माता भंगायणी के ऊपर अटूट विश्वास है भक्तों का
भक्तों का माता भंगायणी के ऊपर अटूट विश्वास है। उत्तरी भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में शामिल माँ भंगायनी का मंदिर हरिपुरधार में शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी में स्थित है, जो हिमाचल प्रदेश में सिरमौर ज़िले की सीमा पर है। मंदिर समुद्र तल से लगभग 8000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। शिरगुल महादेव की एक देव बहन के रूप में जानी जाने वाली, माँ भंगायनी को हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में पूजा जाने वाली सबसे शक्तिशाली देवी माना जाता है। मां भंगायणी मंदिर 1986 से पूर्व एक देवठी के रूप में थी। इसका जीर्णोद्धार 1986 से यहां मंदिर कमेटी ने शुरू किया। 1992 से 2000 के बीच यहां सक्रिय होकर मंदिर निर्माण का कार्य आरंभ किया गया।
शिरगुल महाराज की बहन है भंगायणी माता
बताते हैं कि भंगायणी माता शिरगुल महाराज की बहन है। माँ भंगायनी मंदिर का इतिहास चुरेश्वर महादेव (चूड़धार) से जुड़ा हुआ है। किंवदंतियों के अनुसार, शिरगुल महादेव को एक मुगल राजा द्वारा कैद किया गया था क्योंकि मुगल राजा को शिरगुल महादेव की आध्यात्मिक शक्तियों से डर था। बगद के राजा गुगा पीर ने उन्हें माता भंयानी के आशीर्वाद से जेल से बाहर निकलने में मदद की। शिरगुल महादेव के लिए मुगलों के कारावास से मुक्त होना बहुत मुश्किल था लेकिन उन्हें माता भंगायानी की मदद से बचाया गया था। तब से मां भंगायनी को शिरगुल महादेव की बहन के रूप में पूजा जाता है।
- भंगायणी माता शिरगुल महाराज की बहन है।
- माता भंगायणी मंदिर को लकड़ी और स्लेटनुमा पत्थर की शैली से नक्काशी के साथ निर्मित किया गया है।
- मुख्य सडक से करीब दो सौ मीटर हटकर मन्दिर की सीढियां शुरू होती हैं।
- स्थानीय व्यक्ति जो शिरगुल महाराज के दर्शन करने जाते हैं, वे भंगायणी माता के भी दर्शन अवश्य करते हैं।
- माता भंगायणी मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु माथ टेकने पहुंचते हैं।
- मंदिर में चैत्र नवरात्रि, अश्विन नवरात्रि, दशहरा, और दीपावली के त्योहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं।
- मंदिर सड़क मार्ग, हवाई मार्ग, रेल मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है।