महादेवी वर्मा की कविता पर टिप्पणी की, और सीएम की कुर्सी चली गई

तारीख थी 10 जनवरी 1981, जयपुर में रविन्द्र मंच पर एक कार्यक्रम में कवयित्री महादेवी वर्मा मुख्य अतिथि थी और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन्ननाथ पहाड़िया। तब पहाड़िया ने मंच पर बोलते हुए कहा था कि महादेवी वर्मा की कविताएं मेरे कभी समझ नहीं आईं कि वे क्या कहना चाहती हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कह दिया था कि साहित्य ऐसा हो कि जो सबके समझ में आना चाहिए। इसके बाद लेखकों की मंडली ने इंदिरा गांधी से जमकर शिकायत की और आलाकमान ने पहाड़िया को हटा दिया। हिंदुस्तान की सियासत में ऐसा किस्सा कोई दूसरा नहीं है। हालांकि, जानकारों का कहना है कि इसकी पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी, इसके पीछे कई और भी कारण थे।
जगन्ननाथ पहाड़िया राजस्थान के पहले दलित मुख्यमंत्री थे। 15 जनवरी 1932 को जन्मे पहाड़िया 6 जून 1980 से जुलाई 1981 तक 11 महीने राजस्थान के सीएम रहे थे। पहाड़िया को 1957 में सबसे कम उम्र का सांसद बनने का मौका मिला, जब वो सांसद चुने गए तब उनकी उम्र महज 25 साल 3 माह थी। उस समय के प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू पहाड़िया से इतने प्रभावित हुए कि पहली मुलाकात में ही कांग्रेस का टिकट दे दिया था। पहाड़िया की राजनीति में एंट्री का एक रोचक किस्सा है, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उनसे कहा था कि आप चुनाव क्यों नहीं लड़ते! तब जगन्नाथ पहाड़िया ने जवाब में कहा कि आप मुझे टिकट दे दीजिए मैं चुनाव लड़ लूंगा। इसके बाद 1957 में जगन्नाथ पहाड़िया को सवाई माधोपुर सीट से लोकसभा टिकट दे दिया गया और दूसरी लोकसभा में सबसे कम उम्र के सांसद बनकर सदन में पहुंचे।
कहते है पहाड़िया को सीएम की कुर्सी पर लाने वाले खुद संजय गांधी थे। जगन्ननाथ पहाड़िया संजय गांधी के करीबी माने जाते थे। संजय की बदौलत ही वे राजस्थान के एकमात्र दलित सीएम भी रहे। 13 महीने के कार्यकाल में उन्होंने राजस्थान में पूरी तरीके से शराब बंदी कर दी थी। हालांकि कुर्सी छोड़ने का कारण बड़ा ही अजीब बताया जाता है। एक कार्यक्रम में कवित्री महादेवी वर्मा पर उनकी टिप्पणी उनकी सियासत पर भारी पड़ गई। इसके बाद वह राजनीति में मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं, राज्यपाल के तौर पर वापिस आए। वे बिहार और हरियाणा राज्य के राज्यपाल रहे।