हिमाचल के व्यंजनों का जायका है लाजवाब
समृद्ध संस्कृति को संजोए हिमाचल प्रदेश के व्यंजनों का जायका भी लाजवाब है। प्राकृतिक सुंदरता के अलावा, हिमाचल प्रदेश अपने अनोखे पहाड़ी व्यंजनों के लिए भी प्रसिद्ध है, जो इस राज्य से प्यार करने का एक कारण है। इन व्यंजनों में हिमाचल का एक विशिष्ट स्वाद है क्योंकि हिमाचली लोग पारंपरिक तरीके से खाना बनाते हैं। खास बर्तनों में लकड़ी की धीमी आंच पर विशेष मसालों की छौंक से पकाने की सदियों पुरानी विधियां इन व्यंजनों को और खास बनाती हैं। यही कारण है कि जंक फ़ूड के जमाने में हिमाचल के पकवान आज भी स्वादिष्ट, पौष्टिक और यहां की खूबसूरती की तरह पसंदीदा और प्रचलित हैं। अब तो यह स्वाद स्ट्रीट फूड के जरिए पर्यटकों और घरों तक पहुंचने लगा है। इससे इनकी मशहूरी और बढ़ गई है और आसानी से लोगों को उपलब्ध हो जाते हैं। पकवानों को लेकर वैसे तो हिमाचल के सभी जिलों की अपनी-अलग पहचान है। स्नैक्स के रूप में कुल्लू, शिमला और सिरमौर के सिड्डू, मंडी की कचौड़ी, चंबा के खट्टे पकौडू, कांगड़ा और अधिकांश स्थानों पर अरबी के पत्तों से बनने वाले पतरोडू अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं। हालांकि, शादी ब्याह या अन्य मांगलिक अवसरों पर सामूहिक भोजन के लिए दी जाने वाली धाम सबसे अधिक प्रचलित है। हर जिले में धाम परोसी जाती है, लेकिन मंडी धाम की सेपू बड़ी, चंबा का मदरा, कांगड़ा का खट्टा और बिलासपुर की धौतुवां दाल की बात की अलग है।
सिडु
सिड्डू गेहूं के आटे से बनता है। पारम्परिक तौर पर इसमें अफीम दाना और अखरोट की स्टफ्फिंग की जाती है, परन्तु लोग अपने हिसाब से भी इसकी स्टफ्फिंग कर सकते है। इसे देसी घी के साथ खाया जाता है। कुछ लोग तीखी लाल और हरी चटनी के साथ खाना भी पसंद करते है। सिड्डू शरीर को गर्मी पहुंचता है इसलिए पहले सर्दियों में ही इस व्यंजन को बनाया जाता था। समय के साथ इसे बनाने का तरीका बदला है और अब सालभर लोग इसका आनंद लेते हैं। कुल्लू में यह बहुत अधिक मशहूर है। इसे मीठा और नमकीन दोनों तरह से बना सकते हैं। ऊपरी शिमला में सिड्डू बड़े आकार के होते हैं। सिड्डू अर्ध चंद्राकार और गोल होते हैं।
चंबे रा मदरा
हिमाचल प्रदेश के चंबा और कांगड़ा ज़िले में आपको यह पकवान आसानी से मिल जाएगा l इस पकवान को मुख्यत: भिगोए हुए छोले या राजमा के प्रयोग से बनाया जाता है l इसको तेल में अच्छी तरह पकाया जाता है l लौंग, दालचीनी, इलायची, जीरा, धनिया पाउडर और हल्दी पाउडर जैसे विभिन्न मसाले इस व्यंजन का स्वाद बढ़ाते हैं l हल्कू चौंक कके बाद इसमें दहीं की ग्रेवी बनाई जाती है जिससे ये हल्का खट्टा और स्वादिष्ट बनता है l चंबा के लगभग सभी रेस्टोरेंट में चना मद्रा परोसा जाता है l
सोलन के स्वादिष्ट पूड़े
सोलन के बाघल और अर्की में पारंपरिक खाने में बिलासपुरी टच है। परवाणू, नालागढ़ और बद्दी का खानपान पंजाब और हरियाणा से पूरी तरह से प्रभावित है। नौणी क्षेत्र में सिरमौर के स्वाद हावी हैं। सुबाथू में तिब्बतियन फूड का बोल बाला है। वहीं सोलन, कसौली, कंडाघाट, धर्मपुर में खाने को लेकर एकदम बदलाव दिखता है। यहां घर-घर हर समारोह की शान मीठे पूड़े और कद्दू का खट्टा है। साथ में खीर भी परोसी जाती है। सिर्फ सोलन ही नहीं इन पुड़ों का आनंद शिमला और सिरमारूर के कुछ क्षेत्रों में भी लिया जाता है l सोलन में जहाँ गुड़ से बने पूड़े मशहूर है तो वहीँ शिमला शोघी क्षेत्र के चीनी से बने पूड़े भी काफी प्रसिद्द है l
पटांडे
जब भी घर पर कुछ शुभ कार्य हो तो उसकी शुरुआत हिमाचल के घरो में बनने वाले पटांडे और शकर घी खाकर की जाती है l ये पटांडे दक्षिण भारत के दोसे से मिलते जुलते है l बस फर्क इतना है की इन्हें नकीं नहीं मीठे के साथ खाया जाता है l इलायची और दालचीनी जैसे मसालों में गेहूं के आटे, चीनी, दूध, बेकिंग पाउडर से घोल बनाकर इसे तैयार किया जाता है। सेब के जैम, मेपल सिरप या चाय के प्याले के साथ इसका मजा ले सकते हैं। ख़ास बात ये है की पटांडे बनाना बड़ा हुनर का काम है क्यूंकि इसे बनाने के लिए कड़छी या चमच का इस्तेमाल नहीं किया जाता बाकि हाथों से ही पटांडों के बैटर को गरम तवे पर फैलाया जाता है l
सेपू बड़ी
हिमाचल का स्वाद मंडी की सेपू बड़ी और कचौड़ी के बिना अधूरा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इन दोनों डिश के कायल हैं। उनके लिए विशेष तौर पर मंडी से यह डिश भेजी जाती हैं।
कचौड़ी
कचौड़ी गेहूं के आटे व उड़द दाल के मिश्रण से बनाई जाती है। इसके लिए सबसे पहले खमीर (बासी आटा) तैयार किया जाता है। इस खमीर को थोड़ी सी मात्रा में आटे में मिलाया जाता है। इसके बाद आटे को गूंथ कर करीब एक घंटा रख दिया जाता है। उधर, उड़द दाल को करीब तीन से चार घंटे तक पानी में भिगोने के बाद पिसाई की जाती है।
नमक, मिर्च, धनिया, बड़ी इलायची, जीरा व अन्य मसाले मिलाने के बाद उड़द को कटोरी के आकार के बने आटे के पेड़े में डालकर इसे बंद किया जाता है। फिर इसे बेलन या दोनों हाथ से रोटी की तरह बनाया जाता है। करीब दो घंटे बाद इसे खौलते तेल में फ्राई किया जाता है और कचौड़ी तैयार हो जाती है। कचौड़ी को अचार व चटनी के साथ खाया जाता है। कचौड़ी कोे देसी घी दही व दूध या चाय के साथ भी खा सकते हैं।
बबरू
बबरू शिमला में पाए जाने वाले सबसे प्रसिद्ध हिमाचली भोजन में से एक है। यह उत्तर भारत के प्रसिद्ध कचौड़ी का एक संस्करण है और एक कप चाय के साथ शाम के नाश्ते के लिए एक आदर्श भोजन के रूप में भी कार्य करता है। बबरू हिमाचल के सभी शुभ अवसरों पर तैयार की जाने वाली महत्पूर्ण मिठाई है l चीनी और गुड़ का इस्तेमाल कर इसे पकाया जाता है l गेहूं का आटा, सरसों तेल या रिफाइंड तेल, चीनी, दूध एक गिलास, बेकिंग पाऊडर इसे डिश में प्रयोग होने वाली खास चीजें हैं lकाँगड़ा का खट्टा
मदरा की तरह यह एक हिमाचल की एक अन्य पारंपरिक पहाड़ी डिश है, जो स्वाद में खट्टी होती है l आमतौर पर इसे चावल के साथ परोसा जाता है. कांगड़ा जिले में यह खासी लोकप्रिय है l
अकतोरी डिश
अकतोरी में एक प्रकार का अनाज के पत्ते और गेहूं का आटा शामिल होता है। यह एक फेस्टिव डिश है और इसे केक के रूप में बनाया जाता है। सबसे पसंदीदा व्यंजनों में से एक, अकटोरी हिमाचल प्रदेश का प्रसिद्ध भोजन है। यह व्यंजन स्पीति घाटी में उत्पन्न हुआ और पूरे राज्य में लोगों द्वारा पसंद किया जाता है।