अगर तिरंगा फहराना देशभक्ति है, तो आरएसएस ( RSS) अभी नया-नया देशभक्त हुआ है

सरदार पटेल ने लगाया था आरएसएस पर प्रतिबन्ध
अगर देशभक्ति की कसौटी तिरंगा फहराना है, तो राष्ट्रीय स्वयं संघ (आरएसएस ) तो अभी नया-नया देशभक्त हुआ है। आपको और हमे आरएसएस से देशभक्ति सीखने की जरुरत नहीं है। शायद आप नहीं जानते कि दिन रात देश भक्ति की नसीहत देने वाला संघ 2002 के पहले तिरंगा नहीं फहराता था। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे अवसरों पर भी आरएसएस के दफ्तरों में कभी तिरंगा नहीं फहराया जाता था। वर्ष 2002 तक सिर्फ दो मर्तबा ऐसा हुआ जब आरएसएस ने तिरंगा फहराया, पहला 15 अगस्त 1947 को और दूसरा 1950 में। दरअसल महात्मा गाँधी की हत्या के बाद तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। जी हाँ वहीँ पटेल जिनका गुणगान करते हुए संघ आज थकता नहीं है।तब जब सरदार पटेल ने गांधीजी की हत्या में संलिप्तता के मामले में संघ पर लगा प्रतिबंध हटाने के पहले तिरंगे को राष्ट्रध्वज मानने के लिए गोलवलकर को मजबूर किया था, जिसके बाद संघ को तिरंगा फहराना पड़ा।
आपको एक और दिलचस्प किस्सा सुनाते है। 26 जनवरी 2001 को आरएसएस मुख्यालय नागपुर ने तीन युवक जबरन घुस गए और उन्होंने वहां राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लहरा दिया। वे तीन युवक राष्ट्रप्रेमी युवा दल के थे और इस बात से क्षुब्ध थे कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर भी आरएसएस कभी तिरंगा नहीं फहराता। तीनो युवकों पर मुक़दमा दर्ज हुआ, जिसे उन्होंने 12 साल तक झेला। इस प्रकरण के बाद आरएसएस की देश भक्ति पर भी सवाल उठने लगे। आखिरकार तिलमिलायें हुए आरएसएस ने 2002 से तिरंगा फहराना शुरू किया। आरएसएस तिरंगा क्यों नहीं फहराता था, आज तक आरएसएस इसका जवाब नहीं दे पाया है।