पुरानी पेंशन के संघर्ष में ऐतिहासिक रहा 3 मार्च

3 मार्च साल 2021, हिमाचल प्रदेश के कई कर्मचारी नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के बैनर तले पेंशन व्रत पर बैठे थे। मांग थी पुरानी पेंशन बहाली की। व्रत टूटा मगर पुरानी पेंशन बहाली की मांग पूरी नहीं हुई। संघर्ष जारी रहा और ठीक एक साल बाद 3 मार्च साल 2022 को हिमाचल में कर्मचारियों ने विशाल धरना प्रदर्शन किया, ऐसा धरना जो शायद ही हिमाचल में पहले कभी कर्मचारियों ने किया होगा। तीन मार्च को शिमला के टूटीकंडी में सभी कर्मचारी एकत्रित हुए और आगे बढ़ते हुए 103 टनल के पास एनपीएस कर्मचारियों ने हल्ला बोला। इस दौरान कर्मचारियों द्वारा यातायात बंद किया गया। पुलिस के जवानों ने कर्मचारियों को जब हटाने की कोशिश की तो कर्मचारियों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की हुई। इसके बाद प्रदर्शन में शामिल एनपीएस कर्मियों पर एफआईआर दर्ज की गई। कर्मचारियों की ये नाराजगी तत्कालीन सरकार को भारी पड़ी और विधानसभा चुनाव में तख़्त और ताज बदल गए। कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में ओपीएस बहाली का वादा किया और कर्मचरियों ने एतबार।
अब 3 मार्च ही वो तारीख बन चुकी है जब प्रदेश की सुक्खू सरकार ने कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली संबंधित एसओपी को मंजूरी देकर कर्मचारियों को सबसे बड़ा तोहफा दिया है। आखिरकार एक लम्बे संघर्ष के बाद प्रदेश के कर्मचारियों की सबसे बड़ी मांग पूरी हो गई। प्रदेश सरकार द्वारा चौथी कैबिनेट की बैठक में पुरानी पेंशन बहाली की एसओपी को मंज़ूरी दे दी गई है। 1 अप्रैल, 2023 से पुरानी पेंशन लागू करने का फैसला लिया गया है। जिस मसले ने प्रदेश की चुनावी हवा का रुख बदल कर रख दिया था, अब वो मसला पूरी तरह हल हो गया है। चुनाव से पहले कांग्रेस द्वारा जनता को दी गई गारंटियों में से पुरानी पेंशन बहाली पहली गारंटी थी, जो अब पूरी हो गई है। प्रदेश की नई सरकार ने कर्मचारियों की पेंशन की सबसे बड़ी टेंशन को खत्म कर दिया है। हिमाचल में करीब सवा लाख कर्मचारी इस समय एनपीएस के दायरे में आते हैं और इनको इसका लाभ मिलने वाला है।
इस फैसले से प्रदेश सरकार पर सालाना करीब 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा। वहीँ हिमाचल के 1.36 लाख कर्मचारियों का एक अप्रैल से नेशनल पेंशन सिस्टम फंड कटना भी बंद हो जाएगा। इन कर्मचारियों को कैबिनेट ने जीपीएफ के तहत लाने का फैसला लिया है। एनपीएस में रहने के इच्छुक कर्मियों को लिखित में विकल्प देने की पेशकश की गई है। भविष्य में जो नए कर्मचारी सरकारी सेवा में नियुक्त होंगे, वे पुरानी पेंशन व्यवस्था में आएंगे। जिन एनपीएस कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति 15 मई, 2003 के बाद हुई है, उनको भावी तिथि से पुरानी पेंशन दी जाएगी। नियमों में आवश्यक संशोधन के बाद एनपीएस में सरकार और कर्मचारियों द्वारा जारी अंशदान 1 अप्रैल, 2023 से बंद हो जाएगा। कैबिनेट ने वित्त विभाग को इस संबंध में नियमों में बदलाव करने और आवश्यक निर्देश जारी करने को कहा है। कैबिनेट ने केंद्र सरकार से प्रदेश की 8,000 करोड़ रुपये एनपीएस राशि लौटाने का प्रस्ताव भी पारित किया है।
सरकार ने लौटाया कर्मचारियों का आत्मसम्मान :
प्रदीप ठाकुर पेंशन बहाल करने के लिए हिमाचल प्रदेश नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री व समस्त कैबिनेट का धन्यवाद किया है। संगठन के अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर तथा अन्य सभी पदाधिकारियों ने सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा कि पुरानी पेंशन बहाली का जो वादा कांग्रेस पार्टी ने चुनावों के वक्त कर्मचारियों के साथ किया था, वो अब पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व तक ने पेंशन बहाली का समर्थन किया था। प्रियंका गांधी, भूपेश बघेल व अन्य राष्ट्रीय नेताओं ने भी कर्मचारियों की पेंशन बहाली के वादे किये थे। प्रियंका गांधी तो स्वयं कर्मचारियों के धरने पर भी पहुंची थी। कांग्रेस ने कर्मचारियों को विश्वास दिलाया और कर्मचारियों ने भी कांग्रेस का साथ दिया। नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ द्वारा सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा गया कि सरकार ने कर्मचारियों का बुढ़ापा सुरक्षित करके उन्हें जहां आर्थिक रूप से सुरक्षित किया है, वहीँ उनका आत्मसम्मान उन्हें वापस लौटाया है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी भविष्य में प्रदेश में आने वाली हर चुनौती का सामना करने के लिए हमेशा सरकार के साथ खड़े रहेंगे और प्रदेश की प्रगति के लिए कर्मचारी हर संभव योगदान देंगे।