कांग्रेस की 'पोस्ट-पॉलिटिक्स' से सियासी संग्राम !

**सोशल मीडिया पोस्टों से खुली नाराज़गी की परतें**डिप्टी सीएम को अध्यक्ष बनाने की चर्चा!
हिमाचल की सियासत में सोशल मीडिया की 'पोस्ट पॉलिटिक्स' ने हलचल मचा दी है। कांग्रेस के भीतर नाराज़गी, घुटन और गुटबाज़ी अब दबी-छुपी नहीं रही—बल्कि फेसबुक पोस्टों के ज़रिए खुलकर सामने आ रही है। स्पष्ट कहें तो कांग्रेस की अंदरूनी बगावत का डिजिटल संस्करण पेश किया जा चुका है। नेताओं द्वारा इशारे पोस्ट किए जा रहे हैं और सियासी माहिर इन्हीं इशारों को समझते हुए कांग्रेस में सियासी उथल-पुथल की अलग-अलग कहानियां गढ़ रहे हैं। पहली पोस्ट आई उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की ओर से। अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा..., 'साजिशों का दौर, झूठ के पांव नहीं होते।' इसके चंद घंटों बाद सीएम सुखविंदर सुक्खू के मीडिया कोऑर्डिनेटर यशपाल शर्मा ने भी सोशल मीडिया पर लिखा... 'दौर-ए-साजिश तब से आम हो गया, जब से ठाकुर सुखविंदर सुक्खू के नाम से सीएम जुड़ गया।' फिर बीती रात PWD मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपने सोशल मीडिया पर देर शाम एक पोस्ट डाली, इसमें अग्निहोत्री का नाम लिए बगैर लिखा... 'जब आपको हराने के लिए लोग कोशिश करने के बजाय साजिश करने लगें तो समझ लीजिए आपकी काबिलियत अव्वल दर्जे की है।' विक्रमादित्य ने आगे लिखा..., 'आप वीरभद्र सिंह स्कूल ऑफ थॉट के शिष्य हैं, न कभी डरना, न किसी को बेवजह डराना'.. आखिर में 'जय श्री राम' लिखा.. विक्रमादित्य के इस पोस्ट के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। मुकेश और विक्रमादित्य सिंह के बाद यशपाल शर्मा ने फिर से एक पोस्ट डाली, जिसमें लिखा कि 'हेडमास्टर तो बहुत थे, अब प्रिंसिपल आया है (तकलीफ स्वाभाविक)' इसके बाद राजनीति और गरमा गई है।
अब इस 'पोस्ट पॉलिटिक्स' के मायने निकालने के लिए कोई सियासी पंडित होना ज़रूरी नहीं..... सियासत की ऊंची दीवारों के पीछे जो चल रहा है उससे हिमाचल का आम आदमी भी पूरी तरह वाकिफ है। सूत्रों की मानें तो मामला सिर्फ नाराज़गी तक सीमित नहीं।
चर्चा है कि पार्टी का एक खेमा मुकेश अग्निहोत्री को डिप्टी सीएम पद से हटाकर प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहता है, लेकिन अग्निहोत्री इस प्रस्ताव को प्रमोशन नहीं, डिमोशन मानते हैं। बताया जा रहा है कि उन्हें सीएम द्वारा तैनात चेयरमैन और वाइस चेयरमैन की उनके विभागों में दखलअंदाज़ी भी खटक रही है। यही कारण है कि वो सचिवालय से दूरी बनाए हुए हैं। सूत्रों के अनुसार, डिप्टी सीएम की हाईकमान से भी शिकायत की गई। इस शिकायत के बाद उन्हें तीन दिन पहले दिल्ली भी तलब किया गया। तब वह प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल से मिलकर वापस लौटे हैं।
वैसे कांग्रेस की ये उथल-पुथल कोई नई बात नहीं है। हिमाचल में कांग्रेस पिछले ढाई साल से सत्ता में है.... कांग्रेस को सत्ता तो मिली मगर सत्ता में सुकून कभी नहीं मिला...... ये सरकार शुरुआत से ही तलवार की धार पर चल रही है। कभी कोई नाराज़ हुआ, कभी कोई और। कुछ नेताओं ने पार्टी को अलविदा कह दिया, तो कुछ को मनाकर जैसे-तैसे रोक लिया गया। मगर इन सारे सियासी झंझटों में एक चेहरा हमेशा सीएम सुक्खू के साथ मज़बूती से खड़ा दिखा.... उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री। संकट की बात यही है कि अब वो शख्स, जो हर संकट की घड़ी में सरकार की ढाल बना, हर मंच पर मुख्यमंत्री के फैसलों का बचाव करता रहा... आज वही ख़ुद नाराज़ है।
विक्रमादित्य सिंह की पोस्ट भी अहम सियासी संकेत है। उन्होंने अग्निहोत्री को वीरभद्र सिंह स्कूल ऑफ थॉट का शिष्य कहकर न सिर्फ उन्हें फिर से ‘होली लॉज’ खेमे से जोड़ा, बल्कि यह संदेश भी दिया कि पुराने कुनबे को दोबारा संगठित करने की कवायद शुरू हो गई है। कई जानकार इसे 'दबाव की राजनीति' का हिस्सा भी मान रहे हैं।
बाकी नेताओं की नाराज़गी शायद कांग्रेस के लिए कोई बड़ी बात न रही हो मगर उपमुख्यमंत्री की नाराज़गी कांग्रेस को भारी पड़ सकती है। अब देखना ये है कि कांग्रेस हाईकमान इन इशारों को समझकर समय रहते कदम उठाता है या फिर हिमाचल की सत्ता में दरार गहराती जाती है।