इंदिरा गांधी ने अपने इन बड़े फैसलों से मचाई थी सियासी हलचल

साल के पहले महीने जनवरी की 19 तारीख देश की राजनीती के इतिहास में विशेष महत्व रखती है। 1966 में आज ही के दिन इंदिरा गांधी को देश का प्रधानमंत्री चुना गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत के बाद इंदिरा गांधी ने वह कुर्सी संभाली जिस पर कभी उनके पिता जवाहर लाल नेहरू बैठे थे। वह 1967 से 1977 और फिर 1980 से 1984 में उनकी मृत्यु तक इस पद पर रहीं। वह देश की पहली व एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं। इंदिरा ने प्रधानमंत्री हते हुए कई ऐसे ऐतिहासिक काम किएं हैं जिनके लिए उन्हें "दुर्गा" तक कहा गया तो वहीं दूसरी तरफ आपातकाल का उनके जीवन पर ऐसा दाग भी है जिसके लिए उन्हें कभी माफ नहीं किया जा सकता। आज हम आपको इंदिरा गांधी के ऐसे की कुछ फैसलों बड़े के बारे में बताते हैं।
19 जुलाई, 1969 को बैंकों का राष्ट्रीयकरण
19 जुलाई, 1969 को इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने एक अध्यादेश पारित करके देश के 14 निजी बैंकों के राष्ट्रीयकरण कर दिया। इन 14 बैंकों में देश का करीब 70 फीसदी धन जमा था। अध्यादेश पारित होने के बाद इन बैंकों का मालिकाना हक सरकार के पास चला गया। ऐसा आर्थिक समानता को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।
1971 में पाक के टुकड़े करवाकर बांग्लादेश बनवाया
1971 में इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान से युद्ध के बाद उसके दो टुकड़े करवा दिए। इस युद्ध में पाकिस्तान की शर्मनाक हार हुई और उसके 90,000 सैनिकों को भारत ने युद्धबंदी बना लिया था।
1971 में प्रिवी पर्स को खत्म किया
प्रिवी पर्स को खत्म करना इंदिरा गांधी के उन बड़े कामों में से एक है जिसके लिए इंदिरा को काफी विरोध का सामना करना पड़ा था। बता दें कि आजादी के बाद राज परिवारों को एक निश्चित रकम भत्ते के तौर पर दी जाती थी। इसी राशि को प्रिवी पर्स कहा जाता था। इंदिरा ने इसी भत्ते को बंद कर दिया था।
1974 में परमाणु परीक्षण किया
स्माइलिंग बुद्धा के अनौपचारिक छाया नाम से 1974 में भारत ने सफलतापूर्वक एक भूमिगत परमाणु परीक्षण राजस्थान के रेगिस्तान में बसे गाँव पोखरण के करीब किया। शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परीक्षण का वर्णन करते हुए भारत दुनिया की सबसे नवीनतम परमाणु शक्तिधर बन गया।
1975-77 तक देश में आपातकाल लगाया
इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 को आपातकाल लगा दिया और बड़ी संख्या में विरोधियों के गिरफ्तारी का आदेश दिया। भारतीय लोकतंत्र में इस दिन को 'काला दिन' कहा जाता है। आपातकाल करीब 19 महीने तक रहा।
1984 में ऑपरेशन मेघदूत के जरिए सियाचिन पर भारत का कब्जा
इंदिरा ने ऑपरेशन मेघदूत को अंजाम दिया था। दरअसल पाकिस्तान ने 17 अप्रैल, 1984 को सियाचिन पर कब्जा करने की योजना बनाई थी जिसकी जानकारी भारत को लग गई। भारत ने उससे पहले सियाचिन पर कब्जा करने की योजना बनाई और इस ऑपरेशन का कोड नाम 'ऑपरेशन मेघदूत' था।
1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया
एक समय पंजाब में आतंकवाद अपने चरम पर था। जनरैल सिंह भिंडरावाला सहित कुछ अलगाव वादी भारत के टुकड़े करके पंजाबियों के लिए एक अलग देश बनाना चाहते थे। यह सब आतंकी स्वर्ण मंदिर में छुपे हुए थे। इन्हीं आतंकियों को मारने के लिए भारत सरकार ने "ऑपरेशन ब्लूस्टार" चलाया जिसमें सभी आतंकियों को मार गिराया गया। इसी कारण इंदिरा गांधी की हत्या भी हुई थी।