21 या 22 सितंबर? कब है नवरात्रि, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत सोमवार 22 सितंबर से होने वाली है। 2 अक्टूबर को विजयदशमी के दिन समाप्त होगी। आपको बता दें कि हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है। सनातन में नवरात्रि पर्व का बहुत ज्यादा महत्व होता है। यह त्यौहार पुरे 9 दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान लोग मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखकर उपवास रखते हैं और साथ ही कलश की स्थापना भी करते हैं।
नवरात्रि के 9 दिनों में देवी दुर्गा की 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। साथ ही अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन की भी परंपरा है। दशमी के दिन रावण दहन होता है। ऐसी मान्यता है कि इन 9 दिनों में यानि नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
कलश स्थापना की शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के पहले दिन ही कलश स्थापना की जाती है, जिसे घटस्थापना भी कहते हैं। कलश स्थापना शुभ समय में ही करना चाहिए।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त- 22 सितंबर 2025 को सुबह 6:09 बजे से 8:06 बजे तक है।
कलश स्थापना की पूजा विधि
सुबह स्नान कर घर को साफ़ सुथरा कर लें। साथ ही हो सके तो गंगाजल से पूजन स्थल को साफ़ करें। इसके बाद पूजा के कलश को ठीक से साफ करके उसमें जल भर लें। इसके बाद इस कलश में सुपारी, सिक्का, अक्षत, और फूल डाल दीजिए। मिट्टी के एक बर्तन में जौ रखें और अब इसके ऊपर जल भरा हुआ कलश स्थापित कर दें। कलश पर रोली व अक्षत लगाएं और अब इसके चारो ओर मौली बांध दें। अब कलश पर सुपारी, सिक्का व आम के भी पत्ते रखें। अंत में कलश के ऊपर एक नारियल रखकर लाल कपड़े से लपेट दें और फिर इसे मौली से बांध दीजिए।
अब कलश के पास में देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें। अब जल, पुष्प चढ़ाकर और दीप जलाकर पूजा शुरू कर दें। सबसे अंत में दुर्गा सप्तशती या देवी कवच का पाठ करें।
नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि का जो पर्व है वह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध करने के लिए 9 दिनों तक युद्ध किया था। महिषासुर का वध करके देवी ने धर्म की रक्षा की थी। इसीलिए नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। नवरात्रि में व्रत और पूजा करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, यदि नवरात्र की प्रतिपदा सोमवार या रविवार को हो तो देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। देवी दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना बहुत ही शुभ माना जाता है।