जयराम सरकार ने किसी को ज्यादा अनदेखा किया, तो किसी को कम : राकेश सिंघा

"सरकार से न तो प्रदेश की आम जनता खुश है, न कर्मचारी और न कोई और.नवउदारवाद की नीतियों के चलते हुए कभी भी विकास नहीं होगा, बस कागज़ों में एमओयू साइन करती रही सरकार, कर्ज मंत्री की 35 लाख की गाड़ी खरीदने के लिए ले रहे है, तो वो गलत" प्रदेश में सीपीआईएम के एकलौते विधायक राकेश सिंघा की पहचान ऐसे नेता के तौर पर होती है जो सही को सही और गलत को गलत कहने में यकीन रखते है।अकसर सिंघा अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते है और जरुरत पड़ने पर अकेले धरने पर बैठने से भी गुरेज नहीं करते। वहीँ कई मौकों पर पुरे विपक्ष से इतर सरकार के साथ भी दिखते है। प्रदेश की जयराम सरकार के चार साल पूरे हो चुके है। सरकार बेतहाशा विकास के दावे कर रही है और विपक्ष सारे दावों को नकार रहा है। जयराम सरकार के चार साल के कामकाज को लेकर फर्स्ट वर्डिक्ट ने राकेश सिंघा से विशेष बातचीत की। पेश है उनसे बातचीत के कुछ मुख्य अंश...
सवाल : वर्तमान सरकार अपने कार्यकाल के 4 साल पूरे का चुकी है, इन चार सालों को आप किस तरह आंकते है ?
जवाब : इस सरकार के चार साल के आंकलन के लिए चार-पांच बिंदुओं को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। पहले इस बात को ध्यान में रखना ज़रूरी है कि इस सरकार ने ऐसे क्या कदम उठाए है जिससे लोगों की खरीद की शक्ति बढ़ी हो। प्रदेश इच्छाओं से आगे नहीं बढ़ता। प्रदेश उन कार्यक्रमों से आगे बढ़ता है जिनसे आवाम की खरीद की शक्ति बढ़े, उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो। हम ये मानते है कि कोरोना ने भी इस सरकार के कार्यकाल में काफी चीज़ें प्रभावित की है, परन्तु उसके बावजूद सरकार के पास बहुत समय था। फिर भी ये सरकार प्रदेश की जनता की आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए कुछ नहीं कर पाई। हिमाचल प्रदेश में अधिकतर संख्या किसानों बागवानों की है। ये सरकार उनको आगे ले जाने के लिए कुछ नहीं कर पाई। सरकार ने किसानों बागवानों की कोई सहायता नहीं की। खेती को आगे बढ़ाने के लिए जो संसाधन, जो सब्सिडी और राहतें दी जानी चाहिए थी, वो ये सरकार नहीं दे पाई। कुछ नया देने की बजाए ये सरकार एक-एक करके सब्सिडी को खत्म करती जा रही है। अभी हाल ही में विधानसभा के शीत सत्र में जो आकड़े पेश किये गए है उनके अनुसार 2013 से ठियोग के ढाई हज़ार लोगों को अनुदान की राशि जो 18 करोड़ रूपए बनता है, वो ये सरकार नहीं दे पाई है। दूसरी बात प्राकृतिक आपदाओं में सरकार द्वारा दी गई सहायताओं को देख लीजिये। हिमाचल एक ऐसा क्षेत्र है जहां बहुत सी प्राकृतिक आपदाएं आ सकती है। ये सरकार उनके लिए कभी तैयार नहीं रहती। महंगाई को ये सरकार नियंत्रित नहीं कर पाई। पिछले चार वर्षों में पेट्रोल डीज़ल के दाम कितने बढ़ गए है। इंसान तो इंसान ये सरकार तो जानवरों के लिए भी कुछ नहीं कर पाई। ये सरकार पूरी तरह से फेल रही है। इस सरकार से न तो प्रदेश की आम जनता खुश है, न कर्मचारी खुश है और न कोई और। अब इतनी नाराज़गी से आप अंदाजा लगा सकते है कि इस सरकार ने पिछले चार सालों में क्या किया है।
सवाल : आप सरकार को फेल बता रहे है पर सरकार दावा करती है कि ये डबल इंजन की सरकार है और प्रदेश में अथाह विकास हुआ है, तो इस पर आप क्या कहेंगे ?
जवाब : विकास को हम विकास तब मानते अगर ये सरकार प्रदेश की जनता की जेब में धन ला पाती। चंद लोगों का विकास करने से प्रदेश का विकास नहीं होता है। हमने भाकड़ा बनाया, हमने पोंग बनाया, हम अब हवाई अड्डे बना रहे है। इस विकास में ज़मीने किसकी गई। गरीब जनता की। आज तक पोंग डैम के विस्थापित लोगों को ये सरकार दोबारा स्थापित नहीं करवा पाई। लोगों की ज़मीने लेकर बड़ी इमारते खड़ी करना विकास नहीं होता। मैं नहीं मानता कि इस तथाकथित डबल इंजन की सरकार ने कुछ ढंग का किया है। मैं व्यक्तिगत तौर पर किसी के खिलाफ नहीं हूँ। मैं कभी किसी इशू को किसी व्यक्ति से जोड़ कर नहीं देखता। मैं वीरभद्र जी या जयराम के बारे में कुछ नहीं बोल रहा हूँ। मैं पूरे सिस्टम की बात कर रहा हूँ। इस सरकार ने भले ही सामाजिक तौर पर पिछली सरकार से कुछ बेहतर करने की कोशिश की हो, मगर मैं बता दूँ कि नवउदारवाद की नीतियों के चलते हुए कभी भी विकास नहीं होगा। अमीर, अमीर होता जाएगा और गरीब और भी गरीब हो जाएगा। प्रदेश के कर्मचारियों को ये पुरानी पेंशन नहीं दे पा रहे। लोगों को आउटसोर्सिंग पर भर्ती करके ये बेवकूफ बना रहे है। ये विकास नहीं होता।
सवाल : सरकार आकड़ों पर विकास का आंकलन करती है, वो कहते है की अब तक करोड़ों के विकास कार्य हुए है, करोड़ों के शिलान्यास और उद्धघाटन हुए है। इन आकड़ों को आप कैसे अनदेखा करेंगे ?
जवाब : कौन से आकड़े ? मेरे इलाके में लोगों के पास पीने को पानी नहीं है। पीने का पानी उपलब्ध होना लोगों का मौलिक अधिकार है। ये सरकार आकड़ों का जाल बुनकर लोगों की मानसिकता बदलने की कोशिश करती है। मगर मैं बता दूँ कि आज के समय में लोग पढ़े लिखे है, उन्हें भ्रमित नहीं किया जा सकता। अगर इनके शिलान्यासों के आकड़े है, तो प्रदेश पर कर्ज़े के भी आकड़े है, जो छुपाए नहीं छुपेंगे। गिरती अर्थव्यवस्था के आकड़े है, बढ़ती महंगाई और बढ़ती गरीबी के भी आकड़े है। ये जितनी मर्ज़ी कोशिश करले, कोई भ्रम पैदा नहीं कर पाएंगे। कोरोना के दौरान जो लोग बेरोज़गार हुए उनको ये सरकार रोज़गार नहीं दे पा रही। उद्योग चल नहीं रहे, नए उद्योग प्रदेश में आ नहीं रहे, तो रोज़गार कहाँ से मिलेगा। बस कागज़ों में एमओयू साइन करते रहते है। ये लोग प्रदेश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने की बजाए उसे पीछे घसीट रहे है।
सवाल : प्रदेश पर जो कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है, उसे आप प्रदेश के भविष्य के लिए कितना घातक मानते है ?
जवाब : देखिये मैं समझता हूँ कि हिमाचल प्रदेश में जिस मर्ज़ी की सरकार चले, अगर हम प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर तब्दील करने की क्षमता नहीं रखते तो ऐसी परिस्थितियां समय समय पर पैदा होती रहेगी। जब हिमाचल प्रदेश का निर्माण हुआ तो ये स्पष्ट था कि बतौर राज्य शायद ये प्रदेश खुद अपनी आर्थिकी चला पाने में सक्षम न हो, इसलिए तय किया गया था की केंद्र सरकार इस प्रदेश की सहायता करेगी। मगर अब इस वाक्य को दरकिनार कर दिया गया है। हमारे जंगलों की आय लाखों करोड़ रूपए है जिसका लाभ हमें नहीं मिलता। भाकड़ा में जो हमें हिस्सा मिलना चाहिए था वो भी अब तक हमको नहीं मिल पाया है। सरकार को नए तौर तरीकें इख्तियार करने की ज़रूरत है, जिससे कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाया जा सकता है और जब तक वो नहीं हो पाता तब तक क़र्ज़ लेना ज़रूरी है, चाहे वो किसी को अच्छा लगे या बुरा लगे। परन्तु यदि आप कर्ज मंत्री की 35 लाख की गाड़ी खरीदने के लिए ले रहे है, तो वो गलत है। अगर आप आशा वर्कर का वेतन बढ़ाने के लिए क़र्ज़ ले रहे है, या कोई नया प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए कर्ज ले रहे है जिससे प्रदेश की स्थिति सुधरेगी तो वो जायज़ है। बेफिज़ूल क़र्ज़ लेना गलत है और वो हमेशा गलत ही रहेगा। कर्ज लेकर अगर कुछ प्रोडक्टिव काम करोगे तो प्रदेश आगे बढ़ेगा, अगर अपनी आराम के लिए उसे खर्च करोगे तो और डूबोगे।
सवाल : आपके विधानसभा क्षेत्र की अगर बात करें तो अब तक वहां कितना विकास हो पाया है ?
जवाब : देखिये सिर्फ मेरे विधानसभा क्षेत्र नहीं बल्कि ये सरकार कुछ इलाकों को छोड़ कर पूरे हिमाचल प्रदेश को अनदेखा कर रही है। बस किसी को ज्यादा अनदेखा किया है किसी को कम। परंतु संविधान इसकी इजाज़त नहीं देता। प्रदेश के हर क्षेत्र का एक समान विकास होना चाहिए। मगर प्रदेश में संविधान की उल्लंघना की जा रही है और ये सरकार एक समान विकास नहीं कर रही। मेरे क्षेत्र की अनदेखी होती है, इसलिए मैं धरने पर बैठा रहता हूँ। मैं चाहूंगा कि ये सरकार लोगों को ठगना बंद करें। मैं बता दूँ कि ये भेदभाव की नीति सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाली हैं।