अगर 'बिंदल मैनेजमेंट' फिर नहीं चली तो विरोधी स्वर होंगे बुलंद
भाजपा की ओर से अर्की उपचुनाव के लिए डॉ राजीव बिंदल को प्रभारी नियुक्त किया गया है। डॉ बिंदल सोलन नगर निगम चुनाव में भी प्रभारी थे और नतीजे मनमाफिक नहीं आये थे। बावजूद इसके पार्टी ने फिर इन्हे ही जिम्मेदारी दी है। दिलचस्प बात ये है कि सोलन नगर निगम चुनाव की तर्ज पर इस बार भी सह प्रभारी डॉ राजीव सैजल को बनाया गया है जो जयराम सरकार में कैबिनेट मंत्री भी है। यानी एक किस्म हाशिये पर चल रहे डॉ राजीव बिंदल प्रभारी है और सरकार में दमदार मंत्री डॉ सैजल सहप्रभारी। खेर इसमें कोई संशय नहीं है कि डॉ राजीव बिंदल संगठन के भी डॉक्टर है और अपने लम्बे राजनीतिक सफर में उन्होंने कई मौकों पर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है। उनकी जमीनी पकड़ और पोलिटिकल मैनेजमेंट को लेकर कोई सवाल नहीं है। पर डॉ राजीव सैजल के समर्थक जरूर इस आस में थे कि उन्हें अर्की में फ्री हैंड काम करने का मौका मिलता। खेर फिलवक्त डॉ राजीव बिंदल ही अर्की के रण में कमांडर इन चीफ की भूमिका में है, ऐसे में जाहिर है जीत का श्रेय उन्हें मिले न मिले पर हार की स्थिति में ठीकरा उनके सिर ही फूटेगा।
सियासी माहिर मानते है कि ये बड़ी अजब बात है कि डॉ राजीव बिंदल को न सरकार में ज़िम्मेदारी मिल रही है और न ही संगठन में कोई अहम पद, बस चुनाव लड़वाने का प्रभार मिलता जा रहा है। प्रभार भी ऐसे चुनाव लड़वाने का मिलता है जहां पार्टी की डगर कठिन होती है। पहले सोलन नगर निगम चुनाव का प्रभारी बनाया गया और अब अर्की उपचुनाव का। सोलन में भी अंदरूनी अंतर्कलह और खींचतान के चलते पहले से पार्टी बैकफुट पर थी और अर्की में भी यदि बगावत के सुर इसी तरह प्रखर रहे तो पार्टी की नाव पार लगाना आसान नहीं होगा। फर्क इतना है कि सोलन में पार्टी के दो गुटों में से एक गुट बिंदल के निष्ठावानों का ही है, जबकि अर्की की राजनीति में डॉक्टर साहब की सीधी दखल नहीं है। ऐसे में अर्की में शायद बिंदल सोलन से ज्यादा असरदार दिखे। यहां एक बात पर गौर करना भी जरूरी है, यदि सोलन नगर निगम भाजपा जीत भी जाती तो शायद क्रेडिट मुख्यमंत्री के तूफानी दौरों को मिलता, जहां उन्होंने वार्ड -वार्ड छान मारा था। वहीँ हार के बाद मुख्यमंत्री के जनाधार पर तो सवाल उठे ही, पर खुलकर ये भी कहा जाने लगा कि डॉ बिंदल का जादू अब फीका पड़ा चूका है। दरअसल बिंदल के बेहद करीबी माने जाने वाले नेता भी चुनाव हार गए थे। ऐसे में अर्की में 'बिंदल मैनेजमेंट' नहीं चली तो विरोधी स्वर बुलंद होंगे।
कर्नल ने संभाला कांग्रेस से मोर्चा
अर्की में कांग्रेस ने सोलन विधायक और पूर्व मंत्री डॉ कर्नल धनीराम शांडिल को प्रभारी बनाया है। कर्नल शांडिल का कमाल सोलन नगर निगम चुनाव में भी दिखा था, तब बेशक प्रभारी राजेंद्र राणा थे लेकिन चुनावी व्यूह रचना में कर्नल शांडिल का इम्पैक्ट खूब दिखा था। अब पार्टी ने शांडिल को अर्की का प्रभारी बनाया है।