काले कपड़े पहनने का लिया प्रण, नेहरू ने दिया पहाड़ी गांधी का नाम

1931 में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी मिलने के बाद उन्होंने प्रण लिया कि जब तक मुल्क आज़ाद नहीं हो जाता, तब तक वो काले कपड़े पहनेंगे। उन्हें ‘स्याहपोश जरनैल’ भी कहा गया। उनकी क्रन्तिकारी कविताओं के लिए अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें कई बार पीटा, कई यातनाएं दी मगर वो लिखते रहे। वर्ष 1937 में जवाहर लाल नेहरू ने होशियारपुर के गद्दीवाला में एक सभा को संबोधित करते हुए बाबा कांशीराम को पहाड़ी गांधी कहकर संबोधित किया था, जिसके बाद से कांशी राम को पहाड़ी गांधी के नाम से ही जाना गया।
अब भी रखे है बाबा का चरखा और चारपाई
बाबा कांशी राम के पैतृक घर को स्मारक बनाने की मांग काफी पुरानी है। उनके पुराने घर में अब भी उनकी कई पुरानी चीज़ें रखी है, जैसे उनका चरखा, उस समय की चारपाई, खपरैल और उनके द्वारा इस्तेमाल किया अन्य सामान। इन धरोहरों को संजो के रखना बेहद महत्वपूर्ण है।