हिमाचल के स्वर्णिम 50 साल, रिज मैदान से इंदिरा गांधी ने की थी देश के 18वें राज्य की घोषणा

25 जनवरी का दिन हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक दिन है। हिमाचल इसी दिन भारतीय गणतंत्र का 18वां राज्य बना। सन 1971 में आज ही के दिन हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था। हिमाचल कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाला प्रदेश है लेकिन 50 वर्षों की यात्रा महत्वपूर्ण है।
हिमाचल के पूर्ण राज्यत्व की घोषणा शिमला के एतिहासिक रिज मैदान से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने की थी। बताते हैं कि जब इंदिरा गांधी ने यह घोषणा की तो उस दौरान भी बर्फ गिर रही थी। कड़ाके की ठंड के बावजूद रिज पर काफी भीड़ जमा थी। उस वक्त कई संस्थाएं हिमाचल के पूर्ण राज्यत्व के खिलाफ भी थीं। बावजूद इसके लंबे संघर्ष के बाद हिमाचल को पूरे राज्य का दर्जा दिया गया। तब डॉ. यशवंत सिंह परमार हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री बने थे।
पहली सितंबर 1972 को प्रदेश में जिलों का पुनर्गठन हुआ और कांगड़ा जिले को तीन भागों में विभाजित कर दो नए जिले ऊना व हमीरपुर बने। वहीं महासू व शिमला जिलों का पुनर्गठन कर शिमला व सोलन जिले बनाए गए और जिलों की संख्या बढ़कर नौ से 12 हो गई। इससे पहले 15 अप्रैल 1948 को स्वतंत्रता प्राप्ति से आठ माह बाद छोटी-बड़ी 30 रियासतों के विलय के साथ ही यह पहाड़ी प्रांत अस्तित्व में आया। 1948 से अपनी यात्रा शुरू कर प्रदेश के लोगों के 64 वर्ष में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। प्रदेश के विकास में आने वाली बाधाओं का मुकाबला कर इस पहाड़ी प्रांत ने यह साबित कर दिया कि गरीबी पहाड़ की नियति नहीं है, वहीं देश में यह आदर्श राज्य के रूप में भी उभरकर सामने आया है।
25 जनवरी 1971 को हिमाचल को जब पूर्ण राज्य का दर्जा मिला उस समय प्रति व्यक्ति आय 651 रुपये थी और वर्तमान में 1 लाख 95 हजार 2 सौ 55 है। उस समय कृषि 911.7 हेक्टयर था वर्तमान में 959.2 हेक्टेयर है। सड़के उस वक्त 7370 किलोमीटर थी, वर्तमान में 38470 किलोमीटर है। 1971 में 1 मेडिकल कॉलेज था, लेकिन आज 6 मेडिलक कॉलेज सरकार 1 एम्स 1 प्राइवेट कॉलेज है। प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के समय साक्षरता दर 31.96 थी आज 86.60 है।