किन्नौर में त्रिकोणीय मुकाबला, क्या हैट्रिक लगाएंगे जगत
बेशक जिला किन्नौर में सिर्फ एक ही विधानसभा सीट है लेकिन यहां का सियासी रोमांच किसी अन्य जिला से कमतर बिलकुल नहीं है। इस बार भी विधानसभा चुनाव में यहाँ भरपूर रोमांच देखने को मिला है। कांग्रेस और भाजपा दोनों तरफ जमकर खींचतान दिखी ही। कांग्रेस में जहाँ सीटिंग विधायक और वरिष्ठ नेता जगत सिंह नेगी का टिकट अंतिम समय तक लटका रहा, तो भाजपा ने पूर्व विधायक तेजवंत नेगी का टिकट काटकर युवा सूरत नेगी को मैदान में उतारा। खफा होकर तेजवंत भी चुनावी समर में कूद गए और इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया। बहरहाल मतदान हो चुका है और किन्नौर सीट पर सबकी निगाह है।
युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष निगम भंडारी भी किन्नौर से कांग्रेस का टिकट मांग रहे थे। पर कांग्रेस के लिए सीटिंग विधायक और वरिष्ठ नेता जगत सिंह नेगी का टिकट काटना आसान नहीं था। जैसा अपेक्षित था वैसा ही हुआ, कांग्रेस ने निगम भंडारी को मना लिया और जगत सिंह फिर मैदान में है। वहीँ भाजपा ने पिछला चुनाव 120 वोट से हारे तेजवंत की जगह इस बार सूरत नेगी को मौका दिया। पर तेजवंत ने निर्दलीय चुनाव लड़कर पार्टी की परेशानी बढ़ा दी। तेजवंत को लेकर सहानुभूति भी दिखी लेकिन ये नहीं कहा जा सकता कि तेजवंत ने सिर्फ भाजपा के वोट में ही सेंध लगाई है। यानी मुकाबला दिलचस्प है।
सिर्फ ठाकुर सेन नेगी लगा सके है हैट्रिक
किन्नौर के चुनावी इतिहास पर नज़र डाले तो अब तक सिर्फ ठाकुर सेन नेगी ही जीत की हैट्रिक लगा सके है। ठाकुर सेन नेगी 1967 से 1982 तक लगातार चार चुनाव जीते। दिलचस्प बात ये है कि वे तीन बार निर्दलीय और एक बार लोकराज पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते। फिर वे भाजपा में शामिल हो गए और एक बार 1990 में भाजपा टिकट से भी जीतने में कामयाब हुए। ठाकुर सेन नेगी के अलावा जगत सिंह नेगी ही इकलौते ऐसे नेता है जिन्होंने लगातार दो चुनाव जीते हो। इस बार क्या जगत सिंह नेगी हैट्रिक लगा पाएंगे, ये देखना रोचक होगा।
कांग्रेस जीती तो जगत नेगी को मिलेगा अहम जिम्मा
किन्नौर से यदि जगत सिंह नेगी जीत दर्ज करते है और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो नेगी को अहम जिम्मा मिल सकता है। जानकार जगत सिंह नेगी को भावी मंत्री के तौर पर देखते है। इससे पहले नेगी विधानसभा उपाध्यक्ष रह चुके है।