शिक्षा हब के रूप में उभरा है हिमाचल
शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, देश भर में दुसरे नंबर पर है। प्रदेश की साक्षरता दर वर्ष 1971 में 31.96 प्रतिशत थी, 2021 में यह 86.60 प्रतिशत हो गई है और लगातार बेहतर होती जा रही है। हिमाचल में स्कूल, कॉलेजों की संख्या में लगातार इज़ाफ़ा हुआ है। हिमाचल प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में देशभर में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले राज्य के रूप में उभरा है। वर्तमान में राज्य में 131 स्नातक महाविद्यालय, 1,878 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, 931 उच्च विद्यालय विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। सरकार द्वारा राज्य में शिक्षा क्षेत्र को सशक्त करने के लिए अनेक बहुआयामी कदम उठाए गए हैं।
राष्ट्रीय उच्च स्तर शिक्षा अभियान को वर्ष 2013 में सबसे पहले हिमाचल ने ही लागू किया था। इसके अलावा राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में हिमाचल देशभर में अग्रणी रहा है। पिछले वर्ष हिमाचल प्रदेश को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी किए जाने वाले परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स में ग्रेड वन में शामिल किया गया था। वर्तमान में राज्य में 131 स्नातक महाविद्यालय, 1,878 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, 931 उच्च विद्यालय, पांच अभियान्त्रिकी महाविद्यालय, चार फार्मेसी महाविद्यालय 16 पॉलिटेकनिक महाविद्यालय और 138 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
एनआईटी हमीरपुर
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमीरपुर देश के 31 एनआईटी में से एक है, जो 7 अगस्त 1986 को क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में अस्तित्व में आया। स्थापना के समय, संस्थान में केवल दो विभाग थे, सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग। 26 जून 2002 को, आरईसी हमीरपुर को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में अपग्रेड किया गया। बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध करवाने के लिहाज से विश्व बैंक द्वारा इस संस्थान को सबसे अच्छी एनआईटी का दर्जा प्रदान किया गया है। संस्थान के पास उद्योग की आवश्यकताओं और तकनीकी दुनिया में होने वाली घटनाओं के जवाब में विकसित होने और बदलने का लचीलापन है।
आईजीएमसी :
हिमाचल प्रदेश मेडिकल कॉलेज शिमला (HPMC) की स्थापना वर्ष 1966 में पहले बैच में 50 छात्रों के प्रवेश के साथ की गई थी। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला से संबंधित है। इंदिरा गाँधी मेडिकल कॉलेज राज्य के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को स्वास्थ्य सेवाओं के मानकों के साथ पूरा कर रहा है। आईजीएमसी से अब तक 923 स्नातकोत्तर और 377 डिप्लोमा छात्र पास हो चुके हैं। आईजीएमसी में एमबीबीएस की सीटों को वर्ष 1978 बढ़ाकर 65 किया गया था। अब एमबीबीएस की सीटें 65 से बढ़ाकर 100 कर दी गई हैं। वर्ष 1981 में आईजीएमसी में 16 विषयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू किए गए थे। अब इन्हें 16 से 20 कर दिया गया है। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला को भारत सरकार द्वारा क्षेत्रीय कैंसर केंद्र का दर्जा दिया गया है।
आईआईटी मंडी
आईआईटी मंडी के स्थाई परिसर के लिए 24 फरवरी 2009 को आधारशिला रखी गई थी। आईआईटी मंडी में बीटेक का पहला बैच वर्ष 2009 में बैठा। वर्ष 2013 में पहला बैच पास आउट हुआ उसके बाद आईआईटी मंडी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। देश भर से छात्र पढ़ाई करने के लिए यहां आ रहे हैं। अपनी स्थापना के बाद से ही यह संस्थान तेजी से प्रगति कर रहा है। आईआईटी मंडी में कई ऐसे पाठ्यक्रम पढ़ाए जा रहे हैं जो वास्तविक समस्याओं को हल करने के लिए सक्षम है। ये संस्थान मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 2008 में प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधन) अधिनियम, 2011 के तहत स्थापित आठ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) में से एक है।
हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की स्थापना 22 जुलाई 1970 को हिमाचल प्रदेश की विधान सभा के एक अधिनियम द्वारा की गई थी। यह राज्य का एकमात्र बहु-संकाय आवासीय और संबद्ध विश्वविद्यालय है जो शहरी, ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों को औपचारिक और डिस्टेंस शिक्षा प्रदान करता है। विश्वविद्यालय का मुख्यालय शिमला के सुरम्य उपनगर समर हिल में स्थित है। यह राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद द्वारा एक ग्रेड 'ए' मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय के छात्र खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में राष्ट्रीय स्तर पर सराहनीय प्रदर्शन करते आ रहे हैं। हर साल पर्याप्त संख्या में छात्र NET, SET, JRF और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं को उत्तीर्ण करते हैं।
बागवानी यूनिवर्सिटी हिमाचल
डॉ यशवंत सिंह परमार बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय, सोलन की स्थापना 1 दिसंबर 1985 को बागवानी, वानिकी और सम्बंधित विषयों के क्षेत्र में शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और वास्तुकार स्वर्गीय डॉ यशवंत सिंह परमार ने राज्य की अर्थव्यवस्था को विकसित करने और सुधारने के लिए बागवानी और वानिकी के महत्व को महसूस किया जिसके कारण इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। यह विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के नौणी में स्थित है। विश्वविद्यालय के चार घटक कॉलेज हैं, जिनमें से दो मुख्य परिसर नौणी में स्थित हैं, एक बागवानी के लिए और दूसरा वानिकी के लिए। तीसरा कॉलेज यानी बागवानी और वानिकी कॉलेज, हमीरपुर जिले के नेरी में नादौन-हमीरपुर राज्य राजमार्ग पर स्थित है। चौथा कॉलेज यानि कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री, थुनाग (मंडी) थुनाग जिला मंडी में स्थित है। इसके अलावा, राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में पांच क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, 12 सैटेलाइट स्टेशन और पांच कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) स्थित हैं।
पालमपुर यूनिवर्सिटी
हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना 1 नवंबर, 1978 को हुई थी। यह आईसीएआर से मान्यता प्राप्त और आईएसओ 9001:2015 प्रमाणित संस्थान है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने इस विश्वविद्यालय को देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों में 14वां स्थान दिया है। विश्वविद्यालय को कृषि और शिक्षा की अन्य संबद्ध शाखाओं में शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रावधान करने के लिए, विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण लोगों के लिए, इस तरह के विज्ञान के अनुसंधान और उपक्रम के विस्तार और अनुसंधान की प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए जनादेश दिया गया है। आज राज्य ने पहाड़ी कृषि विविधीकरण के लिए अपना नाम कमाया है और कृषक समुदाय ने विश्वविद्यालय में अपना विश्वास स्थापित किया है।