जानिए क्यों मनाया जाता है सैर या सायर का पर्व और क्या है इसका महत्व
देवभूमि हिमाचल प्रदेश में वर्ष भर तीज त्यौहार हर्षों-उल्लास के साथ मनाए जाते हैं। जिनका अपना विशेष महत्व है। ग्रामीण क्षेत्रों में इन त्यौहारों की अपनी विशिष्ट पहचान है। जहां ग्रामीण बड़े शौक से इन त्यौहारों के आने की तैयारियां करते हैं। इनमें सायर पर्व एक बड़े त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। मंडी जनपद में सायर पर्व का बड़ा महत्व है। यह त्यौहार बरसात खत्म होते ही अश्विन माह की पहली तिथि को मनाया जाता है। जिसमें सबसे पहले सायर पूजन होता है। परिवार के सभी सदस्य ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करने उपरांत सैर की पूजा करते हैं। देवताओं को नई फसलों और फल आदि का भोग लगाया जाता। इनमें धान की बाली, भुट्टा (गुल्लू), खट्टा (बड़ी नीबू), ककड़ी और अखरोट आदि की पूजा की जाती है। उसके बाद परिवार के छोटे सदस्य अपने से बड़ों को दृभ देकर आशीर्वाद लेते हैं। मंडी जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे और बड़े सभी सैर की द्रुभ का खासा आनंद लेते हैं। बच्चे टोलियों में निकल कर गांव गांव जाकर द्रुभ देकर बड़ों से आशीर्वाद लेते हैं। सैर त्यौहार की पूर्व संध्या को सग्रांद पर्व मनाया जाता है। जिसमें तरह तरह के व्यंजन पकाकर ग्रामीण एक दूसरे को मेहमानबाजी की दावत देते हैं।