पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्मदिन आज, जानिए उनसे जुड़ी कुछ ख़ास बातें

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज 88 साल के हो गए है। डॉ मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक दो बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके है और वर्तमान में राजस्थान से राज्यसभा सदस्य है। भारत के तेरवें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह विचारक और विद्वान के रूप में प्रसिद्ध है। वह अपनी नम्रता, कर्मठता और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। डॉ मनमोहन सिंह जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गाँधी के बाद सबसे ज़्यादा समय तक देश के प्रधानमंत्री रहे है सिर्फ ये ही नहीं मनमोहन सिंह को भारत के सर्वश्रेष्ठ अर्थशास्त्रियों में से एक भी माना जाता है।
मनमोहन का शुरुआती जीवन
मनमोहन का जनम 26 सितम्बर 1932 में अविभाजित भारत के पंजाब प्रान्त में हुआ था, जो की बटवारे के बाद अब पाकिस्तान का हिस्सा है। कहा जाता है की मनमोहन सिंह के पिता चाहते थे की वो डॉक्टर बने और इसीलिए उन्होंने 1948 में अमृतसर के खालसा कॉलेज के प्री मेडिकल कोर्स में दाखिला भी ले लिए था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दी जिसके बाद उन्होंने हिन्दू कॉलेज में एडमिशन लिया और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। उसके बाद उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की। 1957 में उन्होंने अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी से ऑनर्स की डिग्री अर्जित की। 1962 में उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के नूफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी.फिल भी किया।
मनमोहन की कैसे हुई राजनीति में एंट्री
साल था 1991 का। देश में राजनैतिक अस्थिरता का माहौल था। बीते दो वर्ष में देश तीन प्रधानमंत्री देख चूका था। सबसे बड़े राजनैतिक दल कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे राजीव गाँधी की हत्या हो चुकी थी। एक बार फिर सरकार बनाने का ज़िम्मा कांग्रेस पर था। पर सवाल ये था कि प्रधानमंत्री बनेगा कौन। कई नाम सामने आये, कयास लगे, प्रयास भी हुए पर आखिरकार सहमति बनी पीवी नरसिम्हा राव के नाम पर।
वहीं पीवी नरसिम्हा राव जो एक किस्म से रिटायरमेंट मोड में चले गए थे, दिल्ली छोड़ने का फैसला भी ले चुके थे मगर दिल्ली उन्हें छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी। राव जो हर विभाग के विशेषयज्ञ माने जाते थे, जो सवास्थ्य, शिक्षा और विदेश मंत्रालय पहले ही संभाल चुके थे, देश के प्रधान मंत्री बन गए। मगर एक विभाग ऐसा भी था जो राव के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित हो सकता था, ये था वित्त मंत्रालय। नरसिम्हा राव ये अच्छे से जानते थे की देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है ऐसे में कोई ऐसा व्यक्ति ही देश की आर्थिकता को संभाल सकता है जो अर्थशास्त्र के कौशल्य में परिपूर्ण हो। तभी राव के सलहाकार पि सी ऐलेक्सेंडर ने राव को डॉ. मनमोहन सिंह का नाम सुझाया और शपथ ग्रहण समारोह से एक दिन पहले मनमोहन सिंह के सामने ये प्रस्ताव रखा गया।
बतौर वित्त मंत्री किए गए काम
अपना पहला बजट प्रस्तुत करते हुए डॉ. सिंह ने इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी का नाम बार बार ज़रूर लिया मगर वो इनकी आर्थिक नीतियों को बदलते हुए ज़रा भी नहीं हिचकिचाए। मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के कार्यकाल के दौरान विदेश व्यापार उदारीकरण, वित्तीय उदारीकरण, कर सुधार और विदेशी निवेश का रास्ते जैसे अहम फैसले लिए। उनके इन फैसलों ने अर्थव्यवस्था को ना सिर्फ नई गति दी बल्कि मजबूती भी प्रदान की। वित्त मंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह ने कई अहम फैसले लिए। खास तौर पर ऐसे निमयों में बदलाव लाए जिनकी वजह से अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ रही थी, उन्हें तेजी मिले। इसके साथ ही उन्होंने भारत को दुनिया के बाजार के लिए भी खोला और देश में आर्थिक क्रांति और ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत की।
जब मनमोहन प्रधानमंत्री बने
जब डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बनें तो उन्हें एक्सीडेंटल प्राइममिनिस्टर कहा गया।
बात है 18 मई 2004 की, इलेक्शन के बाद जश्न का माहौल था, कांग्रेस की अगुवाई वाली UPA ने नई संसद में 335 सीटों पर जीत दर्ज की थी और NDA को काफी अंतर से हराया था। सोनिआ गाँधी जीती ज़रूर थी मगर बीजेपी अब भी ये नहीं चाहती थी की कोई विदेशी प्रधान मंत्री बने, मगर निष्ठावान कोंग्रेसियों की निष्ठां सिर्फ और सिर्फ सोनिया गांधी में थी।
18 मई को कांग्रेस हाई कमान का दफ्तर खचा खच भरा था। सोनिया गांधी आई और प्रंधानमंत्री पद स्वीकार करने से इंकार कर दिया। सियासी महकमा और पुरे देश की जनता अब असमंजस में थी की आखिर कौन होगा उनका प्रधान मंत्री। जब तमाम कांग्रेसी चमचे प्रधान मंत्री बनने की चाह में पालक पावड़े बिछाये बैठे थे तब सोनिया गांधी ने नाम लिया डॉ मनमोहन सिंह का। उन्होंने कहा की उनसे अच्छा प्रधान मंत्री भारत को नहीं मिल सकता। सियासी दिग्गजों का मानना है की अगर सोनिया गांधी सत्ता से मुँह न मोड़ती तो मनमोहन को ये सौभाग्य प्राप्त न होता पर इस वाक्य से कहीं भी ये तो साबित नहीं किया जा सकता की मनमोहन की काबिलियत में कोई कमी थी। बतौर प्रधानमंत्री बनते ही उन्होंने रोजगार के क्षेत्र में बड़ा फैलसा लिया और मनरेगा के जरिए ऐतिहासिक कदम उठाया। हर हाथ को काम देने की उनकी सोच ने लोगों के घरों में चूल्हे जलाने में बड़ी अहम भूमिका निभाई जिससे देश अंदर से सशक्त हो सके।