पूर्वांचल में तीसरी बार दौरे पर पीएम मोदी, सोमवार को वाराणसी पहुंचेगे
चार महीने के भीतर पीएम तीसरी बार पूर्वांचल में होंगे। उनके संसदीय क्षेत्र की बात करें तो यह दूसरी बार है। इसी के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री के पूर्वांचल के दौरे न सिर्फ महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सत्तारूढ़ दल की राजनीतिक जरूरतों की भी कहानी कह रहे हैं। इससे पहले 2013 में पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर गोरखपुर और वाराणसी में भाजपा की विजय शंखनाद रैली को संबोधित करने पहुंचे मोदी ने पूर्वांचल की बदहाली का मुद्दा उठाया था। इस बदहाली के लिए उन्होंने तत्कालीन गैर भाजपा केंद्र और राज्य सरकारों को दोषी ठहराया था। उन्होंने इसमें आमूल-चूल बदलाव का वादा किया था। इसका असर भी दिखा और 2014 में भाजपा को अपने सहयोगी अपना दल सहित पूर्वांचल में आने वाली लोकसभा की 22 में 21 सीटों पर जीत मिली। जिस पूर्वांचल में चार-पांच सीटों को छोड़कर भाजपा के लिए लोकसभा की एक-एक सीट किसी चुनौती से कम नहीं रहती हो, उस इलाके में 2014 में भाजपा की प्रचंड जीत मोदी पर भरोसे का संदेश थी। इसे आधार बनाकर पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में इलाके के विकास के लिए भाजपा सरकार की जरूरत का मुद्दा बनाया। भाजपा को 2017 में इस इलाके में आने वाली विधानसभा की 124 सीटों में से ज्यादातर पर सहयोगी पार्टियों अपना दल और तत्कालीन सहयोगी सुभासपा के साथ सफलता मिली। प्रदेश में सरकार बनी तो भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने गोरखपुर से पांच बार पार्टी के सांसद रहे योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाकर पूर्वांचल को ही नेतृत्व सौंपा। साथ ही पूर्वांचल की बदहाली को खुशहाली में बदलने के अपने संकल्प का भरोसा दिलाने की कोशिश की। सड़कों के निर्माण से लेकर सुविधाओं व सरोकारों पर कई काम हुए। चिकित्सा से लेकर शिक्षण संस्थानों की स्थापना एवं उनके स्वरूप को बदलने के अभियान से भाजपा ने इस इलाके में अपनी पकड़ व पहुंच को लगातार मजबूत बनाया। पूर्वांचल विकास बोर्ड का गठन कर क्षेत्र के विकास पर प्रतिबद्धता का संदेश दिया गया। सांस्कृतिक विरासत व सरोकारों के साथ जनता को जोड़कर पर्यटन की सुविधाएं बढ़ाने का काम हुआ। बीते तीन चुनाव के नतीजों से यह बात तो साफ हो गई है कि राजनीतिक रूप से कभी भाजपा के लिए बंजर माने जाने वाले इस इलाके को पीएम मोदी और सीएम योगी ने अपनी सक्रियता और कामों से काफी हद तक उपजाऊ बना दिया है। वर्तमान परिस्थितियों में 2022 के मद्देनजर भाजपा के लिए पूर्वांचल की अहमियत ज्यादा बढ़ गई है। इसकी बड़ी वजह किसान आंदोलन और पश्चिमी यूपी के समीकरण हैं। किसान आंदोलन भाजपा के लिए चिंता का विषय है, इसका असर पश्चिम में ज्यादा है। पश्चिमी यूपी में जाट और मुसलमानों के बीच पहले की तुलना में जिस तरह नजदीकी बढ़ने की खबरें हैं, उसको लेकर भी भाजपा नेतृत्व चौकन्ना है।