पंजाब सरकार बताए कि मंडी कब पंजाब राज्य का हिस्सा था, शानन प्रोजेक्ट हिमाचल का हक़: मुकेश अग्निहोत्री
शानन प्रोजेक्ट को लेकर हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बीच राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। हिमाचल प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश का है और पंजाब का इस पर कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने पंजाब सरकार से मंडी जिले के पंजाब राज्य का हिस्सा होने का प्रमाण मांगा और कहा कि यह मामला पंजाब पुनर्गठन के दौरान संपत्तियों के बंटवारे का नहीं है। अग्निहोत्री ने दृढ़ता से कहा कि हिमाचल सरकार इस प्रोजेक्ट को वापस लेकर रहेगी। हालांकि, बीते दिनों पंजाब के बिजली मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ ने अग्निहोत्री के दावों को सिरे से खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि शानन पावर प्रोजेक्ट पर पंजाब राज्य का स्वामित्व है और हिमाचल प्रदेश सरकार का इस पर कोई हक नहीं बनता। हरभजन सिंह ने अग्निहोत्री को तथ्यों से अवगत होने की सलाह देते हुए कहा कि उनकी तथ्यों से अनजान बयानबाजी दो राज्यों के आपसी संबंधों को खराब कर रही है।
शिमला: हिमाचल प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने नेशनल हेराल्ड मामले में भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनकी पार्टी के पास इस मुद्दे पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व भाजपा सरकार ने अपनी विचारधारा से जुड़े समाचार पत्रों और पत्रिकाओं को करोड़ों रुपये के विज्ञापन दिए। अग्निहोत्री ने 'ऑर्गेनाइजर', 'पांचजन्य' और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की पत्रिकाओं का नाम लेते हुए कहा कि भाजपा ने अपनी विचारधारा को पोषित करने के लिए सरकारी धन का दुरुपयोग किया। उन्होंने नेशनल हेराल्ड के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को भी रेखांकित किया। उन्होंने ये भी कहा कि जिन लोगों ने अपनी विचारधारा के प्रचार के लिए करोड़ों के विज्ञापन दिए, उन्हें नेशनल हेराल्ड पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। इसके अलावा, उप-मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा के चंबा दौरे के दौरान दिए गए बल्क ड्रग पार्क संबंधी बयान को भी गलत बताया। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार इस परियोजना के लिए पूरी तरह से सकारात्मक है। अग्निहोत्री ने शानन प्रोजेक्ट के मुद्दे पर भी कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश का है और पंजाब का इस पर कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने पंजाब सरकार से यह साबित करने को कहा कि मंडी जिला कब पंजाब राज्य का हिस्सा था। उन्होंने कहा कि यह मामला पंजाब पुनर्गठन के दौरान संपत्तियों के बंटवारे का नहीं है और हिमाचल सरकार इस प्रोजेक्ट को वापस लेकर रहेगी।
हिमाचल के ऊपरी इलाकों में आज भी हल्की बूंदाबांदी की संभावना है, जबकि निचले और मध्य क्षेत्रों में मौसम साफ रहने की उम्मीद है। कल पूरे प्रदेश में धूप खिली रहेगी, जिससे मौसम सुहावना बना रहेगा। लेकिन, मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि परसों से पश्चिमी विक्षोभ फिर से सक्रिय हो रहा है, जिससे पहाड़ों पर दोबारा बारिश हो सकती है। मौसम विभाग के अनुसार, 24 और 25 अप्रैल को ऊंचे क्षेत्रों में मौसम खराब रहेगा। 26 और 27 अप्रैल को मध्य और ऊंचे इलाकों में बारिश के आसार हैं। यह पूर्वानुमान किसानों और बागवानों के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि हाल ही में ओलावृष्टि ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। पिछले चार-पांच दिनों में शिमला, चंबा, ऊना, हमीरपुर, सिरमौर, कुल्लू और मंडी के कई इलाकों में ओलावृष्टि से सेब, मटर, टमाटर, प्लम और खुमानी की फसलें प्रभावित हुई हैं। वहीं, लाहौल स्पीति और किन्नौर के ऊंचे क्षेत्रों में ताजा बर्फबारी के बाद तापमान में गिरावट आई है, जिससे ठंड बढ़ गई है। बर्फबारी का असर सेब की फ्लावरिंग पर पड़ रहा है, जो अच्छी फसल के लिए महत्वपूर्ण है। सेब की अच्छी पैदावार के लिए 14 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श माना जाता है, लेकिन बर्फबारी के बाद ऊंचे क्षेत्रों में तापमान 10 डिग्री तक गिर गया है। मौसम विभाग का कहना है कि आज और कल तापमान में थोड़ी बढ़ोतरी होगी। पिछले कुछ दिनों में तापमान सामान्य से काफी नीचे चला गया था, जिससे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ठंड महसूस हो रही थी। चंबा का अधिकतम तापमान सामान्य से 12.7 डिग्री गिरकर 22.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
हिमाचल प्रदेश में रविवार को मौसम ने अचानक करवट बदली, जिससे कई क्षेत्रों में भारी बारिश और ओलावृष्टि हुई। इस अप्रत्याशित मौसम ने किसानों और बागवानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं, क्योंकि गेहूं, आम, सेब और प्लम जैसी महत्वपूर्ण फसलों को भारी नुकसान पहुंचने की आशंका है। हालांकि, इस सुहावने मौसम का आनंद लेने के लिए पहुंचे पर्यटक खासे उत्साहित दिखे। रविवार को बिलासपुर शहर में भारी ओलावृष्टि हुई, जिससे गेहूं और आम की फसल प्रभावित हुई। कुल्लू और लाहौल घाटी में बारिश और बर्फबारी हुई, जिसका पर्यटकों ने आनंद लिया। मौसम विभाग ने पहले ही येलो अलर्ट जारी किया था।इससे पहले, शुक्रवार देर रात भी प्रदेश के कई इलाकों में बारिश, बर्फबारी और ओलावृष्टि हुई थी, जिससे फसलों और बागों को नुकसान पहुंचा। लाहौल-स्पीति के लोसर गांव में बर्फबारी से रास्ते बंद हो गए और तापमान गिर गया। कुल्लू में ओलावृष्टि से बागवानी प्रभावित हुई, जबकि चंबा और कांगड़ा में बिजली आपूर्ति बाधित हुई। मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ कमजोर पड़ने से कल से मौसम साफ हो जाएगा, लेकिन तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी। इस अप्रत्याशित मौसम ने किसानों और बागवानों के लिए चुनौती पेश की है, जबकि पर्यटक इस बदलाव का आनंद ले रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश की आम जनता को महंगाई का एक और झटका लगा है। प्रदेश सरकार ने भारी विरोध के बावजूद बसों का न्यूनतम किराया 5 रुपये से बढ़ाकर सीधा 10 रुपये कर दिया है। इस फैसले को लागू करने की अधिसूचना शनिवार को जारी कर दी गई है, जिसके बाद अब प्रदेश में बस से सफर करना जेब पर दोगुना भारी पड़ने वाला है। सरकार के इस नए नियम के अनुसार, अब यदि कोई यात्री महज 100-200 मीटर की दूरी भी तय करता है, तो भी उसे पूरे 10 रुपये चुकाने होंगे। कांग्रेस सरकार ने शुरुआती 4 किलोमीटर तक का किराया एक समान रूप से 10 रुपये निर्धारित कर दिया है। इससे लंबी दूरी की यात्रा करने वाले यात्रियों को हालांकि पहले से तय दरों (2 रुपये 19 पैसे प्रति किलोमीटर) के अनुसार ही भुगतान करना होगा, लेकिन छोटी दूरी का सफर करने वालों के लिए यह वृद्धि काफी तकलीफदेह साबित होगी। इस फैसले के साथ ही हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) और निजी बसों में रविवार से ही नई किराया दरें लागू हो गई हैं। इसका सीधा असर स्थानीय रूटों पर रोजाना सफर करने वाले लाखों लोगों पर पड़ेगा, जिन्हें अब अपनी यात्रा के लिए पहले से कहीं ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे। खासकर गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि सार्वजनिक परिवहन ही उनकी यात्रा का मुख्य साधन है। गौरतलब है कि राज्य मंत्रिमंडल ने इस विवादास्पद फैसले को 5 अप्रैल को ही मंजूरी दे दी थी, लेकिन जनता के तीव्र विरोध के कारण इसे कुछ समय के लिए रोक दिया गया था। अब, लोगों का गुस्सा शांत होने की उम्मीद में, सरकार ने चुपचाप इस अधिसूचना को जारी कर दिया है। प्रदेश में सरकारी और निजी बसों में प्रतिदिन लगभग 8 से 10 लाख यात्री सफर करते हैं, जिनमें से अधिकांश शहरों और कस्बों में स्थानीय रूटों पर यात्रा करते हैं। न्यूनतम किराए में हुई इस भारी वृद्धि का सबसे ज्यादा असर इन्हीं स्थानीय यात्रियों पर पड़ने वाला है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने इस फैसले की कड़ी निंदा करते हुए इसे आम आदमी विरोधी बताया है। उन्होंने कहा कि गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए बसें ही एकमात्र सहारा हैं और किराए में दोगुनी वृद्धि से हर परिवार पर हर महीने कम से कम ₹1000 का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। उन्होंने इस फैसले को सरकार द्वारा आम जनता पर डाला गया एक और आर्थिक बोझ करार दिया है।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में होली के दिन आईएएस अधिकारियों की एक पार्टी के बिल की चर्चा सियासी गलियारों में खूब हो रही है। इस आयोजन को लेकर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना विपक्ष के हमलों का सामना कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस मुद्दे पर सरकार और नौकरशाही पर गंभीर सवाल उठाए हैं, जिससे प्रदेश की राजनीति में खासी हलचल मच गई है। इस बीच, मनाली में एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने पहुंचे मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने आखिरकार इस विवाद पर अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उस पार्टी का आयोजन उनके द्वारा व्यक्तिगत रूप से नहीं किया गया था, बल्कि यह सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम था। सक्सेना ने विपक्ष के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि जो लोग उन पर आरोप लगा रहे हैं, उन्हें वास्तविकता की जानकारी नहीं है। उन्होंने विपक्ष से आग्रह किया कि वे किसी भी तरह के आरोप लगाने से पहले तथ्यों की पूरी जानकारी हासिल कर लें। दरअसल, पूरा विवाद मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना द्वारा होली के अवसर पर अपने अधिकारियों को दिए गए लंच के बिल को सरकार को भेजने से शुरू हुआ। खबरों के अनुसार, होटल हॉलिडे होम में आयोजित इस लंच में 75 अधिकारियों, उनके जीवनसाथियों और बच्चों ने भाग लिया था, जिसका कुल बिल ₹1 लाख 22 हजार आया और इसे GAD को भेज दिया गया। इस बिल में 22 चालकों के लंच का खर्च भी शामिल है। बिल के विवरण के अनुसार, 75 लंच और स्नैक्स के अलावा अन्य खाद्य पदार्थों पर ₹1 लाख 9 हजार 150 खर्च हुए, जबकि 22 चालकों के लंच का बिल ₹12,870 था। इस प्रकार, कुल बिल ₹1 लाख 22 हजार 20 बना, जो GAD को प्राप्त हो चुका है, हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इसका भुगतान किया गया है या नहीं। मुख्य सचिव द्वारा दी गई इस लंच पार्टी का बिल और तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। वर्तमान में 31 मार्च, 2025 से छह महीने के सेवा विस्तार पर चल रहे मुख्य सचिव के लिए यह बिल निश्चित रूप से मुश्किलें खड़ी कर सकता है। हैं.
शिमला: हिमाचल प्रदेश के छोटे-बड़े ठेकेदारों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वित्त विभाग को सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग और अन्य विभागों के ठेकेदारों के सभी लंबित भुगतान 30 अप्रैल से पहले जारी किए जाएं। लंबे समय से अटके भुगतान के कारण ठेकेदारों और उनके परिवारों को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में मुख्यमंत्री का यह आदेश उनके लिए एक उम्मीद की किरण लेकर आया है। दरअसल, विभागीय कार्यों को पूरा करने वाले ठेकेदार बकाया राशि के भुगतान में देरी के कारण बेहद परेशान थे। विपक्षी दल भाजपा ने भी इस मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा था। लगातार शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री सुक्खू ने स्वयं वित्त विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि ठेकेदारों की लंबित वित्तीय अदायगियों को इस महीने के अंत तक हर हाल में पूरा किया जाए। मुख्यमंत्री ने हिमकेयर योजना के तहत आईजीएमसी शिमला, पीजीआई चंडीगढ़ और टांडा मेडिकल कॉलेज के लंबित बिलों का भी शीघ्र भुगतान करने के निर्देश दिए। उन्होंने सहारा योजना के लाभार्थियों को भी समय पर किस्तें जारी करने की बात कही। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार द्वारा उठाए जा रहे प्रभावी कदमों से प्रदेश की वित्तीय स्थिति में सुधार हो रहा है। इस बैठक में प्रधान सचिव वित्त दिवेश कुमार और विशेष सचिव वित्त सौरभ जस्सल भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री के इस आदेश से न केवल ठेकेदारों को आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि उनके परिवारों को भी बड़ी राहत मिलेगी, जो लंबे समय से वित्तीय संकट से जूझ रहे थे। यह कदम प्रदेश के विकास कार्यों को भी गति देगा, क्योंकि ठेकेदारों को समय पर भुगतान मिलने से वे और अधिक उत्साह के साथ काम कर सकेंगे।
शिमला: राजधानी शिमला के संजौली मस्जिद में अवैध निर्माण के मामले में नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को कड़ी फटकार लगाई है। तीन बार अतिरिक्त समय दिए जाने के बावजूद अवैध निर्माण को पूरी तरह से ध्वस्त करने में विफल रहने पर कोर्ट ने अब कमेटी को अंतिम मौका दिया है। आयुक्त भूपेंद्र अत्री की अदालत ने शनिवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए कि मस्जिद कमेटी को हर हाल में 3 मई तक सारा अवैध निर्माण तोड़ना होगा। ऐसा न करने पर कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ को प्रतिदिन आयुक्त कार्यालय में पेश होना पड़ेगा। इस मामले की अगली सुनवाई 3 मई को निर्धारित की गई है। सुनवाई के दौरान आयुक्त ने मस्जिद कमेटी से अवैध निर्माण गिराने के काम की प्रगति रिपोर्ट तलब की। कमेटी के अध्यक्ष ने बताया कि अधिकांश कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन अभी भी एक मंजिल को गिराना बाकी है। उन्होंने रिहायशी भवनों से घिरी मस्जिद में निर्माण तोड़ने में लगने वाले समय का हवाला दिया और आसपास के लोगों को नुकसान न पहुंचे, इसके लिए सावधानी बरतने की बात कही। कमेटी ने कोर्ट से इस कार्य को पूरा करने के लिए एक बार फिर अतिरिक्त समय मांगा। हालांकि, आयुक्त ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह अंतिम मोहलत है और इसके बाद कोई और समय नहीं दिया जाएगा। उन्होंने प्रदेश हाईकोर्ट के छह सप्ताह के भीतर मामले की सुनवाई पूरी करने के आदेश का भी उल्लेख किया। इन आदेशों के अनुसार, 3 मई को सुनवाई होगी और उसके बाद प्रतिदिन आयुक्त कार्यालय में पेशी लगेगी। मामले की अंतिम सुनवाई 8 मई को होगी। मस्जिद कमेटी ने दावा किया कि 3 मई तक हर हाल में अवैध निर्माण गिरा दिया जाएगा। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मस्जिद कमेटी से राजस्व रिकॉर्ड और निचली दो मंजिलों का नक्शा भी मांगा था। सुनवाई से ठीक एक दिन पहले, शुक्रवार को कमेटी ने नगर निगम को नक्शा सौंप दिया है, जिसका वास्तुकार शाखा अध्ययन कर रही है। वहीं, वक्फ बोर्ड ने मस्जिद का राजस्व रिकॉर्ड पेश करने के लिए समय मांगा है, यह कहते हुए कि रिकॉर्ड अभी अपडेट होना बाकी है। कोर्ट ने बोर्ड को 3 मई तक रिकॉर्ड पेश करने का आदेश दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह जमीन अभी भी वक्फ बोर्ड के नाम पर दर्ज नहीं है और पूरी मस्जिद ही अवैध है। गौरतलब है कि आयुक्त कोर्ट ने पिछले साल 5 अक्टूबर को पांच मंजिला संजौली मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलों को अवैध घोषित करते हुए उन्हें गिराने का आदेश दिया था। इस अवैध निर्माण को दो महीने के भीतर गिराया जाना था, लेकिन मस्जिद कमेटी इसमें विफल रही। इसके खिलाफ शहर में प्रदर्शन भी हुए थे। इसके बाद कमेटी ने दो बार और अतिरिक्त समय मांगा। मार्च में पिछली सुनवाई में कोर्ट ने 26 अप्रैल तक इसे गिराने का अंतिम आदेश दिया था, लेकिन मौके पर काम अभी भी अधूरा है, और एक मंजिल अभी भी पूरी तरह से गिराई जानी बाकी है।
शिमला नगर निगम (MC) आयुक्त की अदालत में आज संजौली मस्जिद मामले की सुनवाई हुई, जहाँ सभी की निगाहें टिकी थीं। आयुक्त ने पहले ही वक्फ बोर्ड और संजौली मस्जिद कमेटी को मस्जिद के मालिकाना हक से जुड़े दस्तावेज़ पेश करने का सख्त आदेश दिया था। हालाँकि, आज की सुनवाई में वक्फ बोर्ड ज़मीन के कागजात तो दूर, मस्जिद का नक्शा तक पेश करने में नाकाम रहा। अदालत ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए स्पष्ट कर दिया है कि हर हाल में 8 मई तक इस केस का निपटारा करना होगा। इसी सिलसिले में, अब 3 मई को इस मामले की अगली सुनवाई होगी। इसके बाद, 5 मई से इस केस की प्रतिदिन सुनवाई की जाएगी, ताकि हिमाचल हाईकोर्ट के आदेशानुसार 8 मई की समय सीमा के भीतर फैसला सुनाया जा सके। अदालत ने यह भी साफ कर दिया है कि अगर इस डेडलाइन का पालन नहीं किया गया, तो हाईकोर्ट नगर निगम के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू कर सकता है। शिमला के चक्कर स्थित जिला अदालत में हुई इस सुनवाई के बाद, मस्जिद कमेटी के वकील मोहम्मद लतीफ नेगी ने बताया कि वक्फ बोर्ड ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि निगम आयुक्त ने मस्जिद के ऊपरी तीन मंजिलों को जल्द गिराने का निर्देश दिया है, जिसके लिए वक्फ बोर्ड ने और समय माँगा है। वहीं, स्थानीय निवासियों की ओर से पैरवी कर रहे वकील जगतपाल ने जानकारी दी कि निगम आयुक्त ने वक्फ बोर्ड को 3 मई तक रिकॉर्ड पेश करने का अंतिम मौका दिया है। अगर तब भी रिकॉर्ड पेश नहीं किया जाता है, तो 5 मई से इस केस की नियमित सुनवाई शुरू हो जाएगी। पहले भी दिए जा चुके हैं तीन मंजिलें तोड़ने के आदेश गौरतलब है कि निगम आयुक्त ने पिछले साल 5 अक्टूबर को ही संजौली मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलों को तोड़ने का आदेश जारी कर दिया था। निचली दो मंजिलों से संबंधित मामला अभी भी निगम आयुक्त की अदालत में विचाराधीन है। यह मामला पिछले 16 सालों से लंबित है। इस मामले के जल्द निपटारे की माँग को लेकर संजौली मस्जिद के आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। स्थानीय निवासियों की इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने निगम आयुक्त को इस केस का जल्द से जल्द निपटारा करने का आदेश दिया था। पिछले साल भी 21 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने निगम आयुक्त को 8 सप्ताह के भीतर केस निपटाने का निर्देश दिया था, लेकिन तब ऐसा नहीं हो सका। इसके बाद स्थानीय निवासियों ने हाईकोर्ट में एक निष्पादन याचिका (execution petition) दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दूसरी बार 8 मई तक की अंतिम समय सीमा तय की है।
पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, एडवोकेट केशव श्रीधर और पूर्व आईपीएस सचिन श्रीधर को एसआईटी की क्लीन चिट एसआईटी ने धर्मशाला की अदालत में पेश की रिपोर्ट, मामले को बंद करने की सिफारिश कहा, व्यावसायिक विवाद में रणनीति के तहत लपेटा अधिकारियों को पालमपुर के एक व्यवसायी निशांत शर्मा प्रकरण में एसआईटी ने पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, एडवोकेट केशव श्रीधर और पूर्व आईपीएस सचिन श्रीधर को क्लीन चिट दे दी है। इस रिपोर्ट ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है। एसआईटी ने धर्मशाला कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की है, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि निशांत की शिकायत झूठी थी। उसके सारे आरोप मनघड़ंत थे। इस रिपोर्ट के मुताबिक 27 अक्टूबर 2023 को निशांत को न तो धमकाया गया था और न ही कुछ और हुआ था। एसआईटी की रिपोर्ट के मुताबिक मनघडंत शिकायत के पीछे महज व्यावसायिक विवाद था जो केशव श्रीधर और निशांत के बीच चल रहा था। एक रणनीति के तहत निशांत ने इसमें केशव श्रीधर के अलावा संजय कुंडू और सचिन श्रीधर को भी लपेट लिया था। यही नहीं तत्कालीन एसपी कांगड़ा का नाम भी उछाला गया था। बता दें कि यह हाइप्रोफाइल मामला हाइकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक गया। तब हाइकोर्ट ने तो तत्कालीन डीजीपी संजय कुंडू को पद से हटाने तक के आदेश दे दिए थे। उसके बाद इस मामले में एक एसआईटी का गठन किया गया। अब एसआईटी ने धर्मशाला कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है, जिसमें निशांत की शिकायत को मनघडंत बताते हुए मामले को बंद करने की सिफारिश की गई है। अब अदालत में इस रिपोर्ट के पेश होने के बाद आगामी कार्रवाई पर सभी की नजरें हैं। ये है पूरा मामला : निशांत ने पुलिस को ई मेल के जरिये भेजी शिकायत में आरोप लगाया था कि 27 अक्टूबर 2023 को मैक्लोडगंज में बाइक पर सवार अज्ञात हमलावरों ने डराया-धमकाया था। उस समय वो अपने परिवार के साथ था। उसने केशव श्रीधर और सचिन श्रीधर के अलावा तत्कालीन डीजीपी संजय कुंडू को इस घटना के पीछे बताया। कहा कि उसे कारोबार से बाहर करने की कोशिश की जा रही है। उसने कारोबारी विवाद का जिक्र करते हुए यह भी बताया कि उस पर गुड़गांव में भी 25 अगस्त 2023 को हमला हुआ था। बाद में हिमाचल हाइकोर्ट ने निशांत की शिकायत पर संज्ञान (सुओ मोटो) लिया। डीजी और एसपी कांगड़ा को बदलने के आदेश दिए। साथ ही एक एसआईटी के गठन के आदेश भी दिए। एसआईटी का गठन आईजी संतोष पटियाल की अगुआई में किया गया। बाद में जांच में पता चला कि निशांत की शिकायत पर कांगड़ा पुलिस ने पहले भी जांच की थी लेकिन कुछ नहीं मिला। मामले के मुताबिक केशव श्रीधर और निशांत का मैकलोडगंज और पालमपुर में साथ में कारोबार है। एक ऑडिट रिपोर्ट में निशांत का वित्तीय कुप्रबंधन सामने आया था। यह मामला अभी भी एनसीएलटी (National Company Law Tribunal ) के समक्ष चल रहा है। एसआईटी का कहना है कि इसी विवाद के चलते निशांत ने मनघड़ंत शिकायत पुलिस के समक्ष की। कई प्रभावशाली लोगों को फंसाने की कोशिश की गई। वित्तीय कुप्रबंधन से ध्यान हटाने के लिए एक कहानी रचि गई। ऐसे आगे बढ़ी जांच : एसआईटी ने मामले की बारीक जांच की। तह तक जाने के लिए घटनास्थल पर क्राइम सीन रीक्रिएशन की प्रक्रिया को भी अपनाया गया। इसकी जद में आने वाले तमाम सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। कॉल डिटेल रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया। संबंधित लोगों से पूछताछ की गई लेकिन कहीं कुछ नहीं मिला। सीसीटीवी फुटेज में कहीं भी संदिग्ध बाइक नहीं मिली। हां, निशांत अपने परिवार सहित जरूर नजर आया। स्थानीय लोगों और दुकानदारों से बातचीत की गई। सभी ने ऐसी किसी घटना से इनकार किया। पुलिस ने इस केस के हर पहलू पर छानबीन की। गुड़गांव वाले कथित हमले तक भी गए लेकिन उसमें भी कुछ नहीं पाया गया। वो हमला भी कहानी जैसा ही था। मामले में बड़ी तादाद में पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों के भी बयान दर्ज हुए। यह भी पता चला कि जिस सचिन श्रीधर पर निशांत ने आरोप लगाए थे उन्होंने निशांत पर एक करोड़ का मानहानि का केस भी दिल्ली में दायर कर रखा है। इस बीच तत्कालीन डीजीपी संजय कुंडू ने माना कि उन्होंने निशांत को फोन किया था, लेकिन उनका मकसद महज मध्यस्थता था। मकसद ये था कि दो पार्टियों के बीच मामला बातचीत से सुलझ जाए। इस मामले में घसीटे गए तमाम लोगों की कॉल डिटेल पर अलग से काम किया गया, लेकिन कहीं भी किसी आपराधिक साजिश के साक्ष्य नहीं मिले। जांच के दौरान निशांत के बयानों में कई तरह के विरोधाभास भी पाए गए। मसलन निशांत ने कथित धमकाने की बात का समय बताया 5:45 के आसपास का। लेकिन 4 बजे अपने एक मित्र को बता दिया किया उसे धमकाया गया है। हैरानी की बात यह है कि सीसीटीवी में भी निशांत का समय 5.40 ही दिखता है। इससे साफ हो जाता है कि सब कुछ घड़ा गया था। असलियत में ऐसा कुछ नहीं हुआ था। फॉरेंसिक रिपोर्ट में भी कुछ नहीं आया। निशांत ने प्रेस कांफ्रेस भी की जबकि मामला हाइकोर्ट के विचाराधीन था। प्रेस कांफ्रेस के जरिये कई ऐसे तथ्य सार्वजनिक कर दिए गए जो जांच का हिस्सा थे। मीडिया के सामने बेचारा बनने की कोशिश की गई। एसआईटी ने यह भी कहा है कि निशांत ने जांच टीम को सही से सहयोग भी नहीं किया। भटकाने की कोशिश की। निशांत ने एक ऐसी कहानी बनाकर सभी को उलझाए रखा।
शिमला - हिमाचल प्रदेश सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए शून्य नामांकन वाले सात कॉलेजों को तत्काल प्रभाव से बंद करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बीते वीरवार को हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में यह निर्णय लिया गया। बंद होने वाले कॉलेजों में ज्यूरी, पवाबो, बसदेहड़ा, काजा, टौणीदेवी और गलोड शामिल है। इसके साथ ही, सरकार ने उन वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों को भी आपस में विलय करने का फैसला लिया है, जिनमें छात्रों की संख्या 10 से कम है। यह निर्णय संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से लिया गया है। सरकार की योजना यहीं तक सीमित नहीं है। 100 से कम छात्र संख्या वाले कॉलेजों को भी मर्ज करने की प्रक्रिया अगले महीने से शुरू हो सकती है। वर्तमान में कॉलेजों में परीक्षाएं चल रही हैं, जिसे देखते हुए सरकार ने यह विलय प्रक्रिया परीक्षाओं के संपन्न होने के बाद शुरू करने का निर्णय लिया है।
शिमला: परवाणू-शिमला फोरलेन पर संजौली के चलौंठी में निर्माणाधीन फ्लाईओवर पर बुधवार रात एक दर्दनाक हादसा पेश आया। रात लगभग 11 बजे, फ्लाईओवर के पिलर पर काम कर रहे चार मजदूर अचानक नीचे गिर गए, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं। तेज तूफान और बिजली गुल होने के कारण यह दुर्घटना हुई बताई जा रही है। घायल मजदूरों की पहचान दिलखुश खान, मोहम्मद कलीम खान, मोहम्मद रिजवान और मोहम्मद छोटे के रूप में हुई है, जो सभी बिहार के बेगूसराय जिले के रहने वाले हैं। उन्हें तुरंत उपचार के लिए आईजीएमसी ले जाया गया है। इस घटना के बाद, पुलिस ने फ्लाईओवर निर्माण में लगी कंपनी, राज कांट्रेक्टर गवार कंस्ट्रक्शन लिमिटेड के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज कर लिया है। मजदूरों ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि टावर क्रेन में इमरजेंसी लैंडिंग की सुविधा मौजूद थी, लेकिन क्रेन चालक ने उसका इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने कंपनी प्रबंधन और ठेकेदार पर भी सुरक्षा में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। पुलिस ने मजदूरों के बयान दर्ज कर लिए हैं और मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि क्रेन का ऊपरी हिस्सा खुला होने के कारण मजदूर नीचे गिरे, हालांकि सभी की जान बच गई, जिसे एक बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है।
पांगी - हिमाचल की सबसे खतरनाक सड़क से जुड़ा गांव **सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा - यहाँ हर व्यवस्था बेहाल **आरोप : HRTC बस ड्राइवर करते है मनमर्ज़ी, डिपू से नहीं मिलता पूरा राशन **सड़क बंद हो तो कंधे पर उठा कर ले जाते है मरीज़ **मुख्यमंत्री के दौरे के बाद जगी उम्मीद
हिमाचल प्रदेश के शिमला से चंडीगढ़ घूमने आए 28 वर्षीय काकू की बड़ी ही दर्दनाक तरीके से हत्या कर दी गई। यह घटना चंडीगढ़ के सेक्टर 43 और 44 के बीच वाले रास्ते पर, बस स्टॉप के पास हुई। बुधवार की रात को किसी ने पुलिस को खबर दी कि वहां एक युवक बेसुध पड़ा है और उसके शरीर से खून बह रहा है। पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और काकू को अस्पताल ले गई, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस मामले में पुलिस ने तेज़ी दिखाते हुए दो नाबालिग लड़कों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के मुताबिक, इन लड़कों ने काकू को लूटने की कोशिश की थी। काकू शिमला जिले के एक गांव का रहने वाला था और बुधवार रात को वह गुरुद्वारे में लंगर खाने गया था। जब वह वहां से लौट रहा था, तो इन दोनों लड़कों ने उस पर हमला कर दिया। उन्होंने काकू से सिर्फ 180 रुपये और उसका मोबाइल छीना और फिर भाग गए।पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की मदद से इन दोनों लड़कों की पहचान की और उन्हें चंडीगढ़ के पास के एक स्कूल से पकड़ लिया। ये दोनों लड़के 16 और 17 साल के हैं और बताया जा रहा है कि वे ड्रग्स के आदी हैं। पुलिस का कहना है कि काकू जब ऑटो से उतरकर जा रहा था, तो इन लड़कों ने उसे रोका था क्योंकि उन्हें लगा था कि उसके बैग में कीमती सामान और पैसे होंगे। लेकिन काकू के पास सिर्फ थोड़े से पैसे और एक सस्ता मोबाइल ही था। पुलिस ने काकू के परिवार वालों को इस दुखद खबर के बारे में बता दिया है और गुरुवार को उसका शव उन्हें सौंप दिया गया। पुलिस अब इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है।
हिमाचल प्रदेश में उन मकान मालिकों की अब खैर नहीं, जिन्होंने बिना नक्शा पास करवाए अपने घर तो खड़े कर लिए, लेकिन बिजली कनेक्शन घरेलू दरों पर ले लिया। विद्युत बोर्ड अब ऐसे उपभोक्ताओं से पिछले तीन सालों की बिजली बिलों पर दी गई सब्सिडी वसूलने की तैयारी में है। दरअसल, पहले नियम था कि बिजली का घरेलू कनेक्शन चाहिए तो नगर निकाय से भवन के नक्शे की एनओसी लाओ। जिनके पास नक्शा नहीं होता था, उन्हें महंगा अस्थायी कनेक्शन मिलता था। फिर मार्च 2022 में सरकार थोड़ी नरम हुई और बिना एनओसी के भी घरेलू कनेक्शन देने लगी। इसका फायदा उठाकर कई लोगों ने अपने अस्थायी कनेक्शन भी घरेलू में बदलवा लिए, खूब सब्सिडी भी ली। लेकिन अब बिजली नियामक आयोग ने 1 अप्रैल 2024 से नियम बदल दिए हैं। अब बिना नक्शे वाले घरों को घरेलू दरों का सबसे महंगा स्लैब (₹6.25 प्रति यूनिट) लगेगा और वो भी बिना किसी छूट के। इसका मतलब है कि इन उपभोक्ताओं को पहले मिली सब्सिडी की रकम अब लौटानी पड़ेगी। यह वसूली ₹1.03 से ₹3.53 प्रति यूनिट तक हो सकती है, जो कि उनके द्वारा इस्तेमाल की गई बिजली पर निर्भर करेगा। राजधानी शिमला में ही लगभग 20 हजार ऐसे घरेलू उपभोक्ता हैं जिन्होंने 2022 से अब तक अपने भवन के नक्शे की एनओसी विद्युत बोर्ड में जमा नहीं करवाई है। बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि अप्रैल 2024 से सब्सिडी बंद होने के बाद अब इन उपभोक्ताओं को ₹6.25 प्रति यूनिट के हिसाब से बिल भरना पड़ रहा है। गौर रहे कि पहले 0 से 125 यूनिट तक बिजली की दर ₹5.60 थी और ₹3.53 की सब्सिडी मिलती थी। 126 से 300 यूनिट पर दर ₹6 और सब्सिडी ₹1.83 थी, जबकि 300 यूनिट से ऊपर ₹6.25 की दर पर ₹1.03 की सब्सिडी मिलती थी। हालांकि, राहत की बात यह है कि नियामक आयोग ने अगले वित्त वर्ष (2025-26) के लिए घरेलू उपभोक्ताओं के उच्चतम स्लैब की दर ₹6.25 से घटाकर ₹5.90 प्रति यूनिट कर दी है, यानी 35 पैसे प्रति यूनिट की कमी की गई है। लेकिन यह राहत सिर्फ उन्हीं के लिए है जिनके पास अब नक्शा है या जो अब नियमों का पालन करेंगे।
हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब शिक्षकों को जींस, टी-शर्ट और भड़कीले रंग के कपड़े पहनकर आने की अनुमति नहीं होगी। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में एक परामर्श जारी किया है, जिसमें शिक्षकों से शालीन और औपचारिक वस्त्र पहनने का आग्रह किया गया है। हालांकि, यह कोई अनिवार्य ड्रेस कोड नहीं है, लेकिन इसका उद्देश्य छात्रों के सामने एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करना और शैक्षणिक संस्थानों की मर्यादा बनाए रखना है। शिक्षा सचिव राकेश कंवर द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि कई शिक्षक पहले से ही गरिमापूर्ण पोशाक अपना रहे हैं, जो सराहनीय है। परामर्श में पुरुष शिक्षकों के लिए हल्के रंग की औपचारिक पैंट और शर्ट, जबकि महिला शिक्षकों के लिए दुपट्टे के साथ सलवार-कमीज, साड़ी या शालीन पश्चिमी परिधान सुझाए गए हैं। मैरून या नीले रंग के ब्लेजर और औपचारिक जूतों को भी प्रोत्साहित किया गया है। विभाग ने गैर-शिक्षण कर्मचारियों को भी पेशेवर पोशाक के मानकों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया है। स्कूलों को स्थानीय परिस्थितियों और मौसम के अनुसार ड्रेस कोड में अनुकूलन करने और इसके पालन के लिए विशिष्ट दिन चुनने की स्वतंत्रता दी गई है।
पत्नी ने प्रेमी संग मिलकर पति को मौत के घाट उतारा, सांप से 10 बार डसवाया, पोस्टमार्टम में हुआ खुलासा
मेरठ में एक व्यक्ति की मौत, जिसे शुरू में सांप के काटने से हुई माना जा रहा था, ये हत्या का मामला निकला। उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के भैंसूमा थाना क्षेत्र के अकबरपुर सादात गांव में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने रिश्तों की जटिलता और अपराध की क्रूरता को उजागर किया है। शुरू में सांप के काटने से हुई एक व्यक्ति की मौत, जांच के बाद हत्या का मामला निकली। मृतक की पहचान अमित के रूप में हुई, जिसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि उसकी मौत गला घोंटने से हुई थी, न कि सांप के जहर से। इस रहस्यमय मौत की कहानी तब शुरू हुई, जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें दावा किया गया कि अमित, जो चारपाई पर सो रहा था, को एक सांप ने दस बार डस लिया, जिसके कारण उसकी मौत हो गई। आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस को सूचित किया गया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। प्रारंभिक जांच में अमित के शरीर के नीचे एक सांप पाया गया, जिसने ग्रामीणों के दावे को और मजबूत किया कि उसकी मौत सांप के काटने से हुई है। हालांकि, बुधवार शाम को जारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने इस कहानी को पूरी तरह से पलट दिया। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया कि अमित की मौत गला घोंटने के कारण हुई थी, न कि जहर से। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सांप को उसके शरीर पर रखने से पहले ही उसकी मृत्यु हो चुकी थी, इसलिए जहर फैलने का कोई सवाल ही नहीं था - जिससे यह साबित हो गया कि सांप ने उसे काटा जरूर था, लेकिन वह उसकी मौत का कारण नहीं बना। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के इस सनसनीखेज खुलासे के बाद पुलिस ने अपनी जांच की दिशा बदल दी। अमित की पत्नी रविता और उसके प्रेमी अमरजीत को हिरासत में लिया गया। पूछताछ में दोनों ने चौंकाने वाला कबूलनामा किया। उन्होंने बताया कि वे पिछले एक साल से प्रेम संबंध में थे और अमित को इस बारे में पता चल गया था, जिसके चलते उनके बीच अक्सर झगड़े होते थे। पुलिस का मानना है कि इसी वजह से दोनों ने मिलकर अमित की हत्या की साजिश रची। पुलिस के अनुसार, रविता और अमरजीत ने मिलकर अमित का गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद, उन्होंने इस हत्या को सांप के काटने से हुई मौत का रूप देने का फैसला किया। एसपी राकेश कुमार ने बताया कि आरोपियों ने पास के इलाके से 1,000 रुपये में एक सांप खरीदा था। हमारी जांच के अनुसार, उन्होंने उस व्यक्ति की हत्या कर दी और उसके शरीर के नीचे सांप रख दिया, ताकि ऐसा लगे कि उसे काटा गया है। अगली सुबह एक सपेरे को बुलाया गया, जिसने उस सांप को पकड़ा, जिसका इस्तेमाल बाद में मामले को छिपाने के प्रयास में किया गया था। दिहाड़ी मजदूर अमित अपनी चारपाई पर मृत पाया गया था, और उसकी लाश के नीचे सांप का मिलना शुरुआती रिपोर्टों और वायरल वीडियो में ग्रामीणों के दावों का आधार बना था। लेकिन पुलिस का कहना है कि यह सब उसकी पत्नी और उसके प्रेमी द्वारा रची गई एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा था। पुलिस अब इस प्रेमी युगल के रिश्ते की गहराई, हत्या में अमरजीत की भूमिका और इस जघन्य अपराध को अंजाम देने में गांव के किसी अन्य व्यक्ति की संलिप्तता की गहन जांच कर रही है, ताकि सच्चाई पूरी तरह से सामने आ सके।
हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना इन दिनों अपनी एक होली पार्टी को लेकर चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। उन्होंने होली के दिन (14 मार्च) शिमला के आलीशान होटल हॉलिडे होम में प्रदेश के आईएएस अफसरों के लिए एक भव्य लंच का आयोजन किया। इस रंगीन महफिल में लगभग 75 अधिकारी, उनकी पत्नियां और बच्चे शामिल हुए। अब इस शानदार आयोजन का आर्थिक पहलू सामने आया है। होटल प्रबंधन ने इस पार्टी का ₹1,22,020 का बिल भुगतान के लिए प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) को भेज दिया है। बताया जा रहा है कि इस बिल में 75 लोगों के लंच और स्नैक्स का प्रति प्लेट ₹1000 का खर्च शामिल है। इसके अतिरिक्त, 22 ड्राइवरों के भोजन और टैक्सी के खर्चे को भी इस बिल में जोड़ा गया है। फिलहाल, सरकार के स्तर पर इस बिल के भुगतान की प्रक्रिया चल रही है। इस मामले पर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि राज्यपाल और मुख्य सचिव जैसे पदों पर आसीन व्यक्ति ऐसी पार्टियों का आयोजन कर सकते हैं और यह परंपरा पहले से भी चली आ रही है। उन्होंने यह भी बताया कि इन आयोजनों में बाहर के लोग भी शामिल होते हैं। वासी तो प्रदेश सरकार खुद ये कहती है कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो क्या आर्थिक चुनौतियों से जूझ रही प्रदेश सरकार के लिए मुख्य सचिव की होली पार्टी का ₹1.22 लाख का बिल एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या वर्तमान परिस्थितियों में इस प्रकार के निजी आयोजनों का सरकारी खजाने से भुगतान करना उचित है? ये बड़ा सवाल है।
चंबा जिले के तीसा उपमंडल की ग्राम पंचायत सनवाल में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने बागवानी जगत में हलचल मचा दी है। यहां मनरेगा के तहत खरीदे गए तीन करोड़ रुपये के सेब के पौधों की खरीद में भारी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है।अनियमितता के चलते तत्कालीन खंड विकास अधिकारी (BDO) मनीश कुमार को निलंबित कर दिया गया है। कुछ समय पहले सनवाल पंचायत में सेब के पौधों की खरीद में गड़बड़ी की सुगबुगाहट शुरू हुई थी। मामला इतना गंभीर था कि एसडीएम ने इसकी विस्तृत जांच की। एसडीएम की जांच रिपोर्ट में मनरेगा के तहत हुई इस महंगी खरीद में कई चौंकाने वाली अनियमितताएं उजागर हुईं। इसके बाद ग्रामीण विकास विभाग ने मामले की गहराई से पड़ताल की और विभागीय जांच में भी गड़बड़ी की पुष्टि हुई। इसी के चलते ग्रामीण विकास विभाग ने तीसा के तत्कालीन BDO मनीश कुमार पर गाज गिराते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक राघव शर्मा ने इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए बताया कि ग्राम पंचायत सनवाल में मनरेगा के तहत लगभग तीन करोड़ रुपये के सेब के पौधों की खरीद में अनियमितताएं पाई गई हैं। इसी वजह से तत्कालीन खंड विकास अधिकारी को सस्पेंड किया गया है। अब देखना यह है कि इस 'मीठे' सौदे की कड़वी सच्चाई आगे क्या मोड़ लेती है और इस गड़बड़ी में और कौन-कौन शामिल पाया जाता है।
ऊना जिले के बंगाणा उपमंडल की धुंधला पंचायत के अप्पर धुंधला गांव में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है। गांव के श्मशान घाट के पास स्थित एक तालाब में एक नवजात शिशु शिशु मिला है जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। चौंकाने वाली बात यह है कि नवजात के गले में पत्थर बांधकर उसे तालाब में फेंका गया था। शव देखते ही ग्रामीणों ने तुरंत पंचायत प्रतिनिधियों और पुलिस को सूचित किया। थाना प्रभारी रोहित कुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम तत्काल मौके पर पहुंची और प्रारंभिक जांच शुरू कर दी। पुलिस का मानना है कि नवजात शिशु (पुरुष) का जन्म हाल ही में हुआ था और जन्म के तुरंत बाद ही उसे तालाब में फेंक दिया गया। पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर आगे की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। पंचायत उप-प्रधान रमन कुमार ने घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस को सूचित करने की पुष्टि की है। इस अमानवीय कृत्य से स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश है और उन्होंने तुरंत आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। पूरे क्षेत्र में इस जघन्य अपराध की चर्चा है, जबकि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि यह नवजात किसका बच्चा था। जिला पुलिस अधीक्षक राकेश सिंह ने बताया कि शिशु के शव को पोस्टमार्टम के लिए टांडा मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया है और पुलिस ने मामला दर्ज कर विस्तृत जांच शुरू कर दी है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के बाद राजनीतिक वातावरण गरमा गया है। इसको लेकर आज कांग्रेस ने शिमला में प्रदर्शन किया जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, मंत्री विक्रमादित्य सिंह सहित कांग्रेस के कई नेता मौजूद रहे। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस कार्रवाई को लेकर भाजपा पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया पर टिप्पणी करते हुए ईडी को "इंटिमिडेशन डिपार्टमेंट" बताया और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है। सुक्खू ने कहा कि केंद्र सरकार के पास जनता के सवालों का जवाब नहीं है, इसलिए वे सवाल पूछने वालों को निशाना बना रहे हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ ईडी की कार्रवाई को उन्होंने विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि जिस परिवार ने देश की आजादी और लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया, उसे झूठे आरोपों से बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी हर हथकंडे के सामने डटकर खड़ी रहेगी और इस लड़ाई को जीतेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश 140 करोड़ लोगों की आस्था से जुड़े संविधान से चलेगा, तानाशाही के फरमान से नहीं। बता दे कि नेशनल हेराल्ड मामले में जांच एजेंसी ED की ओर से अदालत में चार्जशीट दायर किए जाने के बाद कांग्रेस सड़क पर उतर आई है। क्योंकि ईडी की चार्जशीट में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता राहुल गांधी, इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा, सुमन दुबे सहित कई लोगों के नाम शामिल हैं। अदालत इस मामले में 25 अप्रैल को सुनवाई करेगी। 11 अप्रैल को ED ने दिल्ली, मुंबई और लखनऊ के संपत्ति रजिस्ट्रारों को नोटिस जारी किए थे, जहां एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्तियां है।
मेरठ के सौरभ हत्याकांड को लोग भूले भी नहीं थे कि अब हरियाणा से यूट्यूबर महिला के प्रेमी संग पति की हत्या करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जिसमें पत्नी ने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति की हत्या कर दी। 19 दिन की जांच के बाद पुलिस ने रवीना राव और उसके प्रेमी, यूट्यूबर सुरेश को गिरफ्तार किया है। यह मामला मेरठ के सौरभ हत्याकांड की याद दिलाता है। रवीना यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर रील बनाने का शौक रखती थी। इसी शौक ने उसे सुरेश के करीब लाया। दोनों ने साथ में वीडियो और रील्स बनाने शुरू किए और उनका रिश्ता प्रेम में बदल गया। प्रवीण को इस रिश्ते की जानकारी हो गई। 25 मार्च को, जब प्रवीण ने रवीना और सुरेश को आपत्तिजनक स्थिति में देखा, तो उनके बीच झगड़ा हुआ। रवीना और सुरेश ने मिलकर प्रवीण का गला घोंट दिया। हत्या के बाद, दोनों ने रात होने का इंतजार किया और रात ढाई बजे शव को बाइक पर रखकर छह किलोमीटर दूर एक नाले में फेंक दिया। 28 मार्च को शव मिलने पर पुलिस को शक हुआ। सीसीटीवी फुटेज में रवीना और सुरेश शव को ले जाते दिखे। 12 अप्रैल को पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। प्रवीण और रवीना की शादी छह साल पहले हुई थी और उनका एक बेटा है। प्रवीण की हत्या के बाद, मुकुल के सिर से पिता का साया उठ गया है। रवीना भी जेल में है और मुकुल अपने दादा और चाचा के साथ रह रहा है।
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में उस समय दहशत फैल गई जब डीसी कार्यालय और कोर्ट परिसर को बम से उड़ाने की धमकी मिली। प्रशासन को एक ईमेल प्राप्त हुई जिसमें बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। धमकी मिलते ही सुरक्षा एजेंसियां हरकत में आ गईं और एहतियात के तौर पर डीसी कार्यालय और कोर्ट परिसर को तुरंत खाली करा लिया गया। पुलिस और बम निरोधक दस्ते ने घटनास्थल पर पहुंचकर पूरे क्षेत्र की गहन तलाशी ली। हालांकि, अभी तक किसी भी संदिग्ध वस्तु की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन जांच अभी भी जारी है। पुलिस प्रशासन ने एक मामला दर्ज कर लिया है और ईमेल भेजने वाले की पहचान और ठिकाने का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है। जिले में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और सभी संवेदनशील स्थानों पर निगरानी बढ़ा दी गई है।
उत्तराखंड के प्रसिद्ध हनोल मंदिर में पत्थर उठाने की एक पुरानी परंपरा के दौरान एक दिल दहला देने वाली घटना घटी है। 13 साल के बच्चे, आर्यन, की मौत हो गई जब उसने 'भीम के कंचे' उठाने का प्रयास किया, जो महासू देवता की कृपा पाने का विश्वास माना जाता है। आर्यन ने कई बार इस पत्थर को उठाने की कोशिश की, लेकिन हर बार असफल रहा। जब उसके पिता पास नहीं थे, तब उसने अपने बुआ के बेटे के साथ मिलकर इस प्रयास को जारी रखा। इस बार, जैसे ही उसने पत्थर उठाने की कोशिश की, अचानक एक कंचा उसके कान के पास गिरा और उसे गंभीर चोटें आईं। उसे तुरंत अस्पताल पहुँचाया गया, लेकिन उसकी हालत इतनी गंभीर हो चुकी थी कि उसे बचाया नहीं जा सका। आर्यन की मौत ने न केवल उसके परिवार, बल्कि पूरे क्षेत्र को गहरे शोक में डुबो दिया।
हिमाचल प्रदेश के 78वें स्थापना दिवस पर शिमला में आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम में पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने विमल नेगी की मौत के मामले में राजनीति करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि जो भी नेता इस संवेदनशील मामले में तथ्यहीन बयानबाजी कर रहे हैं, सरकार उनके खिलाफ प्रिविलेज मोशन ला सकती है और षड्यंत्र रचने का केस भी दर्ज करेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को विमल नेगी की मौत का बहुत दुःख है, लेकिन जो भी विधायक इस संवेदनशील मामले में घर बैठकर बिना तथ्यों के बयानबाजी कर रहे है उनके खिलाफ यह कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने पूर्व मंत्री व भाजपा विधायक बिक्रम ठाकुर के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि वह केवल आरोप लगा रहे हैं, लेकिन उसके पक्ष में कोई तथ्य दे रहे है। विधानसभा में भी भाजपा ने यह मसला उठाया, लेकिन कोई तथ्य नहीं रख पाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रोजेक्ट की डीपीआर गुजरात सरकार के पीएसयू ने बनाई है, हिमाचल सरकार ने कोई टेंडर नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार एसीएस स्तर के अधिकारियों से इस मामले की जांच करवा रही है। उन्होंने भाजपा की सीबीआई जांच की मांग पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा जब ईडी की छापेमारी प्रदेश सरकार से पूछकर कार्रवाई नहीं करतीं तो भाजपा अगर चाहे तो सीधे केंद्र से सीबीआई जांच करवा सकती है।
अब चम्बा जिले की महलाओं को भी इंदिरा गांधी सम्मान निधि योजना के तहत 1500-1500 रुपए का लाभ मिलेगा। ये घोषणा आज हिमाचल प्रदेश के स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पांगी घाटी में आयोजित कार्यक्रम में की। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। उन्होंने पांगी के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। सीएम ने पांगी घाटी की महिलाओं को इंदिरा गांधी सम्मान निधि योजना के तहत 1500-1500 रुपए की तीन किस्त जारी करने की घोषणा का ऐलान किया और कहा कि यह किस्तें अप्रैल, मई और जून के महीनों के लिए हैं, और जल्द ही महिलाओं के खातों में आ जाएंगी। मुख्यमंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि प्रदेश की बाकी पात्र महिलाओं को भी यह सम्मान निधि जल्द ही मिलेगी। इसके अलावा उन्होंने पांगी के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं, जिनमें सिविल हॉस्पिटल पांगी को आदर्श स्वास्थ्य संस्थान बनाना, पांगी घाटी में 10 लीटर का मिल्क प्लांट स्थापित करना और राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल खोलना शामिल है। उन्होंने पांगी के साच में तहसील बनाने की भी घोषणा की और क्षेत्र में 62 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का भी ऐलान किया। मुख्यमंत्री ने राज्य कर्मचारियों को भी बड़ी राहत देते हुए 1 जून से डीए की तीन प्रतिशत अतिरिक्त किस्त जारी करने की घोषणा की। इसके साथ ही, 70 से 75 वर्ष के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को बकाया एरियर का भुगतान भी किया जाएगा। पांगी घाटी के बेरोजगार युवाओं के लिए 20 बस परमिट जारी करने का भी ऐलान किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा में हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस सरकारों पर जमकर हमला बोला। उन्होंने हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पड़ोस में जनता परेशान है। विकास और जन कल्याण के सारे काम बंद पड़े हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस शासित राज्यों में जनता से किए गए वादे पूरे नहीं किए जा रहे हैं। कर्नाटक का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वहां बिजली, दूध और बस का किराया बढ़ा दिया गया है। उन्होंने कांग्रेस सरकार पर जनता पर तरह-तरह के टैक्स लगाने का भी आरोप लगाया। तेलंगाना में भी कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लेते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सरकार अपने वादे भूल गई है और जंगलों में बुलडोजर चला रही है। उन्होंने कहा कि इससे प्रकृति को नुकसान हो रहा है और जानवरों को खतरा पैदा हो गया है। पीएम मोदी ने भाजपा और कांग्रेस की कार्यशैली की तुलना करते हुए कहा कि भाजपा जो कहती है, उसे पूरा करती है, जबकि कांग्रेस केवल कुर्सी के बारे में सोचती है। उन्होंने कहा कि भाजपा का मॉडल सत्य के आधार पर और बाबा साहेब अंबेडकर के मार्ग पर चल रहा है। उन्होंने विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए भाजपा को वोट देने की अपील की।
शिमला से एक और साइबर ठगी का मामला सामने आया है जिसमें एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी साइबर ठगी का शिकार हो गए। ठगों ने उन्हें एक फर्जी पॉलिसी में निवेश करने का लालच देकर 28 लाख रुपये ठग लिए। इस घटना के बाद, बुजुर्ग का परिवार भी उन्हें अकेला छोड़कर चला गया, जिससे उनकी मानसिक स्थिति और भी खराब हो गई। साइबर अपराधियों ने 2020 में बुजुर्ग से संपर्क किया और उन्हें एक आकर्षक पॉलिसी में निवेश करने का झांसा दिया। बुजुर्ग ने उनकी बातों में आकर 28 लाख रुपये का निवेश कर दिया। लेकिन, जब उन्हें अपने पैसे वापस नहीं मिले और वे ठगों से संपर्क करने में असमर्थ रहे, तो उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। लाखों रुपये की ठगी होने के कारण, बुजुर्ग अपने परिवार को इस बारे में बताने से डरते रहे। जब उन्हें सच्चाई पता चली, तो उनके बच्चे और पत्नी गलतफहमी के कारण उन्हें छोड़कर चले गए।बुजुर्ग ने हताश होकर साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराई। साइबर क्राइम सेल ने तुरंत कार्रवाई करते हुए स्थानीय पुलिस स्टेशन को सूचित किया और जांच अधिकारी को बुजुर्ग के घर भेजा। पुलिस ने उनके बयान दर्ज किए और बैंक से विवरण निकालकर मामले की जांच शुरू कर दी है। साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, सेवानिवृत्त अधिकारी और कर्मचारी साइबर अपराधियों के लिए आसान शिकार होते हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि उनके पास सेवानिवृत्ति के बाद अच्छी खासी जमापूंजी होती है। यह घटना साइबर अपराधों के बढ़ते खतरे का एक और उदाहरण है। साइबर अपराधी लोगों को उपहार, फर्जी पॉलिसी, डिजिटल गिरफ्तारी और शेयर बाजार में भारी मुनाफे का लालच देकर ठग रहे हैं। साइबर क्राइम सेल ने लोगों से अपील की है कि वे इस तरह के झांसे में न आएं और किसी भी निवेश से पहले अच्छी तरह से जांच पड़ताल कर लें। यदि आपको कोई संदेह हो, तो तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें।
हिमाचल प्रदेश में पंचायतों की संपत्तियों को कौड़ियों के भाव लीज पर देने का मामला सामने आया है। इन संपत्तियों को न तो नीलामी के माध्यम से दिया गया और न ही विभागीय या प्रशासनिक मंजूरी ली गई। इस अनियमितता से सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। शिकायतों के बाद, प्रदेश सरकार ने सभी 3,615 पंचायतों में लीज पर दी गई संपत्तियों की जांच करने के लिए जिला उपायुक्तों को तीन महीने का समय दिया है। सरकार ने पिछले पांच वर्षों में लीज पर दी गई संपत्तियों की समीक्षा करने और नियमों के खिलाफ दी गई लीज को रद्द करने का आदेश दिया है। इसके अलावा, सरकार ने लीज अवधि को 5 वर्ष तक सीमित करने का भी निर्देश दिया है। कांगड़ा की रैत पंचायत में 8 दुकानें 50 रुपये प्रति माह के किराये पर दी गईं, जबकि रजोल में 4 दुकानें 200 रुपये प्रति माह के किराये पर दी गईं। शिमला के टुटू (हीरानगर) में चायली पंचायत में 20 दुकानें 400 से 900 रुपये प्रति माह के किराये पर दी गईं। वही पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर निगरानी समितियों का गठन किया है। इन समितियों में पंचायत सचिव, पंचायत प्रधान, बीडीओ, एसडीएम, जिला पंचायत अधिकारी, जिला परिषद सदस्य और अन्य अधिकारी शामिल हैं। राजेश शर्मा, सचिव, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज ने कहा कि विभागपंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 112 का उल्लंघन करते हुए, व्यावसायिक परिसरों, भवनों और अन्य संपत्तियों को लीज पर दिया गया है। सरकार ने निगरानी समितियों को पीडब्ल्यूडी द्वारा निर्धारित बाजार दरों पर ही किराया तय करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, लीज पर देने से पहले संपत्तियों का विज्ञापन करना अनिवार्य होगा।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक 63 वर्षीय बुजुर्ग को 'सीआईडी अधिकारी' बनकर एक व्यक्ति ने लूट लिया और चलती कार से बाहर फेंक दिया। रोहड़ू के रहने वाले हरि लाल अपनी बीमार पत्नी का इलाज कराने 10 अप्रैल को आईजीएमसी शिमला आए थे। जब वह लक्कड़ बाजार से कंबल खरीदकर लौट रहे थे, तो एक अज्ञात व्यक्ति ने उन्हें लिफ्ट देने की पेशकश की। कार में बैठने के बाद, आरोपी ने खुद को सीआईडी अधिकारी बताया और उनसे पैसों की मांग की। बुजुर्ग के इनकार करने पर, आरोपी ने उनसे जबरन 29,000 रुपये छीन लिए और उन्हें चलती कार से धक्का देकर फरार हो गया। इस घटना ने लक्कड़ बाजार जैसे भीड़भाड़ वाले इलाके में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जहां एक पुलिस चौकी भी स्थित है। पुलिस ने हरि लाल की शिकायत के आधार पर धारा 307 के तहत मामला दर्ज कर लिया है और आरोपी की तलाश में जुटी है। एसपी शिमला संजीव गांधी ने कहा है कि पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश में बीते कल कई इलाकों में बारिश, बर्फबारी और ओलावृष्टि देखने को मिली। आज भी मौसम विभाग ने चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला और सिरमौर जिलों के कई क्षेत्रों में बारिश की संभावना जताई है। बीते 24 घंटों में प्रदेश के अधिकांश भागों में बारिश हुई है, जिससे लोगों को गर्मी से राहत मिली है। लाहौल स्पीति की ऊंची चोटियों पर ताजा हिमपात होने से तापमान में 11 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, कई इलाकों में ओलावृष्टि के कारण किसानों और बागवानों को नुकसान हुआ है। मौसम विभाग ने प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में तेज बारिश, ओलावृष्टि और अंधड़ के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। मौसम वैज्ञानिक संदीप के अनुसार, मंडी में सबसे अधिक बारिश हुई है और चंबा, कांगड़ा, कुल्लू और लाहौल-स्पीति के ऊंचे क्षेत्रों में बर्फबारी की संभावना है। मौसम विभाग का अनुमान है कि 13 अप्रैल से प्रदेश भर में मौसम साफ हो जाएगा, जिससे लोगों को बारिश और बर्फबारी से राहत मिलेगी।
भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, राज्य सरकार ने राशन वितरण में ग्राहक पहचान सत्यापन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित बनाने, इसमें वृद्धि करने और पारदर्शिता लाने के लिए पीडीएस लाभार्थियों की ई-केवाईसी शुरू कर दी है। इस प्रक्रिया के बाद केवल पात्र लाभार्थियों को ही सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। इस संबंध में, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने पहले ही फील्ड अधिकारियों को लाभार्थियों की 100 प्रतिशत ई-केवाईसी की प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने जानकारी दी है कि पीडीएस लाभार्थियों की सुविधा के लिए विभाग ने आधार आधारित फिंगर बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का उपयोग करके राज्य में किसी भी उचित मूल्य की दुकान पर जाकर ई-पीओएस के माध्यम से ई-केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करने का प्रावधान किया है। इसके अलावा, वेब एप्लीकेशन के माध्यम से राज्य या देश में कहीं भी लोकमित्र केंद्र पर जाकर आधार आधारित फिंगर प्रिंट अथवा आईआरआईएस बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का उपयोग करके, या स्वयं एंड्रायड आधारित मोबाइल एप्लीकेशन ईकेवाईसी पीडीएस एचपी के माध्यम से आधार आधारित फेस बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का उपयोग कर ई-केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करने का प्रावधान किया है। विभाग ने इन निर्देशों की अनुपालना नहीं करने वाले लाभार्थियों को सूचित किया है कि वे ऊपर बताए गए तरीकों से अपना ईकेवाईसी पूरा करें। लाभार्थी अपनी ई-केवाईसी को पूरा करने में आने वाली किसी भी समस्या के निवारण के लिए टेलीफोनिक मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए टोल-फ्री नंबर 1967 या 1800-180-8026 पर भी संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा, वे निकटतम डिपो धारक या एफपीएस से संपर्क कर सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें एक विशेष समुदाय के व्यापारी पर चने और नमकीन पर थूक लगाकर बेचने का आरोप लगाया गया था। इस मामले में शिमला पुलिस ने अब कार्रवाई करते हुए वीडियो बनाने और सोशल मीडिया पर अपलोड करने वाले तीन लोगों को नोटिस जारी किया है। पुलिस ने कल्पना शर्मा, श्वेता और विजय को नोटिस भेजा है, जो देवभूमि संघर्ष समिति से जुड़े बताए जा रहे हैं। नोटिस में पुलिस ने उनसे पूछा है कि यदि उनके पास व्यापारी के खिलाफ कोई सबूत हैं, तो वे पुलिस को सौंपें। ऐसा न करने पर पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी। 9 अप्रैल को कालीबाड़ी मंदिर के पास इन तीनों ने व्यापारी पर थूक लगाकर सामान बेचने का आरोप लगाया था, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। वीडियो में व्यापारी आरोपों से इनकार करता दिख रहा है। विजय और श्वेता ने बाद में रिज पर मीडिया को भी इसी तरह के बयान दिए और प्रशासन से कार्रवाई की मांग की। इन लोगों ने व्यापारी पर बिना लाइसेंस के खाद्य उत्पाद बेचने का भी आरोप लगाया और नगर निगम से अनुमति न लेने की बात कही। विजय शर्मा ने 10 दिनों के भीतर दुकान न हटाने पर 500 सनातनियों द्वारा शहर के बाजारों में दुकानें लगाने की चेतावनी दी। वायरल वीडियो और आरोपों के बाद पुलिस ने मामले में संज्ञान लिया है और अब सबूत मांगे हैं।
हिमाचल प्रदेश में बीते कल से मौसम ने करवट बदली, जिससे प्रदेश में बढ़ रही गर्मी से लोगों को राहत मिली। मौसम विभाग ने आज चंबा, कांगड़ा और कुल्लू में अंधड़ चलने का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसके साथ ही, आज चंबा, कांगड़ा, कुल्लू और लाहौल-स्पीति के ऊंचे इलाकों में कई स्थानों पर बर्फबारी और मंडी, शिमला, सिरमौर, सोलन में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा की संभावना जताई गई है। 12 अप्रैल को लाहौल-स्पीति, चंबा, कुल्लू और कांगड़ा जिलों के ऊंचे इलाकों में अलग-अलग स्थानों पर हल्की बारिश-बर्फबारी हो सकती है। हालांकि, 13 अप्रैल से पूरे प्रदेश में मौसम साफ रहने के आसार हैं। आज सुबह कांगड़ा में अच्छी बारिश हुई, जबकि मंडी जिले के जोगिंद्रनगर में आसमान में काले बादल छा गए। लाहौल की ऊंची चोटियों में ताजा हिमपात हो रहा है, रोहतांग दर्रा के साथ सेवन सिस्टर पीक, बारालाचा सहित ऊंची चोटियों में रुक-रुककर फाहे गिर रहे हैं। इससे लाहौल और कुल्लू में तापमान गिर गया है, जबकि निचले इलाकों में बारिश से किसान-बागवानों को राहत मिली है। कुल्लू में सुबह से आसमान में बादल छाए हुए हैं, लेकिन जिला के बागवानों को ओलावृष्टि का डर सता रहा है। हमीरपुर के बड़सर और मंडी में तूफान चल रहा है, जबकि शिमला और मनाली में भी आज सुबह से हल्के बादल छाए हुए हैं। बीते 24 घंटों के दौरान शिमला, कुल्लू और सिरमौर जिलों के कई क्षेत्रों में ओलावृष्टि हुई है, जिससे सेब, टमाटर, मटर, प्लम, आड़ू जैसी फसलों को नुकसान पहुंचा है। ओलावृष्टि के कारण रात के तापमान में गिरावट आई है, लेकिन दिन का तापमान सामान्य से काफी अधिक बना हुआ है। बीते दिन शिमला, मंडी, कुल्लू और सिरमौर में बारिश और भारी ओलावृष्टि हुई।
हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन (HPPCL) के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमय मौत के मामले के खुलासा हुआ है कि उनको मानसिक रूप से प्रवाहित किया गया था। अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा की 66 पन्नों की गोपनीय जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि विमल नेगी को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया था, लेकिन उनकी दुखद मौत का पेखूवाला प्रोजेक्ट से कोई सीधा संबंध नहीं है। यह रिपोर्ट HPPCL के 25 लोगों के बयानों पर आधारित है, जिसमें पूर्व प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा, पूर्व निदेशक (कार्मिक एवं वित्त) शिवम प्रताप सिंह, निलंबित निदेशक देशराज और स्वयं पीड़ित विमल नेगी का परिवार भी शामिल है। जांच की सुई एक पूर्व निदेशक की संदिग्ध भूमिका की ओर भी इशारा कर रही है। रिपोर्ट के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो विमल नेगी गंभीर मानसिक दबाव से जूझ रहे थे। उन्हें सुबह तड़के दफ्तर बुलाया जाता था और देर रात तक काम कराया जाता था। कर्मचारियों से पूछताछ में यह भी सामने आया है कि वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय में उन्हें घंटों तक खड़ा रखा जाता था और उनसे 12-12 घंटे की अमानवीय ड्यूटी करवाई जाती थी। दिलचस्प बात यह है कि विमल नेगी ने शिमला कार्यालय में पेखूवाला सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद ही जॉइन किया था। इससे पहले वह शौंगटोंग परियोजना में अपनी सेवाएं दे रहे थे। उनकी शिमला में नियुक्ति जून 2024 में हुई बताई जा रही है। अब, इस रिपोर्ट को मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय में अधिकारियों के सामने जांच रिपोर्ट को खोला गया है। अब अधिकारी शिमला लौटने पर मुख्यमंत्री को रिपोर्ट के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अनुबंध आधार पर नियुक्त जूनियर बेसिक टीचरों (JBT) को दी गई वेतन वृद्धि के लाभ को वापस लेने के राज्य सरकार के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने इस मामले में सरकार को तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने 20 मार्च 2025 के उस सरकारी आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाई है, जिसके तहत अनुबंध काल की सेवाओं को वेतन वृद्धि और पेंशन जैसे लाभों की गणना से बाहर कर दिया गया था और पहले दिए गए वित्तीय लाभों की वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। यह घटनाक्रम तब सामने आया जब याचिकाकर्ताओं, जो 1997 में अनुबंध पर JBT के रूप में नियुक्त हुए थे और जिनकी सेवाएं 2006 में नियमित की गई थीं, ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनकी शिकायत यह थी कि उनकी अनुबंध अवधि की सेवाओं को वेतन वृद्धि और पेंशन के लिए नहीं गिना गया था। जगदीश चंद मामले में हाईकोर्ट के पहले के फैसले के बाद विभाग ने इन शिक्षकों को वेतन वृद्धि सहित अन्य लाभ दिए थे, लेकिन अब सरकार ने उस लाभ को वापस लेने और वसूली करने का आदेश जारी कर दिया था, जिस पर हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है।
पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन हिमाचल प्रदेश ने एक बार फिर प्रदेश के पेंशनरों के पेंडिंग विभिन्न भुगतानों का मुद्दा उठाया है और सरकार से मांग की है कि पेंशनरों के लाखों रुपए के पेडिंग भुगतान को जल्द जारी करें। पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन हिमाचल प्रदेश के राज्य अध्यक्ष आत्माराम शर्मा ने आज शिमला में पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रदेश के 2 लाख के करीब पेंशनर है जिनकी देनदारियां सरकार के पास पेंडिंग है और इस वर्ष के बजट में भी पेंशनरों के लिए कोई उचित वित्तीय प्रावधान नहीं किए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पेंशनरों की 5 लाख से 15 या 20 लाख तक की देनदारी सरकार के पास पेंडिंग है। बुजुर्गों के लिए समय रहते भुगतान करना जरूरी है क्योंकि इस अवस्था में उन्हें अपने पैसों की जरूरत सबसे अधिक जरूरत रहती है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 से 2022 के बीच रिटायर्ड पेंशनरों की ग्रेच्युटी , लीव इनकैशमेंट और इनकी सेलरी व पेंशन की अनियमितताये है। उन्होंने बताया कि तीन प्रतिशत का डिए जो सरकार ने घोषणा की है। उससे पहले के चार और चार प्रतिशत के दो डिए पेंडिंग है जिसके बारे में सरकार में कोई घोषणा नहीं की है जिसको लेकर पेंशनर्स में काफी रोष है। उन्होंने मांग की है कि पेंशनर्स के पेंडिंग भुगतान का कम से कम 50% सरकार जल्द पर करें। क्योंकि बुजुर्ग अवस्था में पेंशनरों को इसकी बेहद जरूरत रहती है।
हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड (HPSEBL) ने मंडी की सांसद कंगना रनौत के मनाली स्थित आवास के बिजली बिल को लेकर मीडिया में चल रही खबरों पर स्पष्टीकरण जारी किया है। बोर्ड ने साफ किया है कि मनाली विद्युत उप-मंडल के अंतर्गत सिमसा गांव में कंगना रनौत के नाम पर रजिस्टर्ड घरेलू उपभोक्ता संख्या 100000838073 का वर्तमान बिजली बिल दो महीने की बकाया विद्युत खपत का है, जिसकी कुल राशि 90 हजार 384 रुपए है। बोर्ड ने इस दावे को पूरी तरह गलत और भ्रामक बताया कि यह बिल केवल एक महीने का है। बोर्ड के अनुसार, 22 मार्च को जारी किए गए बिजली बिल में कंगना रनौत के पिछले बिलों का बकाया 32 हजार 287 रुपए भी शामिल है। इस प्रकार, मार्च में जारी किया गया कुल बिल पिछले बकाया सहित 90 हजार 384 रुपए का बनता है। बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक (एमडी) संदीप कुमार ने इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कंगना रनौत के आवास का कनेक्टेड लोड 94.82 किलोवाट है, जो कि एक सामान्य आवास के विद्युत लोड से लगभग 1500 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने यह भी बताया कि कंगना रनौत द्वारा अक्तूबर से दिसंबर तक के बिजली बिलों का भुगतान समय पर नहीं किया गया था। इसी तरह, जनवरी और फरवरी महीने के बिजली बिल भी समय पर नहीं दिए गए, जिसके कारण उन पर देरी शुल्क (सरचार्ज) भी लगा। दिसंबर की 6,000 यूनिट बिजली खपत का बकाया लगभग 31,367 रुपए था, जबकि फरवरी की 9,000 यूनिट बिजली खपत का बिल 58,096 रुपए था, जो समय पर भुगतान न करने के कारण देरी सरचार्ज सहित था। संदीप कुमार ने यह भी जानकारी दी कि अक्तूबर, नवंबर और दिसंबर 2024 महीने का कुल बिजली बिल 82,061 रुपए था, जिसका भुगतान कंगना रनौत द्वारा 16 जनवरी 2025 को किया गया था। उन्होंने कहा कि कंगना रनौत द्वारा मासिक बिलों का भुगतान नियमित रूप से देरी से किया जा रहा है। जनवरी और फरवरी के बिजली बिलों का भुगतान 28 मार्च 2025 को किया गया, जिसकी कुल खपत 14,000 यूनिट थी। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि कंगना रनौत के आवास की मासिक बिजली खपत औसत रूप से 5,000 यूनिट से लेकर 9,000 यूनिट तक बहुत अधिक है। बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया कि कंगना रनौत हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा बिजली बिलों पर दी जाने वाली सब्सिडी का भी लगातार लाभ उठा रही हैं। फरवरी महीने के बिल में उन्होंने मासिक बिजली बिल पर 700 रुपए की सब्सिडी प्राप्त की है।बिजली बोर्ड के एमडी संदीप कुमार ने प्रदेश के सभी विद्युत उपभोक्ताओं से आग्रह किया है कि वे समय पर अपने बिजली बिलों का भुगतान करें, ताकि उन्हें बिजली बिलों से संबंधित किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। समय पर बिजली बिलों का भुगतान न केवल उपभोक्ताओं के लिए सुविधाजनक है, बल्कि इससे बिजली बोर्ड के कर्मचारियों के समय की भी बचत होती है।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत के मामले में पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) और आईएएस अधिकारी हरिकेश मीणा को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए 2 मई तक अग्रिम जमानत प्रदान कर दी है। अदालत ने मीणा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है, साथ ही उन्हें पुलिस जांच में सहयोग करने का निर्देश भी दिया है। यह घटनाक्रम आज सामने आया है, जब हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की। इससे पहले सरकार ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट अदालत में पेश की थी। यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि विमल नेगी के परिजनों ने मीणा सहित दो अन्य अधिकारियों पर मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसके बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। मीणा ने इसी गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी, जिस पर आज अदालत ने यह फैसला सुनाया है।गौरतलब है कि हरिकेश मीणा ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। यह कदम विमल नेगी के परिवारजनों द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद उठाया गया था। परिजनों ने आईएएस अधिकारी हरिकेश मीणा, आईएएस शिवम प्रताप सिंह और निदेशक देसराज पर विमल नेगी को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। इन आरोपों के बाद न्यू शिमला थाने में निदेशक देसराज, तत्कालीन एमडी और निदेशक (कार्मिक) के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की गई थी। अब तक की पुलिस जांच और अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा की पड़ताल में परिजनों द्वारा लगाए गए आरोप सही पाए गए हैं, जिससे इन तीनों अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसी वजह से पहले देसराज ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की गुहार लगाई थी, लेकिन वहां से उनकी याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अब इसी कड़ी में मीणा ने हाईकोर्ट से राहत पाई है।
हिमाचल प्रदेश में बंदरों की बढ़ती आबादी और उनसे हो रही परेशानियों को लेकर वन विभाग एक बार फिर सक्रिय हो गया है। विभाग जून महीने में प्रदेश भर में बंदरों की नई गिनती करवाने जा रहा है। यह फैसला पिछली जनगणना की रिपोर्ट पर सवाल उठने के बाद लिया गया है, जिसमें बंदरों की संख्या अनुमान से कहीं ज़्यादा बताई गई थी और जिसे विभाग ने स्वीकृति नहीं दी थी। वन विभाग आमतौर पर हर चार साल में बंदरों की संख्या का आकलन करता है। 2019-2020 की पिछली रिपोर्ट में प्रदेश में बंदरों की अनुमानित संख्या 1,36,443 थी। प्रदेश में बंदर लंबे समय से एक बड़ी समस्या बने हुए हैं। ये न केवल किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि आम लोगों के लिए भी खतरा साबित हो रहे हैं। सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए 2006 से बंदरों की नसबंदी का कार्यक्रम भी चलाया है। अब तक प्रदेश में 1.86 लाख बंदरों की नसबंदी की जा चुकी है, लेकिन इसके बावजूद इनकी संख्या में अपेक्षित कमी नहीं आई है। वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न जिलों में आठ नसबंदी केंद्र संचालित हैं, लेकिन यह प्रयास भी बंदरों की बढ़ती आबादी के सामने कमजोर पड़ता दिख रहा है। बढ़ते हमले, शिमला में हर महीने दर्ज हो रहे सैकड़ों मामले बंदरों की बढ़ती संख्या का ही नतीजा है कि लोगों पर उनके हमलों की संख्या भी बढ़ रही है। राजधानी शिमला में ही सरकारी अस्पतालों में हर महीने बंदरों के काटने के 60 से 70 मामले सामने आ रहे हैं। सरकार ने बंदरों को पकड़ने के लिए प्रोत्साहन राशि भी निर्धारित की है। प्रति बंदर 700 रुपये दिए जाते हैं। वहीं, किसी विशेष क्षेत्र में 80 फीसदी बंदरों को पकड़ने में सफलता हासिल करने वाले व्यक्ति को प्रति बंदर 1,000 रुपये तक की राशि दी जाती है। इसके अलावा, बंदरों को मानव बस्तियों से दूर रखने के लिए सरकार उनके प्राकृतिक आवास में फलदार पौधे लगाने की योजना पर भी काम कर रही है। डीएफओ वन्य जीव शाहनवाज भट्ट ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि नए सिरे से गिनती करने से बंदरों की वास्तविक संख्या का सही आकलन हो सकेगा। इसके आधार पर नसबंदी, पुनर्वास और लोगों को राहत पहुंचाने के लिए अधिक प्रभावी योजनाएं बनाई जा सकेंगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पिछली रिपोर्ट को विभाग से अनुमोदन नहीं मिल पाया था और अब जून में नई गिनती करवाई जाएगी। अब देखना यह होगा कि जून में होने वाली इस बंदर जनगणना के नतीजे क्या सामने आते हैं और क्या सरकार बंदरों की इस बढ़ती समस्या पर लगाम लगाने में कामयाब हो पाती है या नहीं।
हिमाचल प्रदेश में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट (JOA) IT पोस्ट कोड-939 के 295 पदों पर भर्ती प्रक्रिया, जो 2022 से धीमी गति से चल रही थी, अब एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गई है। अप्रैल 2022 में आयोजित परीक्षा में एक लाख से अधिक उम्मीदवारों ने भाग लिया था, जिनमें से 68 हजार ने लिखित परीक्षा उत्तीर्ण की थी। हालांकि, दिसंबर 2022 में पेपर लीक होने के कारण भर्ती का परिणाम लगभग दो वर्षों तक लंबित रहा। परिणाम घोषित होने के बाद, बिजली बोर्ड ने 148 पदों पर भर्ती करने से इनकार कर दिया था, जबकि इसी पोस्ट कोड के तहत अन्य विभागों में भर्तियां पहले ही हो चुकी थीं। राज्य चयन आयोग की सिफारिशों के बावजूद बिजली बोर्ड के इनकार के बाद, यह मामला सरकार तक पहुंचा। सरकार ने इन 148 अभ्यर्थियों को अन्य सरकारी बोर्डों और निगमों में समायोजित करने का निर्णय लिया है। इन अभ्यर्थियों को हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वन विभाग का कॉरपोरेशन निगम, एचपीएमसी और एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड में समायोजित किया जाएगा। राज्य चयन आयोग ने इन उम्मीदवारों को अप्रैल के पहले सप्ताह तक अपनी पसंद बताने का अवसर दिया था। अभ्यर्थियों द्वारा अपनी प्राथमिकताएं व्यक्त करने के बाद, आयोग ने तुरंत पात्र उम्मीदवारों को बोर्ड और निगम आवंटित कर दिए। अब, इस आवंटन की अंतिम सूची राज्य सरकार, यानी कार्मिक विभाग को भेज दी गई है। इन उम्मीदवारों को अब राज्य सरकार की औपचारिक सिफारिश का इंतजार है, जिसके बाद इन बोर्डों और निगमों में उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। दो वर्षों से नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे इन अभ्यर्थियों के लिए यह खबर निश्चित रूप से राहत की सांस लेकर आई है।
हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन (HPPC) के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमय मौत का मामला लगातार गहराता जा रहा है, जिसमें अब पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हरिकेश मीणा केंद्र में आ गए हैं। आज हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में मीणा की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई होने वाली है। बीते सोमवार को हाईकोर्ट ने उन्हें अंतरिम राहत देते हुए 9 अप्रैल तक उनकी बलपूर्वक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब इस राहत की अवधि समाप्त होने वाली है और आज अदालत यह तय कर सकती है कि मीणा को गिरफ्तारी से संरक्षण मिलेगा या नहीं। हरिकेश मीणा की अग्रिम जमानत याचिका इस पूरे मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। अदालत आज दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुना सकती है। संभावना है कि पुलिस इस मामले में अब तक की अपनी जांच की प्रगति रिपोर्ट (स्टेट्स रिपोर्ट) भी हाईकोर्ट में दाखिल करेगी। मीणा ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, क्योंकि मृतक विमल नेगी के परिवार ने उन पर, आईएएस अधिकारी शिवम प्रताप सिंह और एक अन्य निदेशक देसराज पर विमल नेगी को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। नेगी के परिजनों द्वारा लगाए गए इन सनसनीखेज आरोपों के बाद न्यू शिमला पुलिस स्टेशन में देसराज, तत्कालीन एमडी (हरिकेश मीणा) और निदेशक (कार्मिक) के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई थी। अब तक इस मामले में पुलिस और अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में परिजनों द्वारा लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया सही पाए गए हैं। इस खुलासे ने इन तीनों अधिकारियों की मुश्किलें काफी बढ़ा दी हैं। इसी कड़ी में पहले निदेशक देसराज ने भी हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी, लेकिन उनकी याचिका खारिज हो गई थी। इसके बाद देसराज ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां उनकी याचिका पर भी सुनवाई होनी है। अब हरिकेश मीणा गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट की शरण में हैं। यह दुखद घटनाक्रम तब सामने आया जब बीते 10 मार्च को विमल नेगी अपने दफ्तर से घर न जाकर अचानक एक टैक्सी में बिलासपुर के लिए रवाना हो गए थे। आठ दिन बाद, 18 मार्च को उनका शव गोविंद सागर झील में तैरता हुआ मिला था। अगले दिन, 19 मार्च को बिलासपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में उनका पोस्टमार्टम करवाया गया। इसी दिन, आक्रोशित परिजनों ने पावर कॉरपोरेशन के बीसीएस स्थित दफ्तर के बाहर शव के साथ प्रदर्शन किया था, जिसके बाद पुलिस हरकत में आई और एफआईआर दर्ज की गई। इस घटना के बाद देसराज को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था।
शिमला जिले के ठियोग के सैंज में बीती शाम एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां एक युवक ने अपने ही दोस्त की हत्या कर दी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। मृतक की पहचान रवि कुमार (35) निवासी नलोट, सुंदरनगर (मंडी) के रूप में हुई है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार, रवि कुमार की कुछ महीने पहले ही शादी हुई थी और वह जेसीबी मशीन का मालिक था। आरोपी की पहचान अनिल (24) निवासी अर्की (सोलन) के तौर पर हुई है, जो सैंज के भोटका मोड़ पर एक वर्कशॉप चलाता है। बताया जा रहा है कि रवि और अनिल अच्छे दोस्त थे। पुलिस फिलहाल यह पता लगाने में जुटी है कि दोनों के बीच किस बात को लेकर विवाद हुआ, जिसके चलते यह खूनी वारदात हुई। बासा सैंज के रहने वाले कुलदीप सिंह (47) ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि सोमवार शाम करीब 5 बजे रवि उनकी दुकान पर आया था। इसके बाद वह अनिल की वर्कशॉप में गया। कुछ ही देर बाद वर्कशॉप से शोर सुनाई दिया और कुलदीप ने अनिल को फोन पर यह कहते सुना कि उसने एक व्यक्ति को मार डाला है। कुलदीप ने मौके पर पहुंचकर देखा तो रवि वर्कशॉप के फर्श पर खून से लथपथ पड़ा था। अनिल और अन्य लोगों ने मिलकर रवि को उसकी कार में ठियोग अस्पताल पहुंचाया, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही रवि ने दम तोड़ दिया। पुलिस के मुताबिक, आरोपी अनिल ने वर्कशॉप में रखे औजार से रवि पर हमला कर उसकी हत्या की है। ठियोग अस्पताल में आज मृतक के शव का पोस्टमॉर्टम करवाया जा रहा है, जिसके बाद शव परिजनों को सौंपा जाएगा। फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए हैं। थाना प्रभारी ठियोग जसवंत सिंह इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आज दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे। जहां से वे दोपहर बाद गुजरात के अहमदाबाद के लिए रवाना होंगे। उनके साथ प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एवं पूर्व अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर भी इस दौरे में शामिल होंगे। अहमदाबाद के शाहीबाग स्थित सरदार पटेल मेमोरियल में कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की रखी गई है। कल होने वाली CWC में कांग्रेस संगठन की मजबूती को लेकर फैसले लिए जाएंगे वही परसों यानी 9 अप्रैल को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) का अधिवेशन बुलाया गया है। इस अधिवेशन में CWC द्वारा लिए गए निर्णयों को पार्टी के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं तक पहुंचाने और उन्हें लागू करने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को इस दौरान पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस संगठन की वर्तमान स्थिति पर भी चर्चा कर सकते है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार बने लगभग पांच महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक पार्टी संगठन का पूर्ण रूप से गठन नहीं हो पाया है। संभावित कार्यक्रम के अनुसार, मुख्यमंत्री 10 अप्रैल की शाम या 11 अप्रैल की सुबह तक वापस शिमला लौट सकते हैं। हालाँकि अभी ये स्पष्ट नहीं है कि वो शिमला वापस कब लौटेंगे क्योंकि अभी आधिकारिक रूप से उनके कार्यक्रम की कोई अपडेट नहीं आई है।
हिमाचल प्रदेश में अप्रैल के पहले हफ्ते में ही अप्रत्याशित गर्मी ने लोगों को परेशान कर दिया है। कई शहरों में तापमान सामान्य से 8 डिग्री सेल्सियस तक ऊपर चला गया है, जिससे मई जैसी तपिश का अहसास हो रहा है। कुल्लू और मंडी जिलों में तो आज हीटवेव (लू) चलने की चेतावनी जारी की गई है, जबकि बीते कल भी इन क्षेत्रों में गर्म हवाओं का प्रकोप देखने को मिला। वही मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ 9 अप्रैल से सक्रिय होने जा रहा है, जिसके चलते प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में 12 अप्रैल तक बारिश होने की संभावना है। विशेष रूप से चंबा, कांगड़ा, कुल्लू और मंडी जिलों में इस दौरान वर्षा के आसार जताए गए हैं। मौसम विभाग ने बताया कि 9 अप्रैल को केवल अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बारिश हो सकती है, जबकि 10 और 11 अप्रैल को प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में बारिश की गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं। वहीं, 12 अप्रैल को अधिक ऊंचाई और मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ही बारिश सीमित रहने की संभावना है। इस पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से प्रदेशवासियों को तपती गर्मी से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। वही गर्मी ने किन्नौर के कल्पा में तापमान ने तो सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यहां अधिकतम तापमान सामान्य से 8 डिग्री ज्यादा 23.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है, जो अप्रैल के ऐतिहासिक रिकॉर्ड 25.2 डिग्री सेल्सियस (15 अप्रैल 2007) के बेहद करीब है। इस बार, अप्रैल के पहले सप्ताह में ही तापमान का इस स्तर पर पहुंचना चिंताजनक है। अन्य प्रमुख शहरों में भी गर्मी का कहर जारी है। ऊना में तापमान 36.4 डिग्री सेल्सियस, शिमला में 25.5 डिग्री सेल्सियस, मनाली में 25.9 डिग्री सेल्सियस, भुंतर में 32.8 डिग्री सेल्सियस और धर्मशाला में 30.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है, जो सभी सामान्य से काफी अधिक हैं।
-विमल नेगी मामले में जनता को गुमराह करने के लिए बीजेपी कर रही CBI जांच की मांग -कहा, बीजेपी का इस मामले से नहीं कोई लेना-देना जगत सिंह नेगी ने आज सोलन मेंविमल नेगी के मामले को लेकर बीजेपी द्वारा सीबीआई जांच की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए जगत सिंह नेगी ने कहा कि विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है, इसलिए वे इस मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। नेगी ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी इस मामले का उपयोग राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जैसे ही यह मामला सामने आया, सरकार ने तुरंत जांच शुरू की और पुलिस को पूरी सहायता दी। नेगी ने कहा कि जब विमल नेगी का शव मिला, तब तुरंत एफआईआर दर्ज की गई और जिन अधिकारियों पर इस केस को लेकर आरोप लग रहे थे उनको ट्रांसफर व सस्पेंड कर दिया गया ताकि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि यह जांच पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया के तहत चल रही है और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती जा रही है। वही परिजनों द्वारा सीबीआई जांच की मांग पर बात करते हुए नेगी ने कहा कि सीबीआई जांच तब होती है जब किसी मामले में ठोस सबूत हों कि वर्तमान जांच में कोई गड़बड़ी हो रही है। वर्तमान में जांच सही दिशा में और समय सीमा के भीतर हो रही है। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि आज के दौर में सीबीआई की प्रतिष्ठा पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि यह संस्था अब एक तरह से बीजेपी के नियंत्रण में आ गई है। जगत सिंह नेगी ने बीजेपी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले का राजनीतिकरण करना बिल्कुल भी उचित नहीं है।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने खाद्य आपूर्ति विभाग के कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें अनुबंध काल की गणना के आधार पर दिए गए वरिष्ठता लाभ को वापस लेने का आदेश जारी किया गया था। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और रंजन शर्मा की खंडपीठ ने 3 अप्रैल को जारी इस सरकारी आदेश पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। हालांकि, खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं को दी गई यह अंतरिम सुरक्षा उनके पक्ष में कोई स्थायी अधिकार नहीं बनाएगी। अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर इस मामले पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को लेखराज और अन्य बनाम हिमाचल प्रदेश से जुड़े एक अन्य मामले के साथ होगी, जिसमें अनुबंध सेवाकाल को वरिष्ठता और पदोन्नति के लिए गिने जाने की वैधता को चुनौती दी गई है। राज्य सरकार ने इसी वर्ष 7 फरवरी को हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती और सेवा शर्तें अधिनियम 2024 लागू किया था, जिसके तहत 2003 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के अनुबंध सेवाकाल को वरिष्ठता लाभ के लिए नहीं गिना जाएगा। इसी कानून के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं। सरकार ने 1 मार्च को खाद्य आपूर्ति विभाग में अनुबंध काल के बाद पदोन्नति संबंधी आदेश जारी किए थे, जिसे याचिका दायर होने के बाद वापस ले लिया गया था। हाईकोर्ट के इस रोक के फैसले से प्रदेश के अन्य विभागों के उन कर्मचारियों में भी उम्मीद जगी है, जिनके अनुबंध काल के सेवाकाल की गणना के आधार पर तय पदोन्नति और वरिष्ठता लाभ पहले वापस ले लिए गए थे। इसके अतिरिक्त, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बद्दी स्थित जीएमपी टेक्निकल सॉल्यूशंस में कार्यरत कर्मचारियों के स्थानांतरण पर भी रोक लगा दी है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने सभी संबंधित पक्षों को 21 अप्रैल तक अपने जवाब दाखिल करने का समय दिया है, और इस मामले पर अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी। यह याचिका जीएमपी टेक्निकल सॉल्यूशंस कर्मचारी संघ द्वारा दायर की गई है, जिसमें कर्मचारियों के सामूहिक स्थानांतरण को चुनौती दी गई है।
हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) को आगामी पर्यटन सीजन से पहले बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने निगम के होटलों में कर्मचारियों की तैनाती के लिए आउटसोर्स भर्ती करने की अनुमति दे दी है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पहले हाईकोर्ट ने ही नई भर्तियों पर रोक लगा दी थी। न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की अदालत ने यह आदेश एचपीटीडीसी द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए दिया। निगम ने अदालत से मौजूदा कर्मचारियों की कमी के कारण आगामी पर्यटन सीजन में परिचालन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए आउटसोर्स पर भर्तियां करने की अनुमति मांगी थी। इससे पहले, 15 अक्टूबर 2024 को हिमाचल हाईकोर्ट ने एचपीटीडीसी में आउटसोर्स या अनुबंध के आधार पर नई भर्तियों पर रोक लगा दी थी। इस रोक के बाद निगम ने हाईकोर्ट में आवेदन दायर कर भर्तियों की अनुमति का अनुरोध किया था। निगम ने अपने आवेदन में बताया था कि 15 अक्टूबर 2024 के आदेश से पहले कुछ कर्मचारी अनुबंध के आधार पर निगम में कार्यरत थे, लेकिन अब वे नौकरी छोड़ चुके हैं। इस स्थिति में, आगामी पर्यटन सीजन के कारण निगम को कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। अदालत ने निगम की इस मांग को स्वीकार करते हुए इस भर्ती की अनुमति प्रदान की है।
संसद में वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर द्वारा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे और अन्य वरिष्ठ नेताओं पर वक्फ की जमीन हड़पने के आरोप लगाने के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है। इस बयान के विरोध में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने जोरदार प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन शिमला के उपायुक्त कार्यालय के पास हुआ, जहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार और अनुराग ठाकुर के खिलाफ नारों के साथ अपनी नाराजगी व्यक्त की। इस दौरान कांग्रेस के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सांसद अनुराग ठाकुर को मुद्दे पर बात करनी चाहिए। हिमाचल में ऐसी संस्कृति नहीं है। अगर हम विधानसभा में इस तरह की बात करें तो भाजपा के नेता खड़े होकर हमें संसदीय कार्यवाही से बाहर निकालने की मांग कर देते हैं। विक्रमादित्य सिंह ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर सच में कोई हिमाचल के टुकड़े-टुकड़े करना चाहता है, तो वो भाजपा के नेता ही हैं। जिस तरह से भाजपा के नेता हिमाचल और केंद्र के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, यह बेहद चिंताजनक है। क्या मोदी जी अपनी जेब से दे रहे पैसा: विक्रमादित्य सिंह इस दौरान उन्होंने भाजपा के नेताओं पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर हम दिल्ली से विकास के लिए राशि लाते हैं तो भाजपा के नेता कहते हैं कि यह तो केंद्र से आई है। क्या मोदी जी अपने जेब से यह पैसा दे रहे हैं? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जो भी धनराशि हिमाचल को मिलती है, वह हिमाचल प्रदेश का हक है। चाहे वह जीएसटी के रूप में हो, राजस्व घाटा अनुदान हो या केंद्र की किसी भी योजना के तहत मिले। और यह प्रावधान तब से है जब से देश बना है। इसे भाजपा द्वारा इस तरह सौगात बताना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इस तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए। इतनी कहाँ आग लगी थी कि रातों-रातों किया बिल पारित इस दौरान विक्रमादित्य सिंह ने भाजपा के इरादों पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा जनता का ध्यान भटकाने के लिए वक्फ संशोधन बिल लेकर आई है। आज संसद में सबसे बड़ा मुद्दा इम्पोर्ट ड्यूटी है। अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया है कि टैरिफ टैक्स लगाया जाएगा, जिससे हिमाचल को भी नुकसान होगा। हम काफी समय से इस मुद्दे को उठा रहे हैं, लेकिन ध्यान भटकाने के लिए वक्फ बिल को रातों-रात पारित कर दिया गया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इतनी आग कहां लगी कि यह कानून रातों-रात पारित कर दिया गया? यह जनहित के मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश है।
शिमला: संसद में पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे पर की गई विवादास्पद टिप्पणी के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है। लोकसभा में वक्फ बिल पर चर्चा के दौरान सांसद अनुराग ठाकुर द्वारा कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे व कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं पर वक्फ की जमीन हड़पने के आरोप लगाए थे जिसके बाद से कांग्रेस उग्र हो गई है। इस बयान के विरोध में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने जोरदार प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन शिमला के उपायुक्त कार्यालय के पास हुआ, जहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार और अनुराग ठाकुर के खिलाफ कड़े नारों के साथ अपनी नाराजगी व्यक्त की। प्रदर्शन में कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह समेत कई नेताओं ने भाग लिया। उन्होंने अनुराग ठाकुर के बयान को निंदा किया और इसे सदन की गरिमा के खिलाफ बताया । इस दौरान उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि अनुराग ठाकुर का विवादों से पुराना नाता रहा है। उन्होंने पहले भी समय-समय पर विवादित बयान दिए हैं। ऐसे में उनसे कुछ भी अपेक्षा करना गलत है। भाजपा जानबूझकर मल्लिकार्जुन खरगे और गांधी परिवार को निशाना बनाती है। मल्लिकार्जुन खरगे वरिष्ठ सांसद हैं और अनुराग ठाकुर सदन में अभद्र टिप्पणी करके उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। वही इस प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने भी अनुराग ठाकुर को घेरते हुए कहा अनुराग ठाकुर की भासा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि कांग्रेस पार्टी उनके बयान की निंदा करती है। आज हम राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के समर्थन में एकत्र हुए हैं और उनकी ओर से अनुराग ठाकुर से इस्तीफे की मांग का भी समर्थन करते हैं। इस दौरान प्रतिभा सिंह ने मंडी से लोकसभा सांसद काँगड़ा रनौत पर भी निशाना साधा और कहा कि हम काँगड़ा रनौत को इतना काबिल नहीं समझते है कि उसे मान-सम्मान दिया जाए । जनता ने उन्हें चुनकर संसद तक भेजा लेकिन आज तक कंगना रनौत ने हिमाचल का एक भी मुद्दा संसद में नहीं उठाया।