अहमद फ़राज़ के 30 मशहूर शेर
अहमद फ़राज़, असली नाम सैयद अहमद शाह, एक ऐसे शायर जिनका जन्म पाकिस्तान के नौशेरां शहर में हुआ , एक ऐसे शायर जो आधुनिक उर्दू के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में गिने जाते हैं, एक ऐसे शायर जिन्होंने मोहब्बत में छिपे दर्द को अपने शब्दों में कुछ ऐसे उकेरा की उनकी नज़्में ,उनकी गज़ले हर आशिक के हम सोहबत हो गए। आइये आपको पढ़ते है उनके लिखे कुछ उम्दा शेर :
1 सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं
सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं
2 रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
3 अब दिल की तमन्ना है तो ऐ काश यही हो
आँसू की जगह आँख से हसरत निकल आए
4 अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिले
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
5 आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
6 आज एक और बरस बीत गया उस के बग़ैर
जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे
7 आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करो
बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो
8 एक नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब फ़राज़
मोहब्बत भी सकूँ वालों को बड़ी तकलीफ़ देती है
9 माना कि तुम गुफ़्तगू के फन में माहिर हो फ़राज़
वफ़ा के लफ्ज़ पे अटको तो हमें याद कर लेना
10 अपने ही होते हैं जो दिल पे वार करते हैं फ़राज़
वरना गैरों को क्या ख़बर की दिल की जगह कौन सी है.
11 उस शख्स से बस इतना सा ताल्लुक़ है फ़राज़
वो परेशां हो तो हमें नींद नहीं आती
12 बच न सका ख़ुदा भी मुहब्बत के तकाज़ों से फ़राज़
एक महबूब की खातिर सारा जहाँ बना डाला
13 इस तरह गौर से मत देख मेरा हाथ ऐ फ़राज़
इन लकीरों में हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं
14 वो रोज़ देखता है डूबे हुए सूरज को फ़राज़
काश मैं भी किसी शाम का मंज़र होता
15 वो बारिश में कोई सहारा ढूँढता है फ़राज़
ऐ बादल आज इतना बरस
की मेरी बाँहों को वो सहारा बना ले
16 दीवार क्या गिरी मेरे कच्चे मकान की फ़राज़
लोगों ने मेरे घर से रास्ते बना लिए
17 दोस्ती अपनी भी असर रखती है फ़राज़
बहुत याद आएँगे ज़रा भूल कर तो देखो
18 फुर्सत मिले तो कभी हमें भी याद कर लेना फ़राज़
बड़ी पुर रौनक होती हैं यादें हम फकीरों की
19 कितना आसाँ था तेरे हिज्र में मरना जाना
फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते-जाते
20 मोहब्बत के अंदाज़ जुदा होते हैं फ़राज़
किसी ने टूट के चाहा और कोई चाह के टूट गया
21 किस किस से मुहब्बत के वादे किये हैं तूने फ़राज़
हर रोज़ एक नया शख्स तेरा नाम पूछता है
22 मैं अपने दिल को ये बात कैसे समझाऊँ फ़राज़
कि किसी को चाहने से कोई अपना नहीं होता
23 कांच की तरह होते हैं गरीबों के दिल फ़राज़
कभी टूट जाते हैं तो कभी तोड़ दिए जाते हैं
24 मुझको मालूम नहीं हुस्न की तारीफ फ़राज़
मेरी नज़रों में हसीन वो है जो तुझ जैसा हो
25 ज़माने के सवालों को मैं हंस के टाल दूं फ़राज़
लेकिन नमी आंखों की कहती है 'मुझे तुम याद आते हो'
26 वहाँ से एक पानी की बूँद ना निकल सकी “फ़राज़”
तमाम उम्र जिन आँखों को हम झील लिखते रहे
27 वो शख्स जो कहता था तू न मिला तो मर जाऊंगा “फ़राज़”
वो आज भी जिंदा है यही बात किसी और से कहने के लिए
28 और 'फ़राज़' चाहिए कितनी मोहब्बतें तुझे
मांओं ने तेरे नाम पर बच्चों का नाम रख दिया
29 वो बात बात पे देता है परिंदों की मिसाल
साफ़ साफ़ नहीं कहता मेरा शहर ही छोड़ दो
30 तुम्हारी एक निगाह से कतल होते हैं लोग फ़राज़
एक नज़र हम को भी देख लो के तुम बिन ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती