किश्तों में दे सकता है। इसके अलावा कर्मचारियों की डीए की लंबित किश्त, पदोन्नतियां, वित्तीय अनियमित्ताएं, संशोधित वेतनमान के लाभ सहित कई अन्य मांगे हैं जिन्हें प्रबंधन के समक्ष रखा जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट 'बिजली महादेव रोपवे' को लेकर कुल्लू में विरोध तेज़ हो गया है। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) के पूर्व चेयरमैन राम सिंह ने इस परियोजना के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलते हुए कहा है कि "यह प्रोजेक्ट किसी भी कीमत पर नहीं बनने दिया जाएगा।" राम सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बिजली महादेव सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि लोगों की आस्था का केंद्र है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय जनता और देव परंपरा की स्पष्ट नाराज़गी के बावजूद कुछ जन प्रतिनिधि इस परियोजना को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जो जन प्रतिनिधि पहले विरोध कर रहे थे, वे अब समर्थन में क्यों खड़े हैं। राम सिंह का कहना है कि रोपवे परियोजना पर्यावरण के लिए भी खतरा है...अब तक 72 पेड़ काटे जा चुके हैं और कुल 206 पेड़ काटने की अनुमति दी गई है। विवाद की जड़ में क्या है? 274 करोड़ की लागत से बनने वाला यह रोपवे कुल्लू के मोहल से लेकर बिजली महादेव मंदिर तक बनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आधुनिक परिवहन सुविधा देना है। हालांकि, स्थानीय लोगों और देव समाज से जुड़े संगठनों का तर्क है कि यह रोपवे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा बल्कि देव परंपराओं में भी हस्तक्षेप करेगा। शिलान्यास के बाद बढ़ा विरोध यह विवाद कोई नया नहीं है। पिछले डेढ़ दशक से इस परियोजना को लेकर विरोध होता रहा है। लेकिन बीते 5 मार्च 2025 को जब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इसका शिलान्यास किया, तो विरोध की आवाज़ और तीखी हो गई। कुछ दिन पहले इस प्रोजेक्ट से जुड़ा एक और विवाद तब सामने आया जब पूर्व सांसद और भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह भूमि पूजन में शामिल हुए। उनकी तस्वीर वायरल होने पर उन्होंने सफाई दी कि "मैं हमेशा इस प्रोजेक्ट के विरोध में था और रहूंगा।" क्या है आगे की राह? प्रशासन की ओर से अभी तक इस बढ़ते विरोध पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन एक तरफ जहां केंद्र और राज्य सरकारें इसे विकास का जरिया बता रही हैं, वहीं दूसरी ओर स्थानीय देव समाज, पर्यावरण प्रेमी और कुछ राजनीतिक हस्तियां इसे आस्था और प्रकृति के खिलाफ कदम मान रही हैं। अब देखना यह है कि क्या सरकार इस विरोध को सुनकर कोई समाधान निकालती है या फिर परियोजना को हर हाल में आगे बढ़ाने की कोशिश जारी रखती है।
मंडी सांसद एवं अभिनेत्री कंगना रनौत रविवार को मंडी जिला के विभिन्न आपदग्रस्त क्षेत्रों में पहुंची। कंगना रनौत ने कहा कि मंडी आने के बाद यहां की स्थिति देख काफी दुख हुआ। काफी नुकसान हुआ है। सराज में कंगना ने कहा कि यहां लोगों के पास कुछ भी शेष नहीं बचा है। अपने उजड़े हुए घरों को लोग बड़ी मायूसी से देख रहे हैं, यह झकझोर कर रख देने वाला दृश्य है। उन्होंने कहा वह केंद्र सरकार से आपदा प्रभावितों के लिए स्पेशल रिलिफ पैकेज की मांग रखेंगी और प्रभावितों के पुर्नवास और पुर्नस्थापना की गुहार भी लगाएंगी। मेरे पास अपना न तो कोई फंड, न अधिकारी और न ही कोई कैबिनेट कंगना ने सराज विधानसभा क्षेत्रों के आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। इस दौरान पूर्व सीएम एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भी उनके साथ मौजूद रहे। कंगना ने थुनाग बाजार को हुए नुकसान का जायजा लिया और यहां प्रभावितों से मुलाकात करके उनका दुख दर्द साझा करने का प्रयास किया। कंगना ने कहा कि मेरे दो भाई हैं जो साथ-साथ चले रहते हैं। मैं पहुंच तो जाती हूं, मेरा काम है केंद्र से राहत कोष लेकर आना, मेरे पास अपना न तो कोई फंड है नहीं, न कोई अधिकारी हैं और न ही कोई कैबिनेट है। सांसद के काम सीमित होता है, हम भी पहाड़ी हैं, हिमाचली हैं। सुक्खू सरकार पर साधा निशाना कंगना ने प्रदेश सरकार पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचारी सरकार काम कर रही है। 2023 कि आपदा में भी केंद्र सरकार ने जो हजारों करोड़ रूपए भेजे उसे प्रदेश सरकार ही डकार गई। कांग्रेस के नेताओं ने ये धंधा बना लिया है। अब भी केंद्र से जो रिलिफ आएगी वो भी प्रभावितों तक पहुंच नहीं पाएगी। ऐसे में वो एक स्पेशल समिति के गठन का सुझाव देगी , ताकि निगरानी रखी जा सके।
मुरारी लाल और रोशनी देव , 30 जून की वो काली रात इनकी जिंदगी की पाई-पाई बहा ले गई। बाढ़ ने न सिर्फ उनका घर बहा दिया, बल्कि वह ट्रंक भी साथ ले गई, जिसमें उनकी पूरी जमा-पूंजी रखी थी। 30 लाख रुपये नकद और कुछ गहने, ये ही थी उनकी ज़िंदगी की सारी जमा पूँजी। मंडी जिले के थुनाग बाजार में रहने वाले शिक्षक दंपति मुरारी लाल और रोशनी देवी का सपना था एक छोटा-सा घर ,अपना घर। 20 जून को इस दम्पति ने एक प्लॉट देखा था। खुद का आशियाना बनाने का सपना पूरा करने लिए सौदा 30 लाख में तय हुआ, और 7 जुलाई को रजिस्ट्री की तारीख तय कर दी ग। कुछ रकम दोनों ने जोड़ी थी, बाकी रिश्तेदारों से उधार लिया। बड़ी उम्मीद से ये पैसा एक लोहे के ट्रंक में गहनों के साथ रख दिया , फिर आई 30 जून की वो मनहूस रात,बादल फटने के बाद भारी सैलाब आ गया और कई मकान दुकानें बह गई। इसी सैलाब में मुरारी लाल का घर भी चपेट में आ गया और वो संदूक भी बह गया। अब मुरारी लाल पूरे थुनाग में मलबे में दिन-रात अपना ट्रंक खोज रहे हैं, गीली मिट्टी और टूटे पत्थरों के नीचे। परिवार के पास बस तन पर पहने हुए कपड़े ही बचे है। उस रात कमीज की जेब में 650 रुपये रखे थे, वही शेष है।
सराज के जंजैहली में फंसे 63 पर्यटकों को आपदा के 6 दिन बाद सुरक्षित अपने घरों के लिए भेज दिया गया ह। यह पर्यटक देश के विभिन्न राज्यों से सराज घाटी घूमने के लिए आए हुए थे और इन्हें रविवार को रेस्क्यू किया गया। प्रशासन ने करसोग से जंजैहली वाया शंकरदेहरा सड़क को रविवार दोपहर तक बहाल कर दिया और सबसे पहले यहां फंसे पर्यटकों को ही निकाला गया। यह पर्यटक यहां विभिन्न होटलों में रूके हुए थे। पर्यटकों ने बताया कि आपदा के तुरंत बाद पुलिस और प्रशासन की टीमों ने उनके साथ संपर्क साध लिया था। रेस्क्यू करने के बाद पुलिस स्टेशन पर मौजूद सेटेलाइट फोन के माध्यम से सभी पर्यटकों की बात उनके परिवारों से करवाई गई। पर्यटकों ने 6 दिनों तक मिले सहयोग के लिए प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन और विशेषकर स्थानीय लोगों का आभार जताया। एडीसी मंडी गुरसिमर सिंह ने कहा, "बगस्याड़ से थुनाग और लंबाथाच तक सड़क मार्ग को बहाल कर दिया गया है। जबकि दूसरी तरह करसोग से वाया शंकरदेहरा जंजैहली तक सड़क मार्ग बहाल हो गया है। इसी मार्ग के माध्यम से सभी पर्यटकों को बाहर निकाला गया है। जंजैहली में भी प्रशासन ने राहत सामग्री पहुंचाने के कार्य में तेजी लाई है और वहां हेलीकॉप्टर के माध्यम से भी सामग्री भेजी गई है।"
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश का दाैर लगातार जारी है। बीते 24 घंटों के दाैरान जोगिंद्रनगर में 52.0, नाहन 28.8, पालमपुर 28.8, पांवटा साहिब 21.0, ऊना 18.0, बरठीं 17.4, कांगड़ा 15.6 और श्री नयना देवी में 12.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। प्रदेश में शनिवार सुबह 10:00 बजे तक 261 सड़कें ठप रहीं। राज्य में 300 बिजली ट्रांसफार्मर और 281 जल आपूर्ति स्कीमें भी प्रभावित चल रही हैं। सबसे अधिक 176 सड़कें मंडी जिले में बाधित हैं। कुल्लू में 39 व सिरमाैर जिले में 19 सड़कें बाधित हैं। माैसम विज्ञान केंद्र शिमला की ओर से प्रदेश के कई भागों में 7 व 8 जुलाई के लिए भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। 6 जुलाई के लिए कांगड़ा, मंडी व सिरमाैर जिले के कुछ स्थानों पर भारी से अत्याधिक भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी हुआ है। विभाग के अनुसार 5 से 9 जुलाई तक अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। 10 और 11 जुलाई कई स्थानों पर बारिश हो सकती है। वही 5 व 9 जुलाई तक 10 जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है। 6 जुलाई को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, कुल्लू, शिमला व सोलन जिले के कुछ भागों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट। 7 जुलाई को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सोलन व सिरमाैर के लिए ऑरेंज अलर्ट। 8 जुलाई को ऊना, हमीरपुर, चंबा व कांगड़ा जिले के लिए ऑरेंज अलर्ट, अन्य जिलों के लिए येला।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश सचिवालय से राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना के तहत 20 ई-टैक्सियों को झंडी दिखाकर रवाना किया। इस योजना के तहत प्रदेश सरकार युवाओं को ई-टैक्सियों की खरीद पर 50% सब्सिडी प्रदान कर रही है। अब तक 59 युवाओं को 4.22 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा चुकी है, जबकि 61 अन्य लाभार्थियों को जल्द ही सब्सिडी जारी की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान कर उन्हें सरकारी कार्यालयों से जोड़ती है, जिससे पांच वर्षों के लिए स्थिर आय सुनिश्चित होती है। इसके साथ ही योजना में दो साल का विस्तार भी शामिल है, जो भविष्य में राज्य के वित्तीय बोझ को कम करने में मदद करेगा। CM सुक्खू ने पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए कहा कि सरकार ई-वाहनों और ग्रीन हाइड्रोजन को प्रोत्साहन दे रही है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने का जरूरी कदम है। उन्होंने बताया कि सरकार युवाओं को सरकारी क्षेत्र में रोजगार के साथ-साथ स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध करा रही है। प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम (HPSEDC) को भर्ती एजेंसी के रूप में लाइसेंस मिल चुका है, जिससे अब यह विभिन्न देशों के महावाणिज्य दूतावासों के साथ समझौते कर युवाओं को विदेशों में बेहतर वेतन वाले रोजगार के लिए प्रशिक्षित कर सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पहल से रोजगार के साथ-साथ शोषण को भी रोका जाएगा। CM सुक्खू ने बताया कि सरकार ने सरकारी विभागों में बड़े सुधार किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा गुणवत्ता में 21वें से 5वें स्थान तक सुधार किया है। साथ ही, मेडिकल कॉलेजों में एम्स दिल्ली की तर्ज पर अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए भी कार्य चल रहा है। इस अवसर पर उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह, विधायक हरीश जनारथा, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार नरेश चौहान समेत अन्य अधिकारी और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि मूसलाधार बारिश से प्रभावित मंडी जिले के सराज विधानसभा क्षेत्र में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। शिमला में मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि सरकार ने आपदा से क्षतिग्रस्त घरों वाले परिवारों को मासिक पाँच हजार रुपये किराया सहायता देने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने सराज क्षेत्र के उन लोगों से अपील की है जिनके मकान सुरक्षित हैं, वे अपने अतिरिक्त कमरों को प्रभावित परिवारों को किराये पर देकर उनकी मदद करें। उन्होंने जल्द ही प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने की भी बात कही। सरकार द्वारा प्रभावित परिवारों को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है और इसके लिए अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। राहत कार्यों को सुगम बनाने के लिए खच्चरों के जरिए भी खाद्य सामग्री पहुंचाई जा रही है। कुछ रास्ते पुनः बहाल हो चुके हैं, जिससे बचाव कार्यों में तेजी आई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि मौसम विभाग ने रविवार को रेड अलर्ट जारी किया है और सरकार पूरी तरह सतर्क है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री पहले ही प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं, वहीं लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी शनिवार से राहत एवं पुनर्वास कार्यों का जायजा लेंगे। सुक्खू ने कहा कि वे लगातार जिला प्रशासन के संपर्क में हैं और प्रभावित इलाकों की स्थिति पर अपडेट लेते रहेंगे।
हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग के करीब 90 जूनियर इंजीनियर, एसडीओ और एक्सईएन को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।आरोप है कि कई इंजीनियरों ने सरकार की अनुमति के बगैर ही काम करवा दिए और पूरा होने के बाद ठेकेदारों को फायदा देने के लिए टेंडर भी लगा दिए। जबकि कुछ इंजीनियर ऐसे हैं, जिन्होंने विकास कार्यों में कोताही बरती है, तो कई ने समय पर काम पूरा नहीं किया है। इन इंजीनियरों को 15 दिन के भीतर नोटिस का जवाब देने को कहा गया है। गड़बड़ी पाए जाने पर इन्हे चार्जशीट भी किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि सरकार को यह भी सूचना मिली है कि लोक निर्माण विभाग के कई इंजीनियर ठेकेदारों के साथ सांठगांठ कर रहे हैं। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बताया किकार्यों में लापरवाही बरतने वाले लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों को नोटिस जारी किए गए हैं। प्रदेश सरकार सड़कों की गुणवत्ता पर ध्यान दे रही है। लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।
हिमाचल पुलिस कांस्टेबल भर्ती का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। मामले की सुनवाई न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने शुक्रवार को भर्ती में धांधली के आरोपों पर राज्य सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी किए हैं। अदालत ने सभी प्रतिवादियों को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दायर करने को कहा है। याचिका में राज्य सरकार, डीजीपी, लोक सेवा आयोग, पुलिस अधीक्षक कांगड़ा सहित सीबीआई निदेशक को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में पुलिस कांस्टेबल परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र को चार-चार लाख रुपये में बेचने के गंभीर आरोप हैं। अदालत को याचिकाकर्ता ने बताया गया कि परीक्षा में बड़ा घोटाला किया गया है। पुलिस ने मामले में कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी किया है। याचिकाकर्ताओं ने इस मामले की जांच सीबीआई से करने की मांग की है। विदित रहे कि हिमाचल में 15 जून को परीक्षा हुई थी। इसके लिए प्रदेश भर में कुल 18 परीक्षा केंद्र बनाए गई थे। अभ्यर्थियों ने परीक्षा से 2 दिन पहले 13 जून को ही प्रश्नपत्र लीक होने के आरोप लगाए थे। वहीँ चंबा में कुछ अभ्यर्थियों ने उपायुक्त से मिलकर भर्ती में धांधली के आरोप लगाते हुए जांच की मांग भी की थी।
बेघर हुए लोगों के लिए पांच हजार रुपये प्रति माह किराया का एलान मंडी जिले के सराज क्षेत्र में बादल फटने से भारी तबाही के बीच राहत एवं बचाव कार्य के लिए अब सेना ने भी मोर्चा संभाल लिया है। थुनाग के साथ जंजैहली में भी भारी नुकसान हुआ है। कई घर ध्वस्त हो चुके हैं और कई लोग अब भी लापता है। शुक्रवार को बचाव दल ने थुनाग के डेजी गांव से 65 लोग रेस्क्यू किए हैं। ड्रोन से भी लापता लोगों की तलाश की जा रही है। सराज क्षेत्र में बीते सोमवार की रात को कई जगह बादल फटने से 17 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 54 लोग अभी भी लापता हैं। आपदा से सड़कें, बिजली-पानी और दूरसंचार व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। शुक्रवार को सराज क्षेत्र में हेलिकॉप्टर से राशन की खेप पहुंचाई गई। इसमें राशन की 40 किट, 20 तिरपाल, पानी की 120 बोतलें, दो बॉक्स दवाएं और कपड़े थे। इसी बीच, मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने घर खो चुके लोगों के लिए पांच हजार रुपये प्रति माह किराया देने का एलान किया है। कई मकान जमींदोज प्राकृतिक आपदा ने सबसे अधिक थुनाग उपमंडल को नुकसान पहुंचाया है। जंजैहली के बूंगरैलचौक में 13 मकान बाढ़ की भेंट चढ़ गए, जबकि छह पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। उधर, गोहर उपमंडल स्यांज पंचायत के पंगलियूर गांव में स्कोली खड्ड में ड्रोन से भी बाढ़ में बहे लोगों की तलाश की जा रही है। इसी तरह धर्मपुर में आपदा से स्याठी गांव के 27 घर पूरी तरह तबाह हो गए हैं, जबकि 11 को आंशिक नुकसान हुआ है। आपदा में गांव के 22 से अधिक परिवार प्रभावित हुए हैं। जोगिंद्रनगर उपमंडल की पिपली पंचायत में जमीन धंसने से बागला और पोहल गांव के करीब 20 रिहायशी मकानों के जमींदोज होने का खतरा पैदा हो गया है। सीएम को गृह मंत्री से मिला मदद का आश्वासन मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में बादल फटने और भारी बारिश से हुए नुकसान की जानकारी उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को दे दी है। केंद्रीय टीम भी नुकसान का आकलन करने हिमाचल आ रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बादल फटने से मंडी जिले के सराज, धर्मपुर, करसोग और सैंज क्षेत्र में लोगों के घरों समेत भूमि को व्यापक नुकसान पहुंचा है। इन क्षेत्रों में जिन लोगों के मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, अगर वे किराये के मकान में रहना चाहते हैं तो सरकार उन्हें 5,000 रुपये प्रतिमाह किराया देगी। साथ ही निशुल्क राशन भी पहुंचाया जा रहा है। मौसम साफ होते ही सेना के हेलिकाप्टर के माध्यम से मंडी के प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाई जाएगी।
पश्चिम बंगाल से रोजी रोटी की तलाश में आई सुष्मिता अब कभी अपने घर नहीं लौट पायेगी। न ही बिशन सिंह ताउम्र उस मनहूस रात को भूल पायेगा। सराज घाटी के निहरी को आपदा ने जो जख्म दिए हैं, वो शायद ही कभी भरे। इंसान लाश हो गए और घर मलबा। जो खुशकिस्मत थे बच गए , तो कई को तो शायद अंतिम संस्कार भी नसीब न हो। जो बच गए उनकी आँखों में अब खौफ है। उस मनहूस रात का भयावह चलचित्र न जाने कब तक उनके जहन में चलता रहेगा। आपदा के दौरान मौत के मुंह से निकलकर उपचार के लिए जोनल अस्पताल मंडी पहुंचे बिशन सिंह को 30 जून की उस भयानक रात का वाक्या ज्यूँ का त्यूं याद है। चारों तरफ अंधेरा और आसमान से बरसती आफत। रात करीब साढ़े ग्यारह बजे बादल फटा था। घर के दूसरे किनारे बहने वाला नाला उफान पर था। घरों को खतरा देख बिशन सिंह , उनकी पत्नी जगदंबा देवी, पिता उत्तम शेट्टी, उनका बाचे पारस, तेजेंद्र, दामेश्वरनी और पश्चिम बंगाल से उनके पॉलीहाउस में मजदूरी करने आये दंपती 22 वर्षीय शरण और 20 वर्षीय सुष्मिताऊंचाई वाली जगह के लिए निकल पड़े। इसी बीच भूस्खलन शुरू हो गया। बिशन सिंह और उनके पॉलीहाउस में काम करने वाली महिला मजदूर सुष्मिता पहाड़ी के मलबे के चपेट में आ गए और करीब 50 मीटर नीचे पहुंच गए। बिशन सिंह थोड़े खुशनसीब थे , उनके हाथ में एक पेड़ की टहनी आ गई। उसी टहनी को पकड़कर जैसे तैसे वो मनहूस रात गुजर गई। पर किस्मत ने सुष्मिता का साथ नहीं दिया। बिशन की आँखों के सामने वो नाले के तेज बहाव में बह गई। बेबस बिशन सिंह उसे मौत के आगोश में जाते देखता रहा, लेकिन बचा न सका। सुबह हुई तो चारों तरफ मलबा पसरा था। बिशन की बाजू टूट चुकी थी और टांग में गहरी चोट लगी थी। किसी तरह जंगल के पथरीले और कंटीले रास्तों में रेंगता हुआ परिजनों तक पहुंचा। दो दिन भारी बारिश के चलते परिजनों के साथ रहा। फिर बुधवार को पड़ोसियों की मदद से एक कुर्सी पर बैठाकर किसी तरह उसे आयुर्वेदिक फार्मेसी निहरी पहुंचाया गया। इसके बाद वीरवार सुबह सात बजे करीब 30 किलोमीटर पैदल चलकर बगस्याड़ मुख्य सड़क तक पहुंचाया। जहाँ से निजी वाहन से वो क्षेत्रीय अस्पताल मंडी पहुंचा।
जिला मंडी के सराज क्षेत्र में आई आपदा ने जो जख्म दिए है, उनका भरना बेहद मुश्किल है। 30 जून की रात बादल आफत बनकर बरसे और अपने पीछे कई दर्दनाक कहानियां छोड़ गए। सराज के परवाड़ा गांव में मलबा 11 माह की मासूम की पूरी दुनिया साथ ले गया, लेकिन कुदरत का चमत्कार देखिये मलबे के बीच, नन्हीं निकिता महफूस रही। सराज विधानसभा क्षेत्र के परवाड़ा गांव के रमेश, उसकी पत्नी राधा और मां पूर्णू देवी काल का ग्रास बन गए, लेकिन परिवार की आखिरी निशानी 11 माह की बच्ची निकिता पर शायद कुदरत को रहम आ गया। 30 जून की उस काली रात को भारी बारिश के बेसह घर के से साथ लगते नाले का जलस्तर बढ़ने लगा। रमेश को खतरे का अहसास हुआ तो तो अपनी 11 माह की बच्ची को अंदर सुला दिया, और पत्नी व मां के साथ पानी के बहाव को मोड़ने के निकल पड़ा। तभी पानी का सैलाब आ गया और तीनो को अपने साथ ले गया। घर के भीतर उसकी ग्यारह महीने की बच्ची बिलकुल महफूस बच गई। 11 माह की निकिता की निगाहें अब अपनों का चेहरा तलाश रही है। एसडीएम गोहर एसडीएम स्मृतिका नेगी की बाहों में उस बच्ची की तस्वीर सामने आई , तो सबको भावुक कर गई। बच्ची की देखभाल फिलहाल उसकी बुआ तारा देवी कर रही है, लेकिन कई लोग उस मासूम को गोद लेने के लिए इच्छा जाता चुके है। अब तक निकिता के पिता तक रमेश का शव बरामद हो गया है, जबकि उसकी पत्नी और मां के शवों की तलाश जारी है।
हिमाचल में छह दिनों तक लगातार बारिश जारी रहने का पूर्वानुमान है। इनमें चार दिन भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, जबकि दो दिन येलो अलर्ट है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने बुधवार को सोलन, सिरमौर और कांगड़ा में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जबकि अन्य जिलों में येलो अलर्ट रहेगा। तीन और चार जुलाई को पूरे प्रदेश में येलो अलर्ट जारी किया गया है। पांच से सात जुलाई तक अधिकांश स्थानों पर भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। वही विजिबिलिटी कम होने के कारण कांगड़ा की चार फ्लाइटें रद्द हो गईं। केवल दिल्ली से फ्लाइट गगल हवाई अड्डा पहुंची। इंडिगो की दिल्ली से दो और एक चंडीगढ़ से एक फ्लाइट रद्द हुई। स्पाइट जेट की दिल्ली से एक उड़ान आई और दूसरी रद्द रही। बारिश के कारण भुंतर हवाई अड्डे के लिए भी हवाई सेवा ठप रही।
हिमाचल में छह दिनों तक लगातार बारिश जारी रहने का पूर्वानुमान है। इनमें चार दिन भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, जबकि दो दिन येलो अलर्ट है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने बुधवार को सोलन, सिरमौर और कांगड़ा में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जबकि अन्य जिलों में येलो अलर्ट रहेगा। तीन और चार जुलाई को पूरे प्रदेश में येलो अलर्ट जारी किया गया है। पांच से सात जुलाई तक अधिकांश स्थानों पर भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। मंडी, कुल्लू, हमीरपुर, शिमला, सिरमौर और सोलन जिलों के कुछ क्षेत्रों में अगले 24 घंटों के दौरान बाढ़ की आशंका है। वहीं, राज्य के कुछ हिस्सों में सामान्य और कुछ में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। हिमाचल में प्राकृतिक आपदा के चलते 406 सड़कें बंद हो गई हैं। पानी की 171 स्कीमें पूरी तरह से ठप हो गई हैं। जिला मंडी में सबसे ज्यादा 248 सड़कें, कांगड़ा में 55, कुल्लू में 37, शिमला में 32, सिरमौर में 21, चंबा में 6, हमीरपुर, ऊना में 4 सोलन में 2, हमीरपुर और किन्नौर में एक-एक सड़क बंद है। हिमाचल में 1515 बिजली ट्रांसफार्मर ठप होने से कई क्षेत्रों में ब्लैकआउट है।
हिमाचल में सोमवार को चार जिलों कांगड़ा, सोलन, सिरमौर और मंडी में रेड और अन्य क्षेत्रों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। रामपुर उपमंडल के अंतर्गत सरपारा पंचायत में रात करीब दो बजे अचानक बादल फटने से सिकासेरी गटूला जगह पर काफी नुकसान हुआ है। बादल फटने से राजेंद्र कुमार पुत्र पलस राम का दो कुटार, एक कमरा, एक किचन सहित अन्य सारा सामान मलबा आने से क्षतिग्रस्त हो गया है। वहीं, विनोद कुमार का एक खूड एक गाय और गोपाल सिंह का एक खूड और गाय बह गई है। रेड अलर्ट के बीच शनिवार रात से रविवार तक बारिश से तीन नेशनल हाईवे और 129 से अधिक सड़कें बाधित रहीं। रविवार को कांगड़ा, शिमला और कुल्लू एयरपोर्ट से सभी उड़ानें रद्द रहीं। प्रदेश में 612 से अधिक ट्रांसफार्मर बंद हो गए और 6 पेयजल योजनाएं हांफ गईं। उधर, पहाड़ी से मलबा और पत्थर गिरने से कालका-शिमला हेरिटेज रेलवे ट्रैक बाधित रहा। इससे अप व डाउन की चार ट्रेनों को रद्द करना पड़ा और छह की आवाजाही हुई। सिरमौर के चिलोन के पास पांच घंटे पांवटा-शिलाई एनएच बंद रहा। नाहन-कुमारहट्टी के अलावा कालका-शिमला नेशनल हाईवे चक्कीमोड़ में पहाड़ियों से पत्थर गिरने से प्रभावित रहा।
हिमाचल प्रदेश के चार जिलों कांगड़ा, मंडी, सोलन, सिरमौर में मौसम विभाग ने भारी बारिश को लेकर रेड अलर्ट जारी किया है। ऐसे में लगातार हो रही बारिश से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने डीसी को निर्देश जारी करते हुए कहा कि रेड अलर्ट वाले जिलों में स्कूल बंद रखें। यह निर्णय विद्यार्थियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए लिया गया है। मौसम विभाग ने जिला सोलन, सिरमौर, कांगड़ा एवं मंडी के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। विभाग ने लोगों से नदी नालों से दूर रहने की अपील की है। वही लगातार बारिश से शिमला में चमियाना अस्पताल जाने वाली सड़क मलबा गिरने से बंद हो गई है। वहीं, भट्टाकुफर में भी गाड़ियों पर पत्थर गिरे हैं। इसके साथ ही संजौली वार्ड के बॉथवेल इलाके में भारी बारिश के बाद हुए भूस्खलन से एक मकान पर मलबा गिर गया है। इसके चलते इस घर में रह रहे मां बेटी अंदर फंस गए हैं। मेयर पार्षद समेत प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई है।
हिमाचल प्रदेश में मानसून सक्रिय हो गया है और मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने अगले एक सप्ताह तक राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश जारी रहने का अलर्ट जारी किया है। आपदा की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने कमर कस ली है और लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। मौसम विभाग के अनुसार 29 जून को राज्य के कई भागों में अत्यधिक भारी बारिश की संभावना है। 27, 28, 30 जून, और 1 से 3 जुलाई तक येलो अलर्ट जारी किया गया है।अगले 48 घंटों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में कोई बड़ी वृद्धि की संभावना नहीं है। इसके बाद, अगले 2-3 दिनों में राज्य के कई हिस्सों में तापमान में 2-3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आ सकती है। अगले 24 घंटों के दौरान शिमला और सिरमौर जिलों के कुछ जलग्रहण क्षेत्रों और आसपास के इलाकों में हल्की से मध्यम बाढ़ का खतरा है।मानसून सीजन में संभावित बाढ़ और भूस्खलन की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने लोगो से संवेदनशील क्षेत्रों इलाको में न जाने की अपील की है। इस दौरान कोई भी व्यक्ति नदियों, नालों और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में अनावश्यक रूप से न जाएं।
देवभूमि हिमाचल पर मानसून का कहर टूट पड़ा है। बुधवार को राज्य के पांच अलग-अलग स्थानों पर बादल फटने की घटनाओं ने विकराल रूप ले लिया, जिससे आई अचानक बाढ़ और भूस्खलन में अब तक सात लोगों की जान जा चुकी है, जबकि छह लोग अभी भी लापता हैं। धर्मशाला और कुल्लू जिले इस आपदा से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं। धर्मशाला के खनियारा में मनूणी खड्ड में बहे श्रमिकों में से एक का शव आज सुबह बरामद कर लिया गया है, लेकिन अभी भी दो श्रमिक लापता हैं। इससे पहले गुरुवार को भी यहां तीन शव मिले थे। राहत की बात यह है कि मौसम के कहर के बीच एक पहाड़ी पर फंसे युवक को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया है। लापता लोगों की तलाश के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, हिमाचल प्रदेश पुलिस और स्थानीय लोगों की टीमें कुल्लू और धर्मशाला में युद्धस्तर पर जुटी हुई हैं। एडीएम कांगड़ा शिल्पी बेक्टा ने बताया, "हमारा मुख्य लक्ष्य आज लापता श्रमिकों का पता लगाना है। मौके पर 50 सदस्यीय पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम मौजूद है, और होमगार्ड की एक टीम भी जल्द पहुंच रही है। कुल्लू के सैंज में एक ही परिवार के तीन सदस्यों - नंद लाल (72), उनकी बेटी मूर्ति देवी (15) और बहन यान दासी (67) - का अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है, जो बादल फटने से बह गए थे। इसके अलावा, तीर्थन नदी में एक और व्यक्ति के बहने की सूचना है। मंडी के धर्मपुर में जालपा मंदिर के पास ब्यास नदी से भी एक व्यक्ति का शव बरामद हुआ है। अच्छी खबर यह है कि सैंज में बादल फटने के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन से फंसे सभी सैलानियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। वहीं, खनियारा में बुधवार को बादल फटने से मनूणी खड्ड में आई बाढ़ के बीच सोकणी दा कोट में बने निजी बिजली प्रोजेक्ट में काम कर रहे नौ लोग लापता हो गए थे, जिनमें से अब तक पांच के शव मिल चुके हैं।
हिमाचल प्रदेश में बारिश कहर बनकर टूट रही है। बुधवार को प्रदेश में कई दर्दनाक हादसे हुए। कुल्लू जिले में बादल फटने से तीन लोगों के लापता होने की खबर है। जबकि धर्मशाला में भी तेज बारिश के बाद खड्ड में आई बाढ़ के चलते कुछ लोगों के बहने की आशंका जताई जा रही है। इस हादसे में कम से कम दो लोगों की जान गई है और कई लोग अभी भी लापता ह। कांगड़ा के जिला उपायुक्त हेमराज बैरवा के मुताबिक मनूणी खड्ड के पास एक हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट हैं. प्रोजेक्ट में काम करने वाले मजदूर इस खड्ड के आस-पास रहते थे। बुधवार को लगातार बारिश के बाद अचानक खड्ड का जलस्तर बढ़ गया और कुछ लोग इसकी चपेट में गए। दो शव मिल चुके हैं और कई लोग लापता है। राहत और बचाव कार्य के लिए टीमें मौके पर हैं। कुल्लू में फटे बादल बुधवार को कुल्लू जिले में ही कई जगहों पर बादल फटने की सूचना है, जिसके कारण नदी नाले उफान पर हैं। कुल्लू की सैंज घाटी में बादल फटने से 4 मकान क्षतिग्रस्त हो गए जबकि 3 लोग इस सैलाब में बह गए। कुल्लू में आठ गाड़ियां, 10 पुलिया और एक बिजली प्रोजेक्ट भी बह गया। सैंज के रैला बिहाल में बादल फटने से तीन लोग बह गए हैं। फिलहाल प्रशासन की ओर से जगह जगह राहत और बचाव कार्य जारी हैं । ब्यास उफान पर भारी बारिश के बाद ब्यास नदी का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है। कुल्लू से लेकर मंडी तक ब्यास उफान पर हैं। ब्यास में बढ़ते जल स्तर को देखते हुए पंडोह डैम के 3 गेट भी खोल दिए गए हैं जिसके कारण ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ गया है। इस उफान को देखते हुए प्रशासन की ओर से नदी के किनारे ना जाने की चेतावनी जारी की गई है। कुल्लू की सैंज घाटी के शैंशर, शांघड़ और सुचैहन पंचायत क्षेत्रों में 150 से अधिक पर्यटक वाहनों के साथ 2,000 से अधिक पर्यटक फंस गए हैं। सिउंड के पास मार्ग क्षतिग्रस्त होने के कारण उन्हें क्षेत्र से बाहर निकलने का रास्ता नहीं है। लाहौल में भी 25 पर्यटक फंसे हैं। प्रदेश में औट-बजार-सैंज एनएच-305 समेत 171 सड़कें और 550 बिजली ट्रांसफार्मर ठप चल रहे हैं। बुधवार को गगल हवाई अड्डा पर चार विमान उतरे, लेकिन दिल्ली और शिमला के लिए दो उड़ानें रद्द हो गईं। शिमला और कुल्लू से कोई उड़ान नहीं हुई। आज येलो अलर्ट, पांच जिलों में बाढ़ की चेतावनी मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने हिमाचल के कई स्थानों पर वीरवार को भी भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया। मौसम विभाग ने पांच जिलों चंबा, कांगड़ा, मंडी, शिमला और सिरमाैर के कुछ क्षेत्रों में वीरवार को बाढ़ आने की चेतावनी जारी की है। 26 और 27 जून को बारिश की तीव्रता अधिक रहने की संभावना है। जबकि 28 जून से 2 जुलाई तक हल्की बारिश के आसार हैं।
हिमाचल प्रदेश रेरा में चेयरमैन व मेंबर की नियुक्ति में देरी के लिए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को 5 लाख रुपए कॉस्ट लगाई थी, जिसे राज्य सरकार ने बुधवार को अदालत की रजिस्ट्री में जमा करवा दिया है। इसके साथ ही सरकार ने इस जुर्माने को माफ करने का आवेदन भी दाखिल किया है। अब अदालत ने इस संदर्भ में याचिकाकर्ता को भी अपना पक्ष रखने के लिए कहा ह। मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी। हाईकोर्ट ने रेरा का ऑफिस वैकल्पिक कार्यालय शिमला से धर्मशाला ले जाने से जुड़ी जनहित याचिका की सुनवाई भी 23 जुलाई को निर्धारित की है। इस याचिका में प्रार्थी का आरोप है कि रेरा कार्यालय की पहचान किए बिना ही 13-06-2025 को धर्मशाला में स्थानांतरित कर दिया गया है। बता दें कि अतुल शर्मा नामक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर एचपी रेरा में चेयरमैन व मेंबर की नियुक्ति में बेवजह देरी को लेकर अदालत का रुख किया था। इसके बाद माननीय हाईकोर्ट ने 20 जून को आदेश जारी कर 13 मार्च 2025 को सरकार को भेजी सिफारिश के बावजूद रेरा अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्ति की अधिसूचना जारी न करने पर राज्य सरकार को पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया था, और यह राशि 25 जून तक हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करने के आदेश भी दिए थे। अब बुधवार को सरकार ने यह राशि जमा करवाई है,साथ ही इस जुर्माने को माफ करने के लिए एक आवेदन भी दायर किया है। विदित रहे कि इस बीच हाईकोर्ट से मिली फटकार के बाद राज्य सरकार ने 24 जून को पूर्व मुख्य सचिव आरडी धीमान को रेरा का चेयरमैन व पूर्व आईएएस अमित कश्यप को मेंबर नियुक्त किया है। मुख्य सचिव सेवा विस्तार मामले की सुनवाई भी 23 जुलाई को याचिका का दूसरा पहलू प्रबोध सक्सेना को मुख्य सचिव के तौर पर छह माह के सेवा विस्तार से जुड़ा है। इस मामले में बुधवार को राज्य सरकार ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है। अब इस मुद्दे को लेकर अगली सुनवाई 23 जुलाई को निर्धारित की गई है। इस प्रकार याचिका के विभिन्न पहलुओं पर सुनवाई में 23 जुलाई को आगामी तिथि तय की है.
हिमाचल प्रदेश में मानसून ने दस्तक दे दी है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार, 27 जून तक मानसून का प्रभाव हिमाचल में बहुत तेज़ रहने वाला है। इसे देखते हुए, किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए हर जिले में इमरजेंसी कंट्रोल रूम बनाए गए हैं। मौसम विभाग ने 28 जून तक राज्य में लगातार बारिश का अनुमान जताया है। खास तौर पर, 26 और 27 जून को प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश की संभावना है। इसके अलावा, 25 और 27 जून को कुछ अलग-अलग स्थानों पर बेहद भारी बारिश भी हो सकती है। जिन जिलों के लिए यह अलर्ट जारी किया गया है, उनमें ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, कांगड़ा, मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर शामिल हैं। मौसम विभाग के मुताबिक, आज हिमाचल के कई हिस्सों में बारिश होगी। चंबा, कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में कई जगह हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है, जबकि कुछ स्थानों पर तेज़ बारिश की भी संभावना है। वहीं, कुल्लू, लाहौल-स्पीति और किन्नौर जैसे ऊंचे इलाकों में आज हल्की या छिटपुट बारिश की उम्मीद है। अगले 24 घंटों में, बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा, सिरमौर, सोलन और ऊना जिलों में एक-दो जगहों पर भारी बारिश की संभावना है।
मंगलवार को हुई भारी वर्षा से लाहुल स्पीति जिले में बाढ़ से खासा नुकसान हुआ। दोपहर बाद मनाली-शिंकुला-जंस्कार, मनाली-बारालाचा-लेह व मनाली-काजा-समदो मार्ग पर कई जगह नालों में बाढ़ आ गई। इसके बाद लगभग चार हजार पर्यटक पांच घंटे तक यहां फंसे रहे।जिंगजिंगबार के पास बाढ़ आने से बर्फ देखने बारालाचा गए लगभग तीन हजार व शिंकुला के समीप एक हजार से अधिक पर्यटक घंटों फंसे रहे। रात आठ बजे सड़क बहाल होते ही पर्यटक अपने गंतव्य की ओर रवाना हुए। बीआरओ ने फंसे पर्यटकों को सकुशल निकाला। वहीँ स्पीति घाटी में लोसर के समीप नाले में बाढ़ आने से चार वाहन मलबे में फंसने की सुचना हैं। हिमाचल में मंगलवार को शिमला, कांगड़ा, हमीरपुर, मंडी, कुल्लू व लाहुल स्पीति में वर्षा हुई है। वहीँ, मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के दौरान बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा, सिरमौर, सोलन और ऊना जिलों में एक से दो स्थानों पर बहुत भारी वर्षा की संभावना है। इस दौरान कई स्थानों पर भूस्खलन और बिजली, पानी और अन्य सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। वहीँ वर्षा के बाद प्रदेश में अधिकतम तापमान में एक से तीन डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट आई है।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने टीजीटी का वेतन नियमितीकरण की तारीख से निर्धारित करने का निर्देश देते हुए शिक्षकों को जारी हुई अतिरिक्त राशि की वसूली पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने शिक्षकों का वेतन पुनर्निर्धारण करने के आदेश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने 26 जुलाई 2016 को जारी उस आदेश को भी खारिज कर दिया है, जिसके तहत शिक्षकों के वेतन पुनर्निर्धारण के बाद भुगतान की गई अतिरिक्त राशि की वसूली की जा रही थी। मंगलवार को हुई सुनवाई में न्यायाधीश सत्येन वैद्य की एकलपीठ ने नियमितीकरण की तिथि से वेतन को फिर निर्धारित करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट के फैसले से उचित वेतनमान, वसूली के खिलाफ संघर्ष कर रहे शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने पाया कि टीजीटी श्रेणी 2012 के नियमों के अनुसार वे प्रांरभिक वेतन के हकदार है। आपको बता दें कि याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि इनका नियमितीकरण इन नियमों के लागू होने के बाद हुआ। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि अनुसूची को न तो बदला था और न ही संशोधित किया था। इसलिए विभाग की ओर से जारी 26 जुलाई 2016 के पत्र में प्रारंभिक वेतन को 14,430 से घटाकर 13,900 करना मनमाना और भेदभावपूर्ण था। इसी के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने अदालत का रुख किया।
हिमाचल प्रदेश में 10 साल बाद होमगार्ड की भर्ती की जा रही है। प्रदेश में जल्द ही सरकार होमगार्ड के 700 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। साल 2015 में आखिरी बार हिमाचल प्रदेश में होमगार्ड की भर्ती हुई थी, लेकिन अब सरकार 700 पद भरने जा रही है। वर्तमान में प्रदेश में होमगार्ड की कुल संख्या 8 हजार है, जबकि इनकी मांग काफी ज्यादा है। इसके चलते प्रदेश सरकार जल्द नै बी हरतियाँ करने जा रही है। नए होमगार्ड स्वयंसेवकों के पारिश्रमिक और अन्य संबंधित लागतों के लिए 24 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है । होमगार्ड विभिन्न कार्यों में पुलिस और नागरिक प्रशासन की सहायता करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते है, चाहे कानून और व्यवस्था बनाए रखना हो, यातायात नियंत्रण, निर्वाचन ड्यूटी, या बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन इत्यादि। इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं के दौरान भी होमगार्ड फ्रंट फुट पर दीखते हैं।