बैजनाथ : पंडित संतराम के गढ़ में कांग्रेस को वापसी का भरोसा
90 के दशक में कांगड़ा की सियासत में बैजनाथ विधानसभा क्षेत्र की तूती बोला करती थी। दरअसल ये वीरभद्र सरकार में मंत्री रहे दिग्गज नेता पंडित संत राम का गढ़ रहा है। पंडित संत राम यहाँ से 6 बार विधायक रहे। पहले यहां पंडित संत राम का बोल बाला रहा और फिर उनके बेटे और कांग्रेस नेता सुधीर शर्मा का। हालाँकि 2008 में ये सीट रिज़र्व हो गई और सुधीर शर्मा ने इसके बाद धर्मशाला को अपना चुनाव क्षेत्र बना लिया।
पंडित संत राम इस सीट से 1972 से 1985 तक लगातार चार चुनाव जीते। हालांकि 1990 की भाजपा लहर में वे हार गए। पर 1993 और 1998 में उन्होंने फिर जीत दर्ज की। इसके बाद पंडित संतराम का निधन हो गया और बैजनाथ में उपचुनाव हुआ। पंडित संतराम कांग्रेस के एक ऐसे नेता थे जिन्हें बैजनाथ की जनता कभी नहीं भूल सकती। पर उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके बेटे सुधीर शर्मा को पराजय का मुंह देखना पड़ा था। तब जनता ने दूलो राम को जीतवाकर विधानसभा भेजा। 2003 में सुधीर ने वापसी की और 2007 में वे दूसरी बार विधायक बने।
2012 के चुनाव से पहले बैजनाथ सीट आरक्षित हो गई थी और तब कांग्रेस नेता किशोरी लाल ग्राम पंचायत प्रधान से विधायक बने। किशोरी लाल को सुधीर शर्मा का पूरा समर्थन था। पर पांच साल बाद 2017 में ही जनता का मोहभंग हो गया और भाजपा के मुल्खराज विधायक बने। इस बार कांग्रेस ने फिर यहाँ किशोरी लाल और भाजपा ने फिर से सीटिंग विधायक मुल्खराज प्रेमी को मैदान में उतारा है। अब देखना ये है कि क्या कांग्रेस फिर से एक बार अपने गढ़ पर कब्जा जमा पाएगी या जनता दोबारा से भाजपा के प्रत्याशी पर अपना वोट रूपी आशीर्वाद बरसाएगी। बहरहाल कांग्रेस यहाँ वापसी को लेकर आश्वस्त जरूर दिख रही है।