हिमाचल की सियासत में महिलाओं ने भी दिखाया है दमखम
प्रदेश की सियासत में नारी शक्ति का असर कभी फीका नहीं रहा। हालाँकि हिमाचल के सियासी क्षितिज पर बेहद कम महिलाएं अब तक अपना नाम चमकाने में कामयाब रही और शायद इसका बड़ा कारण ये है कि प्रदेश के प्रमुख राजनैतिक दलों ने कभी महिलाओं पर ज्यादा भरोसा जताया ही नहीं। पर कई चेहरे ऐसे है जिनके बगैर हिमाचल की सियासी कहानी अधूरी हैं। कई महिलाएं न सिर्फ विधानसभा में जनता की आवाज बनी, बल्कि मंत्री भी रही। देश की प्रथम स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर भी हिमाचल प्रदेश से ही सांसद थी। वहीं प्रदेश की सियासत में एक मौका ऐसा भी आया जब वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्या स्टोक्स मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गई। दरअसल वर्ष 2003 में हिमाचल की सत्ता में कांग्रेस की वापसी हुई थी। 1998 के विधानसभा चुनाव में पंडित सुखराम की हिमाचल विकास कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह के मिशन रिपीट के अरमान पर पानी फेर दिया था, फिर जब 2003 में मुख्यमंत्री चुनने की बारी आई तो ठियोग विधायक और कांग्रेस की तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष विद्या स्टोक्स से वीरभद्र सिंह को चुनौती मिली। प्रदेश में माहौल बना की शायद मैडम स्टोक्स सोनिया गांधी से अपनी नज़दीकी के बूते सीएम बनने में कामयाब हो जाए। बताया जाता है कि तब मैडम स्टोक्स ने दिल्ली दरबार में विधायकों के समर्थन का दावा भी पेश कर दिया था। विद्या दिल्ली में थी और वीरभद्र सिंह ने शिमला में अपना तिलिस्म साबित कर दिया। दरअसल तभी शिमला में वीरभद्र सिंह ने मीडिया के सामने अपने 22 विधायकों की परेड करा कर अपनी ताकत और कुव्वत का अहसास आलाकमान को करवा दिया। इसके बाद जो परेड में शामिल नहीं हुए उनमें से भी अधिकांश होलीलॉज दरबार में पहुंच गए। सो वीरभद्र सिंह पांचवी बार मुख्यमंत्री बन गए और प्रदेश को महिला सीएम मिलने का इंतज़ार खत्म नहीं हो सका। इस बार हुए चुनाव में अगर प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनती है तो दो महिलाएं सीएम पद की दौड़ में है। पहली है प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और दूसरा नाम है वरिष्ठ कांग्रेस नेता आशा कुमारी का। बहरहाल महिला सीएम का इन्तजार इस बार भी खत्म होगा या नहीं, ये तो आगामी कुछ दिनों में ही पता चलेगा।
आठ बार विधायक बनी विद्या स्ट्रोक्स
वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्या स्टोक्स कांग्रेस से आठ बार विधायक चुनी गई। उनका रिकॉर्ड कोई दूसरी महिला नेता नहीं तोड़ पाई है। स्ट्रोक्स पहली बार 1974 में विधायक बनी थी। वह विधानसभा की अध्यक्ष भी रही है और नेता विपक्ष भी बनी। स्ट्रोक्स 1974, 1982, 1985, 1990,1998, 2003, 2007 व 2012 में विधायक रही।
1998 में जीती थी सबसे अधिक 6 महिलाएं
हिमाचल प्रदेश के इतिहास पर नज़र डाले तो 1998 के विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक 6 महिलाओं ने जीत दर्ज की। इस चुनाव में कांग्रेस की विप्लव ठाकुर, मेजर कृष्णा मोहिनी, विद्या स्ट्रोक्स, आशा कुमारी और भाजपा की उर्मिल ठाकुर और सरवीण चौधरी ने जीत दर्ज की। हालांकि बाद में भाजपा नेता महेंद्र नाथ सोफत की याचिका पर सोलन का चुनाव सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द घोषित कर दिया गया जहाँ से पहले मेजर कृष्णा मोहिनी को विजेता घोषित किया गया था। वहीं 1998 में परागपुर में हुए उप चुनाव में निर्मला देवी ने जीत दर्ज की।
सरला शर्मा से सरवीण चौधरी तक
प्रदेश में 1972 में पहली बार सरला शर्मा मंत्री बनी। फिर 1977 में श्यामा शर्मा मंत्री रही। उसके बाद आशा कुमारी, विप्लव ठाकुर, चंद्रेश कुमारी, विद्या स्टोक्स मंत्री रही। वहीं जयराम सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री सरवीण चौधरी इससे पहले धूमल सरकार में भी मंत्री रह चुकी है।
सिर्फ तीन महिलाएं पहुंची लोकसभा
लोकसभा की बात करें तो वर्ष 1952 में राजकुमारी अमृत कौर प्रदेश की पहली महिला सांसद बनी। इसके बाद चंद्रेश कुमारी वर्ष 1984 में कांगड़ा से सांसद चुनी गई। वहीं प्रतिभा सिंह मंडी सीट से तीसरी बार लोकसभा सांसद है। वे वर्ष 2004 और 2013 के उप चुनाव में भी विजेता रही थी।
1956 में लीला देवी बनी थी राज्यसभा सांसद
अपर हाउस राज्यसभा की बात करें तो आज तक हिमाचल प्रदेश की कुल 7 महिलाएं राज्यसभा में पहुँच सकी है। सबसे पहले वर्ष 1956 में कांग्रेस नेता लीला देवी राज्यसभा के लिए चुनी गई। इसके बाद 1968 में सत्यावती डांग, 1980 में उषा मल्होत्रा, 1996 में चंद्रेश कुमारी, 2006 व 2014 में विप्लव ठाकुर को कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा भेजा। वहीं भाजपा से 2010 में बिमला कश्यप व 2020 में वर्तमान राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी राज्यसभा पहुंची।