छह साल के सबसे बुरे दौर में कैसे पहुंची जी.डी.पी. दर : अभिषेक राणा
अच्छे दिनों का ढिंढोरा पीटने वाली मोदी सरकार में पिछले 6 साल के दौरान वर्तमान में जी.डी.पी. दर 5 प्रतिशत कैसे पहुंच गई है। 4 लाख करोड़ का कर्जा लेने वाली केंद्र सरकार अब दोबारा 2 लाख करोड़ रुपए कर्ज लेने की तैयारी कर रही है। सरकार बताए कि इतने ज्यादा हालात कैसे खराब हो गए हैं। यह बात हिमाचल कांग्रेस सोशल मीडिया एवं आई.टी. विभाग के प्रभारी अभिषेक राणा ने जारी प्रैस विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा यह आंकड़े सार्वजनिक किए गए हैं। इसी को लेकर भाजपा नेता एवं राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी चिंता व्यक्त करते हुए नई आर्थिक नीति लागू करने की वकालत की है। हैरानी जताते हुए उन्होंने कहा कि फिर भी अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार नहीं जाग रही है। उन्होंने कहा कि बड़ी कार निर्माता कंपनियां भारत में निवेश करने से कतराने लगी हैं। हीरो मोटर,टाटा स्टील्स,मारूति व महिंद्रा जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों में प्रोडक्शन पर गहरी मार पड़ी है, तो रेलवे व बी.एस.एन.एल. में भूखे मरने की नौबत आन पड़ी है। ऐसे हालात कैसे बन गए हैं। अभिषेक राणा ने सेंटर फॉर मानीटरिंग इंडियन इकॉनोमी (सी.एम.आई.ई.) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि सी.एम.आई.ई. के मुताबिक वर्ष 2018 में असंगठित क्षेत्र में 1 करोड़ से अधिक लोगों ने नौकरियां गंवाई हैं। कृषि व कृषि आधारित व्यवसाय पर सबसे अधिक मार पड़ी है। वाहन कलपुर्जा उद्योग विर्निमाताओं के अखिल भारतीय संगठन एक्मा ने जी.एस.टी. की दर एक समान 18 प्रतिशत करने की मांग उठाई है। अभिषेक राणा ने कहा कि कैग ने स्वयं माना है कि 2 साल भी जी.एस.टी. की खामियां दूर नहीं हो पाई हैं। नोटबंदी व जी.एस.टी. के कारण देश की आर्थिक हालात खराब हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के मीठे बोल की कीमत अब देश की जनता को भुगतनी पड़ रही है। जिससे देश पिछडने लगा है लेकिन अंधभक्ति में पड़े कुछ चाटुकारों को देशहित की बजाए केंद्र सरकार की झूठी वाहवाही करने से ही फुर्सत नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्नाव प्रकरण में यू.पी.सरकार की जमकर फजीहत हुई है। तथा देश की सबसे बड़ी अदालत ने भी सरकार की खिंचाई की गई है। इसके बावजूद कानून व्यवस्था का बुरा हाल हो चुका है। उन्होंने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकारों में भी मंदी का दौर आया था लेकिन तत्कालीन सरकारों ने उस दौर में भी देश की अर्थ व्यवस्था को संभाले रखा।