आम ओ ख़ास के शायर बशीर बद्र के 20 बेहतरीन शेर
बशीर बद्र शायरी के उन पैमानों को उजागर करते हैं जहां आसान शब्दों में गहरी बात कह दी जाती है। ऐसे शायर ही लोगों के दिलों तक का सफ़र कर पाते हैं। इसलिए यह कहना अतिशयोक्ति नहीं है कि बशीर बद्र भी लोगों के शायर हैं जिन्हें आम से ख़ास तक हर कोई पसंद करता है। इनका पूरा नाम सैयद मोहम्मद बशीर है। भोपाल से ताल्लुकात रखने वाले बशीर बद्र का जन्म कानपुर में हुआ था। न जाने कितनी बार अपनी बात कहने के लिए बशीर साहब को संसद में भी पढ़ा जा चुका है। आइए पढ़ते हैं बशीर साहब के लिखे ऐसे ही कुछ ख़ास शेर
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिन्दा न हों
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा
जिस दिन से चला हूं मेरी मंज़िल पे नज़र है
आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
शौहरत की बुलन्दी भी पल भर का तमाशा है
जिस डाल पर बैठे हो, वो टूट भी सकती है
मुहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला
उसे किसी की मुहब्बत का एतिबार नहीं
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है
गुलाबों की तरह शबनम में अपना दिल भिगोते हैं
मुहब्बत करने वाले ख़ूबसूरत लोग होते हैं
चमकती है कहीं सदियों में आंसुओं से ज़मीं
ग़ज़ल के शेर कहां रोज़-रोज़ होते हैं
अबके आंसू आंखों से दिल में उतरे
रुख़ बदला दरिया ने कैसा बहने का
ज़हीन सांप सदा आस्तीन में रहते हैं
ज़बां से कहते हैं दिल से मुआफ़ करते नहीं
सात सन्दूकों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें
आज इन्सां को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत
खुले से लॉन में सब लोग बैठें चाय पियें
दुआ करो कि ख़ुदा हमको आदमी कर दे
लहजा कि जैसे सुब्ह की ख़ुशबू अज़ान दे
जी चाहता है मैं तेरी आवाज़ चूम लूं
इतनी मिलती है मेरी ग़ज़लों से सूरत तेरी
लोग तुझको मेरा महबूब समझते होंगे
मुझको शाम बता देती है
तुम कैसे कपड़े पहने हो
इस ख़ुशी में मुझे ख़याल आया
ग़म के दिन कितने ख़ूबसूरत थे
ऐसे मिलो कि अपना समझता रहे सदा
जिस शख़्स से तुम्हारा दिली इख़्तिलाफ़ है
सच सियासत से अदालत तक बहुत मसरूफ़ है
झूट बोलो, झूट में अब भी मोहब्बत है बहुत
किताबें, रिसाले न अख़़बार पढना
मगर दिल को हर रात इक बार पढ़ना
मुख़ालिफ़त से मेरी शख़्सियत संवरती है
मैं दुश्मनों का बड़ा एहतेराम करता हूं