कुनिहार : कथा के प्रथम दिवस कथा वाचक द्वारा बताया गया श्रीमद भागवत कथा का महत्व

विकास खंड कंडाघाट की ग्राम पंचायत जधाना में श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस कथा ब्यास प्रवीण भार्गव ने श्रीमद्भागवत कथा के महत्व को बताया। उन्होंने ये भी कहा कि वेदों का सार युगो-युगो से मानव जाति तक पहुंचता रहा है। भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है। उन्होंने श्रीमद् भागवत महापुराण की व्याख्या करते हुए बताया कि श्रीमद्भागवत अर्थात जो श्री से युक्त है, श्री अर्थात चैतन्य,सौंदर्य, ऐश्वर्य। यह एक ऐसी अमृत कथा है जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। राजा परीक्षित ने स्वर्ग अमृत की बजाय कथामृत की ही मांग की। कथा के दौरान उन्होंने वृंदावन का अर्थ बताते हुए कहा कि वृंदावन इंसान का मन है कभी-कभी इंसान के मन में भक्ति भाव जागृत होता है। परंतु वह जागृति स्थाई नहीं होती इसका कारण यह है कि हम ईश्वर की भक्ति तो करते हैं पर हमारे अंदर वैराग्य व प्रेम नहीं होता। इसलिए वृंदावन में जाकर भक्ति देवी तो तरूणी हो गई पर उसके पुत्र ज्ञान और वैराग्य अचेत और निर्बल पड़े रहते हैं। उनमें जीवंतता और चैतन्यता का संचार करने हेतु नारद जी ने भागवत कथा का ही अनुष्ठान किया। जिसको श्रवण करके वह पुनः जीवंत और सफल हो उठे। क्योंकि व्यास जी कहते हैं कि भागवत कथा एक कल्प वृक्ष की भांति है जो जिस भाव से कथा श्रवण करता है वह उसे मनोवांछित फल देती है। यह निर्णय हमारे हाथों में है कि हम प्रभु से संसार की मांग करते हैं या करतार की। कथा के दौरान सुमधुर भजनों का गायन भी किया जा रहा है। वहीं कथा आयोजकों की ओर से सभी भक्तों के लिए प्रति दिन भंडारे की व्यवस्था की जा रही है।