कांग्रेस कर्नाटक में सत्ता में लौटी तो बदल सकता है सियासी माहौल !
कर्नाटक विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है और चुनाव पूर्व हुए कई ओपिनियन पोल कांग्रेस के लिए उत्साहजनक है। दरअसल, कई ओपिनियन पोल कर्नाटक में पूर्ण बहुमत के साथ कांग्रेस की वापसी का दावा कर रहे है और यदि ऐसा होता है तो हिमाचल प्रदेश के बाद देश के एक और राज्य में कांग्रेस काबिज होगी। जाहिर है कर्नाटक जैसे बड़े राज्य में सत्ता वापसी कठिन दौर से गुजर रही पार्टी के लिए संजीवनी का काम कर सकती है। बहरहाल कांग्रेस का प्रयास ये ही होगा कि ओपिनियन पोल सही साबित हो और पार्टी चुनावी बेला में कोई बड़ी चूक न करें।
राहुल गाँधी को सुनाई गई सजा के बाद उनकी संसद सदस्यता रद्द हुई है और निसंदेह कांग्रेस के लिए ये मुश्किल घड़ी है। पर जाहिर है कांग्रेस इस आपदा को अवसर में तब्दील करने के प्रयास में है। गौर करने लायक बात ये भी है कि राहुल गांधी की सदस्यता के मुद्दे पर कई विपक्षी दल खुलकर उनके साथ आएं है, यानी ये मुद्दा विपक्ष को एक मंच पर लाता दिखा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी की सदस्यता जिस तरह निरस्त की गई, उस पूरे घटनाक्रम ने उन विपक्षी दलों को भी कांग्रेस के साथ खड़ा कर दिया है, जिन दलों ने कांग्रेस से दूरी बनाई हुई थी। राहुल गांधी की सदस्यता ख़त्म करने के मामले ने विपक्ष के दूसरे दलों को भी सोचने को मजबूर कर दिया है। हालाँकि कांग्रेस की सरपरस्ती कबूल करने में कुछ दल अब भी हिचक रहे है, मगर फिर भी ये मसला तूल पकड़ता जा रहा है। इस बीच अगर कर्नाटक के नतीजे कांग्रेस के लिए अनुकूल रहते है तो जाहिर है कांग्रेस को लेकर अन्य विपक्षी दलों के रुख में भी कुछ लचीलापन आ सकता है।
कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक में भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया है। इस चुनाव को अभी से राहुल बनाम अदाणी मामले में जारी सियासी महाभारत के जनादेश से जोड़ कर देखा जा रहा है। साथ ही ये कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का गृह क्षेत्र है। उम्मीद है कि खड़गे के अध्यक्ष पद पर रहने से कर्नाटक में कांग्रेस को सियासी फायदा मिलेगा और दलित वोटों पर कमजोर हो रही पकड़ फिर से मजबूत होगी। वहीँ कर्नाटक में भाजपा को अपने नेता पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा पर बड़ा भरोसा है। प्रधानमंत्री मोदी उन्हें अपने विश्वसनीयों में गिनते हैं। येदियुरप्पा के नेतृत्व में ही पार्टी ने कर्नाटक में पहली बार कमल खिलाया था। लिंगायत समुदाय का येदियुरप्पा को समर्थन हासिल है। हालंकि येदियुरप्पा को सीएम पद से हटाए जाने के बाद समीकरण बहुत अनुकूल नहीं दिखते। साल 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बीएस येदियुरप्पा को साथ बनाए रखने की है। बीजेपी ने 2021 में उन्हें सीएम पद से हटाकर बसवराज बोम्मई को सीएम बनाया था।
माहौल बदल सकता है कर्नाटक :
कांग्रेस अगर कर्नाटक में बेहतर कर पाती है तो छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश के आगामी चुनाव में भी कांग्रेस को एज मिल सकता है। जाहिर है कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनेगा। इसका असर 2024 में आम चुनाव पर पड़ने से भी इनकार नहीं किया जा सकता