मान का ऐलान, अब बाकियों पर दबाव

पंजाब में अब पूर्व विधायकों को सिर्फ एक टर्म की पेंशन मिलेगी। इसके साथ-साथ पूर्व विधायकों को मिलने वाले फैमिली भत्तों में भी कटौती की जाएगी। किसी भी पार्टी का उम्मीदवार चाहे कितनी भी बार का विधायक रहा हो उसे एक ही पेंशन मिलेगी। इसी अनुपात में फैमिली पेंशन भी कम होगी। पंजाब की भगवंत मान सरकार के इस फैसले की कहीं प्रशंसा हो रही है तो कहीं निंदा। कोई इस फैसले को ऐतिहासिक फैसला बता रहा है तो किसी का मानना है कि इस फैसले से सरकार को ज्यादा लाभ नहीं मिलने वाला। बहरहाल, ये निर्णय अच्छा है या बुरा, इसे लेकर विश्लेषण जारी है। मगर ये स्पष्ट है कि पंजाब सरकार के इस फैसले के बाद बाकी राज्य सरकारों पर भी दबाव बनना शुरू हो गया है। इस फैसले का प्रभाव हिमाचल में भी देखने को मिल रहा है। यहां भी जनता कुछ ऐसा ही चाहती है, खासतौर पर प्रदेश के कर्मचारी ये मांग करने लगे है।
दरअसल, पंजाब सरकार द्वारा ये फैसला पंजाब की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए लिया गया है। फिलवक्त पंजाब की आर्थिक स्थिति बदहाल है। पंजाब पर लगभग तीन लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। इसका जिक्र सीएम भगवंत मान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान भी कर चुके हैं। सरकार का मानना है कि इस फैसले के बाद विधायकों की पेंशन पर खर्च हो रहे पैसे को युवाओं व अन्य कल्याणकारी योजनाओं पर खर्चा जा सकेगा। बता दें कि छह बार विधायक रहीं पूर्व सीएम राजिंदर कौर भट्ठल, लाल सिंह, सरवन सिंह फिल्लौर को हर महीने तीन लाख 25 हजार रुपये मिलते हैं। रवि इंद्र सिंह, बलविंदर सिंह को हर महीने दो लाख 75 हजार रुपये की राशि मिलती है। वहीं 10 बार के विधायक की पेंशन छह लाख 62 हजार प्रतिमाह है। अब सभी पूर्व व मौजूदा विधायकों को सिर्फ 75 हजार रुपये पेंशन मिलेगी। मान सरकार पांच साल में 80 करोड़ रुपये की बचत करेगी और यह राशि जन कल्याणकारी कार्यों में खर्च की जाएगी।
इस फैसले में एक और पेच भी अटका हुआ है। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस फैसले का पंजाब को कोई वित्तीय लाभ नहीं होगा क्योंकि कोई भी व्यक्ति जब रिटायर होता है तो उसे उस समय के नियमों के मुताबिक ही पेंशन मिलती है। जब 2004 में सरकार ने नई पेंशन योजना लागू की तो यह केवल नए कर्मचारियों पर ही लागू हुई न की पुराने कमचारियों पर। यही फार्मूला विधायकों की पेंशन पर भी लागू हो सकता है। हालांकि सरकार कानून बना कर ऐसा कर सकती है और विधानसभा में बहुमत होने के चलते आम आदमी पार्टी के लिए ये बिल्कुल भी मुश्किल नहीं होने वाला।
क्या ये पुरानी पेंशन बहाल न करने का संकेत है !
नेताओं को मिलने वाली एक से अधिक पेंशन को लेकर लंबे समय से देश में बहस छिड़ी हुई है। वन पर्सन वन पेंशन की मांग कई संगठन उठाते रहे है। वहीं पिछले कुछ समय से देश के कई राज्यों में नई पेंशन के विरोध में भी कर्मचारी लामबंद होते दिखे है। कर्मचारियों का अक्सर ये सवाल रहा है कि जहां उन्हें नए पेंशन सिस्टम के जरिये एक पेंशन भी ढंग से नहीं मिल पाती वहीं नेताओं को दो तीन पुरानी पेंशन आखिर क्यों दी जाती है। कर्मचारियों को मनाने के लिए राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने तो पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा भी कर दी। ऐसे में कई राज्यों पर पुरानी पेंशन बहाली को लेकर दबाव है। इस बीच अब पंजाब ने विधायकों की पेंशन और भत्तों में कटौती कर दी है। अब एक तरफ कर्मचारी इसे बड़ा निर्णय बता खुश हो रहे है तो दूसरी तरफ कुछ का मानना है कि सरकार द्वारा उनका एक बड़ा मुद्दा खत्म कर दिया गया है और शायद ये कर्मचारियों को पुरानी पेंशन न देने का एक संकेत हो सकता है।