किसी को 'सरदार' मंजूर नहीं, तो कोई सरदार पर ही अड़ा !
**क्या मेयर पद पर सहमति बना पायेगा कांग्रेस आलाकमान ?
**कांग्रेस की रार में, भाजपा मौके की तलाश में !
**संतुलन बनाने के लिए एक गुट से मेयर तो दूसरे से डिप्टी मेयर सम्भव
किसी को 'सरदार' के तौर पर 'सरदार' मंजूर नहीं, तो कोई सरदार पर ही अड़ा है। ये ही सोलन नगर निगम में कांग्रेस की सियासत का मौजूदा हाल है। दो गुटों में बंटे पार्षद आमने सामने है और इनको एक पाले में लाना आलाकमान के लिए पापड़ बेलने से कम नहीं। सरदार सिंह को मेयर बनाने का जो वादा 2021 में नगर निगम चुनाव नतीजों के बाद हुआ था वो पूरा होगा, या पार्टी मेयर -डिप्टी मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा, ये सवाल बना हुआ है। कांग्रेस के पास कुल नौ पार्षद है और नगर निगम पर कब्ज़ा बरकरार रखने के लिए इतने ही उसे चाहिए, न एक कम न एक ज्यादा। पर ये होगा कैसे, यहीं पेंच अटका है। पार्टी के बड़े नेताओं को क्रॉस वोटिंग का डर खाये जा रहा है और भाजपा मौके की तलाश में है।
17 वार्डों वाली सोलन नगर निगम में 9 पार्षद कांग्रेस के है, 7 भाजपा के और एक निर्दलीय। 2021 में चुनाव के बाद कांग्रेस के मेयर और डिप्टी मेयर बने थे। कहते है तब ढाई साल के लिए पूनम ग्रोवर मेयर बनी तो अगले ढाई साल का वादा सरदार सिंह से हुआ। वहीँ डिप्टी मेयर पद के लिए चार लोगों में 15 -15 महीने का कार्यकाल बांटने की बात हुई। पहला नंबर राजीव कोड़ा का था और अब तक पुरे ढाई साल वो ही डिप्टी मेयर रहे। कहते है इसी बात को लेकर कुछ पार्षदों में नाराजगी थी। ऐसे ही चार पार्षद 2022 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा पार्षदों के साथ मिलकर अविश्वास प्रस्ताव ले आएं। इनमे सरदार सिंह, ईशा, संगीता और पूजा शामिल है। तब कांग्रेस के इन चार और भाजपा के पार्षदों के बीच तय हुआ था कि पूजा मेयर बनेगी और भाजपा के कुलभूषण गुप्ता डिप्टी मेयर। पर तकीनीकी कारणों से इनका अविश्वास प्रस्ताव गिर गया और सारे अरमान धरे रह गए। इसके बाद पूनम ग्रोवर और राजीव कोड़ा अपने पदों पर बने रहे। पर कांग्रेस के पार्षदों के बीच की तल्खियों की झलक अक्सर जनरल हाउस में दिखती रही।
अब अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले उन्हीं चार में से एक पार्षद सरदार सिंह मेयर पद के दावेदार है। अविश्वास प्रस्ताव में शामिल होने के चलते लाजमी है उनके नाम पर कुछ लोगों को अप्पत्ति हो। वहीँ वार्ड 12 पार्षद उषा शर्मा का नाम भी चर्चा में है। बहरहाल आलाकमान के सामने सभी नौ पार्षदों को एक नाम पर राजी करने की चुनौती है। माना जा रहा है कि संतुलन सुनिश्चित करने के लिए मेयर और डिप्टी मेयर अलग अलग गुट से हो सकते है।
सियासत में जो दीखता है, जरूरी नहीं वैसा ही हो। 9 पार्षद होने के बाद भी मेयर डिप्टी मेयर कांग्रेस के हो, ऐसा जरूरी नहीं है। हालांकि कांग्रेस की ही तरह भाजपा भी दो गुटो में बंटी हुई है, लेकिन निर्दलीय को जोड़ लिया जाएँ तो कांग्रेस से संख्या में सिर्फ एक कम है। अगर भाजपा ने कैंडिडेट दिया तो कुलभूषण गुप्ता पार्टी उम्मीदवार हो सकते है। 6 बार की पार्षद मीरा आनंद भी रेस में है। पर क्रॉस वोटिंग की सम्भावना तो यहाँ भी है। हालांकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल सोलन नगर परिषद् के अध्यक्ष रह चुके है और यहाँ की हर सियासी नब्ज से वाकिफ भी। ऐसे में बिंदल के रहते भीतरखाते बहुत कुछ पक सकता है। बहरहाल कांग्रेस के नौ पार्षद क्या किसी एक नाम पर साथ आएंगे या नहीं, इसी पर निगाह टिकी है।