अद्धभुत महिमा है भागसू नाग की
आज हम आपको दर्शन करवाने जा रहे हैं भागसू नाग मंदिर की। यह मंदिर लोकप्रिय प्राचीन मंदिरों में से एक है, जो मैक्लोडगंज के मुख्य शहर से लगभग 3 किमी पूर्व और धर्मशाला से लगभग 11 किमी दूर स्थित है। प्रकृति की नैसर्गिक सुंदरता में बना यह मंदिर भागसू नाग की रोचक कथा लिए हुए है।इस मंदिर का निर्माण राजा भागसू द्वारा भगवान शिव और स्थानीय देवता भागसू नाग के समर्पण में बनाया गया था। भागसु नाग मंदिर समुद्र तल से 1770 मीटर की ऊंचाई पर है और यहां साल भर बड़ी संख्या में भक्त आते हैं।
ये है इतिहास:
यहां के शिलापट्ट पर महंत गणेश गिरी के हवाले से 1972 में लिखे वर्णन के अनुसार अजमेर का दैत्य राजा भागसू के नाम से जाना जाता था। वह मायावी और जादूगर था। उसके राज्य में एक बार भारी जल संकट हो गया। लोग त्राहि-त्राहि करने लगे। प्रजा को इस संकट से मुक्ति दिलाने के लिए राजा ने कमंडल उठाकर चल पड़ा। वह धौलाधार पर्वत श्रृंखला में 18 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित नाग डल अर्थात नाग झील पर पहुंचा। यहाँ पहुँच कर राजा ने झील के पवित्र जल को माया से अपने कमंडल में समेटा और लौट चला अपने देश। इसके कुछ देर बाद नाग देवता जब अपनी झील पर आए तो उन्होंने देखा कि झील का सारा पानी सूख गया है। राजा भागसू के पदचिह्नों का उन्होंने पीछा किया और आज के भागसू नाग मंदिर वाले स्थान पर नाग देवता ने उसे पकड़ लिया। दोनों में भयानक युद्ध हुआ। मायावी राजा भागसू मारा गया और कमंडल का जल बिखर गया। नाग देवता के डल में फिर से जल भर गया और युद्ध वाले स्थान पर पवित्र जल का चश्मा बहने लगा।
किन्तु मरते वक्त राजा भागसू ने नाग देवता से अपने और अपने राज्य के कल्याण की प्रार्थना की तो नाग देवता प्रसन्न हुए और उसे वरदान दिया कि आज से तू केवल भागसू नहीं बल्कि भागसू नाग के नाम से प्रसिद्ध होगा और देवता के रूप में इसी स्थान पर तेरी पूजा अर्चना होगी।
विशेषताएं
- भागसुनाथ मंदिर मैकलोडगंज का एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है।
- भागसुनाथ मंदिर एक प्राचीन हिंदू मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है।
- पवित्र तीर्थस्थल अपने दो पूलों के लिए प्रसिद्ध है, जिनके बारे में माना जाता है कि उनमें उपचार के गुण हैं।
- इसके अलावा, मंदिर में प्रतिष्ठापित मूर्तियों को अविश्वसनीय शक्तियों का अधिकारी माना जाता है।
- भागसु नाग मंदिर स्थानीय गोरखा और हिंदू समुदाय द्वारा अत्यधिक पूजनीय है।
- भागसू नाग मंदिर की यात्रा का सबसे अच्छा समय वार्षिक मेले के दौरान होता है जो सितंबर के महीने में यहां लगता है।
- मंदिर परिसर में दो मंजिला विश्राम गृह है जहां मंदिर के दर्शन करने वाले भक्त रह सकते हैं।
- डल झील, कोतवाली बाजार और भागसू फॉल इस पवित्र मंदिर के आसपास के मुख्य आकर्षण हैं।
- भक्त इस मंदिर में सड़क मार्ग, रेल मार्ग, वायु मार्ग द्वारा पहुंच सकते हैं।