हरोली जीतकर क्या ओकओवर का रास्ता पकड़ेंगे अग्निहोत्री
इस दफा ऊना जिला की हरोली सीट का चुनाव बड़े मायने रखता है। यह नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री की गृह सीट है। अग्निहोत्री कांग्रेस के तेज तर्रार नेताओं में से हैं, जो 5 साल भाजपा सरकार को विधानसभा के भीतर से लेकर बाहर तक घेरते रहे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद जब कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई तो बड़ा सवाल था कि आखिर सदन में कांग्रेस की अगुवाई कौन करेगा ? निगाहें उम्रदराज वीरभद्र सिंह पर थी और उन्होंने अपना भरोसा जताया मुकेश अग्निहोत्री पर। अग्निहोत्री भी भरोसे पर खरा उतरे। वे चौथी बार के विधायक थे और वीरभद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके थे। वीरभद्र सिंह से सियासत की बारीकियां सीखते-सीखते आगे बढ़ रहे थे, सो मात कैसे खाते। सदन में मुकेश अग्निहोत्री ने दमदार तरीके से न सिर्फ कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया बल्कि हर मुमकिन मौके पर जयराम सरकार को भी जमकर घेरा।
कभी पेशे से मुकेश अग्निहोत्री पत्रकार थे और जनसत्ता अखबार के लिए लिखा करते थे। तभी राजनीतिक खबरें लिखते-लिखते राजनीति ने न जाने कब मुकेश को अपने पाले में कर लिया और पत्रकारिता छोड़ अग्निहोत्री सियासी अखाड़े में उतर आएं। 2003 में वे संतोखगढ़ से अपना पहला चुनाव लड़े और विधानसभा पहुंच गए। 2007 में इसी सीट से दूसरी बार जीते। फिर नए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आये हरोली विधानसभा क्षेत्र से वे 2012 और 2017 में चुनाव जीते। इस दौरान वे वीरभद्र सिंह के करीबी रहे और उन्हीं की सरपरस्ती में लगातार आगे बढ़ते रहे। अब इस बार मुकेश अग्निहोत्री ने पांचवी बार विधानसभा का चुनाव का लड़ा है और वे फिर अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है।
हरोली सीट की बात करें तो इस बार तीसरी बार मुकेश अग्निहोत्री और भाजपा के प्रो राम कुमार आमने सामने है। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में मुकेश अग्निहोत्री ने भाजपा के राम कुमार को 5172 वोटों से हराया तो यही अंतर साल 2017 के चुनाव में 7377 हो गया। अब इस चुनाव में भाजपा ने हरोली सीट पर एड़ी चोटी का जोर लगाया है। जयराम सरकार के विकास कार्यों और केंद्र की बल्क ड्रग पार्क की सौगात के सहारे भाजपा उलटफेर की कोशिश में रही है। उधर मुकेश अग्निहोत्री ने भी निसंदेह हरोली में काफी विकास करवाया है। पर खास बात ये है कि उन्होंने भावी सीएम के टैग के साथ इस बार चुनाव लड़ा है। हालांकि बेशक खुद मुकेश अग्निहोत्री बार -बार सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात दोहराते रहे हो, लेकिन उनके समर्थक तो उन्हें भावी सीएम ही मानते रहे है। दरअसल यदि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनती है तो मुकेश अग्निहोत्री भी मुख्यमंत्री की रेस में है। जाहिर है ऐसे में हरोली सीट पर सबकी निगाह टिकी है। बहरहाल मुकेश अग्निहोत्री अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है।
ये है सीएम पद के दावेदार
अब बात कर लेते है कांग्रेस में सीएम पद के दावेदारों की। कुछ माह पूर्व प्रदेश में हुए फेरबदल के दौरान कांग्रेस आलाकमान ने तीन नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मे दिए थे। प्रतिभा सिंह प्रदेश अध्यक्ष, सुखविंद्र सिंह सुक्खू चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष और मुकेश अग्निहोत्री नेता प्रतिपक्ष। जाहिर है ये तीनों कांग्रेस की सत्ता वापसी की स्थिति में सीएम पद के दावेदार है। इनके अलावा कौल सिंह ठाकुर, राम लाल ठाकुर, आशा कुमारी सहित कई और नाम है जिन्हें खारिज नहीं किया जा सकता। जानकार मानते है कि होलीलॉज और मुकेश के बीच सीएम को लेकर एकराय दिख सकती है, चेहरा चाहे कोई भी हो।
तब रणजीत सिंह नहीं कर पाएं, अब मुकेश पर निगाहें :
ऊना जिला को कभी सीएम पद नहीं मिला है। हालांकि इतिहास में एक मौका ऐसा आया जब ऊना को सीएम पद मिलते-मिलते रह गया। 1977 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में जनता पार्टी सत्ता में आई थी। तब जनता पार्टी को 53 सीटें मिली थी। जबकि कांग्रेस को महज 9 सीट मिली थी। उस चुनाव में 6 निर्दलीय भी जीते थे और सभी ने जनता पार्टी को समर्थन दिया। इस तरह जनता पार्टी के समर्थन में कुल विधायकों का आंकड़ा पहुंच गया 59। चुनाव के बाद बारी आई मुख्यमंत्री चुनने की। सीएम पद के लिए शांता कुमार का मुकाबला हमीरपुर के लोकसभा सदस्य ठाकुर रणजीत सिंह से था। ठाकुर रणजीत सिंह ऊना जिला के कुटलैहड़ से ताल्लुख रखते थे। तब सीएम पद के लिए एक गुट ने सांसद रणजीत सिंह का नाम आगे किया, तो दूसरे ने शांता कुमार के नाम का प्रस्ताव रखा। दोनों गुट सीएम पद पर समझौता करने को तैयार नहीं थे। ऐसे में वोटिंग ही इकलौता रास्ता रह गया था। शांता कुमार के अलावा कुल 58 विधायक थे और जब वोटिंग हुई तो इनमें से 29 ने शांता कुमार का समर्थन किया और 29 ने ठाकुर रणजीत सिंह का। इसके बाद जो हुआ वो इतिहास है। तब अपने ही वोट से शांता कुमार के समर्थक विधायकों का आंकड़ा 30 पंहुचा और इस तरह वे पहली बार मुख्यमंत्री बने। तब ऊना को सीएम पद मिलते-मिलते रह गया था। अब अगर मुकेश अग्निहोत्री सीएम पद तक पहुंच पाएं तो 45 वर्ष पहले टुटा जिला ऊना का अरमान पूरा होगा।