जांच की जिम्मेदारी ऐसे लोगों को दे दी जो खुद हार का कारण थे: कृपाल परमार
भाजपा में अपने पद से इस्तीफा देने पर कृपाल परमार ने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की है। कृपाल परमार का कहना है कि पिछले 4 साल से लगातार पार्टी व सरकार द्वारा अनदेखा व प्रताड़ित किया जा रहा था जिसकी वजह से वह पूरी तरह आहत थे। इसकी शिकायत हाईकमान से भी की गई है। कृपाल परमार का ये भी कहना है कि वह पार्टी के सच्चे सिपाही हैं और पार्टी छोड़ कर कभी नहीं जाएंगे। सरकार व संगठन की प्रताड़ना से परेशान होकर ही उन्हें अपना इस्तीफा देना पड़ा। पार्टी में जलालत कुछ इस कदर बढ़ गई थी कि पद छोड़ना ही उचित समझा। कृपाल का कहना है कि प्रदेश में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ षड्यंत्र हो रहा है और षड्यंत्र रच कर ही वरिष्ठ नेताओं को जलील करने की कोशिश की जा रही है। उनका कहना है कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं को नजर अंदाज करने की परंपरा शुरू हो गई है जो बहुत गलत है। कृपाल परमार का कहना है कि पार्टी में इस बारे में बोला जाता है तो कोई भी सुनता नहीं है। अंत में पद से इस्तीफा देना ही एक तरीका बच जाता है। अब न मुख्यमंत्री सुनते हैं, न ही संगठन मंत्री हमारी बात सुनते हैं और न ही प्रदेश में कोई और। उपचुनाव में टिकट आबंटन को लेकर कृपाल परमार ने संगठन व सरकार का भी घेराव किया है। परमार का कहना है कि सरकार व संगठन ने वोग्स सर्वे करके पार्टी हाईकमान को गलत सूचना दी, जिसके चलते पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे नेताओं की ड्यूटी उपचुनाव में लगा दी जिन्होंने पार्टी को नुक्सान पहुंचाया। हार के कारणों की जांच की जिम्मेदारी ऐसे लोगों को दे दी जो खुद हार का कारण थे। जो नेता खुद चुनाव के प्रभारी थे वे अपनी गलती हाईकमान को कहां बताएंगे। अपराधी को ही जांच का जिम्मा दे दिया जाएगा तो चोर कैसे पकड़ा जाएगा।
