इत्तू सा राज्य पर केंद्र की सियासत में गहरी छाप, राजकुमारी अमृत कौर से लेकर अनुराग ठाकुर तक 8 सांसद बने केंद्रीय मंत्री

वर्ष 1952, पहला आम चुनाव हुआ और हिमाचल से निर्वाचित सांसदों में से एक सांसद थी राजकुमारी अमृत कौर। पंडित नेहरू की कैबिनेट में राजकुमारी अमृत कौर को स्वास्थ्य जैसा बेहद महत्वपूर्ण महकमा दिया गया। उस वक्त हिमाचल में 2 ही लोकसभा सीटें हुआ करती थी, बावजूद इसके एक सांसद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान मिला।तब शुरू हुआ सिलसिला अब तक बरकरार है। बेशक हिमाचल प्रदेश में महज चार लोकसभा सीट हो पर केंद्र की सियासत में हिमाचल के नेताओं ने खूब रंग जमाया है। राजकुमारी अमृत कौर के बाद वर्ष 1976 -1977 में इंदिरा गाँधी के कैबिनेट में वीरभद्र सिंह पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के डिप्टी मिनिस्टर रहे। इंदिरा की अगली कैबिनेट में भी वीरभद्र सिंह को स्थान मिला और वर्ष 1980 से 1983 तक वे केंद्र में उद्योग राज्यमंत्री बने। इसके बाद 2009 में जब वीरभद्र सिंह फिर सांसद चुने गए तो उन्हें यूपीए सरकार में कैबिनेट रैंक के साथ इस्पात मंत्रालय मिला। वीरभद्र सिंह के अतिरिक्त कांग्रेस से ही पंडित सुखराम, आनंद शर्मा और चंद्रेश कुमारी भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहे। भाजपा की बात करें तो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में हिमाचल से शांता कुमार को कैबिनेट मंत्री पद मिला। इसके बाद जब 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो राज्यसभा सांसद जगत प्रकाश नड्डा कैबिनेट मंत्री बने। वर्तमान में मोदी सरकार में हमीरपुर सांसद अनुराग ठाकुर वित्त राज्य मंत्री हैं।
दो-दो केंद्रीय मंत्री भी रहे
एक ही वक्त में हिमाचल प्रदेश से दो -दो कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक ही वक्त में आनंद शर्मा और चंद्रेश कुमारी तथा वीरभद्र सिंह और आनंद शर्मा मंत्री रहे।
कभी 6 लोकसभा सीटें थी, कभी 2 और अब 4
लोकसभा में हिमाचल की सीटें दाे से शुरु हुई थी। यानी पहले आम चुनाव में मात्र दाे ही सीटें थी, वह थी मंडी-महासू और चंबा-सिरमाैर। मंडी -महासू डबल सीट थी, मतलब वहां से दो सांसद चुने गए थे। उस दौरान बिलासपुर अलग स्टेट थी और वहां से राजा आनंद चंद संसद में गए थे। उसके बाद 1957 के लाेकसभा चुनाव में हिमाचल की 3 सीटें बनी। चंबा सीट का सिरमौर वाला हिस्सा महासू में चला गया। तदोपरांत 1962 में 4 सीट हो गई। दरअसल, 1962 के चुनाव में सिरमौर अलग से आरक्षित सीट हो गई और मंडी, महासू, चम्बा को मिलकर कुल चार सीटें हो गईं। इसके बाद 1967 में कांगड़ा और हमीरपुर सीट भी जुड़ गई और लोकसभा सीटें बढ़कर 6 हो गई। वर्ष 1971 के चुनाव में 6 से घटकर हिमाचल की 4 सीटें हुई जाे अब भी बरकरार है।
संगठन के शीर्ष पर पहुंचे नड्डा - अनुराग
भारतीय जनता पार्टी दुनिया का सबसे बड़ा राजैनतिक दल हैं और इस पार्टी की कमान भी एक हिमाचली नेता के हाथ में हैं। केंद्रीय मंत्री रहे जगत प्रकाश नड्डा वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इसी तरह वर्तमान में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। अनुराग बीसीसीआई के भी अध्यक्ष रह चुके हैं।
आनंद शर्मा राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता
कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति की बात करें तो आनंद शर्मा लंबे समय से राष्ट्रीय पटल पर सक्रिय रहे हैं। 2014 में जब कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई ताे आनंद शर्मा राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता चुने गए। वर्तमान में सोलन विधायक डॉ कर्नल धनीराम शांडिल कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य रह चुके हैं।
अटल का घर हिमाचल में, कई बड़े नेताओं का रहा नाता
देश के कई प्रधानमंत्रियों सहित कई सियासी दिग्गजों का हिमाचल से नाता रहा है। इंदिरा गांधी को हिमाचल से विशेष लगाव था और वो अक्सर कहा करती थी कि वे यहीं बसना चाहती हैं। इंदिरा का सपना तो पूरा नहीं हुआ, लेकिन उनकी पौती और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने अब शिमला में घर बनाया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मनाली का प्रीणी गांव में अपना घर बनाया है। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल भाजपा के प्रभारी रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की हिमाचल में काफी जायदाद हैं। हरियाणा के चौटाला और पंजाब के बादल परिवारों की संपत्ति भी हिमाचल में हैं।