राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा को एक्सटेंशन, पर प्रदेश में बदलाव लगभग तय !

भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल को एक्सटेंड करने के बाद क्या भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप के कार्यकाल को भी एक्सटेंड करेगी, ये यक्ष प्रश्न है। नड्डा का कार्यकाल इसी साल 20 जनवरी को समाप्त हो रहा था, लेकिन बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा की परफॉर्मेंस को देखते हुए पार्टी ने नड्डा के कार्यकाल को जून, 2024 तक एक्सटेंड कर दिया है। अब हिमाचल प्रदेश भाजपा की कमान संभाले सुरेश कश्यप का कार्यकाल भी 18 जनवरी को समाप्त हो रहा है, लेकिन सुरेश कश्यप के कार्यकाल में भाजपा के खाते में एक के बाद एक शिकस्त दर्ज हुई है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भी प्रदेश भाजपा संगठन सवालों के घेरे में है। ऐसे में जाहिर है कि अब भाजपा को मजबूत नेतृत्व की दरकार है। जानकार मान रहे है कि नड्डा को तो विस्तार मिल गया, लेकिन सुरेश कश्यप के कार्यकाल को भी विस्तार मिलेगा इसकी संभावना कम ही है।
दरअसल पार्टी ने 2019 अंत में डॉ राजीव बिंदल को प्रदेश संगठन की कमान सौंपी थी। कोरोना काल में हुए स्वास्थ्य घोटाले में बिंदल का नाम खूब उछला तो बिंदल ने इस्तीफा दे दिया। हालांकि इसके बाद बिंदल को क्लीन चिट मिली। बिंदल के स्थान पर सुरेश कश्यप को नया अध्यक्ष बनाया गया। तब तक पार्टी की परफॉरमेंस भी अव्वल थी। 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप कर चुकी थी और दो उपचुनाव भी जीत चुकी थी। पर सुरेश कश्यप के आने के बाद पार्टी सिंबल पर हुए चार नगर निगम चुनाव में से पार्टी को दो में हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद एक लोकसभा उपचुनाव और तीन विधानसभा उपचुनाव भी पार्टी हार गई। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। जाहिर है ऐसे में सवाल उठना तो लाजमी है।
गौर करने वाली बात ये भी है कि प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप शिमला से सांसद भी है और उनके अपने संसदीय क्षेत्र में भाजपा सबसे ज्यादा पिछड़ी है। शिमला संसदीय क्षेत्र की 17 में से सिर्फ तीन सीटों पर भाजपा को जीत मिली है। ऐसे में पार्टी सुरेश कश्यप पर फिर भरोसा जतायेगी, इसकी सम्भावना कम ही लगती है।
बहरहाल माना जा रहा है कि जल्द भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलेगा और नए अध्यक्ष के सामने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले शिमला नगर निगम चुनाव की कड़ी चुनौती होगी। दरअसल शिमला नगर निगम के 41 वार्ड तीन निर्वाचन क्षेत्रों के अधीन आते है, शिमला शहरी, कसुम्पटी और शिमला ग्रामीण। विधानसभा चुनाव में इन तीनो ही निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस को शानदार जीत मिली है, तो भाजपा का सूपड़ा साफ हुआ है। ऐसे में अध्यक्ष जो भी बने, डगर कठिन होने वाली है।