आशावान कर्मचारियों की फेहरिस्त में एनएचएम कर्मचारी भी शामिल

प्रदेश में अभी नई सरकार को आए कुछ समय ही बीता है मगर अभी से प्रदेश के कर्मचारियों ने सरकार के आगे अपनी मांगो का भंडार लगा दिया है। कर्मचारियों को उम्मीद है कि पिछली सरकार जो न कर पाई वो नई सरकार कर दिखाएगी। आशावान कर्मचारियों की लम्बी फेहरिस्त में एनएचएम कर्मचारी भी शामिल है।राज्य स्वास्थ्य समिति (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) अनुबंध कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों के अनुसार एनएचएम कर्मचारी विभिन्न स्वास्थ्य समितियों के तहत 24 वर्ष से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तहत सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन आज तक किसी भी सरकार द्वारा इन कर्मचारियों के लिए नियमितिकरण की कोई स्थायी नीति नहीं बनाई गई है। राज्य स्वास्थ्य समिति (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) अनुबंध कर्मचारी संघ हिमाचल प्रदेश के प्रदेशाध्यक्ष सतीश कुमार एवं प्रदेश प्रेस सचिव राज महाजन ने संयुक्त बयान में बताया कि हाल ही में प्रदेश को स्वास्थ्य विभाग में राष्ट्रीय स्तर पर क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम में बेहतर कार्य करने के लिए प्रथम पुरस्कार मिला है। इसके लिए सरकार एवं विभाग दोनों ही बधाई के पात्र हैं, लेकिन इस बेहतर परिणाम के लिए सबसे पहले स्वास्थ्य विभाग में ब्लाक स्तर, जिला स्तर, प्रदेश स्तर पर एवं हर स्वास्थ्य संस्थान में रीढ़ की हड्डी की तरह कार्य करने वाले हर उस कर्मचारी का योगदान है, जो पिछले 24 वर्षों से अनुबंध पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत अपना कार्य पूरी निष्ठा एवं लगन से कर रहा है। सतीश कुमार का कहना है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत रहे इन कर्मचारियों में से लगभग चार कर्मचारियों की नौकरी के दौरान मौत हो चुकी है तथा लगभग 56 लोग बिना किसी बैनेफिट के लिए रिटायर हो चुके हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों द्वारा क्षय रोग, एचआईवी एड्स, शिशु स्वास्थ्य, कोविड-19 जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के तहत अपना योगदान दिया जा रहा है। किसी सरकार ने न तो आज तक इन कर्मचारियों का नियमितीकरण किया और न ही इन्हें रेगुलर स्केल का लाभ दिया जा रहा है।
केंद्र के कर्मचारी है तो सातवां वेतन आयोग क्यों नहीं मिला :
राज्य स्वास्थ्य समिति ( नेशनल हेल्थ मिशन ) अनुबंध कर्मचारी महासंघ के उप प्रधान डॉ अनुराग शर्मा का कहना है कि सरकार हमारी मांगें ये कह कर टाल देती है कि हम केंद्र सरकार के कर्मचारी है। पर अगर हम केंद्र सरकार के कर्मचारी है तो हमें सातवां वेतन आयोग मिलना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं है। हमें भले ही केंद्र प्रायोजित स्कीमों के अंतर्गत नियुक्ति दी गई हो मगर इन परियोजनाओं के लिए केंद्र सिर्फ पैसा देता है। स्वास्थ्य राज्य का मसला होता है। हमें राज्य स्वास्थ्य समिति के तहत रखा गया था जिसके चेयरमैन मुख्य सचिव है। हमें राज्य सरकार के लिए नियुक्त किया गया है और हम काम भी राज्य सरकार का करते है न कि केंद्र सरकार के लिए, तो मसले भी राज्य सरकार को ही हल करने होंगे।