विचित्र संयोग : जिस दिन कवि प्रदीप का हुआ जन्म, लता ने उसी दिन ली अंतिम सांस
वीरवार को स्वर कोकिला लता मंगेशकर का निधन हो गया। वह लगभग एक महीने से बीमार चल रही थीं। उनकी आवाज़ में कितने ही गाने अमर हो गए, उनमें विशेष है 'ऐ मेरे वतन के लोगों' जिसे कवि प्रदीप ने लिखा है। इसे विचित्र संयोग ही कहेंगे की जिस दिन कवि प्रदीप का जन्म हुआ था उसी दिन लता मंगेशकर शांत हो गईं और आज ही के दिन देश मां सरस्वती को विसर्जित कर रहा है।
उस समय जब एक नई गायिका के रूप में लता मंगेशकर ने ऐ मेरे वतन के लोगों गीत गया था, तब खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आंखों में आंसू थे। देश तब भी रो रहा था और आज लता दीदी के जाने पर भी देश रो रहा है।
कवि प्रदीप के इस गीत के कारण आज तीनों अमर हैं- लता दीदी, कवि प्रदीप और इन दोनों का गाया-लिखा यह गीत भी। आज भी इस गीत को गाए बिना देशभक्ति का कोई कार्यक्रम मुकम्मल नहीं होता। आज भारत की सांस्कृतिक विरासत के लिए एक गजब का संयोग बना है। आज कला की देवी मां सरस्वती को विदाई दी जा रही है।
आज प्रदीप भी नहीं हैं और अब लता दीदी भी नहीं रहीं। लेकिन यह विचित्र संयोग हमें हतप्रभ तो करता ही है। दोनों के शरीर हमारे साथ न हों लेकिन उनका यह सांस्कृतिक योगदान आने वाली कई पीढ़ियों तक को प्रभावित करता रहेगा।