क्या सीटिंग विधायक और पूर्व विधायक मिलकर चैतन्य को रोक पाएं ?

गगरेट निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव इस बार बेहद रोचक दिखा है। दरअसल चुनाव से कुछ दिन पहले तक यहाँ सबसे बड़ी चर्चा ये नहीं थी कि इस बार कौन जीतेगा, चर्चा ये थी कि चैतन्य शर्मा किस पार्टी में शामिल होंगे। दरअसल चैतन्य शर्मा जिला परिषद चुनाव में रिकाॅर्ड मतों से आजाद चुनाव जीते थे और इस क्षेत्र में लगातार समाजसेवा कर रहे थे। चैतन्य विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर चुके थे सो उन्हें लेकर जिज्ञासा होने स्वाभाविक था। आखिरकार चुनावी बेला में तमाम कयासों पर विराम लगा और चैतन्य ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया। जैसा अपेक्षित था कांग्रेस ने चैतन्य शर्मा को ही टिकट दिया। इससे पूर्व विधायक राकेश कालिया खफा हो गए और भाजपा में चले गए। उधर भाजपा ने सीटिंग विधायक राजेश ठाकुर पर ही यहाँ से दाव खेला है। बहरहाल यहाँ मुख्य मुकाबला कांग्रेस के चैतन्य शर्मा और भाजपा के राजेश ठाकुर के बीच दिख रहा है।
इतिहास पर निगाह डालें तो कभी इस सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री कुलदीप कुमार का वर्चस्व था। कुलदीप ने यहां से 1993, 1998 और 2003 में जीत की हैट्रिक लगाई लेकिन 2007 में गगरेट की जनता ने उन्हें नकार दिया। फिर 2008 में परिसीमन हुआ और चिंतपूर्णी विधानसभा क्षेत्र की कुछ पंचायतें गगरेट में आ गई और गगरेट का कुछ क्षेत्र चिंतपूर्णी में चला गया। परिसीमन के बाद चिंतपूर्णी सीट भी आरक्षित हो गई और इसी के चलते 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने एक सियासी प्रयोग करते हुए चिंतपूर्णी के विधायक राकेश कालिया को गगरेट और कुलदीप कुमार को चिंतपूर्णी से मैदान में उतारा। प्रयोग सफल रहा और दोनों सीटें कांग्रेस की झोली में गई, लेकिन 2017 आते -आते इन दोनों नेताओं से जनता का मोहभंग हुआ और दोनों चुनाव हार गए।
अब इस बार गगरेट में कांग्रेस वापसी की जद्दोजहद में है तो भाजपा के लिए इस सीट पर कब्ज़ा बरकरार रखना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि राजेश ठाकुर को लेकर क्षेत्र में एंटी इंकम्बैंसी भी दिखती रही है जिसका खामियाज़ा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है। यहाँ राकेश कालिया के भाजपा में जाने का कितना फर्क पड़ता है ये भी देखना रोचक होगा। उधर चैतन्य लगातार क्षेत्र में समाज सेवा करते रहे है जिसका लाभ उन्हें मिल सकता है। बहरहाल सवाल ये ही है कि क्या सीटिंग विधायक राजेश ठाकुर और पूर्व विधायक राकेश कालिया मिलकर चैतन्य को रोक पाएं है ? इसका जवाब तो आठ दिसम्बर को ही मिलेगा।