हिमाचल: सुख की सरकार में उद्योगपतियों को महंगी बिजली के झटके का दुख
शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने बिजली सब्सिडी का युक्तिकरण किया है। उद्योगों को दी जाने वाली बिजली सब्सिडी खत्म करने से सरकार अपने खजाने को ब्रीदिंग स्पेस देना चाहती है, लेकिन इससे उद्योगपति नाराज हो गए हैं। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का दावा है कि सब्सिडी खत्म करने के बावजूद हिमाचल में उद्योगों को पड़ोसी राज्यों से सस्ती बिजली मिल रही है। वहीं,उद्योगपति इस दावे से इनकार करते हुए कह रहे हैं कि बिजली पड़ोसी राज्यों से महंगी है। इसे लेकर भारतीय उद्योग परिसंघ यानी सीआईआई के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में ऊर्जा सचिव राकेश कंवर से भी मुलाकात की है। ऊर्जा सचिव ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया है कि हिमाचल व पड़ोसी राज्यों की बिजली दरों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा। साथ ही इस मामले को सीएम सुक्खू के समक्ष रखा जाएगा। अगले हफ्ते इस मामले में फिर से सीआईआई के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की जाएगी। हिमाचल प्रदेश को देश का उर्जा राज्य कहा जाता है। हिमाचल प्रदेश बैंकिंग सिस्टम के जरिए देश के अन्य राज्यों को बिजली सप्लाई करता है। राज्य में पांच नदियां ऐसी हैं, जो बारहमासी हैं। हिमाचल में 24 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है, लेकिन अभी तक 11209 मेगावाट जल विद्युत ही उत्पादन हो रहा है। राजस्व की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश ने वर्ष 2023-24 में बिजली उत्पादन से 1434 करोड़ रुपए का राजस्व जुटाया है। हिमाचल में उद्योग जगत सबसे बड़ा बिजली का उपभोक्ता है। उद्योग जगत में 2023-24 में 6382.64 मिलियन यूनिट बिजली की खपत हुई। ये कुल बिजली खपत का 58.26 फीसदी है। ये आंकड़ा दिसंबर 2023 तक का है। यानी उद्योगों को सबसे अधिक बिजली दी जाती है। राज्य सरकार उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए बिजली पर सब्सिडी प्रदान करती है। राज्य सरकार ने इस सब्सिडी का युक्तिकरण किया है। उसके बाद से बिजली महंगी हुई है। सरकार का तर्क है कि बिजली में सब्सिडी से सरकार के खजाने पर सालाना 900 करोड़ रुपए का बोझ पड़ता है।
सीएम सुक्खू का कहना है कि राज्य सरकार ने उद्योगों को दी जाने वाली विद्युत सब्सिडी का युक्तिकरण किया है। सीएम का दावा है कि पड़ोसी राज्यों की तुलना में हिमाचल में उद्योगों को सस्ती दर पर पावर सप्लाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि 33 केवी (किलोवाट) से 220 केवी तक की वोल्टेज आपूर्ति वाले बड़े उद्योगों को पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड की तुलना में एक रुपए प्रति यूनिट से अधिक सस्ती दर पर बिजली दी जाएगी। सीएम का कहना है कि राज्य में केवल 159 इंडस्ट्रियल यूनिट्स हैं, जिन्हें 33 केवी से 220 केवी तक बिजली की आपूर्ति की जरूरत है। आंकड़ों के अनुसार हिमाचल में 33 केवी से 220 केवी तक वोल्टेज आपूर्ति के बड़े उद्योगों के अलावा 11 केवी और 22 केवी की वोल्टेज आपूर्ति वाले 2,011 उद्योग है। इन यूनिट्स को भी पड़ोसी राज्यों की तुलना में एक रुपए प्रति यूनिट से अधिक सस्ती दर पर बिजली दी जा रही है। इन उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने विद्युत शुल्क को 16.5 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। राज्य में कुल 31,298 लघु और मध्यम उद्योग इकाइयां हैं। इन्हें पहले की तरह ही सब्सिडी मिलती रहेगी। हिमाचल प्रदेश में सोलन, सिरमौर, कांगड़ा, ऊना आदि जिलों में सबसे अधिक उद्योग हैं। यहां के उद्योगपति सरकार के बिजली सब्सिडी खत्म करने के फैसले से खुश नहीं हैं। डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के निर्वाचन क्षेत्र हरोली में बल्क ड्रग पार्क का निर्माण होना है। यहां हरोली ब्लॉक इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने बिजली सब्सिडी की बहाली की मांग उठाई है। एसोसिएशन के पदाधिकारी राकेश कौशल का कहना है कि ऊना के टाहलीवाल औद्योगिक क्षेत्र की नौ इंडस्ट्रियल यूनिट्स जो 33 केवी से 220 केवी की खपत वाली हैं, पर अनुदान खत्म होने से 14 करोड़ रुपए सालाना का बोझ पड़ेगा। यदि सब्सिडी बहाल न हुई तो तालाबंदी कर पलायन की नौबत आ जाएगी।
वहीं, हिमाचल प्रदेश स्टील इंडस्ट्री एसोसिएशन के मुखिया मेघराज गर्ग का कहना है कि राज्य सरकार ने दो साल में बिजली की दरों में 46 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। एसोसिएशन के महासचिव राजीव सिंघल का कहना है, हिमाचल में पंजाब के मुकाबले पचास पैसे प्रति यूनिट अधिक रेट है। पंजाब, हरियाणा व जेएंडके सहित उत्तराखंड से अधिक दरें अब हिमाचल की हैं। वहीं, राज्य सरकार के ऊर्जा सचिव राकेश कंवर का कहना है कि पड़ोसी राज्यों की दरों के साथ हिमाचल की दरों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा। उद्योगपतियों के प्रतिनिधियों से साथ फिर से बैठक की जाएगी। उद्योग जगत का कहना है कि हिमाचल में एक रुपए सब्सिडी खत्म होने के बाद बिजली पड़ोसी राज्यों से यहां बिजली महंगी हो गई है। वहीं, सरकार का दावा है कि बिजली अभी भी पड़ोसी राज्यों से सस्ती है। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो हिमाचल प्रदेश में अभी बिजली सब्सिडी खत्म करने के बाद 66 केवी उपभोग वाली इंडस्ट्रियल यूनिट्स को 7.70 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है। ये दरें एक रुपए प्रति यूनिट की सब्सिडी खत्म होने के बाद की हैं। वहीं, इससे पहले 31 मार्च 2023 को ये दर 5.29 पैसे प्रति यूनिट थी। इसमें लोड फैक्टर का भी हिसाब होता है। वहीं, 220 केवी उपभोग करने वाले उद्योगों को अब 7.58 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है। ये पहले 5.19 पैसे प्रति यूनिट थी। वहीं, जेएंडके में ये दर 5.37 पैसे प्रति यूनिट, हरियाणा में 6.76 पैसे प्रति यूनिट व पंजाब में 7.45 पैसे प्रति यूनिट है। ये आंकड़े 24 सितंबर को दरें बढ़ाने के बाद के है। फिलहाल अब उद्योगपतियों को अगले हफ्ते ऊर्जा सचिव के साथ मीटिंग का इंतजार है। राज्य सरकार का दावा है कि सब्सिडी खत्म होने के बाद उसे सालाना अधिकतम 600 करोड़ रुपए बचेंगे। अभी राज्य सरकार सभी उद्योगों को बिजली सब्सिडी पर 900 करोड़ सालाना खर्च कर रही है। इसमें से छोटे यूनिट्स को सब्सिडी जारी है और उनकी बिजली ड्यूटी भी घटाई गई है।