सिरमाैर : महाखुमली तो सिर्फ झांकी है, पिक्चर अभी बाकी है!

संगठित और मजबूत होता दिख रहा गिरिपार को जनजातीय दर्जा देने का मुद्दा
फर्स्ट वर्डिक्ट। सिरमाैर
मौसम का मिजाज बेशक खराब था, लेकिन हाटी समुदाय का इरादा मजबूत। तेज बारिश के बावजूद भी शिलाई में आयोजित हाटी महाखुमली में हज़ारों लोग जुटे। 144 पंचायतों के युवा, महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे खासी तादाद में पहुंचे और एक स्वर में जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा दिलाने के लिए हुंकार भरी। राजनैतिक निष्ठाओं से इतर सबने एक आवाज में आह्वान किया कि जब तक हमें हमारा हक नहीं मिलता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा। सन्देश स्पष्ट था कि महाखुमली तो महज झांकी है और पिक्चर अभी बाकी है।
इस खुमली में शिमला लोकसभा क्षेत्र के सांसद एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप, शिलाई के विधायक हर्षवर्धन चौहान, श्री रेणुका जी के विधायक विनय कुमार, शिलाई के पूर्व विधायक एवं राज्य खाद्य आपूर्ति निगम के उपाध्यक्ष बलदेव तोमर और पूर्व जिला परिषद सिरमौर के अध्यक्ष दलीप चौहान सहित कई नेता भी पहुंचे थे। आश्वासनों से तंग आ चुके हाटी समुदाय के तेवर इसी बात से समझ लीजिये कि करीब तीन घंटे ये नेता अपने बोलने की बारी का इंतजार करते रहे, फिर जाकर इन्हें मंच मिला। हजारों की भीड़ के सामने इन तमाम नेताओं ने गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा दिलवाने के लिए अपना समर्थन दिया।
उधर, हाटी समुदाय ने भी दो टूक सन्देश दिया कि अगर जुलाई तक उन्हें न्याय नहीं मिला तो बड़े स्तर पर आंदोलन होगा। हाटी समुदाय का नेतृत्व कर रहे वक्ताओं ने मंच से खुलकर चेताया कि हाटी समाज अब आर -पार की लड़ाई को तैयार है। बहरहाल इतना तय है कि हाटी समुदाय का आंदोलन फिलहाल संगठित भी दिख रहा है और मजबूत भी, और समाधान न निकला तो इनकी नारजगी का खामियाजा सियासतगरों को भुगतना पड़ सकता है।
कई सरकारें आई और गई, लेकिन हाटी समुदाय को कोई भी सरकार जनजातीय दर्जा नहीं दिला पाई। पहले मनमोहन सिंह और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक से सिरमौर जिले के गिरिपार को जनजातीय दर्जा दिलाने की फरियाद लगाई गई, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद नतीजा सिफर रहा। पर क्षेत्र के लोगों को नेताओं का हर वादा, हर आश्वासन याद है। महाखुमली में हाटी समुदाय ने ये याद दिलाने से भी गुरेज नहीं किया कि हाटियों का खूब नरम भी है और गरम भी। किसी ने कहा 'अब तक समुदाय खूब बेवकूफ बन चूका है पर अब नहीं बनेगा', तो किसी ने 'हक़ नहीं तो वोट नहीं' का उद्घोष कर नेताओं की धुकधुकी बढ़ा दी।
तो भाजपा को भुगतना होगा खामियाजा
महाखुमली में जुटे हाटी समुदाय के लोगों ने स्पष्ट कहा कि 2014 में तत्कालीन भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नाहन के चौगान मैदान में गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने का वादा किया था। तदोपरांत 2019 में तत्कालीन केंद्रीय जनजातीय मंत्री ने हरिपुरधार में इस क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने की बात कही थी। वर्तमान में शिमला संसदीय क्षेत्र से सांसद सुरेश कश्यप भाजपाई है और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी है। केंद्र और प्रदेश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है। ऐसे में यदि प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र का दर्ज नहीं मिलता है, तो उसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में भाजपा को भुगतना होगा।
दरअसल गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने का मसला 144 पंचायतों से सीधे जुड़ा है और इसके दायरे में चार विधानसभा क्षेत्र आते है। शिलाई के अतिरिक्त, श्रीरेणुकाजी, पच्छाद व पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्रों में भी ये मुद्दा निर्णायक भूमिका निभा सकता है। जाहिर है फिलवक्त भाजपा सत्ता में है तो नाराजगी का कोप भी भाजपा को भुगतना पड़ा सकता है। ऐसे में निसंदेह सत्तारूढ़ भाजपा अब इस मुद्दे पर कोई सार्थक पहल कर सकती है। यदि ऐसा हुआ तो पार्टी को इसका लाभ भी मिलना तय है।
हाटी नेताओं की दो टूक
केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष डा अमीचंद कमल व महासचिव कुंदन सिंह शास्त्री का कहना है कि हाटी समुदाय ने दस्तावेजों सहित सभी औपचारिकताएं पूरी कर प्रदेश व केंद्र सरकार को कई बार दी है। अब हाटी समुदाय को केवल अपना हक चाहिए। अब वादों और आश्वासनों से काम नहीं चलेगा। जरुरत पड़ी तो आंदोलन को प्रखर किया जाएगा। वहीं केंद्रीय हाटी समिति के सलाहकार जेलदार प्रताप सिंह तोमर ने कहा कि जो भी चुने हुए जन प्रतिनिधि है वो इस मुद्दे को उठाये और डबल इंजन की भाजपा सरकार में ये कार्य पूरा होना चाहिए। अब कोई भी बहाना नहीं चलेगा। सिरमौर हाटी विकास मंच के अध्यक्ष प्रदीप सिंगटा ने कहा कि यह मांग पांच दशक पुरानी है और अब केंद्र में और प्रदेश में दोनों ही भाजपा की सरकार है। ऐसे में उम्मीद है जल्द से जल्द इसे पूरा किया जायेगा। जुलाई तक यदि मांग पूरी नहीं हुई तो आंदोलन को उग्र किया जाएगा।
विडंबना : उत्तराखंड में एसटी, हिमाचल में नहीं
इसे विडंबना ही कहेंगे कि दूरदराज क्षेत्र से होने के बावजूद भी गिरिपार के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के दर्जे के साथ आने वाली प्रतिष्ठित सरकारी परिलब्धियां नहीं मिल पाई है। इस समुदाय के प्रतिनिधि कई वर्षों से अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत है। मगर हुक्मरानों को शायद हाटी समुदाय का मुद्दा सिर्फ चुनाव के दौरान ही याद आता है। गिरिपार का हाटी समुदाय उत्तराखंड के जौनसार बाबर क्षेत्र के जोंसारी समुदाय की तर्ज पर जनजातीय दर्जे की मांग कर रहा है। बता दें कि पूर्व में उत्तराखंड का जौनसार बाबर क्षेत्र सिरमौर रियासत का ही एक भाग था। जौनसार बाबर को 1967 में केंद्र सरकार ने जनजाति का दर्जा दिया था। जौनसार बाबर और सिरमौर के गिरिपार की लोक संस्कृति, लोक परंपरा, रहन-सहन एक समान है। इनके गांवों के नामों और भाषा में भी समानता है। बावजूद इसके जिला सिरमौर की 144 पंचायतों को आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला।