कांटे के मुकाबले में बिंदल का सबसे कड़ा इम्तिहान !
2008 के परिसीमन के बाद सोलन सीट आरक्षित हो गई थी। तब 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले चर्चा ये थी कि भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ राजीव बिंदल कहाँ से चुनाव लड़ेंगे और बिंदल ने चुनी नाहन सीट। वो ही नाहन जहाँ अपने गठन के बाद से कभी भाजपा नहीं जीती थी। हालांकि जनसंघ से निकली श्यामा शर्मा ने जरूर ये सीट 1977 और 1982 में जनता पार्टी के टिकट पर और 1990 में जनता दल के टिकट पर जीती थी, पर यहां कमल नहीं खिला था। उधर 1993 से 2007 तक हुए चार विधानसभा चुनाव में से तीन चुनाव डॉ यशवंत सिंह परमार के पुत्र कुश परमार जीत चुके थे। जबकि 2003 में लोक जनशक्ति पार्टी के सदानंद चौहान को विजय मिली थी।
2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कुश परमार सीटिंग विधायक थे और प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा को लेकर कुछ एंटी इंकमबैंसी भी स्वाभाविक थी। बावजूद इसके बिंदल ने परमार को करीब 13 हजार वोट से हराया। इसके बाद बिंदल नाहन के हो गए। 2017 में वे दूसरी बार चुनाव लड़े और तब कांग्रेस ने उनके सामने अजय सोलंकी को उतारा। बिंदल फिर जीते, लेकिन जीत का अंतर 13 हजार से घटकर करीब 4 हजार रह गया। अब इस सीट पर इस बार फिर बिंदल और सोलंकी आमने-सामने है।
मौजूदा चुनाव की बात करें तो अजय सोलंकी ने इस बार दमदार तरीके से चुनाव लड़ा है। ओपीएस का मुद्दा हो या महिलाओं को पंद्रह सौ रुपये देने का वादा, सोलंकी को इससे लाभ हो सकता है। नाहन में अल्पसंख्यक वोट भी खासी तादाद में है और इस वोट से भी इस बार कांग्रेस को उम्मीद है। ऐसे में बिंदल की राह मुश्किल जरूर है। पर बिंदल के तजुर्बे और उनकी बेमिसाल पोलिटिकल मैनेजमेंट को देखते हुए उन्हें कम नहीं आँका जा सकता। बहरहाल नाहन इस बार हॉट सीट है और यहां कांटे का मुकाबला दिख रहा है।
बिंदल के लिए उतार चढ़ाव भरे रहे पांच साल :
यहां जिक्र बीते पांच साल में बिंदल के राजनैतिक जीवन में आएं उतार चढ़ाव का भी करते है। 2017 में भाजपा की सत्ता वापसी के बाद बिंदल मंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। पर ऐसा हुआ नहीं और बिंदल को विधानसभा अध्यक्ष के पद पर बैठा दिया गया। पर 2019 के अंत में समीकरण बदले और बिंदल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बन गए। फिर आया 2020 का कोरोना काल और प्रदेश में हुए स्वास्थ्य घोटाले में बिंदल का नाम उछला। इसके बाद बिंदल ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया। इसके बाद बिंदल को पार्टी ने सोलन नगर निगम और अर्की उपचुनाव का प्रभारी बनाया, लेकिन दोनों जगह पार्टी हार गई। मौजूदा चुनाव में भाजपा ने बिंदल के अनुभव को देखते हुए उन्हें प्रदेश चुनाव मैनेजमेंट कमेटी का अध्यक्ष बनाया है। पांच साल से चले आ रहे इस उतार चढ़ाव के बीच बिंदल के लिए नाहन से जीत बेहद जरूरी दिख रही है।