NTT डिप्लोमा धारक महिलाओं का टूटा सब्र का बांध
**पिछले 10 वर्षों से रोजगार का कर रही थी इन्तज़ार
**अब भर्ती के मानकों से परेशान
एक लम्बे इंतज़ार के बाद हिमाचल में प्री प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती हो तो रही है मगर अब भी इससे इंतज़ार कर रहे बेरोज़गार पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। एनटीटी डिप्लोमा धारक, भर्ती के मानकों से परेशान है। पहले इस भर्ती के ओउटसोर्से आधार पर होने से युवाओं ने चिंता जताई और अब भर्ती के लिए एनसीटीई अप्रूवल संस्थान के डिप्लोमा पर...दरअसल प्रदेश में अधिकतर युवाओं ने एनटीटी का एक साल का डिप्लोमा किया है, लेकिन नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन के मुताबिक एनटीटी के लिए 2 साल का डिप्लोमा जरूरी है। इस मसले पर हिमाचल प्रदेश बेरोजगार संघ की अध्यक्षा शिल्पा शर्मा का कहना है कि हिमाचल में जब ये NTT डिप्लोमा करवाए जा रहे थे तो ये स्पष्ट नहीं था कि कौन-सा संस्थान एनसीटीई से मान्यता प्राप्त है और कौनसा नहीं। प्रशिक्षुओं ने प्रतिष्ठित संस्थानों से एनटीटी का डिप्लोमा हासिल किया है मगर संस्थान के पास एनसीटीई की मान्यता न होने के कारण आज उनका डिप्लोमा धरा का धरा रह गया है। अगर ये डिप्लोमा मान्यता नहीं रखते थे तो प्रदेश में इन्हें करवाने की अनुमति क्यों दी गई। हर एक डिप्लोमा धारक महिला अपना समय और पैसा लगा चुकी है मगर अब उन्हें नौकरी नहीं मिल रही। ऐसे डिप्लोमा धारकों की संख्या 15 से 30 हजार हैं जो पिछले लंबे समय से नौकरी का इंतज़ार कर रहे है। इन प्रशिक्षुओं की सरकार से मांग है कि इन्हें रियायत दी जाए और सरकारी स्कूलों में 6,297 पदों पर होने वाली प्री-प्राइमरी टीचरों की भर्ती में इन्हें भी शामिल किया जाए।